पोर्न स्टोरी राइटर सेक्स कहानी एक अन्तर्वासना लेखिका की है. लेखिका ने एक अन्य लेखक की कहानी पढ़ी तो उसने उस लेखक को मेल किया और दोस्ती कर ली.
दोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.
मेरी पिछली कहानी थी: पति से चीटिंग कर गैरमर्द से चूत चुदवायी
मैं आज फिर से आपके लिए अपनी कड़कती भड़कती पोर्न स्टोरी राइटर सेक्स कहानी लाई हूँ.
दोस्तो, मुझे नौकरी मिल गई थी.
मैं अपना जॉब मस्ती से कर रही थी और आराम से कमा खा रही थी.
उम्र के बढ़ते क्रम में जरूरतें भी बढ़ने लगी थीं.
मेरा बदन तो आप जानते ही हैं कि उसकी क्या क्या जरूरत हैं.
फिर भी आपको इसके बारे में आगे पता चल जाएगा.
मैं जिस बिल्डिंग में रहती थी, उसी बिल्डिंग में 3 लड़के भी रहते थे.
एक लड़के का नाम अनुज था, वह जॉब करता था और एक कहानीकार भी था.
उससे मेरी मुलाकात ऑनलाइन ही हुई थी.
मुझे पहले से पता नहीं था कि ये लड़का ही अनुज है.
दूसरे का नाम सोहन था, वह एक जिम ट्रेनर का काम करता था.
तीसरा जय था, जो कबड्डी का खिलाड़ी था और अपनी तैयारी कर रहा था.
हम सब अक्सर आते जाते टकरा जाते थे.
मुझे अपनी काम वासना बुझाने की जरूरत थी लेकिन मैं उनसे कह नहीं सकती थी.
एक सेक्स कहानी पढ़ कर मेरी मुलाकात अनुज से हुई जो कि जाना माना खिलाड़ी था.
अनुज बहुत प्रोफेशनल बंदा लगता था.
जैसा मैंने उसकी एक स्टोरी में पढ़ा था, वह वैसा ही था.
उसका पावर जोरदार था.
अनुज से मेरी बात जी-मेल के जरिए हुई थी.
हम दोनों हैंगआउट पर मिले और बाद में व्हाट्सएप पर आ गए.
दूसरी तरफ सोहन और जय मुझसे इंस्टाग्राम पर जुड़ चुके थे.
मैं आपको बताती चलूँ कि मुझे लंड चूसने का नया नया शौक चढ़ गया था.
यदि काला लंड हो तो साफ करके … और यदि गोरा हो, तो मैं उसे सीधे ही चूसने लगती थी.
मुझे इसमें किक मिलती है.
मैं सोहन और जय से काफी नजदीक होती जा रही थी.
उधर अनुज मुझे मीटिंग के लिए बार बार बोल रहा था.
अब तक अनुज से कभी मेरा आमना सामना नहीं हुआ था इसलिए मैंने ये नहीं सोचा था कि तीसरा लड़का अनुज ही होगा.
संडे के दिन मैंने अनुज से मिलने का फ़ैसला कर लिया और उसके साथ मीटिंग फिक्स कर दी.
इधर मैं सोहन को अपने घर पर चाय के लिए बुलाने लगी थी.
वह अक्सर मेरे घर आता और चाय पीकर चला जाता.
दूसरी तरफ जय भी मुझसे जुड़ गया था.
वह खुद आकर खाना दे जाता या कभी कभी मेरी हेल्प कर देता मतलब सामान आदि ले आता.
संडे के दिन सुबह से अनुज का मैसेज आया तो मैंने उसको अपने घर का एड्रेस दे दिया.
तभी मुझे पता चला कि अनुज ही वह लड़का है जो मुझे अपनी बिल्डिंग में मिलता था.
वह भी मुझे जानते ही और भी जल्दी जल्दी मचाने लगा.
उस दिन करीब 11 बजे में जब नहाने लगी तो पता नहीं अनुज कब घर के अन्दर आ गया और बैठ गया.
मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर निकली और तौलिया से अपने बाल सुखाने लगी, तभी मैंने अचानक से अनुज को बैठे देखा.
