मुंबई में मामा की लड़की के साथ हनीमून

बीच सेक्स विद सिस्टर का मजा मैंने मुंबई के समुद्र तट पर लिया अपने मामा की जवान बेटी के साथ. मैं उसे पहले भी चोद चुका था. इस बार हमने बीच पर चुदाई की.

मेरी पहली कहानी
मामा की लड़की के साथ सुहागरात
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने मामा की बेटी मृणालिनी के साथ सुहागरात मनाई थी।

व्यस्तता की कारण आगे की घटना लिखने मुझे कुछ ज्यादा ही समय लग गया।

मेरी पहली कहानी को पढ़कर आपने जो रिव्यू दिए उनके लिए धन्यवाद।
चलिए शुरू करते हैं उस कहानी से आगे की घटना जिसमें हम दोनों ने अपना हनीमून बीच सेक्स विद सिस्टर का मजा लेकर मनाया.

मेरी पहली कहानी में मैं दो दिन नोएडा में अपने मामा के घर पे रुका था जहां मैंने कई बार अपनी बहन की चुदाई की थी।
उसके बाद मैं अपने घर आ गया था।

इस घटना के लगभग 6 महीने के बाद मेरे मामा जी का कॉल आया- मृणालिनी को किसी एग्जाम के लिए मुम्बई जाना है. मुझे जरूरी काम है जिसके कारण मुझे नोएडा ही रुकना पड़ेगा. अगर तुम 3 – 4 दिन के लिए फ्री हो तो तुम इसके लेकर मुम्बई चले जाओ।

इतना सब सुनने के बाद मेरे दिल की धड़कनें अनियंत्रित हो गई.
मैं मृणालिनी के नंगे बदन को याद करके जैसे स्वर्ग में पहुँच गया।

कुछ क्षण बाद खुद को सभालते हुए मैंने मामा जी को बोल दिया- मैं फ्री हूँ, उसे लेकर मैं चला जाऊंगा।
मामा जी ने मेरा व उसका राजधानी का टिकट करवा दिया।

15 दिन के बाद मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुँच गया.
उधर से मामा उसको छोड़ने आये थे।

मृणालिनी को देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई क्योंकि उस दिन सुहागरात मनाने के बाद उससे पहली बार मिल रहा था।

उस दिन की चुदाई के कारण उसकी चूचियां पहले से कुछ बड़ी लग रही थी।
मैंने उसे सामने से देखा … हो सकता है उसकी गांड का साइज भी बढ़ गया हो।

उसने सलवार व सूट पहना था जिसमें वह एक साधारण सी लड़की लग रही थी।
हम दोनों ट्रेन में चढ़कर अपनी सीट ढूँढने लगे. हमारी सीटें एक बीच वाली व दूसरी ऊपर वाली बर्थ थी।

अभी लगभग 5 बजे थे, ट्रेन का समय 5:30 का था। जिसके कारण बीच वाली बर्थ पे अभी बैठना/लेटना सम्भव नहीं था।
इसलिए हम दोनों बाकी सवारियों के साथ नीचे ही बैठ गए।

वैसे हम वहां पूरी तरह खुल सकते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था हम भाई बहन हैं।
मृणालिनी मेरे साथ बैठे बैठे शायद उस रात की यादों में खोई थी क्योंकि उसके चेहरे पे अजीब तरह के भाव या रहे थे, बीच बीच में वो शर्मा रही थी। जिनके कारण बाकी सवारियां हमें पति पत्नी मान रहे थे।

रात होने पे हम दोनों ऊपर वाली बर्थ पे बैठकर खाना खाया और वहीं लेट गये।
सीट की चौड़ाई कम होने के कारण दोनों के शरीर एक दूसरे से सटे हुए थे।

मैंने उसके सलवार में हाथ दे दिया तो मैंने महसूस किया कि उसकी पैंटी गीली थी।
उसके कान में मैंने धीरे से पूछा तो उसने मदहोश सी आवाज में कहा- जब से आपको देखा है तब से सुहागरात वाली बातें ही दिमाग में घूम रही हैं।

उसने भी मेरे लोवर में हाथ देकर मेरे लंड को पकड़ लिया।
रात में सभी के सोने तक हम धीरे धीरे ऐसे ही मस्ती करते रहे।

सबके सोने के बाद मैंने उसके सलवार को नीचे कर दिया और अपना लोवर निकाल कर लंड उसकी चूत पे रख दिया.

