अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान- 1

सेक्स डॉल की मस्त कहानी पिंकू और सोनू नाम की कपोल कल्पित पर सुंदरियों के साथ काम क्रीड़ा से भरपूर है। पर दोनों सुंदरियों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत है।

नमस्कार मित्रो! मैं हूँ लकी!
और ये हैं मेरी दो मानस सुंदरियाँ- एक पिंकू और दूसरी सोनू।

ये दोनों चचेरी बहनें हैं आपस में … मेरी कॉलोनी में मेरे घर के पास ही रहती हैं.
मेरी सेटिंग इन दोनों से इस तरह से है कि हम तीनों मिल कर यौन क्रियाओं का आनन्द लेते हैं.

पिंकू- छरहरा ऐथेलेटिक बदन, बूटा सा करीब पाँच फीट का कद, नटखट, आँखों से चंचलता बरसाती, गोद उठाने में फूल सी हल्की, फाल्गुन के गुलाल सी लाली लिये हुए गुलाबी रंगत, सेक्स को पूरी शिद्दत के साथ एंजॉय करने वाली, कामक्रीड़ा में सक्रिय सहभागी, खुल कर खिलखिला कर उन्मुक्त हंसी बिखेरने वाली।

दूसरी सोनू- मंझोले कद वाली, भरे लेकिन गठे हुए बदन की, थोड़ी शर्मीली सी मुस्कान, पूर्व दिशा से उगते सूर्य की पहली किरण जैसी स्वर्ण वर्णीय काया, सेक्स को गैर जरूरी विलासिता मानने वाली, कामक्रीड़ा में अनमनेपन से सहयोग करने वाली।

पिंकू के बांए होंठ के नीचे एक भूरे रंग का छोटा सा मस्सा और सोनू के बाएँ गाल के बीचों बीच में सामने की ओर एक काला मस्सा है।
मुझे चेहरे पर तिल जितने नापसंद है, खास-खास जगह पर मस्से उतने ही सेक्सी लगते हैं, और इन दोनों के मस्से तो कयामत ही ढहाते हैं।

सोनू के बोबे गोल-गोल दो मखमली गेंदों की तरह, अपने ही भार से कुछ नीचे झुके हुए हैं। वहीं, पिंकू के बूब्स छोटे अनारों की तरह सख्त और निप्पल्स बिलकुल बंदूक की तरह सामने तने हुए।
जहां सेक्स के समय पिंकू एक दुल्लाती मारती जंगली घोड़ी है तो सोनू एक पालतू गाय।

पिंकू हमेशा हॉट पैंट और टाइट टॉप मे एक सेक्स बॉम्ब लगती है तो सोनू शालीन, लेकिन अच्छे फिटिंग वाले सलवार सूट और कभी कभार जीन्स और ढीले टॉप में भी एक सेक्सी, सुंदर कन्या लगती है।

एक तीखी हरी मिर्च है, जो खाते समय मुंह से सी … सी निकलवा दे लेकिन अगले भोजन के समय पिछला तीखापन भुला जाए और फिर से खाने की इच्छा होने लगे।
वहीं दूसरी मीठी खीर है जिसे चम्मच भर भर के खाओ लेकिन पेट भर हो जाने पर भी मन ना भरे और पेट में थोड़ी सी जगह खाली होते ही फिर से टूट पड़ने का मन करे।

एक शनिवार की शाम मैं सोफे पर बैठा हुआ व्हिस्की के हल्के हल्के सिप ले रहा था और पिंकू और सोनू मेरे दोनों पहलुओं में सटी हुई बैठी थीं।

मैं बीच बीच में कपड़ों के ऊपर ही से उनके स्तन, और जांघें सहलाता जा रहा था और अपने ही गिलास से उन दोनों को व्हिस्की सिप भी करवा रहा था।
इसे पिंकू तो मजे लेकर, लेकिन सोनू आदत के मुताबिक नाक-भौं सिकोड़ कर गटक रही थी।

मुझे याद पड़ता है कि पहली बार तो मैंने ज़बरदस्ती उसकी नाक दबाकर दूसरे हाथ से मुंह खोला था और पिंकू ने पूरा पैग ही वहाँ पर उड़ेल दिया था।
अब इसकी ज़रूरत नहीं पड़ती है।

