बहन की मालिश और कुंवारी चुत की चुदाई- 1

देसी दीदी की सेक्स कहानी में पढ़ें कि दीदी और मैं मुंबई के फ्लैट में अकेले रह कर पढ़ रहे थे. एक बार दीदी को बुखार हुआ तो मैंने उनकी पूरी सेवा की, मालिश की.

दोस्तो, आपने मेरी पहली सेक्स कहानी
चचेरी बहन को चोदा बस के स्लीपर बॉक्स में
पसंद की. धन्यवाद.

यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी मेरे साथ रियल में घटित एक घटना पर आधारित है. मुझे विश्वास है कि यह देसी दीदी की सेक्स कहानी भी आपको अच्छी लगेगी.

मेरा नाम रमेश है. हमारे घर में हम 5 लोग हैं. मैं, मम्मी, पायल, पापा, दादी.

मेरी बहन नीलम मुझसे दो साल बड़ी है. वैसे हमारे घर में सब लोग एकदम सुंदर लगते हैं.
कोई भी हमारे घर आता तो वो हमारे परिवार से मिल कर बड़ा खुश होता.

हम लोग बहुत अमीर तो नहीं हैं, लेकिन एकदम मिडिल क्लास भी नहीं हैं.

हमारी जरूरत को बिना रोक-टोक के पूरी हो जाती है ताकि हम लोग मौज मस्ती से जी सकें, इतनी आय है.

घर में कमाने वाले अकेले पापा हैं.

हम लोग वैसे तो महाराष्ट्र के थे, लेकिन सूरत में पापा का बिजनेस था. हमारा कपड़ों का बिजनेस था. मैं सूरत में ही पला बढ़ा हुआ हूं.
मैंने 12 वीं स्टैंडर्ड तक सूरत में पढ़ाई की और मेरी दीदी ने भी 12 वीं तक की पढ़ाई सूरत में ही की थी.

बहन मुझसे पढ़ाई में आगे थी. उसने मुंबई में कॉलेज में एडमिशन लिया था.
फिर जब मैं कॉलेज में पहुंचने को हुआ, तो मैंने भी पापा से बात की कि मैं भी दीदी के साथ मुंबई में कॉलेज की पढ़ाई करूंगा.

पापा ने मुझे भी उधर ही दाखिला दिला दिया.

जब मैं कॉलेज के फर्स्ट ईयर में था, तब दीदी आखिरी साल में थीं.

मैं कॉलेज के लिए मुंबई गया, तब दीदी वहां अकेली रहती थीं.

दीदी वहां पर किराए के फ्लैट पर रेंट से रहती थीं.
जब मैं वहां गया, तो मैंने व दीदी ने रूम चेंज करने का सोचा क्योंकि उस फ्लैट में एक बेडरूम और एक किचन ही था.
हम दोनों भाई बहन को रहने के लिए थोड़ी दिक्कत हो रही थी.

पापा से बात करके हमने टू-बीएचके वाले फ्लैट के लिए रिक्वेस्ट की.
तो पापा ने कहा- तुम दोनों पढ़ाई में ध्यान दो. मैं तुम्हारे लिए खुद का टू-बीएचके देख लेता हूं.

पापा ने एक महीने में एक टू-बीएचके का फ्लैट हमारे लिए खरीद लिया और हम दोनों वहां पर शिफ्ट हो गए.

जब हम इस नए फ्लैट में रहने आए तो वहां पर हमारी जरूरत का और सामान पापा ने लेकर रख दिया था.

मेरा और नीलम का अलग-अलग बेडरूम था.
हॉल के अन्दर टीवी, सोफा था. किचन का सामान आदि सब कुछ सैट हो गया था.

अब हमें कोई टेंशन नहीं थी. हम लोग खाना घर पर ही बनाते थे.
दीदी खाना बना लेती थी.

मेरी और दीदी की बहुत अच्छी बनती थी लेकिन कभी कोई गलत विचार या नजरिया नहीं था.

फिर एक दिन ये हुआ कि दीदी की तबीयत खराब हो गई.
मैं दीदी को लेकर दवाखाने ले गया … और उधर से दवाई लेकर घर पर आ गए.

मैंने बहन से कहा- तुम आराम करो. मैं तुम्हारे लिए कुछ फल ले आता हूँ.
उसने कहा- जूस ले आना.

मैं दीदी के लिए फ्रूट जूस लाया लेकिन नीलम दीदी जूस पीने के लिए भी मना करने लगी थी.

उसने कुछ खाया नहीं था और खाली पेट दवा देना भी ठीक नहीं था.
मैंने जबरदस्ती उसे बिस्कुट खिलाए और जूस पिलाया.

