जी ऍफ़ की चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मेरी गर्लफ्रेंड की शादी के बाद भी मुझे अपने घर बुलाया सेक्स के लिए. उसका पति टूर पे गया हुआ था. वो कैसे चुदी.
अंतर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! सभी फड़कती चूतों की शान में तने हुए मेरे 7 इंच के लंड की सलामी।
मैं ध्रुव शर्मा, उम्र 32 वर्ष, दिल्ली निवासी … अपनी पहली कहानी लेकर आपके सम्मुख उपस्थित हूं।
आशा करता हूं कि आप सभी को मेरी जी ऍफ़ की चुदाई स्टोरी पसंद आएगी। मेरी यह कहानी लॉकडाउन के दौरान की है।
मेरी गर्लफ्रेंड का नाम निशा (काल्पनिक) है जिसकी उम्र 28 साल, शारीरिक संरचना 34-30-34 की है।
निशा की शादी 2 वर्ष पूर्व अहमदाबाद में हुई थी. तब से मैं लगातार उसके संपर्क में हूँ। उसके पारिवारिक जीवन मैं मैंने कभी दखल नहीं दिया परन्तु पहला सच्चा प्यार कभी कोई भुला नहीं पाता है।
उससे मेरी बात होती रहती है।
अहमदाबाद में केवल निशा और उसके पति वो दोनों ही अपने नए फ्लैट पर रहते हैं। उसने मुझे बताया कि उसका पति अपने ऑफिस के कार्य से 20 मार्च 2020 को 4 दिनों के लिए मुंबई जायेगा और वह अकेली ही रहेगी.
साफ शब्दों में वो मुझे अहमदाबाद बुला रही थी। मैं 2 साल बाद उससे मिलने वाला था। मैं 21 तारीख को सुबह सुबह फ्लाइट के द्वारा उससे मिलने उसके घर अहमदाबाद पहुंच गया।
मैंने डोर बेल बजाई तो निशा ने दरवाजा खोला. उसने स्टालिश नाइट मैक्सी पहनी हुई थी.
मैंने देखा कि 2 साल में उसकी शारीरिक संरचना में बदलाव आ गया था. उसमें कुछ वृद्धि हो चुकी थी. उसका फीगर पहले 30-26-32 था अब 34-30-34 हो गया था.
उसे देखकर लग रहा था कि शादी के बाद निशा को उसके पति के लन्ड का पानी लग चुका है।
मैं दरवाजे पर खड़ा हुआ उसे निहार रहा था।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर खींचा और दरवाजा बंद कर लिया।
हमने एक दूसरे को गले से लगा लिया। दो बिछड़े हुए प्रेमी जो इतने समय के बाद एक दूसरे से मिले थे, दोनों एक दूसरे को महसूस करना चाह रहे थे।
हम एक दूसरे को किस करने लगे। पहले भी जब हम एक दूसरे को किस करते थे, तब भी हम एक दूसरे की जीभ को अपने अपने मुँह में लेकर चूसते थे।
उसी प्रकार से हम दोनों अब किस करने में लगे हुए थे।
मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर दी तो उसने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर खींचते खींचते चूसना शुरू कर दिया।
उसके बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दी तो मैंने उसकी जीभ को पूरा चूसा और खींच खींच कर चूसा।
ऐसे चूसने में मुझे बहुत मजा आता है। किस करते करते हुए हम एक दूसरे में खो गए। मैं किस कर रहा था और उसके चूचे भी दबा रहा था।
फिर हम दोनों अलग हुए।
उसने मेरे हाथ में हाथ डाला और पकड़ कर डाइनिंग टेबल पर ले गयी और मुझे कुर्सी पर बैठाया.
उसने पहले से ही नाश्ता बनाया हुआ था। वो बोली- पहले नाश्ता कर लेते हैं और उसके बाद तुम नहा लेना.
फिर निशा ने मुझे अपने हाथों से नाश्ता करवाया और मैंने उसे अपने हाथों से खिलाया।
वो बोली- पहले तुम नहा लो. उसके बाद मैं नहा लूंगी और फिर हम आराम से बैठकर बातें करेंगे।
मैंने उससे कहा- बातें ही करोगी या और कुछ भी करोगी?
वह बोली- बाबा सब करेंगे … 3 दिन हैं हमारे पास. सब कुछ होगा … जो भी तुम चाहोगे।
ये कहकर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गयी.
उसका बाथरूम बेडरूम से जुड़ा हुआ था।
पहले मैं नहा लिया और केवल जांघिया और बनियान में रहा।
उसके बाद वह नहाकर आयी. उसके बाल भीगे थे.
