ढलती उम्र में अदल बदल- 4

न्यू सेक्स लाइफ स्टोरी में पढ़ें कि दो दोस्तों ने कैसे बिवियों की अदला-बदली की पर पत्नियों को यही लगा कि उनके पतियों को कुछ पता नहीं है.

कहानी के पिछले भाग
दोस्त की बीवी की चूत चोद दी
में आपने पढ़ा कि एक दोस्त दूसरे की बीवी की फटाफट वाली चुदाई कर चुका था. लेकिन दोनों की तसल्ली नहीं हुई थी.

अब आगे न्यू सेक्स लाइफ स्टोरी:

संजीव के घर पहुँचकर उसने बाहर से ही ऋतु को फोन किया तो ऋतु बोली कि उसने उसे छत पर से देख लिया है और वो गेट खोलने आ ही रही है।
विजय ने एक फोन संजीव को भी कर दिया कि वो जल्दी ही आ जाये।

संजीव बोला- मुझे तो घर पहुँचते पहुँचते एक घंटा लग ही जाएगा. पर कोई बात नहीं तुम असहज न महसूस करना, ऋतु को मैंने अभी बता दिया है कि मुझे आने में एक घंटा लग जाएगा।

ऋतु ने गेट खोला।
वो स्लीवलेस लॉन्ग फ्रॉक पहने बहुत सुंदर लग रही थी।

असल में विजय ने दिन में उससे कहा था कि गले की मसाज के लिए वो कोई आरामदायक स्लीवलेस्स ड्रेस पहने।

विजय बाइक खड़ी करके अंदर आ गया।
उसने गुलाब का फूल ऋतु को दिया तो ऋतु ने मुस्कुरा कर उससे वो फूल लिया और फूल को चूमकर विजय को थैंक्स बोला।

विजय बोला- लाने वाले को किस नहीं?
ऋतु आँख मटकाकर बोली- होश में आ जाओ.

विजय को ऋतु ने ड्राइंग रूम में बिठाया और पानी दिया।
गर्दन में और कमर में खिंचाव होने से उसे तकलीफ तो थी।

ऋतु ने पूछा- क्या लोगे?
तो विजय बोला- अभी संजीव को आने दो, तब तक तुम्हारा खिंचाव दूर करने की कोशिश करता हूँ।
ऋतु बोली- अरे हो जाएगा ठीक … तुम क्या कर पाओगे इसमें! आज तो सुबह से ही परेशान कर दिया है इसने।

विजय ने उससे कहा कि वो वहीं बिछी सेटी पर पेट के बल लेट जाये और हाथ आगे कर ले।
ऋतु ने बहुत मना किया पर विजय ने जिद की कि आज तो मौका मिला है अपना हुनर दिखाने का और तुम मना कर रही हो।

विजय ने एक तौलिया भी मंगवाया।

ऋतु लेट गयी। उसकी उभरी गांड और गोरी बांहें, रेड नेल पेंट से पुते हाथ पेर के नाखून … सब विजय को पागल कर रहे थे.
पर उसे मालूम था कि एक गलत हरकत उसके सारे अरमानों पर पानी फेर सकती है।

उसने बहुत आहिस्ता से ऋतु के बाल एक तरफ किए और क्रीम उसकी गर्दन और कंधे तक मली।
उसे अंदाज था कि ये खिंचाव कैसे ठीक होगा पर उसे ऋतु की कामाग्नि को भी भड़काना था।

पहले उसने सोचा कि ऋतु को आराम दिलवाया जाये।
उसने अपने प्रोफेशनल स्टाइल से उसकी बांहों, गर्दन और पीठ की मालिश की.
दस मिनट में ही ऋतु को आराम आना शुरू हो गया।

वो पहली बार इस तरह अकेली थी विजय के साथ!
दिल तो उसका भी धड़क रहा था पर संजीव ने उसके मन में विजय के लिए एक चाहत पैदा कर दी थी।

वो आज दिन बाहर सोचती रही कि जब उसका पति ही चाहता है कि वो अपनी हदें तोड़ दे, तो एक बार हदें तोड़ कर देखते हैं।

ऋतु ने विजय से कहा- तुम्हारे हाथों में तो जादू है, अब रहने दो, आराम हुआ है।
विजय बोला- चुपचाप लेटी रहो, अभी आधा भी आराम नहीं आया है. थोड़ी देर में वापिस वहीं आ जाएगा।