फिर मैंने उसे दवाई दी और मां को कॉल करके बताया कि दीदी की तबीयत खराब है.
मां ने नीलम दीदी से बात की और मुझसे भी बात की.

मां ने कहा कि तुम उसका ध्यान रखना.
जब तक तबीयत सही नहीं हो जाती, तब तक मां ने हम दोनों को कॉलेज जाने से मना कर दिया.
मां ने फोन रख दिया.

मैंने दीदी से कहा- तुम आराम करो, कुछ चाहिए हो तो मुझे कॉल करना या आवाज दे देना.
ये कह कर मैं अपने रूम में चला गया.

शाम को मैंने दीदी को उठाया और चाय दी.
दीदी ने कहा- थैंक्यू.

मैंने कहा- इसमें थैंक्यू की क्या बात है? तुम रोज मुझे चाय पिलाती हो. आज तुम्हारी तबीयत खराब है तो मैं इतना तो कर ही सकता हूं.
इतना बोल कर मैं उसके बाजू में बैठ गया.

मैंने उससे पूछा- कैसी तबीयत है?
दीदी ने बताया- अभी तक तो दवाई का कोई असर नहीं हुआ लगता है. मुझे कुछ फर्क नहीं लग रहा है.
मैंने उससे कहा- अभी एक बार दवाई और ले लोगी ना … तो रात को थोड़ा अच्छा लगेगा.

वो हूँ करके रह गई.

मैंने उससे पूछा- तुम अभी क्या खाओगी?
उसने कहा- यार इस बीमारी से तो मेरा मूड खराब हो गया है. मैं कुछ खा नहीं पाऊंगी.

मैंने उससे कहा कि दवाई के लिए थोड़ा बहुत तो खाना पड़ेगा. मैं कुछ बाहर से आर्डर कर देता हूँ.
उसने कहा- मैं बहुत कम खाऊंगी.

मैंने दाल तड़का, जीरा राइस और थोड़ा नाश्ता जैसा खाना ऑर्डर कर दिया.

खाना खाने के बाद मैंने दीदी को दवाई खिला दी और कहा- अब तुम आराम करो.
दीदी ने हां कहा और सोने लगी.

मैंने जाते-जाते उससे कहा कि कुछ काम हो तो फोन करना या फिर आवाज लगा देना.
मैं आ जाऊंगा.

दीदी ने ओके ओके कहा और मैं वहां से चला गया.

मैंने बाहर हॉल में आधा घंटा टीवी देखा और अपने बेडरूम में जाकर मोबाइल में गेम खेलने लगा.

तभी व्हाट्सएप पर दीदी का मैसेज आया- अभी तक सोया नहीं क्या?
मैंने कहा- दीदी मैं दिन में सो गया था, अभी नींद नहीं आ रही है … गेम खेल रहा हूं. तुम सो जाओ, तुम्हारी तबीयत खराब है.

दीदी ने कहा- दिन में सोने की वजह से मुझे भी अभी नींद नहीं आ रही है. मेरा पूरा शरीर दुख रहा है, दर्द कर रहा है.
मैंने उससे कहा- क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं?

दीदी ने कहा- नो थैंक्स.
मैंने कहा- यहां पर मेरे और तुम्हारे सिवा और तो कोई है नहीं, मेरा फर्ज बनता है कि मैं तुमको कोई परेशानी ना होने दूँ.

मेरी दीदी व्हाट्सएप पर बात करते हुए कहने लगीं- तू मेरी इतनी चिंता मत कर … मुझे कुछ होने वाला नहीं है.
मैंने भी कहा- वह तो मुझे भी पता है, लेकिन तुम्हारी तबियत खराब है इसलिए मैंने पूछ लिया. तुमको ऐसा कुछ हो तो बता देना.

दीदी ने कहा- नींद नहीं आ रही है तो यहां पर आकर बैठो ना, मुझे भी अच्छा लगेगा.
मैंने कहा- चलो आता हूँ.

मैं उसके पास आ गया.
हम दोनों एक दूसरे के मोबाइल में गेम खेलते हुए बातें कर रहे थे.

दीदी को बाथरूम जाना था, तो दीदी उठने लगी.
लेकिन उसको उसे बहुत तकलीफ हो रही थी.

मैंने हाथ पकड़ कर उसको उठाया और बाथरूम तक लेकर गया.
फिर वापस आ गया.

दीदी ने बाथरूम से निकलते ही मुझे आवाज दी- हेल्प कर.
मैं उसका हाथ पकड़ कर उसके बेड तक लेकर आ गया और उसे लिटा दिया.

