टीचर पत्नी को उसके सहयोगी से चुदवाया- 1

टीचर टीचर सेक्स कहानी में मुझे अपनी अध्यापिका पत्नी को गैर मर्दों से चुदवाने की चाह थी. एक बार मैंने देखा कि उसके स्कूल के एक टीचर से दोस्ती बढ़ रही है.

फ्रेंड्स, मैं अनिल.
मेरी पिछली कहानी थी: अपनी टीचर बीवी को जवान लड़के से चुदने दिया

अब एक बार पुनः अपनी अध्यापिका बीवी सीमा की एक और दूसरे मर्द से चुदाई की टीचर टीचर सेक्स कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ.

उन दिनों मेरी बीवी सीमा के स्कूल में उसके साथ एक सुरेन्द्र नाम का टीचर था.

जब मैं सीमा को उसके स्कूल छोड़ने जाता, तब मैंने महसूस किया कि वह सीमा में इंटरेस्टेड है.

थोड़े दिनों में सीमा भी उसमें इंटरेस्ट लेने लगी.
दोनों नज़दीक आने लगे थे क्योंकि जब सीमा स्कूल में रहती थी तब ज़्यादा लोग नहीं होते थे.
ये दोनों ज्यादातर साथ रहते थे.

मेरे पूछने पर सीमा ने मुझे बताया था कि उसका किसी और औरत से चक्कर है और उन दोनों के बीच सब हो गया है, यानी सेक्स वगैरह!

इसका मतलब था कि सुरेन्द्र सेक्सी किस्म का आदमी था.
पहले मैंने उसके बारे में सोचा भी नहीं था.

फिर एक दिन सीमा बोली- उनका ब्रेकअप हो गया और वह औरत कहीं चली गई.

मैंने ध्यान नहीं दिया मगर जब सीमा का स्कूल जाना बंद हो गया तब सुरेन्द्र का फोन आना शुरू हुआ.
मुझे लगा कि स्कूल के काम से आता होगा. ये दोनों खूब देर तक बातें करते.

बाद में तो जैसे ही सुरेन्द्र का फोन आता, सीमा टेरेस पर चली जाती!
मैंने भी जानबूझ कर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, ताकि सुरेन्द्र और सीमा की एक-दूसरे के प्रति चाहत बढ़ सके.
वह एक-दूसरे के लिए तड़प उठें!
और वही हुआ.

कुछ दिन बाद एक दिन वह घर ही आ गया.
तब मैं घर पर ही था.

जानबूझ कर उसे रोककर रखने के लिए मैंने नाश्ता बनाने को कहा.
तभी कचरा वाला आया तो मैं नीचे चला गया और जानबूझ कर वापस आने में देर लगाई ताकि उन दोनों को ज़्यादा वक्त मिले.

ऊपर सिर्फ़ वह दोनों ही थे!

उसी वक्त मेरे मन में आया कि क्यों न सुरेन्द्र से सीमा को चुदवाया जाए ताकि मुझे भी थ्रीसम का मज़ा लेने मिले और उन दोनों की वीडियो बनाकर जब चाहे, तब सीमा की ले सकूँ!

मैंने सुरेन्द्र को आने के लिए कहा और फिर उससे व्हाट्सएप पर दोस्ती बनाना शुरू किया ताकि वह बार-बार आए.

वही हुआ.
किसी न किसी कारण से सुरेन्द्र बार-बार आने लगा.
स्कूल बंद होने से सीमा को मिलने वह घर आ जाता था.

मैं भी अब उसके आने के बाद कुछ बहाना बनाकर उन दोनों को अकेला छोड़ देता था.

उनके बीच प्यार पनप रहा था.

विलास के बाद सीमा को कोई नहीं चोदता था इसलिए उसका सेक्स में मन नहीं करता था.

अगर इसी बहाने दोनों में सेक्स हो जाता तो फिर से वह सेक्स करने में मज़ा लेगी.
उसे अपनी चुत के लिए नया लंड जो मिलता!

सुरेन्द्र से मैंने दोस्ती बढ़ा ली ताकि वह बेझिझक घर आ-जा सके और सीमा और वह दोनों क़रीब आ सकें.
वह भी बार-बार आने लगा.

जब भी वह आता, मैं कोई बहाना बनाकर उनको अकेला छोड़ देता ताकि दूरी कम हो और वह सीमा से सेक्स करना चाहे, तो सीमा चोदने दे.

बस अब मैं मौक़ा ढूँढ रहा था कि कब ये हो जाए!

