वासना के समुन्दर में प्यार की प्यास- 4

मेरी गांड फाडी मेरे बॉस ने … वो भी दो अन्य आदमियों की मौजूदगी में चलती कार में! मेरे मुंह में दूसरे आदमी का लंड घुसा हुआ था तो मैं तड़प कर रह गयी.

कहानी के पिछले भाग
चलती कार में रंगरेलियां

में आपने पढ़ा कि
मोहित धक्के के साथ मेरा मुखचोदन कर रहा था। थोड़ी ही देर में मोहित ने सारा पानी मेरे मुंह में उड़ेल दिया।
मेरी चूत और मुंह दोनों में दो अलग अलग लंड का पानी था। चूत में दीपक सर का तो मुंह में मोहित का!
मैं थक कर बैठ गई।

यह कहानी सुनें.

अब आगे मेरी गांड फाडी मेरे बॉस ने:

तब तक आधा रास्ता हो चुका था … सभी को भूख लग रही थी।

हम एक जगह पर ढाबे पर खाने के लिए रुके।

दीपक ने बस में बैठे एक मैनेजर को फोन लगाया- हां, कहां पहुंचे? खाना खाने के लिए रुकवा लेना बस … हम यहां पहुंचे हैं.

चूंकि मेरी टी शर्ट मोहित ने अपने वीर्य से गंदी कर दी थी, मुझे तीनों ने गाड़ी ने रुकने को बोला।
तीनों बाहर निकल कर खाने पीने चले गए।

और मैं सोचने लगी कि ये सब जल्दी ही खत्म करना होगा नहीं तो इनके चंगुल से निकलना मुश्किल होता जायेगा।

मुझे किसी भी तरह दीपक में फोन में बनी वीडियो लेनी थी ताकि उसे इस्तेमाल कर इन सबसे पीछा छुड़ा सकूं।

खैर, जल्दी ही तीनों खाकर आ गए।

मैंने पूछा- मेरे लिए क्या लाए?
तो धीरज बोले- अरे, तुम्हारे लिए खाना लाना तो भूल ही गए … कोई बात नहीं रानी, हमारे लौड़ों से अपनी भूख और प्यास मिटा लेना!
यह सुन दीपक और मोहित भी ज़ोर से हंस दिए।

मोहित अब गाड़ी चलाने आगे बैठ गए थे।
धीरज और दीपक पीछे आ चुके थे।

मोहित ने आगे से हाथ बढ़ा कर मुझे एक लिफाफा पकड़ाया- धीरज मज़ाक कर रहा है, यह लो, खा लो!
मैंने मोहित के हाथ से खाने का लिफाफा ले लिया उसमें मेरे लिए सैंडविच, कचौड़ी, समोसा, चिप्स और जूस था।

मैं दीपक और धीरज के बीच नंगी बैठी नाश्ता करने लगी।

दीपक और धीरज अपनी अपनी ओर की खिड़कियों से बाहर देख रहे थे।

बस हमसे 1 घंटा आगे चल रही थी।
चूंकि हम रास्ते में तीन बार रुक चुके थे।

मुझे आराम से खाती देख धीरज बोला- अरे वीनस जल्दी खाओ, अभी तुम्हें मेरा पानी भी पीना है, इतना धीरे खाओगी तो छुट्टियां देते वक्त भी मुझे इतनी ही देर लगेगी। सोच लो!

“थर इफफे वादा फेज हदी था फकती. (सर इस से ज्यादा तेज नहीं खा सक ती)” मैंने मुंह में भरे खाने के साथ कहा।

मेरे कुछ आखिरी निवाले बाकी थे पर धीरज में जरा भी संयम नहीं था, वह मेरी गोद में लेट गया और मेरे दूध चूसने लगा।

मैं उस पर ध्यान ना देते हुए खाने में व्यस्त थी।

हम बस अब कुछ ही दूरी पर थे मसूरी से … देहरादून आ चुका था.
अब मसूरी का पहाड़ी रास्ता शुरू होने को था।

