पड़ोसन आंटी की चूत और गांड चोदी

सेक्सी आंटी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस में एक नई आंटी रहने आई. उनका सामान वगैरा सेट करने में मैंने उनकी मदद की तो उनसे आना जाना हो गया.

फ्रेंड्स, मेरा नाम रईस है और मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है.
मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है. मुझे लड़कियों की चूत और गांड बहुत पसंद है.

मेरी पिछली कहानी थी: मस्त हॉट मेम की चूत गांड चुदाई

आज जो सेक्सी आंटी चुदाई कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, ये कहानी मेरे पड़ोस में रहने के लिए आई एक नई आंटी की है.
आंटी का नाम साहिला है. उनके बड़े बड़े बूब्स ओर मोटी गांड है. एकदम दूध जैसा फेयर कलर है.

मेरी उम्र 28 साल है और अभी तक मैं बहुतेरी रंडियों व लौंडियों को पटा कर चोद चुका हूँ.
अभी लॉकडाउन की वजह से घर पर ही था.

लॉकडाउन में कुछ कुछ छूट मिलने लगी थी.
उस दिन हुआ कुछ ऐसा कि मेरे घर के बाजू में एक नई आंटी रहने आईं.

एक दिन मैं जब सुबह उठा तो देखा कि सामान शिफ्ट हो रहा है.
दस मिनट बाद मैंने देखा तो मैं हैरान हो गया. एक मस्त आंटी अन्दर से बाहर आकर हवा खाने के लिए खड़ी थीं.

उन्होंने सफ़ेद रंग की ड्रेस पहनी हुई थी और वो पसीने से भीगी हुई थीं.
सब सामान शिफ्ट करके काम करने वाले लोग वहां से चले गए.

मैं भी ऐसे ही बाहर आकर खड़ा हो गया.
अब मैंने उन्हें ध्यान आंटी को देखा तो उनकी उम्र 40-42 साल के आस पास की समझ आई.

मैं अभी उन्हें देख ही रहा था कि आंटी मेरे पास आईं और बोलीं- आप यहीं रहते हैं?
मैंने कहा- हां.

उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा, तो मैंने उन्हें अपना नाम बताया.
फिर उन्होंने कहा- मुझे फ्रिज को इंस्टाल करवाना है. कोई बिजली वाला आपके जान पहचान का है क्या?

मैंने हां कहा और फोन करके अपने एक परिचित को बुला कर आंटी का काम करवा दिया.
मैं वहीं खड़ा रहा.

उसके बाद वो बिजली वाला चला गया.
आंटी ने हेल्प करने के लिए मुझे धन्यवाद कहा और मेरा फोन नंबर ले लिया.

मैं उधर से चला आया.

घर आकर मैंने खाना खाया और जल्दी ही सो गया.
उसके बाद जब मैं सुबह सो कर उठा, तो मेरे फोन में दो मिस कॉल पड़े थे.
साथ ही कुछ अननोन नम्बर से 4 मैसेज भी आए हुए थे.

मैंने पहले मैसेज ही देखे. उसमें लिखा था- रईस आपने खाना खाया क्या और कल आप फ्री हो क्या?
मैं समझ गया कि ये आंटी के ही मैसेज हैं.

मैंने कमरे से बाहर निकल कर उन्हें कॉल किया.
सुबह की हैलो हाय के बाद आंटी बोलीं कि मुझे बाजार से कुछ सामान लेना था, इसलिए पूछ रही थी.

मैंने आंटी से बात करके 2 बजे का टाइम तय कर लिया.
मैंने उन्हें बताया- घर के थोड़ी आगे मैं बाइक लेकर खड़ा रहूँगा. आप मुझे वहीं मिल जाइएगा.

उन्होंने पहले तो कुछ संशय से देखा कि घर के थोड़ी आगे क्यों, पर फिर कुछ न कहते हुए हां कर दिया.
उसके बाद वो मुझे दो बजे मिलीं और बाइक पर मेरे पीछे बैठ गईं. वो जैसे महिलाएं बैठती हैं, वैसे ही बैठी थीं.

