खुली चुदाई की अजब दास्तां- 2

हिंदी मस्तराम स्टोरी में अब भागीदार अदला बदली हो गये और एक नयी चूत की भी एंट्री हो गयी थी. उस नयी चूत के साथ पुराने किरदारों का तालमेल कैसा रहा?

दोस्तो, कैसे हो आप लोग? मैं आशा करता हूं कि आप सभी स्वस्थ होंगे और चुदाई का मजा ले रहे होंगे.
आप जानते ही हैं कि मेरा नाम हरजिंदर सिंह हैं और मैं चुदाई की अनोखी दास्तां आपको सुना रहा था.

आपने इस हिंदी मस्तराम स्टोरी के पहले भाग
ठेकेदार से चुद गयी भाभी
में पढ़ा था कि धर्मपाल की पत्नी हरप्रीत जसवंत से चुद गयी. उधर जसवंत के दोस्त लखविंदर ने जसवंत की बीवी हरदीप की चुदाई कर दी.

एक बार संयोग से धर्मपाल और लखविंदर मिल गये. दोनों की एक ही रुचि थी- बाहर चुदाई के मजे लेना. लखविंदर ने जसवंत की बीवी हरदीप की फोटो धर्मपाल को दिखा दी. वो अपने ठेकेदार की बीवी को चोदने के लिए मचल उठा.

इधर धर्मपाल ने भी अपनी गर्लफ्रेंड रुखसाना की फोटो लखविंदर को दिखा दी. दोनों ने चुदाई का प्रोग्राम फिक्स कर लिया.

अब आगे की हिंदी मस्तराम स्टोरी:

धर्मपाल के दिमाग में हरदीप की तस्वीर घूम रही थी. उसका लन्ड आज उसके कंट्रोल से बाहर था।
उसने और उसकी बीवी हरप्रीत ने डिनर किया और रात को साढ़े नौ बजे ही दोनों बेड पर थे।

हरप्रीत के पूरे कपड़े धर्मपाल ने उतार दिए और खुद भी कपड़ों से बाहर हो गया।
उसने हरप्रीत को लेटाया. फिर उसकी टांगें मोड़कर लन्ड को उसकी चूत के द्वार पर रख कर एक ही धक्के में पूरा लन्ड हरप्रीत की चूत में उतार दिया।

धर्मपाल आज पूरे जोश के साथ हरप्रीत को चोद रहा था।
हरप्रीत हर झटके के साथ आह … आह … कर रही थी।
उसको आज बहुत समय के बाद धर्मपाल के धक्कों से मज़ा आ रहा था।

इधर धर्मपाल के दिमाग में हरदीप थी. वो हरदीप की कल्पना करके हरप्रीत को चोद रहा था।
वो पूरा लन्ड हरप्रीत की चूत में अंदर बाहर कर रहा था।

10 मिनट बाद वो दोनों डॉगी स्टाइल में आ गए।
धर्मपाल हरप्रीत को पीछे से फुल स्पीड में चोदने लगा। कमरे से फच … फच की आवाज़ें आ रही थीं।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद दोनों एक साथ परमसुख की प्राप्ति करके एक दूसरे से लिपट गए।

धर्मपाल ने लन्ड उतनी देर उसकी चूत में रखा जब तक कि वीर्य की आखिरी बूंद तक हरप्रीत की चूत में न गिर गई।

वीर्य पूरा खाली होने के बाद धर्मपाल का लंड सिकुड़ने लगा. कुछ ही देर में उसका लन्ड छोटा होकर चूत से बाहर निकल आया।

वो दोनों ऐसे ही नंगे लेट गए और सो गए।

दो दिन बाद धर्मपाल रुखसाना को लेकर लखविंदर के ऑफिस के बाहर पहुंच गया जहां से वो तीनों गाड़ी में जसवंत के घर चले गए।