दीपक बस का पिछ्ला अनुभव याद करते हुए बोले- वीनस याद है ना पिछली बार तुम्हें उल्टी आ गई थी।
“हां सर, अच्छे से याद है, और आप मेरे स्तन घूर रहे थे।” मैंने दीपक को शर्मिंदा करने के लिए कहा।

पर बेशर्म दीपक बोले- मेरा बस चलता तो वहीं तेरे चूचे पकड़ के दबा देता … पर तू नई नई थी और तेरी इस गर्मी का हमें पता नहीं था। नहीं तो, वहीं सारी बस के सामने तुझे नंगी करके चोदता!

यह कहते हुए उन्होंने मेरी पाव सी फूली चूत पर हाथ रख कर उसे ज़ोर से भींच दिया और सहलाने लगे।

धीरज अभी भी मेरे दूध चूस रहा था.

दीपक ने धीरज से पूछा- तुझे चुसवाना है या चोदना है?
“सर चोदूंगा तो इसे मसूरी में ही अब … मखमल के पलंग पर जब इसकी चुदाई से चीखें निकलेंगी … और ये लगातार कई मर्दों से चुदेगी. तब मेरे लोड़े की तड़प को ये भी महसूस करेगी।” धीरज ने अपना पूरा प्लान बताते हुए कहा।

कहने के साथ ही धीरज ने मुझे अपने लौड़े पर झुका लिया, मेरे गाल भींच कर मुंह चौड़ा किया और सिर को अपने तने हुए लंड पर धकेल दिया।

दीपक ने मेरी टेढ़ी, साथ जुड़ी हुई टांगों में छिपी हुई गांड को, चूतड़ फैला कर निकाला और अपना लौड़ा मेरी गांड पर टिका दिया।

मोहित शीशे से सब देख रहा था और आगे बैठे बैठे अपना लंड सहला रहा था।

दीपक ने धक्का लगाया, बंद हुई टांगों के कारण, सब बहुत कसा हुआ था, दीपक का लौड़ा अंदर नहीं जा रहा था।

तो दीपक ने चूतड़ फिर अलग किए और मेरी गांड के छेद पर थूका।
फिर उसने थोड़ा और थूक अपने लौड़े पर लगाया और फिर से अंदर घुसने की कोशिश करने लगे.

बड़ी मुश्किल से लंड का सुपारा अंदर चला गया।
दर्द से मेरी सांसें रुकने को थी, धीरज मेरा मुंह अच्छे से अपने लौड़े पर दबाए था, मैं चिल्ला भी नहीं सकी।

अब दीपक थोड़ा रुक गए।
और कुछ देर बाद थोड़ा और ज़ोर लगाया अब लंड आधा अंदर घुस चुका था।

दर्द से मेरा हाल बेहाल था।
मन किया कि साले इस दीपक के लात मार दूं।

पर दीपक से गांड मरवाने का अलग ही मज़ा था।
उसका मोटा लंड जब मेरे चूतड़ों को चीरता हुआ अंदर घुसता था तो बदन में दर्द और सनसनी की ऐसी लहर उठती थी कि मन करता था कि काश दीपक हर रोज़ मेरी गांड मारे।

मैंने एक हाथ से दीपक की मदद करनी चाही और अपने चूतड़ों को खींचने लगी ताकि दीपक मेरी अच्छे से बजा सके।

अपने चूतड़ों को अलग करते देख दीपक भी जोश में आ गए और पूरा लौड़ा अंदर धकेल दिया।

और दर्द से मैंने धीरज के लौड़े पर दांत गडा दिए।
धीरज भी दर्द से चीख उठा।

मेरे बाल खींच कर उसने मेरा सर ऊपर किया और मुझे दो चमाट मारे- साली रण्डी, लौड़ा काटती है, चूसना भूल गई क्या?
उसने फिर मुझे दो तमाचे मारे- सर मारो साली की गांड, उसके बाद साली की मैं बजाऊंगा, लंड काटेगी, बहन की लोड़ी … मादरचोद!

