पंजाबी चूत की कहानी में पढ़ें कि अपनी सलहज को मैंने पैसों का सहारा दिया. मगर वो मेरे पैसे लौटा नहीं पायी. तो मैंने ब्याज के बदले सलहज की चूत मांग ली। फिर क्या हुआ?
दोस्तो, कैसे हो आप सभी? उम्मीद करता हूं आप सभी स्वस्थ होंगे और चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे।
मैं हरजिंदर सिंह रोपड़, पंजाब से एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हूं।
आप मेरी पिछली कहानी थी: खुली चुदाई की अजब दास्तां
यह जो पंजाबी चूत की कहानी है यह एक दिलचस्प स्टोरी है और बिल्कुल सच्ची है. कहानी में सिर्फ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं। दोस्तो, जैसा कि आप कहानी के नाम से समझ ही गये होंगे कि यह कहानी मेरी और मेरी सलहज हरदीप (बदला हुआ नाम) की है।
कहानी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को हरदीप का फिगर बता देता हूं। हरदीप की हाइट 5.8 फीट व रंग गोरा है। वो भरे पूरे शरीर की मल्लिका है। उसकी उम्र 27 साल है।
उसके बूब्स 36, कमर 34 और गांड 36 से कुछ ज्यादा ही है।
उसका भरा हुआ जिस्म देखकर लगता है कि वो तीन चार मर्दों को एक साथ झेल लेगी।
उसकी शादी को पांच साल हो चुके हैं और दो बच्चे हैं जिनमें एक लड़का और एक लड़की है। उसके दोनों बच्चे सिजेरियन आपरेशन से हुए हैं।
दोस्तो, जब हरदीप की शादी हुई थी तब मेरा और हरदीप का रिश्ता ठीक था। उसकी शादी के तीन साल बाद मेरा मेरे साले और मेरी सलहज हरदीप के साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया।
वो झगड़ा इस हद तक बढ़ गया कि हमने एक दूसरे से बोलना भी बंद कर दिया था।
तब हरदीप के पेट मे में दूसरा बच्चा पल रहा था। उसको तीसरा महीना चल रहा था। उस झगड़े के बाद मेरा और मेरे साले और सलहज के साथ रिश्ता एक तरह से खत्म हो गया।
नाराजगी में न तो मैंने कभी फ़ोन करके उनका हाल पूछा, न ही कभी उन्होंने फ़ोन किया।
इसी तरह से छह महीने गुजर गए।
अक्टूबर 2018 की बात है कि रात को साढ़े बारह बजे मेरे फ़ोन की रिंग बजी।
डिस्प्ले पर अन्जान नंबर दिख रहा था। झगड़े के बाद मैंने मेरे साले और सलहज का नंबर डिलीट कर दिया था।
मैंने फ़ोन नहीं उठाया। दो मिनट बाद फिर से उसी नंबर से फ़ोन आया।
फ़ोन की रिंग से मेरी बीवी भी जाग गई।
मैंने फ़ोन उठाया और पूछा- कौन?
उधर से आवाज़ आई- मैं हरदीप बोल रही हूं।
उसकी आवाज़ से लग रहा था कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है।
मैंने फ़ोन स्पीकर पर किया और पूछा- कौन हरदीप?
