इंडियन वाइफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पति का तबादला हुआ तो हमने अलग होने से पहले की रात में कैसे सेक्स करके मजा लिया. आप भी आनन्द लें मेरी चूत चुदाई का.
यह कहानी सुनें.
इस साइट के सभी पाठकों को मेरा सच्चे दिल से नमस्कार.
मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की सेक्स कहानियां पढ़ती आ रही हूँ. मैंने कई बार सोचा कि आप सभी के साथ अपने कुछ रंगीन अनुभव साझा करूं!
पर किसी कारण और झिझकवश अब तक कर ही नहीं पाई.
फिर अपने एक करीबी दोस्त के समझाने पर आखिर मैंने हिम्मत कर ही ली और आज मैं आप सबके लिए अपनी ज़िन्दगी के कुछ मज़ेदार किस्सों को इस सेक्स कहानी के माध्यम से सुना रही हूं.
मुझे उम्मीद है कि आपका मनोरंजन होगा और मेरी सेक्स कहानी को पढ़ कर आपके जिस्म में हलचल होगी.
दोस्तो, मेरा नाम रश्मि है और इस वक़्त मैं एक 32 साल की शादीशुदा महिला हूँ.
मेरे पति का नाम शरद है और वो 38 साल के हैं. शरद सरकारी नौकरी में हैं और आयकर विभाग में काम करते हैं.
मैं अपने बारे में कुछ कहूँ, तो मैं वैसे तो लखनऊ की रहने वाली हूँ. पर मैंने अपनी बीबीए एमबीए की पढ़ाई दिल्ली से की है.
मार्केटिंग में एमबीए करने के बाद मुझे दिल्ली के ही एक बड़ी कॉरपोरेट कंपनी में जॉब मिल गयी और मैं पिछले 8 साल से उसी कंपनी से जुड़ी रही.
अबसे 3 साल पहले घर वालों की पसंद से मेरी शरद से अरेंज्ड मैरिज हुई है. उसका दिल्ली में ही अपना मकान है और शादी के बाद से हम दोनों उसी घर में रहते हैं.
मैं और शरद, हम दोनों ही काफी अच्छा कमा लेते हैं और हमारे पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है.
दो साल पहले ही शरद ने मुझे मेरे जन्मदिन पर एक अच्छी कार भी गिफ्ट की है और उसे चलाने के लिए मैंने एक ड्राइवर भी रखा है. उसका नाम असीम है और वो हमारे ही मकान के पीछे सर्वेंट क्वार्टर में रहता है. उसकी उम्र कुछ 41 साल की है और उसकी अब तक शादी नहीं हुई है.
हमारा मकान काफी बड़ा था तो शरद ने ऊपर का एक कमरा 2 यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों, किरणदीप और सुरजीत को किराए पर दे रखा था.
वो दोनों यूनिवर्सिटी में एम कॉम की पढ़ाई कर रहे थे और साथ ही में अपना खर्चा चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी करते थे.
शरद ने उन्हें वो जॉब दिलाने में मदद की थी, तो वो दोनों शरद को बहुत मानते थे.
मुझसे भी उनकी खूब बनती थी, दोनों करीब 25 साल के थे.
वो दोनों ही काफी मौज मस्ती करने वाले व्यक्ति थे और अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड्स को कमरे में लेकर आते थे.
शरद भी इस बात से वाकिफ था और जवान लड़कों की मस्ती समझकर वो उन्हें कुछ नहीं कहता था.
रविवार को शरद, किरणदीप और सुरजीत अक्सर ड्रिंक्स लेते और कभी कभी मैं भी उनके साथ कुछ पैग लगा लेती थी.
मैं शुरू से ही काफी खुले और आज़ाद विचारों की लड़की रही हूँ.
कॉलेज के दिनों में मेरे बॉयफ्रेंड भी हुआ करता था. शादी से पहले मैंने ये बात शरद को बता दी थी और उसे भी मेरे अतीत से कोई लेना-देना नहीं था.
उसने भी मुझे बताया था कि उसकी भी गर्लफ्रेंड रही है.
