गेहूँ के खेत में देसी लड़की की सील तोड़ी

वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी में मेरे पड़ोस की एक लड़की को होली में गीले कपड़ों में देखा तो उसे चोदने का मन करने लगा. उसका परिवार हमारे खेतों में काम करता था.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रंगबाज है और मैं जौनपुर, उत्तर प्रदेश के एक प्यारे से गाँव में रहता हूँ जो शहर से बीस किलोमीटर दूर है।
अपने बारे में बता दूँ तो मेरी उम्र 25 वर्ष, कद 5.3 फीट, गेहुँआ रंग, और छोटे रंगबाज का कद 6 इंच है।

दोस्तो, यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है जो मैं आप सभी को सुनाना, बताना, और कहना चाहता हूँ।
मैं चाहता हूँ कि आप लोग सच्चे मन से इसे पढ़ें और समझें कि कैसे एक लड़के ने, जिसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था, उसके साथ ऐसी घटना हुई कि उसका जीवन बदल गया।

ऐसी ही घटना हुई थी आपके इस रंगबाज बलमुआ के साथ।

ज्यादा बोर न करते हुए, 6 साल पहले घटित हुई इस कहानी पर आता हूँ।

वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी कुछ इस प्रकार है कि मैं अपने गाँव में अपने दादा-दादी के साथ बचपन से रहता आया हूँ।
बचपन से उनके साथ खेती-बाड़ी, गोरु-बछड़ा, चारा, सब करता आया हूँ।
पढ़ाई में भी मैं अव्वल था।

मेरे बहुत सारे दोस्त थे, जो मेरे स्कूल, खेत, और खेल के साथी थे।

बात उन दिनों की है, होली का दिन था।

सारे छोटे-छोटे बच्चे सुबह होते ही उठकर तैयार हो गए और एक-दूसरे के साथ होली खेलने लगे।
कोई रंग फेंक रहा था, कोई अबीर, तो कोई हाथ में रंग लेकर भगाकर एक-दूसरे के चेहरे का हुलिया बिगाड़ रहा था।

मेरे घर के पीछे तीन घर थे।
उनके घर के बच्चे भी होली खेल रहे थे।
एकदम धमाल मचा रखा था, जो जैसा खेल रहा था, वैसा ही।

चूँकि मैं पिछले दिन होलिका दहन में अपने दोस्तों के साथ सारी व्यवस्था करने में थक गया था और देर रात होलिका दहन के बाद थक चुका था, तो मैं सुबह देर से उठा।
छत पर बैठकर दातुन करते हुए पीछे बच्चों को देख रहा था।

इतने में कुछ ऐसा दृश्य मेरे सामने आया कि मैं अलर्ट हो गया।

एक लड़की, जिसका नाम प्रिया (काल्पनिक नाम) है, उम्र 19 साल, रंग गेहुँआ, आकार 30-28-31 थी, अपनी भाभियों के साथ होली खेलते हुए भागती हुई घर के बाहर आई।

उसकी भाभियों ने उसे रंग से नहला दिया था, जिससे उसके शरीर का आकार दिख रहा था।
यह देखकर मेरे अंदर कुछ हिल गया। इच्छा हुई कि…

हालाँकि वह मेरे पड़ोस में थी, पर आज से पहले मैंने उसे उस नज़र से देखा ही नहीं था।

भाई साब! वो दृश्य मेरे अब तक के जीवन का अजीब और गजब अनुभव था।

हालाँकि मैंने अपने दोस्तों से उनके सेक्स के अनुभवों के बारे में सुन रखा था, पर मैंने कभी किया नहीं था।

अब मेरे मन में प्रिया को चोदने की कामवासना जाग गई थी।

वो सब खेलने में इतने व्यस्त थे कि उनकी नज़र मुझ पर नहीं गई।
लेकिन जैसे ही प्रिया का ध्यान मुझ पर गया, वो शर्माते हुए घर में भाग गई।

होली बीत गई।

तब से मेरे अंदर उस लड़की को लेकर अजीब विचार आने लगे।
समय बीतने लगा, मेरी बेचैनी बढ़ती गई।

अब आषाढ़ का महीना आ गया था।

खेत में गेहूँ की कटाई हो चुकी थी।
फसल ढोकर द्वार पर लाने के लिए मजदूर लगे थे।
उनमें प्रिया और उसके घर के कुछ सदस्य भी थे।

मैं रोज़ 10 बजे के करीब उनके लिए खेत में खरमिटाव, और बड़ों के लिए बीड़ी, खैनी लेके जाता था।
मेरे पहुँचने के बाद दादाजी घर चले जाते थे.

एक दिन काम करते-करते दोपहर हो गई।
धीरे-धीरे सभी घर चले गए।
प्रिया और मैं खेत में रह गए थे।

मैं उस से अपने मन की बात कहना चाहता था पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

फिर प्रिया मेरे पास आई।
“बोझ उठाकर मेरे सिर पर रख दे.” उसने कहा।
मैंने उठाकर रख दिया।

धीरे-धीरे मैं उसके साथ घर जाने लगा।

“तुमसे एक बात बोलूँ, बुरा तो नहीं मानोगी!”
“हाँ, बोलो!”
“मुझे तुम्हारा चाहिए!”