वो बोली- मैं आपकी सलहज बोल रही हूं।
ये सुनकर मैंने फोन कट कर दिया।
दो मिनट बाद फिर से फ़ोन आया. अब फोन मेरी बीवी ने उठाया।
तब हरदीप ने उसे बताया कि उसको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है और वो हॉस्पिटल जा रहे हैं।
हरदीप ने मेरी बीवी को बोला- आप लोग हॉस्पिटल आ जाओ।
मेरी बीवी ने उसको बोल दिया कि तुम लोग हॉस्पिटल पहुंचो, हम जल्दी ही पहुंच जाएंगे।
हम बच्चों को मेरे मम्मी पापा के पास छोड़कर डेढ़ बजे के करीब हॉस्पिटल पहुंच गए।
हरदीप आपरेशन थिएटर में थी। मेरे साले ने मेरे पैरों को हाथ लगाया और मुझसे उस झगड़े के लिए माफी मांगी। हालात के मद्देनजर मैंने भी उसको बोला कि जहां दो बर्तन होते हैं आवाज़ भी वहीं होती है।
उस दिन सुबह तीन बजे के करीब हरदीप ने एक लड़के को जन्म दिया।
हम उसी दिन दोपहर को तीन बजे उनको हॉस्पिटल में ही छोड़ कर अपने घर वापस आ गए।
अगले दिन मैंने फोन करके हरदीप की तबियत के बारे में उससे पूछा।
बच्चे के जन्म के पांच दिन बाद सुबह ही हरदीप ने मुझे फोन किया।
वो मुझसे बोली कि उनको पंद्रह हजार रुपये की जरूरत है, जो कि उनके हॉस्पिटल के बिल भरने के लिए चाहिएं।
उसने मुझसे बोला कि वो दो महीने में सारे पैसे वापस कर देंगे।
मैंने उनकी मजबूरी और हालात को समझकर उनको रुपये दे दिए।
उस दिन के बाद से हमारे रिश्ते में सब नार्मल हो गया और हम पहले की तरह ही एक दूसरे के घर आने जाने लगे।
इसी तरह 6 महीने गुजर गए मगर उन्होंने मुझे मेरे पैसे वापस नहीं किये। मैंने हरदीप को फ़ोन लगाया और उससे पैसे वापस करने को बोला। वो बोली कि अभी उनके पास पैसे नहीं है मगर वो जल्दी ही लौटा देंगे।
इसी तरह दो महीने फिर से निकल गए।
एक दिन मैं किसी काम से रोपड़ गया था. रोपड़ में ही मेरा ससुराल है. मैंने सोचा कि आज घर जाकर ही हरदीप को पैसों के बारे में पूछता हूं।
मैं सीधा अपने ससुराल चला गया।
मैंने दरवाजा खटखटाया और हरदीप ने दरवाजा खोला। मैं और हरदीप ड्राइंग रूम में चले गए। मैं वहाँ बैठ गया और हरदीप किचन में चली गई। वो मेरे लिये दूध गर्म करके ले आई।
हरदीप से मैंने पूछा- घर के बाकी सभी लोग कहां गए हैं?
हरदीप- वो (हस्बैंड) तो ड्यूटी पर हैं. सास, ससुर और मेरी बेटी किसी रिश्तेदार के यहां गये हैं। छोटा बेटा अभी सो रहा है।
मैंने हरदीप को पैसों के बारे में बोला तो वो बोली- अभी पैसे तो नहीं हैं।
तो मैंने हरदीप को बोला कि मुझे बहुत ज्यादा जरूरत है।
तब वो बोली कि हम अभी पैसे नहीं दे सकते।
हरदीप को मैं बोला- इस तरह कैसे चलेगा? तुमने मुझे दो महीने में पैसे वापस करने का वादा किया था।
तभी वो बोली- हम एक साल बाद आपके पैसे दे देंगे।
मैं सोफे पर से उठा और बिल्कुल उसके पास जाकर खड़ा हो गया।
मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और बोला कि एक साल तक पैसे भले ही रख लो पर ब्याज तो देना पड़ेगा।
वो भी मेरा इरादा समझ चुकी थी.
फिर भी उसने मुझसे पूछा- कितना ब्याज लगेगा?
मैंने हरदीप को बोला- तुम्हें मुझसे चुदना पड़ेगा।
यह सुनकर वो गुस्से से खड़ी हो गई और ऊंची आवाज में बोली- यह आप क्या बोल रहे हो? मैं ऐसी वैसी नही हूं। तुम क्या सोचते हो कि मैं रंडी हूं? जो पैसों के लिए किसी के भी नीचे लेट जाए? क्या सोचकर तुमने मुझे यह बात बोली?
उसकी बात सुनकर मेरी तो बोलती बंद हो गई। मुझे लगा कि अब यह सबको बता देगी। मैंने उसके आगे हाथ जोड़े और बोला कि मैं तो मज़ाक कर रहा था. प्लीज़ यह बात किसी को नहीं बताना।
पांच मिनट तक उसने मुझे खूब बुरा भला कहा।
अचानक वो मेरे बिल्कुल करीब आ गई। मुझे लगा कि हरदीप बहुत ज्यादा गुस्से में है, पर वो मेरे नज़दीक आकर मुस्कराने लगी।
मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था।
तभी वो बोली- मैं तो उस दिन से ही आपसे चुदवाना चाहती थी जब आपको मैंने पहली बार देखा था।
मैंने हरदीप को पहली बार उसकी मंगनी में देखा था।
मैं अभी भी चुप था.
तभी वो फिर से बोली- मैं तो तैयार थी, कभी आपने कोशिश ही नहीं की।
मैंने उसको पूछा- फिर तुमने बताया क्यों नहीं?
