लेबर सेक्स कहानी में एक शादीशुदा भाभी अपने घर में काम पर लगे दो मजदूरों से चुद कर मजा लेने लगी. उसके पति दूर के शहर में नौकरी करते थे.
यह कहानी सुनें.
हैलो, मैं सपना हिमाचल प्रदेश से हूँ। मैं शादी शुदा हूँ.
मेरी उम्र 27 साल है, मेरा फिगर साइज 34-30-36 है।
यह कहानी मेरे और दो बिहारियों के बीच हुई चुदाई की है जो कि एक सच्ची घटना है।
मैं सपना … बिना किसी बदलाव के मैं अपनी आपबीती लेबर सेक्स कहानी सुना रही हूँ.
मेरे पति एक कंपनी में नौकरी करते हैं, गुजरात में.
वे 2-3 महीने में घर आते हैं.
हमने अपने लिए एक घर बनवाया था पर अन्दर टाइल का काम बाकी रह गया था.
मेरे पति ने मुझे फोन करके कहा था- कोई टाइल वाला देखकर काम करवा लो!
मैंने अपने रिश्तेदारों से मिस्त्री के लिए पूछ रखा था, पर किसी ने कोई जानकारी नहीं दी.
एक दिन एक मिस्त्री खुद ही हमारे घर आया.
वह बिहारी था और टाइल का काम भी करता था.
तो मैंने उसे काम करने के लिए कह दिया.
मैं घर में अकेली रहती थी इसलिए कभी-कभी बिना ब्रा के भी कमीज पहन लेती थी.
मुझे खुले गले वाली कमीज पहनना पसंद था.
मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोचती थी जो कि मेरी सबसे बड़ी भूल थी.
रोज सुबह-शाम मैं उन बिहारियों को चाय देने जाती थी.
वे दोनों हमेशा बैठकर ही मुझसे चाय लेते थे.
मैं सोचती थी, शायद बैठकर चाय पीने में उन्हें आराम मिलता है.
लेकिन एक दिन मुझे ऐसा झटका लगा कि मैं सोच भी नहीं सकती थी!
एक दिन मैं जल्दी ही चाय लेकर उनके पास चली गई.
मैं अभी बाहर पहुंची ही थी कि उनकी बातचीत की आवाज सुनाई दी.
पहला कह रहा था कि यार, साली के चूचे क्या बड़े-बड़े हैं … दिल करता है कि पकड़ कर चूस लूं!
दूसरा बोला- मेरा तो लंड उसे देखकर ही खड़ा हो जाता है! फिर मुठ मारकर शांत करता हूँ!
पहला- मैं भी उसको देखकर बहुत लंड हिला चुका हूँ.
दूसरा- साली जब चाय लेकर आती है, तो दिल करता है, उसके चूचों के दूध की चाय पी लूं.
वे दोनों और न जाने मेरे बारे में अपनी भाषा में क्या-क्या बोलते जा रहे थे.
उनकी बातें सुनकर पता नहीं क्या हुआ, मेरी चूत गीली हो गई.
फिर मैंने अपने आप पर काबू किया और कुछ देर बाद उन्हें चाय देकर घर लौट आई.
अगले दिन सुबह मैंने अपनी चूत को साफ किया, अच्छे से नहाई और तैयार हो गई.
आज मैंने ब्रा-पैंटी नहीं पहनी और फ्रॉक जैसे कपड़े पहन लिए.
मैं उनसे चुदाई करवाने को तैयार थी, लेबर सेक्स कहानी बनने को तैयार थी.
फिर मैंने चाय बनाई और उन्हें देने चली गई.
मैंने देखा कि वे दोनों काम कर रहे थे.
मैंने चाय गिलास में डाली और जैसे ही एक को देने के लिए झुकी, मेरा एक चूचा बाहर निकल आया.
वह चाय का गिलास पकड़ने लगा.
पर उसने अपने दूसरे हाथ से मेरा बाहर निकला हुआ चूचा पकड़ लिया.
उस कमीन ने इतने जोर से मेरा दूध पकड़ा कि मेरी हल्की चीख निकल गई.
इतने में दूसरा भी मेरी चीख सुनकर हमारे पास आ गया.
उसने मुझे चूचा पकड़े हुए देखा और कमीज के ऊपर से ही मेरा दूसरा चूचा भी पकड़ लिया.
अब दोनों के हाथ मेरे दोनों चूचों पर थे.
मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले ही दूसरे ने अपने गंदे हाथ से मेरा मुँह बंद कर दिया.
फिर वे दोनों मुझे उठाकर अन्दर के कमरे में ले गए.
पहले ने मेरे मुँह पर कपड़ा बांध दिया.
उन दोनों की नजरों में हवस साफ दिखाई दे रही थी.
एक ने मेरी कमीज के ऊपर से ही मेरे दूसरे चूचे को भी बाहर निकाल दिया.
अब दोनों ब/च्चे की तरह मेरे चूचों पर टूट पड़े.
दोनों मेरे चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगे.
कभी-कभी दांतों से काट भी लेते.
