मकान मालकिन की बेटी ने किराये में लिया लंड

गरम लड़की की सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं मकान मालकिन की बेटी की मदद किरायेदारों से किराया वसूल करने में रहा था. जब मेरी बारी आयी किराया देने की तो …

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका राज शर्मा स्वागत करता हूं फ्री हिन्दी सेक्स कहानी साइट अन्तर्वासना पर।

फ्रेंड्स, मैं गुड़गांव में रहता हूं और मेरे लंड का साइज 7 इंच से कुछ ऊपर है. सेक्स करने का मुझे बहुत शौक है और चूतों के इंतजार में मेरा लौड़ा झांटें बिछाये खड़ा रहता है.

अब मैं गरम लड़की की सेक्स स्टोरी पर आता हूं.

जैसा कि आप जानते हैं कि गुड़गांव जाटों का शहर है. मैं भी एक जाटनी आंटी के घर में किराए पर रहता था. ये वही आंटी हैं जिनकी बिल्डिंग में मैंने रेखा आंटी की चुदाई की थी.
इन्होंने एक बिल्डिंग बनाकर पूरी किराये पर चढ़ा रखी है.

आंटी की उम्र 56-57 साल के करीब होगी। आंटी के पति की मौत हो चुकी थी. अब उसके घर में वो, उसकी सास, एक बेटा और एक बेटी थी.

उसकी दो बेटियों की शादी हो चुकी थी. वो अपने ससुराल में थी। उसकी सबसे छोटी बेटी अभी 19 साल की हुई थी।

रेखा आंटी की चुदाई की कहानी मैं आप लोगों को बता चुका हूं. रेखा आंटी बिहार गयी थी. मैंने 20 दिन से चूत के दर्शन भी नहीं किए थे। अब मेरा मन चूत मारने का बहुत ज्यादा हो रहा था.

बिल्डिंग की मालकिन आंटी भी मस्त माल थी.

मकान का किराया लेने हमेशा उसका बेटा आता था लेकिन वो अपनी बहन के ससुराल गया था तो इस बार सुमन आई.
सुमन उसकी बेटी का नाम था.

वो आकर कहने लगी कि उसकी मां ने कहा है कि राज के साथ मिलकर बिल्डिंग का किराया ले लेना.

दरअसल मैं इस बिल्डिंग में पुराना किरायेदार था और आंटी मुझ पर भरोसा करती थी.

मैं बोला- ठीक है, मैं चलता हूं. अभी चाय बना रहा हूं. तुम पीओगी?
वो बोली- ठीक है.
फिर वो भी वहीं बैठ गयी.

मैंने चाय बना दी और दोनों पीने लगे. उसके बाद हमारी बातें होने लगीं.

उसके बाद हम उठे और एक एक करके बिल्डिंग वालों से किराया वसूलने लगे.
आधे मर्द लोग तो ड्यूटी पर जा चुके थे, उनकी बीवियां बोलीं- शाम को आ जाना.
उसके बाद सुमन पैसे लेकर चली गयी.

मैं भी आकर रूम में लेट गया और तभी रेखा आंटी का फोन आ गया.
वो बोलीं- मैं 15 दिन अभी नहीं आ पाऊंगी.

आंटी की आवाज सुनकर ही मेरे लंड में हलचल होने लगी. मैं लंड की मालिश करते हुए आंटी से बात करने लगा.

उसके बाद दो-चार बातें करके आंटी ने फोन रख दिया.

मैंने सोचा कि आंटी की चूत अभी 15 दिन से पहले नहीं मिल सकती.

अब मेरे मन में सुमन के खयाल आने लगे. मैं सोचने लगा कि सुमन को बिस्तर पर कैसे लाया जाये?

उसी के बारे में सोचते सोचते मैं मुठ मारने लगा और फिर पानी निकाल कर ही मुझे शांति मिली.
मैं फिर सो गया.

कुछ देर बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया. मैंने दरवाजा खोला तो सुमन खड़ी हुई थी.

वो बोली- तुम्हें मां ने नीचे बुलाया है.
मैं उठकर उसके साथ चल दिया.

फिर आंटी के पास जाकर पूछा तो वो बोली- राज बेटा, मैं रोहतक जा रही हूं. बड़ी लड़की (संगीता) की तबियत बिगड़ गयी है. मुझे कुछ पैसे भी चाहिए हैं. क्या तुम अभी 15000 रुपये दे सकते हो? बाद में सुमन तुम्हें लौटा देगी.

