पोर्न गन्दी चुदाई कहानी में मेरा रुझान शुरु से ही लड़कों की तरफ था. एक बार मेरे घर एक अंकल आये. उनको देख मैं मोहित सा हो गया. अन्कल मुझे रहस्यमयी नजर से देख कर मुस्कुरा रहे थे.
मेरा नाम अमित है.
मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है, रंग गोरा है और ऐसी गांड जो अच्छे-अच्छों के लंड खड़े कर दे.
मैं बरेली के एक कॉलेज में पढ़ता हूँ.
मेरे घर में मम्मी-पापा, भाई और मैं ही रहते हैं. बाकी के सब लोग गांव में रहते हैं.
यह पोर्न गन्दी चुदाई कहानी तब की है, जब मैं 19 साल का था.
उस समय मुझे गे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था.
लेकिन मेरा रुझान बच.पन से ही लड़कों की तरफ था.
मैं जब उनकी पैंट के लंड वाले हिस्से को फूला हुआ देखता, तो ऐसा लगता था कि बस देखता ही रहूँ.
उस दिन मैं अपने एग्जाम होने के बाद घर आ गया था.
भाई भी अपनी पढ़ाई के लिए दूसरे शहर गए हुए थे.
मुझे घर आए हुए कुछ ही समय हुआ था कि तभी मेरे पापा के मौसेरे भाई, जो मेरे चाचा लगते थे … वे घर आ गए.
उनका नाम रोहित था.
मैंने आज से पहले उन्हें कभी नहीं देखा था.
जब मैंने पहली बार उन्हें देखा, तो ऐसा लगा कि बस उन्हें ही देखता रहूँ.
क्या मस्त बॉडी थी. काफी लंबे कद के, चौड़ा सीना, गेहुआं रंग … एकदम सेक्सी लग रहे थे.
उनका लंड उनकी पैंट से उभरा हुआ साफ दिख रहा था.
उन्होंने बताया कि वे किसी काम से यहां आए हैं और चार पांच दिन रुकेंगे.
मम्मी ने उनके लिए चाय बनाई.
चाय पीने के कुछ देर बाद वह ऊपर छत पर घूमने चले गए.
मैं छत पर जाकर उन्हें चुपके से देखने लगा.
वे सिगरेट पी रहे थे.
मैं भी सिगरेट पी लेता हूँ तो मुझे भी तलब लग आई थी.
कुछ देर बाद मैं नीचे आ गया.
शाम के 9 बज चुके थे.
मम्मी ने कहा- बेटा ऊपर से चाचा जी को बुला लाओ, खाना खाने के लिए!
मैं छत पर गया और एकदम लड़कियों की तरह बोला- सुनिए, मम्मी खाना खाने के लिए बुला रही हैं.
वे नीचे जाने लगे और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे.
मुझे थोड़ा अजीब लगा.
खैर … हम सबने खाना खाया और मैं अपने रूम में जाकर पढ़ने लगा.
तभी मुझे पापा की आवाज सुनाई दी.
मैं बाहर गया तो पापा बोले- बेटा, चाचा को गेस्ट रूम में ले जाओ और उनका बिस्तर वगैरह देखकर आओ.
मैंने कहा- ठीक है पापा!
मैंने उनका सामान उठाया और उनसे कहा- चलिए.
वे मेरे पीछे-पीछे चल दिए.
रूम में पहुंच कर मैं अलमारी में उनका सामान सैट करने लगा और वे भी मेरी मदद करने लगे.
इसी बीच मैंने नोटिस किया कि वे बार बार मुझे छूने की कोशिश कर रहे थे.
मुझे ये थोड़ा अजीब लगा.
मैंने कहा- अंकल, आपका सामान सैट हो गया है, अब मैं जाता हूँ!
तो उन्होंने जवाब दिया- अभी कहां सामान सैट हुआ है?
मैंने कहा- हो तो गया सारा!
यह सुनकर वे बस मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिए.
मैं भी हल्के से मुस्कुरा दिया और वापस अपने रूम में आ गया.
