मेरे परिवार की सेक्स कहानी

Xxx फॅमिली सेक्स लाइफ बता रही है एक भाभी इस कहानी में! भाभी ने बताया कि जब वह सोकर उठी तो उसने क्या क्या सेक्सी घटनाएँ देखी अपने ही घर में!

नमस्कार दोस्तो, यह सेक्स कहानी मेरी ज़िंदगी पर आधारित है या यूं कह लीजिए कि मेरी ज़िंदगी की ही आपबीती है.
मेरी जिन्दगी कोई सेक्स स्टोरी से कम नहीं.
इसमें आपको हवस और सेक्स के साथ साथ कई रोमांचक किस्से मिलेंगे.
इस Xxx फॅमिली सेक्स लाइफ स्टोरी को पढ़ कर आपको बहुत आनन्द आएगा.

सबसे पहले मैं आपको कहानी के पात्रों से मिलवा देती हूँ.

मेरा नाम शीतल भटेजा है.
मेरी उम्र 28 साल है और मैं हाउसवाइफ हूँ.
मेरा बदन एकदम दूध सा गोरा है. बाल नितंबों तक लहराने वाले लंबे और घने काले हैं.
मेरी फिगर 34-30-36 की है और कद 5 फुट 3 इंच का है.

मेरे पति का नाम अंकित भटेजा है और वे 30 साल के हैं.
अंकित अपने पापा मतलब मेरे ससुर के साथ हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं.

हमारी शादी को 3 साल हो गए हैं और हमें एक डेढ़ साल की बेटी भी है, उसका नाम वंशिका है.

अंकित के बड़े भैया का नाम सूरज है.
वे बैंक मैनेजर हैं और उनकी बीवी मानवी एक कंपनी में एचआर मैनेजर है.

मानवी भाभी की उम्र 35 साल है और वे उम्र में सूरज भैया से एक साल बड़ी हैं.

उनकी हाइट लगभग साढ़े पाँच फिट है और फिगर 36-34-38 का.
उनका रंग हल्का सांवला सा है और बूब्स बड़े व सख्त हैं.

उन दोनों का अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ है.

मेरा एक छोटा देवर भी है, उसका नाम सुमित है.
उसकी उम्र 27 साल है और वह अभी घर में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रहा है.
वह सारे दिन या तो सोता रहता है या आवारागर्दी करता है.
उसके रंग ढंग से ऐसा कहीं से नहीं लगता है कि यह यूपीएससी का यू भी पास कर पाएगा.

घर में मेरी सास भी हैं और हमारे घर में उन्हीं की चलती है.

हम सब एक ही घर में रहते हैं. हमारा घर करोल बाग, दिल्ली में है.

उस दिन का दृश्य है.
सुबह 6 बजे का समय था.

भटेजा हाउस की डोरबेल बजी.
मैं अपने बिस्तर से उबासी लेती हुई उठी- उन्ह … मम्मी जी ने भी ना दूध लेने की जिम्मेदारी मुझे ही दे रखी है. रोज़ मेरी नींद खराब हो जाती है.

मैं किचन से बर्तन लेकर गई और गेट खोल कर देखा.
सामने दूधवाला खड़ा था.

दूधवाला- नमस्ते मैडम.
मैं- न..नमस्ते

मैं अभी भी उबासी ले रही थी.
‘लो, इसमें दूध डाल दो!’

पर दूध वाले का ध्यान तो कहीं और ही था.
वह मेरी नाइटी की थोड़ी सी खुली चैन से मेरी क्लीवेज को निहार रहा था.

कमीना अपनी हवस भरी आंखों से मेरे दुधारू मम्मों पर नज़र गड़ाए हुए था.
पर मैं भी कोई कच्ची खिलाड़िन नहीं हूँ

मैं- ओ भैया … कहां खोए हुए हो. दूध डालो … मैं बर्तन लिए खड़ी हूँ!

दूधवाला- अरे भाभी जी, क्या बताएं कहां खो गया था … गजब का नज़ारा दिख गया था.
उसकी कमीनगी भरी भाषा को मैं समझ रही थी कि साले को मेरी चूचियों का कामुक नजारा दिख रहा था और हरामी का लंड भी कड़क होने लगा था.

उसने जल्दी से मेरे बर्तन में दूध डाला और मैं दूध लेकर अपनी गांड हिलाती हुई अन्दर चली गयी.

अब मैं अपने सास ससुर के कमरे की तरफ जाकर देखने लगी कि मम्मी जी अब तक क्यों नहीं उठी हैं.
अब तक मेरी सास कमरे में क्या कर रही हैं.

उधर गई तो उधर का तो माहौल ही अलग था.
वे दोनों अपने बिस्तर पर अधनंगे पड़े थे.

मेरे ससुर का मोटा काला लंड बाहर निकला हुआ खुली हवा में आराम कर रहा था और मेरी सास की चूत गीली हो रही थी.
ज़रूर पिछली रात को दोनों ने ज़बरदस्त चुदाई की थी.

मैंने सोचा कि अभी इन्हें जगाना ठीक नहीं है, आराम करने देती हूँ.