उसने अपने खूबसूरत गोरे बदन पर केवल तौलिया लपेटा हुआ था जिसमें उसके बड़े बड़े चूचों का ऊपर का हिस्सा दिखाई दे रहा था.
या यूँ कहें कि ऊपर का हिस्सा दिखाई ही नहीं बल्कि चूचे ही तौलिये में से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।
दोस्तो, नहाने के बाद सेक्स करने में एक अलग ही आनंद आता है। उसने भीगे बालों को झटक कर पानी की छींटें मेरे चेहरे पर मारे। मैंने उसको पकड़कर बेड पर धक्का दे दिया और वह बेड पर गिर गई।
मैं उसके ऊपर आ गया। हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। इस बार मैंने शुरूआत उसके होंठों से की। मैं उसके होंठों को चूसने लगा और वो मेरे होंठों को चूसने लगी।
निशा की ख़ास बात थी कि जब भी हम पहले सेक्स करते थे, वो भरपूर तरीके से साथ देती थी और उसी प्रकार आज भी वह उसी गर्मजोशी से अपना जोश दिखा रही थी.
इससे मेरे मन में हमारे पुराने दिनों की यादें ताज़ा हो रही थीं. मैंने उसके माथे को चूमा, उसकी बंद आँखों की दोनों पलकों को चूमा और फिर उसके गालों को भी चूमा।
फिर मैं उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और वो भी उसी प्रकार से अपने मुँह में मेरी जीभ लेकर चूसने लगी.
कभी कभी मैं उसकी जीभ पूरा ज़ोर लगाकर अपने मुँह में खींचता था जिससे उसकी सासें भी रुक सी जाती थीं।
काफी देर तक हम ऐसे ही करते रहे।
उसके बाद मैंने उसको पलट दिया और उसके कानों के पीछे चूमने लगा। कभी कभी उसके दोनों कानों को अपने दाँतों से काट भी लेता था।
बारी बारी से उसके दोनों कानों को मैंने ऐसे ही चूमा। उसके बाद मैंने उसके कंधो को चूमा।
फिर मैंने उसके तौलिये को खोल दिया जिससे उसका पीछे का सारा हिस्सा नंगा हो गया।
उसकी गोरी पीठ और बड़े बड़े चूतड़ देखकर मेरा मन करने लगा कि पहले उसकी गांड में ही अपना लन्ड डाल दूं.
मगर चूंकि वह 2 साल बाद मुझसे मिली थी तो मैं पूरे आनंद के साथ उसको आराम से चोदने वाला था।
यही सोचकर मैं उसकी पीठ चूमने लगा। पूरी पीठ को चूमने के बाद मैंने उसके चूतड़ों की पप्पी ली।
फिर मैंने उसको सीधा कर लिया जिससे उसका आगे का सम्पूर्ण नग्न हिस्सा मेरी आँखों के सामने आ गया।
उसकी पहाड़ सी ऊँची गोरी गोरी 34 साइज की चूचियाँ मुझे अपनी ओर खींच रही थीं, जिनको मैंने अपने दोनों हाथों में ले लिया और दबाने लगा।
अब उसके एक चूचे को मैं अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
दूसरे चूचे के निप्पल पर थूक लगा कर मैंने अपने हाथ की एक उंगली और अँगूठे के अगले हिस्से (पौरी) से उसके चूचक पर आधा गोल गोल आगे पीछे घुमाने लगा।
बारी बारी से दोनों चूचों को मैं ऐसे ही चूसता रहा।
आनंदित होते हुए निशा के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- इस्स … ध्रुव … जान … आह्ह … लव यू बेबी … ओह्ह … हम्म … अम्म् … उफ्फ … कितने दिनों के बाद मिले हो … आह्ह … आई लव यू ध्रुव।
उसकी बातें मेरे अंदर जोश भर रही थीं. उसके बाद मैंने उसके चूचों की बीच की घाटी में अपना मुँह लगा दिया और चूमने लगा।
फिर मैं उसके चूचों की घाटी से नीचे आया.
अब मैं उसके पेट को चूमते चूमते उसकी नाभि तक आ गया। उसकी नाभि में मैंने अपनी जीभ को घुमाया। नाभि में मैं गोल गोल करके जीभ को घुमाता रहा।
निशा अपनी आँखें बंद करे हुए मज़ा लेती रही। नाभि के बाद मैं उसकी चूत के ऊपरी हिस्से तक पहुँचा।
उसकी गेहुंए रंग की चूत मेरी आंखों के सामने थी जिसमें मैंने धीरे से एक उंगली अंदर सरका दी.