अपने कमरे मे आकर मैं चाचा जी के बारे में ही सोचने लगा और उन्हें ही सोचता हुआ सो गया.
अगली सुबह जब मैं जागा और बाहर गया तो देखा कि चाचा जी बैठे चाय पी रहे थे.
मुझे देखकर वे बोले- गुड मॉर्निंग.
मैंने भी जवाब दिया- गुड मॉर्निंग अंकल!
इतने में मम्मी मेरे लिए चाय ले आईं.
मैंने चाय पी, नाश्ता किया और अपने दोस्त के घर चला गया.
दोपहर को जब मैं वापस आया, तो देखा कि मम्मी-पापा कहीं जा रहे थे.
मैंने पूछा- आप लोग कहां जा रहे हैं?
पापा बोले- हम गांव जा रहे हैं. वहां मेरे पड़ोस वाले अंकल की डेथ हो गई है. हमने तुझे कॉल भी किया था, पर तू अपना फोन घर भूल गया था. हम कल शाम तक ही वापस आ पाएंगे.
मैंने कहा- मैं घर में अकेले कैसे रहूँगा? मुझे अकेले डर लगता है.
पापा बोले- रोहित है ना तेरे साथ!
इतना कहकर पापा ने चाचा जी को बुलाया और उनसे कहा- आज रात तू अमित के रूम में ही सो जाना.
यह सुनकर चाचा जी ने कहा- ठीक है, भैया.
चाचा जी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कान पास की.
मम्मी-पापा चले गए.
मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक कर लिया.
चाचा जी नहाने चले गए और मैं अपने रूम में चला गया.
कुछ देर बाद चाचा जी ने बाथरूम से मुझे आवाज लगाई.
मैं बाहर आया और बोला- हां, क्या काम है?
उन्होंने कहा- मेरा तौलिया बाहर रह गया है, तू जरा उठाकर दे दे!
मैंने तौलिया उठाया और बाथरूम के दरवाजे को नॉक किया.
चाचा जी बोले- खुला है, अन्दर रख जा.
मैंने एकदम से धक्का देकर दरवाजा खोल दिया.
अन्दर का सीन देखकर मैं चौंक गया.
मैंने देखा कि चाचा जी बिल्कुल नंगे खड़े थे.
उनकी मस्त बॉडी थी और छाती पर घने बाल थे.
मैंने नीचे देखा तो हैरान रह गया.
उनका लंड एकदम तना हुआ था, लगभग 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा.
मैंने नजरें हटाकर तौलिया रखा और जाने लगा.
तभी चाचा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया.
मैं एकदम उनकी छाती से चिपक गया.
मैं चाचा जी से छूटने की कोशिश करने लगा और बोला- आप ये क्या कर रहे हैं!
वे बोले- जब से आया हूँ, बस तुझे चोदने के सपने देख रहा हूँ.
इतना कहकर उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
पहले तो मुझे अजीब लगा, पर बाद में मजा आने लगा.
जब चाचा ने देखा कि मैं भी मदहोश हो रहा हूँ, तो उन्होंने मुझे उठाया और मेरे रूम में ले आए.
उन्होंने पूछा- मजा आ रहा है?
मैंने हां में सिर हिला दिया.
वे बोले- और भी मजा आएगा. जैसा मैं कहता हूँ, वैसा करता जा.
फिर उन्होंने मेरे निप्पल काटने और चूसने शुरू कर दिए.
इसी बीच पता नहीं, कब … मैंने उनका लंड अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगा.
उनका लंड इतना मोटा था कि मेरे हाथ में भी नहीं समा रहा था.
कुछ देर निप्पल चूसने के बाद वे बोले- अब जमीन पर घुटनों के बल बैठ जा!
मैं जमीन पर बैठ गया.
चाचा ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मजे से मेरे मुँह को चोदने लगे.
मैं भी उसके लौड़े को चूस कर मजा ले रहा था.
करीब बीस मिनट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद वे बोले- चल, अब तुझे जन्नत की सैर कराता हूँ.