मैं बोला- जी आंटी.
उसके बाद मैं रूम में आया और बीस हजार रुपये लाकर आंटी को दे दिये.
फिर हमने उनको ऑटो में बैठाया और अलविदा किया.

मैं अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. सुमन पर लाइन मारने का अच्छा मौका था मेरे पास.

अब मैं शाम होने का इंतजार करने लगा. शाम को सुमन आई और हम किराया वसूलने लगे.

ऐसे ही एक बार मेरा हाथ उसकी गांड से टच हो गया.
मैंने उसको सॉरी बोला और वो मुस्करा कर बोली- कोई बात नहीं.

फिर मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गयी. मैंने एक दो बार बहाने से उसके चूतड़ों को छू लिया. वो कुछ नहीं बोल रही थी. फिर हम किराया लेकर नीचे आने लगे. सीढ़ियों से उतर ही रहे थे कि अचानक लाइट चली गयी.

उसने एकदम से मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे से सट गयी.
उसको अंधेरे से डर लग रहा था.

साथ ही हम सीढ़ियों पर थे तो अंधेरे में गिरने का भी डर था. मेरा तो लंड खड़ा हो गया.

वो बोली- अब क्या करें?
मन ही मन मैंने कहा- चलो चुदाई करते हैं.
फिर मैं बोला- कोई बात नहीं दो-चार मिनट इंतजार कर लो, क्या पता लाइट आ जाये?

उसने कहा- ठीक है.
फिर हम वहीं खड़े रहे. दरअसल तीन मंजिला बिल्डिंग थी तो सीढ़ियां काफी थीं और चढ़ाव बिल्कुल खड़ा था. वहां पर गिरने का बहुत डर था.

जब पांच मिनट इंतजार करने के बाद भी लाइट नहीं आई तो हमने धीरे धीरे उतरने का फैसला किया.
वो बोली- मुझे संभाल लेना. मुझे डर लग रहा है.
मैं बोला- टेंशन मत लो. आराम से पैर नीचे रखना शुरू करो.

मैंने सुमन को कंधे से संभाल लिया.
वो नीचे पैर रखने लगी और साथ ही मैं भी उतरने लगा.
उसने मेरी पैंट की जेब से मुझे पकड़ा हुआ था. एक तरफ मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा था.

फिर हम धीरे धीरे सीढियां उतरने लगे.

मेरा हाथ अब उसकी बाजू के पास उसकी चूचियों के करीब पहुंच चुका था. मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूची बहाने से दबा ही दूं.

मैंने हिम्मत करके उसकी चूची को साइड से छेड़ दिया.
जब वो कुछ नहीं बोली तो मैंने एक दो बार उसकी चूची हल्की सी दबा भी दी.

अब आगे जो हुआ वो मुझे हैरान कर गया.
उसने बहाने से मेरे लंड की ओर हाथ मारा और उसका हाथ मेरे लंड से छू गया.
मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया.

आग दोनों ओर लगी थी.
मेरा मन कर गया कि इसको यहीं दीवार से सटा कर चूस लूं.

दो चार सीढ़ियां उतरने के बाद मैंने फिर से चूची को सहलाया और उसने फिर से मेरे लंड को छू लिया.
मुझे लगा कि ये अब लंड भी पकड़ लेगी.

मगर तभी लाइट आ गयी और हम दोनों एकदम से अलग हो गये.
उसके चेहरे पर भी थोड़ी घबराहट दिख रही थी.

उसके बाद हम नीचे उतर कर आ गये.

मेरे लंड को मैंने पैंट में दबा लिया था. नीचे पहुंचे तो उसकी दादी सो चुकी थी.
वो बोली- मैं यहां अकेली हूं राज. क्या तुम एक रात के लिये नीचे सो सकते हो?

ये सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूट गये.
मैं बोला- हां, इसमें क्या बड़ी बात है. मैं सो जाऊंगा. बस मैं खाना खाकर आता हूं. फोन भी ऊपर ही पड़ा हुआ है रूम में.

वो बोली- तुम यहीं खा लेना. बस फोन ले आओ. मुझे अकेली को यहां डर लग रहा है.
मैं बोला- ठीक है.
वो बोली- रुक मैं भी चलती हूं.

फिर हम दोनों ऊपर जाने लगे.

रास्ते में वो कहने लगी- तेरा किराया तो मैंने अभी लिया ही नहीं.
मैं बोला- अभी लेगी क्या?
वो बोली- अभी देना है तो दे दो. ले लूंगी.