एक दिन सीमा घर पर नहीं थी.
मैंने सुरेन्द्र को बुलाया.

फिर जानबूझ कर उसे दारू पिलाई और थोड़ी दारू चढ़ने पर पूछा- सीमा तुमको कैसी लगती है?

न/शे में वह बकने लगा- क्या मस्त माल है यार … मेरा तो हमेशा ही उसे चोदने का मन करता है. उसके बूब्स, गांड देखकर उसको पूरी नंगी देखने का बहुत मन है, पर साली चोदने देगी क्या?

मैंने कहा- तुम ट्राय तो करो, तुमको मना नहीं कर पाएगी! पर तुमको पहले उसको दबाना पड़ेगा, गर्म करना पड़ेगा … और वैसे भी विलास उसे चोदता था, मगर उस पर अभी कोई चढ़ता ही नहीं. साली की चूत एकदम टाइट हो रही है!

वह बोला- तुम भी नहीं चढ़ते क्या?
मैंने कहा- नहीं … मैं भी कई दिनों से उस पर नहीं चढ़ा!

वह बोला- तुमने कहा कि विलास सीमा को चोदता था, मगर कैसे?
मैंने कहा- वह भी तुम्हारे जैसे सीमा को चाहता था और उस पर चढ़ना चाहता था. उसने अपनी इच्छा सीमा को बोली और सीमा ने मुझे हमारे बीच कुछ नहीं छुपाया.

‘फिर?’
“फिर एक दिन सीमा ने मुझे बताया कि आज विलास आ रहा है और घर पर कोई नहीं है! तो मैंने उससे कहा कि अगर वह कुछ करे, तो करने देना, मना मत करना!”

सुरेन्द्र मेरी आंखों में हैरानी से देख रहा था.

मैंने उसे बताते हुए कहा- थोड़ी देर बाद सीमा को फोन किया और पूछा कि क्या हुआ? तो वह बोली कि हां हमारा हो गया!

सुरेन्द्र बोला- मतलब वह चुद गई उससे?
मैंने कहा- हां मैंने उससे साफ साफ पूछा था कि क्या हुआ? तो वह बोली कि उसने मुझे चोद दिया!

यह सुनकर सुरेन्द्र की आंखों में नशा बढ़ने लगा और उसने अपने गिलास एक झटके में खाली कर दिया.

मैंने उसके गिलास में और दारू डाली और बताने लगा- मैंने उससे पूछा कि तुमको मज़ा आया? कितना बड़ा लंड है उसका? तो उसने कहा कि उसका लंड मुझसे बड़ा है और वह खूब जोर-जोर से चोदता भी है! तब से विलास हमेशा उसकी चूत चोद लेता था!

सुरेन्द्र सिगरेट सुलगाने लगा.

मैं बोलने में लगा था- जब-जब विलास उसकी चूत में अपना लौड़ा पेलता था, उस रात मैं भी उसको चोदता था. उस रात वह मुझे बहुत मज़ा देती थी! इसलिए मैंने कभी उन लोगों को मना नहीं किया.

सुरेन्द्र ने पूछा- फिर बंद कैसे हुआ?
मैं बोला- विलास को एक बार मैंने मेरे सामने सीमा को चोदने कहा, मगर वह मना कर गया! उसने सीमा को कई बार चोदा है, मगर मेरे सामने नहीं चोदा!

‘हम्म …!’
मैंने कहा- मुझे एक बार उसको किसी और के साथ चुदवाते देखना है! इसलिए तुमको कह रहा हूँ! मुझे मालूम है, तुम भी उसको चोदने का मन बना रहे हो! अगर तुम मेरे सामने उसको चोद सकते हो, तब तुम सीमा की ले सकते हो!

मैंने अपने लिए भी एक और तगड़ा पैग बनाया ताकि मैं भी अपनी बीवी के लिए बिंदास बोल सकूँ.

उधर सुरेन्द्र को काफ़ी चढ़ गई थी.
अब वह सीमा की चूत के बारे में मुझसे साफ साफ पूछ रहा था- वह अपनी झांटें साफ रखती है या नहीं … और लंड चूसती है या नानुकुर करती हैं?

मैंने कहा- वह अपनी चुत एकदम चिकनी रखती है! उसको डॉगी स्टाइल में चुदवाना अच्छा लगता है. तुमको उसे नंगी करके चोदने में मज़ा आएगा, मगर उसे मेरे सामने करना होगा!

