वंश वृद्धि पर लगा अभिशाप- 1

नकली बाबा सेक्सी कहानी में पढ़ें कि पुराने ज़माने में एक जमींदार का परिवार किसी श्राप के कारण नहीं बढ रहा था. वह परेशान था. उसके गाँव में एक नकली बाबा आया.

यह सेक्स कहानी उस समय की है जब लोग बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी का इस्तेमाल किया करते थे.

किसी कारणवश एक बाबा जी ने एक गांव के ज़मींदार को श्राप दे दिया कि आने वाले समय में तुम्हारे वंश को आगे ले जाने वाला कोई नहीं बचेगा और वह खुद बीमारी से ग्रस्त होकर बिस्तर पर पड़ा रहेगा.

जब ज़मींदार ने बाबा जी से बार बार क्षमा मांगी और अपने श्राप को वापस लेने का अनुरोध किया.
तब बाबा जी ने कहा- श्राप का निदान किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा संभव होगा, जिसकी सेवा तुम्हारे घर की कोई स्त्री करेगी और वह व्यक्ति उसकी सेवा से प्रसन्न हो जाएगा.

उसके बाद बाबा जी उधर से चले गए.

उनके जाने के कुछ समय बाद ही ज़मींदार बीमार पड़ गया था और उसके इलाज में कोई दवाई काम नहीं कर रही थी.
ज़मींदार ने बहुत सारी पूजा पाठ आदि भी करवाए लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

गांव में ज़मींदार का ही परिवार रसूख वाला परिवार था.
उसके दो बेटे थे.

बड़े बेटे का विवाह 5 साल पहले हुआ था. छोटे बेटे का विवाह दो साल पहले हुआ था.
बाबाजी के श्राप से ज़मींदार का एक भी पोता-पोती नहीं था.

इस सबसे ज़मींदार बड़ा दुखी था और वह बीमार हालत में अपने बिस्तर पर पड़ा पड़ा ऊपर वाले अपने वंश का उत्तराधिकारी माँगता रहता था.

उसी समय निकट के शहर में एक चोर को पकड़ लिया गया था और आम जनता उसे नंगा करके दौड़ा दौड़ा कर मार रही थी.
वह चोर अपनी जान बचाता हुआ बस भागता जा रहा था.

भागते भागते वह चोर बाजार की एक सुनसान गली में घुस गया और उधर एक दाल चावल बेचने वाले की बैलगाड़ी में चावल के खाली बोरों के बीच में छिप गया.

वह व्यापारी अपना सारा माल बेच चुका था और घर जाने का तैयारी कर रहा था.
कुछ देर बाद वह व्यापारी अपने गांव की तरफ निकल पड़ा.

चलते चलते काफी देर हो गई.
वह बैलगाड़ी पर बैठा बैठा थक गया था.

उसी समय रास्ते में एक तालाब मिला तो वह व्यापारी बैलगाड़ी को रोक कर तालाब में नहाने की सोचने लगा.
उसने गाड़ी से बैलों को निकाला और तालाब में नहाने चला गया.
उसी के साथ उसने बैलों को भी पानी आदि पिलाया.

उसके जाते ही चोर गाड़ी से उतर कर नीचे आ गया और गाड़ी वाले के कुछ दूर जाते ही वह चोर अपने रास्ते चल पड़ा.
वह चोर एक घने जंगल के रास्ते उसी ज़मींदार के गांव में पहुंच गया, जो बीमार पड़ा था.

उस गांव में बड़ा घर ज़मींदार का ही था और दूर से ही चमक रहा था.
चोर सोचने लगा कि क्या किया जाए, यदि ज़मींदार के घर में घुसता हूँ तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि मैं कौन हूँ और उसके घर में क्या कर रहा हूँ.

ये सब सोच कर वह चोर आगे बढ़ गया और उसे गांव के बाहर एक ऊंचा पहाड़ दिखाई दिया.
उस पहाड़ पर रोशनी जलती दिखाई दे रही थी और उधर उसे कोई घर जैसा दिखाई दिया.

चोर पहाड़ के ऊपर चढ़ गया.
उधर आग जल रही थी.

उसने एक बड़ा सा लकड़ा आग में डाल दिया.
आग और तेज़ी से जल उठी.

कुछ ही देर में बड़ी बड़ी लपटें उठने लगीं, तो उस झोपड़ी में रहने वाला आदमी पहाड़ से भाग गया.

दूसरी तरफ गांव वालों ने भी वह आग देखी, तो वे भी सोचने लगे कि यह क्या हुआ.
सभी लोग ज़मींदार के घर के पास आ गए और चर्चा करने लगे कि ये कैसी आग उठी है. पर आधी रात के समय किसी ने भी पहाड़ पर जाने की हिम्मत नहीं की.