मैं बोला- पूरा ही लोगी?
वो बोली- आधा कौन देता है? सब पूरा ही देते हैं.
उसकी बातों से ही मेरा तो लंड फटने को हो गया. मुझे नहीं पता था कि वो इतने खुले विचारों की है.

फिर रूम में जाकर मैंने अपना सामान व्यवस्थित किया. फिर मैं फोन उठाकर चलने लगा तो फिर से लाइट चली गयी.

सुमन एकदम से मेरे करीब आकर मुझसे सट गयी.
मैंने हिम्मत करके उसको अपने आगोश में ले लिया और उसने भी मेरी कमर में बांहें डाल दीं.

हमारे होंठों को मिलते देर न लगी. मैं उसको बांहों में लेकर अच्छे से चूमने लगा.

वो भी पूरा साथ देने लगी. मैंने एक हाथ उसकी टी-शर्ट में डाल दिया और बूब्स दबाने लगा.

सुमन जल्दी गर्म हो गई. सिसकारियां भरने लगी.

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा निकाल दी.

अब उसके बूब्स मेरे हाथों में थे. मैं उसकी चूची दबाने लगा तो वो सिसकारने लगी और कसमसाती रही.
कुछ देर बाद वो खुद ही बोल पड़ी- यहीं खड़ी रखोगे क्या?

मैंने फोन की टॉर्च जलाकर दरवाजा बंद किया और फिर उसको गोद में उठाया और बेड पर ले गया.

तभी लाइट आ गई. उसे बिस्तर में लिटा कर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके बूब्स चूसने लगा.
उसकी आंखें बन्द हो गईं और सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और उसकी सलवार के नाड़े को खोल कर नीचे कर दिया.

पैंटी के ऊपर से मैं उसकी चूत मसलने लगा। अब वो पूरी तरह तैयार हो गई थी.

मैंने पैंटी उतार दी और उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगा.
वो गाली देने लगी और बोली- बिहारी … भोसड़ी वाले … जल्दी से अपना लौड़ा डाल. मेरी चूत में आग लगी है.

मैं बोला- रूक जा जाटनी … बिहारी बोल रही है. अभी तेरी चूत की बैंड बजाता हूं.
उसकी चूत में जैसे ही मैंने उंगली डाली तो वो उछल पड़ी.

मैंने उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी.
वो मचलने लगी.

मैं तेजी से उंगली करने लगा और वो तड़प गयी. वो अपनी चूत को ऊपर नीचे करने लगी.
दो-चार मिनट के बाद ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

मेरा लंड खड़ा था और मैंने उसके मुंह में लंड देने की कोशिश की.
वो मना करने लगी तो मैंने उसके गाल भींचकर उसके मुंह को खुलवाया और लंड उसमें दे दिया.
फिर वो चूसने लगी.

मैं उसके मुंह में झटके देने लगा. साली पूरी रंडी निकली. झटके पूरे बर्दाश्त कर रही थी.
कुछ देर बाद वो लंड को लॉलीपोप के जैसे चूसने लगी.
मुझे भी मजा आने लगा.

इसके बाद मैंने कॉन्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया. मैंने उसको कॉन्डोम चढ़ाने को बोला.
उसने मेरे लंड पर कॉन्डोम चढ़ाया और फिर से लेट गयी.

मैं उसके ऊपर आ गया और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया.
मेरे लंड को पकड़ कर उसने अपनी चूत पर सेट कर लिया.

मैंने तुरंत एक झटका दे दिया और पूरा लंड एक ही बार में घुसा दिया.
उसकी चीख से कमरा गूंज उठा.

मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया.
उसकी चूत से हल्का सा खून बाहर आ गया.
मैंने बोला- पहले नहीं लिया क्या तूने?
वो दर्द में कराहते हुए बोली- आह्ह … लिया है कमीने लेकिन इतना मोटा और लंबा नहीं … आईई … मम्मी … फाड़ दी तूने मेरी.

फिर मैं उसको किस करने लगा. उसकी चूची पीने लगा.

धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और मैंने उसकी चूत मारना शुरू कर दिया.
अब उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.
उसे दर्द हो रहा था. वो रोने लगी.

मैंने लंड बाहर निकाल लिया और बैग से तेल की शीशी निकाली.
लंड को चिकना करके मैंने चूत में तेल की बूंदें डालीं और ऊपर आ गया.

धीरे से मैंने अपना लौड़ा चूत में घुसा दिया और फिर से चोदने लगा.
अबकी बार मैंने कॉन्डम नहीं लगाया.