अब विजय ने उसकी गर्दन से पीठ को सहलाना और दबाना शुरू किया।
हालांकि वो सब फ्रॉक के ऊपर ही कर रहा था और ऋतु ने ब्रा भी पहन रखी थी तो अड़चन थी।

विजय ने अब ऋतु की गर्दन से लेकर उसकी बांहों और उंगलियाँ हल्के हाथ से दबाते हुए उन्हें मरोड़ा।
वो अब ऋतु के सिर के आगे खड़ा होकर ये सब कर रहा था तो ऋतु का हाथ बार बार उसके ट्रेक सूट से टकराता और ऋतु को उसके खड़े लंड का अहसास करता।

ऋतु के मन में आ रहा था कि वो उसका लंड पकड़ ले!
पर नहीं … विजय क्या सोचेगा उसके बारे में फिर… नहीं उसे रोकना होगा अपने को!

विजय ने अब ऋतु को सीधा बैठने को कहा।
ऋतु सीधी बैठ तो गयी पर अब उसके तने हुए मम्मे सामने थे.
विजय पीछे से उसकी गर्दन और बांहों पर मसाज दे रहा था.

ऋतु को पूरा आराम मिल गया था।
उसने विजय से कहा- तुम तो वाकई जादूगर हो, अब बस करो!

पर विजय ने उसके बालों में उँगलियों से मालिश करते हुए उसके गर्दन के आगे-पीछे मालिश की।

अब ऋतु बहक चुकी थी, अब उसकी बर्दाश्त चुक चुकी थी। अब दो ही रास्ते थे की या तो वो विजय के आगे आत्मसमर्पण कर दे या विजय को घर जाने को कह दे।

उसने सोचा कि अब ये निर्णय विजय को करने दो।

उधर विजय ने बेशर्मी दिखाते हुए अब उसकी गर्दन से आगे उसकी छाती की ओर दबाव देना शुरू किया।
वो ऋतु के पीछे था, अब ऋतु की गर्दन उसके पेट पर झुक गयी थी।
विजय आगे झुककर मसाज दे रहा था।

ऋतु कसमसा गयी और उसने अपनी बांहें ऊपर कीं और विजय का सिर पकड़कर नीचे किया और दोनों के लब मिल गए।
ऐसा लगा कि आग के दो शोले मिल गए हों।
दोनों में तड़प थी; दोनों ओर वासना की आग पूरे वेग पर थी।

ऋतु खड़ी हो गयी और चिपट गयी विजय से!

दोनों ने एक दूसरे के चेहरे को चूम चाट कर थूक से गीला कर दिया था।

ऋतु का मदमस्त बदन विजय की बलिष्ठ बांहों में समाया हुआ था; उसके उभार विजय की छाती से दबे हुए थे।

नीचे विजय के लंड का दबाव ऋतु को कह रहा था कि आओ और मुझे मसल लो।
ऋतु कसमसा कर बोली- विजय, हम गलत कर रहे हैं, हमारी बात तो दोस्ती तक की थी। बस इससे ज्यादा नहीं प्लीज़।

विजय ने उसे आहिस्ता से अलग किया और उसे चूमता हुआ बोला- जैसा तुम चाहो … पर मेरी दोस्ती कभी मत छोड़ना! मेरा वादा है कि संजीव को कभी कुछ नहीं मालूम पड़ेगा। और रहा सवाल आगे आने का … तो जब हम दोनों में विश्वास हो जाये और दिल करे कि आगे आयें तो आ जाएंगे। सब कुछ करेंगे पर दोनों की मर्जी से ही होगा जब भी होगा।

ऋतु ने उसे एक बार फिर चूमा।

विजय ने जेब से पाजेब निकाल और ऋतु को पहना दी।
ऋतु का दिल फिर मचल गया।
दोनों के जिस्म फिर मिल गए।

अबकी बार बांध टूटने के कगार पर था।
ऋतु के हाथ विजय के लंड पर जाने अनजाने आ ही गए थे; विजय उसकी गोलाइयों को ऊपर से चूम रहा था।