अनुज की नजरें मेरे भीगे बदन से हट ही नहीं रही थीं.
मैंने जल्दी से खुद को पलटा और वापस तौलिया लपेट ली.
अनुज- सच में जैसा पढ़ा था, आप तो उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो!
मैं- अरे आप कब आए … आपको बताना चाहिए था न!
अनुज उठकर दो कदम आगे बढ़ा और वह मेरे पीछे आकर कहने लगा- शनाया जी, आप ये तौलिया हटा दीजिए.
यह कहते हुए उसने मेरे जिस्म पर लिपटी हुई तौलिया को खींच कर निकाल दिया.
उसके बाद उसने पीछे से मुझे पकड़ा और बोला- शनाया जी, न तो हम आपके जीजू हैं और न जीजू के दोस्त हैं … और न ही आपके कोई ब्वॉयफ्रेंड हैं. हम तो बस आपके ही जैसे एक लेखक हैं. आप अच्छी तरह जानती हैं कि जब दो बदन खुले मन से मिलन करते हैं, तभी आनन्द की अनुभूति होती है. शनाया जी मैं आपकी सांसों को अपनी सांसों से महसूस करने आया हूँ.
मैं उसकी किसी बात का जबाब नहीं दे पाई.
वह मुझे फिर से बाथरूम में ले गया- शनाया जी, यदि आप मेरा साथ नहीं दोगी तो कुछ भी अच्छा नहीं होगा. यदि आप कहेंगी … तो मैं वापस भी जा सकता हूँ.
यह कह कर वह बाहर जाने लगा.
मैंने उसको रोक लिया और उसकी टी-शर्ट उतार दी.
मैं अनुज की आंखों में आंखें डालकर बोली- अनुज जी, मैं आपसे इसलिए मिल रही हूँ ताकि एक साथी जो लेखक है, उसका प्यार पा सकूँ … और आपसे मिलने का मेरा पूरा मन था और है भी.
फिर उसने मेरे माथे पर चूमा और मैं उसके बदन से एक एक कपड़े को निकालने लगी.
वह मेरे बालों से खेलने लगा.
मैंने जल्द ही उसके बदन को बिना कपड़ों के कर दिया.
मैं उसका लंड देख कर दंग रह गई.
सच में जैसा पढ़ा था, उससे भी ज्यादा मोटा और बड़ा लंड लग रहा था.
एकदम मस्त गोरा था.
लेकिन अभी उसका लंड खड़ा नहीं था.
फिर भी मैं उसके बैठे लंड से बता सकती हूं कि उसका लंड कितना बड़ा रहा होगा.
वह मुझे गालों पर किस करने लगा और मैं उसके होंठों पर किस करने लगी.
वह भी मेरे होंठों को चूसने लगा.
मैं उसके बिना बालों वाले सुडौल सीने पर किस करने लगी और वह मेरा सिर ऊपर करके मेरे स्तनों पर गया.
उसने मेरे एक दूध को एक हाथ से पकड़ा और उसे मुँह में भरने लगा.
इससे मुझे मजा आने लगा.
मेरे स्तन बहुत दिनों बाद मसले जा रहे थे इसलिए मुझे मीठा दर्द भी हो रहा था.
अब वह मेरे दूसरे वाले दूध को पकड़ कर उसे भी चूसने लगा.
मैंने फव्वारा चालू कर दिया और शैंपू उसके हाथों में डाल दिया, थोड़ा सा शैंपू मैंने अपने हाथों में ले लिया.
वह शैंपू मेरे मम्मों पर रगड़ने लगा और मैं शैंपू उसके सीने पर मलने लगी.
वह गले से होते हुए चेहरे पर, फिर चेहरे से सीधे पीछे हाथ ले आया. पीछे शैंपू मलने के बाद वह मेरे पिछवाड़े पर आ गया.
उसने फिर से अपने हाथों में शैंपू लिया और सीधे मेरी चूत में उंगली डाल दी.
मैं एकदम से सिसक उठी और उसके हाथ को पकड़ लिया.
वह रुक गया.
