भाई बेहन चुदाई हिंदी कहानी में मैंने अपने पड़ोस की लड़की जो मुझे बड़ी थी, जिसे मैं बहन मानता था, उसे चोद दिया. पहली रात उसकी चूत मारी, अगली रात तेल लगाकर उसकी गांड मारी.
हैलो दोस्तो,
मेरा नाम वीर है।
मेरी उम्र 22 वर्ष है और मैं बी ए कक्षा का छात्र हूँ।
यह कहानी मेरे और मेरे मकान मालिक की लड़की के बीच की है, जो मुझसे 4 साल बड़ी है।
उसकी उम्र अब 26 साल है।
ये बात तब की है जब मैं 12वीं कक्षा में था। तब मेरी उम्र 18 साल थी और नई-नई जवानी का जोश था।
दोस्तों, भाई बेहन चुदाई हिंदी कहानी शुरू करते हैं!
नेहा को मैं दीदी बोलता था और वो भी मुझे अपने भाई जैसा मानती थी।
वह मुझसे सारी बातें शेयर करती थी।
मेरे दोस्तों ने मुझे पोर्न दिखाना सिखा दिया था, तो मुझे मुठ मारने की आदत हो गई थी।
मैं छत पर बाथरूम में मुठ मारता था।
एक दिन मुठ मारते-मारते मैं उसका नाम लेने लगा।
शायद उसने सुन लिया था क्योंकि वो छत पर ही थी।
अंधेरा हो चुका था।
मैं बाथरूम से बाहर आया और देखा कि वो वहीं थी, फोन चला रही थी।
मेरा लौड़ा खड़ा था जो बाहर से साफ दिख रहा था।
मैं उसके पास गया और बात करने लगा।
उसकी नजर मेरे लौड़े पर पड़ी।
“ये क्या हो गया!” उसने कहा और उसने मेरे लौड़े पर हाथ रख दिया।
वो समझ गई कि ये खड़ा है।
फिर उसने जल्दी से हाथ हटा लिया।
फिर हम चले गए।
दोस्तो, मैं उसको चोदना चाहता था, बस मौके का इंतज़ार था।
एक दिन वो दिन आ ही गया।
घर पर कोई नहीं था और हमें एक ही बेड पर सोना था क्योंकि कोई और था नहीं।
खाना-वाना खाकर हम सोने चले।
वो भी थी।
हम दोनों एक ही कंबल में लेट गए।
वो फोन चला रही थी।
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ करने की।
मैं उसके सोने का इंतज़ार कर रहा था।
जैसे ही वो सोई, मैंने पहले हाथ लगाकर चेक किया।
कोई हलचल नहीं हुई तो मेरी हिम्मत बढ़ी।
मैंने अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया और उसकी बॉब्स की तरफ बढ़ने लगा।
मैं ऊपर से सहलाने लगा।
वो सो चुकी थी, तो मैंने एक हाथ से अपना लौड़ा पकड़ा और एक से उसके बॉब्स दबाने लगा।
अब मुझे मज़ा आ रहा था और आग-सी मच रही थी कि इसकी चूत में डाल दूँ।
लेकिन दोस्तो, डर था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए।
फिर मैंने उसके ब्रा के अंदर हाथ डाला और दबाने लगा।
उसकी कोई हलचल नहीं हुई, तो मैंने उसकी ब्रा खोल दी और अपना पैंट भी उतार दिया।
मैंने उसकी गांड से लौड़ा लगा दिया।
वो एकदम से जाग गई।
“क्या है ये! क्या कर रहा है!” उसने कहा और मेरे गाल को सहला दिया।
लेकिन मेरे 6 इंच लंबे लौड़े को देखकर उसका भी मन मचलने लगा।
फिर उसने मेरे लौड़े को हाथ में लिया।
“बड़ा हो गया है तू!” वो बोली।
मैं शांत रहा।
फिर उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
वो एकदम पोर्न स्टार की तरह लौड़ा चूस रही थी।
मुझे मज़ा आ रहा था।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैंने उसकी गीली चूत को चूसना चाटना शुरू किया।
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था।
वो भी वासना में मदहोश हो चुकी थी।
“जान, अब डाल दे मुझ में!” उसने मुझे कहा।
मैं समझ गया और उसकी चूत में लौड़ा पेल दिया।
उसे बहुत दर्द हुआ तो वो चिल्ला रही थी।
शायद उसका पहली बार था?