अब सुबह के 8 बज गए थे.

पापा जी उठ कर बाहर आ गए और अख़बार पढ़ रहे थे.

मम्मी जी किचन के बाहर हॉल में बैठ कर मटर छील रही थीं.

मैंने देखा कि आज वे मंद मंद मुस्कुरा रही थीं.
क्यों ना मुस्कुराएं, पिछली रात उनकी चूत की प्यास जो शांत हुई थी.

मैं किचन में खाना बना रही थी और अपने चूतड़ ठुमकाती हुई गाना गुनगुना रही थी.

अब मैंने सोचा कि चल कर देखती हूँ कि मेरी Xxx फॅमिली में मेरे जेठ के कमरे में क्या हो रहा है.
उधर गई तो देखा कि मानवी भाभी नहा कर तैयार हो रही थीं.

उनकी तैयारी देख कर लग रहा था कि आज इनकी कोई खास मीटिंग है इसलिए वे जरा जल्दी ऑफिस जा रही थीं.
उन्होंने अपने ऑफिस के फॉरमल्स कपड़े पहने हुए थे.
वाइट शर्ट, ब्लैक ट्राउज़र और ब्लैक लेदर हील्स.

कपड़े टाइट फिटिंग होने की वजह से मानवी भाभी के मोटे बूब्स और ज्यादा बाहर को आ रहे थे.

सूरज भैया बेड पर लेटे हुए मानवी भाभी को देख रहे थे.
अचानक से वह खड़े हुए और उन्होंने भाभी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.

मानवी- हम्म … आज तो आपको अपनी बीवी पर बहुत प्यार आ रहा है!
सूरज भैया ने भाभी के मम्मों को अपने दोनों हाथों से दबोच लिया.

सूरज- अच्छा जी, आपसे प्यार नहीं करूंगा तो किससे करूँगा.
यह कर कर भैया ने भाभी के मम्मों को और जोर से दबोच लिया.

मानवी- अम्म … आह … जाने दीजिए न … आईंम गेटिंग लेट यार … आज ऑफिस में एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है.

सूरज भैया मानवी भाभी के बाल साइड करके उनकी गर्दन को चूमने लगे और उनके मम्मों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए सहलाने लगे.

सूरज- ऐसे कैसे जाने दें … आप तो हो ही इतनी मस्त कि एक बार हाथ आ जाओ तो चोदे बिना जाने देने का मन ही नहीं करता. ऑफिस में तो रोज़ मीटिंग अटेंड करती हो. आज मेरी मीटिंग अटेंड करके देखो, बहुत मज़ा दूँगा.

सूरज भैया का लंड डंडे की तरह सीधा खड़ा हो गया और वे नीचे मानवी भाभी की मोटी गांड की दरार से टकरा रहा था.

भैया के लंड की हलचल से ना चाहते हुए भी मानवी भाभी गर्म होने लगी थीं.

मानवी भाभी खुद को रोक नहीं पाईं और कामुक आहें भरती हुई सूरज भैया की तरफ घूम गईं.

मानवी भाभी- आप बहुत शैतान हो गए हैं. रोज़ अपने सांप से मेरा हाल बेहाल कर देते हैं.

मानवी भाभी सूरज भैया का खड़ा लंड अपने हाथ में लेकर उसे हल्के हल्के से सहलाने लगीं.
सूरज भैया ने मानवी भाभी को गोद में उठा लिया और बेड पर लेटा दिया.

तभी भैया ने भाभी की बेल्ट खोल दी और उनकी पैंट का हुक खोल कर ज़िप नीचे सरका दी.
भाभी की पैंट भैया ने धीरे से नीचे खींच दी और निकाल दी.

भैया ने मानवी भाभी की पर्पल कलर की पैंटी को उतारकर उनके घुटनों तक खींच दी.

मानवी भाभी- अजी थोड़ा जल्दी जल्दी कीजिए, मुझे ऑफिस भी टाइम से पहुंचना है.

यह सुनकर सूरज भैया ने भी समय खराब नहीं किया और सीधे अपने पजामा का नाड़ा खोल कर नीचे कर दिया.
भैया का लंड पहले से ही एकदम सख़्त था.

वे मानवी भाभी की टांगों को ऊपर उठा कर अपनी दो उंगलियों से उनकी चूत पर थूक लगाने लगे.
फिर भैया ने अपना तना हुआ लंड चूत के छेद के निशाने पर सैट करके एक झटके से अन्दर घुसेड़ दिया.

मानवी भाभी की काम वासना भरी सिसकारी निकल गई- आह मर गई!
भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं.

सूरज भैया ने अपना लंड बाहर निकाला और वापस एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया.

उनका लंड मानवी भाभी की चूत में पूरा घुस गया.
भाभी की आह आह निकलने लगी और भैया ने अपनी स्पीड बढ़ा कर चुदाई चालू कर दी.

ऐसे ही सूरज भैया अपना लंड अन्दर बाहर करने लगे और मानवी भाभी की रसीली चूत की गहराई मापने लगे.