मैं अब अपने हाथ के अंगूठे से उसकी चूत के दाने को हल्का हल्का रगड़ने लगा।
चूत में मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा और एक हाथ से उसकी चूची के निप्पल को उंगली और अंगूठे के अग्र भाग से गोल गोल आगे पीछे करने लगा।
उसकी चूत में मैंने अब दो उंगलियां डाल दीं और अंदर बाहर करने लगा. साथ ही अपने हाथ के अंगूठे से उसकी चूत के दाने को हल्का हल्का रगड़ता रहा।
वह मचलने लगी और बिस्तर की चादर को अपने हाथों की दोनों मुट्ठियों में पकड़ने लगी।
अब मैं उसकी जांघों के बीच में आ गया। अब उसकी चूत को अपनी उंगलियों के साथ जीभ से मज़ा देते हुए मैंने चूत को पानी पानी करने की शुरूआत कर दी।
उसने अपनी टांगों को पूरा खोल लिया और मैंने उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत के दाने पर अपनी जीभ लगायी तो उसने झट से अपने हाथ मेरे सिर पर रख दिये और मेरे बालों को सहलाने लगी।
फिर मेरी जीभ ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया।
चूत के दाने को चूसने के बाद मैंने उसकी चूत की दरारों में अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी।
अब मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा.
निशा अपने हाथों से मेरे सिर के बालों को खींचने लगी और मेरे सिर को सहलाती भी रही।
उसके मुँह की सिसकारियां अब तेज तेज कामुक आवाजों में बदलने लगीं- आआआ … ओओहो … हम्म … हम्म … होह्ह … स्स्स … आह्ह जान … हाय … ओह्ह … नो … उफ्फ … ध्रुव … आह्ह।
थोड़ी देर में उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और निशा ने अपने हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया और अपनी जांघों से भी मेरे सिर को दबा दिया।
मैं उसकी चूत का सारा रसीला पानी पी गया। फिर उसने अपनी पकड़ ढीली की तो मैंने अपना मुँह उसकी चूत से हटाया और उसके ऊपर लेटकर किस करने लगा।
मेरा लन्ड जो मेरे जांघिया में कैद था, बाहर निकलने के लिए मचल रहा था।
मैं बेड से नीचे उतरा और उसको बेड से नीचे उतारा.
बेड से नीचे उतारने के बाद मैं खड़ा रहा।
वो जानती थी कि उसको क्या करना है। वह अपने घुटने मोड़कर घुटनों पर खड़ी हो गयी और उसने मेरा जांघिया फट से उतार दिया.
चड्डी उतारते ही वो मेरे 7 इंच के लन्ड को अपने हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
उसने पहले मेरे लन्ड के अग्रिम भाग (लन्ड के टोपे) पर अपनी जीभ लगाई जिससे मेरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी।
उसके बाद उसने मेरे लन्ड का टोपा अपने मुंह में डाल लिया और उसको प्यार से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मेरे हाथ उसके सिर पर आ गए.
उसने मेरे लन्ड को आधे से ज्यादा अपने मुंह में ले लिया और मुंह के अंदर बाहर करवाने लगी।
लन्ड चूसने में वो माहिर खिलाड़ी थी।
वो लगातार लन्ड पर थूकती और उसे चूसती रही। फिर लन्ड को पूरा मुँह में लेकर अंदर बाहर करती रही।
मुझे बहुत आनंद आने लगा।
अब निशा लन्ड मुँह में लेकर अंदर बाहर जोर जोर से करने लगी।
मेरे हाथ उसके सिर पर थे। मज़ा आने के कारण उसके सिर को मैंने पकड़ कर अपने लौड़े पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया क्योंकि अब उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
मैं बड़ा ही आनंदित महसूस कर रहा था। करीब 10 मिनट तक वह तेजी के साथ ऐसा ही करती रही।
शादी के बाद भी निशा इतने अच्छे तरीके से लन्ड चूस रही थी।
अब मैं चरम सीमा पर पहुंचने वाला था। किसी भी वक्त अब मेरे लन्ड से पानी निकलने वाला था।
मैंने पूरा लन्ड उसके मुंह में इतनी ज़ोर से घुसाया कि लन्ड गले तक पहुंच गया।
उसके गले तक पहुंचते ही मेरे लन्ड से वीर्य धीरे-धीरे निकलते निकलते उसके पेट में समा गया।
निशा को थोड़ी खांसी भी आयी मगर उसने लंड को अंदर ही रखा। फिर प्यार से उसने मेरा लन्ड अपने मुँह से निकाला और चाट चाटकर पूरा लन्ड साफ कर दिया।
मैंने उसको उठाकर अपने गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया।
उसके बाद हम दोनों नंगे ही बेड पर लेट गए।
उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख लिया।
हम दोनों अपने बीते दिनों की यादें ताज़ा करने लगे।
निशा अपने एक हाथ मेरे लन्ड को पकड़कर सहला रही थी।
धीरे-धीरे मेरा लन्ड फिर से तनाव में आ रहा था।
कुछ ही देर में लंड फिर से अपनी पूर्ण उत्तेजित अवस्था में आ गया।
वो बोली- ध्रुव … ऐसा लग रहा है कि तुम्हारे लंड से चुदे हुए सदियां बीत गयी हों. तुम जल्दी से अपना ये लंड मेरी चूत में डाल दो. मैं एक बार फिर से तुम्हारी प्रेमिका बनना चाहती हूं.
