ऑफिस गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपने बॉस से चुदना चाहती थी, वे भी मुझे चोदना चाहते थे पर हम खुल नहीं पा रहे थे. बॉस ने मेरे सामने मेरे कुलीग को चोदा.
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मेरी कहानी के दूसरे भाग
बॉस की नजर मेरी गर्म जवानी पर
में आपने पढ़ा कि मैं वीनस अपने कुलीग्स के साथ बस में थी. मेरे दोनों ओर मेरे बॉस बैठे थे जो मेरी जवानी को नजरों से ताड़ कर मजा ले रहे थे, चाह रहे थे कि मौक़ा मिले तो इसे पेल दें.
हमारी बस रिसॉर्ट पहुंच चुकी थी और मैं मन में तरकीब लगा रही थी कि कैसे चुदूँ.
खुद सामने आकर वो चोदने की बात कतई नहीं करेंगे. नौकरी सबको प्यारी होती है, जब आप एक रौबदार ओहदे पर हों।
अब आगे ऑफिस गर्ल सेक्स कहानी:
मुझे एक आइडिया आया।
पर वो वक्त आइडिया पर काम करने का नहीं था, सामान लेकर कमरे में चेक इन करने का था, सबके कमरे पहले से तय थे और कमरा साझा करने वाले सहकर्मी भी।
कमरा मिलने के बाद धीरज ने पूछा- चेक इन हो गया? कौन सा कमरा है तुम्हारा? और किसके साथ हो?
“जी 206, रोशनी के साथ है मेरा नाम!”
रोशनी दीपक और धीरज के साथ शाम की शराब की महफिलों में जाया करती थी।
दीपक और धीरज एक ही कमरे में साथ रुके थे।
धीरज ने बताया कि वो 403 में हैं. कुछ जरूरत हो तो आ जाना, यहां फोन के सिग्नल थोड़े खराब हैं तो सबके साथ रहना.
“जी ठीक है!” कहकर मैं अपना सामान लेकर कमरा ढूंढने निकल पड़ी।
क्योंकि वो एक रिसॉर्ट था, कई एकड़ की जमीन में फैला था।
वहां कॉटेज थे और सारे कमरे अलग अलग विंग में बंटे थे।
विंग 1, 2, 3 और 4.
मेरा कमरा विंग दो में थोड़ी सी ऊंचाई पर था जहां से नीचे का बगीचा साफ दिखाई देता था।
रिसॉर्ट में रेस्तरां, स्विमिंग पूल, कॉन्फ्रेंस हाल सब था।
मैं घूमते घूमते अपने कमरे तक पहुंच गई।
कमरा खोला और बैग रखते ही बाथरूम दौड़ी, सुबह से सुसु नहीं किया था।
धीरज और दीपक ने हालत खराब कर रखी थी चूत की!
जब तक मैं बाहर निकली, रोशनी आ चुकी थी।
उसने आते ही कहा- तैयार हो जाओ, कॉन्फ्रेंस हाल में बुलाया है एक घंटे में!
उस वक्त 3 बज रहे थे।
मेरे बाथरूम से निकलते ही रोशनी अंदर चली गई, जैसे वो मेरे निकलने का इंतजार कर रही थी।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.
धीरज थे- मिल गया कमरा! हम्म्म … काफी अच्छा है ये वाला भी … चलो ठीक है। पता है न एक घंटे में कॉन्फ्रेंस हॉल में मिलना है. फ्रेश होकर आ जाओ.
ये कहकर धीरज चले गए।
मुझे लगा था कि अभी कुछ एक्शन होगा, कुछ चूमा चाटी, पर धीरज फुद्दू निकले!
मैं थकी थी, सुबह से बस में बैठे बैठे, उंगली करके फ्रेश होना चाहती थी, मेरा मन बिल्कुल नहीं था कॉन्फ्रेंस हॉल जाने का!
फिर भी मैं अनमने मन से तैयार हो रही थी.