मुझे इस तरीके से बाइक चलाने में दिक्कत होती है.
मैंने उनकी तरफ परेशानी से देखा तो वो समझ गईं.

उन्होंने कहा- ऐसे में दिक्कत है क्या?
मैंने हां में सर हिलाया तो आंटी बोलीं- ओके मैं दोनों तरफ पैर डालकर बैठ जाती हूँ.

मैंने स्माइल दे दी.
उसके बाद आंटी मेरे पीछे अपनी मस्त जवानी मेरी पीठ से रगड़ती हुई बैठ गईं.

आह दोस्तो क्या बोलूं यार … उनके भरे हुए बूब्स मेरी पीठ की मां चोदने लगे थे.
मैं आंख बंद करके उनके मम्मों का मजा लेने लगा था.

उसके बाद मैं साहिला आंटी के साथ एक मॉल में आ गया.
उधर हम दोनों ने मिलकर शॉपिंग करना शुरू कर दिया.

काफी खरीदारी करने के बाद हम लोग कपड़े वाले फ्लोर पर गए. उन्होंने एक बॉक्स पैंटी खरीदी, जिस पर XL साइज़ लिखा हुआ था.
फिर बिल वगैरह चुका कर सामान बैग में डाले, तो बहुत सारा सामान हो गया था.

आंटी बोलीं- यार बाइक पर ये सब कैसे आ पाएगा. ऑटो करना पड़ेगा.
मैं क्या कहता … कोई चारा भी नहीं था.

आंटी ने ऑटो किया और उसमें बैठ कर चली गईं.
मैं ऑटो के पीछे पीछे बाइक पर चल कर आ गया.

उन्होंने घर पहुंच कर मुझे अपने घर पर बुलाया.
मैं बाइक रख कर आने की कह कर चला गया.

तब तक आंटी ने बाहर से खाना ऑर्डर कर दिया.
दस मिनट बाद मैं आंटी के घर आ गया और हम लोग बातें करने लगे.

मैंने उनके बारे में पूछा, तो वो बता रही थीं कि उन्हें उनके हज़्बेंड ने छोड़ दिया है. उनको एक लड़की है, वो अभी 21 साल की है. वो अपने पापा के साथ ही रहती है.

तो मैंने पूछा कि आंटी ऐसा क्या हो गया कि अंकल ने आपको छोड़ दिया?
उन्होंने कहा कि मेरी सास मेरे पति को भड़काती थी कि मेरा किसी दूसरे मर्द के साथ चक्कर है. बस ये सब कारण थे जिस वजह से बातें बढ़ती गईं और हम दोनों अलग हो गए. अभी मैं खुद जॉब करती हूँ और अकेली ही लाइफ जी रही हूँ.

फिर आंटी ने मुझसे मेरे बारे में पूछा.
मैंने भी उन्हें अपने बारे में सब बताया.

इस तरह से आंटी से मेरा ख़ासा मेल-जोल हो गया.
अब मेरा उनके घर पर आना जाना होने लगा.

यूं ही दो महीने निकल गए.
इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि मैं अपने आपको रोक नहीं पाया.

एक दिन रोज़ की तरह मैं उनके घर पर गया.
उनके घर का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था.
जैसे ही मैं अन्दर गया तो देखा कि आंटी सोई हुई थीं और टीवी चालू था.

मैंने देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली ही रह गईं.
आंटी की नाइटी घुटनों के ऊपर चढ़ी थी. उनके पैरों पर एक भी बाल नहीं था. एकदम चिकनी बेदाग टांगें थीं.

मैं बुत बना हुआ आंटी की सेक्सी फिगर को देखता रहा.
दस मिनट तक तो मुझे कुछ होश ही नहीं रहा.
फिर अचानक से मुझे कुछ होश आया और मैं वहां से निकल गया.

उस दिन मैं बहुत ज्यादा अजीब सा महसूस कर रहा था.
मेरी धमनियों में खून का मानो सैलाब सा आया हुआ था.

बाहर आकर मैं कुछ सोचने लगा.

फिर गली के बाहर निकल कर मैंने एक गुमटी पर खड़े होकर एक सिगरेट पी और सोचने लगा कि ये क्या हुआ था.