महानगरों में ये आम बात है.
वैसे मैं आपको बता दूं कि मेरा कद 5 फिट 7 इंच लंबा है और मुझे मेरी हाइट बहुत अच्छी लगती है.
मेरा रंग एकदम गोरा और 34d-28-36 का फिगर है, जो मेरे लंबे कद की वजह से मुझ पर खूब जंचता है.
अपने स्वभाव को लेकर अगर कुछ कहूँ, तो मैं एक सरल और सीधी औरत हूँ.
बचपन से ही पढ़ाकू रही हूँ और साथ ही साथ अपनी निजी जिंदगी में भी मैंने अब तक भरपूर मज़े लिए हैं.
निजी जिंदगी में भी मेरी और शरद की शादीशुदा ज़िंदगी काफी अच्छी चल रही थी.
शरद मेरी चुदाई का कोई मौका नहीं छोड़ता था.
अपने काम के सिलसिले में हम दोनों ही काफी व्यस्त रहते, पर हर वीकेंड पर एक दूसरे के साथ अच्छा समय बीतता था.
हर वीकेंड पर हम कभी कोई सिनेमा, या कहीं अच्छी जगह घूमने निकल जाते और अकेले होने पर अब भी मज़े से सेक्स का आनन्द लेते हैं.
मेरी अब तक की ज़िंदगी काफी मस्त चल रही है और मैं अपने जीवन में काफी खुश हूँ.
अक्सर ऐसा कहा जाता है कि जब समय बहुत अच्छा चल रहा हो तो वह आने वाले कठिन समय का ही एक हिस्सा होता है.
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला था.
अब से दो साल पहले मेरे पति को उसके ऑफिस से उसके ट्रांसफर की खबर मिली.
सरकारी नौकरी में ये आम बात होती है.
पर पिछले 14 साल से मेरे पति दिल्ली में ही मौजूद थे. हमने भी ऐसा मान लिया था कि अब तक नहीं हुई, तो शायद आगे भी उनका तबादला कहीं और नहीं होगा.
इस बात पर हमने कभी विचार भी नहीं किया था.
तबादले की खबर हम दोनों के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी, एक तरफ तो तबादले के साथ साथ शरद की तरक़्क़ी भी हुई थी, जिससे उसकी आमदनी के साथ उसका प्रोमोशन भी हो गया था. लेकिन साथ ही में हमें अपना घर और यहां के दोस्त और ज़िन्दगी छोड़ कर जाने का गम भी था.
मैं भी अपने कैरियर की चरम पर थी और हाल ही में मेरा भी अपनी कंपनी में प्रोमोशन हुआ था.
अपनी बसी बसाई ज़िंदगी छोड़ कर जाने से मैं काफी परेशान थी.
शरद से इस बारे में बातचीत करने पर हमने फैसला किया कि मैं यहीं दिल्ली में रह कर अपना काम और घर संभालूंगी और शरद अपना नया तबादला स्वीकार करेगा.
उसने मुझसे वादा किया कि वो हर 2-3 महीनों में मुझसे मिलने यहां आता रहेगा.
इसी प्रकार हम दोनों ने इस नई परिस्थितियों को स्वीकार किया और अपने आने वाले कल के बारे में सोचने लगे.
शरद के जाने के एक सप्ताह पहले हम दोनों पास ही के एक हिल रिसॉर्ट पर कुछ दिन छुट्टियां मनाने गए.
मैंने सोचा था कि शरद के जाने से पहले साथ समय बिताने का ये हमारा आखिरी मौका हो सकता है.
ये रिसॉर्ट दिल्ली के ही पास मौजूद एक हिल स्टेशन पर था और वहां हम पहले भी कई बार जा चुके थे.
वो हमारे घर से केवल 3 घण्टे की दूरी पर ही था और अक्सर किसी वीकेंड पर हम वहां निकल जाते थे.
इस बार की हमारी यात्रा कुछ ज्यादा समय के लिए थी. हमने 4 दिन के लिए वहां कमरा किराए पर लिया था और पूरे 4 दिन तक उसे भरपूर रूप से इस्तेमाल करने का सोच रखा था.