सुबह होते होते आग भी ठंडी पड़ने लगी और गांव वालों ने भी ज़मींदार के पास आकर रहस्यमयी आग के बारे में बताया.

अपने कुछ आदमियों से ज़मींदार ने पहाड़ पर जाने के लिए कहा कि पहाड़ पर जाकर देखो कि कल रात उधर यह सब क्या हुआ.
जमींदार की बात मान कर उसके कारिंदे ये देखने के लिए पहाड़ पर चढ़ने लगे.

चोर ने ऊपर से ये देख लिया कि कुछ लोग ऊपर आ रहे हैं.
अब वह तो नंगा था, उसके पास पहनने के लिए कपड़े ही नहीं थे.

चोर को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करे.
उसने रात का जली हुई आग के आस पास की राख को अपने शरीर पर लगा लिया और ध्यान में है ऐसा नाटक करने लगा.

ज़मींदार के आदमियों ने ये देखा तो वे सब आश्चर्यचकित हो गए कि एक आदमी के छितरे से बाल और दाढ़ी है, वह अपने पूरे शरीर में भभूति लगाए हुए ध्यानमग्न है.

सब लोगों ने उस चोर को कोई पहुंचा हुआ बाबाजी समझा और उसके पैरों में गिर कर उसकी जय जयकार करने लगे.

कुछ लोगों ने इस बात की सूचना जमींदार को भी दी.
उसने अपने दोनों लड़कों को तुरंत पहाड़ पर जाकर बाबाजी से अपने आपको श्राप मुक्त करने का उपाए पूछने का कहा.

जमींदार का बड़ा लड़का पहाड़ पर गया और बाबाजी के चरणों में गिरते हुए बोला- बाबाजी हमारे परिवार को श्राप से मुक्ति कीजिए.
चोर ये सुन कर चकित हो गया कि साला ये किस श्राप की बात कर रहा है!

लेकिन चोर शातिर था.
उसने धीरे धीरे आंखें खोलीं और उससे कहा- पहले मुझे उठाओ.

सब लोग चोर को उठाने लगे और उसे बैठा दिया गया.
उसकी पूजा अर्चना की गयी और बढ़िया भोजन खिला पिला कर उससे आशीर्वाद लेने लगे.

उसी समय ज़मींदार की बीवी और दोनों बहुएं भी आ गईं.
बाबा की नज़र उन पर पड़ी और सेक्सी बाबा पर वासना सवार हो गई.

वह बोला- ये श्राप बहुत गहरा है. मुझे इसी श्राप को खत्म करने भेज गया है. तुम चिंता मत करो बालक. तुमको एक काम करना होगा.

अब तक ज़मींदार को भी कुछ लोग पालकी में बिठा कर टांग लाए थे.

ज़मींदार ने बाबा जी को दूर से ही चरण वंदन कहा और बोला- बाबा जी, हमको इस श्राप से बचने के लिए क्या करना होगा?

बाबाजी- तुम्हारे घर की एक पुत्री मेरे लिए खाना लाएगी और दूसरे दिन दूसरी पुत्री खाना लाएगी … और मैं उससे जो बोलूंगा, वह मेरे लिए सब करेगी.

ज़मींदार को उस पहले वाले बाबा का श्राप याद आ गया कि उसने कहा था कि किसी व्यक्ति की सेवा करने से ही इस श्राप का निराकरण होगा.
वह सब याद आते ही ज़मींदार एकदम से तैयार हो गया और कहने लगा- ठीक है बाबाजी, यदि ऐसा करने से श्राप से मुक्ति मिलती है तो हमारे परिवार के सब लोग यह सब जरूर करेंगे.

उधर उस चोर अर्थात सेक्सी बाबा ने देखा कि इसके परिवार की दोनों बहुएं एकदम कड़क जवान और मदमस्त माल हैं तो उसका लंड फुंफकार मारने लगा.

उसने बड़ी मुश्किल से अपने लौड़े को फूल पत्तियों से छिपाया ताकि बना बनाया खेल खत्म न हो जाए.

अब उधर ज़मींदार के घर की औरतों के अलावा और भी कुछ मस्त माल जैसी औरतें खड़ी थीं जिन्हें ज़मींदार और उनके बेटों ने उनकी खूबसूरती को ध्यान में रखते हुए ही अपने लौड़े की प्यास बुझाने के लिए रखा हुआ था.

वे औरतें भी बड़ी गदराई हुई थीं और बाबा जी के हष्ट-पुष्ट शरीर को बड़ी वासना से निहार रही थीं.

बाबा जी ने अपनी चोर वाली आंखों से समझ लिया था कि इनमें से काफी औरतें उसके लौड़े से चुदवा कर तृप्त हो जाएंगी.

