प्यासी भाभी को पूरा मजा देकर चोदा- 2

जवान भाभी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की यंग बीवी को रेलवे स्टेशन के आरामकक्ष में पूरा मजा लेकर और देकर चोदा.

हैलो फ्रेंड्स, मैं विमल कुमार खन्ना आपके सामने एक बार फिर से हाजिर हूँ.
सेक्स कहानी के पहले भाग
दोस्त की गर्म बीवी की चूत चुदाई का जुगाड़
में अभी तक आपने पढ़ा था कि कैसे मिताली और मेरे बीच चुदाई का मौसम बना, पर ऐन वक्त पर मिताली और मुझे रुकना पड़ा.

अब आगे जवान भाभी की चुदाई कहानी:

मैंने उसी रात दस बजे मिताली के मोबाइल पर फोन किया.
उसने बताया कि वो लोग अभी ही घर पहुंचे हैं. रास्ते में ढाबे में खाना खाने रुक गए थे, इस वजह से आने में कुछ देरी हो गई.

फिर उसने पूछा- थाणे कब आ रहे हो?
मैंने कहा- जब तुम कहो.

उसने बताया उसकी स्कूल की जॉब सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक रहती है. वो एकाध घंटा और लेट रह सकती है. इसी बीच मैं तुमसे मुलाकात कर सकती हूँ.

उसके कहने के मुताबिक़ स्कूल वाले दिन सुबह 9 से 4 बजे तक हम दोनों कहीं भी मजे कर सकते थे.

हमने अगले शुक्रवार का प्रोग्राम बनाया.
हमारा थाणे में कोई अच्छा सा होटल लेकर मजा करने का इरादा बन गया था.

मैंने अपनी पत्नी से कह दिया था कि शुक्रवार मुझे कुछ ऑफिस के काम से थाणे जाना है.

नासिक से सुबह 6 बजे एक ट्रेन चलती है, जो 9.30 बजे थाणे पहुंचती है.

गुरुवार की रात मुझे नींद ही नहीं आ रही थी, बार बार बस मिताली का ही ख्याल आ रहा था.
मैं बहुत गर्म होता जा रहा था.

सुबह मेरी पत्नी ने मुझे उठाया और उसे देखकर मैं अपना आपा खो बैठा.

मेरी पत्नी भी बहुत खूबसूरत है. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके बालों को अपनी ओर खींचकर अपने ऊपर गिरा लिया.

वो भी गर्म हो गई; उसके बदन पर मेरे हाथ चलने लगे और एक हमारे बीच मस्त चुदाई शुरू हो गई.

दस मिनट की चुदाई में ही मेरी पत्नी ने दो बार अपना पानी छोड़ दिया था.
फिर मैं भी अपना आपा खो बैठा और जोरदार पिचकारी से अपना पानी उसकी गर्म चूत में भर दिया.

चुदाई के बाद वो मुझे जल्दी तैयार होने को कह कर चली गई.

पत्नी की लेने की वजह से मेरी उत्तेजना भी थोड़ी कम हो गई थी.
इसी वजह से अब मैं मिताली से ज्यादा देर तक सम्भोग कर सकता था.

मैं 9.30 बजे थाणे पहुंचा और मुझे ख्याल आया कि रेलवे के रिटायरिंग रूम भी होते हैं.
मैंने स्टेशन मास्टर से मुलाकात की और एक वातानुकूलित डबल बेडरूम ले लिया.

मैंने मिताली से स्टेशन आने को कहा, वो दस मिनट में स्टेशन पहुंच गई.

मिताली को देखते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.
उसने कहा- अरे छोड़ो, सब देख रहे हैं. ये सब रूम में करना.
उसे लेकर मैं रूम में आ गया.

रूम का दरवाजा बंद करके मैंने उसे देखा.
उसने गहरे नीले रंग की साड़ी और सफेद ब्लाउज पहन रखा था जो उसकी स्कूल के टीचर्स की यूनिफार्म थी.

मैंने आगे बढ़कर उसे बांहों में भर लिया.
पांच मिनट तक हम दोनों यूं ही लिपटे खड़े रहे.
फिर उसने धीरे से मुझे अलग किया और अपना बैग लेकर वाशरूम में चली गई.

दस मिनट बाद जब वो वापस आई तो जैसे कयामत आ गई थी.
उसने पीले कलर की माईक्रो स्कर्ट और लाल कलर की टी-शर्ट पहनी हुई थी.
वो एक सेक्स बम लग रही थी.

ये कपड़े वो अपने बैग में डालकर लाई थी.

उसने अपने बालों को खोल लिया था. स्कर्ट उसकी जांघों तक आ रही थी, नीचे उसकी सुडौल पिंडलियां और संगमरमरी पैर नजर आ रहे थे.