मानवी भाभी- आह आह सूरज जी आपने तो सुबह सुबह मज़े दे दिए … आह ठोकते रहिए … आह बड़ी खुजली मच रही ही सुबह से आह!
कुछ ही देर में मानवी भाभी चरम सुख की अनुभूति करने लगी थीं.

वे अपनी शर्ट के ऊपर से ही अपने हाथों से अपने बूब्स दबोच कर मसलने लगी थीं.

भाभी की चूत से पानी रिसने लगा था, नीचे की चादर गीली हो चुकी थी.

सूरज भैया- मानवी, तेरी चूत तो जन्नत है. मेरा होने वाला है.
मानवी भाभी- अन्दर मत गिराना, नहीं तो चेंज करना पड़ेगा. मुझे ऑफिस निकलना है.

सूरज भैया ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और अगले दस सेकेंड बाद अपना लंड बाहर निकाल लिया.
उन्होंने फर्श पर ही लंड का रस झाड़ दिया.
उनके लंड का कुछ रस मानवी भाभी के पैरों पर भी टपक गया था.

दोनों थक कर आजू बाजू में लेट गए और अपनी सांसों को नियन्त्रित करने लगे.

फिर वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

मानवी भाभी खड़ी होकर एक कपड़े से अपने पैर में लगा लंड का मुठ साफ करने लगीं और अपने कपड़े पहन कर ऑफिस के लिए निकल गईं.

अब मैं उधर से हट कर सबके लिए चाय बनाने लगी थी.

मम्मी जी- शीतल … सुमित को उसके कमरे में चाय दे दे और उसको जगा भी दे. बोलकर सोया था कि टाइम से जगा देना!
मैं- अच्छा मम्मी जी.

मैं चाय लेकर देवर जी के कमरे की तरफ बढ़ गई.
मैं देखती हूँ कि मेरा देवर एक बरमूडा पहने हुए सो रहा था.

उसका एक हाथ उसके बरमूडे में था और शायद वह अपने लंड की मुठ मारता हुआ ही सो गया था.
बरमूडा में वीर्य के दाग लगे थे.

मैंने चाय का कप रखा और देवर को आवाज देकर जगाने लगी.
वह मेरी आवाज सुनकर उठ गया और अपना हाथ बरमूडे से बाहर निकाल कर शर्माने लगा.

मैंने कहा- चाय रखी है.
वह कुछ नहीं बोला और उठ कर अपने बाथरूम में चला गया.

मैं भी बाहर आ गई.

अब मैं अपने कमरे में जाने की सोच ही रही थी कि तभी मेरी बेटी वंशिका के रोने की आवाज आई.

मैं कमरे में जाकर उसे दूध पिलाने लगी और बगल में सोये हुए अपने पति को जगाने लगी.
मेरे पति ने अंगड़ाई लेते हुए आंखें खोलीं और दूसरे वाले दूध से मुँह लगा दिया.

वैसे भी मेरी बेटी अब कम दूध पीती थी, तो एक न एक दूध भरा ही रह जाता था.

मैंने बड़े प्यार से अपने पति के मुँह में अपना एक निप्पल लगा दिया और वह मेरा थन चूसने लगा.

मुझे भैया भाभी की चुदाई देख कर बड़ी चुदास चढ़ रही थी और सुबह से दूध वाले की कामुक नजरों ने मेरी वासना को जगाने का काम कर दिया था.

कल रात पति ने मुझे चोदा भी नहीं था तो सुबह से चुदास सर चढ़ कर बोल रही थी.

कुछ ही देर में वंशिका वापस से सो गई और मैंने उसे सुला दिया.
यह उसका रोज का नियम बन गया था कि एक बार उठने के बाद वह दूध चूस कर वापस सो जाती थी और एक घंटा बाद उठती थी.

अब मैंने अपने पति को देखा और उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.
पति ने भी समझ लिया था कि रात का कोटा सुबह पूरा करना है.

उसने मुझे इशारा किया और अपना लोअर नीचे खिसका दिया.
मैंने भी अपनी नाइटी उतार दी और टांगें खोल कर लेट गई.

पति महोदय ने चूत में मुँह लगा कर उसे चिकना किया और झट से अपना लंड सैट कर दिया.
मुझे लौड़े की सख्त जरूरत थी तो मैंने भी लंड खा लिया और धकापेल चुदाई होने लगी.

दस मिनट में मैं झड़ गई और पति को चुदाई करते रहने को कह दिया.
अब मेरी नजर सामने खिड़की पर गई. उधर से देवर मुझे चूत चुदवाते हुए देख रहा था.

उससे मेरी नजरें मिलीं और उसने बेशर्मी से आंख मार दी और होंठ गोल करके चुंबन उछालने का इशारा कर दिया.
मेरी मुस्कान निकल गई.

तभी पति ने चूत में लंड की पिचकारी मार दी.

दोस्तो, यह Xxx फॅमिली सेक्स लाइफ कहानी काफी लंबी है.
अभी इसमें आगे आपको जेठ देवर ससुर के साथ चुदाइयों का तांता नजर आएगा.
पर उससे पहले आप मुझे ईमेल करें कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
अगली बार आपसे पुन: मिलती हूँ.
[email protected]