अनलिमिटेड सेक्स इन वाटर … यही किया मैंने अपने बॉस के साथ एक रिसोर्ट में खूब दारू चढ़ा लेने के बाद! उसने मुझे स्विमिंग पूल ने नंगी करके चोदा.
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कहानी के पिछले भाग
सरेआम नंगी होकर नाची रिसोर्ट में
में आपने पढ़ा कि
मैं नहा कर बाहर आ गई, मैं पार्टी के लिए जो काली मिनी स्कर्ट और लाल क्रॉपटॉप लाई थी वो पहन लिया।
नीचे मैंने त्वचा सी दिखने वाली स्टॉकिंग पहन ली।हल्का सा मेकअप किया और पार्टी के लिए बाहर आ गई।
अब आगे अनलिमिटेड सेक्स इन वाटर:
देखा तो उसी बगीचे में टेबल और कुर्सियां लगी थी।
गाने चल रहे थे।
एक ओर डीजे था, कुछ लोग वहां नाच रहे थे।
जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो।
मेरे लिए ये सब बहुत अजीब था।
किस दफ्तर में एक टीम ऑफिस से बाहर जाकर चुदाई के कार्यक्रम रखती हैं।
पर सबको देख के लगता था कि सब इन चुदाई कार्यक्रमों से खुश थे।
यहां तक कि पिछले 3 साल में हमारी टीम और कंपनी छोड़ के कोई नहीं गया था।
सबको 6-6 माह में मुफ्त की सामूहिक चुदाई जो करने मिलती थी।
टीम को लड़कियां भी खुश थी, अच्छे से चुद के और लड़के भी खुश थे।
इस सब से सबसे ज्यादा फायदा उठाते थे धीरज और दीपक … जो रोज टीम को लड़कियां शाम को बाहर ले जाकर चोदते थे।
अब मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा कि शाम की महफिलों में क्या होता होगा।
मैं अपने ख्यालों में थी कि किसी ने मेरे कंधे पे हाथ रख दिया।
“क्या सोच रही हो? सब ठीक?”
फिर अपने जाम से एक घूंट लगा दीपक दोबारा बोले- होली कैसी लगी सुबह?
उनके चेहरे पे जीत की मुस्कान साफ थी।
मैं झेंप गई.
“अरे क्या हुआ, तुम तो भांग पी कर खूब एंजॉय कर रही थी.” उन्होंने सामूहिक चुदाई का जिक्र किए बगैर मेरा चेहरा पढ़ते हुए कहा।
मैंने भी बातचीत को खराब ना करते हुए मुस्कुरा के कहा- जी, एक्सक्यूज मी … मैं कुछ खा कर आती हूं, आप कुछ लेंगे?
“नही, नहीं तुम खाओ, सुबह से तुमने कुछ खाया कहां है, तुम्हारे भांग के नशे में रोशनी ने तुम्हें कमरे में ले जाकर सुला दिया था.” दीपक ने कहा.
वो पूरी बात गोल कर गए।
मैं खाने के स्टॉल के लिए आगे बढ़ गई.
शायद आज फिर दीपक और धीरज का कुछ नया प्लान तो नहीं … यही सोच कर मैं पीछे मुड़ी दीपक को देखने के लिए … वो मुझे देख पैंट के ऊपर से अपना लिंग सहला रहे थे।
मैं वापिस मुड़ गई स्टॉल की ओर जाती हुई।
स्टॉल पहुंच कर मैंने प्लेट लेकर कुछ स्नैक्स प्लेट में डालने लगी।
मुझे अब तक नहीं पता था कि नाचते और पीते 35 लड़कों में मुझे चोदने वाले वो चार लड़के कौन थे।
इन्ही ख्यालों में थी कि धीरज मुझे खाने की जगह पर मिले।
“उतर गई भांग? ठीक हो? कैसी लगी होली की पार्टी?” धीरज ने कटाक्ष भरी मुस्कान से पूछा।
मैंने केवल सरकास्टिक मुस्कान से जवाब दिया।
मैं खाना लेके टेबल पे बैठ गई, मुझे बहुत भूख लग रही थी।
थोड़ी देर में दीपक भी आ गए, फिर वोही L I I T का ग्लास था उनके हाथ में।
“अरे तुम अपना ड्रिंक नहीं लोगी?” दीपक मेरे साथ बैठ कर मेरी जांघ पर हाथ रख के बोले.
