गाँव की चूत की कहानी में मैं गाँव की सडक का काम करवा रहा था. वहाँ की एक बहुत सुंदर लड़की से मेरा नैन मटक्का चल गया. वो मेरे एक और दोस्त से भी सेट थी.
मेरी पिछली कहानी
गाँव की गर्म लड़की को घर लाकर चोदा
में आपने पढ़ा था कि मैं इंजीनियर हूँ, सड़क का काम करवा रहा था. सडक किनारे घर की एक जवान लड़की मुझसे बार बार चुदती रही.
अब आगे गाँव की चूत की कहानी:
इसी बीच एक और लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बनी थी, जो दूसरे गाँव की थी और हमारे गेस्ट हाउस से 10 किलोमीटर दूर रहती थी।
गाँव की चूत की कहानी में
उसका नाम मुस्कान था और उसकी खूबसूरती ऐसी थी कि उस 15 किलोमीटर के रास्ते में पड़ने वाले किसी भी गाँव में मैंने वैसी सुंदरता नहीं देखी थी।
उसका फिगर 34-28-36 था।
मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड थी, जो हमारे ही साइट पर एक गाँव की रहने वाली थी।
उसी समय मेरी ड्यूटी उसी के गाँव से सटे हुए एक पुलिया पर लग गई क्योंकि पहले वाले पुलिया बन चुके थे।
इसलिए मेरा आना-जाना उसके घर के सामने से होने लगा।
पहले ही दिन से वो मुझे पसंद आ गई थी।
मुझे उस समय नहीं पता था कि यही वो लड़की है, जो मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड थी, क्योंकि उसने मुझे कभी उसकी फोटो नहीं दिखाई थी।
मैंने अपने फीमेल स्टाफ की मदद से उसका फोटो निकलवाया था।
मैंने अपने रूममेट को उस लड़की की फोटो दिखाकर पूछा था, “यह लड़की मुझे लाइन दे रही है! कहीं यही तुम्हारी गर्लफ्रेंड तो नहीं है?”
मैंने ऐसा इसलिए पूछा था क्योंकि जैसा उसने उसका हुलिया बताया था, उस गाँव में सिर्फ वही लड़की थी।
धीरे-धीरे हमारी आँखें चार होने लगीं।
मैंने अपने रूममेट से कहा भी, “अगर यही लड़की है, तो बता दे! मैं उसे नहीं पटाऊँगा!”
लेकिन मेरे रूममेट ने इसे हल्के में ले लिया।
उसे लग रहा था कि मैं मजाक कर रहा हूँ।
कुछ दिन बाद मैंने उसी फीमेल स्टाफ से उसका नंबर मँगवाया और फिर धीरे-धीरे हमारी बातें होने लगीं।
वो लड़की हम दोनों से अलग-अलग समय पर बात करती थी।
तब तक मुझे नहीं पता था कि ये मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड है।
एक-दो हफ्ते तक बातचीत चलती रही।
फिर मेरे रूममेट को शक होने लगा कि मैं भी उससे बात कर रहा हूँ।
वो मुझसे बहुत नाराज़ हुआ।
मैंने उससे कहा, “सारी गलती तुम्हारी ही है! अगर तुमने उसी वक्त बता दिया होता, तो ये नौबत न आती!”
अब जब दिल लग गया था, तो हम दोनों कहाँ हटने वाले थे?
मेरे रूममेट ने उसे बहुत डाँटा, लेकिन वो नहीं मानी और बोली, “तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ, इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी गुलाम हूँ! मैं जिससे चाहूँ, उससे बात करूँ!”
हमारी बातचीत चलती रही।
लंच के लिए जब मैं रूम पर आता था, तो उसे घर से थोड़ी दूरी पर बुलाकर फ्रेंच किस कर लेता था।
मेरा रूममेट उसके साथ अभी तक कुछ नहीं कर पाया था।
मुझसे पटने से पहले एक बार रात के 9 बजे उसने उसे मिलने के लिए बुलाया था।
चूँकि रूम से 10 किलोमीटर दूर था, तो वहाँ जाने के लिए बाइक की ज़रूरत थी लेकिन हमारे पास उस वक्त बाइक नहीं थी।
हमें एक साइट से दूसरी साइट पर जाने के लिए कंपनी की गाड़ी थी, जो सुबह में छोड़ती और दोपहर व शाम को उठा लेती थी।
उसने जैसे-तैसे एक व्यक्ति से बाइक माँग ली, लेकिन उसे किसी के साथ चाहिए था, जो उसे उस गाँव के पास छोड़कर वहीं आसपास रहे और फिर काम होने के बाद उठा ले।
उसने एक व्यक्ति को तैयार किया और चला गया.