मैंने दीदी से कहा- लगता है कि तुम्हारी तबीयत ज्यादा खराब हो गई है.
उसने बोला- अरे नहीं … सुबह तक सही हो जाएगी.

मैंने उससे पूछा- हाथ पैर भी दर्द कर रहे हैं?
दीदी ने कहा- हां हाथ पैर में एकदम दर्द कर रहा है.

मैंने दीदी से कहा- मैं तुम्हारी मालिश कर दूं?
दीदी ने मना किया तो मैंने जोर दिया- इतनी तबीयत खराब है, ऐसे थोड़ी चलेगा. रात में तबीयत ज्यादा खराब हो गई, तो और दिक्कत हो जाएगी. चलो मैं तुम्हारे हाथ पैर में मालिश कर देता हूं. उससे तुमको नींद भी आ जाएगी.

ऐसा बोल कर मैं तेल लेकर आया और दीदी को बोला- तुम अपने हिसाब से लेट जाओ. मैं तुम्हारी मालिश कर दूंगा.
मैंने अपने हाथ से दीदी की मालिश करना चालू कर दी.

आधा घंटा तक मैंने हाथ से मालिश की तो दीदी ने कहा- भाई बड़ा मजा आ रहा है. मेरे पैर में भी मालिश करो ना!

मैं उसके पैर में मालिश करने लगा. मैं मालिश भी कर रहा था और पैर दबा भी रहा था.

आधा घंटा तक मैंने बहन के पैरों की मालिश की और दबाए.
फिर मैंने दीदी से कहा- तुम्हारा सर दबा दूं?

दीदी ने तुरंत हां कह दी.
फिर मैं उसका सर अपनी गोद में उठाकर दबाने लगा.

दीदी को बहुत मजा आ रहा था.
मेरा लौड़ा दीदी के सर को छू रहा था.
दीदी ने कहा- भैया, अब बहुत अच्छा लग रहा है.

मैंने उससे कहा- हां सर दबाने से तुमको नींद भी आ जाएगी.
दीदी ने कहा- तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?

मैंने कहा- हां बोलो न!
“मैं सो रही हूं, आप धीरे-धीरे करके मेरे हाथ पैर और सर दबाते रहो. मुझको नींद आ जाए, तब तक.”

मैंने कहा- हां कोई बात नहीं, तुम सो जाओ. मैं दबा देता हूं.
मैं उसके सर को अपने हाथ से दबाने लगा, फिर उसके हाथ दबाए.

कुछ मिनट बाद मैं पैर दबाने लगा.

दीदी बोलने लगी- भैया, मेरा आधा दर्द चला गया. अब तुम सो जाओ.
मैंने कहा- वैसे भी मुझे नींद नहीं आ रही है, तुम सो जाओ. मैं तुम्हारे पैर दबाता रहूंगा.

वो कुछ नहीं बोली.

कुछ पल बाद मैंने दीदी से कहा- दीदी, तुम अपनी कैपरी को थोड़ा ऊपर कर लो, तो मैं और ऊपर तक दबा देता हूं.
उसने अपनी कैपरी को घुटनों के ऊपर कर ली और सो गई.

बीस मिनट तक दबाने के बाद दीदी उल्टी हो कर सो गई.
मैंने उसको फिर से दबाना चालू किया और मालिश करना चालू कर दिया.

अपनी दीदी की गांड देखकर मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा और मेरे दिमाग में बुरे ख्याल आने लगे.

मैंने धीरे धीरे दबाना चालू रखा.

फिर मैंने उसको आवाज देकर पूछा- क्या हुआ, सो गई या नहीं?
दीदी ने कहा- सोई नहीं हूं लेकिन अभी नींद आ जाएगी.

मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारी पूरी बॉडी को दबा कर मसाज दे दूं?
उसने हां कहा तो मैं उसके बदन को दबाने लगा, उसकी गांड को भी दबाने लगा, उसकी पीठ को भी दबाया.
इससे मेरी दीदी को मजा आ रहा था.

मैं भी बीच-बीच में पूछता जा रहा था कि दीदी मजा आ रहा है?
दीदी हां बोल कर सर हिला देती और मैं उसके बदन की मालिश करने में लगा रहता.

मैं दीदी के सारे बदन को एक घंटे तक अच्छे से दबाता रहा.
उसको भी मजा आ रहा था.

मैंने उससे कहा- दीदी अब तुमको नींद आ जाएगी … तो मैं भी सोने जाऊं?
दीदी ने कहा- हां अब तुम सो जाओ.

मैं खड़ा हुआ और अपने कमरे में चला गया.
उस दिन मैंने यह सब दीदी को छूकर एक अलग सा अहसास किया था. मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था.
जब मैं अपने कमरे में आ गया, तब भी मुझसे रहा नहीं जा रहा था.

