हॉट गर्ल बस सेक्स कहानी में मुझे कॉलेज बस में भीड़ में एक लड़की ने खूब मजा दिया. मैंने उसकी चूचियां दबाई, उसकी लेगिंग में हाथ घुसाकर उसकी चूत में उंगली डाली.
दोस्तो, मेरा नाम लव है और मैं 23 साल का हूं.
मेरा घर जोधपुर (राजस्थान) में है.
मैं उधर की एक यूनिवर्सिटी से एलएलबी कर रहा हूँ.
मेरे लंड का साइज काफी अलग है. यह सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है.
पहली बार में ही लड़की या भाभी की तो लंड देख कर गांड फट जाती है कि यह लंड है या आफत.
फिर जब वे मेरे लंड से अपनी चूत का भोसड़ा बनवाती हैं, तब उनकी चूत ‘आह लंड … वाह लंड’ करने लगती है.
इसी लंड की बदौलत मैंने अब तक 12 चूतों की गहराई नापी है और जिसने भी एक बार लंड लिया है, वह दुबारा चुदवाने के लिए जरूर आई है.
चार भाभियां तो मेरे लौड़े की इतनी बड़ी शैदाई हैं कि वे हफ्ते दस दिन में एक बार जरूर मेरे लंड की पूजा करने आती हैं.
सच में उनमें से एक अर्चना भाभी तो बाकायदा लंड को तिलक लगाती हैं उसकी आरती उतारती हैं और उसके बाद उसे चूम कर चूसने लगती हैं.
मुझे भी अर्चना भाभी की लंड पूजा से बड़ा अच्छा लगता है और मैं उनको औरों से कुछ ज्यादा देर तक ही चोदता हूँ.
चलिए लंड की बड़ाई से आगे चल कर आज की सेक्स कहानी का मजा लेते हैं.
दोस्तो, मैंने अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी की साइट पर बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं और मैं इनका बहुत बड़ा फैन भी हूँ.
इसी लिए आज मैंने सोचा कि में भी अपना एक वाकिया आप सभी के साथ साझा कर देता हूँ.
यह हॉट गर्ल बस सेक्स कहानी आज से दो साल पहले की है उस वक्त मेरे दूसरे सेमेस्टर के इम्तिहान चल रहे थे.
मैं रोज सिटी बस से कॉलेज आता जाता था.
एक दिन मैं सुबह घर से निकला और बस के आने का इंतजार कर रहा था.
उधर रोज के आने जाने वाले काफी चेहरे दिख जाते थे तो सबसे दुआ सलाम हो जाती थी.
उन्हीं में से आजकल एक नई लड़की भी आने लगी थी.
वह देखने में गजब की पटाखा आइटम थी.
अभी कुछ ही दिनों से ही वह आने लगी थी तो उससे जान पहचान का अवसर ही नहीं मिला था.
पर यह तय था कि वह खुद ही मेरे पास आ जाएगी.
इतना मुझे अपने ऊपर भरोसा था.
आज वह लड़की अपने रोज के समय पर बस स्टॉप पर आ गई.
मैं उस पर ध्यान नहीं दे पाया.
कुछ देर बाद वह लड़की मुझे अपने एकदम बाजू में खड़ी दिखाई दी.
उसने मुझसे धीमे से हैलो कहा.
मैंने उसकी तरफ देखा तो मैं मन ही मन मुस्कुरा दिया.
मैंने भी उससे हैलो कहा.
उसने पूछा- क्या आज एक भी बस नहीं आई?
मैंने कहा- हां, अभी पहली बस के आने का समय हुआ ही है. शायद एक दो मिनट में आ जाएगी मैडम!
वह बोली- मेरा नाम अनामिका है, मैडम नहीं!
इस तरह से मुझे उसका नाम अनामिका मालूम हुआ.
मैंने भी उसे अपना नाम बता दिया और उसकी तरफ देखने लगा.
तो वह किसी से फोन पर बातें करने लगी थी.
मैं अब उसे ऊपर से नीचे तक देखने लगा.
अनामिका की हाइट साढ़े पांच फीट की थी.
उसके फिगर का साइज 34b-30-36 का था.
उसका यह फिगर मुझे बाद में उसे चोदते समय पता चला था.
अनामिका दिखने में तो ज्यादा सुंदर नहीं थी लेकिन उसका जिस्म बहुत आकर्षित करने वाला था.
