वासना के समुन्दर में प्यार की प्यास- 6

लस्ट एंड लव गेम की कहानी में पढ़ें कि मैं वासना में आकंठ डूबी हुई थी पर मेरे मन में कहीं प्यार की तलाश थी, मैं अपने लिए किसी के दिल में प्यार चाह रही थी.

कहानी के पिछले भाग
मेरी चूत बनी प्रमोशन का तोहफा
में आपने पढ़ा कि

मैंने भी सन्दीप को बताया कि कैसे दीपक और धीरज की नज़रें मुझ पर पड़ी और कैसे उन दोनों ने मुझे अपने जाल में फंसाया।
हालांकि दोस्तो, मैं खुद भी वासना के समंदर में फैले इस जाल में जाना चाहती थी।

यह कहानी सुनें.

अब आगे लस्ट एंड लव गेम:

जाने मन में क्या आया, मैं सोफा से उठ सन्दीप की गोद में जा बैठी, अपनी दोनों टांगें अगल बगल कर उसकी जांघों पर बैठ गई … मेरा जिस्म नंगा और वीर्य से भीगा था.
“और नहीं पिलाएंगे?”

एक और जाम आगे करते हुए सन्दीप ने नशीले लहजे में कहा- ये लो!
वह मुझे छू भी नहीं रहा था।

उसका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए मैं अपनी दायीं चूची मसलने लगी, उसे ऊपर करके अपना निप्पल चूसने की कोशिश करने लगी।

सन्दीप ये सब देख भी बस मेरी आंखों में देख अपने हाथ के व्हिस्की के ग्लास को होंठों से लगाता पीता रहा।
मैंने अपने होंठ आगे कर उसे चूम लिया।

सन्दीप अचंभित हो कुछ बोल भी नहीं पाया.
और मैं उसके होंठों को चूस कर उनका रस पीने लगी।

कुछ देर बाद अलग हुई और मेरे लिए बनाए हुआ प्याला उसके हाथ से ले लिया और एक किनारे रख दिया।

अब मुझे सन्दीप का नशा होने लगा था.
मैंने सन्दीप के हाथ से उनका जाम लिया और एक घूंट मुंह में भरा, फिर अपने होंठों को उसके लबों पर लगा कर उनके मुंह में शराब उड़ेल दी।

सन्दीप ने जाम एक तरफ रख, मेरा चेहरा पकड़ा और मुझे कसकर चूमने लगा।
हम दोनों जाने कितनी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे।

जैसे सदियों से उमड़ती हुई प्यास तटस्थ हो आई।
उस चुम्बन ने हमारे बीच की प्यास को जन्म दिया, एक दूसरे के लबों को कुछ देर तक तरसती नजरों से देखते हुए … हमारे होंठ फिर एक दूसरे से जा मिले।

सन्दीप के हाथ अब मेरे गालों को छूते हुए मेरी गर्दन को सहलाने लगे थे.
मैं भी उनका चेहरा अपने हाथों में थामे उनकी आंखों और होंठों में खो जाना चाहती थी

अब उसके हाथ मेरी कमर सहलाते हुए धीरे धीरे मेरे कूल्हों की ओर बढ़ रहे थे।
और मैं उसके होंठों में डूबी उसकी कमीज के बटन खोल रही थी।

फिर कुछ देर बाद अलग होकर वह बोला- मैं तुम्हारे साथ ये सब नहीं कर सकता। हालांकि तुम में एक अलग सा आकर्षण है. और तुम अपने यौवन को एक त्योहार की तरह मनाती हो।
मैंने उसके बोलते हुए मुख को अपने हाथ से चुप करा दिया- आपकी मर्जी के बिना कुछ नहीं होगा, मैं आपके सामने बहुत देर से नंगी हूं, और अच्छे से चोदी भी गई हूं। चुद तो मैं किसी से भी सकती हूं. पर दिल पर कब्ज़ा जिसका होगा, उसी को अपने पर हक़ दूंगी।

यह कह मैं सन्दीप की गोद से उठने लगी.
सन्दीप ने मेरा हाथ थाम मुझे वापिस अपनी जांघों पर बिठा लिया।

मैं और वह कुछ वक्त एक दूसरे की आँखों में देखते रहे जैसे टटोल रहे हों एक दूसरे की मन की बात!

जाने कैसे मेरा हाथ उसके सीने तक चला गया और हमारे लब एक दूसरे को देखते हुए करीब आ गए।
हम दोनों फिर से एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।

पर मैंने खुद पर संयम रखने की पूरी कोशिश की और अलग हो गई।
मैं सन्दीप के रंग में रंगने लगी थी।

जाने क्या बात थी उसमें, उसकी आंखों में … मैंने प्यार से उसके कान के पास जाकर कहा- मैं आपको खुद पर हक़ देती हूं।
यह कहकर मैंने अपना हाथ हटा वापिस सन्दीप को एक प्यार भरा छोटा सा चुम्बन उसके गालों पर दिया।

सन्दीप की सांसें तेज हो रही थी, उसका तेजी से धड़कता दिल मेरे चूचों पर महसूस हो रहा था।
मैंने सन्दीप के दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर अपनी निचली कमर पर रख दिए।

सन्दीप ने अपनी टांगें चौड़ी कर दी.
‘अह्ह्ह्ह …’ और मेरी टांगें और ज्यादा खुल गई.