खैर, सोनू की यह अदा भी इतनी दिलकश लग रही थी कि मैंने बोतल से व्हिस्की का एक गहरा घूंट मुंह में भरते हुए उसे अपनी गोद मे खींच लिया और देर तक उसके होंठों को अपने मुंह की शराब से तर करता हुआ संतरे की फांक की तरह चूसता रहा।
साथ ही साथ उरोजों को मींजता रहा।

सोनू ने आदत के मुताबिक न कोई सहयोग किया, न ही प्रतिरोध।
वो चुपचाप लेटी-लेटी अपने होंठ चुसवाती रही।

मैंने तो इसका भी लुत्फ उठाया और दूसरा फायदा यह हुआ कि पिंकू भी मूड में आकर मेरे ऊपर लद सी गई।

अब मैंने सोनू को उसके हाल पर छोड़ा और पिंकू को किस करना चालू कर दिया।
उसने पूरा सहयोग करते हुए पहले अपने होंठ चुसवाए, फिर मुंह खोल कर मेरी जीभ को भी अंदर जाने दिया।

मैंने उसके पूरे मुंह के अंदर जीभ घुमाते हुए चाटा।
उसकी जीभ को मैंने जी भरकर चूसा और अंदर बाहर करते हुए अपनी जीभ से उसके मुंह की देर तक चुदाई की।

फिर यही सब काम उसने अपनी जीभ से मेरे मुंह में भी किये।
उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा कर चुसवाई और मेरे होंठों को भी चूसा।

मैं उसका निचला होंठ चूसता तो वो मेरा ऊपर वाला होंठ चूसती।
फिर जब मैं उसका ऊपर वाला होंठ चुभलाता तो वो मेरा नीचे वाला चुभलाती।

अब खेल करते हुए मैंने एक बड़ा क्लीन पेग बनाया और उसमें जीभ डुबा कर पिंकू से चुसवाई।

फिर पिंकू ने अपनी जीभ व्हिस्की में तर करके सोनू के मुंह में डाली और घुमा घुमाकर उसके पूरे मुंह को सराबोर कर दिया।
इसी तरह सोनू की भी जीभ जाम में डलवा कर फिर मैंने उसे चूसा।

इस तरह हम देर तक एक दूसरे की नशीली डीप किसिंग करते रहे।

जाम के खत्म होने तक तीनों ही सुरूर में आ चुके थे।

इस दौरान पिंकू की आह्ह … आह्ह … आह्ह … जैसी उत्तेजनापूर्ण सिसकारियाँ माहौल को और उत्तेजक बनाती रहीं।

आखिर में मैंने सीधे बोतल से एक और बड़ा घूंट भरा और पिंकू के होंठों को किस करते करते उसके मुंह में बूंद बूंद दारू छोड़ते करते हुए, उसी पोजिशन में मुंह से मुंह मिलाए, गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया।

बेडरूम में पहुँच कर मैंने खुद बेड पर बैठकर पिंकू को सामने खड़ी किया।
फिर जैसे ही उसके टॉप को हल्का सा झटका दिया, उसके गुलाबी बूब्स एक झटके में चिट्पुटिया बटन्स को खोलते ही स्प्रिंग बाल्स की तरह उछल कर बाहर आ गए।

मैंने उसका टॉप उतार फेंका और उसके दोनों स्तनों को सहलाना शुरू किया। मैंने उसके निप्पलों को उमेठा, बोबों को मुट्ठी में भर भरकर ज़ोर ज़ोर से भींचा, आटे की तरह माड़ा, गोल-गोल मसलते हुए आपस में रगड़ा और अपने चेहरे को इनके बीच में घुसा कर अपने दोनों गालों पर उसकी दोनों चूचियों से मालिश की।

बीच बीच में उसके नशे और उत्तेजना से गर्म और लाल हो चुके दोनों गालों को भी चूमा-चाटा और दाँतों से हल्के से काटा।

उसके कूल्हों को भी दबाना, सहलाना, मसलना साथ ही साथ चल रहा था।
वो भी आह्ह … आह्ह … आह्ह … का म्यूजिक देती हुई मेरे निप्पल्स को चुटकी में ले लेकर उमेठ रही थी।

बता दूँ कि मेरा बेडरूम पूरी तरह साउंडप्रूफ है और उसमें जगह-जगह आईने लगे हुए हैं जिनसे हमें सेक्स की किसी भी पोजीशन में अपने पार्टनर की और अपनी पीछे की पिक्चर भी दिखती रहती है।