टी-शर्ट उसकी नाभि के ऊपर तक की थी.
उसकी लंबवत सेक्सी नाभि बड़ी कमसिन लग रही थी.
उसके ऊपर उसके 36-बी के उरोज कयामत ढा रहे थे.

मैंने अपनी बांहें फैला दीं और वो दौड़कर मेरी बांहों में समा गई.
हम लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे.

मैं उसकी गर्दन को चूम रहा था. मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ, कमर और नितम्बों पर फिर रहे थे. अब मैं उसके कान की लौ को अपने दांतों से चुभलाने लगा और वो कसमसाने लगी.
उसने अपना एक पैर उठा लिया और ऊपर से मुझमें समाने की कोशिश करने लगी.

मैंने अपने अधरों को उसके अधरों पर रख दिया. दोनों परस्पर चुम्बनों का आदान प्रदान करने लगे. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, जिसे वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.

अगले पांच मिनट हम एक दूसरे की जीभ चूसते रहे.

मैंने उसके नितम्बों को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उसे उठा लिया, उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर लपेट लिया.
वैसे ही हम किस करते हुए बिस्तर की तरफ बढ़ने लगे.

मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया.
लिटाने से उसकी स्कर्ट और ऊपर हो गई और मुझे उसकी काली पैंटी की हल्की सी झलक मिलने लगी.

मैंने अपने हाथ उसके पीछे से निकाले और उसके बालों को सहलाने लगा.
मैं उसके माथे, गाल और गर्दन पर किस करने लगा. नीचे आते आते मैंने टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके गोल मांसल उरोजों को भी किस किया.

उसने ब्रा शायद बाथरूम में ही उतार दी थी.
उसके तने हुए निप्पल साफ नजर आ रहे थे.

मैंने ऊपर से ही दोनों निप्पलों को हल्के से किस किया और फिर अपनी जीभ उसके नाभि पर रख दी.
उसे जैसे करंट सा लगा.

मैं अपनी जीभ उसकी नाभि में घुसाने लगा. अब वो मेरे बालों को पकड़ कर मुझे खींच रही थी.

अब मैं नाभि से और नीचे की ओर किस करते हुए उतरने लगा.
जैसे ही मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही योनि पर किस किया, वो थरथरा सी गई.

मुझे उसकी योनि की भीनी भीनी सी मादक गंध आने लगी थी.
उसका कामरस निकलने लगा था.

अब मैं उसकी गोरी मांसल जांघों को किस करता हुआ नीचे की ओर बढ़ने लगा.
मैंने बारी बारी से उसकी दोनों टांगों को हर जगह चूमा. एकदम चिकने पैर थे.
बालों का एक रोम भी नहीं था. मिताली पूरी तैयारी के साथ आई थी.

मैंने महसूस किया कि वो धीरे धीरे गर्म होती जा रही है. मैंने उसका स्कर्ट ऊपर किया और नीचे काली पैंटी में कैद हुस्न की फांकें नजर आने लगी थीं.

वो शर्माकर अपनी स्कर्ट नीचे करने लगी.
लेकिन मैंने अपने हाथों से उसके हाथों को पकड़ लिया और अपने अधरों को उन फांकों पर रख दिया.

वो एकदम से तड़फ उठी.
मैं अपना मुँह उसकी दरार पर चलाने लगा.

मैंने महसूस किया कि उसकी पैंटी गीली हो रही है.
काली पैंटी होने के कारण धब्बा तो नजर नहीं आ रहा था पर गीले होने का अहसास हो रहा था.

मैंने पैंटी की साइड से अपनी एक उंगली अन्दर डाली और उसकी योनि की दरार पर घुमाने लगा.
अब मुझे रहा नहीं जा रहा था, जल्द से जल्द मैं उसके हुस्न के दीदार करना चाह रहा था.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी पैंटी की इलास्टिक पकड़ी और उसे नीचे खींचने लगा.
वो मेरा हाथ पकड़ने लगी लेकिन आखिर जीत मेरी हुई और उसकी पैंटी उसके दोनों पैरों से होती हुई आजाद हो गई.

मैंने एक बार उसकी पैंटी को जोर से सूंघा.
अहाह … क्या मादक सुगंध थी.

उसने अपने दोनों हाथों से अपने योनि को छुपा लिया.
ये उसका पराये मर्द के साथ पहला अनुभव था.
चुदवाने की चाहत भी थी पर पराये मर्द से चुदवाने की एक झिझक भी थी.

मैंने उसके हाथों पर किस करना शुरू किया और धीरे धीरे उसके हाथों को सरकाता गया.
अब उसकी नंगी जवानी मेरे सामने खुली पड़ी थी.

पूरी योनि एकदम सफाचट थी पाव रोटी की तरह फूली हुई जैसे अनचुदी लड़कियों की होती है.
उसमें से हल्की हल्की मादक सुगंध आ रही थी.