उसने जवाब दिया कि उसको डर लगता था कि मैं कहीं गुस्सा ना हो जाऊं।
उसके ऐसा बोलते ही मैं खड़ा हो गया और उसको कसकर बांहों में भर लिया। उसने भी अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं।
मैं हरदीप के भरे हुए जिस्म का अपने हाथों से मुआयना करने लगा। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसको किस करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।
किस करते हुए मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी। वो जीभ को लन्ड की तरह चूसने लगी।
उसके जीभ चूसने से मुझे पता लग गया था कि वो लन्ड चूसने की मंझी हुई खिलाड़ी है।
मेरा लन्ड मेरी पैंट में पूरी तरह टाइट हो गया था। पांच मिनट तक हम खड़े खड़े किस करते रहे।
मैंने उसके होंठ छोड़े और मैंने उसके कपड़े उतारने चालू कर दिए। मैंने उसका कमीज और सलवार उतार दिया।
वो ब्लू कलर की ब्रा पैंटी पहने हुए थी।
मैं उसके मक्खन जैसे हुस्न को निहारने लगा।
उसने मुझसे बोला- प्लीज इस तरह से न देखो, मुझे शर्म आ रही है।
उसके कहने पर मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं।
वो फिर से मेरे से लिपट गई और मेरी गर्दन पर चूमने लगी। वो अपना हाथ नीचे ले गई और पैंट के ऊपर से ही मेरे लन्ड को सहलाने लगी।
दो मिनट तक उसने मेरी गर्दन को चूमा और लन्ड को सहलाती रही। फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोल दिये और मेरी शर्ट उतार दी।
वो नीचे बैठ गई और मेरी पैंट के हुक खोलने लगी।
मैंने अपनी बनियान भी उतार दी। उसने मेरी पैंट और अंडरवियर एक साथ उतार दी।
उसने लन्ड को हाथ से पकड़ा और आगे पीछे करने लगी। उसने लन्ड का सुपारा नंगा किया और अपने नर्म होंठ मेरे लन्ड के सुपारे पर रख दिये।
अब वो अपना मुंह आगे पीछे चलाने लगी। वो सिर्फ सुपारे को ही मुंह में ले रही थी।
मैंने उसको ज्यादा लन्ड मुंह में लेने को बोला, पर वो सिर्फ सुपारे को ही मुंह में ले रही थी।
फिर मैंने उसका सिर पकड़ा और एक झटका लगा दिया। लन्ड उसके गले तक पहुंच गया।
मैंने लगभग एक मिनट तक उसके सिर को पकड़े रखा।
एक मिनट बाद मैंने उसका सिर छोड़ दिया.
उसने लन्ड को मुंह से बाहर निकाला। कुछ सेकंड्स बाद उसने लन्ड को फिर से मुंह में ले लिया।
अब वो पूरा लन्ड मुंह में भरकर चूस रही थी।
दो तीन मिनट बाद उसने लन्ड को मुंह से बाहर निकाला और मेरी गोलियों को मुंह में भरकर चूसने लगी।
वो कभी लन्ड को और कभी गोलियों को मुंह में भरकर चूस रही थी।
मुझे बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था।
पंद्रह मिनट बाद मेरे लन्ड ने उसके मुंह को वीर्य से भर दिया। वो पूरे मज़े के साथ पूरा वीर्य चट कर गई।
उसने लन्ड मुंह से बाहर निकाल दिया।
मैंने उसको उठाया और उसकी ब्रा उतार दी।
उसकी 36 साइज की चूचियां ब्रा की कैद से आज़ाद होकर मेरे सामने आ गईं।
मैंने उसका एक कबूतर पकड़ा और दबा दिया। उसके चूचे में से दूध निकलने लगा।
मैंने अपने होंठ उसके कबूतर पर रखे और उसका दूध पीने लगा।
पांच मिनट बाद उसके एक चूचे में दूध खत्म हो गया। मैंने उसके कबूतर को छोड़ दिया।
नीचे बैठ कर मैंने उसकी पैंटी नीचे कर दी। उसकी पंजाबी चूत पर बहुत छोटे छोटे बाल थे।
उसकी चूत पावरोटी की तरह फूली हुई थी। उसकी चूत के होंठ जुड़े हुए थे।
मैंने अपने हाथ की उंगलियों से उसकी चूत के लिप्स को खोला।
उसके मुंह से आआह … की आवाज़ आई। वो मेरा सिर पकड़ कर खड़ी हो गई।
मैंने उसके मुंह की तरफ देखा तो उसकी आंखें बंद थीं। मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और आगे पीछे करने लगा।