धीरे धीरे उसकी सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने लंड को चलाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चोदने लगा.

चोदते हुए मैं बोला- जाटनी … बिहारी लंड का कमाल देख लिया?
वो बोली- हां, अब चोद ले. बकचोदी मत मार।
मैंने झटके तेज कर दिये.

मुझे गुस्सा आ गया और लन्ड को तुरंत चौथे गियर में डाल दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
मैं बोला- आज ये बिहारी तेरी मां चोद देगा.

अब हर झटके में उसकी चीख तेज होने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने लंड निकाल लिया और उठ गया.
वो बोली- रुक जरा.

फिर वो उठी और किचन से एक गिलास दूध लाई और अपने हाथ से पिलाने लगी. फिर उसने खुद भी थोड़ा दूध पीया.

मैंने उसको फिर नीचे बैठाया और उसके मुंह में लंड दे दिया.

वो लौड़ा चूसने लगी और मैं उसकी चूचियां मसलने लगा. मैंने फिर से कॉन्डोम लगा लिया था. अबकी बार मैं खेल खत्म कर देना चाहता था. मैंने उसको दोबारा बेड पर पटका और उसकी चूत में लंड पेल दिया.

उसकी फिर से चीख निकल गयी. मैं ताबड़तोड़ उसकी चूत चोदने लगा. कंडोम के दानों ने उसकी मखमली चूत में हलचल मचा दी.

धीरे धीरे अब मेरा लौड़ा गर्म हो गया और लन्ड ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.
उसकी सिसकारियां और तेज हो गयीं- उऊऊ … ईईई …. अहहह … सीईईई … करते हुए वो चुदने लगी.

इससे मेरे लौड़े में और जोश आ गया.
अब सुमन भी धीरे धीरे लंड के धक्कों का जवाब देने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसको उठाया और लंड पर बैठने को कहा.
फिर उसने चूत को लंड पर रखा और बैठकर लंड अंदर ले लिया. लंड पर बैठ कर वो जन्नत की सैर पर निकल पड़ी.

मैंने सुना था जाटनी लड़कियां बहुत चुदक्कड़ होती हैं और आज मेरा लौड़ा एक जाटनी की चीख निकाल रहा था।

सुमन का शरीर अकड़ने लगा और उसकी चीख के साथ उसकी चूत का पानी भी निकल गया.

मेरा लंड उसकी चूत के गर्म पानी से भीग गया.

अब चुदाई में फच … फच … की आवाज होने लगी और पूरा कमरा गूंज उठा.
मैं लंड को गपागप अंदर बाहर कर रहा था.

अब मैंने लंड निकाल कर सुमन को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी मखमली गुलाबी चूत में लन्ड रगड़ने लगा.
मेरा लंड फिसलता हुआ सुमन की चूत में घुस गया.
मैंने फिर से उसको चोदना शुरू कर दिया.

होंठों को मैंने उसके होंठों पर कस दिया और धक्के देते हुए उसको चूसने लगा.
अब दोनों अपने चरम पर पहुंच गए और हर झटके से दोनों की सिसकारियों की आवाज़ तेज होने लगी.

मैंने बोला- मेरा लौड़ा आज रूम का किराया दे रहा है।
वो बोली- बिहारी भोसड़ी वाले … जल्दी से निकाल दे. कितना किराया देगा? मेरी चूत भर दी है तूने.

अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने लंड की रफ्तार तेज कर दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा.

थोड़ी देर बाद सुमन की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया.
मैंने झटके मारने जारी रखे और मेरे लौड़े से ज्वालामुखी फूट पड़ा.

वीर्य उसकी चूत में कॉन्डोम में भरने लगा और मैं उसके ऊपर निढ़ाल हो कर गिर गया.

थोड़ी देर बाद मैंने लंड को निकाल लिया और दोनों बाथरूम गये. वहां हमने एक दूसरे को साफ़ किया।
फिर वापस बिस्तर पर आ गये.

सुमन भी बहुत खुश थी.
वो बोली- राज, तू बहुत मस्त चोदता है.

सुमन मेरे लंड को पकड़ कर खेलने लगी.
मैंने कहा- मुझे भूख लगी है साली. सारी ताकत तेरी चूत में निकाल दी मैंने.

उसने कहा- तो चल नीचे, खाना खाते हैं.
फिर हम नीचे आये और साथ में खाना खाया.

