कुकोल्ड वाइफ सेक्स कहानी में मैंने अपनी टीचर बीवी को उसी के स्कूल के एक टीचर से चुदवा दिया था. अब मैं भी उनके इस खेल में शामिल होकर 3सम सेक्स का मजा लेना चाहता था.
साथियो, मैं अनिल आपको अपनी अध्यापिका बीवी की एक दूसरे गैर मर्द से चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
टीचर पत्नी को उसके सहयोगी से चुदवाया- 1
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने सुरेन्द्र नाम के व्यक्ति का लंड चूस कर अपनी बीवी की चुदाई के लिए राजी कर लिया था और इस बार मैंने उससे यह तय किया था कि मैं भी अपनी बीवी को चोदूंगा.
यानि अध्यापिका बीवी के साथ थ्रीसम सेक्स की कुकोल्ड वाइफ सेक्स का मजा.
उस दिन मैंने अपनी बीवी को चोदते हुए उसे भी सुरेन्द्र के चुदाई करवाने के लिए राजी कर लिया था.
वह खुद विलास के बाद दूसरा मर्द तलाश रही थी.
अब आगे कुकोल्ड वाइफ सेक्स कहानी:
उसके बाद जल्द ही एक दिन सुरेन्द्र का फोन आया- सीमा की कब दिलवाओगे?
मैंने कहा- मैं तैयार हूँ! तुम्हें कब लेना है? और हां पहल तुम्हें ही करनी पड़ेगी!
वह बोला- कैसे?
मैंने कहा- कभी उसको तुम खुद ही बोलो कि तुम उसको प्यार करते हो और अकेले में मिलना है! जब कोई नहीं रहेगा, तब उसका हाथ पकड़ कर दबा दिया करो! धीरे से कभी उसको पीछे से चिपका दिया करो और होली में जैसे दबाया था, वैसे दबा दो! वह कुछ नहीं बोलेगी. बस फिर जिस दिन वह घर पर अकेली होगी, तब आ जाना और पेल देना! जब हो जाए, तब मुझे बता देना!
उसने हामी भर दी.
फिर एक दिन सुरेन्द्र का फोन आया- काम बन रहा है और आज शायद मैं तुम्हारे घर जाऊंगा!
मैंने सीमा को बताया- मैं कहीं बाहर जा रहा हूँ और लौटने में देर होगी!
मैं वहीं घर के अन्दर छुपकर बैठ गया!
थोड़ी देर बाद सुरेन्द्र आ गया.
सीमा बोली- आप आज कैसे?
वह बोला- यहां से जा रहा था, सोचा आपसे मिलता चलूँ! अनिल जी नहीं हैं क्या?
सीमा बोली- नहीं, वे बाहर गए हैं!
फिर वे दोनों बात करने लगे.
वह उसकी तारीफ़ करने लगा ताकि काम हो जाए!
सीमा बोली- रुको, मैं चाय बनाती हूँ!
वह यह कहकर पलट गई.
तभी सुरेन्द्र ने उसको पीछे से अपनी बांहों में दबोच लिया- सीमा, आय लव यू! जब से तुमको होली में रंग लगाया है … तुम्हारे बूब्स दबाए हैं … मैं पागल हो गया हूँ! क्या सुंदर हो तुम … एकदम सेक्सी… मस्त गांड … बड़े-बड़े बूब्स पागल कर देते हैं! एक बार नीचे आ जाओ, मज़ा आ जाएगा! तुम भी यही चाहती हो!
मेरी बीवी उससे कुछ नहीं कह रही थी और न ही उससे छूटने की कोशिश कर रही थी.
सुरेन्द्र- तभी तो उस दिन जब मैं बूब्स दबा रहा था और तुम दबवाना चाह रही थी. तभी से मैं समझ गया कि तुम दे दोगी!
अब वह उसकी पीठ चाटने लगा, बूब्स दबाने लगा.
पीठ चटवाना सीमा की कमज़ोरी थी.
वह गर्म हो जाती थी!