मैंने अपने अधरों से उसकी चुत को चूम लिया और अपनी जीभ उसमें घुसा दी.
मैं अपनी जीभ लम्बी करके उसकी पूरी योनि पर चला रहा था.

उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. वो जोर जोर से ‘आह विमल … आह …’ की आवाज निकालकर मेरा नाम लेने लगी.
वो मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर अपनी योनि में ढकलने लगी.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी योनि पंखुड़ियों को खोला और उसकी चुत के दाने पर अपनी जीभ घुमाने लगा.

वो अकड़ने लगी. वो अपने चूतड़ उठा कर मेरे मुँह में घुसाने लगी.
उसने एक झुरझुरी सी ली और मेरे सर को जोर से अपनी योनि में भींच लिया.

मैं समझ गया कि ये अब बस झड़ने वाली है.
मैंने अपनी गति बढ़ा दी और 30 सेकंड में ही वो झड़ने लगी.
उसकी योनि से सफेद पानी बाहर आने लगा.

मैंने थोड़ा चखा, कुछ खट्टा-कसैला सा स्वाद था.
बाकी का पानी मैंने नैपकिन से पौंछ दिया.

वो हांफने लगी थी. वो उठकर मुझे चूमने लगी. मेरे होंठों से जैसे वो अपने ही पानी का स्वाद लेना चाह रही हो.
मैंने उसे फिर से पलंग पर लिटा दिया.

मैं धीरे से ऊपर उसके पास बैठा और उसके बालों को सहलाने लगा.
उसने बड़े अनुराग से मेरी ओर देखा और शर्माकर मुस्कुराने लगी.

मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करके निकाल दिया.

मैंने उसे फिर से बांहों में भर लिया. मुझे उसकी मासूम मुस्कुराहट पर प्यार आ रहा था.
मैं उसे जी भरकर प्यार कर रहा था.

मैंने उसके निप्पलों को चूसना शुरू किया. बीच बीच में मैं उसके निप्पलों को हल्के से अपने दांतों से चुभला देता था.
वो फिर सुरुर में आने लगी.

नीचे हाथ बढ़ाकर मैंने उसकी स्कर्ट को भी हुक और चैन खोलकर निकाल दिया.
अब वो मेरे सामने मादरजात नंगी लेटी हुई थी.

जिस हुस्न को देखकर कभी मैं आहें भरा करता था, आज वो बेनकाब होकर मेरे सामने मुझसे भोग लगवाने के लिए आतुर थी.

प्रभु की कैसी माया है.

वो मेरे सामने पूरी नग्न पड़ी थी और अब तक मेरे कपड़ों का एक बटन भी नहीं खुला था.
हां पैंट के अन्दर मेरा 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड अपनी आजादी और अपनी बारी का इंतजार करते हुए तड़प रहा था.

उसने मुझे अपनी ओऱ खींचा और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी.
जल्द ही मेरी शर्ट मुझसे अलग हो गई.

मैं अन्दर बनियान नहीं पहनता हूँ. मेरे चौड़े सीने पर वो अपना मुँह रगड़ने लगी.
फिर नीचे हाथ डालकर वो मेरा पैंट उतारने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए अपनी पैंट और अंडवियर उतार दी.

अब हम दोनों मादरजात नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे.
हम दोनों जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते थे.

दोनों की लिपटा-लिपटी, चुम्मा-चाटी अपनी चरम सीमा में आने लगी.
कभी होंठ एक दूसरे से मिल जाते, तो कभी शरीर के किसी और अंग को चूम रहे होते थे.

अचानक उसने मेरे निप्पल को अपने मुँह में ले लिया … मैं गनगना गया.
वो मजे से एक एक करके मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चुसने लगी.
मेरे अन्दर की गर्मी बढ़ने लगी.

उसने भी अपनी टांगों को फैला लिया था.
मेरा लंड बीच बीच में उसकी चुत पर टकरा जाता था.

जैसे ही मेरा लंड उसकी चुत से टकराता, वो अपनी गांड उठाकर मेरे लंड को अपने अन्दर लेने की कोशिश करने लगती.
मैं हौले से अपना लंड हटा लेता.

अभी मैं उसकी आग को और भड़काना चाहता था.
मैंने अब उसको पेट के बल लिटा दिया और उसकी पीठ पर किस करना शुरू किया.
मेरा लंड उसकी उभरी हुई गांड पर दस्तक दे रहा था.

उसने अपने पैरों को थोड़ा फैला लिया और मेरा लंड अब उसकी गांड और चुत के बीच में टकराने लगा.

मैं उसकी पीठ, कमर पर मसाज करते हुए किस कर रहा था.
नीचे आते आते अब मैं उसके नितम्बों को सहला रहा था.