तभी ऋतु का फोन बज गया।
संजीव था- बस मैं आ ही रहा हूँ।

दोनों अलग हुए, ऋतु वाशरूम चली गयी अपने को ठीक करने!
विजय ने भी वाशरूम जाकर हाथ धोये और अपने को व्यवस्थित किया।

ऋतु कुछ स्नेक्स और कोल्ड कॉफी बना लायी।
इस बीच विजय ने संजीव को पूछा कि वो कितनी देर में आएगा तो संजीव बोला बस रास्ते में हूँ।

उधर जैसे ही विजय का पहला फोन आया था कि तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ, संजीव ने फटाफट अपना ऑफिस बढ़ाया.
निकालने से पहले ऑफिस के वाशरूम में अपने को फ्रेश किया और सीमा का सामान लेकर विजय के घर की ओर निकाल लिया।

रास्ते से उसने सीमा के लिए एक महंगा पर्फ्यूम और चॉकलेट लीं।

संजीव ने अपनी गाड़ी विजय के घर से काफी पहले पार्क की और वहीं से सीमा को फोन किया किया- मैं आ गया हूँ.
सीमा ने धड़कते दिल से गेट खोला और संजीव को अंदर किया।

संजीव उसकी घबराहट समझ रहा था, उसने सीमा से कहा- घबराओ मत, बस मैं निकलता हूँ।
पर सीमा ने उससे कहा कि अब तो जो होगा देखा जाएगा, तुम्हारे लिए पकोड़े और जूस लाती हूँ।

सीमा की घबराहट देख संजीव की हिम्मत ही नहीं पड़ी कि वो कुछ आगे बढ़ पाता या कुछ कह पाता।

तभी सीमा नाश्ता ले आई।
दोनों बैठ गए।

संजीव ने हिम्मत करके सीमा का हाथ अपने हाथों में ले लिया।
सीमा बोली- नहीं संजीव, विजय को मालूम पड़ गया तो पता नहीं वो क्या सोचेगा।

संजीव ने हँसते हुए अपना मोबाइल निकाला और कहा- लो विजय से मैं कह देता हूँ कि तेरे घर आया था तुझे लेने!

सीमा मुस्कुरा गयी, बोली- नहीं, फोन मत करो मैं ही बता दूँगी। बता दूँगी कि तुम समान देने आए थे।
संजीव ने उसे पर्फ्यूम दिया।
पर्फ्यूम का ब्रांड देख कर सीमा खुश हो गयी, बोली- थैंक्स!

संजीव बोला- सिर्फ सूखा सूखा थैंक्स?
सीमा बोली- हाँ बस सूखा सूखा ही ठीक है।

नाश्ता करते समय संजीव और सीमा के वादे शिकवे हुए।
संजीव ने उससे गहरी दोस्ती निभाने का वादा किया।

दोनों में ये तय हुआ की इस बाबत कभी भी विजय या ऋतु से कोई जिक्र नहीं होगा।

जब संजीव जाने के लिए खड़ा हुआ तो गेट खोलने से पहले सीमा ने उसे गालों पर किस दे दिया.
संजीव चौंका, उसने सीमा को बांहों में भर लिया और उसके होठों पर चूम लिया।

सीमा ने हँसते हुए उसे धक्का देकर बाहर किया, बोली- इसीलिए लिफ्ट नहीं देती तुम्हें! तुम बहुत बदमाश हो। अब आज के बाद कभी नहीं करना ऐसा।
हँसते हुए संजीव चला गया और सीमा हसीन ख्यालों में डूब कर मुस्कुराती हुई बेड पर लेट गयी।

रात को विजय बहुत अच्छे मूड में लौटा।

सीमा तो चुदासी हो ही रही थी, आज दोनों का भरपूर सेक्स हुआ।
न तो विजय ने न संजीव ने अपनी पत्नियों से कुछ पूछा, पर हाँ उन दोनों की रात बहुत जोशीली बीती।

अगले दिन दिन में संजीव और विजय की बातें हुई।
दोनों ने ही आपस में रूटीन हंसी मज़ाक किया पर ऋतु और सीमा की कोई बात नहीं की।

सीमा ने संजीव से बहुत देर तक फोन पर बात की।
संजीव की ये शिकायत थी कि कल रात तो तुमने धक्के देकर निकाल दिया, अब या तो बुलाना नहीं वरना ऐसे सूखे सूखे मत भेजना।
सीमा बोली- सूखे सूखे से क्या मतलब, क्या गीला करोगे?