मैं समझ गई, आज भी चुदाई का प्लान पक्का था।
दीपक टकटकी लगाए एक हाथ में अपना व्हिस्की का ग्लास लिए और एक हाथ में जली सिगरेट लिए, मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगे।
धीरे धीरे वो मेरी जांघें सहला रहे थे।
जैसे आँखों ही आँखों में मुझे नंगा कर रहे हो।
“आज तुम कयामत लग रही हो, ये टाइट मिनी स्कर्ट, ये लाल तंग टॉप, इरादा क्या है मैडम?” दीपक ने उठते वक्त मेरे कान में फुसफुसा कर कहा।
सुबह की जबरदस्त चुदाई के बाद में थक जरूर गई थी पर दीपक का मोटा लौड़ा काफी था मेरी थकान को दर किनार कर मेरी वासना को जगाने के लिए!
जैसा कि मुझे डर था, शाम के बाद मेरे अंदर रण्डी की आत्मा ने प्रवेश कर लिया था, अब इस रण्डी की आत्मा को किसी भी कीमत पर चुदना था।
मैं खाने के साथ साथ, अपना कॉकटेल पीने लगी।
दीपक ने शायद बारटेंडर को बोल दिया था कि जैसे ही मेरा जाम खत्म होने को हो मुझे दूसरा दिया जाए।
इसीलिए बिना मांगे ही कुछ वक्त बाद वेटर मुझे दूसरा ग्लास दे गया।
मैं सुरूर में आने लगी थी, झूमने लगी थी।
पर टल्ली अब तक नहीं थी।
पार्टी काफी ठंडी थी, सुबह के सामूहिक संभोग के बाद शायद सब तृप्त हुए, थके बैठे थे।
डिनर लग चुका था, मैंने खाने की प्लेट अपने लिए डाल ली।
मेरे हाथ में अब भी शराब का ग्लास था … शायद तीसरा।
खाते खाते, मेरा तीसरा ग्लास भी खत्म हो गया और मैंने चौथा पीना शुरू किया.
अब मैं काफी नशे में थी, और चूत पर भी चुदाई का नशा चढ़ने लगा था, मेरे अंदर की रण्डी को सब लड़कों में लौड़े दिखने लगे।
धीरज और दीपक एक टेबल पर अलग खाना खा रहे थे।
मेरे मन में उन दोनों से फिर से चुदने की तरकीब आई।
खाना खाकर प्लेट रख मैं पार्टी से निकल गई, अपने जूते उतार पूल में पांव डाले दीपक और धीरज का इंतजार करने लगी।
पैरों में लगता ठंडा ठंडा पानी अच्छा लग रहा था, मेरे रोंगटे खड़ा कर रहा था।
एक डेढ़ घंटे बाद, करीब आधी रात के बाद, दीपक कमरे पर लौट आए।
धीरज उनके साथ नहीं था।
शायद वो फिर रोशनी को चोदने गया था।
दीपक ने मुझे अकेला पाकर, अपने पास आता सुनहरा मौका लपका।
और वो भी मेरे साथ आकर पानी में पांव डालकर मेरी बायीं ओर बैठ गए।
उनका एक हाथ मेरी कमर पर था और दूसरा मेरी जांघें सहला रहा था।
“इतनी क्यों पीती हो, जब तुमसे झेली नहीं जाती … हुंह?”
यह कह के वो मेरी आंखों में आँखें डाल किस करने लगा।
उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया और स्टॉकिंग और चड्डी के ऊपर से चूत सहलाने लगा।
उसका कमर वाला हाथ मेरा दाहिना चूचा टटोल रहा था।
जब वो मुझे मसल कर गर्म हो गया तो दीपक ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और नंगा होकर पूल में चला गया।
मैं मन मन में सोच रही थी कि धीरज कहां रह गया, दीपक अकेले ही सारे मज़े लेने को आतुर था।
पूल में जाकर वो मेरी टांगों के पास आ गया और उसने अचानक ही मेरे दोनों घुटने अपने हाथों से खोल के अलग कर दिए।
अचानक हुए कसाव से मुझे स्कर्ट में चीरा लगने की आवाज आई।
पार्टी अभी भी चल रही थी, किसी को कुछ खबर नहीं थी कि यहां क्या हो रहा है।
दीपक ने अपने पूल के पानी से गीले हाथ मेरी जांघों के बीच रख दिए और देखते ही देखते उसने स्टॉकिंग चीर दी अब मेरी गुलाबी कच्छी उसे स्कर्ट के अंदर से दिखाई देने लगी.