मेरी बीवी की चुदाई की बातें सुनकर सुरेन्द्र गर्म हो रहा था.
उसके लंड में तनावपूर्ण परिवर्तन हो रहे थे.

मैंने एकदम से उसके लंड पर हाथ रख दिया.
साले का लंड बहुत मोटा था!

वह बोला- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मुझे देखना है कि उसकी चूत में घुस पाएगा कि नहीं! कहीं फट न जाए! वैसे विलास का वह कई बार ले चुकी है, इसलिए तुम्हारा भी घुसवा लेगी!
यह कहते हुए मैंने सुरेन्द्र का लंड बाहर निकाल लिया.

साले का लंड एकदम तना था, काला, मोटा, लंबा सांप सा था.

मेरा लंड उसके लंड के सामने थोड़ा छोटा ही है.

मैंने उसके लंड पर हाथ रगड़ना शुरू किया.
सुरेन्द्र आहें भरने लगा ‘आहां … ओह … अच्छा लग रहा है!’

मैंने कहा- सीमा भी तुम्हारा देखकर खुश हो जाएगी … वह यदि ऐसे लौड़े को एक बार अन्दर ले लेगी, तो फिर बार-बार मांगेगी!

यह कह कर मैंने उसकी मुठ मारना शुरू किया.

वह बोलने लगा- आहां सीमा … क्या टाइट माल हो तुम! एक बार दे दो … आह तुम्हारी गांड, बूब्स, चूत मेरे सपनों में आते हैं! लगता है तुम नंगी हो और मेरा लंड चूत में फंस गया है … आहां … करो और करो… आहां!

मैंने पूछा- कैसा लग रहा है? अभी जब सोचकर ही इतना मज़ा आ रहा है, तब अन्दर डालोगे, तब कितना मज़ा आएगा!

तभी मैंने उसके लंड पर अपने होंठ रखकर किस किया और धीरे-धीरे अन्दर लेकर चूसने लगा!

सुरेन्द्र बोला- अनिल, क्या तुम भी लंड चूस लेते हो?
मैंने कहा- हां, मुझसे ये सब अभी करोगे, तभी तो तुम सीमा को मेरे सामने चोद पाओगे!

एक्स्ट्रा पैग की वजह से सुरेन्द्र को चढ़ चुकी थी.

वह बड़बड़ाने लगा- हां यार अनिल, अपनी बीवी सीमा की दिलवाओ ना एक बार!
मैंने कहा- हां तुम एक बार उसको चोदोगे, तो बार-बार करने आओगे!

मैं उसका जोर-जोर से अन्दर तक चूसने लगा.
वह मुझे ही सीमा समझ कर सहलाने लगा- आह सीमा चूसो … मेरा लंड … मज़ा आ रहा है … आहां … सक मी … एक बार मेरा लंड चूत में ले लो … सक मी!

मैंने स्पीड बढ़ा दी.
उसके हाथ मेरे बदन पर फिर रहे थे.

तभी वह चिल्लाने लगा- आहां सीमा, गया मैं … अन्दर करो … आहां … लव यू डार्लिंग …!
उसने मेरा सिर अपने लंड के ऊपर दबा दिया!
उसका लंड जड़ तक घुस गया था!

तभी उसकी बॉटल फूट गई.
साला सारा माल मेरे मुँह में उतार रहा था!

वह इतना ज्यादा न/शे में था कि उसका चिक मैं कब पी गया, ये उसे समझ में भी नहीं आया!

अभी वह मुझे सीमा ही समझ रहा था- आहां सीमा … मज़ा दे दिया! क्या चूसती है साली! बस ऐसे ही चूत में ले लो … आय लव यू!

मैंने अपना मुँह उसके लंड के ऊपर अन्दर तक दबाए रखा था.
उसका पानी पीने में मुझे मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सुरेन्द्र को बोला- देखो, मेरा कितना छोटा है! इसलिए मैं सीमा को लंबे लंड से मज़े लेने देता हूँ, ताकि उसकी प्यास बुझ सके!

वह बोला- क्या तुम गे हो?
मैंने कहा- नहीं, मगर मुझे सेक्स में बहुत इंटरेस्ट है. दोनों जेंडर में औरत और आदमी में! मैं थ्रीसम करना चाहता हूँ! मैं, सीमा और कोई तीसरा आदमी! मुझे सीमा को कोई मेरे सामने चोदते हुए देखना है! इसीलिए मैंने विलास को उसके ऊपर चढ़ने दिया था, मगर वह मेरे सामने चोदने के लिए मना कर गया. अब भी वह सीमा को, जब मैं नहीं रहता, तब आकर चोद जाता है! इसलिए जब तुम्हारा उसके लिए इंटरेस्ट दिखा, तब लगा कि तुम तैयार हो जाओगे!