मैंने जींस और एक खूबसूरत सा टॉप निकाला और रोशनी के बाहर निकलने का इंतजार करने लगी।
कुछ देर में रोशनी बाहर आ गई और मैं नहाने चली गई।
बस में हुई घटनाओं के कारण नहाती हुई जाने कब मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी, पता ही नहीं चला।
मैं दीपक और धीरज को मुझे चोदता हुआ सोच जोर जोर से अपना दाना हिला रही थी।
मेरी चूत इस तरह पानी छोड़ रही थी जैसे किसी ने अंदर नल खोल दिया हो।
एक हाथ से अपनी चूचियां भींचते हुए, मैं अपने हाथों को तेजी से हिला हिला के अपनी चूत का गिटार बजा रही थी।
सोच रही थी कि काश … दीपक और धीरज अभी बाथरूम का दरवाजा खोल अंदर आयें और फव्वारे के नीचे मुझे दम भर चोद डालें! एक आगे से मुंह में डाले, एक पीछे से चूत में! मेरी मटकती गांड को निचोड़ कर दोनों मिलकर मेरी टांगें हवा में करके मुझे दोनों अपने बीच सैंडविच बना के गोद में उठा लें और पीछे से दीपक मेरी गांड फाड़ चोदे और आगे से धीरज चूत फाड़ चुदाई करे।
इन सब सोच में मुझे उंगली करते करते बहुत वक्त हो गया था पर मैं झड़ नहीं पा रही थी क्योंकि दो लंड की कमी दो उंगलियां पूरी नहीं कर सकती।
मेरा हाथ थक चला था, मैंने परेशान होकर उंगली करना छोड़ दिया और हाथ का ‘अवांछित इस्तेमाल’ कर जल्दी से नहा के कपड़े पहन लिए।
बाहर आकर थोड़ा काजल और हल्की गुलाबी लिपस्टिक लगा मैं कॉन्फ्रेंस हॉल जा पहुंची।
तब तक 5 बज गए थे।
शुरू के बोरिंग प्रेजेंटेशन से में बच गई.
क्योंकि मैं सबसे बाद में आई थी, दरवाजा खुलते ही सब मेरी ओर देखने लगे।
मैंने सबसे माफी मांगी- सॉरी, मैं खो गई थी कॉन्फ्रेंस हॉल ढूंढते ढूंढते!
और एक जवान सुडौल सहकर्मी ने मुझे अपनी सीट दी बैठने के लिए।
झड़ ना पाने के कारण हर लड़का मुझे अब लंड दिखाई दे रहा था।
मन तो किया उसे कहूं कि आप क्यों उठ रहे हैं, मैं आपकी गोद में बैठ जाती हूं, बस अपनी जिप खोल के लौड़ा दे दीजिए।
अपने कामुक दिमाग में आते विचारों को दरकिनार करते हुए मैंने सीट ग्रहण की।
कॉन्फ्रेंस में अब खेल शुरू होने लगे.
एक खेल था गुब्बारे फोड़ने का!
गुब्बारे कूल्हों, जिप के स्थान पर और छाती पर बंधे थे और उन्हें बिना हाथ लगाए फोड़ना था।
और दो दो की जोड़ियां आकर कामुक एक्शन से गुब्बारे फोड़ने लगी।
पर्ची में मेरा और किसी अनजान लड़के का नाम आया अंकुर!
मेरे बड़े बड़े चूचों पर लगे गुब्बारे, मेरी 8 आकार की फिगर को और भी बड़ा दिखा रहे थे।
मेरी गांड पर गुब्बारे बंधे थे।
अंकुर ने बड़ी कोशिश की पर वो फोड़ नहीं पाया।
तभी धीरज और दीपक आए, एक ने आगे से छाती पर धक्का मारा और दीपक ने पीछे से गांड पर धक्का मारा.
दोनों ने मेरे सारे गुब्बारे फोड़ कर कहा- ऐसे फोड़े जाते हैं गुब्बारे, तुम लोग अभी बच्चे हो!
एक पल को उन दोनों के बीच सैंडविच बनने से मेरी कामवासना और भड़क गई।
अब मैं चुदने की योजनाएं बनाने लगी।
खेल खेल में दिन ढल गया, रात घिर आयी, डिनर का वक्त हो गया.