मैंने तुरन्त शैंपू लिया और उसके बालों से हाथ सहलाती हुई पूरे बदन पर लगाने लगी.
फिर उसके आधे खड़े लंड की चमड़ी को खोल कर सुपारे को निकाल लिया.
मैंने लंड को अन्दर से साफ किया और अपने हाथों से लंड पर शैंपू को मुठ मारने वाले अंदाज में रगड़ने लगी.
उसके बाद हम दोनों फव्वारे के नीचे आ गए और पूरे जिस्म पर लगा हुआ शैंपू साफ करने लगे.
अब मेरा मन उसके लंड को पूरा खड़ा करने का था.
मैं तुरन्त नीचे बैठ गई और उसके लंड पर अपनी जीभ फेरने लगी.
लंड अभी ढीला था. मैं चूसने लगी.
मैं अनुज के लंड को अपने मुँह में अन्दर तक लेकर चूसने लगी और कुछ ही पलों में मैं उसके लगभग पूरे लंड को अन्दर लेने लगी.
वह आह आह करने लगा.
एक दो पल गले की गर्मी से लंड को सेंकने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और हाथों से रगड़ कर फिर से चूसने लगी.
कुछ ही देर में मैंने उसके लंड को एकदम खड़ा कर दिया.
सच में अब अनुज का लंड बड़ा ही मस्त लगने लगा था.
उसने मुझे बाथरूम के फर्श पर ही लिटा दिया और मेरी चूत में जीभ डाल कर चूसने लगा.
मेरी सिसकारियों से बाथरूम गूँजने लगा.
कुछ समय बाद वह उठ कर खड़ा हो गया.
मैं फिर से उसके लंड को पकड़ कर चूसने लगी.
फव्वारे की बूंदों से हम दोनों के बदन और भी उत्तेजित होने लगे थे.
वह मेरे बाल संभालने लगा और झटका देने लगा.
फिर उसने कहा- शनाया जी, आपके मम्मों के जैसे दूध कभी देखने नहीं मिले. सच में मस्त टाइट हैं.
वह अपने हाथ की हथेलियों को पट्ट पट्ट करते हुए मेरे मम्मों पर चमाट मारने लगा था.
मैं आआह आहह करने लगी.
अब वह बोला- शनाया, कंडोम ले आओ, मेरे पैंट की जेब में है.
मैंने उसको मना कर दिया और कहा- अनुज जी मैंने पढ़ा था कि आपको कंडोम के साथ चूत चोदने में मजा नहीं आता है. इसलिए आप बिना कंडोम के मेरी चुदाई करो, मैं दवा ले लूंगी.
वह मुझे फिर से किस करने लगा.
कुछ पल बाद वह बोला- शनाया जी आयल है क्या?
मैंने तुरन्त अपना थूक उसके लंड पर लगा दिया.
वह मुस्कुरा दिया और बोला- अब कैसे चुदना पसन्द करोगी?
मुझे तो लंड पर झूला झूलने में मजा आता है, लेकिन अभी चूत काफी समय से खुली नहीं थी, इसलिए मैं पहले आराम से चुदाई करवाना चाहती थी.
मैंने उससे कहा- बस आप आराम आराम से करो!
उसने मुझे उठाया और तुरन्त शीशे के सामने वाली दराज पर बिठा दिया.
फिर उसने मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रख कर अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रख दिया.
वह लंड का सुपारा चूत की फांक पर फेरने लगा और रगड़ने लगा.
उसी वक्त उसने मेरे मम्मों पर एक चमाट मार दिया.
मेरे मुँह से मीठी सी कराह निकली- आह!
वह फिर से लंड को चूत रगड़ते हुए अन्दर डालने लगा.
जैसे ही उसके लंड का टोपा चूत के अन्दर गया, मैं जोर से आआह कर उठी.
वह रुक गया और बोला- शनाया जी मुझे माफ़ करना!
यह कहते ही उसने एक तेज झटके में लंड डाल दिया.
मैं जोर से ‘आआह आईए ईईईई.’ करने लगी और अपने पैरों से उसको दूर करने लगी.
लेकिन उसकी ताकत के सामने मैं कुछ नहीं थी.
