मेरे 3 साल के बेटे का डीएनए टेस्ट हुआ किसी कारण से तो मुझे पता चला कि उसका डीएनए मेरे डीएनए से मेल नहीं खाता. मैं क्या करूं?
प्रिय पाठको, मैं 32 वर्षीय पुरुष हूँ. मेरे 3 साल के बेटे का डीएनए टेस्ट हुआ किसी कारण से तो मुझे पता चला कि उसका डीएनए मेरे डीएनए से मेल नहीं खाता है. मुझे शक है कि वह बच्चा मेरा नहीं है. इस स्थिति में मेरे लिए कौन सा कदम उठाना सही रहेगा. कृपया मेरी समस्या का निवारण करें.
समाधान- आपने जिस समस्या का जिक्र यहां पर किया है दरअसल इसके पीछे किसी एक कारण को सही मान कर किसी भी नतीजे पर पहुंच जाना एक मूर्खतापूर्ण फैसला ही कहा जायेगा.
यदि आपके बच्चे का डीएनए आपके डीएनए से मेल नहीं खाता है तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी सूझ-बूझ से काम लेना होगा.
बच्चे का डीएनए आपके डीएनए से मेल न खाने का कोई एक कारण नहीं हो सकता है. इसलिए यदि आप ऐसा सोच रहे हैं कि आपकी पत्नी आपके अलावा किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बना रही थी तो यह सोचना आपके रिश्ते को खराब कर सकता है.
आपका ऐसा सोचना कि पत्नी आपको धोखा दे रही थी, इसकी पुष्टि किये बिना ही आप अपनी पत्नी पर चरित्रहीनता का आरोप लगाने का प्रयास करेंगे तो यह आपके वैवाहिक संबंधों के लिये समस्या खड़ी करने वाला फैसला साबित होगा.
डीएनए टेस्ट के आधार पर आप अपनी पत्नी का चरित्र परिभाषित नहीं कर सकते हैं और न ही यह आपकी पत्नी के चरित्र का प्रमाण पत्र हो सकता है. डीएनए टेस्ट मेल न खाने के जो संभावित कारण हो सकते हैं उनके बारे में आपको जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. इन सभी पहलुओं पर गंभीरता पूवर्क विचार करने के उपरान्त ही आप किसी निर्णय पर पहुंचे.
आपकी समस्या के लिए संभावित कारणों में से कुछ कारण नीचे विस्तार बताये गये हैं जिनके बारे में आप अपने विवेक का प्रयोग पुष्टि कर सकते हैं और एक सही निर्णय ले सकते हैं.
1. डीएनए टेस्ट मेल न खाने का कारण बेबी स्वैपिंग अथवा बच्चे की अदला बदली मुख्य कारणों में से एक है. कई बार अस्पताल में इस तरह की घटनाएं आमतौर पर देखने को मिलती रहती हैं.
इस तरह की घटनाएं ज्यादातर उन अस्पतालों में होती हैं जहां पर ज्यादा भीड़-भाड़ रहती है. ऐसे में जब अस्पताल में एक साथ कई बच्चे पैदा हो रहे होते हैं तो कई बार नर्स या पीडियाट्रिक डॉक्टर की गलती से बच्चे की अदला बदली हो जाती है.
ऐसी स्थिति में बच्चे के माता पिता को किसी अन्य का बच्चा मिल जाता है और जो उस दम्पत्ति का जैविक बच्चा होता है वो किसी अन्य के पास चला जाता है. आप इस बात पर गौर करें कि आपके बच्चे का जन्म कहीं ऐसे किसी अस्पताल में तो नहीं हुआ था जहां पर इस तरह की लापरवाही होने की संभावना हो.
2. जो दम्पत्ति आईवीएफ (इन विट्रो फर्टीलाइजेशन) के द्वारा कोख के बाहर एक प्रयोगशाला में अपने अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन करवाते हैं, वहां भी इस घटना होने की पूर्ण संभावना होती है जिसमें अंडाणु अथवा शुक्राणु के सैम्पल पर गलत टैग लगा दिया जाता है.
इस तरह की संभावित मानविक त्रुटि के कारण भी कई बार आपको अपना स्वयं का जैविक बच्चा मिलने की बजाय किसी अन्य का बच्चा मिल जाता है.
यदि आप विश्व भर में घटने वाली बेबी स्वैपिंग की घटनाओं से अवगत नहीं हैं तो आपकी जानकारी के लिए कुछ बहुचर्चित बेबी स्वैपिंग की घटनाएं यहां पर बतायी जा रही हैं ताकि आप अनुमान लगा सकें कि इस तरह की घटनाएं होना बहुत आम बात है.
