मामा के बेटे के साथ हनीमून वाला मजा

भाई से चुदाई बहन की हो तो नजारा कुछ अलग ही होता है. पति गाँव गए तो अकेली रहने पर मैंने अपने मामा के बेटे को अपने घर बुला लिया. हम दोनों के बीच क्या हुआ?

यह कहानी सुनें.

हाय दोस्तो, मैं प्रियंका इंदौर से रहने वाली हूँ और काफी दिनों से अन्तर्वासना साइट की पाठक हूँ.
आज मैं आपको मेरे भाई से चुदाई बहन की रसीली सेक्स कहानी सुनाने जा रही हूँ.

यह सेक्स कहानी एकदम सच्ची है, जो जुलाई महीने में घटित हुई थी.

मेरी शादी को 8 महीने हो गए हैं और मैं अपने पति के साथ इंदौर में ही रहती हूं.
मेरे पति पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं.

मेरे मामा के लड़के का नाम सुरेंद्र है और वह भी यहीं इंदौर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है.

सुरेन्द्र स्वभाव से काफी हंसमुख है और काफी हंसी मजाक करता रहता है.
वह मुझसे एक महीने बड़ा है. हम दोनों काफी अच्छे दोस्त भी हैं.

ये बात पिछले महीने की है, जब मेरे पति को कुछ काम से गांव जाना पड़ गया था.
वो वहां एक हफ्ते रुकने वाले थे.

मैंने उनके साथ जाने से मना कर दिया था क्योंकि मुझे गांव की जीवन शैली ज्यादा पसंद नहीं है.

मेरे पति शाम को गांव के लिए निकल गए और मैं यहीं इंदौर में घर पर रुक गयी.

शाम को मैं बोर हो रही थी तो मैंने सोचा मामा के लड़के सुरेन्द्र को घर बुला लूं.

तब मैंने सोचा भी नहीं था कि हमारे बीच यह सब हो जाएगा.

भाई शाम को घर आ गया.

हम दोनों ने काफी बातें की और साथ में ही खाना खाया.

अगले दिन रविवार था, तो भाई बोला कि कल हम लोग घूमने चलते हैं.
हम दोनों ने मांडव (मांडू) जाने का प्लान बना लिया क्योंकि वहां का मौसम बारिश के समय काफी अच्छा रहता है.

रात को भाई बाहर हाल में सो गया और मैं अपने बेडरूम में सो गई.

अगले दिन सुबह हम 7 बजे निकले और 9 बजे मांडव पहुंच गए. हम दोनों बाइक से गए थे.
सुरेन्द्र भाई ने बाइक को पार्क की.

हम घूमने लगे और मौसम का आनन्द लेने लगे.

वहां काफी कपल्स आए हुए थे, सब अपनी मस्ती में डूबे हुए थे.

तब तक सब सही था.

वहां झाड़ियों में कुछ कपल्स किसिंग कर रहे थे और उके बीच बूब्स और लंड की चुसाई रगड़ाई चालू थी.
उनको देख कर मेरा मन भी मचलने लगा.

उस समय मुझे अपने पति की काफी याद आने लगी.
मेरा भाई यही सब देख कर आनन्द ले रहा था पर मैं यहां सकुचाई नजरों से ये सब देख रही थी.

घूमते घूमते शाम हो गयी, हम दोनों वापस निकलने के लिए तैयार हुए ही थे कि तभी जोरों की बारिश शुरू हो गयी.

अचानक हुई बारिश से हम दोनों को छिपने का कोई मौक़ा ही न मिल सका और मैं बहुत भीग गयी.

भाई बोला- हम आज यहीं होटल में रुक जाते हैं, कल सुबह चलेंगे.

शाम का वक्त था और मैं पूरी भीग चुकी थी तो मैंने भी हामी भर दी.

हमने एक अच्छा सा होटल बुक किया और अपने रूम में पहुंच गए.
वहां पहुंचे तो मैंने देखा कि मेरे कपड़े मेरे शरीर से भीगने के कारण चिपक गए थे और उसमें से मेरे स्तनों की गोलाई साफ दिख रही थी.

मैंने भाई की तरफ देखा तो उसकी नजर मेरे स्तनों पर ही टिकी हुई थी.

उसने मुझे खुद की तरफ देखते हुए देखा, तो बोला- तुम भीग गयी हो, तो पहले कपड़े चेंज कर लो.

पर हम लोग कपड़े लाए ही नहीं थे. उसके कपड़े भी गीले हो गए थे तो उसने हाउस कीपिंग से 2 एक्स्ट्रा तौलिया मंगवा लिए.

मैं वाशरूम में कपड़े उतार कर तौलिया लपेट कर कमरे में बाहर आ गयी.

उसके बाद मेरा भाई वाशरूम में गया और कुछ देर बाद वह भी तौलिया लपेट कर बाहर आ गया था.