लेकिन उसका KLPD हो गया क्योंकि उस दिन लड़की के जीजा आ गए थे, तो वो मेहमाननवाज़ी में लग गई थी।
लौटते समय उसका एक्सीडेंट भी हो गया था लेकिन ज्यादा चोट नहीं लगी थी।
इसलिए फिर उसकी हिम्मत नहीं हुई।
अब वो धीरे-धीरे मुझसे ज्यादा बात करने लगी।
हम मिलने का प्लान बनाने लगे।
मेरे ही साइट क्लाइंट के सुपरवाइज़र भी पास ही रहते थे, उनका घर मुस्कान के गाँव से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर था।
मेरी उससे बहुत अच्छी दोस्ती थी तो मैंने उससे मदद माँगी, “अपने घर एक रात रुकने दे और रात के करीब 11:30-12:00 बजे मुझे मुस्कान के घर के पास छोड़ दे!”
वो मान गया।
मैंने अपने रूम में दोस्त के बर्थडे में जाने और अगले दिन आने की बात कहकर उसके साथ निकल गया।
हम उसके रूम में बैठकर गप्पे लड़ाते रहे और 11:30-12:00 बजे का इंतज़ार करते रहे।
जैसे ही 11:30 बजे, अचानक बहुत भयंकर आँधी-तूफान आ गया।
उस समय आम का सीज़न था तो गाँव वाले आँधी-तूफान में आम बीनने के लिए बागीचे की तरफ भागने लगे।
हमें जहाँ मिलने का प्रोग्राम बनाया था, उसी बगीचे के करीब उसके चाचा का नया घर बन रहा था।
घर अभी दो फ्लोर तक ही बना था और प्लास्टर, पेंट का काम बाकी था।
मुझे लगा कि मेरे साथ भी KLPD हो गया।
हल्की-हल्की बारिश भी हो रही थी।
मन मारकर हम दोनों सोने लगे।
मुझे नींद कहाँ आने वाली थी … मैंने वायग्रा भी खाया था।
कुछ देर मोबाइल चलाने के बाद मैं सो गया।
मेरी आँख करीब 3 बजे खुली तो मैं बाहर निकलकर मौसम देखने लगा।
पानी और आँधी-तूफान सब बंद हो गए थे।
मैंने तुरंत मुस्कान को फोन किया.
लेकिन उसने फोन नहीं उठाया।
2-3 बार फिर से कोशिश की, तो उसने फोन उठाया।
मैंने उसे उसी जगह पर मिलने के लिए कहा, “तैयार हो जा, मैं आ रहा हूँ!”
वो तैयार हो गई।
मैं भी पैदल ही दोस्त के घर से निकल गया।
25 मिनट बाद मैं वहाँ पहुँच गया और उसे फोन किया।
वो तुरंत आ गई।
हम उसी मकान की सीढ़ी पर चढ़कर दूसरे फ्लोर पर चले गए।
वो तुरंत मुझसे लिपट गई।
काफी देर तक गले लगने के बाद उसने पीछे से मेरी टी-शर्ट में हाथ डालकर मेरी पीठ सहलानी शुरू कर दी।
इधर मेरे लंड का बुरा हाल था.
लेकिन मैंने कंट्रोल करके धीरे से उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जबरदस्त किस करने लगा।
उसको भी मज़ा आने लगा, तो वो मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं किस करते-करते धीरे से उसके कमीज़ के अंदर हाथ डालकर उसके बड़े-बड़े चूचे दबाने लगा।
इससे वो और गर्म होने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी।
मैं जोर-जोर से उसकी चूचियाँ दबाने में लगा हुआ था।
मैंने उसका शर्ट और ब्रा दोनों को ऊपर किया, तो बड़े-बड़े चूचे मेरे सामने आ गए, जिन्हें देखकर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया।
झट से मैंने उसकी एक चूची को दबाना शुरू किया और दूसरी को मुँह में भर लिया।
इससे उसकी सिसकारी निकल गई।
वो बोली, “कब से मैं इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी!”
जैसे ही उसने मेरी पैंट उतारी, उसकी आँखों में चमक आ गई।
उसने झट से मेरे 6 इंच के लौड़े को हाथ से पकड़ लिया और हिलाने लगी।
मैंने झट से उसकी सलवार उतारी तो देखा कि उसने पैंटी नहीं पहनी थी।
उसकी चूत एकदम क्लीन शेव थी, लगता था पूरी तैयारी के साथ आई थी।
उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
मैंने उसकी चूत को मसल दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गई।
फिर मैंने उसे नीचे जाने का इशारा किया, तो वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ।
लेकिन उसने मना कर दिया और बोली, “मुझे मुँह में लेना पसंद नहीं है!”
