देसी एडल्ट सेक्स कहानी में पड़ोस की दुबली सी लड़की ने मुझे प्रोपोज़ किया सिर्फ सेक्स के लिए. मैंने काम चलाने के लिए उसे दोस्त बना लिया. वह मुझे अपनी सहेली के घर ले गयी.
हाय, मैं कबीर अग्रवाल आपके लिए फिर से एक नई सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
ये देसी एडल्ट सेक्स कहानी तब की है, जब मैं एक गांव में नौकरी करता था.
मेरा गांव ज्यादा बड़ा नहीं था इसलिए लगभग सभी से मेरी जान-पहचान हो गई थी.
मेरा स्वभाव अच्छा था इसलिए सब मेरी इज्जत करते थे.
उस गांव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम शिवानी था.
शिवानी दिखने में साधारण थी, दुबली-पतली थी. रंग गोरा था और उसके बूब्स छोटे थे.
उसकी उम्र 23 साल के आस-पास थी, लेकिन बूब्स अभी किसी स्कूल की लड़की जैसे छोटे-छोटे थे.
मेरा घर गांव की बाहरी साइड पर था.
जब भी मैं कहीं जाता या दुकान पर कुछ लेने जाता, तो रास्ते में उसका घर पड़ता था.
आते-जाते अक्सर मैं उसे घर के बाहर बैठा हुआ देखता था.
वह भी मुझे पहचानती थी तो कभी-कभार बात भी कर लिया करती थी और हँसकर स्माइल भी देती थी.
मैं अपने काम से अक्सर पास की सिटी में जाता रहता था.
एक दिन ऐसे ही सिटी जा रहा था तो शिवानी भी तैयार होकर कहीं जाने के लिए खड़ी थी.
शायद वह ऑटो या बस का इंतज़ार कर रही थी.
उसके साथ उसकी माँ भी खड़ी थी.
मैं बाइक पर जा रहा था, तभी उसकी माँ ने हाथ से रुकने का इशारा किया.
मैंने उनके पास बाइक रोकी, तो शिवानी की मम्मी ने पूछा- कहां जा रहे हो?
मैंने बताया कि सिटी जा रहा हूँ.
उन्होंने कहा- शिवानी को भी साथ ले जाओगे क्या?
मैंने हां बोल दिया.
शिवानी मेरे पीछे बैठ गई.
उसने नीला सलवार-कुर्ता पहना था.
मेकअप किया था तो आज वह मस्त दिख रही थी.
मैंने बाइक स्टार्ट की, तो उसकी माँ ने कहा- वापस आते वक्त हो सके तो शिवानी को लेते आना.
मैंने कहा- अगर दोनों का टाइम एडजस्ट हुआ, तो लेता आऊंगा.
हम जहां जा रहे थे, वह जगह गांव से करीब दो घंटे की दूरी पर थी.
गांव से थोड़ा आगे बढ़ने पर शिवानी ने बात शुरू की.
हम ऐसे ही नॉर्मल बातें कर रहे थे.
मैंने शिवानी से पूछा- सिटी में क्यों जा रही हो?
उसने बताया कि कुछ शॉपिंग करनी है और पार्लर में भी जाना है.
मैंने कहा- तुम तो अच्छी ही दिखती हो, पार्लर जाने की क्या ज़रूरत है.
वह शर्मा गई.
पहले उसने थैंक्यू कहा, फिर बोली कि उसे वैक्स कराना है और एक दिन बाद किसी शादी में भी जाना है, तो थोड़ा चेहरा भी चमकाना है.
मैंने कहा- चमकाने की क्या ज़रूरत, इस चेहरे पर तो लड़के ऐसे ही फिदा हो जाएंगे!
उसने तपाक से जवाब दिया- आप तो नहीं हुए अब तक!
मैं उसके मुँह से ये सुनकर चौंक गया.
मैंने पूछा- क्या मतलब?