यह कहते हुए मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया और कहा- अब इसको तुम सहलाओ!

उसने मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगा.

तभी मैंने अपने सारे कपड़े निकाल लिए और सुरेन्द्र की गोद में लेटकर उसके निप्पल चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में उसका हाथ जोर-जोर से चलना शुरू हुआ और मेरी भी गर्मी निकल गई!
मेरा पानी निकल गया!

फिर वह बोला- अब सीमा की कब दिलवाओगे?
मैंने कहा- मुझे नहीं, तुम्हें ही अब उसकी लेनी है … मेरी परमिशन है! जितनी जल्दी लोगे, उतना मज़ा लोगे उसकी चूत और बूब्स का!

कुछ देर यूं ही मस्ती भरी बातें करने के बाद वह चला गया.

मेरा काम हो गया था.
मैं सोच रहा था कि कैसे टीचर टीचर सेक्स होगा, चुदाई होगी.

उन्हीं दिनों होली का त्योहार आया.
उस बहाने सुरेन्द्र घर आया.

हम घर पर अकेले ही थे.

उसने मुझे रंग लगाया और कहा- मैडम, आपको लगाऊं कि नहीं?
मैंने कहा- हां-हां लगाओ यार … पूछना क्या है, आज तो हक बनता है! अच्छे से लगाना!

सीमा ना-नुकुर करने लगी.
तब मैंने रंग लेकर सीमा को लगाना शुरू किया.

वह मेरे हाथ पकड़ने की कोशिश में थी.
फिर भी मैंने मुँह पर रंग लग दिया.

उसके हाथ मैंने पकड़ कर रखे.
तभी सुरेन्द्र उसके पीछे से आया और सीमा के मुँह पर रंग पोतने लगा!

“नहीं … नहीं … छोड़ो मुझे!” सीमा बोली.

मैंने कहा- अरे सीमा, आज तो मना मत करो! वैसे भी इस बार किसी ने तुम्हें रंगाया नहीं है और अभी हमारे जीवन में सूनापन ही है! इसी बहाने थोड़ा मज़ा ले लो!
मैं उसको पीछे धकेलने लगा.

अब वह हम दोनों के बीच सैंडविच पोजीशन में फंसी हुई थी.
शायद उसकी गांड पीछे से लंड के साथ चिपकी हुई थी.

वह सुरेन्द्र के लंड का तनाव अपनी गांड पर महसूस कर रही थी.
तभी तो उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया.

इसका फायदा लेकर सुरेन्द्र ने उसे टाइट पकड़ लिया और बूब्स दबाने लगा.
मुझे मालूम होते हुए भी मैं अनजान बना रहा.

अब वह पीछे से धक्के देने लगा.
मैंने जानबूझ कर सीमा को पीछे धकेला.
पांच-छह धक्के वह दे चुका था.

जब वह धक्का देता, सीमा मेरी तरफ़ लुढ़क जाती.

उसी अवस्था में हम करीब दस मिनट तक लगे रहे.

अब सीमा बोली- अब मुझे रंग लगाने की मस्ती शांत हो गई हो तो मुझे छोड़ दो!
मैंने कहा- ऐसे भी कभी शांति मिलती है? अभी तो पंचमी बाकी है!

‘क्या … तब भी कलर लगाओगे…?’ वह बोली.
‘हां, अगर तुम लगाने दोगी तो!’
मैंने उसे छोड़ दिया.

मैंने कहा- अब कुछ खाने के लिए बनाओ!
सुरेन्द्र बोला- मैडम, कैसा लगा? बुरा तो नहीं लगा? बुरा लगा हो तो माफ़ कर देना!

सीमा बोली- नहीं-नहीं, होली में तो ये सब होता ही है!
मैंने कहा- वैसे सीमा, बहुत दिनों के बाद तुम रंगी हो!
वह बोली- हां … ये तो सुरेन्द्र ही है जो …

मैंने कहा- हां-हां … और इनको तो महिलाओं को छेड़ने में मज़ा ही आता है! फिर होली का बहाना मिल जाए, तो क्या बात है … कोई कुछ कहता भी नहीं!

कुछ देर बाद सुरेन्द्र चला गया.

थोड़ी देर बाद हम लोग बारी बारी से नहाने गए.