सब लोग खाना खाकर परफॉर्मेंस का मजा ले रहे थे.
एक कॉमेडी स्टैंड अप भी हुआ.
लड़कियों का ग्रुप डांस हुआ, फैशन शो और लड़कों के एक समूह ने गाना गया, गिटार, कीबोर्ड और ड्रम के साथ।
ये सभी परफॉर्म करने वाले लोग हमारे सहकर्मी ही थे।
परफॉर्मेंस के बाद दारू की बोतलें खुलना शुरू हो गई.
रिसॉर्ट ने हमारे लिए बार का इंतजाम बगीचे में ही किया था।
सभी शराब के पैमाने छलकाने लगे।
धीरज ने मुझे भी एक ग्लास लाकर दिया, बोले आइस टी है।
जैसे ही मैंने एक घूंट लिया, मैं तुरंत जान गई कि वो Long island iced tea थी, जिसे मयखानों में L I I T के नाम से जाना जाता है।
L I I T कोई आम कॉकटेल नहीं बल्कि एक ही ग्लास में सुरूर पैदा करने वाली कॉकटेल के रूप में जानी जाती है।
इसमें एक बेहद लंबे ग्लास को बर्फ से आधा भर दिया जाता है और वोदका, रम, जिन और व्हिस्की के एक एक 30 मि ली के पेग डाले जाते हैं, फिर एक नींबू निचोड़ा जाता है और ऊपर से कोक डाल दी जाती है, जिससे लंबा सा ग्लास पूरा भर जाए।
आम तौर पर एक कॉकटेल में केवल 30 मि ली शराब होती है, पर L I I T में 120 मि. ली. शराब होती है।
और अलग अलग शराब मिलाने से सुरूर बहुत जल्दी और जबरदस्त चढ़ता है।
खैर, धीरज के मुझे इस तरह से शराब पिलाने का मकसद मैं जान गई थी।
वो किसी भी तरह मुझे नशे में धुत्त कर चोदना चाहते थे।
मैं धीरे धीरे कर अपना जाम पी रही थी और सभी सहकर्मियों के साथ शाम का लुत्फ उठा रही थी।
दूसरी ओर खड़े धीरज और दीपक की नजर मुझ पर ही थी।
पर वे नहीं जानते थे कि मैं कितनी बड़ी बेवड़ी हूं।
एक बोतल वोदका तो मैं मजाक मजाक में गटक जाती थी।
जब मेरा पहला ग्लास खत्म हुआ तो दीपक आकार मुझे दूसरा ग्लास पकड़ा गए।
मैं धीरज को भीड़ में ढूंढ रही थी क्योंकि टल्ली होने का नाटक को 3सम में तब्दील करना था।
धीरज लड़कियों के बीच कन्हैया की तरह नाच रहे थे, कभी किसी को कमर पर हाथ रखते, कभी किसी की गांड छूते।
दीपक अब भी एक कोने पर खड़े थे, इस फिराक में कि मेरा जवां जिस्म कब घुटने टेकेगा, उन दोनों के बिछाए जाल में!
मैं टल्ली होने का नाटक करने लगी, इधर झूलती, उधर झूलती, किसी को गले लगाती गिरती।
तभी मेरे दो जिम्मेदार सहकर्मी जिन्होंने कभी मुझसे बात नहीं की थी, उन्होंने मुझे सहारा दिया और दीपक के पास ले गए।
“सर, हम इसे कमरे तक छोड़ने जाते हैं, लगता है ज्यादा पी ली है.” वे दोनों दीपक से इजाजत मांगते हुए बोले।
दीपक ने अनजान बनने का नाटक करते हुए पूछा- क्या तुम इसका कमरा जानते हो? क्योंकि ये तो बताने की हालत में नहीं लग रही!
“नहीं सर … आप सही कह रहे हैं, तो फिर अब क्या करें … इसकी हालत तो बिगड़ती सी लग रही है?” वो दोनों बोले.