‘आहां डार्लिंग, क्या मस्त माल हो तुम … एकदम टाइट … लगती ही नहीं कि तुम्हारे दो बड़े बच्चे हैं! आज भी तुमको देखकर मन करता है!’
सुरेन्द्र ने सीमा का एक हाथ ऊपर उठा लिया और उसके आर्मपिट चूसने लगा!
अब वह बहुत गर्म हो गई थी.
उसने अपना शरीर सुरेन्द्र के हवाले कर दिया.
सुरेन्द्र ने उसको पलटा दिया.
अब वे दोनों किस कर रहे थे.
सुरेन्द्र उसके ब्लाउज़ के बटन खोल दिए और चूची को बाहर निकाल कर चूसने लगा.
फिर सुरेन्द्र का एक हाथ सीमा की नाभि पर था.
धीरे-धीरे वह हाथ चड्डी के अन्दर से उसकी चूत टटोल रहा था!
‘आहां … स…स… आहां …!’
सीमा के मुँह से सेक्सी आवाज़ आ रही थी!
तभी सुरेन्द्र ने लंड बाहर करके सीमा के हाथ में दे दिया.
सीमा ने उसके लंड को हाथ में पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी!
‘आहां … करो… आगे-पीछे करो… टाइट है ना…!’
वे दोनों फोरप्ले कर रहे थे.
कभी लिप किसिंग, कभी बूब्स को दबाना, कभी चूत और लंड से खेल रहे थे!
‘आहां … मत करो… थोड़ा धीरे… इतनी जल्दी क्या है … आय गॉड … आहां … ससश्शस … ओह … आहां …!’
उनकी आवाज़ें मुझे भी गर्म कर रही थीं!
दोनों अब बेडरूम में आ गए.
सीमा पलंग पर लेट गई, सुरेन्द्र भी ऊपर लेट गया.
वह सब तरफ़ के मज़े ले रहा था!
तभी उसने सीमा के ब्लाउज़ को निकाल कर बूब्स बाहर कर दिए और चूसने लगा.
‘अह नो … आहां … सक मी… सक डीपली… आय गॉड… आहां …’
फिर सीमा के बदन पर से साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया गया.
अब वह सिर्फ़ पैंटी में थी.
सुरेन्द्र का हाथ उसकी पैंटी में चूत सहला रहा था.
तभी सुरेन्द्र ने अपने कपड़े निकाल दिए और लंड सीमा के मुँह के पास ले गया- सीमा, प्लीज चूसो … मेरा लंड … आह मज़ा आ रहा है… आहां … सक मी … एक बार मेरा लंड चूत में ले लो … सक मी … डार्लिंग… आय लव यू…!
सीमा ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी!
मुझे बड़ा अचरज हुआ, वह कभी मेरा चूसती नहीं थी.
सुरेन्द्र भी 69 की पोजीशन में आकर उसकी चूत चूसने लगा.
अब वह देर कर टाइम नहीं गंवाना चाहता था.
कहीं कोई आ जाता, तो चुदाई रह जाती!
थोड़ी देर बाद वह दोनों अलग हुए और मिशनरी आसन में आए.
अब सुरेन्द्र ऊपर से आया, चूत के छेद पर लंड रखा और जोर से अन्दर पेल दिया!
सीमा कराह कर बोली- आहां … आय गॉड … बहुत मोटा है … और लंबा भी … दर्द हो रहा है … ओ मां … मार डाला … फट जाएगी मेरी चूत … नहीं … धीरे से फंसाओ ना… बहुत मोटा है तुम्हारा!
‘अनिल से भी मोटा…!’ सुरेन्द्र ने कहा.
‘हां … उसका तो बहुत छोटा है और पतला भी! तभी तो मज़ा नहीं आता!’
सुरेन्द्र बोला- तो अभी तुमको मेरा मोटा और लंबा मिल गया! अब मज़ा आएगा!
सीमा बोली- हां … मगर ये पहले अपनी जगह तो बना ले … चूत के अन्दर पूरा जाए तो!
तभी एक जोरदार धक्के से लंड जड़ तक घुस गया!