उसने धीरे से मेरे कान में कहा- भैया कोई देख ना ले!
तब मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा क्योंकि सब हमें पति पत्नी मान रहे है।

इसके बाद वह भी बेफिक्र होकर मजे लेने लगी।
ट्रेन में ही मैंने उसकी चूत में अपना लंड देकर पूरे मजे लिए।
यहां हम ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते थे।

मुम्बई पहुँचकर मैंने एक होटल में रूम ले लिया जहां 3 दिन तक हम दोनों ने जो मस्ती की.

मुम्बई में कोई जानकर तो था नहीं … इसलिए हमने दादर के एक होटल में एक रूम ले लिया 3 दिन के लिए।

रूम में सिर्फ एक बैड था जो हमारे लिए काफी था।

उस दिन हमें कोई काम नहीं था इसलिए हमने दोपहर के बाद घूमने का प्रोग्राम बनाया।

हम दादर से 4 बजे निकले ट्रेन से अक्षा बीच पहुँच गए।
वहां हम भाई बहन के रूप में नहीं बल्कि पति पत्नी के रूप में थे इस कारण किसी तरह की कोई शर्म या झिझक नहीं थी।

बीच पर घूमते घूमते हम थोड़ा साइड में आए गए जहां भीड़ नहीं थी।
हम दोनों ने अपने कपड़े निकाले और समुन्दर के पानी में नहाने लगे।

उस समय मैंने सिर्फ अंडरवियर पहना था और मृणालिनी ने लाल रंग की ब्रा व काले रंग की पैंटी पहनी थी।
इस हाल में वह किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी।

उसका पतला व लंबा शरीर देखकर किसी का भी सामान खड़ा हो सकता है।
उसे देखकर मेरी भी हालत खराब हो रही थी।

सेक्स विद सिस्टर के ख्याल से मेरा लंड अंडरवियर को फाड़ने को तैयार था जिसे देखकर मृणालिनी पूरी मस्ती के मूड में आ गई थी।
पानी के अंदर ही वह मेरी गोद में बैठ गई।

उसके बैठते ही मेरा लंड दर्द करने लगा क्योंकि वह पूरी तरह टाइट था।

मैंने उसे थोड़ा ऊपर उठने को कहा और अंडरवियर से अपने लंड को बाहर निकाल लिया.
उसे कुछ पता नहीं था क्योंकि मैं पानी में बैठा था।

इसके बाद उसकी पैंटी को भी नीचे करके उसे अपनी गोद में बैठा लिया।
मेरे लंड को अपनी गांड में महसूस करते ही वो खुशी से झूम उठी।

पानी के अंदर ही मैंने उसकी पैंटी पूरी तरह बाहर निकाल दी और उसका मुंह अपनी तरफ करके गोद में बिठा लिया।
इससे मेरा लंड मृणालिनी की चूत के छेद से लग गया।

वह धीरे से मेरे कान में बोली- भैया, लोग देख रहे है।

मैंने उसे कहा- देखने दो … सबको मजे लेने दो। आखिर हम हनीमून पर आये हैं तो ये सब तो होगा ही।

अब मैंने उसे हल्का सा ऊपर उठा कर दोबारा गोद में बैठाया तो मेरा लंड उसकी चूत में चला गया जिससे मृणालिनी को कुछ दर्द हुआ।

पर बीच सेक्स की मस्ती में होने के कारण कुछ नहीं बोली।
इसी तरह पानी में उसके चूत व अपने लंड की प्यास बुझाने लगा।

इस बीच में मैं उसकी ब्रा से उसकी गोल गोल चूचियां बाहर निकाल कर चूसने लगा।

चुदाई का यह खेल थोड़ी देर में खत्म हो गया क्योंकि मृणालिनी की चूत का पानी निकल चुका था।
तो मैंने उसको उठाकर पास में बैठा लिया।

तब मैंने उसके हाथ में अपना लंड दे दिया जिसे हिलाकर उसने मेरा भी पानी निकाल दिया।

मृणालिनी की चुदाई करने के बाद हमने पानी बाहर आकर कपड़े पहने और थोड़ी देर घूमकर अपने रूम पर आ गए।

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