मैंने सोचा कि आज एक बार दीदी के नाम की मुठ मार लेता हूं.
मैं अपना लौड़ा हिलाने लगा और फोन में एक ब्लू-फिल्म देख रहा था.
कुछ देर बाद लंड झड़ गया तो मैं लेट गया.

आधा घंटा बाद दीदी का मैसेज आया- सो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं, अभी सोया नहीं हूं.

दीदी बोली- तुम मेर बदन दबा रहे थे, तो बड़ा अच्छा लग रहा था. पर अब फिर से दर्द होने लगा है.
मैंने दीदी से कहा- तो फिर से आकर दबा दूं क्या?

दीदी ने कहा- हां दबा दो ना … मेरा दर्द कम हो जाएगा.
इधर मेरे अन्दर तो आग लग चुकी थी.

मैंने दीदी से डबल मीनिंग में बात करते हुए पूछा- कहां कहां दबवाना है?
दीदी ने भी कुछ ऐसे ही कहा- पूरा बदन ही दबा दो ना भाई … अच्छा लग रहा था.

ऐसे व्हाट्सएप में हम चैट कर रहे थे.

मैंने फिर से डबल मीनिंग में कहा- दबाने से ज्यादा अच्छा रहेगा कि तुम पूरी बॉडी की मालिश ही करवा लो.
दीदी ने कहा- हां वह भी सही है.

उसने आखिरी में कहा- तुम जो भी करो, कर दो … लेकिन मेरा दर्द कम होना चाहिए.
मैंने कहा- दीदी, मेरे हाथ में इतना जादू तो है ही कि तुम्हारे दर्द को भुला दूंगा.

दीदी ने कहा- तो फिर आ जाओ. मैं भी रेडी हूँ.
मुझे लग रहा था कि दीदी भी डबल मीनिंग में ही बात कर रही थी.

दीदी भी गर्म हो चुकी थी, ऐसा मुझे लगने लगा था.
पहले मैंने सोचा कि एक बार पक्का कर लूं कि दीदी गर्म है कि नहीं.

मैंने दीदी से कहा- मैं गर्म तेल से तुम्हारी मालिश कर देता हूं.
दीदी ने कहा- हां कर दो.

मैंने उससे कहा- ठीक है तुम कपड़े निकाल कर रेडी रहो, तब तक मैं तेल गर्म करके लाता हूं.
दीदी ने कहा- वो तो जब तुमने कहा था कि तुम मेरे पूरे जिस्म की मालिश कर दोगे, तभी मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे. अब तुम जल्दी से तेल गर्म करके ले आओ.

मैंने बोला- तेल ज्यादा गर्म करना पड़ेगा. क्योंकि तुम इतनी गर्म नहीं हुई होगी.
दीदी ने भी जवाब दिया- हां यार, तेल ज्यादा गर्म कर लेना. मैं अभी इतनी गर्म नहीं हुई हूँ. मुझे बुखार होता तो मैं गर्म होती, लेकिन बुखार कम हो गया है. बस हाथ पैर ज्यादा दर्द कर रहे हैं.

मैं तुरंत तेल गर्म करने चला गया.
तेल गर्म करके मैं दीदी के कमरे के अन्दर गया तो मैंने देखा दीदी कंबल ओढ़ कर लेटी थी.

मैंने दीदी से कहा- दूसरा कंबल निकाल कर तुम्हारे बेड पर बिछा देता हूँ.
दीदी ने कहा- वो क्यों बिछाना है?

मैंने कहा- मालिश करते समय बेड पर तेल लगेगा, तो पूरा बेड गंदा और खराब हो जाएगा. उससे अच्छा है कि सिर्फ कंबल खराब हो. वो तो धुल जाएगा.
दीदी ने कहा- यह भी सही है.

मैंने कहा- अब तुम अपना कंबल हटा दो.
इस पर दीदी ने कहा- पागल हो गया है क्या … मैंने कपड़े नहीं पहने हैं.

मैंने दीदी से कहा- तो फिर मैं मालिश कैसे करूंगा?
दीदी ने कहा- तुम पहले लाइट बंद करके आओ.

मैंने लाइट ऑफ कर दी.
पूरे कमरे में अंधेरा छा गया.

दोस्तो कमरे में अन्धेरा और कम्बल के अन्दर मेरी कुंवारी बहन एकदम नंगी थी.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या होने वाला है.

वो सब हुआ किस तरह से, ये मैं आपको देसी दीदी की सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आप मुझे मेल कीजिएगा.
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देसी दीदी की सेक्स कहानी का अगला भाग: बहन की मालिश और कुंवारी चुत की चुदाई- 2