उसने कहा कि मैं तो कब से आप पर लाइन मार रही हूँ लेकिन आप ही मुझे नोटिस नहीं करते हो!
मैंने संजीदा होकर उसे बताया कि मेरी शादी फिक्स हो चुकी है और मैं इन चक्करों में नहीं पड़ता हूँ.
शिवानी ने कहा- शादी फिक्स हुई है, तो क्या हुआ? हम गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड तो बन सकते हैं. ज़रूरी नहीं कि शादी करें.
मैंने कहा- ऐसा नहीं होता.
उसने आप से तुम पर आते हुए कहा- तुम मुझको तब तक के लिए गर्लफ्रेंड बना लो, जब तक तुम्हारी शादी न हो जाए. फिर शादी के बाद मैं अपने रास्ते पर चली जाऊंगी और तुम अपने रास्ते!
ऐसे ही काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा और बातों-बातों में शहर आ गया.
शिवानी को जहां जाना था, मैंने उसे वहां उतार दिया और मैं आगे जाने लगा.
तो शिवानी ने कहा- गांव जाते वक्त मुझे ले जाना!
मैंने अपना टाइम बताया.
तो उसने कहा कि मैं तब तक फ्री हो जाऊंगी.
मैंने ओके कहा.
फिर उसने कहा- वापस आओ, तब तक सोच लेना कि गर्लफ्रेंड बनाना है या नहीं.
मैंने ओके कहा और मुस्कुरा कर वहां से चला गया.
फिर सारा वक्त मैं उसके प्रपोजल के बारे में सोचता रहा.
मैंने सोचा कि अगर उसे सिर्फ गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड बनना है, तो इसमें क्या प्रॉब्लम है? वैसे भी, एक साल में तो मैं यहां से जाने वाला हूँ. और वैसे भी, बहुत दिन हो गए थे किसी लड़की के साथ सेक्स किए. सोचा कि जब साली खुद ही बिछने को मर रही है तो इसकी चुत से ही मजे ले लेता हूँ.
वापसी में मैंने उससे हां बोल दिया.
पार्लर से आने के बाद वह और भी मस्त लग रही थी.
बस उसका फिगर ही पतला था, वरना गांव के सारे लड़के उसके पीछे पड़ जाते.
मैंने हां बोला, तो वह पीछे से मुझसे चिपक गई.
उसके छोटे-छोटे बूब्स मेरी पीठ पर लगने लगे.
उस गुदगुदे अहसास से मेरा लंड खड़ा हो गया.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
उसने कहा कि मुझे किस करनी है.
मैंने जंगल में साइड में बाइक खड़ी की और हम दोनों थोड़ा झाड़ियों के पीछे चले गए.
जैसे ही उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, मुझे बहुत ही मस्त अहसास होने लगा.
मैंने उसे कसकर पकड़ लिया.
करीबन 20 मिनट तक हमने किस किया.
उस दौरान मैंने उसके छोटे-छोटे बूब्स भी दबाए.
फिर हमें ख्याल आया कि शाम का समय है, कोई आ सकता है, तो हम गांव की ओर चल पड़े.
शिवानी बहुत खुश थी.
हमने सुबह ही नंबर एक्सचेंज कर लिए थे.
उसे उसके घर के पास ड्रॉप करके मैं अपने घर आ गया.
आते ही रूम में जाकर सारे कपड़े निकाले और शिवानी के नाम की मुठ मार दी.
फिर सो गया.
अब हमारी बात डेली फोन पर होने लगी.
गांव छोटा था तो अकेले में ऐसे मिल नहीं सकते थे.
मैं कभी उसके घर जाता, तो चुपके से किस कर लेते या बूब्स या गांड दबा देता.
अब हम दोनों को देसी एडल्ट सेक्स करना था लेकिन मौका नहीं मिल रहा था.