उसने कच्छी साइड कर दी और अपनी उंगली अंदर डाल दी।
मैं जोर जोर से आहें भरने लगी.
दीपक ने देखा कि मैं गर्म हो गई थी और खूब मजे ले रही थी उसकी मोटी उंगलियों के!
उसने हाथ हटा लिया, मैं तड़प के रह गई।
तब उसने मेरा टॉप उतारा और स्कर्ट की जिप पीछे से खोल दी।
उसने मेरी स्कर्ट और टॉप निकाल दिए।
अब मैं केवल सफेद ब्रा और गुलाबी कच्छी में थी, स्टॉकिंग से तो छिपाने लायक कुछ बचा नहीं था।
दीपक ने मेरा हाथ थाम, मुझे पानी में खींच लिया।
सफेद ब्रा के अंदर से भूरी चूचियां तन गई और बाहर दिखने लगी।
दीपक उंगलियों से ब्रा के ऊपर ही निप्पल सहलाने लगे; उनका खड़ा लंड नीचे मेरे पेट पर चुभ रहा था।
मुझे दीपक ने गले से लगा लिया और पानी में धीरे धीरे रूमानी डांस करने लगे।
बगीचे में चलता संगीत जैसे हम दोनों के लिए बज रहा हो।
गले लगे हुए दीपक ने मेरी ब्रा खोल दी, फिर मेरी ब्रा उतार कर मुझे अधनंगी कर दिया।
अब कच्छी की बारी थी।
दीपक ने मुझे पूल के अंधेरे कोने में खड़ा किया और सांस रोक के पानी के अंदर चले गए।
उन्होंने मेरी कच्छी किनारे की, मेरी टांगें खोली और पानी के भीतर ही अपना लौड़ा मेरी चूत पर सेट किया।
वो जैसे ही खड़े हुए, लौड़ा अंदर धंस गया।
अब वो धीरे धीरे मज़ा लेते हुए खड़े खड़े मेरी चूत मारने लगे।
मुझे इस अनलिमिटेड सेक्स इन वाटर में खूब मजा आ रहा था.
मेरा चेहरा दीपक के सीने से चिपका था और दीपक के हाथ मेरी कमर थामे मुझे स्थिर रखे हुए थे ताकि वो आराम से मेरी चूत बजा पाएं।
तभी पूल कर्मचारी आ गया.
मैं दीपक के सीने से जा लिपटी, सिर्फ इस सोच में कि वो मुझे दोबारा ना देख ले।
इससे पहले कि पूल कर्मचारी कुछ बोलता, दीपक ने कहा- पैंट में पांच हजार हैं, निकाल ले और अब यहां मत फटकना।
पूल कर्मचारी ने पैसे निकाले और चला गया।
दीपक ने लंड घुसाए हुए मुझे अपनी गोद में उठा लिया और पूल की सीमेंट वाली सीढ़ियाँ चढ़ते हुए बाहर आ गए.
मैं अब भी उनकी बांहों में सिमटी अपनी चूत में उनका लंड घुसाए थी।
आप सब तो इन्स्टाग्राम देख कर जान ही गए होंगे कि मैं कोई हल्की फुल्की लड़की नहीं हूं।
पर दीपक भी कम बलवान नहीं थे, मेरे से दोगुना वजन था उनका।
दीपक मुझे कमरे के भीतर ले गए.
इस दौरान उनका लौड़ा एक भी बार मेरी चूत से फिसल कर बाहर नहीं आया।
दरवाजा बंद कर, उन्होंने मुझे बांहों में पकड़े पकड़े दीवार से सटाया और खड़े होकर अपनी गांड तेज हिलाते हुए मुझे चोदने लगे।
झड़ते हुए उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत से बाहर निकाल लिया, दीवार पर उनके वीर्य ने पेंटिंग बना दी।
वे बोले- आज तेरी चूत सुबह और कल से भी ज्यादा कसी है।
यह कह वो मुझे किस करने लगे।
उन्होंने मुझे नीचे उतार दिया.