संजीव बोला- अबकी बार मिलेंगे तो सब कुछ गीला कर दूँगा।
सीमा ने धत्त कह कर फोन काट दिया।

ऋतु और विजय का भी रोमान्स फोन पर गहराया।
बल्कि पहले तो ऋतु सॉरी बोली- मैं अपने पर काबू नहीं कर पायी.
पर विजय ने कहा कि दोस्ती में सब जायज है।

अब अगले एक हफ्ते किसी का भी मिलने का तो नहीं हो पाया पर रोमांस खूब गहराता गया।
संजीव और सीमा के तो आपस में बहुत ही अश्लील मेसेज आने जाने शुरू हो गए थे।

ऋतु भी विजय से ये कह चुकी थी कि उसका कसरती बदन और उसका उभार दोनों लाजवाब हैं।
विजय ने कहा- उभार तो तुम्हारे भी मस्त हैं और मेरा बदन अभी तुमने देखा कहाँ है पूरा।
तो ऋतु ने बेशर्मी से जवाब दे दिया- अबके मिलेंगे तो दिखा देना और देख भी लेना।

अब सब कुछ आगे बढ़ चुका था पर जाहिरा तौर पर संजीव और विजय ने आपस में कभी बात नहीं की थी.

इस बारे में और ऋतु और सीमा भी एक दूसरे से दूसरे में कर रही सेंध के बारे में छिपा रही थीं।

संजीव का काम कुछ ऐसा था कि वो एक बार ऑफिस आ जाये तो फिर कहीं जा नहीं सकता था और जाता तो बंद करके ही जाता।

विजय अपने ऑफिस से इधर उधर जा सकता था, बस उसका फोन चालू रहना चाहिए।

ऋतु और विजय की तड़प जब बेकाबू होने लगी तो विजय ने ऋतु से कहा- कल मैं तुम्हारे घर 12 बजे करीब आऊँगा, हम लोग खूब प्यार करेंगे।
तो ऋतु बोली- नहीं घर पर ठीक नहीं, अगर संजीव आ गया तो!

विजय ने पूछा- पिछले एक साल में संजीव कभी अचानक ऐसे घर आया है?
ऋतु बोली- आया तो नहीं है … पर अगर आ गया तो … मैं तो कहीं की नहीं रहूँगी।

अब विजय और ऋतु जब भी फोन पर बातें करते अपनी तड़प जाहिर करते, कुछ हो पाता नहीं।

विजय ने ऋतु को फोन करके कहा- आज रात को मैं साढ़े आठ बजे तुम्हारे घर आऊँगा, बस पाँच मिनट के लिए, तुमको देखे बहुत दिन हो गए, फिर चला जाऊंगा।
ऋतु ने बहुत समझाया कि कोई आ गया तो!
विजय बोला- मैं कुछ बहाना बना लेता हूँ।

रात को विजय घर से निकला सीमा से कहकर कि आइसक्रीम लेने जा रहा हूँ, आता हूँ।
उसने फटाफट दो ब्रिक ली और सीधे संजीव के घर पहुंचा।

ऋतु को उसने बता ही रखा था; ऋतु ने बाहर की लाइट बंद कर रखी थी।
उसके आते ही ऋतु ने गेट खोला विजय अंदर जाते ही ऋतु से चिपट गया।

दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूमने चाटने लगे।
विजय ने ऋतु को बेड पर लिटाया। ऋतु धड़कते दिल से उसे किसी के आने की दुहाई देती रही पर विजय पर तो मानों भूत सवार था।

दोनों चिपट गए।
समय कम था … डर भी था।
दोनों के कपड़े उतर गए।

विजय ने ऋतु के मम्मे खूब चूसे और साथ ही अपना लंड ऋतु की गीली चूत में कर दिया।
ऋतु हाँफ रही थी।

फटाफट धकापेल सेक्स में काम पूरा हुआ और विजय कपड़े पहन कर बाहर आ गया।

घर आकर विजय बहुत बेचैन था। वो किसी बहाने से बाहर आया और ऋतु को फोन किया।

ऋतु फोन पर रोने लगी कि हमने गलत किया।
विजय ने उसे समझाया- देखो मन तो तुम्हारा भी था। हालत मेरी भी बुरी थी। इसमें कुछ गलत नहीं।