मैं पलटकर उसके ऊपर आ गया और उसको किस करने लगा।
मेरा लन्ड उसकी चूत पर उसकी जांघों के बीच में आ गया।
किस करते करते मैं उसकी चूची को दबाता रहा।
उसके बाद मैंने उसकी एक चूची को अपने मुंह में लिया और निप्पल पीता रहा। दूसरे चूचे के निप्पल पर मैंने थूक लगा कर अपने हाथ की एक उंगली और अँगूठे के बीच में लेकर उसको जोर से मसल दिया.
ऐसा करने से वो बिस्तर पर बुरी तरह से मचलने लगी और उसके मुंह से सिसकारी फूटी- आह्ह ध्रुव … जोर से यार … ईईई … आहाह … ओह्ह डार्लिंग।
अब मेरा लन्ड उसकी चूत में घुसने के लिए बेताब होने लगा।
मैं उसकी जांघों के बीच में बैठ गया और उसकी टांगों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा।
उसकी चूत मेरे लन्ड के सामने आ गयी और मैंने अपने लन्ड का टोपा उसकी चूत से लगा दिया।
मेरे लन्ड का अगला हिस्सा उसकी चूत में घुस गया।
शादी के बाद उसकी काफी अच्छी खासी चुदाई हुई थी। मैंने हल्का धक्का मारा तो आधे से ज्यादा लन्ड उसकी चूत में समा गया।
उसको थोड़ा सा दर्द महसूस हुआ।
ऐसे ही मैं लंड डाले हुए उसके ऊपर लेट गया। मेरे हाथ उसके सिर पर थे और मैं उसको किस करने लगा।
निशा ने अपने हाथ मेरी पीठ पर रख लिए और अपनी टांगों से मुझे जकड़ लिया।
अब उसके बाद मैंने एक ही कड़े झटके में अपना पूरा लौड़ा उसकी चूत में उतार दिया।
लन्ड चूत में जाते ही उसकी आवाज निकलने को हुई परंतु उसका मुंह मेरे मुंह में था तो निशा की आवाज उसके मुंह में ही दब गई।
उसने मेरी पीठ में मुक्के मारे और मेरा मुंह हटाकर कहने लगी- तुम्हारी आदत बिल्कुल नहीं बदली … तुम बिल्कुल जैसे थे वैसे ही हो। बेसब्र होकर पूरा लन्ड एक ही बार में घुसा देते हो। मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं? अभी तो तुम मेरे साथ ही रहोगे … तो धीरे धीरे करो।
मैं उसकी चूत में लन्ड अंदर-बाहर करने लगा. धीरे धीरे मैं चुदाई करता रहा, उसको चूमता रहा, उसकी चूचियों को दबाता रहा।
कभी बीच में उसको किस करने भी लग जाता था।
नीचे से मैं अपने धक्के धीरे-धीरे लगाता रहा।
उसको मजा आने लगा और वह भी अपनी गांड को थोड़ा-थोड़ा नीचे से चलाने लगी।
जब उसको चुदते हुए दो तीन मिनट हो गये तो बोली- अब थोड़ा तेज तेज करो, अब अच्छा लग रहा है।
उसकी चुदास बढ़ते ही मैंने भी स्पीड बढ़ा दी. अब मैं निशा की चूत में तेजी से अपने फूल चुके लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।
उसको अब बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा।
फिर मैं अपनी पहली स्थिति में आ गया और मैंने उसको बैठा लिया। हम दोनों किस करते हुई बैठी हुई अवस्था में आ गए।
निशा अपनी गांड हिलाती रही और नीचे ही नीचे मेरे लंड से चुदती रही।
मैं फिर पीछे को लेट गया और निशा मेरे लन्ड की सवारी करने लगी।
वह मेरे लन्ड पर ऊपर नीचे होने लगी।
मेरे हाथ उसकी दोनों चूचियों को दबा रहे थे.