एक दिन शिवानी का कॉल आया कि उसने आज रात को अपनी भाभी और भाई का सेक्स देखा है. उसे आज किसी भी तरह सेक्स करना ही है. उसका बहुत मन कर रहा है.
मैंने उससे पूछा- तो कैसे करें?
उसने बताया कि सिटी में उसकी फ्रेंड रहती है. आज वह अकेली है, तो उसके घर पर कर सकते हैं. उसने उससे बात कर ली है.
इस प्लान में शिवानी को बस शहर जाने का कोई बहाना बनाना था.
मैंने पूछा- तुम्हारी फ्रेंड को कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी?
उसने कहा- नहीं, वह मैरिड है और उसका हसबैंड किसी काम से 3 दिन के लिए आउट ऑफ स्टेट गया है.
मैंने ‘ओके’ बोला और कॉल काट दिया.
आधे घंटे में शिवानी का कॉल आया कि मैं जब दस मिनट में मिस कॉल करूं, तब तुम निकलना.
मैंने ‘ओके.’ बोला और तैयार होकर बैठ गया.
जैसे ही उसका मिस कॉल आया, मैं निकल पड़ा.
शिवानी वहीं खड़ी थी, आज भी उसकी मम्मी साथ थीं.
मुझे देखते ही उसकी मम्मी ने हाथ से बाइक रुकवाई और बोली- सिटी जा रहे हो, तो शिवानी को लेते जाओ!
मैंने ‘हां’ बोला.
जैसे ही हम दोनों जाने को निकले, उसकी मम्मी बोलीं- आते समय इसे वापस लेते आना!
मैंने कहा- लेते तो आ जाऊंगा, लेकिन आज मुझे आने में लेट हो जाएगा. अंधेरा हो सकता है!
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, तुम्हारे साथ आएगी, तो कोई प्रॉब्लम नहीं. तुम लेते आना.
मैंने ‘ओके’ बोला.
हम दोनों बाइक पर शहर की ओर चल पड़े.
थोड़ी दूर जाते ही शिवानी मुझसे चिपक गई.
मैंने पूछा- क्या बहाना बनाया?
उसने बोला- उसकी फ्रेंड की गोदभराई है, ऐसा बोला.
आज मैंने बहुत तेज बाइक चलाई. हमें जल्द से जल्द शहर पहुंचना था.
शहर पहुंचते ही मैंने मेडिकल से कंडोम ले लिया और कुछ नाश्ता लेकर उसकी फ्रेंड के घर पहुंच गए.
उसकी फ्रेंड का घर भी शहर के बाहर की साइड, एक सोसाइटी में था.
दो मंजिला, काफी बड़ा घर था.
हमने बेल बजाई, तो उसकी फ्रेंड ने दरवाजा खोला.
हम दोनों अन्दर आ गए.
उसने हमें बैठने को कहा.
उसकी फ्रेंड का नाम श्रुति था. उसने सिल्की गाउन पहना था, जिसमें वह बहुत सेक्सी लग रही थी.
एकदम भरा हुआ बदन, उभरे हुए नितंब और बूब्स, गोरा रंग.
वह एकदम पटाखा माल थी, बिल्कुल शिवानी के विपरीत.
मेरा तो मन उसे चोदने का करने लगा.
लेकिन अभी तो जिसके लिए आए थे, उसके साथ करना ही ठीक था.
वरना कहीं दूसरे के चक्कर में पहला लड्डू भी खाने से रह जाए.
श्रुति ने हमें पानी दिया, फिर चाय का बोलकर बनाने जाने लगी.
मैंने उसे नाश्ते का पार्सल दिया, जो मैं साथ लाया था.
फिर हम तीनों ने साथ बैठकर चाय-नाश्ता किया.
यूं ही इधर-उधर की बातें करने लगे.
फिर श्रुति बोली- चलो, अब मैं आपको आपके रूम में छोड़ देती हूं. तुम वहां आराम से पूरा दिन एन्जॉय करना. कोई चीज की जरूरत हो, तो मुझे कॉल करना. मैं कमरे में ही लेकर आ जाऊंगी. आज बस मजे करो.