मेरी चूत से आती मादक खुशबू से मैं मदहोश होने लगी.
वह सन्दीप का नशा था या शराब का, पता नहीं।

मेरे हाथ खुद ब खुद मेरे स्तनों तक चले गए और मैं अपने स्तनों को सन्दीप की गोद में बैठ दबाने लगी।

सन्दीप मेरे अंदर उमड़ती गर्मी और आग को महसूस कर रहा था।
उसकी भी आँखों में अब मुझे भोगने की इच्छा जागृत हो रही थी।

उसका मुंह हल्का सा खुला था, सांसें तेज हो रही थी और हाथ मेरे कूल्हों पर थे।

मैंने अपने हाथों से अपना एक चूचा सन्दीप के मुंह में दे दिया।
वह मेरे हाथों में थामा हुआ चूचा चूसने लगा।

और सन्दीप मेरी खुली चूत से टपकते हुए रस को अपनी पैंट पर महसूस कर पा रहा था।

मेरा मन कर रहा था कि सन्दीप की पैंट खोल कर उसके खड़े लंड को अपनी चूत को गर्मी का सुख दूं।
पर बिना उसकी अनुमति के मैं कुछ नहीं करना चाहती थी।

सन्दीप मेरा स्तन का रसपान करने लगा।
उसके हाथ अब धीरे धीरे मेरे चूतड़ सहलाते हुए मेरी चौड़ी और अच्छे से चुदी हुई मोटी गांड को दबा रहे थे।

सन्दीप को मेरा चूचा मुंह में देना इतना भाया कि उसने कहा- दूसरा नहीं पिलाओगी तो अपने दूसरे स्तन के साथ नाइंसाफी करोगी!

मैंने पहला हटा कर दूसरा उसके मुंह में दे दिया और पास पड़ी शराब अपने चूचों पर गिराने लगी।

सन्दीप मेरे चूचों से बहती शराब में डूब गया और जाने कब उसका एक हाथ मेरी गर्म गीली चूत के मुहाने पर आ गया।

मैं आहें भरती हुई अपने चूचे चुसवाने का मजा ले रही थी.
कि तभी चूत में सन्दीप की दो उंगलियां महसूस हुई तो मेरे मुंह से सहसा … आआ आआआहह निकल गई।

अब मैं सन्दीप की बाहों में तड़पने लगी।
मैं लोगों को तड़पाने वाली, दो उंगलियों और एक मुंह से तड़प रही थी।

सन्दीप ने अपनी दोनों गीली उंगली निकाली और मेरे मुंह में दे दी।

और अब दूसरे हाथ से मेरी भीगी चूत में उंगली करने लगे।

मैं अपनी चूत के रस से डूबी उनकी दो उंगलियां चूस रही थी.
अब मैं उनका लौड़ा चूसने को तड़प रही थी।

मुझे तड़पती देख सन्दीप की टांगों के बीच अकड़न होने लगी, मेरी बिखरती हुई गर्मी में वह भी पिघलने लगा था।

मैं सन्दीप को गले से लगा ज़ोर ज़ोर से तड़पती सिसकारियां भर रही थी- आह … सन्दीप … हां … आह … आआ आआ आह, बस और मत तड़पाओ … आह आआ आआ आह्ह!
वह मेरी सिसकारियां अपने कान के बेहद करीब से सुन पा रहा था।

“रुक जाओ प्लीज़ … आह …”
“क्या हुआ, मेरी जान?” उसने अनजाना सा चेहरा बना मेरे गाल पर चूमते हुए पूछा.

मेरा कामुकता से भरा चेहरा और सिसकारियों से खुले होंटों के बीच … मैं कुछ बोलने लायक नहीं थी।

सन्दीप ने मुझे किस किया और अपनी उंगलियों का जादू कायम रखा।
वह बहुत देर तक मेरी भभकती हुई चूत टटोलता रहा, कभी एक उंगली से मेरा दाना हिलाता, कभी पकड़ कर भींच देता, कभी दो उंगली करता.

उसने मेरे कूल्हों के नीचे हाथ बिठा कर मुझे गोद में उठा लिया और बिस्तर तक ले गया।

उसने अपनी पतलून खोली और अपना कच्छा अलग कर दिया.
उसका मोटा और लंबा लंड बहुत देर से तन कर खड़ा था।

केले सा थोड़ा मुड़ा हुआ, बेहद खूबसूरत था।
मैं उसी वक्त उसे चूसना चाहती थी।

पर अब सन्दीप से मेरी चूत की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी, उसने बिना निरोध मेरी खुली टांगों में बीच आकर मेरे अंदर अपना लौड़ा डाल दिया.