जहां तक कि मैं शरद को जानती थी, वो इन चार दिनों में मेरी भरपूर चुदाई करने के इरादे से मुझे वहां लेकर गया था. उसने अपने साथ कंडोम के कई पैकेट ले लिए थे. साथ ही में मैंने भी अपने साथ लुब्रिकेंट की बोतल ले ली थी.
शादी के बाद से ही हम दोनों चुदाई का बहुत मज़े से आनन्द लेते थे और बिस्तर पर एक दूसरे को हर तरह से संतुष्ट भी करते थे.
वो 4 दिन कैसे बीत गए, हमें पता भी नहीं चला.
हम साथ वक़्त बिताने में इतना मग्न हो गए कि आने वाली परिस्थितियों के बारे में कुछ समय के लिए ही सही, पर भूल गए थे.
घर वापस आते वक्त हमें ये एहसास हुआ कि अब बस 2 ही दिन बचे हैं और आज से 2 दिन बाद हम दोनों अलग अलग शहरों में होंगे.
जाने से एक दिन पहले मैंने शरद के लिए एक सरप्राइज पार्टी का इंतजाम किया और उसके आफिस के सारे दोस्तों को घर पर खाने पर आमंत्रित किया.
मैंने सुरजीत और किरणदीप की मदद से ये पार्टी प्लान की थी.
रोज़ की तरह जब शरद जिम से वापस आया, तो उसे हमने सरप्राइज दिया.
उसकी तरक्की की खुशी में मैंने दी हुई इस पार्टी से वो बहुत खुश हुआ.
उस शाम मैंने एक बहुत ही आकर्षक काले रंग की सिल्क की साड़ी पहनी थी और साथ ही में एक बैकलेस एवं स्लीवलेस ब्लाउज भी पहना था.
शरद को खुश करने के लिए मैं हर मुमकिन कोशिश करने में लगी थी और काफी हद तक उसमें सफल भी हुई थी.
पार्टी काफी देर रात तक चली और सभी साथ ड्रिंक्स और मेरे बनाए हुए खाने का लुत्फ़ उठा रहे थे.
शरद के दोस्तों के साथ उनकी बीवियां भी उपस्थित थीं और शुक्र था कि वो कुछ काम में मेरा हाथ भी बंटा रही थीं.
पार्टी में ड्रिंक्स बनाने और सर्व करने का जिम्मा सुरजीत और किरणदीप ने उठा लिया था.
इस तरह सब कुछ अच्छे से मैनेज होता रहा.
देर रात तक पार्टी चलने के बाद सब एक एक करके अपने अपने घर की ओर निकलने लगे.
वो सभी जाते हुए शरद को बधाई और मुझे ये पार्टी रखने के लिए शुक्रिया कहने लगे.
सब लोगों के वहां से जाने के बाद जब शरद और मैं अकेले थे.
तब शरद को मैंने अपनी बांहों में भर लिया- मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी शरद, काश कि मैं तुम्हारे साथ आ पाती.
ये कहकर मैंने उसे देखा, तो उसने मेरी तरफ प्यार से देखा और हम दोनों एक दूसरे को बड़े प्यार से होंठों पर चूमने लगे.
थोड़ी ड्रिंक्स लेने के कारण शायद हम दोनों ही कुछ ही पल में सेक्स के नशे में आ गए और बहुत कामुक होकर एक दूसरे को चूमने लगे थे.
उसका एक हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था और दूसरा हाथ मेरे उभरे हुए चूतड़ों पर था.
मैं दोनों हाथों से उसकी गर्दन पकड़ कर उसे चूमे जा रही थी और अपनी पीठ और गांड पर उसके स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी.
इसी प्रकार किस करते हुए ही मैं धीरे से एक हाथ से उसकी जींस के ऊपर से ही लंड सहलाने लगी.
जींस के अन्दर से ही मैं शरद के फूलते लंड को महसूस कर पा रही थी.