जसवंत के घर में जसवंत की बीवी उनका पहले से ही इंतज़ार कर रही थी।

वो तीनों अंदर गए और ड्राइंग रूम में बैठ गए. रुखसाना और धर्मपाल एक साथ बैठ गए।

हरदीप उन सबके लिए कोल्ड ड्रिंक ले आई। वो आकर लखविंदर के पास बैठ गई।

सभी अब साथ में बैठ कर कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

लखविंदर का पूरा ध्यान रुखसाना की तरफ था. वहीं धर्मपाल भी हरदीप के जिस्म की हर गोलाई को कपड़ों के अंदर से ही नाप रहा था।

रुखसाना का ऐसा पहला तजुरबा होने जा रहा था आज। हरदीप पहले भी लखविंदर के दोस्तों के साथ सेक्स कर चुकी थी।
धर्मपाल अपना एक हाथ रुखसाना की जांघ पर रख कर धीरे धीरे सहलाने लगा।
उधर लखविंदर भी हरदीप की जांघ को सहलाने लगा।

रुखसाना का रंग शर्म से टमाटर की तरह लाल हो गया।

लखविंदर ने धर्मपाल को कुछ इशारा किया।
धर्मपाल उठा और उसने हरदीप को बाथरूम के बारे में पूछा।

हरदीप धर्मपाल को अंदर कमरे की तरफ ले गई।
लखविंदर बिना देरी किये उठ कर रुखसाना के पास चला गया।

उसने हाथ से उसके एक चूचे को पकड़ लिया। उसका कबूतर इतना बड़ा था कि लखविंदर के एक हाथ में नहीं आ रहा था।

रुखसाना के दिल की धड़कनें तेज़ चलने लगीं।

लखविंदर ने उसका निप्पल पकड़ा और ज़ोर से मसल दिया। रुखसाना के मुंह से चीख निकल गई। दूसरे कमरे में जाते ही धर्मपाल ने हरदीप को पकड़ा और उसके होंठों का रस पीने लगा।

हरदीप उसका पूरा साथ दे रही थी। वो दोनों खड़े खड़े ही किस कर रहे थे।

लगभग 10 मिनट बाद वो दोनों ड्राइंग रूम में वापस आये.
तब तक वहां का नज़ारा बदल चुका था।

लखविंदर और रुखसाना एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे जैसे जन्मों के प्यासे हों। उन दोनों की आंखें बंद थीं और वो दोनों एक दूसरे को बांहों में भर कर एक दूसरे के होंठों से होंठ मिला कर अलग ही दुनिया में खोये हुए थे।

उनको इस तरह खोया देखकर धर्मपाल ने हरदीप को पकड़ा और रूम में ले गया।
कमरे में जाते ही दोनों एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे और दो मिनट से भी कम समय में दोनों पूर्ण नग्न अवस्था में आ गए।

धर्मपाल ने हरदीप का एक कबूतर मुंह में भर लिया। हरदीप ने अपना हाथ धर्मपाल के लन्ड पर ले जाकर लन्ड पकड़ लिया और उसको हाथ में लेकर कामुकता से हिलाने लगी।

अब धर्मपाल कभी एक चूचा मुंह में लेता तो कभी दूसरा।

हरदीप फुल मूड में थी. वो नीचे बैठी और लन्ड को हाथ से हिलाने लगी।
फिर मुंह खोलकर उसने अपनी जीभ से धर्मपाल के अंडकोषों को चाटना चालू किया।
धर्मपाल की आंखें आनंद से बंद हो गईं।

हरदीप ने दोनों गोलियों को मुंह में भरकर चूसना चालू कर दिया.
धर्मपाल के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था। उसको इतना ज्यादा आनंद कभी नहीं आया था।

हरदीप ने लन्ड के सुपारे से मांस पीछे किया और सुपारे को अच्छी तरह जीभ से चाट लिया।
उसने अपना मुंह खोला और सुपारे को मुंह में भर लिया।

थोड़ी देर तक उसने सुपारे को ही मुंह में रखा. फिर वो एक भूखी शेरनी की तरह लन्ड पूरा जड़ तक मुंह में भरने लगी।

हरदीप के लन्ड चूसने की कला से धर्मपाल ज्यादा देर नहीं टिक पाया।
उसके लन्ड ने दस मिनट में ही वीर्य छोड़ दिया।