ऐसा बोलकर उसने नॉटी स्माइल के साथ आंख मार दी.
फिर वह हमें अपने दूसरे मंजिल पर बने कमरे में ले गई.
जैसे ही हम कमरे में गए, मस्त खुशबू आने लगी.
उसने शिवानी से कहा- जा मेरी जान, आज इस बिस्तर पर तू भी अपनी चूत खुलवा ले. जहां मैंने भी पहली बार अपना छेद खुलवाया था.
इतना बोलकर उसने फिर नॉटी स्माइल की और दरवाजा बंद करके चली गई.
उसके जाते ही हमने भी अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया.
दरवाजा बंद करते ही शिवानी ने मुझे जोर से हग किया.
फिर अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर किस करने लगी.
मैं भी उसका किस में पूरा साथ देने लगा.
आह … क्या मस्त होंठ थे शिवानी के.
बहुत मजा आ रहा था. मैं उसके होंठों को पूरा मुँह में डालकर ऐसे चूसने लगा, जैसे इमरान हाशमी फिल्मों में चूसता है.
बहुत देर तक किसिंग चलती रही.
फिर हम अलग हुए.
शिवानी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए.
एक-एक करके उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, सिवाय अंडरवियर के.
फिर मैंने भी शिवानी के कपड़े उतारे, ब्रा और पैंटी रहने दी.
शिवानी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे पूरे बदन पर किस करने लगी.
होंठों से शुरू किया, फिर मेरी छाती, पेट … सब जगह किस करने लगी.
वह बहुत उत्तेजित हो रही थी.
उसने मेरी चड्डी भी निकाल दी.
चड्डी हटते ही मेरा लंड अब उसके सामने था.
उसने थोड़ी देर मेरे लंड को हाथ में लिया.
उसके छोटे-छोटे हाथों में लंड मस्त लग रहा था.
फिर मैंने कहा- मुँह में ले लो!
तो उसने धीरे-धीरे अपने मुँह में लिया.
पहले उसे ठीक से चूसना नहीं आ रहा था, लेकिन फिर मस्ती से चूसने लगी.
मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था.
मैं सातवें आसमान में था.
अब वह पूरा लंड मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करने लगी.
मुझे वैसे भी कब से एक्साइटमेंट हो रही थी तो अब कंट्रोल नहीं हो रहा था.
मेरा निकलने वाला था.
मैंने उसे बताया तो वह ऊपर से हट गई.
लेकिन फिर भी पिचकारी छूट ही गई.
थोड़ा उसके मुँह पर लगा, बाकी मेरे और उसके शरीर पर.
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर बाथरूम में जाकर साफ करके वापस आए.
अब मैंने शिवानी को बिस्तर पर लिटाया.
उसने पीले कलर की पैंटी और लाल कलर की ब्रा पहनी थी.
गांव में ऐसे ही रंगों को पहन कर मिसमैचिंग कर लिया जाता है.
मैंने उसके होंठों पर किस करना शुरू किया.
फिर गर्दन पर करते-करते उसकी ब्रा उतार दी.
अब उसके छोटे-छोटे बूब्स मेरे सामने थे.
मैंने उन्हें बारी-बारी मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.
उसके आधे बूब्स तो मेरे मुँह में ही आ जाते थे.
लेकिन कड़क थे, तो बहुत मजा आ रहा था.
शिवानी अपने हाथों से चादर भींच रही थी.
अब मैंने उसकी नाभि पर किस करना शुरू किया, फिर उसकी पैंटी पर किस करते-करते पैंटी हटा दी.
वाह … क्या मस्त चिकनी छोटी सी चूत थी.
भले ही फिगर के मामले में शिवानी पीछे हो लेकिन उसकी जैसी चूत किसी की नहीं देखी थी.