‘ओह … मम्मा… मम्मा… मर गई ! निकालो बाहर … इतना मोटा नहीं घुस पाएगा!’
‘थोड़ा सब्र करो, सीमा!’ कहकर सुरेन्द्र ने जोर से धक्का दिया.
‘आ… हां … नहीं … मेरी… चूत… मर गई… आय गॉड…!’
जैसे ही लंड अन्दर गया, सीमा ने अपनी टांगें फैला दीं, ताकि वह पूरी तरह फिट हो जाए और सुरेन्द्र को अपने से कसकर पकड़ लिया.
फिर वह अपने नाखूनों से उसकी पीठ पर निशान बना रही थी.
थोड़ी देर सुरेन्द्र ने सीमा को दबाकर रखा, किस करना शुरू किया और जब सीमा की तरफ़ से हरकतें बढ़ीं, तब ऊपर से धक्के देना शुरू कर दिया.
अब दोनों तरफ़ से कोशिश हो रही थी.
सीमा अपनी चूत को ऊपर उठाती, तब सुरेन्द्र लंड अन्दर तक पेल देता.
वह सीमा को जोर-जोर से चोदने लगा! ‘आहां … लव मी… करो, जोर-जोर से करो… फक मी… ओ मां … आहां … आं … किस मी… क्या लंड है … पूरा अन्दर फंस गया है … आहां … आं … आं … आं … ओ मां … अहं …!’
वह न जाने क्या-क्या सेक्सी बड़बड़ा रही थी!
फिर उसने कहा- ऐसा ही पीछे से करो!
यह कह कर सीमा घोड़ी बन गई- अब आराम से डालो!
मुझे उसका समर्पण देखकर आश्चर्य हो रहा था!
वह सेक्सी तो थी पर उसको अलग-अलग तरह के लंड अलग अलग आसन में चाहिए थे, तभी उसकी प्यास बुझती थी.
सुरेन्द्र ने अपना लंड बाहर निकाला और घोड़ी बनी सीमा के पीछे से चूत में जोरदार धक्के से अन्दर घुसा दिया.
वह आगे की ओर लुढ़क गई- ऊई मां … क्या लंड है … इतना बड़ा तो अनिल का भी नहीं है!
सुरेन्द्र बोला- और विलास का?
सीमा बोली- तुम्हें कैसे मालूम? मैं विलास से चुद चुकी हूँ?
सुरेन्द्र बोला- अनिल ने बताया … क्या, उसको ये मालूम है?
‘हां, उसकी ही परमिशन से मैं तुमको चोद रहा हूँ!’
बस फिर क्या था … सीमा अब उससे खुलकर चुदने लगी.
सुरेन्द्र बोला- उसको कोई मुझे उसके सामने चोदते हुए देखना था, मगर विलास ने शायद मना कर दिया था.
सीमा बोली- फिर … फिर क्या?
‘मगर तुम तो अभी भी उससे चुदवाती हो ना?’
‘हां, उसका लंड बहुत मोटा है और वह धक्के बड़े जोर से मारता है! एक ही चढ़ाई में वह मेरा पानी तीन-चार बार गिरा देता है … बहुत मज़ा देता है! मगर मैं अनिल से कुछ छुपाती नहीं! जब भी वह मुझे चोदता है, उसके जाने के तुरंत बाद उसी गीली चूत में अनिल मुझे पेल देता है! उसको भी मेरा विलास के साथ चुदवाना अच्छा लगता है!’
फिर वे दोनों अलग-अलग आसन में चुदवाने लगे.
‘आहां … आय गॉड … करो … जोर-जोर से चोदो … आ … आंह … आंह … पेलो जोर-जोर से … मेरी चूत फाड़ दो … आह … आं … आहां … किस मी… फक मी… अहं मेरी … चूत… मस्त लंड है… लव मी!’
उसके मस्ती भरे सेक्सी शब्द सुरेन्द्र को और भी सेक्सी बना रहे थे.
