इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि लैपटॉप रिपेयर के लिए मुझे एक औरत ने बुलाया. वो अकेली रहती थी. उसके लैपटॉप में मुझे ब्लू फ़िल्में मिली. फिर क्या हुआ?
हाय दोस्तो, मेरा नाम अंकित पटेल है. मैं नाडियाड गुजरात से हूं. मेरा कंप्यूटर और लैपटॉप रिपेयरिंग का कामकाज है.
यहां पर मैं पहली बार सेक्स कहानी लिख रहा हूँ … इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी!
लिखने में कोई गलती हो जाना स्वाभाविक है, प्लीज़ माफ कर देना.
मैं एक 5 फीट 6 इंच का एवरेज बॉडी का लड़का हूँ. मेरे लंड का साईज 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है.
मैं आए दिन पेपर में विज्ञापन डालता रहता हूं कि घर बैठे कंप्यूटर और लैपटॉप रिपेयरिंग करवाए.
ऐसे ही एक दिन मुझे एक लेडी का फोन आया- मेरा लैपटॉप बिगड़ गया है और वो बहुत ही स्लो चल रहा है, कुछ काम नहीं हो रहा है. प्लीज आकर देख कर जाओ.
मैंने उन्हें आने का टाइम दे दिया.
फिर उस टाइम पर उनके घर पर पहुंच कर मैंने बेल बजाई, तो अन्दर से एक बहुत ही खूबसूरत आंटी बाहर आईं.
सॉरी … मैं आपको आंटी का नाम बताना तो भूल ही गया.
उन्होंने मुझे फोन पर अपना नाम आंचल बताया था.
उन्होंने मुझे अन्दर आने को बोला. मैं अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया. फिर उनसे पूछा कि बताइए- आंटी कौन सा लैपटॉप खराब है.
मेरे आंटी कहने से पहले तो उन्होंने एकदम से गुस्सा दिखाया और बोला- मैं तुम्हें आंटी लग रही हूँ?
मैंने घबराकर बोला- सॉरी जी.
फिर वो एकदम से हंसने लगीं और बोलीं- इतने सीरियस भी मत हो यार!
मैंने बोला- आप एकदम से गुस्सा हो गई हैं … इसलिए मैं भी घबरा गया.
फिर उन्होंने बोला- तुम क्या लोगे … ठंडा या गर्म मेरा मतलब चाय लोगे, कॉफी लोगे या फिर कुछ ठंडा?
मैंने बोला- रहने दो ना आंटी … खामखां क्यों तकलीफ उठा रही हो.
वो फिर से एकदम से गुस्सा हो गईं और बोलीं- जाओ मुझे कुछ रिपेयर नहीं करवाना है.
मैं बोला- क्या हुआ … कुछ गलत बोल दिया मैंने?
उन्होंने बोला- तुम तो अभी भी गलत ही बोल रहे हो ना!
मैंने बोला- क्या!
उन्होंने कहा- क्या मैं तुम्हें अब भी आंटी लग रही हूँ?
मैंने बोला- नहीं आंटी … सॉरी सॉरी आंचल जी … मेरा यह मतलब नहीं था. प्लीज आप गुस्सा मत हो.
उन्होंने बोला- गुस्सा क्यों ना होऊं … यह आंचल जी क्या है. तुम मुझे आंचल ही बुलाओ, नहीं तो मुझे ऐसा फील होगा कि मैं अब आंटी हो गई हूं.
फिर वो एकदम से खिलखिला कर हंसने लगीं.
अब मेरी जान में जान आई.
मैं बोला- तो बताओ आंचल, कौन सा लैपटॉप बिगड़ गया है.
वह बोलीं- हां यह हुई ना बात … चलो अन्दर कमरे में चल कर दिखाती हूँ.
मैंने बोला- लैपटॉप है, तो यहीं लेकर आ जाओ.
उन्होंने कहा- अरे यार उसे अन्दर पूरा सैट किया है. वहां पर तुम्हें अन्दर आने में क्या दिक्कत है?
मैंने कहा- ठीक है चलो.
फिर मैं अन्दर उनके बेडरूम में गया. माय गॉड … क्या बेडरूम सजाया था. मैं तो देख कर ही चकित हो गया. उनका बेडरूम बहुत बड़ा था. वहां पर एक टेबल पर एक लैपटॉप था और साथ में होम थिएटर सिस्टम भी सैट किया हुआ था.
मैंने लैपटॉप चालू किया.
सही में बहुत ही स्लो पड़ गया था.
मैंने देखा तो पूरा सी-ड्राइव भर गया था, इसीलिए ऐसा था. जब ऑपरेटिंग सिस्टम को काम करने की जगह ही नहीं मिलेगी तो स्पीड में काम कैसे होगा.
फिर मैंने पीसी ट्यूनिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर इनस्टॉल किया और टेंपरेरी फाइल्स को रिमूव करने लगा. तब तक आंटी किचन में चली गई थीं. मैंने सोचा कि चलो अनवांटेड फाइल्स डिलीट कर देता हूं.