मैंने भी जबरदस्ती नहीं की।
बिना बालों वाली चूत देखते ही मुझसे रहा नहीं गया, तो झट से मैंने उसकी चूत की दोनों फाँकों के बीच अपनी जीभ घुसा दी।
कुछ देर तक ऐसा करता रहा।
करीब 10 मिनट बाद हम अलग हुए और बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए।
वो बहुत गोरी-चिट्टी थी और उसकी चूचियाँ एकदम गोल-मटोल थीं।
मैंने फिर उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया।
तब उसने कहा, “बस अब चोद दो! अब सहन नहीं हो रहा, सुबह के 3:30 बज गए हैं और गाँव में लोग 4-5 बजे तक उठ जाते हैं!”
मैंने भी मौके की नज़ाकत देखते हुए उसकी चूत की फाँकों के बीच लंड को सेट किया।
हल्का सा जोर लगाया, तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
मैंने एक और झटका लगाया, तो पूरा लंड अंदर घुस गया।
वो पहले भी चुदाई कर चुकी थी इसलिए कुछ खास दर्द नहीं हुआ।
मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू कर दिए।
5 मिनट बाद ही उसका दर्द मस्ती में बदल गया।
वो बोली, “क्या गज़ब का लंड है तुम्हारा! फाड़ दो मेरी चूत को! बहुत मज़ा आ रहा है! आह आह आह! उह ऊह ऊह! हाय मेरे राजा, कितना मस्त लंड है!”
इधर मैं भी लगातार झटके लगाता रहा।
कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसका माल बाहर आ गया।
लेकिन मेरा बाकी था तो मैंने उसे ऊपर आने को कहा।
वो थोड़ा ऊपर उठी।
मैंने लंड को सेट किया और वो धीरे से लंड पर बैठ गई।
उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड फिसलते हुए सीधा चूत के अंदर पहुँच गया।
मैंने उसकी कमर पकड़कर उसे नीचे से धक्का दिया, जिससे पूरा लंड उसकी चूत को चीरकर अंदर पहुँच गया।
वो जोर से चिल्लाई, “आआआ ह्हह्ह! मार डालेगा क्या!”
वो अपनी गाँड को मेरे लंड पर उछालने लगी।
मैंने उसकी चूचियाँ पकड़कर मसलना शुरू कर दिया।
वो मज़े से मेरे लंड पर उछल रही थी और ‘आह्ह ह उफ्फ’ कर रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया।
मैंने भी देर न लगाते हुए उसका एक पैर उठाकर लंड को चूत पर रगड़ते हुए अंदर पेल दिया और जोर-जोर से चोदने लगा।
ऐसे ही 15 मिनट चोदने के बाद जब मैं झड़ने वाला था, तब उससे पूछा, “बोल, माल कहाँ निकालूँ?”
मुस्कान बोली, “जहाँ तुम्हारी मर्जी हो!”
यह सुनते ही मैंने जोर-जोर से स्ट्रोक मारे और पूरा लंड उसकी चूत में घुसाकर सारा माल अंदर ही निकाल दिया।
कुछ देर किस करने के बाद वो बोली, “चलो, अब चलते हैं! सबके जागने का समय हो गया है!”
हम दोनों ने कपड़े पहने और एक-दूसरे से लिपटकर अलग हुए।
पहले वो वहाँ से निकली, फिर मैं निकला।
मैं पैदल ही दोस्त के घर पहुँचा, तो सब जाग गए थे।
मैंने उसे मेरे रूम पर छोड़ने को कहा।
फिर मैं नहा-धोकर साइट पर चला गया क्योंकि हमारी ड्यूटी सुबह 7 बजे से शुरू होती थी।
फिर हमारी फोन पर बातें होती रहीं।
एक दिन उसने कहा, “मेरे घरवाले शादी में जाने वाले हैं, तो घर पर कोई नहीं होगा! तुम रात में आ जाना, हम रात भर मज़े करेंगे!”
हम उस मौके का इंतज़ार करने लगे.
लेकिन किसी कारणवश उसके घरवाले शादी में नहीं गए।
उसके बाद हम कभी नहीं मिले और उसके नंबर पर कॉल भी नहीं लग रहा है।
गाँव की चूत की कहानी का और एक भाग है.
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