थोड़ी सी फूली हुई, गोरी लेकिन गुलाबी शेड में, बिना बालों की … एकदम चिकनी.
मैं तो टूट पड़ा उसकी चूत पर.
मैं बहुत देर तक उसकी चूत चाटता रहा.
उसकी चूत में अन्दर तक जीभ डालकर चाट रहा था.
शिवानी बिल्कुल मस्त हो गई थी.
‘आह … आह …’ करके अजीब सी आवाजें निकाल रही थी और बिस्तर को भींचे जा रही थी.
देसी एडल्ट सेक्स के बीच उसने दो बार पानी छोड़ दिया था.
बहुत देर चूत चटाई के बाद शिवानी से रहा नहीं गया.
उसने बोला- अब जल्दी लंड अन्दर डालो, प्लीज!
मैं भी तैयार हो गया.
बैग से कंडोम निकालने लगा तो शिवानी बोली- बिना कंडोम के चोदो. मैं पहली बार बिना कंडोम के चुदना चाहती हूं!
मैंने कहा- दर्द होगा!
तो उसने बोला- मैं तैयार हूँ.
फिर मैं भी तैयार हो गया.
लेकिन उसकी चूत छोटी थी तो सोचा तेल या क्रीम लगा दूं.
कमरे में कोई क्रीम या तेल नहीं था.
मैंने श्रुति को फोन किया, तो उसने बोला- अभी देने आती हूं.
मैंने शिवानी के शरीर पर चादर डाली और खुद पास में पड़ा तौलिया लपेटकर दरवाजे के पास गया.
उतने में श्रुति ने दरवाजा खटखटाया.
मैंने खोला.
उसने क्रीम दी और बोली- इसे कहीं भी लगाना, दर्द बहुत कम होगा.
वह मुझे घूरकर देखने लगी.
मैंने ‘थैंक्स’ बोला और दरवाजा बंद किया.
जब तक दरवाजा बंद हुआ, श्रुति मेरे जिस्म को घूरती रही.
दरवाजा बंद करके मैं शिवानी के पास आया, उसके ऊपर से चादर हटा दी.
फिर अपनी उंगली में ढेर सारी क्रीम लेकर शिवानी की चूत पर लगाने लगा.
थोड़ी उंगली से चूत के अन्दर तक लगाई.
शिवानी से अब रहा नहीं जा रहा था.
उसने बोला- अब जल्दी डालो.
मैंने थोड़ी क्रीम लेकर अपने लंड पर लगाई.
फिर शिवानी से बोला- अपने पैर फैलाओ. उसने अपने पैर फैलाए.
मैंने कहा- थोड़ा चूत को अपने हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर खोलो. उसने वैसा ही किया.
मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का दिया.
थोड़ा सा अन्दर घुसा.
शिवानी की ‘आह …’ निकल गई.
मैंने पूछा- निकालूं?
उसने बोला- नहीं. डाल दो, जो होगा देखा जाएगा.
मैंने भी जोर से धक्का लगाया.
क्रीम और चूत की चटाई की वजह से चूत एकदम गीली हो गई थी.
एक ही झटके में लंड पूरा अन्दर घुस गया.
शिवानी की चीख निकल गई.
उसके आंसू निकलने लगे.
वह बिस्तर पर छटपटाने लगी.
मैंने फिर पूछा- निकालूं क्या?
उसने दर्द भरी आवाज में बोला- नहीं. अब डाल ही दिया है, तो आगे बढ़ो. जो होना होगा, सह लूंगी.
उसकी बात सुनकर मुझे भी जोश आ गया.
मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
उसे दर्द हो रहा था.
उसने मेरी पीठ को जोर से भींच लिया था.
कुछ देर ऐसे ही धक्के लगाता रहा.
फिर उसका दर्द थोड़ा कम हुआ.
मैंने स्पीड बढ़ा दी.