कुछ देर बाद मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं फिर से वहां चला गया.

आंटी अभी भी उसी पोजीशन में पड़ी सो रही थीं.
मैं 2-3 मिनट यूं ही खड़ा रहा.

उसके बाद मैंने आंटी के पैरों को सिर्फ़ हाथ लगाया और सहलाने लगा.
मुझे इतना अच्छा महसूस हो रहा था कि मैं लिख कर नहीं बता सकता.

उसके बाद मैंने आंटी की नाइटी को थोड़ा ऊपर को सरकाया.
मैं समझ रहा था कि आज आंटी की चूत देखने मिल जाएगी. लेकिन मेरी बदकिस्मती कि आंटी ने अन्दर पैंटी पहनी हुई थी.

मुझे आंटी की चूत की वीडियो या फोटो निकालने का मन था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.

फिर मैंने कुछ अलग होकर आंटी को आवाज़ लगाई.
मेरी आवाज सुनकर आंटी उठ गईं और उन्होंने अपनी नाइटी को सही किया.

मैंने हंस कर कहा- आंटी, दरवाज़ा तो बंद कर लिया करो, कोई चोर वगैरह घुस सकता है.
आंटी हंसने लगीं और बोलीं- पता नहीं कब नींद लग गयी, कुछ अहसास ही नहीं हुआ. दरअसल मेरे कंधे में इतना दर्द हो रहा था कि सहा नहीं जा रहा था. मैंने उसी वजह से एक दर्द की गोली खा ली थी, शायद उसी वजह से आंख लग गयी होगी.

मैंने कहा- अभी दर्द कैसा है?
उन्होंने कहा- हां अभी कुछ आराम है. तुम खड़े क्यों हो, बैठो न!

मैं आंटी के पास बैठ गया और उनसे बातें करने लगा.
उनके चेहरे पर अभी भी हल्का सा दर्द दिख रहा था.

मैंने पूछा- आंटी अगर दर्द ज्यादा है, तो मैं मसाज कर दूँ क्या?
उन्होंने पहले तो कहा- नहीं अभी ठीक हो जाएगा. मैं खुद मूव लगा लूंगी.

मैंने कहा- अरे उसमें क्या है … मैं कर देता हूँ न!
कुछ देर की मान मनौव्वल के बाद उन्होंने हां कर दिया.

उसके बाद उन्होंने मुझे मूव दे दी.
मैं आंटी के कंधों के पास आ गया और उनके कंधों पर मूव लगाकर मसाज करने लगा.

आंटी की मस्त जवानी देख कर पहले से मेरा लंड चूत चूत कर रहा था.
उनके नर्म जिस्म पर हाथ फेरने से तो लंड ने औकात दिखानी शुरू कर दी.

कुछ ही पलों में मेरा लंड खड़ा हो गया था.

मैंने हल्के से उनकी पीठ पर हाथ सरका दिया और पीठ पर मालिश करने लगा.
उन्होंने कुछ नहीं कहा.

उसके बाद मैंने और जोर से उनकी पीठ को रगड़ते हुए अपना पूरा लंड उनकी पीट पर टच कर दिया और ज़ोर ज़ोर मसाज करने लगा.

अभी मेरा हाथ उनके सीने तक भी जा रहा था.
वो भी मजे लेने लगी थीं.

मेरे हाथ को हर उस जगह जाने दे रही थीं जहां मैं ले जाना चाह रहा था.
उसके बाद मैंने सीधे सीधे उनके बूब्स के पास हाथ डाल दिया. आंटी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.

अब आंटी झट से आगे को हो गईं और गुस्से में बोलीं- ये क्या कर रहे हो … मैं जब से देख कर कुछ बोल नहीं रही हूँ तो तो इसका मतलब तुम गलत फायदा उठाओ?
मैं नीचे सर करके खड़ा हो गया और सिर्फ़ आंटी की बातें सुन रहा था.

वो बोले जा रही थीं- हर मर्द ऐसा ही होता है. मैं तुम्हें अच्छा समझती थी.
आंटी रोने लगीं.