वह अब तेजी से मेरे लन्ड पर ऊपर नीचे होने लगी जिससे मेरा लन्ड उसकी चूत में पूरा का पूरा अंदर बाहर होने लगा।
अब मैंने उसकी चूचियां छोड़कर उसके कूल्हों को पकड़ लिया. उसको चूतड़ों से दबाते हुए लंड पर नीचे की ओर उसको ज़ोर ज़ोर से खींचने लगा।
तेज चुदाई करने में अब पूरा आनंद मिलने लगा।
वो मस्ती में चुदते हुए बोली- ओह्ह … ध्रुव बहुत ज़ालिम हो तुम। इतने दिनों के बाद मिले हो। मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए तरस सी गयी थी.
मैं बोला- शादी के बाद तू भी तो मुझे भूल गयी थी. कभी तूने ये नहीं कहा कि मेरे पास आओ और मुझे खुश कर दो।
उसके बाद मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कहा.
वह घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे आ गया.
उसके कूल्हे पकड़ कर मैंने एक ही बार में पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया।
चूंकि उसकी चूत गीली थी तो लन्ड एक ही बार में चूत में पूरा अंदर चला गया।
वह अपनी गांड को ऊपर रखे हुए थी और उसने अपना सिर नीचे तकिये पर रख लिया।
मैं उसके कूल्हों को पकड़े हुए आगे पीछे करने लगा। पहले धीरे धीरे और फिर तेज़ तेज़ करने लगा।
उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी। मेरा लन्ड उसकी चूत में तेजी के साथ अंदर बाहर होता रहा।
उसके मुंह से तेज तेज आवाजें निकलती रही।
वह जोर जोर से चिल्लाती रही और मैं उसकी चूत में लन्ड को बाहर भीतर करता रहा।
उसके बाद उसने कहा- तुम अपना जल्दी कर लो, मेरा हो चुका है। अब दर्द हो रहा है मुझे।
मैंने उससे कहा- तुम बेड के कोने पर आ जाओ.
फिर मैंने उसको बेड के कोने पर लेटाया और मैं खुद नीचे खड़ा हो गया। मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखकर लन्ड उसकी चूत में एक ही बार में घुसा दिया।
अब बेड के कॉर्नर पर मैं उसको तेजी से चोदने लगा.
वह जोर से आवाजें करने लगी- आ आआ … आआआ … आह्ह … मर गयी … ओह्ह … जल्दी … आह्ह … जल्दी करो … फ़ास्ट बेबी … माय लव .. आ आ आ … जल्दी चोद लो … ओह्ह … ध्रुव … उफ्फ … आह्ह फट गयी।
मैं उसकी चूत में तेज तेज धक्के लगाता रहा।
अब मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला था। फिर तेज तेज धक्के लगाते हुए मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया।
उसके चेहरे पर संतुष्टि झलक रही थी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरे पूरे मुँह को चूमना शुरू कर दिया.
वो जैसे मुझे छोटे बच्चे की तरह प्यार कर रही थी.
मैं बुरी तरह से हांफ रहा था और लंड सिकुड़ने लगा था।
हम थकावट में चूर हो गए थे और अब आराम से लेट गए।
फिर ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए हम सो गये।
उसके बाद मैं पूरे लॉकडाउन उसके घर पर रहा और हमने चुदाई का भरपूर आनंद लिया।
दोस्तो, हम दोनों ने लॉकडाउन में इतनी चुदाई की जितनी हमने निशा की शादी से पहले भी नहीं की थी। उसके घर के प्रत्येक स्थान पर उसके तीनों छेदों की जमकर चुदाई हुई।
मैं उसकी गांड चुदाई की कहानी और उसकी निःसंतान पड़ोसन सहेली की चुदाई की कहानी बाद में आपके सम्मुख लेकर उपस्थित होऊंगा।
आप सभी पाठकों को मेरी यह जी ऍफ़ की चुदाई स्टोरी कैसी लगी आप मुझे जरूर बताइयेगा. आप मेरी ईमेल पर अपने संदेश भेजकर मेरा उत्साहवर्धन कीजियेगा ताकि मैं आपके सामने अपनी कुछ और सच्ची कहानी लेकर उपस्थित हो सकूँ।
तो दोस्तो, अब मैं अपनी अगली कहानी के साथ आपके पास फिर से लौटूंगा. तब तक के लिए नमस्कार।
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