उसकी चौड़ी छाती देख कर मुझे कुछ कुछ होने लगा था.

वो बोला- यार प्रियंका, मुझे तो सर्दी सी लग रही है.
मैंने कहा- हां, बारिश की वजह से मौसम ठंडा हो गया है.

वो बोला- यार, मैं ड्रिंक कर लूं तुझे कोई ऑब्जेक्शन तो नहीं है.

मैंने उसकी मर्दाना छाती देख कर खुद के अन्दर एक अजीब सी कशिश महसूस की और उससे कह दिया कि हां पी ले मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

उसने पूछा- तुम क्या लोगी?
मैंने कहा- मतलब?
उसने कहा- मतलब कुछ गर्म पीना है या नहीं?

मैंने धीमे से कहा- मैं भी तेरे साथ ड्रिंक ही ले लूंगी.
सुरेन्द्र एकदम से खुश हो गया- अरे वाह यार तूने तो मजा दिला दिया.

उसने तुरंत रिशेप्शन पर फोन किया और एक टीचर्स की बोतल मंगवा ली.
साथ में कुछ स्नेक्स भी बोल दिए.
एक सिगेरट की डिब्बी भी मंगा ली.

मैंने कुछ नहीं कहा और बैठ कर टीवी देखने लगी.

दस मिनट बाद वेटर सारा सामान लेकर आ गया.

सुरेन्द्र ने पैग बनाने शुरू कर दिए.
हम दोनों ने चियर्स बोला और जाम टकराने लगे.

सुरेन्द्र ने एक सिगेरट सुलगा ली और धुंआ उड़ाने लगा.

उसकी नजरों में वासना दिखाई देने लगी और वो मेरी चूचियों की तरफ़ देखने लगा.

मैंने कहा- एक सिगेरट मुझे भी दे.
उसने डिब्बी मेरी तरफ सरका दी.

मैंने सिगरेट सुलगाई और धुंआ सुरेन्द्र के लौड़े की तरफ उड़ा दिया.

वो हंसने लगा.
मैंने भी मुस्कुरा कर पूछा- क्या हुआ बे … हंस क्यों रहा है.
वो मेरे मुँह से ये सुनकर बोला- तुझे चढ़ गई है क्या?

मैंने कहा- क्यों क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोला और अपना गिलास फिर से भरने लगा.

फिर उसने एक घूंट में ही आधा गिलास खाली किया और सिगरेट का कश लेकर मेरी चुचियों की तरफ घूर कर देखने लगा.

मैंने कहा- क्या देख रहा है?
वो बोला- प्रियंका, तू मुझे बड़ी हॉट लग रही है.

मैंने कहा- जब मैं हॉट लग रही थी, तो दारू क्यों पी … मुझे देख कर ही गर्म हो जाता.
वो धीरे से बुदबुदाया कि हां यार मैं तुझे देख कर गर्म हो गया हूँ.

मैंने उसकी इस बुदबुदाहट को सुन लिया मगर चुप रही और अपना पैग पीती रही.

कुछ देर बाद मैंने तीन पैग गटक लिए थे और उसने पांच पैग निपटा दिए थे.

अब मैंने कहा- मेरा हो गया. तुझे खाना खाना है या अभी और पिएगा?
वो बोला- नहीं, अब मैं भी खाना खाऊंगा.

खाना हमने पहले ही मंगवा लिया था.

खुद को तौलिया से ठीक से लपेट कर हम दोनों ने खाना खाना शुरू किया.

खाना खाते समय भी वह मेरी छाती घूर रहा था.

मेरी धड़कनें तेज हो गयी थीं.

खाना खाने के बाद वह मुझसे बोला- चलो नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज देखते हैं.
मैंने भी हां कह दिया.

उसने एक सेक्सी सीरीज लगा दी.
मुझे नहीं पता था कि वह मुझे उत्तेजित करना चाह रहा था.

हम दोनों बैठ कर सीरीज देखने लगे.

कुछ देर बाद भाई बोला- लेट कर देखते हैं.

पहले मैं लेट गयी और मेरे पीछे भाई कंधे के बल लेट गया.
उसने मोबाइल को मेरे आगे रख दिया जिससे दोनों को ठीक से दिखे.

कुछ टाइम बाद एक सेक्सी सीन आया जिसमें लड़का लड़की को काफी देर तक किस करता है और लड़की के कपड़े उतारता है.

सीन गर्म था तो भाई का लंड तौलिया के अन्दर खड़ा हो गया और वह पीछे से मुझसे सट कर लेट गया.
तौलिये के ऊपर से ही उसके लंड की चुभन मैं महसूस कर सकती थी.

जैसे जैसे सीन सेक्सी होता गया, भाई ने तौलिया अपनी कमर से हटा दिया.