मैंने कहा- साहिला आंटी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. मैं आपके साथ ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन जब आप सो रही थीं तब आपकी नाइटी आपके घुटने के ऊपर आ गई थी और वो सब देख कर पता नहीं मुझे क्या हुआ. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए. अगली बार ऐसा नहीं होगा.

वो चुप हो गईं और मैं वहां से निकल कर अपने घर आ गया.

फिर रात में 8 बजे मुझे आंटी का एक मैसेज आया.
‘सॉरी रईस, मैंने गुस्से में तुमको कुछ ज्यादा ही बोल दिया.’
मैंने कहा- मेरी भी ग़लती थी.

आंटी- मैं तुम्हारे लिए प्रॉन्स बिरयानी बना रही हूँ. आज खाना मेरे घर पर ही खा लेना.
मैंने कहा- ठीक है.

जब मैं उनके घर पर गया, तो वो मुझसे सामान्य तरीके से बात कर रही थीं.

मैं सोफे पर बैठा था.
वो मेरे बाजू में आईं और बोलीं- अभी तक कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया है?

उनके इस सीधे से सवाल से पहले तो मैं सकपका गया. फिर उनकी आंखों में देखा तो एक मीठी कसक और मुस्कान सी दिखाई दी.
मैंने कहा- तीन लड़कियों के साथ.

उन्होंने कहा- मेरे साथ करोगे?
मैंने कहा- हां.

फिर वो मेरे पास बैठ गईं और मुझे किस करना स्टार्ट कर दिया.
मैं भी आंटी को किस कर रहा था.

मैंने कुछ ही देर में उन्हें सोफे पर लिटा दिया और किस करते करते बूब्स मसलने लगा.
वो बहुत गर्म हो चुकी थीं.

उसके बाद मैंने उनकी कुर्ती उतारी और वो सिर्फ़ सलवार ओर ब्रा में थीं.

उसके बाद मैंने आंटी की ब्रा खोली.
इतने बड़े बूब्स मैंने आज तक नहीं देखे थे.

उनकी भरी हुई चूचियों पर कड़क और ब्राउन कलर के निप्पल बड़े मस्त लग रहे थे.
उनके अंडर आर्म्स में बहुत बाल थे. मैं आंटी की बगलों के बाल चाट रहा था.

कुछ देर यूं ही आंटी के मम्मे चूसने चाटने के बाद मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
आंटी ने अन्दर प्रिंटेड पैंटी पहनी थी. वो पूरी गीली हो चुकी थी.

मैंने आंटी की पैंटी के अन्दर जैसे ही हाथ डाला, तो झांटों का बहुत बड़ा जंगल था.
मैंने उनकी जांघों को चाटना शुरू कर दिया.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने उनकी पैंटी खींची तो चूत जंगल में फंसी थी.
आंटी की भोसड़ी में से एक बहुत गंदी स्मेल आ रही थी. लेकिन उस वक्त वो गंदी स्मेल भी मुझे अच्छी लग रही थी.

मैंने अपनी जुबान से चूत को चाटना चालू किया.

जैसे ही मैंने जुबान अन्दर डाली तो आंटी की गाली भरी आवाज निकलने लगी- आह रईस भड़वे … और मत तड़पा मादरचोद मुझे … पेल दे भैन के लंड मेरी चूत में अपना लौड़ा … आंह.

आंटी की इस बदली हुई भाषा को मैंने सुना तो हैरान रह गया.
मैंने किसी तरह से खुद को रोका और उनकी टांगें उठा कर गांड का खड्डा देखा.

मैंने आंटी की गांड में जुबान डाल कर चाटने लगा.
वो इससे एकदम से पागल हो चुकी थीं और बार बार अपना हाथ मेरे लंड पर ले जाने की कोशिश कर रही थीं.

फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनके सीने पर जाकर बैठ गया.

मैंने कुछ कहा भी नहीं, मगर उन्होंने मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया.
आंटी कभी लंड चाटने लगतीं, तो कभी गोटे.

अब जैसे ही मैंने लंड पर ज़ोर डाला तो मेरा पानी गिरने वाला हो गया था.
मैं वहां से हट गया. मैं 5 मिनट रुका और फिर से आंटी को किस करने लगा.