“क्या चाहिए?”
“वही!”

“साफ-साफ बोलो!”
मैं धीरे से हँसते हुए बोला, “मुझे तुम्हारी चूत मारनी है!”

प्रिया हँसते हुए मजाक में बोली, “मारब मुंहवा कूचा जाई!”
मैं भी हँस पड़ा।

उसका हाथ ऊपर बोझ पकड़े हुए था तो मैंने धीरे से उसके पृष्ठ भाग को चलते हुए सहला दिया।

वो उछल गई, पर खुद को संभाला और गुस्से में बोली, “अगर गिर जाती तो!”
“मुझसे रहा नहीं गया, प्रिया! तुम मुझे पागल कर रही हो। मैं अब अपने कंट्रोल में नहीं हूँ!”

“कहाँ से सीखा यह सब?”
“तुम्हें रोज़ पढ़ता हूँ!”
“हट, पागल! गलत है ये सब!”

इन सबके बाद हम घर पहुँच गए।
वो अपने घर चली गई।

अब यह भी निश्चित हो गया था कि मेरे अच्छे दिन आने वाले हैं।

दूसरे दिन जब काम करने के बाद सभी घर को निकल गए, तब प्रिया मेरे पास आई और बोली, “किसी को पता नहीं चलना चाहिए!”
“क्या?”
“वही जो तुम करना चाहते हो!”

मैं मेड़ पर से उठा और प्रिया के पास गया।
मैंने उसे गले लगा लिया।

“थैंक्यू प्रिया, मुझे समझने के लिए! आई लव यू!”
“आई लव यू टू!”

और वो जल्दी से मेरे गाल पर चूम गई!

मैंने उसका हाथ पकड़ा, उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों से अपने होंठ मिला लिए।
धीरे-धीरे वो मेरा साथ देने लगी।

हम एक-दूसरे में लीन होते चले गए।
इतना कि हम पसीने से तर हो गए, धूप में खड़े होकर।

पर हमारी जवानी की आग के सामने धूप की तपन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी।

वो समय था, दूर-दूर तक खेत में कोई नहीं था।
इधर हम लगे हुए थे।

फिर मैंने ध्यान दिया कि प्रिया एकदम पागल हो चुकी थी, छोड़ नहीं रही थी।

मैं उसे होश में लाया और उसे उठाकर पास में लगे महुआ के पेड़ के नीचे ले आया।
थोड़ी देर आराम करने के बाद उसे पानी पिलाया और खुद पिया।

उसके बाद हम घर को निकल पड़े।

रास्ते में प्रिया मुझसे बोली, “कल भोर में ही चले आना खेत में!”

अगली सुबह मैंने दादाजी को मनाया और सुबह ही खेत में चले गया।

हम दोनों इतनी जल्दी आ गए थे कि कोई उस समय से पौने घंटे बाद आता।

आते ही प्रिया मुझसे बोली, “क्यों इतने दिन से तड़पा रहे हो मुझे?”
“मुझे कुछ समझ नहीं आया!”

“मैं इतने दिन से तुम्हारी होना चाहती हूँ, तुम्हें पता नहीं है!”

“तुमने कभी बताया नहीं!”
“तुमने कभी समझा नहीं!”

इतना कहते ही उसने जोर से लिपलॉक कर लिया और मेरा हाथ उसने अपने वक्ष पर रख लिया।
मैं अवाक रह गया।

करीब 10 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे और मैं उसके बूब्स दबाता रहा।

एक बात, उसने मेहँदी रंग के पंजाबी सलवार और कमीज पहने थे जो मुझे बहुत पसंद आए।

फिर मैंने उसे उठाया।
खेत के पास एक माइनर बना था, जिसमें अच्छे घास उगे थे।
मैंने उसे वहाँ लिटा दिया।

मैं धीरे-धीरे उसकी कमीज उतारने लगा।
उसने आज ब्रा नहीं पहनी थी, जैसे वह पहले से ही तैयार होकर आई हो।

उसकी कमीज मैंने उसके गले तक उठा दी।
मैं उसके निप्पल से खेलने लगा।
क्या स्तन थे उस लड़की के!