शरद का लंड धीरे धीरे बड़ा हो रहा था और अन्दर से ही उफान मार रहा था.
उस वक़्त मेरे मन में बस एक ही ख्याल था कि मुझे शरद को पूरी तरह से खुश करना है.
ये रात हमारी आखिरी रात है और फिर ना जाने कितने दिनों या महीनों तक हम फिर मिल नहीं पाएंगे.
यही सोचते हुए मैंने शरद को सोफा पर बिठा दिया और उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गई.
जींस के ऊपर से ही मैंने अपना चेहरा उसके लंड के ऊपर रख कर उसे अपने गालों से छूने लगी.
मेरी सहायता करते हुए उसने अपना जींस उतारकर नीचे कर दिया और मैं भी उसकी चड्डी उतारने लगी.
शरद का लंड सामने देखते ही मैं उसे अपने होंठों से चूमने लगी और उसे अपने प्यार का अहसास दिला रही थी.
शरद का लंड कुछ 5.5 इंच का है और समान्य लंबाई और मोटाई का है.
शादी से पहले भी मैंने शरद से बड़े लंड के साथ सेक्स के मज़े लिए थे, पर फिर भी शरद मुझे हमेशा संतुष्ट करने में हमेशा कामयाब होता था.
वो रोज़ाना जिम जाता और अपने शरीर का और सेहत का खासा ख्याल रखता था. इसी कारण उसमें भरपूर स्टेमिना था. वो आसानी से 2-3 बार मेरी चुदाई कर लेता था.
मुझे भी उससे चुदवाने में बहुत मज़ा आता था और शरद की चुदाई से मैं हमेशा खुश रहती थी.
उसे भी मेरी जरूरत का पूरा ख्याल था और वो जानता था कि मुझे सेक्स बहुत पसन्द है.
धीरे धीरे में उसका लंड बड़े स्नेह से चूस रही थी और वो इस सबका आनन्द ले रहा था.
मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कितनी देर वैसे ही उसका लंड चूसती रही.
मैं अपने कार्य में पूरी तरह से मग्न थी कि तभी उसकी टांगें अकड़ने लगीं.
मैं समझ गयी थी कि वो अब झड़ने वाला है. मैं तेज़ी से उसका लंड अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी. कुछ ही पलों में वो मेरा नाम लेता हुआ और अपने लंड से वीर्य की पिचकारियां छोड़ता हुआ झड़ गया.
कुछ समय के लिए मैं वैसे ही उसके सामने बैठी रही और उसे संभलने का समय दिया.
फिर जब वो थोड़ा संभल गया, तो उसने मुझे अपनी ओर बुलाया और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. चूमते हुए धीरे धीरे से मेरे कपड़े उतरने लगे थे. मेरा पल्लू कब का नीचे गिर चुका था और अब तो मेरा ब्लाउज भी शरद ने उतार कर जमीन पर फेंक दिया था.
बैकलेस ब्लाउज पहनने की वजह से मैंने आज कोई ब्रा नहीं पहनी थी, तो मेरे दोनों बूब्स अब शरद के हवाले थे.
वो उन्हें दबाए जा रहा था और उसके साथ ही मुझे चूमते जा रहा था.
मैं भी इस सब का पूरा आनन्द लेते हुए उसके सोये लंड को सहला कर उसे फिर से जगाने की कोशिश में थी.
उसने मुझे वहां से उठने को कहा और मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ अन्दर बेडरूम में लेकर जाने लगा.
मैं अधनंगी उसके पीछे पीछे उसके साथ चल दी. अन्दर जाते ही पहले तो उसने मेरी अधखुली साड़ी उतारी और बिस्तर पर मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गया.
मुझे किस करते हुए अब भी मेरे बूब्स उसके हाथों से मसले जा रहे थे और नीचे मेरी चूत उत्तेजना से गीली हो रही थी.
वो जल्द ही नीचे हाथ फेर कर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चुत सहलाने लगा.
अब तक मैं मस्त होकर इस सबका आनन्द लेते हुए बिस्तर पर लेटी हुई थी.