अब उसे भी थोड़ा मजा आने लगा था.
वह भी नीचे से गांड उठाकर साथ दे रही थी.
अब मेरे हाथ उसके छोटे बूब्स पर थे.
मैं उन्हें मसल रहा था.
साथ में चूत में लंड से पेलम-पेलाई भी कर रहा था.
शिवानी ने मुझे छोड़कर चादर को पकड़ लिया था.
वह जोर से चादर भींच रही थी. मुँह से जोर-जोर से सिसकारियां निकाल रही थी.
कभी-कभी ‘आह … ओह.’ जैसी आवाजें भी कर रही थी.
हमारी चुदाई मस्त चल रही थी.
मुझे उसकी छोटी सी चूत में लंड के घिसाव से एक अलग ही आनन्द आ रहा था.
अब मैंने उसे बिस्तर के किनारे पर लाया, फिर उसे गोद में उठाकर खड़ा हो गया.
उसने अपने दोनों पैरों से मेरी कमर को पकड़ लिया.
मेरा लंड उसकी चूत में ही था.
मैं अब उसे खड़े-खड़े गोद में उठाकर चोदने लगा.
सामने लगे बड़े से आईने में जब खुद को देखा … मैं नंगा खड़ा हूं, गोद में नंगी शिवानी है … और मैं उसे चोदे जा रहा हूं.
ये देखकर और जोश आ गया.
अब मैं जोर-जोर से धक्के दे रहा था.
इसी बीच शिवानी ने पानी छोड़ दिया.
उसका पानी मेरे पैरों से होते हुए नीचे गिर रहा था.
अब मेरा भी निकलने वाला था.
मैंने उसे फिर से बिस्तर पर लिटाया.
जोर-जोर से धक्के लगाने लगा.
शिवानी ने पहले ही बोला था कि पानी अन्दर लेना है तो मैंने सारा पानी उसकी चूत में भर दिया.
कुछ देर उसके ऊपर ही रहा, फिर उसके बगल में लेट गया.
बीस मिनट तक दोनों लेटे रहे.
फिर मैं खड़ा हुआ तो देखा बिस्तर पर वीर्य के साथ खून भी गिरा था.
थोड़ा खून फर्श पर भी गिरा था, जब खड़े-खड़े चुदाई कर रहे थे.
मैंने शिवानी को देखा.
उसके चेहरे पर दर्द भी था और चुदाई की संतुष्टि की खुशी भी थी.
वह भी खड़ी हुई और बाथरूम जाने लगी.
लेकिन उसे ठीक से चला नहीं जा रहा था.
मैंने उसे गोद में उठाकर बाथरूम ले गया.
दोनों साथ नहाये, फिर बाहर आ गए.
कपड़े पहनने लगे.
दोनों ने सिर्फ चड्डी ही पहनी थी कि दरवाजे पर श्रुति ने नॉक किया.
मैंने ऐसे ही दरवाजा खोल दिया.
श्रुति हमें देखते ही ठिठक गई.
फिर अन्दर आ गई.
उसने रूम का नजारा देखा, तो समझ गई कि कैसी रही चुदाई!
तब तक शिवानी ने पूरे कपड़े पहन लिए थे.
मैंने भी कपड़े पहन लिए.
फिर हम तीनों ने मिलकर रूम को ठीक किया और नीचे आ गए.
श्रुति ने खाना लगाया.
तीनों ने खाना खाया.
श्रुति किचन में सफाई कर रही थी.
मैंने शिवानी से कहा- एक बार और करते हैं.
वह बोली- नहीं. बहुत दर्द हो रहा है. फिर कभी करेंगे.
मैं भी मान गया.
तब तक शाम के 4 ही बजे थे.
उसी समय मुझे बॉस का कॉल आया, एक जरूरी काम पटाना था.
मैंने शिवानी से कहा- तुम बैठो, मैं 30 मिनट में एक काम पटाकर आता हूं.