अगर कोई उत्तेजना वश मस्ती में ऊऊ … ऊऊई … आअई … ईईईई … जैसी आवाज़ें निकलें तो वो अड़ोस पड़ोस में सुनाई नहीं पड़तीं।
यह बात उत्तेजना को दोगुना कर देती है।

इसके बाद मैंने पिंकू की हॉट पैंट और चड्डी को भी एक झटके में उतार दिया।

फिर खड़े होते हुए उसके दोनों बगलों के बीच में हाथ डाल कर फर्श से इतना ऊपर उठाया कि उसकी दोनों चूची मेरे मुंह के सामने आ गईं।
पिंकू के हल्के वज़न और जिमनास्टिक बॉडी के कारण इसमें कोई दिक्कत भी नहीं थी।

उसे मैं एक कपड़े की गुड़िया की तरह उठा सकता था, झुका और पलटा सकता था।
सोनू के भरे गुदाज बदन के कारण इतनी उठापटक संभव नहीं।

मैंने अब पूरी नंगी हो चुकी सेक्स डॉल पिंकू की चूचियों का करीब दस मिनट तक जी भरकर पीया, निप्पलों को चाटा, अपना चेहरा दोनों बूब्स के बीच में डाल कर रगड़ा।
वो लंबी लंबी साँसें लेती रही और उफ़्फ़् … आहह … हह … सीह्ह … जैसे सीत्कार भरती रही, जिससे मेरा मज़ा और बढ़ता रहा।

पिंकू ने उत्तेजित होकर अपनी दोनों टाँगों को किसी तरह उठा कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लिया।
मैंने भी अपनी बांहें उसकी बगलों के नीचे से आगे बढ़ाते हुए उसकी पीठ को कसकर जकड़ लिया।

अब पोजीशन यह थी कि उसके कूल्हों के बीच की दरार मेरे लंड से रगड़ खाती हुई मालिश कर रही थी और चूचियाँ मेरे सीने की मालिश कर रही थीं।

उसका पूरा बदन उत्तेजनावश काम्प रहा था और वो ऐसे हिल रही थी जैसे कोई चुड़ैल उस पर सवार हो गई हो।

इस सब में उसका चेहरा मेरे मुंह के सामने आ गया और मैंने उस चाँद से मुखड़े की पूरी खातिरदारी शुरू कर दी।

कभी मैं उसके गालों को चूमता, कभी चाटता, कभी ज़ोर ज़ोर से रसीले फलों की तरह चूसता।

मैंने उसके होंठों को संतरे की फांकों की तरह धीरे-धीरे चूसा, ठोड़ी को आम की गुठली की तरह और गालों को तो जब मुंह में भर कर दाँत गड़ाए तो ऐसा लगा कि मानो कश्मीरी सेब का स्वाद ले रहा हूँ।
पिंकू ऊह आह हाय … मर गई … ऊहह … ऊहह … ईई … जैसी उत्तेजक आवाज़ें निकालती हुई अपनी चूत और क्लिटोरिस को मेरे शरीर से रगड़ रही थी।

उसके कामरस ने मेरी त्वचा को काफी कुछ गीला ही कर डाला था।

अब मैंने उसकी बॉडी को सपोर्ट देने के लिए अपनी दोनों हथेलियाँ उसके कूल्हों के नीचे लगा दीं और उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।

मैंने पिंकू को धीरे से नीचे उतारा और खुद बेड के किनारे बैठकर उसको घुटनों के बल ज़मीन पर बैठाया और उसकी चूचियों को मुट्ठियों में भरकर भींचते हुए उनसे अपने लण्ड की मसाज करने लगा।
अपने लण्ड को दोनों उभारों के बीच में रखकर रगड़ते हुए उसकी चूचियों की चुदाई की।

जब मेरे लंड का सुपारा उसके होंठों से टकराता तो वह जीभ निकाल कर उसे चाट लेती।

यह खेल काफी देर चलता रहा।

पिंकू ने खुद भी अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स पकड़ कर मेरे लण्ड पर रगड़े।

मेरे सुझाव पर सोनू ने भी उसके पीछे बैठ कर अपने हाथों से पिंकू के बूब्स पकड़ कर मेरे लौड़े की मालिश की।

थोड़ी देर बाद मैंने पिंकू को उठा कर घुमाया और अपनी गोद में कुर्सी जैसी पोजीशन में बैठा लिया।