उसके तने हुए दूध किसी अजंता की मूरत के जैसे थे और उसकी गांड भी उसी तरह की किसी पत्थर की मूर्ति की तरह बाहर को निकली हुई थी.
मतलब उसकी गांड पर चाय का कप भी आराम से रखा जा सकता था.
उसकी कद्दू सी फूली हुई गांड किसी बूढ़े आदमी का भी लंड खड़ा कर सकती थी.
अनामिका भी बड़ी बेचैनी से बस के आने का इंतजार कर रही थी.
आज बस स्टॉप पर भीड़ भी कुछ काफी थी.
वैसे ही सुबह के वक्त लोग अपने अपने काम पर जाते हैं तो भीड़ रहती ही है और आज कुछ और भी था शायद … इसलिए भीड़ और भी ज्यादा थी.
थोड़ी देर में बस आ गई और हम सब बस में चढ़ गए.
भीड़ होने के कारण सब एक दूसरे से चिपके हुए थे.
तभी मैंने ध्यान दिया कि वह लड़की अनामिका एकदम मेरे साथ में मेरे सामने मुँह करके खड़ी थी और मेरा हाथ उसके हाथ को छू रहा था.
मैंने अपनी नजर हटाई और दूसरी तरफ देखने लगा.
हमारे शरीर चिपके हुए थे जिस वजह से हम दोनों को एक दूसरे के शरीर की गर्मी महसूस हो रही थी.
तब भी हम दोनों आपस में नजरें नहीं मिला पा रहे थे.
तभी आगे के स्टॉप से कुछ और लोग बस में चढ़ गए और भीड़ की वजह से वह मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपक गई.
अब उसके बूब्स मेरे सीने से इतने अधिक चिपक गए थे कि हवा भी ना निकल पाए.
मुझे जब यह अहसास हुआ, उतने में मेरा लंड नीचे उसकी टांगों के बीच वाले बिल में दस्तक देने लगा.
मैंने जैसे तैसे करके खुद को संभाला और उससे थोड़ा दूर होने की कोशिश करता हुआ सीधा खड़ा हो गया.
वह भी सीधा मुँह करके उस तरफ को घूम गई.
थोड़ी देर बाद बस में फिर से हलचल बढ़ी और वह वापस मुझसे चिपक गई.
इस बार चूंकि उसने अपने मुँह दूसरी तरफ कर लिया था तो उसकी बड़ी सी तरबूजी गांड सीधा मेरे लंड पर आकर टिक गई.
उसकी गांड की दरार में मेरे लंड ने घुस कर जायजा लिया ही था कि मेरे अन्दर जैसे ज्वालामुखी फट गया.
मेरा लंड एकदम टाइट हो गया और ऐसा लगने लगा कि अब मामला गड़बड़ हो सकता है.
लंड की सख्ती का शायद उसे भी अहसास हो गया था.
मैंने पैंट शर्ट पहना हुआ था, जिस वजह से मेरा लंड सीधा उसकी गांड के छेद पर जा रहा था.
पर उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया और वह सीधी खड़ी रही.
मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही रहा.
फिर जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपने लंड का उसकी गांड में थोड़ा सा और दबाव बना दिया.
उसको जैसे ही यह महसूस हुआ, मैंने देखा कि उसका मुँह थोड़ा सा खुल गया और वह अपने होंठों पर जीभ घुमाने लगी.
फिर वह पीछे मुड़ी और मेरी तरफ देखकर हंस दी.
उसने अपनी गांड से मेरे लंड पर एक झटका सा मारा.
उसकी इस हरकत से मेरी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहा.
मैं अन्दर ही अन्दर ही बहुत खुश हो रहा था कि आज तो सुबह सुबह ही मजा मिल गया.
फिर मैंने इधर उधर अपना मुँह घुमाया और देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है.
बस में भीड़ होने के कारण किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
हमारे चारों तरफ लोग खड़े थे.
फिर मैंने थोड़ी सी हिम्मत की.
चूंकि मेरा रास्ता साफ हो गया था, मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसकी कमर पर रख कर थोड़ा सहला दिया.
जैसे ही मैंने हाथ रखा, उसने पीछे देखा और फिर से थोड़ा हंसी.
साथ ही उसने अपनी गांड को लंड पर कुछ और दबा दिया.
मैंने लंड को आगे किया तो उसने पीछे मुँह करके नीचे की तरफ इशारा किया.
मैं अपना हाथ धीरे से उसकी गांड पर लेकर जाने लगा और अपने लंड को आगे की तरफ दबाने लगा.