उसने बड़ी तेजी से मेरी पैंटी को मुझसे अलग किया और सीधे नीचे जाकर मेरी गीली चुत को चूमने लगा.
शरद के होंठ मेरी चुत पर लगते ही मेरे मुँह से अपने आप मस्ती भरी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गईं.
कुछ देर मेरी चुत चाटने के बाद वो मेरे पैरों के पास आकर बैठ गया.
मैंने भी उसका स्वागत करते हुए अपनी टांगों को खोल दिया. मेरा ये इशारा शरद के लिए काफी था और उसने एक भी पल जाया ना करते हुए अपना लंड मेरी चुत पर रख दिया.
मेरी चुत इतनी गीली थी कि उसके एक ही धक्के में लंड आसानी से फिसलते हुए मेरी चुत में समा गया.
चुत में लंड अन्दर जाते ही मैंने शरद की क़मर को कसके पकड़ लिया और उसके जोरदार झटकों का मज़ा लेने लगी.
‘आह … आह शरद आआह … ओ हहहह … और तेज़ शरद … और जोर से चोदो … आह आह … ओह शरद मैं कैसे रहूंगी तुम्हारे लंड के बिना जानू … आह आह ..’
शरद मेरी बातें सुनकर मुझे तेज़ी से चोदे जा रहा था, वो रुकने के कोई मूड में नज़र नहीं आ रहा था.
मैं भी मदमस्त होकर अपनी दोनों टांगें खोलकर चुदाई का मज़ा ले रही थी.
उसके झटके तेज़ हो रहे थे और वो पागलों की तरह मेरी चुत चोदे जा रहा था.
अब मैं झड़ने वाली थी- आह मेरी जान, ओह तेरी चुत फाड़ दूंगा मैं आज रात … आह मेरी रश्मि … फाड़ दो मेरी चुत … हां और तेज चोदो … शरद … आह … शरद आह … ऊई मां … आह.’
शरद मुझे इतनी तेजी से चोद रहा था कि मैं जोर जोर से झड़ने लगी, पर अब भी शरद में दम बाकी था और वो मेरी एक टांग अपने कंधे पर रखकर मुझे चोदने लगा था.
शरद की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगती थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो मुझे पूरी संतुष्टि देता था.
मैं अब दूसरी बार झड़ने वाली थी, तभी शरद ने मेरी टांग नीचे की … और मेरे ऊपर पूरी तरह से लेट गया.
उसकी रफ्तार अब भी कम नहीं हुई थी और अब वो जोर से रुक रुक कर मुझे चोदने लगा था.
जल्दी ही उसके पैर अकड़ने लगे और वो झड़ने वाला था. उसके झटके और तेज़ होते गए और उसके साथ ही वो लंबी पिचकारियां मारते हुए मेरी चुत में झड़ गया.
सेक्स के वक़्त शरद अक्सर कंडोम का इस्तेमाल करता था, पर जब कभी भी हमने बिना कंडोम के चुदाई की, मैं हमेशा उसे अपने वीर्य से मेरी चुत भरने को कह देती थी.
हम दोनों अभी बच्चे नहीं चाहते थे, इसीलिए हम बहुत कम बार बिना कंडोम के सेक्स करते थे … और जब भी करते तो अगले दिन में गर्भनिरोधक गोली का सेवन कर लेती.
लेकिन मुझे अपनी चुत में उसका वीर्य लेना बहुत पसन्द था.
ये बात शायद हर औरत समझ सकती है कि कोई मर्द के द्वारा चुदने के बाद जब वो अपनी चुत को लंड से निकले वीर्य से भर जाती है तो उसका अहसास चाह कर भी शब्दों में बयान नहीं हो पाता.
चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लेट कर चुपचाप अपनी अपनी सोच में डूबे रहे.
दोनों ही अभी की हमारी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट और थके हुए थे.
अब मैं सोच रही थी कि उस वक़्त शरद क्या विचार कर रहा होगा.
जब अगली बार जब मैं उससे मिलूंगी, तो उससे पूछ लूंगी कि उस रात शरद ने क्या सोचा था.