उसने ‘ओके’ बोला.
मैं काम पटाकर वापस आया तो श्रुति ने बताया कि शिवानी को कॉल आया था.
वह घर के लिए निकल गई.
उसी समय एक बस जाती है तो वह उसे बस में बिठाकर अभी आई.
शिवानी ने बोला कि वह घर पर कहेगी कि जाते समय बाइक की भैंस से टक्कर हो गई थी, इसलिए ठीक से चल नहीं पा रही है. यदि तुमसे भी अगर कोई पूछे, तो तुम्हें भी यही बताना है.
मैं अब जाने लगा तो श्रुति बोली- रुको न थोड़ी देर … चाय पीकर चले जाना!
हम दोनों ने चाय पी.
श्रुति मुझे ही घूर रही थी.
उसने गाउन पहना था. अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए निप्पल्स साफ उभरकर दिख रहे थे.
श्रुति बोली- मुझे भी सेक्स करना है.
मैं तो तैयार ही था लेकिन मैंने उससे बोला- शिवानी को बुरा लगेगा!
श्रुति बोली- उसे बताएंगे ही नहीं, तो कैसे बुरा लगेगा!
मैं तैयार हो गया.
मुझे वैसे भी मन कर ही रहा था एक और राउंड का.
मैंने श्रुति को बाहों में ले लिया और जोर-जोर से किस करने लगा.
श्रुति भी पूरा साथ दे रही थी.
वह तो ऐसे किस कर रही थी, जैसे मुझे खा ही जाएगी.
मैं उसे उठाकर ऊपर कमरे में ले जा रहा था.
तभी श्रुति का कॉल आया.
उसने कॉल पर बात करके काट दिया.
उसने बताया कि उसकी जेठानी और जेठ तीस मिनट में आ रहे हैं.
मैंने कहा- अब क्या करें?
उसने बोला- फटाफट चूत ही चोद दो. फिर कभी शांति से चुदाई करेंगे. अभी बस चूत चोद दो.
मैंने उसे वहीं हॉल में सोफे पर झुकाया और पीछे से उसका गाउन उठा दिया.
अपना पैंट और चड्डी नीचे करके लंड निकाला और उसकी चूत में पीछे से डाल दिया.
उसकी चूत पहले से ही गीली थी और खुली हुई थी, तो एक ही झटके में अन्दर घुस गया.
उसे थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन ज्यादा नहीं.
अब मैं पीछे से उसे चोद रहा था. हॉल में थप-थप की आवाज आने लगी.
मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था.
वह मोन करने लगी.
अब मैं उसे फुल स्पीड में चोदने लगा.
उसने भी पूरा साथ दिया.
पंद्रह मिनट में पानी निकलने वाला था.
मैंने पूछा- कहां निकालूं?
उसने ‘अन्दर’ बोला तो मैंने सारा पानी अन्दर निकाल दिया.
फिर उसने घूमकर लंड को मुँह में लेकर चाट-चाटकर साफ कर दिया.
उसने बोला- मजा आया. लेकिन पूरा मजा फिर कभी लेंगे.
मैं मुस्कुरा दिया.
उसने भी मुस्कुरा कर कहा- जब भी सिटी में आओ, कॉल करना!
मैंने भी ‘हां.’ बोला और उसका नंबर लेकर गांव की ओर निकल गया.
उसके बाद तो जब तक वहां रहा, श्रुति की हर हफ्ते में 1 या 2 बार चुदाई करता था.
उसकी एक फ्रेंड से भी उसने सेक्स करवाया था.
उस घटना के बाद मैंने शिवानी के साथ सिर्फ 3 बार और सेक्स किया.
क्योंकि उसके लिए मौका मिलना आसान नहीं था.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी देसी एडल्ट सेक्स कहानी? मुझे जरूर बताना.
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लेखक की पिछली कहानी थी: कमसिन लड़की की गुलाबी चूत का मजा