मैं डाउनलोड फोल्डर में गया, वहां पर कुछ पोर्न क्लिप दिखाई दीं. मैंने सोचा कि शायद आंटी का लड़का या फिर उनके पति यह सब देखते होंगे.
फिर मुझे जिज्ञासा हुई, तो मैंने अन्दर डी और ई ड्राईव में झांकना शुरू किया. उसमें मूवीस नाम का एक फोल्डर था. मैंने उसे ओपन किया, तो उसमें दो और फोल्डर थे. एक हॉलीवुड और दूसरा बॉलीवुड मूवीज का.
मैंने हॉलीवुड मूवीस का फोल्डर ओपन किया तो उसमें अलग अलग फोल्डर एक्शन, एडवेंचर, रोमांस और ऐसे कई नाम के अलग अलग फोल्डर थे.
उसमें एक विचित्र फोल्डर था. जिसका नाम कुछ नंबर और कैरेक्टर मिक्स करके बनाया गया था. जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता था.
मैंने वह फोल्डर ओपन किया, तो उसके अन्दर एक और फोल्डर था. मैंने वह भी ओपन किया तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उसके अन्दर ढेर सारे सेक्स क्लिप थे.
मैं एकदम से घबरा कर आगे पीछे देखने लगा कि कहीं आंचल आ तो नहीं गईं.
मगर वह अभी भी किचन में थीं.
मैंने एक बार को तो वह फोल्डर तुरंत ही बंद कर दिया. फिर एक हल्की सी आवाज हुई, तो मैं एकदम से घबरा कर आगे पीछे देखने लगा कि कहीं आंचल आ तो नहीं गईं.
मगर वह अभी भी किचन में थीं.
मैंने तुरंत ही वो सब बंद कर दिया.
तभी आंचल जी आईं. उनके हाथ में जूस का ग्लास था.
उन्होंने जूस का ग्लास मुझे थमाते हुए कहा- पहले जूस पी लो, फिर काम करो.
मैं धीरे-धीरे जूस पीते पीते आंचल से बातें करने लगा.
फिर मैंने कहा- आंचल आपके घर में और कौन-कौन है?
तो उन्होंने कहा- मैं अकेली ही रहती हूं.
ये सुनकर मैं एकदम से चौंक गया.
मैंने पूछा- तुम्हारे हस्बैंड!
तो उन्होंने कहा- मेरे पति एक एमएनसी में काम करते हैं. काम के सिलसिले में वह 5-6 महीने आउट ऑफ कंट्री रहते हैं फिर इंडिया कर 10-15 दिन रहते हैं और फिर से 6 महीने के लिए चले जाते हैं.
ऐसा बोलते बोलते वह एकदम उदास हो गईं.
तभी मेरे मुँह से एकदम से निकल गया- तो फिर तुम्हें 10-15 दिन में संतुष्टि कैसे मिलती है?
एकदम से मुझे ध्यान आया कि मैं क्या बोल गया.
मेरी बात के बाद पूरे कमरे में एक चुप्पी सी फैल गई.
मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- सॉरी आंचल, ना जाने मेरे मुँह से कैसे ये निकल गया.
मगर उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी.
मैं उनके साथ जाकर बैठ गया और उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.
मैंने उन्हें सहारे के लिए अपना कंधा दिया.
उन्होंने मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया और रोने लगीं.
मैंने कहा- मुझे माफ कर दो, मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.
आंचल- मैं तो अपनी किस्मत पर रो रही हूँ. तुम्हारी कोई गलती नहीं है.
मैं उन्हें सांत्वना दे ही रहा था कि वो अचानक से मेरे गले लग गईं और फूट फूट कर रोने लगीं.
मैंने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा- तुम रोओ मत प्लीज आंचल … नहीं तो मुझे भी रोना आ जाएगा.
वो बहुत रो रही थी, तो मेरी आंखों में भी आंसू आ गए, जिसकी एक बूंद उनके माथे पर जा पड़ी.
आंचल एकदम से चौंक गईं और उन्होंने अपना सर उठाकर देखा तो मेरी आंखों में भी आंसू थे.
वो एकदम सी भावुक हो गईं और मुझे किस करके मेरा सर अपने कंधे पर रखते हुए बोलीं- यार तुम दिल के साफ और बहुत अच्छे आदमी हो, तभी तो किसी और का दुख तुम देख नहीं सकते.
उन्होंने अब रोना बंद कर दिया था और उठ कर अन्दर चली गई थीं. फिर वो किचन में जाकर दोनों के लिए पानी लेकर आईं.
हम दोनों ने पानी पिया.
मैंने उनसे कहा- आंचल, तुम मुझे अपना एक सच्चा दोस्त मान सकती हो. जिंदगी में कभी भी तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो बेझिझक मुझे याद कर लेना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए कभी भी टाईम नहीं देखूंगा.