“हम्म्म!” उन्होंने सिगरेट का कश लगाते हुए आह भरी।
“एक काम करो, इसे मेरे कमरे में ले जाओ, धीरज से चाबी ले लो.”
दीपक ने मुझे चोदने के अपने अटल इरादे को पूरा करने के लिए अपना मजबूत दांव फेंका।
मैं ये सब अपनी नशीली नज़रों से होता देख रही थी और निढाल होने का नाटक करते हुए दो मर्दों के सहारे खड़ी थी।
तभी वो भीड़ में धीरज को ढूंढने लगे, धीरज वहां नहीं था।
“अरे धीरज कहां चला गया … रुको मैं उसे फोन लगाता हूं … उफ्फ फोन के सिग्नल नहीं आ रहे!”
“एक काम करो, तब तक तुम दोनों इसे इन सब से दूर बने उस बेंच पर बिठा दो.” दीपक अपने बिछाए जाल से फिसलती मछली नहीं देख सकते थे।
तभी मुझे सहारा दिए लड़कों में से एक बोला- सर, क्या इसे अंधेरे में अकेले बिठाना ठीक होगा, इस वक्त सभी टुन्न हैं, कोई ऊंच नीच हो गई तो?
दीपक झेंप के बोले- मुझे तुम दोनों पर गर्व है, लड़कियों की सुरक्षा के बारे में सोचना, बहुत अच्छा ख्याल है.
कुछ देर बाद सोच कर जारी रहते हुए दीपक बोले- लाओ इसकी जिम्मेदारी अब मेरी, तुम दोनों पार्टी एंजॉय करो.
उन दोनों ने खुशी खुशी मुझे दीपक को सौंप दिया।
दीपक के बारे में बता दूं, वो आम से दिखने वाले व्यक्ति है, उनकी थोड़ी तोंद है और सर पर बाल भी कम हैं, काफी लंबे, चौड़े और ऊंचे हैं, लगभग छह फीट के और सेहत में भी अच्छे हैं। गोरे और पंजाबी परिवार से हैं। खाता पीता शरीर, क्लीन शेव रखते हैं और उनकी उंगलियां जबरदस्त मोटी हैं।
अब उनके पास मुझे मेरे कमरे तक छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।
वो मुझे मेरे कमरे तक लेकर गए.
दरवाजा अंदर से बंद था.
उन्होंने खटखटाया.
“हेलो कोई है?” वो खटखटाते हुए चिल्लाए.
मुझे चोद ना पाने की झल्लाहट उन पर साफ जाहिर थी।
तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला.
तो क्या देखती हूं … धीरज ने दरवाजा खोला।
“अगर आप नहीं होते तो ये दरवाजा नहीं खुलता!” धीरज कटाक्ष भरी मुस्कान लिए बोले.
धीरज ने हम दोनों को अंदर लिया।
अंदर रोशनी नंगी थी।
दीपक ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया।
“अरे यार … कमरे की चाबी तुम अपने साथ ही ले आए।” उन्होंने रोशनी की नग्नता को नज़रंदाज़ करते हुए कहा।
ऐसा लगा जैसे रोशनी कई बार उनके सामने नंगी रह चुकी हो!
रोशनी दीपक की नजरंदाज़ी बर्दाश्त नहीं कर पाई और उनकी टांगों के बीच आकर दीपक का लौड़ा उसकी पैंट की जिप खोल के बाहर निकालने लगी।
मुझे बेसुध देख धीरज बोले- अब आयेगा मज़ा!
रोशनी बोली- सर, नशे में किसी को चोदना, आप जानते है ना कि वो क्या कहलाता है. होश में आने दीजिए, फिर उसकी रजामंदी से जो चाहे कीजिए!
धीरज ने गुस्से में कहा- अब तू रण्डी बताएगी हमें क्या करना चाहिए, क्या नहीं?
दीपक ने बड़े शांत स्वरों में दीपक को आँखों से इशारा करते हुए कहा- धीरज, रोशनी ठीक कह रही है … आआह्ह!
यह कहते ही रोशनी ने जैसे खुशी में लौड़ा अपने गले तक ले लिया।
धीरज का लौड़ा उदास होकर शिथिल पड़ गया।
मुझे चोदने के सपने देखने वाले दीपक और धीरज सामने पड़ी मिठाई को छू भी नहीं पा रहे थे।
जिसे चोदने के लिए उन्होंने शराब का जाल बिछाया था।
मैंने नशे में ऐसे ही किसी का नाम लेते हुए कहा- रोहित आओ ना … किस करो मुझे!
मैं भी मादक माहौल में मजा लूटना चाहती थी।
धीरज लपक कर मुझे चूमने लगा।
उसे तो सिर्फ मौका चाहिए था।
वो मेरे कपड़ों के ऊपर से चूचियां दबाने लगा।
उधर दीपक रोशनी का मुंह धड़ल्ले से चोद रहे थे.
रोशनी के बाल उनकी मुट्ठी में थे, वो अपनी गांड हिला कर रोशनी के मुंह में धक्के देते हुए अपना मोटा लौड़ा पेल रहे थे।
तभी दीपक जब झड़ने को हुए तो रोशनी के बाल खींच के लौड़ा निकाल के बोले- क्यों रोशनी जी, दिल्ली की शाम में ज्यादा मजा है या यहां इस कमरे में?
“सर, जहां आपका लंड मिल जाए, वही जन्नत!” रोशनी एक रांड की तरह बोली.
तभी दीपक ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसकी टांगें खोल उस पर चढ़ गए, उन्होंने निरोध नहीं लगाया।
रोशनी बोली- सर, आपका गर्म मोटा लंड जब मेरी चूत की दीवारें चीरता है, तो मन करता है कि … आआह्ह!
वो आगे कुछ बोलती, उससे पहले दीपक ने ज़ोर से धक्का मारा और उसे चोदने लगे.
दीपक रह रह कर धीरज को मेरा जिस्म टटोलते हुए देख रहे थे।
धीरज बेसुध पड़ी मुझे चूम रहा था, चाट रहा था.
तभी दीपक ने एक हाथ से रोशनी का चूचा दबोचा और एक हाथ से मेरा!
मेरी आह निकल गई- रोहित प्यार से करो ना!
मैं पूरी तरह नशे में नाटक कर मजे लेते हुए अपनी ही कामग्नि में जल रही थी।
रोहित बना धीरज बोला- वीनस मेरी जान, तू कमाल माल है, तेरी चूचियां कितनी बड़ी और कोमल हैं!
मैं नशे में बोली- तो चूस ना मेरी चूचियां!
दीपक ने रोशनी को कहा- वीनस को किस कर!
अब रोशनी मुझे किस करने लगी.
धीरज ने अपनी पैंट उतारी और मुझ पर कपड़ों के ऊपर से ही अपना लंड रगड़ने लगे।
दीपक ने मेरा एक चूचा मजबूती से पकड़ा था जैसे आज मेरे चूचों पर अपने हाथों के निशान गोदने वाले थे।
धीरज ने मेरा टॉप निकाल दिया और ब्रा ऊपर कर दी, मेरे मोटे चूचे बाहर आ गए।
दीपक मेरे मोटे चूचे देख रोशनी की हालत खराब करने लगे, और तेज़ी से धक्के मारने लगे जैसे वो रोशनी को नहीं मुझे चोद रहे हों मन ही मन!
मैं अंदर ही अंदर खुश होने लगी, आज ये दो लंड मेरे होकर रहेंगे।
धीरज मेरे चूचे चूसने लगा और दूसरा ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.
मैंने फिर नशे में कहा- रोहित बेबी, आराम से!
रोशनी में मुझको देखते हुए दम भर चुदाई के बाद दीपक रोशनी में अपना माल गिरा के शांत हो गए और कपड़े पहनने लगे।
रोशनी बाथरूम में चूत धोने और पेशाब करने चली गई।
धीरज ने इसे मौके की तरह देखा और मेरी जींस उतारने लगे ताकि मुझे वहीं उसी वक्त चोद सके।
मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि अब आई मेरी बारी, अब चुदूंगी मैं!