वह जोर-जोर से सीमा की चुत में धक्के मार रहा था- वाव… यार क्या चूत है … एकदम सेक्सी माल हो तुम … और दो-तीन लंड खाकर और भी सेक्सी हो गई हो… आह ले … साली और अन्दर तक ले … आह आज तेरी चूत को … तुझको मेरे लंड का मज़ा खुलकर दूँगा…! आज तक ऐसी चूत चढ़ने के लिए नहीं मिली! एकदम टाइट, लंड को जकड़कर रखती है! जब कभी पानी भी गिरता है, तब भी लंड गहराई तक जाता और मज़े देती हो…! आं …! ले ले मेरी जान, मज़ा दे दिया…! तुझे चोदने के बाद लगता है, दो बच्चे की मां को ही चोदना चाहिए और वह तुम हो, तब तो क्या बात है! ले ले मेरी रांड, मेरा लंड अन्दर तक घुसा ले!’
वह सीमा को उठाकर किस करने लगा, उसकी बगलें, गर्दन, गाल चाटते हुए धपाधप चोद रहा था!
फिर वह नीचे लेट गया और सीमा ने लंड को नीचे से घुसाकर ऊपर-नीचे करने लगी.
थोड़ी देर में दोनों की स्पीड बढ़ गई! लेकिन मेरे पसंदीदा आसन से वह चुदवा नहीं रही थी जबकि मैंने सुरेन्द्र को बताया था कि मुझे सीमा को किसी के लंड के नीचे चूत को चुदवाते देखना था और फिर जब सामने वाला उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दे, तब उसी पानी भरी चूत में अपना लंड घुसाना था!
अब सुरेन्द्र ने सीमा को चित लिटा दिया, उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर मिशनरी पोजीशन में लिया और अब लंड मेरे फेवरेट आसन में अन्दर घुस गया!
‘आं … मेरी… चुत में फंसा दो… आह जड़ तक घुसा दो… आह मेरी चूत…!’
इसके बाद घमासान चुदाई मुझे देखने मिली.
करीब बीस मिनट बाद सीमा ने टांगें कंधे से उतार कर ज़मीन पर चौड़ी कर दीं.
धपाधप की आवाज़ तेज़ हो गई.
तभी मैंने देखा, सीमा अपनी चूत ऊपर उठाने लगी.
उसने सुरेन्द्र को जोर-जोर से अपने में समाने की कोशिश करने लगी, उसके निप्पल काटने लगी, उसकी पीठ पर नाखूनों से खरोंचने लगी!
‘आ… आं … आं …! गिर गई मैं…! आहां … अहह…!’
वह और अन्दर लंड घुसवाने का प्रयास करने लगी.
‘आंह …!’
अब उसकी टांगें सुरेन्द्र के कमर पर कस गई थीं.
उसने उसके बूब्स को मुँह में लिया और धीरे चूसते हुए सीमा को शांत होने दिया.
फिर जैसे ही वह अपनी नॉर्मल पोजीशन में आई, तब फिर जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी!
करीब तीन बार उसने सीमा का पानी निकाल दिया.
जब-जब सीमा झड़ती, तब-तब उसकी हरकतें मुझे बता देतीं कि ये झड़ गई!
चौथी बार जब वह झड़ रही थी, तभी उसने अपने लंड का पूरा पानी चूत में उतार दिया.
करीब उसका पूरा पानी निकलने में ही पांच मिनट लग गए.
सीमा ने उससे चिपक कर जोरदार किस किया और फिर निढाल हो गई.
तभी सुरेन्द्र ने मुझे फोन किया और बोला- हमारा हो गया! सीमा को मैंने चोद दिया!
‘हां, मैंने देखा तुम दोनों को एक-दूसरे से चुदवाते! चार बार तो तुमने उसका पानी निकाल दिया!’
‘हां यार मस्त चूत है उसकी!’
जब हम बात कर रहे थे, तब चुदाई की थकान से सीमा की आंखें बंद हो गई थीं.
उसको नींद आ रही थी.