अब उसका लंड आजाद था और वह मेरी कमर पर हाथ फेरने लगा.
वो मेरे तौलिये को ऊपर की तरफ खिसकाने लगा.

मैं खुद भी सेक्सी सीन में इतनी डूब गई थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब उसने मेरे तौलिया को मेरे चूतड़ों के ऊपर खिसका दिया.

अब वह पीछे से मेरी गांड में लंड लगाने लगा.
उसके गर्म लंड की छुअन से मैं मदहोश हो गयी और बिना कुछ रियेक्ट किए लंड के मजे लेने लगी.

जब मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उसकी हिम्मत बढ़ गयी और उसने मेरे तौलिया को पूरा खोल दिया.

तौलिया मेरे जिस्म से गिर गया और भाई मेरी छातियों पर हाथ फिराने लगा.

मुझे ये सब अच्छा लग रहा था, तो मैं आंख बंद करके लेटी रही.

उसने मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और होंठों पर होंठ रख कर चुम्बन करने लगा.
मैं भी उसे किस में साथ देने लगी.

तभी मैंने उसके लंड को पकड़ कर भींच दिया.
उसके लंड की लंबाई काफी ज्यादा लग रही थी और मोटाई किसी खीरे जैसी थी.

मेरे पति का इतना बड़ा लंड नहीं था. मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं उसके लंड को फेंटने लगी.

वो भी गर्म गया और मेरी गर्दन को चूमते हुए मम्मों को ऐसे चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा अपने मां के स्तन चूस रहा हो.
बीस मिनट तक मेरे दोनों दूध चूसने के बाद उसने मुझे घुमा दिया और मेरी गांड पर वो अपना लंड रगड़ने लगा.

मैंने पीछे से उसके सर को पकड़ लिया. उसने भी मेरी चूचियों की पीछे से पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा.

मैं बुरी तरह से वासना में भर गई थी.
उसने मेरी तौलिया को खींच कर मेरी गांड के नीचे से निकाल दिया और मुझे घोड़ी बना दिया.

मैं पलंग पर कुतिया बनी उसके लौड़े का इन्तजार कर रही थी.

उसने मेरी पेंटी को थोड़ा नीचे को सरका दिया और अपने लंड पर थूक लगा कर मेरी चूत के ऊपर रख दिया.

अंधेरे की वजह से उसको मेरी चुत का छेद ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था.
उसका पहला धक्का बेकार गया और लंड फिसल गया.

उसके बाद उसने फिर से लंड लगाया, तो मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सैट कर दिया.

मैंने कहा- हम्म … अब डालो.

उसी समय उसने एक जोर से धक्का दे दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर समा गया.

मेरी आह निकल गई इतना बड़ा लंड मेरी चुत में पहली बार घुसा था तो चुत चिर सी गई थी.

मैंने अपने दांतों पर दांत जमाए और दर्द को सहन करती हुई लंड झेलने लगी.

उसने पूरा लौड़ा चुत की गहराई में उतार दिया था और अब वो मेरे चूतड़ों पर चमाट मार मार कर अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा.

यार सच में मेरे भाई का लंड बहुत ही ज्यादा मोटा था.
फिर मेरी चूत उसके लौड़े के हिसाब से काफी टाइट भी थी.
मुझे बड़ा दर्द हो रहा था मगर मुझे बहुत मजा आ रहा था.

मैं भी उसको सहयोग करने लगी और अपनी गांड पीछे करके उसके धक्कों में साथ देने लगी.
सुरेन्द्र ने अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और मुझे धकापेल चोदने लगा.

कुछ ही धक्कों में मैं बहुत ही कामुक हो गई थी.
मेरे मुँह से अब सिर्फ आह आंह निकल रही थी.

करीब दस मिनट में भी उसने मेरी चुत की हालत ख़राब कर दी.
मैं झड़ चुकी थी लेकिन वो अब भी लगा हुआ था.

तभी उसके धक्के फुल स्पीड पर लगने लगे और वो झड़ने लगा.
उसने मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य डाल दिया.

मैं भी निढाल हो गई और वो भी निढाल हो गया.

फिर उसने मुझे गले लगाया और आई लव यू बोला.
मैंने भी उसे लव यू टू कहा.
इए भाई से चुदाई बहन की हुई मजेदार!

उस रात उसने मुझे चार बार चोदा … सुबह हम दोनों घर आ गए.

उसके बाद एक हफ्ते तक हम दोनों ने बहुत मजे किए.

फिर मेरे पति लौट आए.

पर अब जब भी हम दोनों को समय मिलता है, तो हम दोनों दो जिस्म एक जान हो जाते हैं.

आपको भाई से चुदाई बहन की कहानी कैसी लगी, प्लीज मेल करें.
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