उन्होंने मुझसे पूछा- अंकित तुम्हारी कोई गर्लफ्रेन्ड है?
मैंने कहा- नहीं.
तो वो बोलीं- तुम झूठ बोल रहे हो.
मैंने कहा- सच्ची, मेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेन्ड नहीं रही.
वो बहुत ही आश्चर्यचकित थीं कि मेरी कोई गर्लफ्रेन्ड नहीं है.
फिर उन्होंने कहा- मतलब, तुमने अभी तक जिंदगी के मजे लिए ही नहीं.
उनकी इस बात पर मैं शरमा गया.
फिर वो बोलीं- हम दोनों एक जैसे हैं.
मैं उनकी इस बात से उनकी तरफ देखने लगा.
उन्होंने कहा- अगर तुम मुझे एक सच्चा दोस्त मानते हो तो एक दोस्त ही दोस्त के काम आता है. मैं एक संस्कारी परिवार से हूँ. मुझे पता नहीं, मैं कैसे बोलूं.
मैंने बोला- जो भी मन में है, बेझिझक बोलो.
उन्होंने कहा- मेरा पति काम के चक्कर में कभी मुझ पर ध्यान नहीं देता. मैं हमेशा से ही असंतुष्ट रही हूँ.
मैं समझ गया कि वो सेक्स की बात कर रही हैं.
मैंने भी कभी सेक्स नहीं किया था, तो मेरे मन में भी लड्डू फूट रहे थे.
उन्होंने आगे बोला- मैंने कभी किसी गैरमर्द से सेक्स संबंध नहीं बनाए. हमेशा अपनी उंगलियों से ही अपने आपको संतुष्ट किया है. मगर पता नहीं आज मैं तुम्हें क्यों ये सब बता रही हूँ. तुम्हारे साथ बातें करके मुझे एक अपनापन सा लगने लगा है. तुम दिल से एक बहुत ही अच्छे इंसान हो.
मैं बोला- आंचल, तुम मुझे सही में अपना दोस्त तो मानती हो ना!
वो एकदम से भावुक होकर बोलीं- हां, सही मायने में.
मैं बोला- तो फिर जो भी बोलना है, वो स्पष्ट रूप से बोलो ना.
आंचल ने कहा- क्या तुम मुझे वो सुख दे सकते हो, जो मैंने आज तक जिंदगी में नहीं पाया. मैं भी तुम्हें वो सुख दूंगी, जिस सुख से तुम आज तक वंचित हो.
मैंने जानबूझकर अन्जान बनते हुए पूछा- कौन सा सुख … खुल कर बोलो ना!
फिर उन्होंने बोला- मैं सेक्स के सुख की बात कर रही हूँ.
ये कह कर वो अचानक फिर से रोने लगीं.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और कहा- अरे तो इसमें रोने की क्य़ा बात है. मैंने तुम्हें दिल से दोस्त माना है. तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ.
मेरी बात सुनकर वो एकदम से खुश हो कर मेरे गले से लग गईं. मैंने उन्हें चूम लिया, तो वो मुझे बेतहाशा चूमने लगीं.
अब हम दोनों लिप किस करने लगे. हम दोनों एकदम प्यार से एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे, एक दूसरे की पीठ सहला रहे थे.
फिर मैंने एक हाथ आगे ले जाकर उनके एक मम्मे को दबा दिया. वो एकदम से मचलने लगीं.
उन्होंने नशीली आंखों से कहा- जानू बेड पर चलें!
मैंने कहा- जैसी मेरी बेबी डॉल की मर्जी.
वो खुद के लिए बेबी डॉल शब्द सुन कर एकदम से खुश होकर मेरे गले लग गईं.
मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठा लिया और बेड पर लाकर धीरे से बेड पर लेटा दिया.
हम दोनों चुंबन साथ एक दूसरे के आगोश में समा गए. अब मैं उनके मम्मों को दबा रहा था.
वो भी पूरी मस्ती से मेरा साथ दे रही थीं.
फिर मैं उनके कानों को चूसने लगा और कानों के पीछे उनकी गर्दन पर भी चूमाचाटी कर रहा था.
वो बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होकर बोलीं- अंकित, सच बोलूं. मेरे पति ने मुझसे कभी भी ऐसे प्यार नहीं किया. वो तो बस उठा, अन्दर घुसाया, डाला और खत्म. उसने कभी फोरप्ले तो किया ही नहीं. मैं हमेशा से अधूरी रह जाती थी.
मैंने बोला- अब मैं तुम्हें जिंदगी का हर वो सुख दूंगा, जिसकी तुम हकदार हो.
ये कह कर मैंने उनके कानों को जोर से चूसने लगा.
अब इस इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी में आंचल जैसी अतृप्त महिला की चुदाई को लिखूंगा. ये सच्ची घटना है. आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: घरेलू औरत की प्यार भरी चूत चुदाई- 2