तभी मैंने अपने कपड़े निकाले और सामने आकर सीमा की टांगों को चौड़ी करके अपना लंड चूत में फंसा दिया.
उसकी चुत के अन्दर ढेर सारा पानी होने की वजह से लंड आसानी से अन्दर चला गया!
सीमा आंखें बंद किए हुई ही सुरेन्द्र से बोली- फिर से? अब नहीं! अभी-अभी तो झड़ चुकी हूँ! अभी भी तुम्हारा मन नहीं भरा? हो तो फिर कभी कर लेंगे! अब तो तुम कभी भी आ सकते हो मुझे चोदने!
‘अब तो लंड भी चूत में फिट हो गया है! दर्द भी नहीं होगा, बल्कि मैं और मज़ा दूँगी तुमको!’
सुरेन्द्र ने कहा.
तभी मैंने पूछा- कैसे लग रहा है सीमा? सुरेन्द्र से चुदने में मज़ा आया?
सीमा बोली- अनिल, तुम… तुम कब आए … तुम तो बाहर गए थे ना?
मैंने कहा- नहीं! मैं छुपकर तुम दोनों की चुदाई देख रहा था! मेरा मन था ना तुमको किसी और से चुदवाते देखने का! तभी तुम दोनों को एक-दूसरे में इंटरेस्ट लेते देखा, दिमाग में आया क्यों न तुम दोनों की ही चुदाई करवा दूँ! फिर मैंने प्लान बनाया और जब तुम घर नहीं थी, तब सुरेन्द्र को वाइन पिलाकर तुम्हारे बारे में पूछा. तब पता चला वह भी तुमको चोदना चाहता है!
इतना कह कर मैंने सीमा को चूमा और आगे कहना शुरू किया- मेरा आज का प्लान बना. ये घर आ रहा था, तभी इसने मुझे फोन करके बता दिया था! सीमा, मैंने छुपकर तुम्हारी चुदाई देख ली है! मस्त चोदता है सुरेन्द्र और उसके लंड से तुम भी खुश हो! अब हम तीनों मिलकर थ्रीसम सेक्स का मज़ा ले सकते हैं!
फिर मैंने उसको जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया.
उसकी पानी भरी चूत में मेरे लंड ने तुरंत पानी छोड़ दिया.
फिर हम दोनों सीमा को नंगे ही लेकर पड़े रहे, कभी उसको करते, कभी चूत सहलाते.
मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अभी ही इसके साथ थ्रीसम कर लिया जाए ताकि आगे दिक्कत न जाए!
मैंने कहा- सब थक गए हैं! क्यों न एक-एक पैग बना लेते हैं!
सीमा ना-नुकुर करने लगी, पर हमने उसे मना लिया.
मैंने जानबूझ कर सीमा का पैग स्ट्रॉन्ग बनाया ताकि कोई प्रॉब्लम न हो.
फिर एक और एक्स्ट्रा पैग के लिए उसको तैयार किया क्योंकि अब उसकी चूत ही हमारे एंजॉय का साधन थी.
आधा घंटा बाद हमने देखा कि वह न/शे में हो गई.
तब सुरेन्द्र उसकी चूत सहलाने लगा.
मैं उसको किस कर रहा था, बूब्स चूस रहा था.
एक हाथ से मैं अपने और एक हाथ से सुरेन्द्र के लंड को सहला रहा था.
फिर सुरेन्द्र ने अपने लंड को सीमा के मुँह में दिया और कहा- चूसो मेरी जान!
वह लंड चूसने लगी.
फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
थोड़ी देर चुसवाने के बाद सुरेन्द्र चूत के पास आया.
मैंने उसका लंड अपने मुँह से चूसा और अपने ही हाथ से सीमा की चूत के छेद के ऊपर रखा.
फिर सुरेन्द्र ने एक ही झटके में अन्दर पेल दिया- आय गॉड … आह … हां!’
वे दोनों एक-दूसरे को जमकर चोदने लगे.
उसी समय मैंने भी अपना लंड सीमा के मुँह में दे दिया.
वह उसे भी चूसने लगी!