मैंने झूटे नशे में कहा- आओ ना रोहित!
पर दीपक शांत थे, रोशनी की कही बात उनके दिमाग में थी.
वो तुरंत धीरज के कान में बोले- यहां रोशनी के सामने नहीं, वो बाद में कंप्लेन कर सकती है. हम कोई गवाह होने का रिस्क नहीं ले सकते. अभी इसे मत चोद! चिंता मत कर … अभी तो कल का पूरा दिन और रात है, हमें दोबारा मौका मिलेगा।
यह सुन धीरज ने खुद पे काबू किया।
इतने में रोशनी भी बाथरूम से बाहर आ गई.
दीपक ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा- इसके कपड़े ठीक कर देना, और कहना इतनी ना पिया करे।
“सर, अपने कमरे में नहीं ले जायेंगे आज मुझे?” रोशनी ने कामुक नजरों से उन दोनों की तरफ प्रस्ताव रखा।
शायद रोशनी अब तक ठंडी नहीं हुई थी।
धीरज सुनते ही रोशनी को चूमने लगे।
दीपक ने कहा- धीरज, तुम एंजॉय करो, मैं रूम में जा रहा हूं, चाबी कहां है?
धीरज ने रोशनी को बिस्तर पर गिराते हुए अपनी पैंट की ओर इशारा करते हुए दिशा दिखाई.
दीपक ने धीरज की पैंट से चाबी निकाली और बोले- धीरज, जो बोला है ध्यान रखना, जल्दबाजी में कोई गलत कदम मत उठाना!
ये बोल वो दरवाजा बंद कर के चले गए।
मेरा नाटक बेकार हो गया।
मैं अपने नाटक में बेसुध बिस्तर पर पड़ी चुदाई होती देख बेहद गर्म और कामुक हो चुकी थी।
अब मुझे लंड चाहिए था चाहे किसी का भी हो, बस लंड हो।
कुछ ही देर में धीरज रोशनी को कुतिया बना के चोदने लगे.
रोशनी आहें भरने लगी- धीरज सर … धीरज सर!
चिल्लाती रोशनी एक पकी हुई रण्डी की तरह लगातार चुद रही थी।
धीरज वासना में बोला- रोशनी, बोल मेरी रण्डी कौन?
रोशनी- मैं रोशनी, धीरज की रण्डी!
दो तीन बार धीरज ने रोशनी से ये बुलवाया, सच कहूं तो बहुत कामुक क्रिया थी वो!
अब मैं भी ये बोलना चाहती थी।
“मैं, दीपक और धीरज की रण्डी!” मन ही मन ये दोहरा कर मैं रोशनी की चुदाई में खुद को ढूंढ रही थी और प्रैक्टिस कर रही थी।
थोड़ी देर बाद रोशनी ने कहा कि वो झड़ने वाली है.
धीरज ने ये सुन धक्के तेज कर दिए और दोनों एक साथ झड़ने लगे।
थोड़ी देर में धीरज निढाल हो गया।
और रोशनी फिर बाथरूम चली गई. धीरज भी पीछे पीछे बाथरूम चल दिए, बाथरूम का दरवाजा खुला था।
रोशनी धीरज का लंड पकड़ उसे पेशाब करा रही थी और धीरज उसे होंठों पर चुम्बन दे रहा था।
मेरा मन किया, उसका हाथ झड़क कर खुद पकड़ लूं धीरज का लौड़ा।
मूत कर धीरज ने पानी से अपना लौड़ा धोया और बाहर आ गया।
रोशनी अपनी चूत पानी से धोकर साफ करने लगी।
धीरज ने कपड़े पहने और बिना कुछ बोले चले गए।
रोशनी भी दो बार चुद कर तृप्त हो चुकी थी, ऑफिस गर्ल सेक्स के बाद निढाल होकर मेरे बाजू में सो गई।
और मैं एक बार फिर, प्यासी की प्यासी रह गई।
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