वह रुक गया और लंड को निकाल कर उस पेट थूक लगा कर फिर से अन्दर डाल दिया.
मैं कराह उठी- आआह अनुज … दर्द कर रहा है!
वह बोला- शनाया, यदि आप मेरा नाम न लें … कुछ और अच्छा सा कहें, तो मेरे दिल को अच्छा लगेगा.
मैं उससे जान कहा, तो वह खुश हो गया.
वह मुझे किस करने लगा और झुके हुए ही धक्के देने लगा.
फव्वारा चालू था, तो पच फच की आवाज आ रही थी.
मुझे मजा आने लगा तो मैं ‘आआह ईई आऊच जान.’ करने लगी.
वह मस्ती में मेरी चूत का भोसड़ा बनाने में लग गया था.
मैंने कहा- जान, मुझे गोद में ले लो.
वह लंड निकाल कर खड़ा हो गया.
मैं नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगी.
फिर मैंने फव्वारे को बन्द कर दिया और उसी समय उसने मुझे उठा लिया.
मैं अपने दोनों हाथों को उनके गले के पीछे ले गई और उसे कस कर पकड़ लिया.
उसने मेरे पैरों को हवा में ऊपर किया और लंड चूत पर लगा कर डालने लगा.
मैं जोर से ‘आआह जान ….’ कर उठी.
वह ‘बस मेरी जान बस …’ कहते हुए लंड को चूत में फिट करने लगा.
कसम से अनुज बहुत अच्छा लेखक के साथ साथ मस्त चोदू भी था जो अपनी ताकत से किसी को भी खुश कर सकता था.
उसका लंड तो अद्भुत था.
अब वह मुझे झूला झुलाने लगा था और मैं ‘आआह जान ईई’ कहती हुई लंड लेने लगी थी.
करीब 5 मिनट झूला झूलने के बाद मैं उसके कान में बोल उठी कि अब बेड पर चलो.
वह मुझे वैसे ही लिए हुए कमरे में ले आया.
मैं भूखी हो चुकी थी इसलिए मैंने उससे कहा- पहले किचन में ले चलो.
वह मुझे वैसे ही लटकाए हुए किचन में आ गया और चोदते चोदते मुझसे फ्रिज खुलवा कर कहने लगा- क्या खाना है?
मैं फ्रिज से ब्रेड निकालने लगी और सॉस लेकर वापस कमरे में आ गई.
अब मैंने उसको लिटा दिया और उसके लंड पर सॉस डाल कर ब्रेड से पौंछ कर ब्रेड खाने लगी.
साथ ही उसके लंड को चाटने लगी.
वापस ब्रेड और लंड से सॉस लेकर खाया.
इस तरह से मैंने लंड को साफ कर दिया था.
तभी उसने अपने पैंट की जेब से एक क्रीम निकाली और लंड के टोपे पर लगाने लगा.
मैं आराम से उसके लौड़े के ऊपर आ गई और किस करती हुई उसके खड़े लंड पर बैठने लगी.
उसके लौड़े पर पूरा बैठ पाना मेरे बस का नहीं था. मैं आराम आराम से लंड अन्दर लेने लगी.
वह मेरे मम्मों को मसल रहा था.
मैंने किसी तरह से उसका आधा से ज्यादा लंड अन्दर ले लिया था.
मैं उतने में ही काफी दर्द महसूस करने लगी थी.
तो मैंने कहा- जान, अब आप आराम आराम से डालो!
वह बोला- ओके जान.
उसने मुझे नीचे दबाया और हाथ पकड़ कर जोर जोर से झटके देने लगा.
मैं चीखने लगी- आआह सस्सह आआह … मम्मी आआह मम्मी आआह … मरी आआह जान रुको रुको आआह!
मगर वह नहीं रुका.
मैं रो पड़ी, तब भी वह नहीं रुका.
मैं आआह आआह आआह आह करती गई और तब वह बड़ी मुश्किल से रुका.
वह कहने लगा- बस बस बेबी रिलेक्स बेबी.
वह मेरे बालों को ऊपर करके मुझे चूमने लगा और किस करने लगा.