उसे गुदगुदी सी होने लगी.
उसने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया. उसकी खुली गांड और चुत की फांकें मेरे चेहरे के सामने आ गईं.
चुत की फांकें जुम्बिश कर रही थीं और एक प्रीकम का मोती उसकी चुत पर झलक रहा था.

मैंने आगे बढ़कर उस मोती को अपनी जीभ से चाट लिया.
इसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा.

अब तक हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे.
मैंने उसे सीधा किया और अपने सीधे हाथ को उसकी कमर में डाल कर उसे थोड़ा ऊपर उठा लिया.

दूसरा हाथ मैंने उसकी गर्दन में डाला और अपने लंड को उसकी चुत पर सैट करके जैसे ही झटका मारा, लंड फिसल गया.

दो-तीन बार कोशिश करने पर भी जब लंड चुत में नहीं घुस पाया तो उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चुत पर सैट करके मुझे इशारा किया.

मैंने एक धक्का लगाया और लंड थोड़ा अन्दर घुस गया.
इतने तेज धक्के में लंड पूरा घुस जाना चाहिये था मगर पिछले तीन सालों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी इसलिए चुत एकदम टाइट हो गई थी.

प्रकृति का नियम ही ऐसा है कि यदि कुछ दिन चुदाई ना हो, तो चुत सिकुड़ जाती है.

लंड के थोड़ा सा घुसते ही उसे दर्द हुआ मगर वो खेली खाई थी और एक बच्चे की मां भी थी.

मैंने थोड़ा और जोर लगाया और अब लंड सरसराता अन्दर घुस गया.
इस बार लंड सीधे उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

मैंने लंड हल्के से बाहर निकाला और जोर से धक्का मारा … उसकी जोर से सिसकारी निकल गई.

अब मैं ऐसे ही जोर जोर से धक्के मारने लगा.
हर धक्के के बाद उसकी सिसकारी निकल जाती थी.
मेरी स्पीड कम थी मगर मैं फुल पावर में धक्के मार रहा था.

मैं अपनी कमर को धीरे से पीछे लेता था और फिर से फुल स्पीड में दन्न से लंड पेल देता था.

मेरा अनुभव है कि इस तरह धक्के मारने से लड़की को बहुत मज़ा आता है और लंड भी बहुत देर तक टिकता है.
आप भी आजमा कर देखिए.

सात आठ मिनट के धक्का पिलाई के बाद मिताली अकड़ने लगी.
उसकी आवाज जोर जोर से निकलने लगी. वो मुझे अपने अन्दर भींचने लगी. अपनी गांड उठाकर लंड निगलने का प्रयास करने लगी.

अब मैंने अपनी पोजीशन थोड़ी बदली और फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा.

हम दोनों एकदूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. उसने मुझे जोर से भींच लिया और झड़ने लगी.

मैंने धक्के मारने की स्पीड बढ़ा दी.
मिताली जोर जोर से मादक आवाजें निकालने लगी.

उसकी आवाज से मैं और रोमांचित होता गया और मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती गई.
झड़ने के बाद मिताली अब निढाल सी हो गई थी पर मेरा तो अब तक हुआ नहीं था.

मैंने मिताली की दोनों टांगें उठाकर अपने कंधे पर पर रख लीं और लंड को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा.

धीरे धीरे मिताली फिर से गर्म होने लगी.
अब उसके मुँह से सीत्कारने की आवाजें निकलने लगीं.

मिताली अपनी गांड उचकाकर मेरा लंड और अन्दर तक निगलने लगी.
उसकी मदभरी आवाजें सुनकर मेरा लंड और गर्म होने लगा और मैं दुगनी रफ्तार से उसे चोदने लगा.

अब मैंने उसकी एक टांग नीचे कर दी और जोर जोर से झटके मारने लगा.
चुत में से फच-फच की आवाजें आने लगी थीं.

मिताली ने एक जोरदार सिसकारी मारी और मुझे भींच लिया.
उसका गर्म लावा एक बार फिर से बह निकला.
एक अलग सी महक से कमरा महक गया.

मैंने भी पांच छह धक्के मार कर उसको भींच लिया और अपना पूरा माल उसकी चुत में अन्दर तक डाल दिया.

दोनों जोर जोर से हांफ रहे थे.
थोड़ी देर में मैंने उसे किस किया और उसके बगल में ढेर हो गया.

उसने मुझे अपने से चिपटा लिया.
हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे.
उसकी चुत से उसके रज और मेरे वीर्य का मिश्रण धीरे धीरे रिस रहा था.

उसके होंठों पर एक तृप्त मुस्कान थी.

ये सेक्स कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा कि कैसे हमने रेलवे कैंटीन में मजे लिए और नये नये तरीकों से चुदाई की.

जल्द मिलेंगे … जवान भाभी की चुदाई कहानी पर आपके विचारों का स्वागत है.
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जवान भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग: