यंग देसी गर्ल Xxx कहानी में पड़ोस में एक आंटी अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी. अंकल बाहर जॉब करते थे. बड़ी बेटी से मेरी ख़ास दोस्ती हो गयी. उसे मैंने कैसे चोदा?
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम आलोक है. मैं बदायूँ का रहने वाला हूँ.
मैं 21 वर्ष का हूँ.
मेरे घर के सामने आंटी जी रहती हैं, उनकी उम्र 46 साल जरूर है … लेकिन वे बहुत हॉट लगती हैं.
उनकी दो लड़कियां हैं. एक का नाम अंजलि है, वह 23 साल की है.
दूसरी सुमन है … वह 21 साल की है.
सुमन कॉलेज में पढ़ती है, मैं भी कॉलेज में पढ़ता हूँ मगर मेरा कॉलेज दूसरा है.
आंटी का नाम रेखा है, उनके पति दिल्ली में काम करते हैं और केवल त्योहारों पर ही घर आते हैं.
रेखा आंटी एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं.
आंटी के घर में तीनों सदस्य यानि आंटी और उनकी दोनों लड़कियां ही रहती हैं.
वे सब देखने में काफी सुंदर हैं.
मैं रात के समय खाना खाने के बाद रोज़ घर के बाहर टहलता था.
आंटी, सुमन और अंजलि भी टहलती थीं.
चूँकि हम पड़ोसी हैं, इसलिए हमारी जान-पहचान पहले से ही थी.
मैं सबसे बात कर लेता था लेकिन अब तक मैंने उन्हें कभी गंदी नज़र से नहीं देखा था.
यह यंग देसी गर्ल Xxx कहानी तब शुरू हुई जब एक दिन जब मैं टहल रहा था और अंजलि से बात कर रहा था.
अचानक मुझे ठोकर लग गई और मैं गिरते गिरते बचा.
इतने में अंजलि हंस पड़ी और बोली- तुम्हारे तो अभी से ये हाल हैं … तो आगे क्या करोगे?
मैंने भी मज़ाक में कह दिया- आगे तो मैं तूफान मचा दूँगा!
वह बोली- क्या सच में … हम भी देखेंगे कि आगे तुम क्या तूफान मचाओगे!
उसने जब यह कहा ‘आगे क्या तूफान मचाओगे’ … तो मैं जरा हैरान हो गया था.
मुझे ऐसा लगा था मानो यह अपने आगे वाले छेद के लिए कह रही है.
पर मैं चुप रहा.
वह हंसती रही और दोअर्थी बातों का मजा लेती रही.
मैं भी उसकी हरेक बात को बहुत ध्यान से सुनता रहा और उसके उकसाने पर कोई साधारण सा जबाव दे देता.
उस दिन के बाद हमारे बीच इस तरह की बातें होने लगीं.
मैं भी अब अंजलि को समझ गया था कि यह लड़की मेरे साथ सैट होने के मूड में है.
तो मैं उससे खुलकर बात करने लगा था.
मेरे खुलने से वह और भी ज्यादा बिंदास होने लगी थी.
एक दिन अंजलि ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- नहीं यार, मुझे तो कोई लड़की भाव ही नहीं देती है.
अंजलि हंस कर बोली- तुम्हें देख कर ऐसा लगता तो नहीं है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी! दिखने में भी तुम ठीक हो, साढ़े पांच फुट की तुम्हारी लंबाई भी ठीक-ठाक है और चौड़ाई में भी एकदम हट्टे-कट्टे मर्द दिखते हो!
तो मैं बोला- जब तुमको मेरे अन्दर इतनी ज़्यादा खूबियां दिखती हैं और मैं तुम्हें इतना हैंडसम लगता हूँ … तो फिर तुम ही बन जाओ न मेरी गर्लफ्रेंड!
वह मुस्कुराई और घर चली गई.
अब मेरे मन में उसके लिए कामुक ख्याल आने लगे थे.
उसकी रसभरी चूचियों और उठी हुई गांड को याद करके मैं उसके नाम की मुट्ठ मारने लगा था.
अब तो यह हो गया था कि मैं रोजाना उसके घर चला जाता था और उसकी अनुपस्थिति में आंटी या अंजलि की बहन से बातें करता रहता था.
जब वह अकेली होती थी, तब मैं उसे टच भी कर लेता था.
वह कुछ बोलती नहीं थी, बस मुस्कुरा देती थी.
जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ती चली गई.
आंटी रोज़ अपने स्कूल में पढ़ाने चली जाती हैं.
चूंकि वे एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं तो उन्हें संडे के अलावा छुट्टियां नहीं मिलती थीं.
अंजलि की बहन सुमन पढ़ने के लिए कॉलेज निकल जाती थी.
तो घर पर अंजलि अकेली ही रह जाती थी.
यह सब देख कर मेरे दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न इस समय का फायदा उठाया जाए.
मैं एक दिन कॉलेज नहीं गया.
सुमन और आंटी जी के जाने के थोड़ी देर बाद मैं अंजलि के घर गया.
मैंने बेल बजाई, तो अंजलि ने दरवाज़ा खोला.
उसने मुझे देख कर जरा हैरत जताते हुए पूछा- आज यहां कैसे? कॉलेज नहीं गए क्या?
मैं बोला- आज मन नहीं था … इसलिए नहीं गया!
वह समझ चुकी थी कि ये कुछ गड़बड़ करने वाला है.
मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था.
ऐसा लग रहा था कि बस इसे यहीं पकड़ कर चोद दूँ.
वह मुझे अन्दर आने का कह कर किचन में चली गई.
उधर से उसने कहा- मैं चाय बना रही हूँ पियोगे न!
मैंने हां कहा.
तो वह मेरे लिए चाय बनाने लगी.
इतने में मैं बाथरूम में गया और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा जानबूझ कर लॉक नहीं किया.
अन्दर मैंने देखा कि उधर तीन पैंटी पड़ी थीं.
मैंने एक पैंटी उठाई और अपना लंड हिलाने लगा.
मेरा लंड अंजलि के बारे में सोच सोच कर काफी कड़क हो गया था.
मैंने पूरी पैंट नीचे कर दी.
मैं एक हाथ से पैंटी को सूँघ रहा था और दूसरे से लौड़े की मुट्ठ मार रहा था.
मेरी उत्तेजना बढ़ी तो मैं धीरे-धीरे बोलते हुए लंड हिलाने लगा था- आह साली मेरी जान अंजलि, बस एक बार तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाए तो जिंदगी में हरियाली आ जाए … मज़ा ही आ जाएगा … बस तू नंगी हो जा.
यह सब कहते हुए मैंने आंखें बंद कर लीं और मुट्ठ मारने में लीन हो गया.
इतने में अंजलि ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला … क्योंकि मैंने पहले ही उसे थोड़ा खुला छोड़ दिया था ताकि अंजलि मुझे ऐसा करता हुआ देख ले.
दरवाजा खुला तो मुझे अहसास हो गया कि मेरी माल आ गई है.
मैं और जोर से लौड़े को हिलाने लगा और उसका नाम लेने लगा.
अंजलि मुझे मुठ मारते हुए देख कर मस्त हो गई और छुपकर मेरे मोटे लंड को देखने लगी.
मैं बस अंजलि का नाम ले-लेकर मुट्ठ मार रहा था.
वह समझ गई थी कि आज उसकी चुत के लिए यही लंड मिलने वाला है.
कुछ देर बाद मैं झड़ गया.
फिर अंजलि चुपके से किचन की ओर वापस चली गई.
थोड़ी देर बाद मैं भी बाहर आ गया.
अंजलि ने मुझसे कहा- काफी समय लगा दिया बाथरूम में!
यह कह कर वह हंसने लगी.
फिर हम दोनों ने चाय पी.
इसके बाद मैं उसे छेड़ने लगा.
मुझे लग रहा था कि वह भी काफी गर्म हो चुकी थी और कुछ भी विरोध नहीं कर रही थी.
उसके बाद मैं बाहर जाने लगा.
तो वह बोली- कहां जा रहे हो?
मैं बोला- कुछ काम है!
वह बोली- थोड़ी देर बाद चले जाना!
लेकिन मैं चला गया और अंजलि से कह दिया कि मैं 10 मिनट में वापस आ जाऊंगा.
उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसे भी चुदाई कराने की जल्दी है.
मैं बाज़ार से 250 ग्राम रबड़ी लेकर अंजलि के घर वापस आ गया.
मुझे वापस आया देखकर वह काफी खुश लग रही थी.
मैं अंजलि के पास गया, रबड़ी को एक तरफ रखा और उसे किस करने लगा.
वह मुझसे कह रही थी- अरे ये सब क्या कर रहे हो यार … नहीं यह गलत है! प्लीज मत करो आलोक!
पर अन्दर से उसके भी तन-बदन में आग लगी थी, इसलिए उसके मना करने में एक सहमति अधिक दिखाई दे रही थी.
कुछ देर बाद वह भी मुझे चूमने लगी और हम दोनों वासना से तप्त हो गए.
अब वह मुझे अपने कमरे में ले गई.
कमरे में जाते ही मैंने दरवाजे बंद किये और उसके कपड़े उतारने लगा.
उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
उसे नंगी देखकर तो मैं पागल हो गया.
उसके टाइट कड़क बूब्स, क्लीन चुत … झाँट के बालों से रहित चुत एकदम मस्त गुलाबी थी.
चुत के ऊपर पतली कमर, मस्त नाभि … लंड तो हिनहिनाने लगा था.
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके माथे को चूमा.
अब मैं उसके होंठों को चूमने लगा और कुछ मिनट तक खूब चूसा भी.
उसके बाद मैंने रबड़ी की थैली उठाई और उसके गले पर थोड़ी सी रबड़ी डाली.
वह मस्त हो गई थी तो बस इन्जॉय कर रही थी.
मैंने उसके गले को किस किया, रबड़ी को चाटा और चाट-चाटकर गले पर लगी सारी रबड़ी खत्म कर दी.
इसके बाद उसके दोनों बूब्स पर रबड़ी डाली और अच्छे तरीके से उसके मम्मों को चूस-चूसकर बिल्कुल कड़क और लाल कर दिया.
अंजलि इस समय इतनी पागल हो गई थी कि उसके मुँह से केवल मादक सिसकारियां निकल रही थीं … और आंखें बंद हो गई थीं.
उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि वह कंट्रोल से बाहर हो गई हो.
कुछ देर के बाद मैंने रबड़ी को उसके पेट पर, नाभि पर डाला और चाटने लगा.
उसको भी अपनी नाभि चटवाने में खूब मजा आ रहा था.
उसके बाद मैंने उसकी दोनों जांघों पर रबड़ी डाली और जीभ से चुत के पास तक के हर अंग को मस्ती से चाटा.
अब उसकी चुत में आग लग गई थी और वह चाह रही थी कि मैं उसकी चुत को रबड़ी डालकर चूस लूँ.
मैंने भी वासना भरी आंखों से उसकी चुत को देखा और नाक लगा कर चुत सूंघने लगा.
वह समझी कि मैं अब चुत चाटने लगूँगा.
मगर मैं उसकी टांगों को नीचे तक चाटने लगा.
उसके बाद उसके पैर के पंजों को खूब चूसा और चाटा.
इस तरह से मैंने रबड़ी का मस्त स्वाद लिया.
वह चुत की तरफ इशारा करती हुई बोली- इधर भी तो रबड़ी डालो!
यह सुनकर मैंने उसकी दोनों टांगें फैलाईं और उसकी चूत पर रबड़ी लगाई.
उसके बाद उसकी चूत को खूब चूसा और चाटा.
उसकी चूत के दाने को भी खूब चूसा.
वह मेरे सर को अपनी चुत में दबाने लगी थी और आह आह करने लगी थी.
फिर मैंने उसकी चूत के अन्दर जीभ डाला और उसकी चूत को अच्छे से चाटा … चूसा.
अंजलि इतनी ज़्यादा पागल हो गई थी कि वह बेड की चादर पकड़ कर खूब तेज तेज सिसकारियां ले रही थी.
वह बोल रही थी- आह जानू … अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है! प्लीज़ चोद दो अपनी रानी को!
फिर मैंने कहा- मेरी रानी क्या तुझको रबड़ी चाटना पसंद है?
तो उसने कहा- हां … मुझे तो रबड़ी बहुत पसंद है!
मेरा कड़क लंड और भी कड़क और सख्त हो गया था.
मैंने कहा- अंजलि रानी … क्या तुम मेरा लंड चूसना पसंद करोगी!
तो वह मना करने लगी और कहने लगी- मैंने कभी सेक्स नहीं किया है और न ही लंड चूसा है … मुझे लंड के टोपा से घिन सी लग रही है और ये गीला भी है.
मैंने कहा- रानी, तुम्हारी चूत भी तो गीली थी, पर मैंने उसे खूब चाटा और चूसा … और तुझको मज़ा भी खूब आया! पर तुम मुझे मज़ा क्यों नहीं देना चाहती हो?
वह कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा- अगर तुम सेक्स का मज़ा लेना चाहती हो तो तुम्हें भी किसी भी चीज़ से घिन नहीं आना चाहिए!
यह कह कर मैं नाराज़ हो गया और मैंने कहा- मैं घर जा रहा हूँ.
उसने मुझे रोका क्योंकि उसकी चूत में आग लगी थी.
वह चुदने के लिए तड़प रही थी.
वह बोली- जानू … रुक जाओ प्लीज़!
मुझे समझ आ गया कि ये मुझे जाने नहीं दे सकती.
अब मैंने नखरे दिखाने शुरू कर दिए- अरे यार, ऐसे थोड़ी न होता है कि मैं तुम्हारी चुत चाटता रहूँ और तुम अपनी चुत चटवाने के मजे लेती रहो. फिर जब मेरी बारी आए तो तुम मना कर दो. इससे तो अच्छा है कि यह सब यहीं खत्म हो जाए, आगे चल कर हम दोनों में कोई दिक्कत हो इससे अच्छा है अपनी बात खत्म कर लेते हैं.
वह मुझे मनाने लगी और उसने मेरा लंड पकड़ लिया.
मुझे एक चुम्मी की और बोली- अरे यार ऐसे नाराज नहीं हुआ करो … मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं था कि यह भी करना होता है!
कुछ देर की मान मनुहार के बाद मैं राजी हो गया और वह भी लंड चूसने के मान गई.
अब अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा कि अंजलि ने मेरे साथ सेक्स का मजा किस तरह से लिया और उसके बाद उसकी बड़ी बहन सुमन और उन दोनों की मम्मी यानि रेखा आंटी को भी कैसे मैंने अपने अपने लंड से चोद दिया.
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