अब उसकी चिकनी और मुलायम पीठ मेरी ओर थी।
मैंने पीछे से हाथ बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियाँ अपनी मुट्ठियों में लेकर मसलते हुए उसकी गुलाबी पीठ पर धीरे-धीरे होंठ छुआते हुए चूमना शुरू किया।

मैं कभी जीभ से चाटता तो कभी पूरे प्रैशर से दबा दबाकर किस करता, तो कभी दाँतों से निशान बनाता।
अब तक उसकी पीठ गुलाबी से लाल हो चुकी थी और उस पर मेरे दांतों के निशानों की चित्रकारी के गहरे गहरे निशान बन चुके थे।
इस बीच मेरे हाथ उसकी चूचियों की पूरी आवभगत में लगे थे।

वह उत्तेजना से काँप रही थी और बेचैनी के साथ एक जल बिन मिछली की तरह उछल रही थी।

मैंने कनखियों से सोनू को देखा तो वो हमेशा की तरह बिना किसी उत्तेजना के इधर उधर ताक रही थी।
तो मैंने उससे हंसकर कहा- ज़रा इधर आओ और कुछ काम धंधा भी करो।

मैंने उसको पिंकू के सामने खड़ी करके एक झटके में उसके कुर्ते को उसके बदन से अलग कर दिया और उसकी चूचियाँ ज़ोर से मसलते हुए पिंकू के मुंह में दे दीं।
पिंकू ने सोनू की चूचियों को बिना किसी भूमिका के ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।

इससे उसका उछलना कूदना कुछ कम हुआ और मैं आसानी के साथ उसके बदन से खेलता रहा।

पिंकू ने सोनू की चूचियाँ चूसते चूसते ही उसकी सलवार का नाड़ा खोल डाला और सलवार और पैंटी नीचे खिसकाते हुए उसकी बुर से खेलने लगी।

अभी तक मैंने पिंकू के निचले हिस्से को एक बार भी हाथ नहीं लगाया था लेकिन वह वहाँ पर इतनी तर थी कि अनगिनत बार झड़ चुकी लग रही थी।

अब पिंकू उत्तेजना से बुरी तरह काँप रही थी और बार-बार मेरे लंड को पकड़ना चाह रही थी।

मगर मैंने उसकी बेकरारी को और बढ़ाने की गरज से ऐसा नहीं करने दिया और फिर से उठाकर बेड पर पटक दिया।

अब बारी निचले हिस्से की थी।
मैंने सोनू को इशारा किया तो वह पिंकू का सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गई और उसके दोनों हाथ पकड़ लिए।

मैंने पिंकू की जांघों के बीच में बैठ कर उनका हल्के हल्के मसाज करना शुरू किया।
मैं लंबे समय तक उसके दोनों छेदों के बीच की जगह की अंगूठे से मालिश करता रहा।

ऐसा करते हुए मैं धीरे धीरे उसकी चूत के होंठों को खोल-बंद करता रहा।

इस बीच वो लंबी लंबी साँसें लेती रही।
काफी देर बाद मैंने उसकी क्लिटोरिस को हल्के से मसला।
वो और ज्यादा उत्तेजित हुई।

फिर मैंने क्लिटोरिस को मसाज करना और चुटकी में लेकर मसलना शुरू किया।
उसकी पूरी बॉडी उत्तेजना से काँप रही थी। मुंह से ऊऊ … ऊऊई … ईई … आअई … ईईई उफ्फ जैसी आवाज़ें निकल रही थीं।
ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर किसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर डाल दिया गया हो।

भला हो सोनू का कि उसने पिंकू के हाथ पकड़े हुए थे और सिर को अपनी गोद में दबा रखा था।

नीचे मैं उसके पैरों के बीच में बैठ कर उन्हें दबाये हुए था।

काफी देर तक क्लिटोरिस से खेलने के बाद मैंने दो उँगलियाँ उसकी चूत में घुसेड़ ही दीं।
उसे कुछ राहत मिली।

मैंने धीरे-धीरे चूत के अंदर मसाज शुरू करना शुरू किया।
काफी देर तक धैर्यपूर्वक मसाज करते रहने के बाद उसका जी स्पॉट मिल ही गया।

जैसे ही मैंने जी- स्पॉट छूआ, पिंकू को तो मानो जूड़ी चढ़ गई हो।

वो ज़ोर ज़ोर से उईई ईईईई मर गई … गर्रर … उईईई … जैसी आवाज़ें निकालते हुए तड़पने लगी।