सीमा सुरेन्द्र के लंड पर ऊपर से बैठकर चढ़ाई करने लगी.
जब वह थक जाती, सुरेन्द्र के पेट पर लेट जाती. वह तब उसके बूब्स दबाता.
जब ये हो रहा था, तभी मैंने भी सुरेन्द्र के लंड के साथ अपना भी लंड चूत में घुसा दिया!
सीमा बोली- आहां … इतना मोटा क्या है? कहीं किसी ने हाथ तो नहीं घुसा दिया!
फिर हम दोनों धीरे-धीरे चोदने लगे.
जब एक लंड बाहर निकलता, दूसरा अन्दर जाता.
यही सब हम दोनों स्पीड में करने लगे!
‘आहां … आय गॉड … करो आह जोर-जोर से चोदो … आह … आं पेलो जोर-जोर से… मेरी चूत फाड़ दो … आंह … मस्त लंड है… लव मी!’
उसके वह मस्ती भरे सेक्सी शब्द सुरेन्द्र को और मुझे भी सेक्सी बना रहे थे!
हम दोनों अपनी अपनी बारी आने पर जोर-जोर से धक्के मार रहे थे!
‘वाव … साली की क्या चूत है… एकदम सेक्सी हो तुम… और दो-दो लंड अन्दर खाकर और भी सेक्सी हो गई हो… ले… साली अन्दर तक ले … आज तेरी चूत को … लंड का मज़ा खुलकर देंगे. आज तक ऐसी चूत चढ़ने के लिए नहीं मिली! एकदम टाइट, लंड को जकड़ कर रखती है!’
अब सीमा मेरे और सुरेन्द्र के बीच पूरी सैंडविच बनकर चुद रही थी.
धपाधप की आवाज़ तेज़ हो गई थी.
तभी मैंने देखा कि सीमा अपनी चूत ऊपर उठाने लगी.
वह जोर-जोर से मुझे अपने में समाने की कोशिश करने लगी, मेरे निप्पल काटने लगी, मेरी पीठ पर नाखूनों से खरोंचने लगी!
‘आ… आं … आं .. गिर गई मैं… आहां … अहह…!’
वह दोनों लंड और अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी.
‘आंह …!’
अब उसकी टांगें मेरी कमर पर कस गई थीं.
मैंने उसके बूब्स को मुँह में लिया और धीरे चूसते हुए सीमा को शांत होने दिया.
फिर जैसे ही वह अपनी नॉर्मल पोजीशन में आई, तब फिर जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी.
कई बार हमने सीमा का पानी निकाल दिया.
सीमा ने मुझे चिपका कर जोरदार किस किया और फिर निढाल हो गई!
‘मज़ा दे दिया तुम दोनों ने आह पहली बार इतना मज़ा आया … एक साथ दो-दो लंड चूत में गए, तब एकदम छेद का रिंग तक भर गया था … और जब तुम दोनों का पानी छूटा, तब उसकी गर्म-गर्म फुहार ने चूत को मज़ा दे दिया!’
मैंने पूछा- तुम होश में थी? हमें लगा तुमको चढ़ गई है!
सीमा बोली- नहीं, जब तुम दोनों मुझे सहला रहे थे, तब भी मैं सब समझ रही थी और मुझे भी तुमसे, सुरेन्द्र से एक साथ चुदवाना था, ताकि तुम जो थ्रीसम-थ्रीसम बोलते थे, वैसा सेक्स करना कैसे लगता है … बहुत मज़ा आया … खास कर जब तुम दोनों के लंड एक साथ अन्दर लेने में, ऐसे लगता है कि कुछ घोड़े जैसा लंड अन्दर गया है! चूत को एकदम मज़ा आता है! अनिल अब तो खुश हो?
मैंने कहा- हां, अब हम थ्रीसम ही सेक्स करेंगे!
दोस्तो, इस तरह से हमने सीमा को थ्रीसम चोद दिया था.
आपको इस कुकोल्ड वाइफ सेक्स कहानी पर क्या विचार है, प्लीज जरूर बताएं.
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