पड़ोसन भाभी की बेटी की सीलतोड़ चुत चुदाई- 2

हॉट स्टूडेंट सेक्स कहानी मेरे पास अंग्रेजी पढ़ने आने वाली खूबसूरत लड़की की है. एक दिन मैं घर में अकेला था और वो पढ़ने आ गयी. तब क्या हुआ?

दोस्तो, मैं राज सिंह जयपुर से पुनः आपके सामने हाजिर हूँ. इस हॉट स्टूडेंट सेक्स कहानी में आपको एक जवान लौंडिया के साथ हुए सेक्स की गर्म दास्तान लिख रहा हूँ.
पहले भाग
पड़ोसन भाभी की चूत की चाह
में अब तक आपने पढ़ा था कि निशा मेरे साथ खुलने लगी थी. मैं भी उसे पूरी तरह से पका कर खाने के मूड में था.

अब आगे हॉट स्टूडेंट सेक्स कहानी:

एक दिन सुबह से ही बारिश का मौसम हो रहा था. मैंने आज दिन से ही दारू पीने का प्लान बनाया. बीवी को तो बोल दिया था कि लैपटॉप पर ही काम करना है … आज ऑफिस नहीं जाऊंगा.

सुबह 9 बजे बीवी तो अपने ऑफिस के लिए निकल ली.

मैंने सोचा कि क्यों न एक पटियाला तो अभी ही खींच लूँ. इतने में दरवाजे की घंटी बजी.
दरवाजा खोला, तो सामने निशा को खड़ी पाया.

मैं- आज तो पढ़ने की छुट्टी है न … कल बताया था न तुझे!
निशा- मम्मी आज बाहर गयी हैं, शाम तक आएंगी. उन्होंने ही कहा है कि मैं यहीं पढ़ाई कर लूं. बारिश की वजह से स्कूल भी नहीं गयी.
मैं- ठीक है … तू पढ़ ले, मैं लैपटॉप पर कुछ काम कर लेता हूँ.

निशा शायद अभी नहा कर आई थी. उसके बाल गीले थे इसलिए खुले हुए थे.
खुले बालों में आज वह थोड़ी और खूबसूरत लग रही थी, अपनी उम्र से ज्यादा.

तभी वह कुछ पूछने के लिए मेरे पास आई. मैंने उसे अपनी ही बगल में बिठा लिया.

तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया.

मैं- थोड़ी देर मैं सो लेता हूँ. सर दर्द कर रहा है यार … तू यहीं पढ़ ले.

यह कहकर मैं रूम में जाकर लेट गया.
इतने में ही निशा भी आ गयी.

मैं- क्या हुआ, कुछ पूछना है क्या?
निशा- आपका सर दर्द है तो मैं दबा देती हूं. सही हो जाएगा.

मुझे ऐसे ही मौके की तलाश थी, मैंने कहा- ठीक है थोड़ी देर दबा दो.

वह सिरहाने आकर बैठ गयी और अपने कोमल हाथों से सर को दबाने लगी.
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. मेरा दिल जोर से धड़क रहा था.

मैं सोच रहा था कि आगे बढूं या नहीं. क्योंकि एक तो उम्र में मुझसे बहुत छोटी थी और दूसरी बात यह कि क्या इसके साथ हमबिस्तर होना सही होगा या नहीं.

यही सोचते हुए मैंने अपने एक हाथ से निशा का हाथ अपने हाथ में ले लिया.
निशा ने मेरा सर दबाना बन्द किया और खामोश हो गयी.

मैं- निशा क्या हुआ … रुक क्यों गयी और दबाओ न. मुझे अच्छा फील हो रहा है.

निशा ने वापस मेरा सर दबाना शुरू कर दिया और मैंने उसके एक हाथ को सहलाना शुरू कर दिया. उसका हाथ भी बहुत ही कोमल था.

मैंने नोटिस किया कि अब निशा का हाथ हल्के से गर्म हो रहा था और उस कमरे में मुझे अब निशा की चलती सांसों का अहसास हो रहा था.
मैं बहुत ही हौले से उसका हाथ सहला रहा था. पजामे के अन्दर लंड महाराज अंगड़ाई ले रहे थे.

तभी अचानक से मैंने निशा के हाथ को अपने होंठों से चूम लिया. यह निशा के लिए एक झटका था. उसका कमसिन और कोमल बदन पूरा सिहर गया. लेकिन मैंने नोटिस किया कि निशा ने अपने हाथ को मुझसे छुड़ाने की कोशिश नहीं की. वापस मैंने उसके हाथ की प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.