मैं खुश हो गया, लेकिन मुझे क्या पता था कि असली दर्द का खेल तो अब शुरू होने वाला है.
उन्होंने कहा- बेड पर उल्टा लेट जा!
मैं उल्टा लेट गया.
चाचा ने मेरे नीचे एक तकिया रखा और गोल्डन तेल की बोतल उठाकर मेरी गांड में तेल डालने लगे.
उन्होंने अपने लंड पर भी थोड़ा तेल लगाया.
फिर बोले- थोड़ा दर्द होगा, झेल लेना.
यह कह कर उन्होंने मेरी गांड में अपनी एक उंगली डाल दी, फिर उसे आगे-पीछे करने लगे.
मुझे मजा आने लगा.
मैंने सोचा, इसमें तो दर्द होता ही नहीं.
मैंने कहा- अब मत तड़पाओ, डाल दो अपना लंड मेरी गांड में!
इतना सुनते ही उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड पर सैट किया और एक जोरदार धक्का मारा.
उनका पूरा सुपारा मेरी गांड में घुस गया.
मेरी तो जान ही निकल गई, मैं रोने लगा.
मैंने कहा- निकालो प्लीज, इसे बाहर निकालो!
लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी और एक और जोरदार झटका दे मारा, जिससे उनका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया.
मैं बेहोश हो गया.
जब मैं कुछ मिनट बाद होश में आया, तो चाचा बड़े मजे से मुझे चोद रहे थे.
अब तक मुझे भी मजा आने लगा था.
दस मिनट बाद चाचा की रफ्तार और बढ़ गई.
फिर उन्होंने लंड मेरी गांड से निकाला और मेरे मुँह में दे दिया.
मेरा मुँह उनके माल से भर गया.
चाचा ने लंड मेरे मुँह में ठूँस रखा था इसलिए मैं माल थूक नहीं सका और मजबूरी में मुझे उनका सारा माल पीना पड़ा.
उसके बाद चाचा ने मुझसे रस चटवा कर अपना लौड़ा साफ़ कराया और बाहर जाने लगे.
वे बोले- तू भी बाहर आजा. शाम का समय हो गया है. खाना खा लेते हैं. आगे का प्रोग्राम रात में करेंगे.
उनके जाने के के बाद मैंने अपनी गांड के छेद पर हाथ लगाकर देखा, तो मैं डर गया.
पोर्न गन्दी चुदाई से मेरी गांड फट चुकी थी और उससे खून भी बह रहा था.
मैंने अपनी गांड साफ की और बोरोलीन लगा ली.
कुछ देर बाद मुझे दर्द से राहत मिल गई और मैं बोरोलीन को ही अपनी गांड में भरने लगा.
फिर मैं बाहर आया तो चाचा मस्ती से सिगरेट पी रहे थे.
उन्होंने मुझे देखा तो अपनी गोदी में बिठा लिया और मेरे होंठों में सिगरेट लगा दी.
मैंने ऊपर भी बताया है कि मैं अपने दोस्तों के साथ छुप छुप कर सिगरेट पी लेता था तो मुझे मजा आने लगा.
चाचा बोले- पहले से पीता है क्या?
मैंने हंस कर कहा- हां, दोस्तों के साथ पी लेता हूँ.
चाचा बोले- ड्रिंक भी कर लेता है क्या?
मैंने कहा- क्यों?
वे बोले- आज प्रोग्राम बनाते हैं न रात को!
मैंने हामी भर दी.
चाचा बाजार गए और उधर से एक हाफ ले आए.
हम दोनों ने उस रात व्हिस्की के साथ सिगरेट का मजा लिया और मस्ती में आकर मैंने चाचा का लंड खूब चूसा और उनसे अपनी गांड मरवाई.
उस रात चाचा जी ने पांच बार मेरी गांड मारी.
अब मेरी गांड अपने दोस्तों के लिए पूरी तरह से खुल गई है.
आप मुझसे दोस्ती करना चाहते हैं तो प्लीज मुझे मेल या कमेंट्स जरूर करें.
तो दोस्तो आपको मेरी पहली पोर्न गन्दी चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
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