मैं नहीं रुका और आधे घंटे तक चोदा।
फिर मैंने उसकी चूत के अंदर ही अपना माल निकाल दिया।
हम दोनों को बहुत मज़ा आया और उस रात 3 बार चुदाई की।
फिर दोस्तो, अगली रात, मैं और नेहा फिर से एक साथ थे।
घर में कोई नहीं था.
और हम दोनों ने खाना खाने के बाद बातें शुरू कीं।
इस बार मैंने सोचा कि पहले की तरह कोई गलती नहीं करनी है।
मैंने उससे खुलकर बात की और पूछा, “नेहा, तुम मेरे बारे में क्या सोचती हो? मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।”
उसने मुस्कुराते हुए कहा, “वीर, तू बड़ा शैतान हो गया है, लेकिन मुझे भी तुझसे बात करना अच्छा लगता है।”
हमारी बातें धीरे-धीरे और गहरी होने लगीं।
उसने मुझसे अपनी कुछ पुरानी यादें साझा कीं, और मैंने भी अपने दिल की बात बताई।
मैंने उससे पूछा कि क्या वो मेरे साथ और करीब आना चाहेगी, और उसने शरमाते हुए हाँ कहा।
इस बार, सब कुछ स्पष्ट था।
हम दोनों ने एक-दूसरे की सहमति से और प्यार से एक खूबसूरत पल साझा किया।
हमने एक-दूसरे का सम्मान किया और हर कदम पर यह सुनिश्चित किया कि हम दोनों सहज हों।
उस रात, हमने हँसी-मजाक किया, एक-दूसरे को समझा, और एक नया रिश्ता शुरू हुआ जो आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित था।
उसके बाद हम दोनों नंगे हो गए भाई बेहन चुदाई हिंदी का मजा लेने के लिए.
नेहा ने मेरा लंड मुंह में ले लिया तो मैंने 69 अवस्था में होकर उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी.
मेरी आँखों के सामने उसकी गांड का छेद था जो फड़फड़ा रहा था.
मैंने उसकी गांड में उंगली लगाईं तो वह बोली- थोड़ा सा तेल लगा ले, फिर उंगली अंदर डाल!
तो मैं उठकर तेल लाया और उसकी गांड में काफी तेल लगा दिया.
तेल लगाने के बाद मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली नेहा की गांड में डाली।
वह हल्के से सिहर उठी, लेकिन उसकी साँसों में एक अजीब सी उत्तेजना थी।
“आराम से…” उसने धीमी आवाज़ में कहा.
और मैंने उसकी बात मानते हुए अपनी गति को और धीमा कर दिया।
कमरे में हल्की रोशनी थी और हम दोनों के बीच का तनाव हवा में तैर रहा था।
नेहा ने मेरे लंड को और गहराई से अपने मुंह में लिया और उसकी जीभ की हरकतें मुझे पागल कर रही थीं।
मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा, उसका स्वाद मेरे होश उड़ा रहा था।
उसकी गांड का छेद अब भी मेरी आँखों के सामने था, और तेल की चमक ने उसे और भी आकर्षक बना दिया था।
“और अंदर…” नेहा ने फुसफुसाते हुए कहा, और मैंने उसकी बात मानते हुए अपनी उंगली को और गहराई तक ले गया।
उसकी सिसकारियाँ अब तेज़ हो रही थीं, और उसका शरीर मेरे हर स्पर्श के साथ थरथरा रहा था।
मैंने महसूस किया कि वह पूरी तरह से इस पल में खो चुकी थी, और मैं भी उसी आग में जल रहा था।
कुछ देर बाद, नेहा ने मेरे ऊपर से हटकर मुझे अपनी ओर खींचा।
उसकी आँखों में एक चमक थी, जैसे वह कुछ नया अनुभव करने को बेताब थी।
“अब तू मेरे ऊपर आ!” उसने कहा.