निशा जिस हाथ से मेरा सर दबा रही थी, अब वहां पर कोई हलचल नहीं थी.

उसने अपने हाथ को बस मेरे सर पर रख रखा था. इस बार मैं धीरे से उसके हाथ को अपने होंठों के पास लाने लगा और कुछ ही दूरी पर थामे रखा.

इस बार उसके हाथ में और मेरे होंठों के बीच न के बराबर फासला था. मैं स्पष्ट महसूस कर सकता था कि निशा का दिल जोर से धड़क रहा था.
लेकिन अभी तक निशा ने अपने हाथ को मेरे हाथ से छुड़ाने की कोशिश नहीं की थी.

मैंने अपना अगला कामदेव का तीर फेंका और निशा के कोमल से हाथ को आराम से चूमा.
इस बार भी निशा हिली लेकिन पहले जितना नहीं.

अब तो मैंने आराम से अपने होंठ खोले और उसके कोमल हाथ को अपने होंठों से चूसने लगा.

कुछ मिनट में ही मैंने उसके उस हाथ की चूस चूस कर गीला कर दिया था.
अभी भी निशा का एक हाथ मेरे सर पर ही था. लेकिन अब निशा के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी, जो मेरे कानों तक भी आ रही थी.

दिल तो कहता था कि आज इसकी कमसिन और कोमल चूत के चिथड़े उड़ा दो … और दिमाग कहता था कि क्या ये लड़की मुझे झेल पाएगी.

मैं- निशा, निशा सुनो न!

मैंने अपनी तेज होती सांसों के साथ उसकी पुकारा लेकिन निशा ने कोई जवाब नहीं दिया.

मैं वापस उसके गीले हाथ को अपने होंठों से चूसने लगा.
एक एक करके मैंने उसकी पांचों उंगलियों को खूब चूसा.

दस मिनट उसकी कोमल उंगलियों को चूस चूस कर अपने थूक से गीला कर चुका था.

मैंने अपनी आंखों को खोल कर देखा तो निशा ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं.
उसकी सांसों के साथ उसके छोटे छोटे उरोज भी ऊपर नीचे होने का अहसास करा रहे थे.

मैंने अपना मुँह थोड़ा सा ऊपर कर लिया था और अब उसके बोबे मेरे होंठों से कुछ मात्र एक इंच की दूरी पर ही थे.
मेरे भी होंठ सूख रहे थे क्योंकि लाइफ में पहली बार इतनी कमसिन जवानी से वास्ता पड़ा था.

धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन पर रख दिया और उसे अपनी तरफ झुकाने लगा.

शुरू में तो निशा ने साथ नहीं दिया, पर हौले से जब मैंने अपना जोर उसकी गर्दन पर बनाया तो वह नीचे झुकने लगी.

करीब करीब मैंने उसे अपनी बगल में लिटा लिया था. उसके लाल सुर्ख होंठ मेरे होंठों के सामने थे. हम दोनों के होंठों के बीच में मात्र नाम का ही फासला था.

निशा की गर्म गर्म सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.
मैंने अपना हाथ, जो उसकी गर्दन पर था … उसको नीचे लाते हुए उसकी पीठ पर ले आया और उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाने लगा.

आज मुझे अहसास हुआ कि निशा भी ब्रा पहनती थी क्योंकि मेरे हाथ अब उसकी ब्रा की पट्टी को महसूस कर रहे थे.

निशा का अब तक रोम रोम खड़ा हो चुका था, जो उसकी तेज चलती हुई सांसों से पता चल रहा था.

मैंने उसकी पीठ पर हल्का सा दबाव बनाया, जिससे हम दोनों के होंठ अब चिपकने ही वाले थे. मैंने हौले से अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया.

न तो मैं हिला … और न ही निशा ने कोई रेस्पॉन्स दिया. दोनों के होंठ चुपचाप एक साथ चिपके हुए थे, बिना हिले-डुले.

निशा एक नए रोमांच से थर-थर कांप रही थी. मुझसे भी अब सब्र करना मुश्किल हो रहा था.

मैंने उसकी पीठ को थोड़ा तेज सहलाना शुरू किया और अगले ही पल अपने होंठों को खोलकर मैंने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए.
उसके पतले और लाल सुर्ख होंठों को मैंने अपने थूक से गीला करना शुरू कर दिया था.