उसने अपनी टाँगें खोल दीं।
कुछ समय बाद मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं। अब उसके मुंह से आह आह … की आवाज़ें भी आने लगीं।
मैंने पांच मिनट तक उसकी चूत में उंगली की।
फिर मैंने उसकी चूत से उंगली बाहर निकाल ली।
मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत की दीवारों को साइड किया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत के दाने पर रख दी।
जैसे ही मैंने जीभ उसकी चूत से सटाई उसी समय वो पीछे हट गई।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- यह आप क्या कर रहे हो!! आप मेरी चूत को मुंह क्यों लगा रहे हो? यह जगह गंदी होती है। मेरे हस्बैंड ने तो कभी भी इस तरह नहीं किया।
इस पर मैंने बोला- यह भी सेक्स का ही एक हिस्सा है और तुमको इसमें बहुत मज़ा आएगा।
मैंने उसको वहीं पड़े सिंगल बेड पर लेटने को बोला।
वो लेट गई और मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया।
मैंने उसकी चूत की दीवारों को खोला और झुककर उसकी चूत पर होंठ रख दिये। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत के अंदर तक फिराने लगा।
उसने अपने हाथ मेरे सिर पर रखे और मेरे सिर को पंजाबी चूत पर दबाने लगी।
अपना काम मैंने चालू रखा।
वह पागलों की तरह गांड उछालने लगी और अनाप शनाप बोलने लगी। वो बड़बड़ा रही थी- आआह … बहुत मज़ा आ रहा है। प्लीज मेरी चूत को खा जाओ।
मैंने उसकी चूत के दाने को दांतों से हल्का सा काटा। वो कुछ नहीं बोली। मैं उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा।
दस मिनट बाद उसने मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और एक जोरदार चीख के साथ उसकी चूत से कामरस बहने लगा।
उसने मेरे सिर को तब तक दबा कर रखा जब तक वो पूरी तरह से शांत नहीं हो गई।
वो अब इस तरह लेट गई जैसे कि उसके जिस्म में जान ही न हो।
उसकी सांसें तेज़ गति से चल रही थीं।
मैं उठा और उसके बगल में लेट गया। दो तीन मिनट बाद मैं उठा और उसके कबूतर को मुंह में भर लिया। उसके चूचे से दूध निकलने लगा।
मैंने उसके कबूतर को अच्छी तरह से तब तक चूसा जब तक कि उसमें से दूध निकलता रहा।
हरदीप फिर से गर्म होने लगी। वो अपने हाथ से मेरे लन्ड को सहलाने लगी।
लन्ड भी इस नए और नर्म माल की चूत में घुसने के लिए पूरी तरह तैयार था। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रखे और उसको यहाँ वहां चूमने लगा।
अब वो कंट्रोल से बाहर हो रही थी। उसने मुझे बोला- प्लीज अब मुझे चोदो, मैं बच्चा होने के बाद से अभी तक नहीं चुदी हूं। प्लीज मेरी चूत की गर्मी को शांत कर दो।
उसके बोलते ही मैं उठकर अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसको बोला कि लन्ड को मुंह में लेकर थोड़ा गीला कर दो।
वो उठी और लन्ड पर थूक गिराकर उसने हाथ से पूरे लन्ड पर थूक लगा दिया।
मैं उठ कर उसकी टांगों के बीच में आ गया और लन्ड को उसकी चूत पर रखकर उसके ऊपर झुक गया।
मैंने झटका लगाकर लन्ड उसकी पंजाबी चूत में डाल दिया।
उसने कसकर मुझे बांहों में भर लिया।
अब मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए।
वो सिसकारने लगी- आआह … जोर से चोदो मुझे … फाड़ दो मेरी चूत को।
उसका इस तरह बोलना मुझे उकसा रहा था और मैं और ज्यादा तेजी से झटके लगाने लगा।
वो भी नीचे से हर झटके का जवाब चूत उठाकर देने लगी।
हम दोनों पूरी मस्ती में आ चुके थे।
मैं उसको और वो मुझको यहां वहां चूम रहे थे।
10 मिनट तक मैंने उसको इसी पोजीशन में चोदा।