‘आह … आआ आआ आआ अह्ह …’ हम दोनों की एक साथ सिसकी निकल गई.
हम दोनों ही एक दूसरे में समाने को तड़प रहे थे।

जैसे उसके लंड ने मेरे मन की सूखी धरा को भिगो दिया।
इतने लंड लेकर सुख नहीं मिला, जितना सन्दीप का लेकर मिला।

सन्दीप ज्यादा देर टिक नहीं पाया और कुछ ही धक्कों में झड़ गया।
उसने अपना पानी मेरे अंदर छोड़ दिया।

कुछ देर तक हम यूं ही एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे, चूमते रहे एक दूसरे को!

मैंने धीरे से कहा- आप जानते हो ना … ये सब पार्टी से आकर दोबारा मुझे अपनी रंडी बनाने वाले हैं?
सन्दीप बोला- हां, दीपक का मैसेज आया हुआ है मैनेजर ग्रुप पर, प्लान तो यही है इन लोगों का!
“तो फिर आप क्या करोगे, देख पाओगे मुझे इनकी रंडी बनते हुए?” मैंने पूछा.

“क्या मेरे पास कोई और रास्ता है? नौकरी तुम्हें भी प्यारी है, इसीलिए तुम कर रही हो. और मुझे भी प्यारी है इसीलिए मुझे इसका हिस्सा बनना पड़ रहा है। इससे पहले कि ये सब मिल कर तुम्हारी जिंदगी बरबाद कर दें, जल्दी से जल्दी कोई नई नौकरी ढूंढ लो. वरना इन्हें तुम्हें कोठे पर बिठा कर अपने करीबी लोगों से चुदवाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।”

मैंने सन्दीप को बताया कि कैसे दीपक, मोहित और धीरज ने सुबह मेरी गाड़ी में चुदाई की और फोन पर रिकॉर्ड किया जिसमें दीपक ने होली पर की अपनी रंगरलियां कबूली हैं.

सन्दीप ने सांत्वना देते हुए मुझे बाहों में भर लिया और प्यार करने लगा.

हमारे चुम्बन कब एक दूसरे के अंगों को टटोलने में तबदील हो आलिंगन करने लगे, पता नहीं और फिर सन्दीप ने मुझे दोबारा अपने लिंग का सुख दिया।

दो प्रेमियों को तरह आंखों में खोये, चुम्बन करते हुए जो सन्दीप ने मेरी रगड़ कर चुदाई की.
हम दोनों के एक हुए जिस्म और उसका मेरी आंखों में झांकते हुए चोदना और चूमते हुए कमर हिला कर धक्के तेज करते हुए मुझे चोदना … मुझे अब तक याद है।
हमारी यह पहली चुदाई सन्दीप और मेरे जीवन की नींव का हिस्सा है।

हम दोनों की लस्ट एंड लव भरी आहें कमरे में गूंज रही थी.
सन्दीप का लिंग अपने भीतर पाकर दीपक हरामी से छुटकारा पाने की इच्छा और प्रबल हो गई।

“आह्ह आआ ह्ह्ह उम्म्म आह आआ आहह … तुम तो मुझे पागल कर दोगी!” सन्दीप ने मुझे चूमते हुए कहा।
“और आपने जो मुझे पागल कर दिया है, मैं आपकी दीवानी बन गई हूं।”

हमारी दमदार चुदाई तकरीबन 20 मिनट चली और फिर हम दोनों ही एक दूसरे की बाहों में स्खलित हो कुछ देर निढाल पड़े रहे।

दूसरी चुदाई के कुछ देर बाद सन्दीप और मैं साथ साथ नहाने चले गए.

हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन से अलग नहीं हो पा रहे थे, शावर के नीचे एक दूजे की बाहों में नहा कर अत्यंत सुकून की अनुभूति हुई।
दिन भर और इतनी चुदाई की थकान जैसे हवा हो गई।

मैं अब और किसी से चुदना नहीं चाहती थी, सिर्फ और सिर्फ सन्दीप की हो कर रहना चाहती थी।

हम नहाकर बाहर आए तो दीपक, धीरज, कार्तिक, मोहित, राजीव और एक अंग्रेज आदमी कमरे में बैठे बातें कर रहे थे।

“सन्दीप, कुछ हुआ या नहीं?” कार्तिक ने कटाक्ष करते हुए पूछा।

दीपक बोले- दोनों एक ही बाथरूम से निकल रहे हैं. ये भी क्या पूछने की बात है। वीनस की जवानी है ही कमाल की, किसी भी लंड को खड़ा कर दे।
सन्दीप जाने लगा.

“कहां जा रहे हो?” दीपक ने टोकते हुए पूछा.
“सर, अपने रूम में! आप लोग कीजिए एंजॉय! मैंने थोड़ी ज्यादा पी ली है तो नींद आ रही है।”

दीपक- अच्छा ठीक है, जाओ, अब वीनस की जवानी को हम संभाल लेंगे। क्यों वीनस? हा हा हा हा हा।

मैंने सन्दीप का हाथ पकड़ लिया और आंखों ही आंखों में ना जाने की प्रार्थना की।
मेरी आंखें पढ़कर सन्दीप रुक गया।

मैंने टॉवल पहना था और भीतर से मैं नंगी थी।

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