सात साल बाद विधवा मास्टरनी को चोदा

राजस्थान सेक्स फ्रेंड की कहानी में पढ़ें कि फेसबुक पर मेरे दोस्ती एक विवाहिता से हुई. मैं उससे कै बार मिला मगर वो सेक्स के लिए तैयार नहीं थी. आखिर मैंने उसे कैसे चोदा?

प्यारे पाठको, सबको मेरा नमस्कार.

अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली और सच्ची सेक्स कहानी है.

सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय करवा देता हूँ. मैं राजस्थान के झुंझनू का रहने वाला हूँ.
मैं इंडियन डिफेंस के एक अंग में कार्यरत हूं, इससे ज्यादा जानकारी प्रोटोकॉल के कारण आपसे साझा नहीं कर सकता हूँ.

आप ये जान लीजिए कि मैं एक सैनिक हूँ.

अब मैं आपका परिचय कहानी की नायिका से करवाता हूं.
वह भी राजस्थान के नागौर जिले से संबंध रखती है. वह गवर्मेंट लेक्चरर है.

यहां राजस्थान सेक्स फ्रेंड की कहानी में मैं गोपनीयता बनाए रखते हुए खुद को विशाल और उसे सरिता नाम दे रहा हूं.

कहानी की शुरुआत आज से सात साल पहले हुई थी.
उस समय मैं विशाखापत्तनम में तैनात था.
कहानी की नायिका से मेरी मुलाकात फेसबुक पर हुई थी.

शुरुआत में तो मैंने भी यही सोच कर बात करनी चालू की थी कि इस बार छुट्टी पर जाऊंगा, तब उसे चोद कर आऊंगा, जैसे कि सब सोचते हैं.

हमारी बात धीरे धीरे रोजाना होने लगी.
मैं जब भी उसे मैसेंजर पर कॉल करने को बोलता, वो हमेशा मना कर देती थी.

दो महीने बाद मुझे ये लगने लगा था कि ये मास्टरनी चूत नहीं देगी.

लेकिन मैं भी सैनिक था.
आप अच्छे से जानते हैं कि सैनिक कभी हार नहीं मानते हैं.
हमें कभी झुकना नहीं सिखाया जाता है. मैंने एक रणनीति के तहत उससे बातें करना जारी रखा.

हमें बातें करते हुए कब एक साल बीत गया, पता ही नहीं चला.
हम काफी फ्रेंडली हो चुके थे.

अब हमारी बातें मैसेंजर पर कॉल पर होने लग गई थीं.

एक दिन उसने मुझे बताया कि वो एक विधवा है. उसके पति की मौत शादी के एक साल बाद ही एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी.
यह सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

अब उसके लिए मेरे चोदने वाले विचार बदल गए थे, मैं उससे दिल से कनेक्ट हो चुका था.
हालांकि कुछ दिनों बाद मन में फिर से उसे चोदने को लेकर विचार आने लगे थे.

अब तक हमने अपने मोबाइल नंबर का भी आदान प्रदान कर लिया था.
हम दोनों हमेशा घंटों बातें करते थे.

मैं जब भी उससे चोदने संबंधित बातें करता, वो मुझसे नाराज़ हो जाती थी और कहती कि तुम तो सिर्फ उसके लिए ही बातें करते हो.
लेकिन मैंने हार नहीं मानी.

इस बीच हम बहुत रिक्वेस्ट के बाद अजमेर में एक डोमिनोज पिज्जा में तीस मिनट के लिए मिले.

वो बेहद खूबसूरत नाजनीन थी. कहीं से भी शादीशुदा नहीं लगती थी.
उस दिन वो जींस टॉप में आई थी और एक कॉलेज गर्ल लग रही थी.

इस प्रकार से सिलसिला चलता रहा और सात साल बीत गए.

इस बीच हम दोनों अनेकों बार मिले और वीडियो चैट करते रहे.
मगर वो सेक्स चैट करने से दूर भागती थी, मगर मुझे बेहद प्यार करती थी.

फिर मेरी ड्यूटी दिल्ली हेडक्वार्टर में हो गई थी.

इधर से कहानी में एक मोड़ आया.
मैंने आखिरकार एक दिन उसे मिलने के लिए राजी कर ही लिया लेकिन इस शर्त पर कि हमारे बीच सेक्स जैसा कुछ नहीं होगा.

निर्धारित समय पर मैं दिल्ली से बीकानेर और वो नागौर से बीकानेर पहुंच गई.
हम दोनों ऑटो से एक होटल पहुंचे. कमरे में प्रवेश किया.

तब तक मुझे ये यकीन नहीं था कि हमारी रात इतनी रंगीन होगी.

दोस्तो, मजे की बात तो यह हुई कि मैं कंडोम भी लेकर नहीं गया था.
मुझे लगता था कि ये मास्टरनी फिर से अपनी चूत नहीं मारने देगी.