वह अब यह समझने की कोशिश करने लगा था कि इन औरतों में से ज़मींदार के घर की औरतें कौन हैं.

जब वह यह नहीं समझ पाया तो उसने एक चाल चली- ज़मींदार, तुम्हारी परिवार की एक महिला स्वर्ग से हमें देख रही है. वह कौन है?

बाबा जी के मुँह से ये सुन कर ज़मींदार चकित हो गया और कहने लगा- हां बाबा जी, वह मेरी पहली बीवी ही होगी, उसके असमय गुजर जाने के बाद मैंने दूसरी शादी कर ली थी. पर वह आपको क्यों देख रही है और आपको इस बात का कैसे पता चला बाबा जी कि वह मेरे परिवार की औरत है?

बाबाजी- हमें सब पता है. वह सब छोड़ो तुम कुछ न समझ पाओगे … अब मुझे कुछ काम करना बाकी है … बोलो करोगे?
ज़मींदार- जी महाराज, आप जैसा कहें, करेंगे. बस हमारे दुख दर्द समाप्त हो जाना चाहिए बाबा जी.

बाबा जी ने आंखें मूंदते हुए कहा- तुम्हारे कष्ट दूर होने में कुछ वक्त लगेगा. तब तक मुझे यहीं रुक कर साधना करनी होगी. उसके लिए यहां एक कुटिया का होना परम आवश्यक है.

ज़मींदार ने अपने नौकरों से कहा कि बाबाजी का घर ठीक से खड़ा कर दो और झरने के पानी सब साफ सफाई कर दो. बाबाजी के इस आवास को चारों ओर से कांटों वाली जाली से घेर कर सुरक्षित कर दो ताकि कोई जंगली जानवर बाबा जी की साधना में खलल न डाले.
जमींदार का आदेश पाते ही गांव के लगभग सभी लोग प्राण-प्रण से बाबाजी की कुटिया ठीक करने में लग गए.

शाम तक सब काम खत्म हो गया और पहाड़ तक जाने की सीढ़ियों के नीचे मजबूत गेट और उस पर ताला लगा दिया गया.
ताले की चाबी बाबाजी को दे दी गई.

सभी को इस बात की ताकीद कर दी गई कि बाबा जी से मिलने आने के पहले घंटा बजाना होगा और बाबा जी के बाहर आने तक इंतजार करना होगा. अन्यथा की स्थिति में कोई सेवक बाबा जी के आदेशानुसार ही किसी को ऊपर आने देगा.

अब सब लोग चले गए और बाबाजी ने खाना आदि खा कर टांगें पसार दीं.
इस तरह से वह चोर सो गया.

कुछ समय बाद नीचे से घंटा बजाया गया और आवाज़ आई ‘बाबाजी … बाबाजी …’
बाबाजी की नींद खुल गई.

उसने बाहर जाकर देखा तो एक नीचे एक पालकी खड़ी थी.

बाबा ने आने का इशारा किया तो पालकी से ज़मींदार और उसकी बीवी दोनों ऊपर आ गए.
दोनों ने बाबा जी को प्रणाम किया.

बाबाजी ने कहा- रूको, कोई मर्द आश्रम में नहीं जाएगा, जब तक मैं ना बोलूँ!
ज़मींदार ने बीवी को खाना पकड़ा दिया और उससे आश्रम में रख कर आने को बोला.

बाबाजी गुस्सा होकर कहने लगे- तुम्हारी बीवी यहीं आश्रम मेरी पूजा में सहयोग करेगी. तुमको श्राप से छुटकारा पाना है कि नहीं?
ज़मींदार की बीवी रेखा खाना और कुछ कपड़े आदि लेकर आई थी.
वह सब सामान लेकर ऊपर चली गयी.

बाबाजी नीचे आ गया और उसने ज़मींदार से कहा- अब तुम वापस जाओ, बहुत रात हो गयी है. कल सुबह इस पुत्री को लेने आ जाना.
यह बोल कर बाबा जी ने आश्रम के गेट को ताला लगा दिया.

ज़मींदार अपने घर चला गया.

बाबा जब ऊपर आया तो उसने देखा कि ज़मींदार की बीवी कमरे में दिया जला रही थी.

चारों ओर अंधेरा था और दिया की रोशनी में ज़मींदार की बीवी रेखा किसी कमसिन अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.

वह जमींदार की उम्र से बहुत कम उम्र की थी और बड़ी ही कामुक अप्सरा सी लग रही थी.
रेखा के बड़े बड़े दूध, बड़ी सी गांड और लचकती कमर देख कर बाबा का हथियार खड़ा हो गया था.

रेखा सेक्सी बाबा को और उनके लंड को देख रही थी.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको जमींदार की बीवी रेखा की चुदाई की कहानी सुनाऊंगा. आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है … प्लीज अपने विचार जरूर बताएं.
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