लगे हाथ धीरज ने मेरे चूचों पर भी तमाचे मारे।
जब तक उसे अपने लंड पर दर्द होता रहा, धीरज भी मुझे दर्द देता रहा।

मेरे अंदर की रांड जाग चुकी थी, मैंने दीपक को गाली देते हुए कहा- ये चूतिया नहीं दिख रहा, सब इसकी वजह से हुआ है, और तू हरामी भी मेरी बजा रहा है.

दीपक ठहाका लगाते हुए बोले- अब आया इसका रंडीपना बाहर!
और और जोर जोर से मेरी गांड मारने लगे, बोले- चूतिया नहीं, गांडू तो बोलती मेरी छिनाल! तुझे अपनी रखैल बनाया है … कुछ तो इज्जत रख और तुझे सबसे ना चुदवाया तो कहना। रोज़ नए मर्दों से चुदेगी तू! तेरा काम का टारगेट नहीं होगा, चुदने का टारगेट होगा, दिन में आठ बार चुदना है और एक महीने में 45 नए लौड़े लेने हैं।

दीपक की बातें सुन धीरज में अब फिर से जोश चढ़ने लगा था।

धीरज ने कहा- सर मुझे भी लेनी है इसकी … मैं बिठा लूं इसे गोद में, चूत मेरी और गांड आपकी!

दीपक ने हामी भरी और धीरज ने मुझे अपने लौड़े पर बिठा लिया।

धीरज अपनी तरफ की खिड़की पर कमर टिकाए दीपक की ओर मुंह करके बैठ गया।

मैं धीरज की गोद में उसके लंड पर अपनी चूत टिकाए बैठ गई।

सीट पर ज्यादा जगह नहीं थी, फिर भी दीपक आगे आए, मेरे चूतड़ खोले और पेल दिया मेरी गांड में लंड।
हर बार उतना ही दर्द होता था जितना पहली बार गांड मरवाने में होता है।

अब मैं दीपक और धीरज के बीच सैंडविच चुदाई के मज़े ले रही थी।

मेरे मन में जितनी इच्छाएं 3सम की थी, वे सब धीरज और दीपक ने पूरी कर दी थी।

अब मन गैंग बैंग का करता था।
जी होता था कि ऑफिस के बीचों बीच मुझे कोई नंगी कर दे और सब मिलकर मुझे चोदें।

खैर, बावरे मन की इच्छाएं तो कभी खत्म नहीं होती।

मेरी जबरदस्त दोनों द्वार की चुदाई के बाद दीपक और धीरज थक गए थे।

हम भी मसूरी पहुंचने को थे।

होटल पहुंच कर मुझे दीपक ने बताया कि फिलहाल मैं गाड़ी में ही रहूंगी, जब तक कि सभी लोग अपने अपने कमरे में नहीं पहुंच जाते।
मोहित, दीपक और धीरज अपने अपने कपड़े ठीक कर गाड़ी से उतर गए।

मैंने भी जींस पहन ली.
मेरी टी शर्ट तो पहले ही खराब हो गई थी।

मैं पिछली सीट पर एक काला तौलिया ओढ़ कर लेट गई।
पता नहीं कब आंख लगी.

जब आंख खुली तो मोहित मुझे लेने आए थे, वक्त था शाम के 6 बजे।
उन्होंने मुझे दूसरी टी शर्ट दी- लो ये पहन लो और बाहर आ जाओ!