थोड़ी देर बाद निशा के होंठ अपने आप ही खुल गए. अब मैं आराम से उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा था.

निशा ने भी धीरे धीरे अपने होंठों को मेरे होंठों से रगड़ना चालू कर दिया था. मैंने उसे अपने दोनों हाथों से अपने ऊपर ले लिया और वह एक कटी डाल की तरह मेरे ऊपर आ गयी.

मैंने तभी अपने होंठ उसके होंठ से अलग कर दिए.

अब निशा ने अपनी आंखें खोलीं. उसकी आंखें शोले बरसा रही थीं. आंखों में लाल लाल डोरे तैर रहे थे.

मैं- निशा, जब हम ये सब कर ही रहे हैं तो तू बिना झिझक के इस रोमांस के मजे ले. हम दोनों की उम्र क्या है, यह बात भूल जा.

निशा ने पहली बार मुस्कुरा कर अपनी सहमति दे दी.

अब तो मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ा और उसके पतले पतले होंठों को चूसने लग गया. उसने भी अपने होंठों को खोल लिया था.

थोड़ी ही देर में एक अनुभवी की भांति निशा ने भी जोर जोर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. दोनों के मुँह से लार निकल रही थी, जिसको हम दोनों अपने मुँह में ले रहे थे.

आज पहली बार एक किसी कच्ची कली के होंठों का रसपान करते हुए लौड़ा फूल कर मोटा हो गया था, जो निशा की स्कर्ट पर से ही उसकी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था.

कुछ कहने के लिए मैंने अपना मुँह उसके होंठों से हटाया, तो निशा अचरज भरी नजरों से मुझे देख रही थी.

मैं- मेरी जान, इस काम में हम जितना गंदापन करेंगे, हमें उतना ही मजा आएगा. इसलिए खूब मजा ले मेरी रानी, समझी डार्लिंग.
निशा- हां मेरी जान.

उफ्फफ … साली ने जान बोल कर दिल को घायल ही कर दिया.

मैं- निशा अब तू अपने मुँह से मेरे मुँह में अपनी लार गिरा.

निशा ने अपने होंठों को मेरे पास किया और अपनी लार मुझे पिलाने लगी.
मैं हवस का अंधा उसकी लार को पीने लगा.

उसके बाद निशा ने बड़े ही जोश के साथ मेरे चेहरे को पकड़ा और जोर जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी.

हम दोनों ही जहां जगह मिल रही थी, उस स्थान को अपने थूक से गीला करने लगे.
दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.

मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में ले रखा था.
उसके छोटे छोटे बोबे अब मेरे सीने से पिचक गए थे.

उसके उरोजों का अहसास होते ही मैंने एक हाथ सीधे ही उसके बोबे पर रखा और मसल दिया. उसके बोबे का वो नर्म अहसास … आह क्या कहूँ.

निशा- आआ आहह …
उसके मुँह से एक सेक्सी सी सीत्कार निकली.

मैंने उसके बोबे को बेरहमी से दबाना शुरू रखा.
जितना मैं उसके बोबे को दबाता, वह उतनी ही जोर से मेरे होंठों को चबाती.

निशा- आई लव यू जान … ऊऊऊह … उम्म्म्म.
मैं- लव यू सेक्सी डॉल!

निशा- आआहह … मसल दे साले …
मैं- गंडमरी आज मैं तेरी छोटी सी इस चूत को फाड़ दूंगा.
तो निशा बोली- फाड़ दे न मादरचोद.

निशा का यह उत्तर सुनकर अब तो मैं भी पूरे जलवे पर आ गया.
उसको अब मैंने अपने ऊपर से हटाया और सीधे अपने सामने बिठाकर उसके दोनों बोबों को अपने हाथों से मसलने लगा.
इधर निशा अब भी मेरे होंठों को चूसने में लगी थी.

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी गर्दन को चूसने लगा, साथ ही मैं अपने एक हाथ से उसकी चूचियों को भी मसल रहा था.

उसकी गर्दन को चूमते हुए अब मैं उसकी छोटी छोटी चूचियों पर आ गया और टी-शर्ट के ऊपर से ही अपने होंठों से उसकी चूचियों को चूसने लगा.

निशा ने अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर जोर से कस लिया था मानो वह अब जल्दी से जल्दी अपनी चूत में लौड़ा घुसवाना चाहती हो.

मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट को पेट से हल्का सा ऊपर किया, तो उसका चिकना और गोरा पेट मेरी आंखों के सामने था. बहुत ही चिकना पेट था उसका.

उसके पेट पर मैं हौले हौले अपनी उंगलियां चलाने लगा. इससे निशा को गुदगुदी होने लगी थी.

फिर नीचे झुकते हुए मैं अपने होंठों को उसके चिकने पेट पर फिराने लगा. चारों तरफ से उसके पेट को चूस चूस कर मैं गीला कर चुका था.

उधर निशा के दोनों हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे.

अब मैंने उसकी टी-शर्ट को और ऊपर किया, तो नीचे उसकी सफेद ब्रा नजर आई. जिसमें उसके छोटे से चीकू कैद थे.

अपने दोनों हाथों से मैंने उसके चीकू मसलने शुरू कर दिए. मैं बड़ी ही बेदर्दी से निशा के चूचों को मसल रहा था. फिर अपने होंठों को उसकी ब्रा के ऊपर लगाकर उसकी चूचियों को चूसने लगा. एक हाथ से उसके पेट को सहलाना भी जारी रखा.

कुछ मिनट बाद मैंने निशा को उठाया और उसकी बांहों को ऊपर करते हुए मैंने उसके कोमल से बदन से उसकी टी-शर्ट को अलग कर दिया. अब निशा ब्रा में अपने उरोजों को छुपाये मेरे सामने थी. मैं मंत्रमुग्ध होकर उसकी चिकनी और कमसिन काया को निहारने लगा.

निशा की आंखें ऐसी हो रही थीं मानो उसने दारू पी ली हो. लाल सुर्ख और उनमे तैरते वासना के डोरे साफ़ दिख रहे थे.

मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और बेड से नीचे ले आया.
हम दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे. निशा ऊपर से ब्रा में थी और नीचे स्कर्ट था.

स्कर्ट से नीचे देखा तो उसकी गोरी और चिकनी टांगें नजर आईं. मैं नीचे बैठ गया और उसकी टांगों को सहलाने लगा. साथ ही साथ अपने होंठों से उसकी पतली टांगों को चूसने लगा.

निशा खड़ी खड़ी कांप रही थी. पता नहीं उसको डर लग रहा था या हवस के नशे में थी.

चूसते हुए अब मैं उसकी मखमली जांघों तक पहुंच चुका था और मैंने उसकी संगमरमर सी चिकनी जांघों को चूस चूस कर खूब गीला कर दिया था.

लेकिन तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरे मुँह में हल्का सा अजीब सा स्वाद भी आ रहा था. उस स्वाद से मैं समझ चुका था कि निशा ने अपनी चूत का पानी भी छोड़ा था और इतनी बार छोड़ा कि उसकी जांघों तक पहुंच चुका था.

उधर बाहर पानी तेज बरसने लगा था, इधर हमारा प्यार भी अपने चरम पर पहुंच रहा था.

मैंने उसकी जांघों को चूसते हुए एक हाथ से उसकी स्कर्ट का हुक खोल दिया और उसका स्कर्ट रहम की भीख मांगता हुआ उसके पैरों में आ गिरा.

मेरे होंठ अब तक निशा की चड्डी के पास पहुंच चुके थे.
निशा ने चड्डी भी सफेद रंग की ही पहन रखी थी, जो आगे से पूरी तरह गीली थी.

मैंने अपने प्यासे होंठों को जैसे ही उसकी चड्डी पर चुत वाली जगह रखा था … तो मेरे नथुनों में उसकी कुंवारी जवानी की सनसनाती हुई एक तीखी गंध नाक में घुसी.

निशा ने तुरन्त ही अपने हाथों को मेरे सर पर जोर से दबा दिया जैसे कि वह अपनी चूत में मुझे ही घुसा लेना चाहती हो.

दोस्तो, निशा की चुत अब जल्दी ही मेरे लंड का शिकार बन जाएगी. ये सोचते हुए मैं उसकी चुत का रस चाटने लगा.

हॉट स्टूडेंट सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं इस गर्म सेक्स को आगे लिखूंगा. आप मुझे मेल करते रहिएगा.
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हॉट स्टूडेंट सेक्स कहानी का अगला भाग: पड़ोसन भाभी की बेटी की सीलतोड़ चुत चुदाई- 3