मेरे इशारे पर सोनू ने जल्दी से उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और पिंकू की चीखें केवल धीमी धीमी गूँ गूँ … गूँ गूँ गूँ … में तब्दील हो कर रह गईं।
उसकी चूत से तो मानो कामरस के फव्वारे छूट रहे थे।

अब मैंने पिंकू के पेट को चूमना और चाटना शुरू किया।
बीच बीच में कहीं पर चूसा तो कहीं पर दाँत गड़ाए। उसकी नाभि में जीभ की नोक से देर तक मालिश की और नाभि को मुंह मे भरकर ज़ोर ज़ोर से चूसा।

फिर नीचे बढ़ते हुए उसकी क्लिटोरिस को चाटना और चूमना चालू किया और मुह में भर कर ज़ोर ज़ोर से चूसा।
उसको दांतों से हल्के से कचकचा भी दिया।

उसकी चूत तो जैसे परनाले का रूप ले चुकी थी। कामरस उसकी चूत एक बहती धार की तरह बाहर आ रहा था।

आखिर में मैंने उसकी चूत की फाँकों को अपनी उँगलियों से फैलाते हुए अपनी जीभ उसमें घुसेड़ दी और चारों तरफ घुमाना शुरू किया।
इस बार जी-स्पॉट ढूँढने में भी ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

पिंकू का तो हाल इतना बुरा हो गया कि उसकी सिसकारियों ने कमरा गूंजा दिया।
अब सोनू के लिए उसको काबू में रखना संभव नहीं रहा।

लेकिन मैंने उसके चूतड़ों को कसकर पकड़े रखा और अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी।

उधर सोनू की पकड़ छूटते ही पिंकू आधी उठ कर अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से दबाने और रगड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद पिंकू की चूत को चाटकर सुखाने के बाद जब मैंने सिर उठाया तो देखा तो पाया कि इस सब तमाशे से प्रभावित हो कर सोनू भी थोड़ी थोड़ी उत्तेजित हो रही है और एक हाथ से अपनी चूत हल्के हल्के सहला रही है और दूसरे से निप्पलों को उमेठ रही है।

मुझसे नजर मिलते ही वो सकपका गई और जल्दी से अपने हाथ सामान्य मुद्रा में ले आई।
मैं केवल मुस्करा दिया।
सोनू भी अब लाइन पर आ रही थी।

फिर मैंने पिंकू को पलट कर लिटाया और उसकी टांगों पर बैठते हुए उसके चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया।
दोनों चूतड़ों को बिल्कुल चूचियों की तरह ही बुरी तरह मसला, सहलाया, आटे की तरह मींजा, आपस में रगड़ा और फिर मुंह से चूमा-चाटा, चूसा और दाँत भी गड़ाए।
मेरी उँगलियाँ उसकी चूत और गांड़ की बकायदा चुदाई कर रही थीं।

अपना ध्यान मैंने उसके चूतड़ों से ऊपर बढ़ाते हुए उसकी माँसल पीठ पर केन्द्रित किया, जहां पर थोड़ी देर पहले की मेरे दाँतों की चित्रकारी अपने जलवे दिखा रही थी।

फिर से मैंने अपनी पेंटिंग को अपने दाँतों और जीभ की तुलिका से और सजाना शुरू किया और साथ ही साथ अपने थूक के रंग उसमें भरने लगा।

मैंने अपने हाथ उसकी देह से नीचे ले जा कर उसके बूब्स को मसलना भी चालू रखा।

ऊपर का सफर तय करते हुए मैं सोनू की गोद में रखे सेक्स डॉल पिंकू के गुलाबी गालों पर बारी बारी से चूसने-कचकचाने और चूमने का आनंद लेने लगा।

मैंने उसके दोनों कानों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया।
उसके कानों की लौ को चूसा, पूरे के पूरे कानों को चाटा और कानों के छेदों मे जीभ डाल कर फड़फड़ाई और गोल गोल घुमायी, यानि कानों की भी चुदाई की।

पिंकू तो एकदम नागिन की तरह बल खा रही थी और अपना सिर सोनू की गोद में होने का फायदा उठाते हुए उसकी चूत चाटने की कोशिश कर रही थी।
उसकी आह्ह … आह्ह … अम्म … ऊऊह … की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था।

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सेक्स डॉल की मस्त कहानी का अगला भाग: अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान- 2