फिर हम दोनों में दुबारा से गर्मी आई और शरद ने मुझे एक और बार चोदा. फिर थके हारे हम दोनों एक दूसरे की बांहों में सो गए थे.
अगली सुबह में बहुत देरी से उठी.
मैंने देखा कि शरद मेरे बगल में नहीं था और मेरे ऊपर एक कम्बल भी था.
शायद शरद ने रात में उठकर मुझ पर ये कम्बल डाल दिया था.
मैं जल्दी से उठकर बाथरूम गयी और फ्रेश होकर, नाइटी पहन कर सामने के कमरे में आ गयी.
घड़ी में दोपहर के 12 बज चुके थे और इतनी देर सोये रहने पर मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था.
शरद अब भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, पर कमरे में बड़े बड़े तीन बैग रखे थे.
तभी वहां से हमारा ड्राइवर असीम आया.
मैं- अरे असीम, शरद कहां है? और ये सब क्या है, किसके बैग्स हैं ये?
असीम- मैडम, वो भैया को अभी सुबह ही कॉल आया था कि उन्हें आज शाम को नहीं, अभी ही तुरंत निकलना होगा.
मैं- क्या?
असीम- हां मैडम, वो बाहर किसी से फ़ोन पर बात कर रहे हैं. मैं बैग्स लेने ही अन्दर आया था.
उतने में वहां से शरद अन्दर आया- अच्छा हुआ तुम उठ गई, बेबी मुझे जल्दी निकलना होगा. तुम सो रही थी … तो मैंने तुम्हें उठाया नहीं.
सच्चाई एकदम से अब मेरी आंखों के सामने आकर रुक गयी थी. कहीं न कहीं मन में ऐसा लग रहा था कि ये सब एक सपना है और अब भी हमारे पास कुछ वक्त है. पर ऐसा नहीं था, शरद ने मुझे गले लगा लिया और कसके मुझे पकड़े रखा.
शरद- मैं तुझे बहुत याद करूंगा मेरी जान … अपना ख्याल रखना.
मैं- हां और आप भी.
शरद- अपने काम पर ध्यान देना, मैं पहुंच कर वहां सेटल होते ही, असीम को वापस भेज दूंगा. कुछ दिन के लिए, असीम के आने तक सुरजीत या किरणदीप तुम्हें तुम्हारे ऑफिस छोड़ देगा. तुम चिंता मत करना, तुम्हें कुछ भी लगे तो उनसे कह देना.
मैं शरद को चूमते हुए बोली- अरे बाबा, बस बस … आप मेरी फिक्र मत करो, मैं सब मैनेज कर लूंगी. आप बस अपना ख्याल रखना और जाते ही मुझे फोन करना.
शरद के बैग्स कार में रखने में मैंने असीम की मदद की और एक आखिरी किस के साथ वो कार में बैठ कर निकल गया.
उसकी कार जाने तक मैं वहीं खड़ी रही और आखिरी पल तक उसे देखती रही.
अन्दर वापस आते ही मुझे एक पल बिल्कुल अकेला लगने लगा था, पर मैंने आपने आपको समझाया और वापस जाकर बिस्तर पर लेट गयी.
रात की थकान अब तक नहीं उतरी थी और इसी कारण मुझे फिर से नींद आ गयी.
कहते हैं हर मुसीबत एक नया अवसर प्रदान करती है.
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला था, जिसका मुझे उस वक़्त कोई अंदाजा नहीं था.
ज़िंदगी का तराजू हमेशा समान होता है, जब कोई हमसे दूर जाता है … तो वो किसी के पास आने की शुरुआत भी होती है.
आने वाले समय में ये बात मुझे भी समझ आ गई थी. पर उस वक़्त मैं इस सबसे बेखबर चैन की नींद सो रही थी.
आने वाले वक्त में क्या हुआ, वो मैं आपको अपनी अगली कहानियों में जरूर बताऊंगी.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, ये मुझे जरूर बताएं. मुझे आपकी राय का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
आप मुझसे मेरी ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं.
आपकी अपनी रश्मि
[email protected]