जैसे ही मैं खुद को आगे की तरफ धकेलता, उसका मुँह खुल जाता और वह खुद को पीछे कर देती.
इसी तरह से धीरे धीरे मैं उसकी गांड दबाने लगा.
उसकी गांड इतनी मुलायम थी, जैसे मैं किसी रुई वाले गद्दे पर हाथ घुमा रहा हूँ.
उसे भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.
उस दिन मैं अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी मुलायम गांड को लंड से छू रहा था.
मैं बस यह चाहता था कि ये वक्त यहीं रुक जाए.
उसे भी अब मजा आने लगा था. सो यह चलता रहा.
फिर थोड़ी देर में मुझे अहसास हुआ कि मेरे लंड पर किसी ने स्पर्श किया है.
जब मैंने सर नीचे करके देखा तो वह अपने हाथ से मेरे लंड को दबा रही थी.
उसकी आंखें अब बंद होने लगी थीं.
मेरे मुँह से अपने आप धीरे धीरे आह आह निकलने लगा था और शरीर में बस एक अलग ही तरंग दौड़ रही थी.
वह मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड में घुसाने लगी थी.
शायद उसका भी मेरे जैसा ही हाल था.
पर भीड़ में होने के कारण हम दोनों ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे.
फिर मैंने धीरे से अपना हाथ उसके आगे ले जाकर उसके बूब्स को सहलाया और धीरे धीरे दबाने लगा.
काफी समय तक मैं उसके बूब्स को अपने हाथ में लेकर खेलता रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने ऊपर से ही उसके एक दूध के चूचुक पर अपनी दो उंगलियों को रख कर निप्पल को सहलाया और धीरे धीरे से मींजने लगा.
अब उसकी सांसें तेज होने लगी थीं और वह मुझसे इतना ज्यादा चिपक चुकी थी, जैसे वह मेरे अन्दर ही घुस जाएगी.
एक तरह से उसने अपने वजन को मेरे ऊपर लाद सा दिया था.
उसका हाथ लगातार मेरे लंड पर घूम रहा था और मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच चुका हूँ, ऐसा लग रहा था.
फिर मैंने धीरे से अपना हाथ आगे की तरफ ले जाकर उसकी चूत पर रख दिया.
उसके पूरे शरीर में जैसे आग लग गई हो.
वह पागल हो गई और खुद को मेरी तरफ करती हुई अपने हाथ को मेरे हाथ पर रख कर दबाने लगी.
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लेगिंग के अन्दर डाल दिया.
जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर लगा, वह अकड़ने लगी.
मुझे समझ आ गया था कि अब इसका पानी निकलने वाला है.
उसी वक्त उसने अपना हाथ वापस पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और अपने हाथ में लेकर जोर से दबा दिया.
इस बार उसने लंड को न जाने क्या समझ कर मसला था कि मेरे मुँह से हल्की सी आह की चीख निकल गई.
पर बस में भीड़ के कारण किसी को सुनाई नहीं दिया क्योंकि पहले से बहुत शोर हो रहा था.
मेरी आवाज सुनते ही उसने अपना हाथ हटाया और हंसने लगी.
बस सेक्स करते हुए अब तक उसका पानी निकल चुका था.
जिस वक्त उसने लंड को दबाया था शायद उसी वक्त उसकी चूत ने पानी छोड़ा था.
मेरा पूरा हाथ उस हॉट गर्ल की चूत के पानी से भर चुका था.
मैंने जल्दी से हाथ बाहर किया और रूमाल से साफ करके वह रूमाल बैग में डाल दिया.
अब हम दोनों कॉलेज के करीब पहुंच चुके थे इसलिए हमने खुद को ठीक किया और सीधे खड़े हो गए.
फिर जब हमारा स्टॉप आया तो नीचे उतर कर मैंने उसे अपना मोबाईल पकड़ा दिया.
वह मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने नंबर के लिए कहा.
उसने हंस कर अपना नंबर डायल कर दिया और इस तरह से हम दोनों ने एक दूसरे के नंबर ले लिए थे.
उसने मुझको बाय कहा और हम दोनों अपने अपने रास्तों पर निकल गए.
उसको मैंने कैसे चोदा, वह अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा कि कैसे मैंने होटल में ले जाकर उसकी गांड मारी और 15 दिन तक हम दोनों के बीच चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा.
ये हॉट गर्ल बस सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं.
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