धर्मपाल के लन्ड ने एक के बाद एक वीर्य की आठ दस पिचकारी हरदीप के मुंह में छोड़ीं।
हरदीप ने तब तक लन्ड मुंह से नहीं निकाला जब तक कि वो वीर्य की आखिरी बूंद तक निगल नहीं गई।

उधर ड्राइंग रूम में रुखसाना और लखविंदर भी कपडे़ उतार कर एक दूसरे से लिपट गए थे। लखविंदर उसके 38 साइज के कबूतरों के साथ खेलने लगा।

एक कबूतर का निप्पल लखविंदर ने मुंह में लिया और एक कबूतर को एक हाथ में लेकर दबाने लगा।

रुखसाना के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं। उसकी चूत में गीलापन आने लगा।

लखविंदर ने अपना दूसरा हाथ रुखसाना की चूत पर रखा और रुखसाना की चूत के दाने को सहलाने लगा।

रुखसाना आहें भरने लगी और उसने अपनी बांहों में लखविंदर को कस लिया।
कुछ देर बाद रुखसाना ने अपना एक हाथ लखविंदर के लन्ड पर रखा।
लन्ड पूरा टाइट हो चुका था।

अब रुखसाना लन्ड के साइज को हाथों से नापने लगी। उसने लन्ड को हाथ लगाकर पता लगा लिया कि उसके नये यार का लन्ड उसके शौहर और धर्मपाल दोनों के लन्ड से लंबा और मोटा है।

उसकी चूत में से इस अहसास से ही पानी बहने लगा जो लखविंदर के हाथ को गीला करने लगा।
लखविंदर ने अपनी दो उंगली एक साथ रुखसाना की चूत में डाल दीं।

उसी समय रुखसाना के हाथ की पकड़ लन्ड पर टाइट हो गई और रुखसाना और लखविंदर एक साथ हाथ और उंगली आगे पीछे करने लगे।
कुछ समय बाद दोनों 69 पोजीशन में आ गए।

लखविंदर ने चूत को खोलकर अपनी जीभ नीचे से ऊपर की तरफ करते हुए धीरे धीरे चलानी शुरू की।
रुखसाना भी लन्ड को जितना मुंह में ले सकती थी उतना लेकर आगे पीछे करने लगी।

वो दोनों पांच मिनट में ही चर्म सुख के करीब पहुंच गए. लखविंदर मुंह में ही झटके लगाने लगा और उसका सुपारा फूलने लगा।
रुखसाना ने लन्ड मुंह से बाहर निकाला और लन्ड से वीर्य की पिचकारी निकली जो रुखसाना के मुंह और गर्दन पर गिर गई।

इसके साथ ही रुखसाना की चूत से भी लावा बह निकला। वो एक हल्की चीख मारकर झड़ने लगी।
लखविंदर ने उसका पूरा रस चाट कर साफ किया।

उसके बाद दोनों शांत होकर कुछ देर एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे।

कमरे में धर्मपाल ने हरदीप के मुंह में झड़ने के बाद हरदीप को लेटाया और उसकी चूत में उंगली करने लगा।

थोड़ी देर एक उंगली करने के बाद उसने एक साथ दो उंगली हरदीप की चूत में डाल दीं।

हरदीप भी एक हाथ से धर्मपाल का लन्ड सहलाने लगी।
कुछ देर बाद लन्ड फिर से पूरा टाइट हो गया।

हरदीप ने अपनी टांगों को मोड़ा और धर्मपाल उसकी चूत के ऊपर अपना लन्ड घिसने लगा।

धधकती की चूत की गर्मी हरदीप को परेशान कर रही थी।
हरदीप ने धर्मपाल को बोला- जल्दी डाल दो … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

साथ ही धर्मपाल ने लन्ड हरदीप की चूत की गहराई में उतार दिया।
हरदीप ने आंखें बंद कर लीं।

धर्मपाल ने एक के बाद एक जोरदार शॉट लगाना चालू कर दिया।

लंड से चुदाई का मजा लेते हुए हरदीप हर झटके के साथ आह … आह … करने लगी।

धर्मपाल की स्पीड तेज़ होती जा रही थी।

हरदीप भी उसके हर झटके का जवाब गांड उठा उठा कर दे रही थी।

लगभग 10 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद हरदीप की सांस फूलने लगी.
वो आह … आह … की तेज आवाज़ के साथ एकदम से शांत हो गई।