मैं उनके ऐसा करने से गर्म हो गई थी.
मैंने अपने हाथ दोनों के सिर पर रख दिए और उनके सिर को सहलाने लगी.
फिर एक ने मेरी कमीज ऊपर कर दी.
मेरी नंगी चूत उनके सामने आ गई.
अब एक मेरी चूत पर आ गया और जीभ डालकर मेरी चूत चाटने लगा.
मैंने अपने मुँह पर बंधे कपड़े को निकाल दिया.
मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया जो वह चाटकर पी गया.
अब मैं शांत हो गई, तो हम सब अलग हो गए.
फिर मैं खुद ही उनके सामने नंगी हो गई और वे दोनों भी नंगे हो गए.
दोनों के लंड लंबे और मोटे थे.
मैं नीचे बैठ गई और एक-एक करके उनके लंड चूसने लगी.
मैंने दोनों के लंड अच्छे से खड़े कर दिए.
अब दोनों मुझे एक साथ चोदने की सोचने लगे.
तो मैं पहले ही बोल पड़ी- एक-एक करके करना होगा! अगर दोनों ने एक साथ किया, तो मैं शोर मचा दूँगी!
दोनों मान गए.
फिर मैं घोड़ी बन गई.
अब एक ने मेरी चूत में लंड डाला और दूसरे ने मेरे मुँह में लंड भर दिया.
अब मैं दोनों तरफ से चुदाई का मजा ले रही थी.
काफी देर बाद दोनों ने अपनी जगह बदल ली.
दोनों मेरी चूत को बजाने में पूरी जान लगा रहे थे.
मैं इस चुदाई के दौरान दो बार झड़ चुकी थी.
मेरे मुँह में लंड पेले वाले ने अपने लंड का पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया.
मैंने उसे पी लिया और लंड चाटकर साफ कर दिया.
फिर दूसरे ने भी मेरी चूत से लंड निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया और झड़ गया.
मैंने उसका पानी भी पी लिया और लंड चाटकर साफ कर दिया.
हम फिर थोड़ी देर नंगे ही बैठे रहे.
दोनों मेरे चूचों और चूत से खेलते रहे और मैं भी उनके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
एक का लंड फिर से खड़ा हो गया.
उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मुझे अपने ऊपर बिठा लिया.
मैंने भी उसका लंड हाथ में लेकर अपनी चूत में फंसा लिया और लंड पर बैठ गई.
लंड चूत के अन्दर चला गया.
मैं लंड को अपनी गांड उठाकर अन्दर लेने लगी.
दूसरा मेरे हाथ से उसका लंड हिलाने लगी.
दूसरा मुझे बोलने लगा- मैम साहब, आज तक ऐसी चूत फिल्मों में देखी थी! हमारा आज ऐसी चूत चोदने का सपना पूरा हो गया!
उसकी बात सुनकर मैं अन्दर से बहुत खुश हो रही थी और जोर-जोर से उसके लंड पर कूदने लगी.
अब दूसरा मेरी गांड के छेद को चाटने लगा.
मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी.
मैं अपनी गांड चटवाने की सोचने लगी.
इसी लिए मैं पहले वाले के ऊपर पूरी तरह झुक गई.
मेरे चूचे उसके मुँह पर आ गए.
उसने मेरे एक चूचे को मुँह में ले लिया और दबा कर चूसने लगा.
दूसरा मेरी गांड का छेद चाटने लगा, जो अब साफ नजर आ रहा था.
मैं चुदाई के दौरान फिर से झड़ गई और ढीली पड़ गई.
वह मेरी गांड को हाथ में लेकर ऊपर-नीचे करके लंड चूत में डालने लगा.
कुछ देर बाद उसने मुझे अपने ऊपर से उतार दिया.
वे दोनों मेरे सामने खड़े हो गए और मेरे मुँह के ऊपर लंड हिलाने लगे.
मैंने भी अपना मुँह खोल दिया.
दोनों बहुत तेजी से लंड हिला रहे थे.
कुछ ही देर में उनके पानी की धार मेरे मुँह में आकर गिरने लगी.
कुछ पानी मेरे चेहरे पर गिरा जो मेरे मुँह से होते हुए मेरे चूचों पर गिरने लगा.
मैंने उनके मुँह में गए पानी को पी लिया और चेहरे पर गिरे पानी को हाथ से उठा कर मुँह में डाल लिया.
फिर मैंने दोनों के लंड चाटकर साफ कर दिए और खड़ी होकर चूचों पर गिरे पानी से चूचों पर मालिश करने लगी.
यह देख कर उन दोनों ने मुझे साफ किया. मैंने कपड़े पहने … बाल ठीक किए और अपने कमरे की तरफ चली गई.
अगली सेक्स कहानी में मैं आपको आगे की दास्तान बताऊंगी कि कैसे रोज उन दोनों से अपनी चुत चुदवाने लगी और कैसे उनसे अपनी गांड भी मरवाई.
आपको मेरी लेबर सेक्स कहानी कैसी लगी जरूर बताएं.
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