साल भर पहले ही एक नर्स का किस्सा सामने आया था जिसमें उसने जानबूझकर बेबी स्वैपिंग की थी. वह नर्स उस अस्पताल में तीन दशकों से भी ज्यादा समय से कार्यरत थी और अपने कार्यकाल में उसने बेबी स्वैपिंग की अनगिनत घटनाओं को अन्जाम दिया.
आपको जानकार हैरानी होगी कि उसने यह सब केवल अपने मनोरंजन और मौज मस्ती के लिए किया था. वह न तो किसी मानसिक रोग से ग्रसित थी और न ही यह सब करने के पीछे उसका कोई निजी स्वार्थ था. वह केवल मनोरंजन भर के लिए बच्चों की अदला-बदली कर दिया करती थी.
दूसरी घटना ब्रिटेन के एक डॉक्टर की भी है जो काफी समय तक सुर्खियों में रही. उस डॉक्टर के बारे में जब खुलासा हुआ तो पता चला कि वह महिला का अंडाणु और उसके पति का शुक्राणु लेकर कभी भी पति के शुक्राणु का प्रयोग भ्रूण बनाने में नहीं करता था.
वह डॉक्टर महिला के अंडाणु के साथ उसके पति का शुक्राणु प्रयोग न करके अपितु अपना स्वयं का शुक्राणु इस्तेमाल करता था. जब उसके बारे में जांच पड़ताल की गई तो यह पता चला कि इस तरह से अब तक वह डॉक्टर 400 बच्चों का जैविक पिता बन चुका था.
आपकी समस्या का समाधान-
आपके बच्चे का डीएनए यदि आपके डीएनए से मेल नहीं खा रहा है तो ऐसी स्थिति में आपके जो बेहतर विकल्प हो सकता है, वह इस प्रकार है-
1. यदि बच्चे की उम्र तीन साल या उससे ऊपर है और आपके परिवार में हर तरह सुख-शांति का माहौल है, इसके साथ ही आपका परिवार उस बच्चे को चाहता है, प्यार व दुलार देता है, उस बच्चे से आपके परिवार का लगाव हो गया है तो बेहतर यही होगा कि आप उस बच्चे को अपना लें. यह आपके लिए एक उत्तम समाधान होगा.
2. यदि आपका बच्चा आईवीएफ प्रक्रिया से न होकर साधारण निषेचन से हुआ है और आपको अपनी पत्नी के चाल-चलन और उसके चरित्र पर शंका है तो आप अपनी पत्नी का भी डीएनए टेस्ट करवाइये.
पत्नी का डीएनए टेस्ट करवाने के उपरान्त यदि उस बच्चे के साथ आपकी पत्नी का डीएनए भी मैच नहीं होता है तो आपका अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करना एकदम गलत है. ऐसी स्थिति में पूरी संभावना है कि आपका बच्चा अस्पताल में बदला गया है.
इस स्थिति में आप कानूनी रास्ता अपना सकते हैं. आप कोर्ट का सहारा लेकर उस अस्पताल में उस दिन जन्मे बच्चों के डीएनए टेस्ट की मांग कर सकते हैं. यदि बेबी स्वैपिंग हुई है तो आपके जैविक बच्चे को खोजने का यही एक मात्र उपाय है.
दूसरी स्थिति में यदि पत्नी का डीएनए बच्चे के डीएनए से मिल जात है तो आपका अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करना जायज है और इसका सीधा सा तात्पर्य निकलता है कि वह आपको धोखा दे रही थी. इस परिस्थिति में आप अपनी पत्नी से तलाक की मांग कर सकते हैं.
3. आपका बच्चा यदि आईवीएफ से जन्मा है तो उसका डीएनए टेस्ट आपकी पत्नी से मिले या न मिले, आपका अपनी पत्नी पर शक करना व्यर्थ है और न ही आपको इस तरह का अर्थविहीन इल्जाम लगाने का कोई अधिकार है.
उपरोक्त सभी संभावनाओं को जांच परख कर ही आप कदम बढ़ायें क्योंकि बच्चे का डीएनए टेस्ट आपकी पत्नी का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं कहा जा सकता है. यदि आप ऐसा सोचते हैं तो इस भ्रांति को अपने दिमाग से निकाल बाहर करें.
इसके अतिरिक्त आपके लिए बेहतर विकल्प यही होगा कि यदि आपका बच्चा आपके परिवार के साथ घुल-मिल गया है और आपका अपने परिवार सहित उस बच्चे के साथ लगाव है तो आपका उस बच्चे को अपना लेना ही सबसे उपयुक्त विकल्प होगा.