चूंकि हम दोनों सफर से आए थे तो बारी बारी से नहाकर फ्रेश होकर बेड पर बैठे थे और इधर उधर की बातें कर रहे थे.

मैंने उससे कहा- आज जाकर मुझे चैन मिला है.
वो हंस कर बोली- अभी चैन मिल भी गया है?

मैं उसका मतलब समझ गया था.
मैंने कहा- अभी तो मुर्गी हलाल करना बाकी है, तब पूरा चैन मिलेगा.

वो बोली- मुर्गी समझ कर बुलाया है मुझे?
मैंने कहा- सात साल के इन्तजार के बाद आज एक कमरे में मिला हूँ तुमसे … इसको कैसे कहूँ, मुझे नहीं मालूम.

वो हंसी और मेरे सीने से लग गई.
वह बोली- हां जान, मैं भी तुम्हें पाकर बहुत खुश हूँ.

मैंने कहा- ये खुशी तुम जल्दी भी पा सकती थी.
वो जोर जोर से हंस कर कहने लगी- हां, मगर मैं भी मुर्गा पूरी तरह से पका कर खाना चाहती थी.

मैंने समझ लिया कि ये मुझे पका कर खाने की बात कर रही है इसका मतलब तो ये हुआ कि ये मुझसे चुदने आई है और मैं तो कंडोम लाया ही नहीं हूँ.

फिर मैंने सर को झटका और धीरे धीरे उसे सहलाना चालू किया तो उसकी आवाज बदल गई थी.

मैंने समझ लिया था कि लोहा गर्म हो रहा है. आज मेरी सात साल की मेहनत रंग लाएगी.

धीरे धीरे मैंने हाथ उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
वो मानो आग की भट्ठी की तरह तप रही थी.
हकीकत तो ये थी कि वो भी बहुत सालों से प्यासी थी लेकिन अपने नारी होने की लज्जा के कारण चुप थी.

मैंने जैसे ही उसकी योनि पर हाथ रखा मानो वो पागल हो गई भी.
उसकी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.

मैंने उसे उंगली से गर्म करना शुरू कर दिया था.
अब वो पागल हो चुकी थी.

मैं भी उसे चोदने के मूड में आ गया था लेकिन समस्या ये थी कि मेरे पास कंडोम नहीं था.
मैंने समय की नजाकत को समझते हुए खुद की उत्तेजना को शांत किया और उससे कहा कि मैं खाने पीने के लिए कुछ लेकर आता हूँ.

वो बोली- अरे अब कहीं मत जाओ … जो कुछ भी खाने का मन होगा, वो होटल से ही मंगा लेंगे.
मैंने कहा- नहीं वो सब इधर नहीं मिलेगा. तुम प्लीज़ कुछ देर रुको मैं अभी आता हूँ.

समझ तो वो भी गई थी शायद मगर उसने कुछ कहा नहीं.

मैं तेजी से बाहर गया और पास के ही मेडिकल से एक कंडोम का पैकेट लेकर आ गया, साथ ही कुछ चिप्स वगैरह ले आया.

जब मैं कमरे में आया तो वो बड़ी मस्त नजरों से मुझे देख रही थी और एक मस्त सा ड्रेस पहन कर बैठी थी.

मैंने उसकी इस ड्रेस की तारीफ़ की और उसे अपनी बांहों में भर लिया.
धीरे धीरे हम दोनों ने प्रोग्राम बनाना शुरू कर दिया, इस बार वो और भी ज्यादा गर्म थी.

यहां पर मैं आपको उस राजस्थान सेक्स फ्रेंड के फिगर से रूबरू करवा देता हूँ.
उसके बूब्स 32 के बहुत ही सख्त थे. उसकी कमर 30 की और 34 की गांड तो मानो पटाखा थी.

उसका रंग एकदम गोरा था.
जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसकी सुर्ख गुलाबी चूत को देखकर लंड का आधा पानी तो वैसे ही निकलने को हो गया था.

वो हुस्न की मलिका थी.

मैंने सबसे पहले उसकी टी-शर्ट को उतारा.
मेरे सामने उसके सख्त चूचे मानो मुझे चूमने का न्यौता दे रहे थे.

उसने काली ब्रा पहन रखी थी जो उसके गोरे बदन पर चार चांद लगा रही थी.

उसकी गर्म सांसें मैं अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था.

अब उसकी आंखें मुंदने लगी थीं.

मैंने उसे चूमना चालू कर दिया था, मैंने फ्रेंच किस करना शुरू किया.
कभी मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालता, कभी वो मेरे मुँह में डालती.

जब मैंने मम्मों को दबाना शुरू किया तो वो मचलने लगी.
एक सैनिक अब चूत रूपी रण क्षेत्र में अपनी युद्ध कौशलता दिखाने लग गया था.

मैंने एक एक करके उसके शरीर को कपड़ों से आजाद कर दिया था.
मेरे सामने रणभूमि में संगमरमर का तराशा हुआ नायाब हीरा सा बदन था.