उसके बाद मैंने उनकी दोनों टांगों को फैलाया और उनकी चूत में अपनी दो उंगलियों को एकदम से डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी गाली देने लगीं- मां के लौड़े लंड पेल हरामी.

मैंने अपना लंड चूत पर सैट किया और एक करारा झटका दे मारा.
मेरा पूरा लंड अन्दर घुसता चला गया.

आंटी की चीख निकल गई.
मैं दे दनादन आंटी चुदाई में लगा रहा.

दस मिनट तक धकापेल बिना रुके ठुकाई करने के बाद मैंने आंटी के अन्दर अपना माल निकाल दिया.
आंटी बोलीं- बस इतना ही?

मैंने कहा- आंटी, पहली बार में जल्दी हो गया. आप कुछ मिनट रूको, मैं फिर से चालू हो जाऊंगा.
आंटी समझ गईं कि ये सब अतिउत्तेजना में हुआ है.

वो अपनी उंगली को अपनी चूत में डाल कर मेरे लंड को चूसने लगी थीं.
उसके बाद मैंने कहा- आपकी चूत नहीं भोसड़ा है. मुझे कुछ असर नहीं हो रहा है. मुझे आपकी गांड के छेद में डालना है.

उन्होंने ना कर दिया.
फिर मैंने कहा- प्लीज़.
वो मान गईं.

उनकी हां सुनते ही मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.

फिर मैंने थूक अपने लंड पर लगाया और उनकी गांड पर थूक कर अपना लंड उनकी गांड की छेद पर रखा. लेकिन जा नहीं रहा था और लंड अब तक सही से खड़ा भी नहीं हुआ था.
फिर मैंने उनके मुँह में अपना लंड डाला और उन्हें चूसने के लिए कहा.

आंटी ने लंड चूसा.
उसके बाद मेरा लंड रेडी हो गया.

मैंने आंटी कि ड्रेसिंग टेबल से तेल लिया और बहुत ज्यादा मात्रा में उनकी गांड के छेद में डाला, अपने लंड पर भी लगाया.
फिर जैसे ही मैंने लंड गांड में डाला तो मेरा लंड पूरा घुसता चला गया.

वो चिल्लाने लगीं- निकाल ले … आंह फट गई मेरी … आंह … बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझसे … आह मेरी लेट्रिन निकल ज़ाएगी.

मैंने उनकी एक नहीं सुनी और अपना काम जारी रखा.
कुछ देर बाद उन्हें भी मज़ा आने लगा था.

मैंने उनकी गांड के छेद के अन्दर ही अपना पूरा माल गिरा दिया और 10 मिनट उनके ऊपर लेटा रहा.
फिर हम दोनों उठे और नंगे ही बैठे रहे.

आंटी रसोई से खाना लेने भी नंगी ही गईं.
हमने खाना भी नंगे ही खाया.

खाना खाने के बाद हम दोनों ने फिर से सेक्स किया.
इस बार मैंने आंटी की चूत बजाई.

आंटी चुदाई के बाद मैं अपने घर आ गया.
उसके बाद जब मैं सुबह उठा तो देखा कि मेरे लंड में जलन हो रही थी.

शरीर पर बने दांतों के निशान जलन दे रहे थे.
फिर मैंने मोबाइल से आंटी को कॉल लगाया.

वो बोल रही थीं कि उनको लेट्रीन करने में बड़ी तकलीफ़ हो रही है, दर्द हो रहा है.
मैंने भी उनको अपने छिले हुए लंड की पिक भेजी और बोला- मेरा भी वही हाल है.

उसके बाद हम लोगों ने डिसाइड किया कि अभी 4-5 दिन सेक्स नहीं करेंगे.

अभी मैं आंटी को रोज़ चोदने लगा हूँ और मैं उनको रंडी बोलता हूँ.
वो मुझे चोदू भड़वा बोलती हैं.

हम दोनों बहुत खुश हैं.
मज़े की बात ये है कि उन्होंने मेरे घर से चार मकान छोड़कर अपने स्थाई निवास के लिए एक मकान खरीद लिया है.

आपको मेरी सेक्सी आंटी चुदाई कहानी कैसी लगी. मुझे मेल करें.
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