धर्मपाल पूरा लन्ड चूत में डालकर हरदीप के ऊपर लेट गया।

अब कमरे में से दोनों की सांसों की आवाज़ आ रही थी।

कुछ देर बाद दोनों की सांसें नार्मल हुईं. धर्मपाल उसके बूब्स को पकड़ कर दबाने लगा।

वो फिर गर्म होने लगी। धर्मपाल ने उसको कुतिया की तरह होने को बोला।
हरदीप उठी और कुतिया की तरह बैठ गई।

धर्मपाल हरदीप के पीछे आ गया. उसने लन्ड हरदीप की गांड के छेद पर रखा।

हरदीप ने उसको गांड चुदाई के लिए रोकना चाहा लेकिन धर्मपाल ने लन्ड उसकी गांड के छेद पर सेट कर दिया.
फिर उसकी कमर को पकड़ कर एक ही झटके में पूरा लन्ड हरदीप की गांड में उतार दिया।

लन्ड चूत रस से भीगा होने के कारण आराम से हरदीप की गांड में चला गया।
हरदीप के मुख से एक चीख निकली।

धर्मपाल ने बिना रुके लन्ड धीरे धीरे उसकी गांड से सुपारे तक बाहर निकाला और दोगुने जोर से फिर उसकी गांड में उतार दिया.

इस तरह वो हरदीप की गांड में लंड की ठोकर लगाने लगा. हरदीप हर झटके के साथ चीख रही थी।
धर्मपाल हर झटके के साथ स्पीड तेज़ करने लगा।

कुछ देर धक्के सहते हुए अब हरदीप भी मस्ती में आ गई और धर्मपाल को ज़ोर से चोदने को बोलने लगी।
पंद्रह मिनट के बाद धर्मपाल के लन्ड का सुपारा फूलने लगा।

उसके बाद एक जोरदार शॉट के साथ धर्मपाल के लन्ड ने वीर्य की बारिश हरदीप की गांड में कर दी।
धर्मपाल ने लन्ड हरदीप की गांड से बाहर निकाल लिया।
वो और हरदीप अब बेड पर लेट गए।

ड्राइंग रूम में रुखसाना के झड़ने के बाद लखविंदर और रुखसाना बेड पर लेट गए थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे.
रुखसाना ने अपना हाथ लखविंदर के अंडकोषों पर रखा और हल्के हल्के सहलाने लगी।

लखविंदर का लन्ड रुखसाना के नर्म हाथों के स्पर्श से फिर से सिर उठाने लगा। लखविंदर भी अपने एक हाथ से रुखसाना की चूत के दाने को सहलाने लगा।

रुखसाना की चूत में अब खून का बहाव तेज़ होने लगा। रुखसाना ने अपना हाथ लखविंदर के लन्ड पर रखा और आगे पीछे चलाने लगी।
लंड पूरा तन गया और रुखसाना भी अब कंट्रोल से बाहर हो रही थी।

लखविंदर ने रुखसाना के चेहरे के भाव जानकर उसको कुतिया की तरह होने को बोला।
रुखसाना कुतिया की तरह हो गई।

लखविंदर उसके पीछे आ गया और लन्ड को रुखसाना की चूत के मुंह पर रख दिया.
लंड को रखकर उसने रुखसाना की कमर को कसकर पकड़ लिया। उसने रुखसाना को अपनी तरफ खींच कर पीछे से जोर से झटका लगा दिया।

उसके लन्ड का सुपारा उसकी बच्चेदानी के मुंह पर जाकर लगा। रुखसाना तेज़ आवाज़ में चीखी।
लखविंदर धीरे से लन्ड बाहर निकाल कर फुल स्पीड में रुखसाना की चूत में डालने लगा।

रुखसाना की चूत भी कुछ दो मिनट बाद लन्ड के साइज़ के मुताबिक खुल गई।
अब रुखसाना को भी मज़ा आने लगा. उसकी चूत से हल्का पानी निकलने लगा जिससे कि चूत से फच फच की आवाज़ें आने लगीं।