अब मुझे सीमा को चोदना था!
माहौल ने मुझे गर्म कर दिया था और सीमा को भी.

जब हम बेड पर आए, मैंने सीमा को चिपका लिया और गर्म करना शुरू किया, धीरे-धीरे उसको नंगी कर दिया.

उसकी चूत का चुम्बन लिया, बूब्स चूसने लगा.
मैं उसकी पीठ, कान को चूसने लगा, उसके आर्मपिट को चूसकर गर्म किया.

फिर मैंने अपने निप्पल उसके मुँह में दे दिया.
वह अच्छे से चूसने लगी.
इससे मैं समझ गया कि वह गर्म हो गई है.

अब उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था.

तभी मैंने उसको पलट दिया और पीछे से चढ़कर धक्के देने लगा, जैसे सुरेन्द्र ने दिए थे.

मैंने कहा- कुछ याद आ रहा है?
वह बोली- क्या … सुरेन्द्र के धक्के?

मैंने कहा- तुमको मालूम था!
वह बोली- हां.
‘तभी तो मैं तुमको उसकी तरफ़ धकेल रहा था.’

फिर मैंने उसकी टांगें दोनों तरफ़ फैला दीं और लंड चूत के छेद पर अड़ा कर अन्दर पेल दिया.

‘एक बार चुदवा लो उससे … वैसे भी विलास ने काफ़ी दिनों से तुम्हें चोदा नहीं है!’
यह कहते हुए मैं लंड अन्दर धकेलने लगा.
‘आं … आं …!’

उसकी चूत एकदम चिकनी थी.
लंड अन्दर करके मैंने कहा- गया … अन्दर लंड सुरेन्द्र का!

मैंने उसको दबाकर रखा.
फिर एक बार लंड बाहर निकाल कर अन्दर पेलते हुए कहा- कैसा है सुरेन्द्र का लंड?

वह गांड उठाती हुई बोली- बहुत अच्छा है!
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है?

मैंने अपने लंड को अन्दर ही दबाए रखा.

थोड़ी देर बाद वह नीचे से गांड हिलाने लगी.

फिर घमासान चुदाई होने लगी.
वह भी उछल-उछलकर अन्दर ले रही थी.

मैं बीच-बीच में बोल देता- कैसा है सुरेन्द्र का …? मज़ा आ रहा है?

जब भी लंड अन्दर जाता, वह एक लंबी ‘आहां …!’ भरती और गांड ऊपर कर देती.

मैंने कहा- आज बूब्स दबाए उसने, अभी बस पेलना ही बाकी है. तुम अपनी चूत का स्वाद उसे भी चखा दो. बड़ा तड़प रहा है. … दोगी ना?
वह बोली- हां … आहां … आय गॉड… जोर जोर से करो … अच्छा लग रहा है.

काफी देर तक हम दोनों चुदाई का खेलते रहे थे.
फिर वह झड़ गई और मैंने भी पानी निकाल दिया.

आज के इस गेम से मुझे समझ आ गया था कि जल्द ही ये सुरेन्द्र के नीचे आ जाएगी.

बस हर बार सुरेन्द्र का नाम लेकर लोहे को गर्म करते रहना होगा.

मैंने उसे बांहों में लिया और पूछा- कैसा लगा?
‘क्या!’
‘बूब्स दबवाना?’

उसने मेरे निप्पल पर जोर से काट दिए और बोली- ये सब तुम्हारा किया धरा था न!

मैंने कहा- हां. वैसे भी आजकल विलास तुम्हें चोदता नहीं और तुम्हें सुरेन्द्र अच्छा लगता है. फिर सेक्स करने में क्या बुरा है? मुझे भी कोई प्रॉब्लम नहीं!

वह बोली- वह करेगा तुम्हारे सामने?
मैंने कहा- तुम एक बार कर लो और मुझ पर छोड़ दो!

यह कह कर मैंने अपनी बीवी की एक दूसरे मर्द से चुदाई की संभावना पक्की कर दी थी.

अब अगले भाग में आप मेरी अध्यापिका बीवी की एक अन्य मर्द से चुदाई की कहानी का मजा लेंगे.
और साथ में मैं भी अपनी बीवी को चोदूंगा.
यानी अध्यापिका बीवी के साथ थ्री सम सेक्स का मजा.

टीचर टीचर सेक्स कहानी पर आप अपने मेल व कमेंट्स से मुझे जरूर अवगत कराएं.
धन्यवाद.
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