फिर वो बोली- आप नीचे लेट जाओ, मैं आपके ऊपर आती हूं।
उसके बोलने पर मैं बेड पर लेट गया और वो बिजली की गति से उठी और अपनी चूत को मेरे लन्ड पर रखकर एक झटके के साथ बैठ गई।
हरदीप बिना रुके ऊपर नीचे कूदने लगी।
वो लन्ड को सुपारे तक बाहर निकालती और फिर पूरी तेज़ी से नीचे बैठ जाती।
मैंने हाथ से उसके निप्पल को पकड़ा और उसको अंगूठे और उंगली के बीच में लेकर जोर से मसलने लगा।
वो दर्द से कराहने लगी, मगर उसने अपनी लन्ड पर उछलने की स्पीड को नियंत्रित रखा।
उसको लन्ड पर उछलते हुए पंद्रह मिनट से ज्यादा का समय हो चुका था।
तभी वो एक जोरदार झटके के साथ झड़ गई।
उसकी चूत से कामरस बह निकला। वो बिल्कुल निढाल सी होकर मेरे ऊपर लेट गई।
दो मिनट तक मैंने नीचे से हल्के हल्के झटकों के साथ उसको चोदना जारी रखा।
तब मैंने उसको बोला- चलो अब लन्ड पर कूदो।
वो बोली- मैं थक गई हूं औऱ मैं अब और चुदाई नहीं करवा सकती।
मैं बोला- मेरा लन्ड तो अभी नहीं झड़ा है।
वो बोली- मैं आपका पानी मुंह से निकाल देती हूं।
ये बोलकर वो उठी और लन्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी। पांच मिनट तक उसने लन्ड को अच्छी तरह से चूसा।
मेरे लन्ड की नसें फूलने लगीं; मैंने उसको बोला- मेरा होने वाला है।
उसने पूरा लन्ड अपने मुंह में भर लिया। सुपारा उसके गले तक पहुंच गया था.
तभी लन्ड ने वीर्य की पिचकारी उसके गले में छोड़ दी।
उसके बाद एक के बाद एक कई पिचकारियों से मैंने उसका मुंह वीर्य से पूरा भर दिया।
वो पूरा वीर्य निगल गई। उसने चाटकर पूरे लन्ड को अच्छी तरह से साफ कर दिया।
मुझे उसकी चुदाई करके बहुत मज़ा आया।
वो भी मेरे साथ किये सेक्स से संतुष्ट थी।
फिर मिलने का वादा करके मैं वहां से चला आया।
उस दिन की चुदाई के बाद वो महीने में एक बार मुझसे जरूर मिलती थी और हम सेक्स करते थे।
लगभग चार महीने बाद उसके हस्बेंड यानि कि मेरे साले का वीज़ा आ गया।
मेरी सास मुझसे बोली- तुम इनको दिल्ली छोड़ने चले जाना।
मैंने उनको बोला- ठीक है, हम चले जायेंगे।
जिस दिन हमें दिल्ली के लिए निकलना था उस दिन अचानक ही मेरी बीवी की तबीयत खराब हो गई। मेरी बीवी ने जाने से मना कर दिया।
मैं, मेरा साला और हरदीप दिल्ली के लिए सुबह साढ़े दस बजे निकल गए।
मैं गाड़ी चला रहा था. मेरा साला मेरे बगल वाली सीट पर बैठा था और हरदीप पीछे वाली सीट पर बैठ थी। जाते समय क्योंकि मेरा साला साथ में था इसलिए मैं हरदीप के साथ कोई हरकत नहीं कर सकता था।
मैं हरदीप को मिडल ग्लास में से देख रहा था। दिल्ली पहुंचते हुए हमें शाम के साढ़े चार बज गए थे। मेरे साले की फ़्लाइट आठ बजे की थी। हमने एयरपोर्ट पर पहुंचकर कॉफी पी।
मेरे साले ने हमें बोला- आप लोग किसी होटल में कमरा लेकर रुक जाना और कल इसको थोड़ी शॉपिंग करनी है, वो करके आप लोग कल वापस चले जाना।
साढ़े 6 बजे मेरा साला एयरपोर्ट में अंदर प्रवेश कर गया।
हरदीप की आंखें भर आईं।
उसके जाने के बाद मैंने हरदीप को संभाला और कुछ समय बाद हम पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में चले गए।
वहां मैंने हरदीप से पूछा- अलग अलग रूम लेने हैं या एक ही ले लें?
वो बोली- एक ही रूम ले लो। बड़ी मुश्किल से तो ऐसा समय मिला है जब मैं पूरी रात आपके लन्ड की सेवा करूँगी।
दोस्तो, आपको पंजाबी चूत की कहानी कैसी लगी अपनी राय अवश्य दें। अगले भाग में आपको बताऊंगा की कैसे दिल्ली के होटल चुदाई हुई और मेरी सलहज की चुदाई में क्या हालत हुई।
मेरी ई-मेल आईडी है- [email protected]
पंजाबी चूत की कहानी आगे भी जारी रहेगी।