काफी समझाने पर भी ऋतु शांत नहीं हुई; उसने विजय का फोन काट दिया।

अगले दिन ऋतु का सुबह ही संजीव के ऑफिस जाते ही फोन आया और वो खुद बोली- अब मुझे एक दिन अच्छे से करना है।

विजय चौंक गया, बोला- ठीक है मैं कल दोपहर 1 बजे आऊँगा, अपना एक आदमी संजीव के ऑफिस के बाहर खड़ा कर दूँगा, अगर संजीव निकलेगा तो वो मुझे बता देगा।

ऋतु मुस्कुराई और बोली- आग तुमने लगाई है अब बुझानी तो पड़ेगी ही!

उसे ऋतु ने बताया कि आज संजीव कुछ जल्दी ही सुबह 10 बजे ऑफिस के लिए निकल गया है, कह रहा था किसी से मीटिंग है। खूब स्मार्ट बन कर गया है।

विजय का माथा ठनका।
उसने सोचा कि कल तो संजीव से बातें हुई थीं, उसने तो कुछ नहीं कहा कि कल सुबह उसकी कोई मीटिंग है।

वो अपने स्टाफ से ‘ध्यान रखना’, कह कर बाइक उठा कर घर की ओर गया।

दूर से ही घर के बाहर से उसने संजीव की गाड़ी खड़ी देखी।
वो समझ गया कि दोनों लगे हुए हैं।
उसे गुस्सा तो बहुत आया कि अंदर चला जाये और उन्हें रंगे हाथों पकड़ ले।

पर उसने सोचा कि शायद वो दोनों जो इस समय कर रहे हैं, वो तो कल कर चुका है और कल भी वही करने जा रहा है।

वो इधर उधर घूमता हुआ आधे घंटे बाद जब वह घर पहुंचा, तब तक संजीव जा चुका था।

विजय ने घंटी बजाई, सीमा ने गेट खोला.
वो अस्त व्यस्त थी, उसने फ्रॉक डाली हुई थी जबकि सुबह जब विजय गया तो वो नाइट सूट में थी।

नहाई तो वो अभी भी नहीं थी पर उसके चेहरे के रंग उड़े हुए थे, मानो कोई चोरी पकड़ी गयी हो।

विजय बोला- कुछ पेमेंट करना था तो रुपए लेने के लिए आया हूँ।
सीमा से विजय ने पीने को पानी मांगा.

रो सीमा किचन को मुड़ी पर पलट कर अपना मोबाइल उठाया और किचन में लेकर गयी।
विजय ने तिरछी निगाहों से देखा कि वो मोबाइल में कुछ कर रही है बजाय पानी लाने के!

वो समझ गया कि वो फोन कॉल डिलीट कर रही होगी।
विजय मुंह धोने के लिए बाथरूम में गया तो वहाँ उसे धुलने वाले कपड़ों में एक हैंड तौलिया दिखा जो चिपचिपा हो रहा था.
मतलब संजीव और सीमा ने सेक्स किया था, उसी की निशानी थी।

विजय का मूड तो खराब हुआ पर सीमा को उसने कुछ जाहिर नहीं होने दिया।
पानी पीकर जब वो जाने लगा तो सीमा ने उससे चिपटते हुए किस किया और कहा- शाम को जल्दी आना, आज बहुत बढ़िए वाले मजे दूँगी।
विजय मुस्कुरा कर बाहर निकल लिया।

सीमा सोचती रही कि आज तो वो बाल बाल बची।

असल में विजय के जाने के बाद संजीव का फोन आ गया था और आज संजीव ने इतनी बातें बनाईं कि वो गर्म हो गयी।
जब संजीव ने उससे कहा कि ऑफिस जाते में बस एक किस दे देना तो वो मना न कर पायी।

अब जल्दी में नहा तो नहीं सकती थी, फटाफट उसने डिओ स्प्रे किया और नाइट सूट उतार कर फ्रॉक डाल ली।
उसने सोचा संजीव थोड़ी चिपटा चिपटी करेगा और लीप टू लिप किस करके चला जाएगा; पर उसे क्या मालूम था कि संजीव तो आज पूरा काम करके ही जाएगा।