मैंने तुरंत टी शर्ट पहन ली, ब्रा मेरी गाड़ी में ही रह गई।

मोहित मुझे होटल के अंदर ले गया एक कमरे में!
वहां दो नए मैनेजर थे, मोहित ने मेरा परिचय कराया- अरे मैं जिसकी कहानी बता रहा था ना, मिलिए इनसे, ये हैं वीनस!
“वही वीनस जिसे तुमने आज गाड़ी में चोदा?” उनमें से एक बोला.
“हां, वही वीनस … और तो और इसे दीपक और धीरज ने भी चोदा आज गाड़ी में!” मोहित ने उत्तेजना भरे स्वर में कहा।

इतने में उनमें से एक मेरे करीब आया और मेरे चूचे दबाते हुए चूतड़ों पर हाथ फेरकर कहने लगा- हां यार, माल तो गर्म है, मिली कहां से तुम्हें ये?
“सब दीपक सर की कृपा है यार, तुम्हारे प्रमोशन का तोहफा समझ लो।” मोहित बोला.

फिर मोहित ने जाते हुए मेरे कान में फुसफुसाया- खुश कर दे इन्हें भी, जैसे गाड़ी में मुझे किया था.

मैं तो अब गैंग बैंग चाहती थी।
ये एक दो लौड़ों से मेरा कुछ नहीं होने वाला था.
अब तो 3सम मेरे लिए आम बात थी।

“सर एक और भी तो हैं न नए मैनेजर, उन्हें भी ले आइए, और आप धीरज और दीपक भी आ जाइए, साथ में पार्टी करते हैं ना!” मैंने कामुक स्वभाव से मोहित के सीने पर हाथ रख अपना चेहरा उसके गालों से चिपका कर कहा.

मेरे अंदर की रण्डी को अब लंड चाहिए थे, जितने चाहे मिल जाएं!

मोहित ने कहा- रुको, मैं पता करता हूं!

उसने तुरंत दीपक को फोन लगाया- सर ये तो हम तीनों के लेने को भी तैयार है, एक साथ … क्या करना है?
मोहित ने कहकर फोन स्पीकर पर कर दिया, दीपक बोले- रात में करेंगे ना एक साथ, अभी तो चुदवाओ इसे राजीव और कार्तिक से … एक काम करो, सन्दीप को भी बुला लो। उन तीनों को अपना तोहफा एंजॉय करने दो, और तुम नीचे आ जाओ। गाड़ी में स्वाद चख चुके हो ना, बाकी का डिनर रात में!

तो मोहित बोला- ठीक है सर!

मोहित ने दीपक का फोन काट सन्दीप को भी फोन कर राजीव और कार्तिक के कमरे में बुला लिया।

दीपक की हामी देख, कार्तिक और राजीव दोनों ने मेरी ओर कदम बढ़ाए।

कार्तिक ने मेरी कमर पर हाथ डाल मुझे अपने से चिपकाने में जरा भी देर नहीं लगाई।
राजीव भी मेरे पीछे से नितंब दबाने लगा।

मोहित खड़े खड़े अपने कपड़ों के ऊपर से ही अपना लंड सहलाता हुआ सन्दीप के आने का इंतजार करने लगा।

कार्तिक ने मेरे कान में कहा- बोलो कैसे चुदना चाहोगी, एक एक करके या दोनों को एक साथ लोगी?

मैं तो पहले ही अपनी वासना की आग में जल रही थी, रह रह कर होली पर हुई मेरी गैंग बैंग चुदाई को याद कर रही थी।

मैंने अपनी कातिल मुस्कान से अपने ही होंठों को काटते हुए जवाब दिया- पहले एक एक करके और फिर एक साथ!

यह सुनते ही कार्तिक ने मेरे टी शर्ट निकाल दी, ब्रा तो मेरी पहले ही गाड़ी में रह गई थीं।

इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई, मोहित ने थोड़ा सा दरवाजा खोल सन्दीप को अंदर लिया।

“सन्दीप, इनसे मिलो, वीनस, हम सबकी प्रमोशन का तोहफा, दीपक की तरफ से …” मोहित लंड सहलाते हुए बोला।
सन्दीप- मैं समझा नहीं, लड़की है तोहफा?

मोहित- हां यार, ज्यादा सवाल करेगा तो इसे चोदने का मौका खो बैठेगा, बहुत गर्म माल है ये, यकीन कर … हमारे लिए ही है!
सन्दीप- पर …

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