अब रुखसाना भी लखविंदर के हर झटके का जवाब अपनी गांड पीछे धकेलकर दे रही थी।
इस तरह करने से लखविंदर को बहुत मज़ा आ रहा था।

रुखसाना लखविंदर के झटकों के आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाई और पांच मिनट की चुदाई से ही वो एक बार झड़ गई।
लखविंदर ने बिना रुके उसे चोदना जारी रखा।

वो अपनी एक मस्त चाल से झटके लगाता रहा।
रुखसाना हर झटके के साथ आह … आह … करने लगी।

लखविंदर ने लन्ड रुखसाना की चूत से निकाल लिया और वो बेड पर लेट गया।

अब रुखसाना उठी और अपनी टांगें लखविंदर की दोनों साइड रख कर लन्ड को एक हाथ में पकड़ कर चूत के मुंह पर रख कर बैठ गई.
उसकी चूत में पूरा लन्ड जा चुका था।

लखविंदर ने उसका एक बोबा पकड़ा और दबाने लगा. रुखसाना ऊपर नीचे कूदने लगी।

रुखसाना पांच मिनट तक लन्ड की सवारी करने के बाद थक गई। उसकी सांसें फूलने लगीं। रुखसाना ने लन्ड पर ऊपर नीचे होना बंद कर दिया।
लखविंदर ने रुखसाना की बेबसी को समझकर उसको नीचे लेटने को बोला।

वो उठी और बेड पर लेट गई। लखविंदर ने बिना देरी किये फिर उसकी चूत में लन्ड डाल दिया।
उसने अब रुखसाना की टांगें मोड़ लीं और मिशनरी पोजीशन में रुखसाना को चोदने लगा।

अब लखविंदर फुल स्पीड से लन्ड रुखसाना की चूत के अंदर बाहर कर रहा था।
रुखसाना को इस तरह चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था।

लखविंदर के लन्ड का लावा फूटने वाला था.
उधर रुखसाना की चूत भी झड़ने वाली थी।

ड्राइंग रूम से दोनों की सिसकारियों और चुदाई से होने वाली फच-फच की आवाज़ें आ रही थीं।

इनकी चुदाई को चलते लगभग आधा घंटा हो चुका था।
फिर करीब 20 तेज़ शॉट्स के बाद दोनों ने एक साथ पानी छोड़ा।
लखविंदर के लन्ड ने वीर्य से रुखसाना की चूत भर दी।
रुखसाना भी आंखें बंद करके इस अहसास का मज़ा ले रही थी।

लखविंदर ने अब लन्ड रुखसाना की चूत से बाहर निकाला। रुखसाना की चूत से दोनों का मिला जुला कामरस बहने लगा।
दोनों थक गये थे और दोनों फिर दस मिनट तक लेटे रहे.

उसके बाद लखविंदर उठा और बाथरूम में जाकर अपने लन्ड को साफ किया। लखविंदर के बाद रुखसाना ने भी अपनी चूत की सफाई बाथरूम में जाकर की।
दोनों ने कपड़े पहन लिए।

उधर कमरे में धर्मपाल भी तैयार हो चुका था। उन तीनों ने हरदीप से विदा ली और वहां से चले आये।

उसके बाद लखविंदर और धर्मपाल ने मिल कर कभी रुखसाना को और कभी हरदीप को चोदा।
कभी वो चारों एक ही कमरे में मिल कर चुदाई का खेल खेलने लगे।

उधर जसवंत अभी तक हरप्रीत को हर एंगल से चोद चुका था. वो धर्मपाल के घर का काम खत्म होने के बाद भी हरप्रीत को न जाने कितनी बार चोद चुका था।

चुदाई की ये अजब दास्तां अभी भी जारी थी और कब खत्म होने वाली थी इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं था.

तो दोस्तो, आपको ये हिंदी मस्तराम स्टोरी कैसी लगी मुझे बताना जरूर.
आपके कमेंट्स और सुझावों से मुझे आपके लिए कहानी लिखने की प्रेरणा मिलती है इसलिए स्टोरी के बारे में अपनी राय अवश्य दें।
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