मेरी कच्छी पर भी उनका माल लगा था।
सबूत मिटाने को उन्होंने मेरी कच्छी फाड़ दी और मुझे नंगी कर दिया।
अब वो कुर्सी पर बैठ गए और मुझे टांगें खुलवा के अपनी जांघों पर बिठा लिया।
मेरे नंगे दूधिया चूचे उनके हाथों में तड़प रहे थे।
तभी उन्होंने मेरी गांड पर एक तमाचा मारा।
मुझे दर्द नहीं हुआ पर मज़ा आया।
उन्होंने मुझे अब घूम कर उनके चेहरे की तरफ पीठ कर टांगें फैला कर उनकी गोद में बैठने को कहा।
मेरे अंदर की रण्डी सब खुशी खुशी करने को तैयार थी।
मैं जैसे ही बैठी, दीपक ने पीछे से मेरे दोनों चूचे पकड़ लिए और जोर जोर से मसलते हुए मेरी पीठ पर किस करने लगे।
“वीनस, तू नहीं जानती तू कितनी गर्म चीज़ है, तुझे देख कर तो मुर्दा भी लंड सहलाने लगे, कल तो तू बच गई थी, पर आज तुझे इतना चोदूंगा कि सुबह तक तेरी सारी प्यास, तेरे जिस्म की सारी गर्मी खत्म हो जायेगी।”
मैं दीपक की कामुक बातें सुन, और भी वासना में बहती जा रही थी।
दीपक बहुत देर तक मेरी चूचियां मसल मसल कर लाल करते रहे, कुछ ही देर बार उनका लंड फिर फुफकारें मारने लगा।
उन्होंने मुझे उसी जगह खड़े होने को कहा और लौड़ा मेरी चूत पर सेट कर दिया, फिर कंधों पर जोर देकर मुझे अपने लौड़े पर बिठा लिया।
अब मैं उछल उछल कर दीपक का साथ देते हुए चुदने लगी।
दीपक मेरी चूत का दाना सहलाते हुए मेरी गर्दन पर चूमने लगे और उनका दूसरा हाथ मेरा बायां स्तन थामे थे।
उनके चुम्बन एक अजीब से लहर के साथ मुझे खुल के चुदने को कह रहे थे।
दीपक का मेरा दाना मसलते हुए चोदना, मेरा दो दिन से चुदता जिस्म बर्दाश्त नहीं कर पाया।
मैं कामुक आवाज़ों के साथ गहरी सांसें लेती और अपने हाथ दीपक की जांघों में गड़ाती हुई झड़ गई।
दीपक अभी नहीं झड़े थे, दीपक ने मुझे वापिस उसकी ओर मुंह करके बैठने को कहा।
मेरे बैठते ही लौड़ा भी चूत में जा बैठा, दीपक मुझमें लौड़ा घुसाए हुए बिस्तर पर ले आए और मुझ पर चढ़ गए।
मैं अब भी मजे लेती हुई चुदने लगी.
दीपक का वजनी जिस्म और वजनी लौड़े के नीचे दबी हुई मैं कसमसा रही थी।
उन्होंने फिर वही अंदर बाहर का खेल शुरू कर दिया, वो पूरा लंड बाहर निकालते और फिर जड़ तक अन्दर घुसा देते।
लंड के अंदर घुसते के साथ जब मैं चिल्लाती तो वो मेरे मुंह पर हाथ रख देता।
काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा, दीपक झड़ने को नहीं हो रहा था.
उन्होंने लंड बाहर निकाला और मुझे चूसने को कहा।
मैं उसका मोटा लौड़ा अपना पूरा मुंह खोलकर चूसने लगी.
दीपक का लंड मेरी योनि रस में डूबा था, मेरा योनि रस खट्टा था और दीपक का रस नमकीन, एक बढ़िया सा स्वाद मुंह में आने लगा।
मैं अपनी जीभ घुमा कर उसके लौड़े को मज़ा दे रही थी.
दीपक अपनी आँखें बंद कर जैसे जन्नत की सैर कर रहा था.
अचानक दीपक जोश में आ गया, उसने मेरे बाल पकड़ लिए और जोर जोर से गले तक लंड घुसाने लगा।
फिर वो मेरे गले में ही झड़ गया; तृप्त हो गया, बोला- तू तो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है, किसी को भी खुश करने लायक है तू!
मैं और दीपक निढाल हो बिस्तर पर लेट गए, जाने कब मेरी आंख लग गई।
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कृपया ध्यान दें: कहानी की मुख्य पात्र वीनस सभी घटनाओं में पूरी चेतना में थी और अपनी मर्जी से सब कर रही थी.
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