मैं सोचने लगा, मैं बेवकूफ हूँ जो इतने दिन से डर रहा था।
अगर पहले ही अप्रोच किया होता, तो ये सुख पहले ही भोग लिया होता।

खैर, बात यह भी है कि जो चीज आप चाहो, वो आपको बेचैन कर दे और बाद में मिले, उसका सुख दोगुना हो जाता है।

मैंने देखा कि अब प्रिया धीरे-धीरे रंग में आ रही थी।
उसे तड़पती देख मुझे अलग ही मजा आ रहा था।

कुछ 10 मिनट बाद मैं उठा और उसकी सलवार खोलने लगा।
ये क्या! उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी।
मैंने उसकी सलवार और पैंटी नीचे खिसका दी।

मैंने देखा कि उसकी चूत पहले से गीली हो चुकी थी।

मैंने उंगली से उस द्रव को लिया और चाटने लगा।
कुछ अजीब सी महक और स्वाद था।
यह देखकर वो और मैं हँसने लगे।

मैं अब उसकी चूत पर टूट पड़ा और चाटने लगा— ऊपर, नीचे, अंदर, बाहर।
वो सिसकारियाँ भरती जा रही थी।

उससे अब रहा नहीं गया, “जानू, क्यों तड़पा रहे हो! आज मेरी साँस रोक दोगे! मुझसे रहा नहीं जा रहा, अपने में समा लो मुझे, चोद दो मुझे!”
मैंने कहा, “उसके पहले तुम्हें छोटे रंगबाज को प्यार करना पड़ेगा!”

वो उठी और एक हाथ से मेरे पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी।

मुझे रहा नहीं गया।
मैंने पैंट खोला और अपने लंड को उसके मुँह में रखकर एक जोर का झटका दिया।
मेरा लंड उसके गले तक अटक गया और वो हाँफने लगी।

मैं अब जोर-जोर से उसके मुँह को चोदने लगा।
मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था।

उसके आँखों में आँसू आ गए।
फिर मैंने एक जोर का धक्का लगाया और उसके मुँह में झड़ गया।
उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया।

मैंने उसे लिटाया और उसके वीर्य भरे मुँह से मुँह लगाकर वीर्य को चाटने लगा।
यह देखकर वो बहुत खुश हो गई।

फिर वो बोली, “अब देर नहीं करते, धीरे-धीरे लोग आना शुरू कर देंगे!”

मैंने भी ठीक वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स करना ठीक समझा।

मैं उठा, नीचे आया और उसकी चूत के द्वार पर अपने लंड को रखकर दबाने लगा, पर अंदर नहीं जा पा रहा था।

अगर मैं जोर से करता, तो वो चिल्ला देगी।
यही सोचकर मैं उठा, पहले उसका लिपलॉक किया और नीचे एक जोर का धक्का मारा।

उसकी आँखें बाहर आ गईं।
आँखें भर आईं।
वो चिल्लाना चाहती थी, पर चिल्ला नहीं पा रही थी।

उसकी चूत के अंदर की झिल्ली टूट चुकी थी।
मेरा लंड खू.न से लाल हो गया था।
मैं भी कुछ समय के लिए अपने लंड को अंदर डालकर रुक गया।

मैंने उसके होंठ छोड़े, तो वो रोने लगी।
“मैं नहीं कर पाऊँगी! मुझसे नहीं सहा जा रहा है!”
“बस 5 मिनट रुक जाओ, प्रिया! उसके बाद जो बोलोगी, वही करेंगे!”

मैंने फिर से उसके होंठ को अपने होंठ में लिया और नीचे धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगा।

अब उसे भी अच्छा लगने लगा था।
वो मेरा साथ देने लगी।

अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
वो भी उछल-उछलकर मेरा साथ देने लगी।

करते-करते 10 मिनट हो गए।
इस बीच वो 2 बार बह चुकी थी।

मैं रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
ऊपर से किस, बीच में बूब्स दबाना, नीचे शॉट पे शॉट।
रियल लाइफ पोर्न हो गया था, बेंचो!

उफ्फ्फ… आह्ह्ह… सीईईई… वो मधुर ध्वनि, ऐसा कि यह पल यहीं रुक जाए और हम ऐसे ही रहें सदा।

खैर, हर एक चीज का अंत निश्चित है। अब मेरी बारी थी बहने की।

मैं उठा और छोटे रंगबाज को उसके मुँह में रखकर जोर का धक्का मारा और उसके गले में झड़ गया।
उसका मुंह मेरे वीर्य से भर गया.

मैंने उसे लिटाया और उसके उसके वीर्य भरे मुंह से मुंह लगा कर वीर्य को चाटने लगा.
यह देख कर वो बहुत खुश हो गई।
वो प्यार से पूरा निगल गई।

अब मैडम उठीं, और चुदाई का दर्द होने के कारण से उससे चला नहीं जा रहा था।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि अब उसे काम भी करना था।
जब सब आए, तो उसने बहाना बना दिया कि उसका पेट दर्द कर रहा है।
मैंने भी कह दिया, “घर जाओ, जब ठीक हो जाएगा, तब देखेंगे।”

दोस्तों, यह रही मेरे जीवन के पहले सेक्स अनुभव की कहानी।
मिलेंगे अब कुछ और कहानी के साथ।

आशा करता हूँ कि आपको यह वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी पढ़कर आनंद महसूस हुआ होगा।
तब तक के लिए छोटे रंगबाज और मेरी तरफ से आप सभी को नमस्ते।
आपका रंगबाज