उसकी आवाज़ में एक मादकता थी जो मेरे रोंगटे खड़े कर रही थी।
मैंने उसकी बात मानी और धीरे-धीरे उसके ऊपर आ गया, उसकी आँखों में देखते हुए।
“क्या चाहती है तू?” मैंने पूछा, मेरी आवाज़ में भी वही उत्तेजना थी जो उसके चेहरे पर दिख रही थी।
“सब कुछ…” उसने मुस्कुराते हुए कहा, और फिर उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।
नेहा की बाहों में खिंचने के बाद, मैंने उसकी आँखों में देखा।
उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो रहा था।
“तू तैयार है?” मैंने धीरे से पूछा, मेरी आवाज़ में एक हल्की सी घबराहट थी, लेकिन साथ ही एक गहरी चाहत भी!
उसने सिर्फ़ सिर हिलाया, और उसकी मुस्कान ने मुझे सारी हिम्मत दे दी।
मैंने और तेल लिया और धीरे-धीरे अपने लंड पर लगाया, साथ ही नेहा की गांड पर भी और तेल लगाया ताकि सब कुछ आरामदायक हो।
“धीरे से करना.” उसने फुसफुसाते हुए कहा.
और मैंने उसकी बात को गंभीरता से लिया।
मैंने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद पर अपने लंड को रखा और हल्का सा दबाव डाला।
नेहा ने एक गहरी साँस ली, और उसका शरीर हल्के से काँप उठा।
“रुक…” उसने कहा.
और मैं तुरंत रुक गया।
“ठीक है, अब धीरे-धीरे आगे बढ़!” उसने कुछ पल बाद कहा, जब वह थोड़ा सहज हो गई।
मैंने उसकी बात मानी और बहुत सावधानी से आगे बढ़ा।
उसकी सिसकारियाँ अब दर्द और सुख के मिश्रण में बदल रही थीं।
मैं हर पल उसकी प्रतिक्रिया को देख रहा था, यह सुनिश्चित करते हुए कि वह सहज हो।
कुछ देर बाद, नेहा ने अपनी कमर को हल्के से हिलाना शुरू किया और यह मेरे लिए एक संकेत था कि वह अब इस अनुभव को पूरी तरह से जी रही थी।
“और तेज़…” उसने धीमी आवाज़ में कहा, और मैंने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई।
कमरे में सिर्फ़ हमारी साँसों और सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।
नेहा ने मेरे कंधों को कसकर पकड़ लिया और उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ में धंस रही थीं।
“तुझे कैसा लग रहा है?” मैंने पूछा, उसकी आँखों में देखते हुए।
“बस… ऐसे ही करता रह … मजा आ रहा है!” उसने साँसों के बीच कहा.
उसकी आवाज़ में एक गहरी तृप्ति थी।
मैंने अपनी गति को बनाए रखा और हम दोनों उस पल में पूरी तरह से खो गए।
कुछ देर बाद नेहा ने मुझे और कसकर गले लगाया, और उसकी साँसें और तेज़ हो गईं।
“आह, अब और… ” उसने कहा, और मैं समझ गया कि वह चरम की ओर बढ़ रही थी।
मैंने भी खुद को उसी लय में ढाल लिया, और जल्द ही हम दोनों उस आनंद के शिखर पर थे, जहाँ समय और जगह का कोई मतलब नहीं रहता।
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