उसकी दादी सो रही थी. उसके बाद हम एक ही रूम में सोये और रात को मैंने दो बार फिर से उसकी चूत मारी.
फिर हम सो गये.

सुबह मैं जल्दी वहां से निकल कर ऊपर आ गया.

उस दिन फिर उसकी मां वापस आ गयी. मगर अब हमारा टांका सेट हो गया था.

एक दिन की बात है कि मैं अपने रूम में था. उस दिन मेरी छुट्टी थी.
मैं बेड पर लेटकर सेक्स कहानी पढ़ रहा था और लंड को सहला रहा था।

मैंने ध्यान नहीं दिया और सुमन गेट पर खड़ी देख रही थी। मैंने तेल की बूंदें लंड पर डाली और लन्ड को धीरे धीरे हिलाने लगा.

आनंद में मैंने आंखें बंद कर लीं.

शाय़द गेट लॉक नहीं था.
सुमन धीरे से अंदर आ गई मैं मस्त होकर लंड को धीरे धीरे हिला रहा था।
उसने चुपके से गेट बंद किया और मेरे पास आ गयी.

अचानक से मेरे लौड़े पर दूसरा हाथ आ गया. झटके से मैंने आंखें खोलीं तब तक सुमन ने मेरे लौड़े को मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

मैंने कहा- तू कब आई?
उसने लंड को निकाल लिया और बोली- जब से तुम लंड को निकाल कर हिला रहे थे. इस तरह दरवाजा खोलकर करोगे तो कोई भी आ जायेगी.

इतना बोलकर वो फिर से लंड को चूसने लगी. मैंने उसको बेड पर ऊपर लिया और उसको नंगी करके खुद के कपड़े भी निकाल लिये. मैं उसकी चूत को चाटने लगा.

वो जोर से सिसकारियां भरने लगी- आह्ह … ऊह्ह … ओह्ह … राज … और अंदर तक … आह्ह … अम्म … चाटो … चूसो .. ओह्ह … पी लो इसको।

उसकी चूचियां दबाते हुए मैं कई मिनट तक उसकी चूत को जीभ से चोदता रहा.

फिर मैंने देर न करते हुए अपना लौड़ा उसकी मखमली गुलाबी चूत में घुसा दिया और झटके मारने लगा.
वो भी गांड उठा उठाकर चुदाई करवाने लगी।

मैंने अपने लौड़े को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करना शुरु कर दिया और वो भी मजे से चुदने लगी.

हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे.
अब रूम में चुदाई की आवाज़ तेज होने लगी.

पांच-सात मिनट की चुदाई में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेरे लंड को पूरा गीला कर दिया. अब पच-पच … फच-फच … की आवाज होने लगी.

वो जोश में बड़बड़ा रही थी- आह्ह … राज … चोदो मुझे … मैं तेरी दुल्हन हूं।
मैंने जाटनी की चूत में पूरा लन्ड घुसा दिया. तेज़ तेज़ झटके मारते हुए मैंने लंड की रफ्तार बढ़ा दी और गपागप लंड को अंदर बाहर करने लगा.

सुमन अब जन्नत में पहुंच गई और हर झटके का जवाब देने लगी।
अब दोनों चुदाई का भरपूर मज़ा ले रहे थे. मैंने उसके होंठों को काटना शुरू कर दिया. वो भी मेरे होंठों को खाने लगी.

वो एकदम से मेरे शरीर से चिपक गई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब फिर से पच पच … की आवाज रूम में तेज गूंजने लगी.

लंड पर कॉन्डोम नहीं था और मैं अब झड़ने वाला था. तो मैंने सुमन से बोला कि मैं झड़ने वाला हूं.
वो बोली- अंदर पानी मत निकालना.

बाहर निकाल कर लन्ड को मैंने उसके मुंह में डाल दिया और वो चूसने लगी.
मैंने उसके मुंह में झटके मारने शुरू कर दिए और एकदम से मेरे लौड़े ने पानी छोड़ दिया.

सुमन ने मेरा सारा माल पी लिया. उसने लंड को चूसकर साफ कर दिया.

फिर मैं नंगा ही लेट गया. वो उठी और अपने कपड़े पहन कर गेट बंद करके चली गयी.

इस तरह से मकानमालकिन आंटी की बेटी की चुदाई करके मैंने पूरा मजा लिया.
दोस्तो, गरम लड़की की सेक्स स्टोरी आपको पसंद आई होगी. तो मुझे जरूर बताना. मैंने अपना ईमेल का पता नीचे दिया हुआ है.
धन्यवाद।
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