संजीव ने आते ही उसे चिपटा लिया और उसके लाख माना करने पर भी उसकी फ्रॉक वहीं उतार दी और फिर तो दोनों बेडरूम में जाकर अपने सभी अरमान पूरे करके ही रुके।

पूरे कमरे में जो वासना का खेल उन्होने खेला, ऐसा लगा जैसे पता नहीं कब के प्यासे होंगे।

सीमा की चूत संजीव ने अपने वीर्य से भर दी, सीमा को कुछ और नहीं दिखा, वहीं पड़े एक हैंड तौलिया से उसने अपनी चूत और संजीव के लंड को साफ किया।

इस खेल के बाद सीमा ने संजीव से जल्दी जाने का आग्रह किया कि कहीं कोई आ न जाये।
संजीव भी जल्दी ही कपड़े ठीक करके चला गया; दोनों पर बहुत खुश और संतुष्ट थे।

ऋतु दोपहर बाद ब्यूटी पार्लर गयी और जो कुछ हो सकता था, कराकर आई।
आज उसकी त्वचा का रोम रोम खिल रहा था।

घर आकर उसने अपनी बगलों और चूत की वेक्सिंग की।

ऋतु पूरे मन से कल के मिलन की तयारी में जुट गयी।

उसने एक सेक्सी ड्रेस भी सोच ली जो उसने कल पहननी थी।

आज रात को उसने संजीव के आने पर खाना खाते ही सिरदर्द का बहान बना कर सोने की सोच ली थी ताकि कल के मिलन में चूत की प्यास भड़की रहे।

और ऐसा ही उसने विजय से कह दिया था कि आज सीमा से दूर ही रहना।

अब विजय उसे क्या बताता कि आज तो सीमा अपनी गलती छिपाने के लिए सेक्स की दावत दे चुकी है।

विजय ने दिन में अपना मन बना लिया कि अगर उसे भी सोचे हुए मजे ऋतु से लेने हैं तो उसे संजीव और सीमा से दिमाग हटाना पड़ेगा; वरना न तो वो अपने घर पर सीमा से मजे ले पाएगा, न बाहर ऋतु से।

अगले दिन विजय ने अपनी मंडी के एक पल्लेदार को जो उसका विश्वास का था, ये ज़िम्मेदारी लगाई कि वो संजीव के ऑफिस के बाहर ही रहे और जैसे ही संजीव ऑफिस से बाहर निकले तो वो विजय को फोन कर दे।

विजय ने अपना जरूरी काम 12 बजे तक निबटा लिया। उसने जानबूझकर कुछ भूस जैसी चीज अपनी शर्ट और सिर पर डाल ली और फिर उसे झाड़ दिया।

उसने सीमा को फोन किया कि वो कपड़े बदलने घर आ रहा है, वो एक बीयर ठंडी करके रखे।

घर जाकर, नहाकर फ्रेश कपड़े पहनकर, बॉडी स्प्रे वगेरह लगाकर विजय सीधे ऋतु के पास पहुंचा।
उसने अपनी बाइक एक दुकान पर खड़ी कर दी और पैदल ही संजीव के मकान पर पहुंचा।

ऋतु ने गेट खुला छोड़ा था।
विजय अंदर घुसा तो गेट के पीछे खड़ी ऋतु उससे वहीं चिपट गयी।

पर विजय ने पहले गेट बंद किया।

ऋतु क्या गज़ब की सेक्सी लग रही थी।
चूमचाटी के बाद ऋतु बोली- संजीव की चिंता मत करना, उसको मैंने कह दिया है कि मैं मार्केट जा रही हूँ और एक घंटे बाद उसके लिए लंच पैक करा कर उसके ऑफिस ही आऊँगी तो वो कहीं जाये नहीं।

उसे चूमकर विजय ने अपनी खुशी जाहिर की।

विजय तो उससे चिपटा ही रहा तो ऋतु बोली- क्या खा जाओगे मुझे? आज मैं पूरी तुम्हारी हूँ, फुर्सत से प्यार करेंगे।

पर विजय को सब्र कहाँ था, वो ऋतु को सीधे बेड रूम में ले गया।

बेडरूम ऋतु ने महका रखा था। नयी मखमली चादर, मदमस्त म्यूजिक और बीयर की केन।

ऋतु ने एक केन खोली और अपने होठों से लगाकर विजय को दी।
विजय को नहीं मालूम था कि ऋतु को भी बीयर पसंद है।