उस दिन मुझे पता चला कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.
मेरी सात साल की मेहनत मास्टरनी को बिस्तर पर खींच लाई थी.

अब मैं भी नंगा हो चुका था.
मैंने धीरे धीरे उसके पैरों पर किस करना चालू किया.

फिर मैंने धीरे धीरे किस करते हुए ऊपर बढ़ना चालू किया.
सरिता ऐसे तड़प रही थी मानो बिना पानी की मछली.

मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रखी तो वो सिहर कर उछल पड़ी थी.
वो उछलने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसे अपने नीचे दबाए रखा.

उसकी चूत को मैंने अपने मुँह में ले लिया और खाने लगा.
वो ऐसे मचल रही थी जैसे मछली बिन पानी … उसे मैंने इतना गर्म कर दिया था कि उसकी चूत का पानी मेरे मुँह में आ गया था.

अब वो पूरी तरह से चुदासी थी मगर मेरा मन थोड़ा शांत हो रहा था.
मैंने कहा- एक बार मुँह में ले लो.
उसने मना कर दिया.

मैं थोड़ा नाराज़ हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं.
अब मैंने गुस्से में उससे बेड पर चित लिटा दिया और लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी चूत पर रख दिया.

वो कहने लगी- कुछ चिकनाई लगा लो.
मैंने थोड़ा तेल लेकर उसकी उसकी फुद्दी में लगा दिया.

चूत को चिकना करने के बाद मैंने लंड के सुपारे से चूत को सहलाया और झटके के साथ एक बार में आधा अन्दर डाल दिया.
वो चिल्लाई- उम्म्ह … अहह … मर गई.

मैं उसके मुँह पर हाथ रखकर लंड तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने देखा कि उसकी चूत से खून आ रहा था और आंख से उसके आंसू भी टपक रहे थे.

एक बार को तो मैं चौंका कि क्या ये सीलपैक माल है.
मगर फिर मैंने चुदाई का मजा लेने का सोचा और पिल पड़ा.

अब मैं रुका ही नहीं … और तेजी से झटके मारने लगा.

कुछ देर बाद वो भी साथ देने लगी.

मैंने उससे पूछा- जान, क्या तुम्हें मालूम चला कि तुम्हारी चूत से खून निकला है.
वो मुस्कुरा दी.

मैंने कहा- इस मुस्कान का क्या मतलब समझूँ?
वो मुझे चूमती हुई बोली- मेरी शादी जरूर हुई थी मगर सुहागरात नहीं हुई थी.

मैंने कहा- क्यों?
वो बोली- मेरे पति की किसी लड़की से आशनाई थी. उसने मुझे कभी पसंद नहीं किया था.

आगे मैंने कुछ भी जानना जरूरी नहीं समझा और उसे चोदना चालू कर दिया.
मैंने उसको पूरी गहराई तक चोदा, मेरा पूरा 6 इंच का लंड उसके अन्दर तक आ जा रहा था.

फिर मैंने उसे बांहों में उठा उठा कर चोदा.
जब मैं उसे उठा कर चोद रहा था तब उसका पानी निकल गया और कुछ ही पल बाद मैंने भी अपना माल उसके अन्दर छोड़ दिया.

हम दोनों बिस्तर पर गिर गए.

वो पांच मिनट बाद उठी और अप्रत्याशित रूप से गर्म होकर मेरे लंड के ऊपर बैठ कर ऊपर नीचे करने लगी.
मैं भी उसकी इस हरकत से फिर से चार्ज हो गया था.

कुछ ही देर में वो एकदम खुल कर रंडी के जैसे मुझे दूध पिलाती हुई चूत चुदवाने लगी.

दूसरी बार की चुदाई करीब बीस मिनट तक बिना रुके चलती रही.

इस तरह से उस दिन हमने पूरा दिन सेक्स किया.
आज मेरी सात साल मेहनत का परिणाम सफल हो गया था.

रात में हम दोनों नंगे ही सोए थे. अगले दिन सुबह तक हमने पांच बार सेक्स किया.
फिर हम दोनों होटल से चेक आउट करके बाहर आ गए.

मैंने उसे नागौर की बस में बैठा दिया और मैं ट्रेन पकड़ कर दिल्ली आ गया.

दोस्तो, इस प्रकार मैं सात साल की लगातार मेहनत के बाद एक मास्टरनी की चूत लेने में सफल हुआ था.

उसके बाद भी हम एक बार मिले और कुछ ऐसा हुआ, जिसका मलाल मुझे हमेशा रहेगा.

उसका जिक्र मैं आपसे फिर कभी करूंगा.
उम्मीद है कि आपको ये सेक्स कहानी पसंद आई होगी.
भले ही इस राजस्थान सेक्स फ्रेंड की कहानी में रोचकता या सेक्स कम मिला होगा परंतु ये एक सैनिक और एक टीचर की सच्ची सेक्स कहानी है.
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