मैं रोती हुई बोली- जान बहुत दर्द कर रहा है … बस करो प्लीज आआह!
वह मुझे सहलाते हुए बोला- बेबी बस अब दर्द नहीं होगा.
उसने मेरे आंसू पौंछते हुए बालों को ऊपर किया और किस करने लगा.
फिर वह किस करते करते हुए आराम आराम से चोदने लगा.
मैं सच में मान गई थी कि अनुज जाना माना खिलाड़ी है.
वह पोर्न स्टोरी राइटर आराम आराम से धक्के दे रहा था.
मैं उसकी किस की वजह से अहह ओर ईई की आवाज उसके मुँह के ही अन्दर बोलती जा रही थी.
वह मुझे चोदता रहा.
मैं अब उसका साथ देने की पूरी कोशिश में थी.
फिर मैं ही काउगर्ल पोज में उसके ऊपर चढ़ कर लंड की सवारी करने लगी.
वह भी मेरी गांड के नीचे हाथ लगा कर मुझे उठाते हुए लंड से धक्के दे रहा था.
मैं मस्ती से आआह आआह आआह जान ईई कर रही थी.
कुछ देर तक लंड पर झूला झुलाने के बाद उसने मुझे उठाया और मेरे मुँह में लंड डाल दिया.
मैं लंड चूसने लगी.
कुछ देर के बाद उसने मुझे फिर से कुतिया बना दिया और मेरे बाल पकड़ कर झटके से मेरी चूत में लंड पेल दिया.
मैं आह करके कराही.
और उधर उसने सटासट लंड पेलते हुए चोदना चालू कर दिया.
मैं बस चुदाई की मस्ती में ‘आआह आआह ईई आआह जान आआह और करो.’ करती रही.
उसके लंड में न जाने कितनी ताकत थी, वह झड़ ही नहीं रहा था.
कुतिया के पोज में चोदने के बाद उसने मुझे उठा कर दीवार से लगा दिया और पीछे से लंड चूत में डाल कर धकापेल करने लगा.
उस स्थिति में मेरा चेहरा दीवार से चिपका हुआ था और मेरी गांड को थोड़ी बाहर की तरफ किए हुए था.
अब वह हार्डकोर होने लगा था क्योंकि उसने शुरुआत में ही मुझसे हार्डकोर चुदाई की बात कही थी जिस पर मैंने उससे हां कर दिया था.
कुछ देर बाद वह मेरे मम्मों पर पट्ट पट्ट करते हुए अपने हाथ मारने लगा और साथ ही मेरी चूत को चोदता गया.
अब मैं वापस झड़ने की कगार पर थी, पर उसे कोई फर्क ही नहीं था. वह तो बस लंड अन्दर बाहर करते हुए चोदता जा रहा था.
उसने मेरे पिछवाड़े को चमाट मार मार कर लाल कर दिया था.
मैं झड़ने लगी थी और शिथिल पड़ गई थी. परंतु वह अभी भी सटासट चोद रहा था.
करीब 20 मिनट ऐसे ही चुदाई करने के बाद अब वह भी झड़ने वाला था.
उसके झटके पूरी ताकत से लगने लगे थे.
मैं कसमसाने लगी थी- आआह जान बस करो अब बस!
वह ‘आआह बेबी आआह …’ कहता हुआ झड़ गया और मेरे ही ऊपर लेट गया.
उसकी करीब 9-10 पिचकारियां मेरी चूत में समाती चली गईं.
मैं उसके बदन पर हाथ फेरती हुई उसे चूमने लगी.
हम दोनों थक कर लेट गए और आराम करने लगे.
कुछ देर बाद वह उठ कर अपने कमरे में चला गया.
दोस्तो, यह सेक्स कहानी अनुज के साथ की थी.
अभी मेरी सेक्स कहानी में दो और मर्द आने वाले हैं, जिनका जिक्र में सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.
आपको यह पोर्न स्टोरी राइटर सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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पोर्न स्टोरी राइटर सेक्स कहानी से आगे की कहानी: पड़ोस के दो लड़कों के लंड का मजा लिया