ऋतु का टॉप उतार कर विजय ने उसके मम्मे आजाद कर दिये।
विजय ने बीयर की कुछ बूंदें उन पर टपकाईं और उन्हें चूसना शुरू किया।

ऋतु कसमसा गयी। उसने विजय से कपड़े उतारने को कहा।
विजय ने अपनी जींस और टीशर्ट उतार फेंकी।

ऋतु के कपड़े तो नाम मात्र को थे वो भी उतर गए।

विजय के लंड पर ऋतु ने बीयर डाली और लंड ले लिया मुंह में।
ऋतु का लंड चूसने का तरीका तो गज़ब का था। विजय की तो मानों जान ही निकाल रही थी।

विजय ने उसकी चूत चूसनी चाही तो दोनों 69 हो गए।
अब विजय ने भी पूरी जीभ और साथ में उँगलियाँ ऋतु की चूत में घुसा दीं।

उसने थोड़ा सा थूक उसकी गांड पर भी बहा दिया और एक उंगली अंदर घुसानी चाही.
तो ऋतु बोली- नहीं … दर्द करेगा, आज नहीं।
पर विजय ने थूक के सहारे आहिस्ता से उंगली अंदर कर ही दी।

अब ऋतु पीठ के बल लेट गयी और विजय उसकी ऊपर 69 में ही आ गया।

विजय ने ऋतु की टांगें खूब चौड़ा कर उसमें जीभ और उँगलियों से जबर्दस्त मालिश की।
अब ऋतु चाह रही थी कि विजय उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ ही दे।

विजय ने ऋतु को सीधे लिटाया और उसकी टांगों को ऊपर करके पूरा चौड़ाया, तो ऋतु बोली- और ज्यादा नहीं … अब मैं जवान नहीं रह गयी हूँ.

एक ही धक्के में विजय ने पूरा लंड पेल दिया ऋतु की चिकनी चूत में।

अब दोनों की सरगम शुरू हो गयी।
विजय ऊपर से धक्के लगा रहा था तो ऋतु नीचे से साथ दे रही थी।

ऋतु का मखमली बदन पसीने से गीला हो गया था।
विजय भी अपने कसरती बदन का पूरा ज़ोर ऋतु की चूत और मम्मों पर लगा रहा था।

ऋतु के गोल गोल गोरे मम्मे आज विजय ने लाल कर दिये थे।

अब ऋतु ऊपर आ गई और भूखी शेरनी की तरह विजय की चुदाई उछल उछल कर करने लगी।
वो हाँफ रही थी- विजय, मजा आ गया मेरी जान! आज बहुत दिनों बाद ऐसी चुदाई हुई है. आज तो मेरी मुनिया पूरी तुम्हारी दीवानी हो गयी। तुम्हारी कसरत का फायदा आज समझ में आया. लगता था कि तुम मेरी चूत फाड़ ही डालोगे।

विजय बोला- फाड़ तो देता पर फिर तुम संजीव को क्या जवाब देतीं। बस इसी तरह चोरी छिपे हम मजे लेते रहें.

थोड़ी देर की धकापेल में विजय और ऋतु दोनों का एक साथ हो गया।
ऋतु भरभरा कर विजय की छाती पर पस्त हो गयी।

थोड़ी देर में दोनों उठे, वाशरूम जाकर शावर लिया और विजय कपड़े पहन कर चला गया।

इसी तरह अब चारों की चोरी छिपे मस्ती चलती रही।
न किसी ने किसी से कुछ पूछा, न किसी ने किसी को कुछ बताया।

अब विजय और संजीव को अपने घर में भी सेक्स में नयापन मिलने लगा।

सिर्फ विजय ही था जो संजीव पर कभी कभी निगाह रख लेता था या सीमा का फोन चेक कर लेता था; पर ऋतु और संजीव ने उससे या सीमा से या आपस में भी कभी कोई जिक्र नहीं किया।

सब खुश थे, उनकी बोरिंग लाइफ में एक तड़का जो लग गया था।

दोस्तो, लिखिएगा कैसी लगी आपको यह न्यू सेक्स लाइफ स्टोरी ‘ढलती उम्र में अदल बदल’।
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