मामा के लंड संग जीवन के रंगीन पल- 1

पिन्क बॉय ऐस स्टोरी में मैंने मामा का लंड देखा तो मैंने उनसे गांड मरवाने की ठान ली. मामा भी मेरी गुलाबी गांड देख मुझे पिंक बॉय कहने लगे. मुझे भी उनके लंड से प्यार हो गया था.

कैसे हो दोस्तो!

चढ़ती जवानी में मामा के साथ गे मस्ती
इस सेक्स कहानी पर आप लोगों के कमेंट्स पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
मुझे यकीन हो गया कि आपको मेरी कहानी पसंद आई और आप खुद को सहलाने से पीछे नहीं रहे होंगे, इसकी गारंटी है!

तो चलो, मैं आपका दोस्त समीर फिर से आ गया हूँ अपनी गे सेक्स कहानी सुनाने.
मुझे विश्वास है कि आप इस पिन्क बॉय ऐस स्टोरी को बहुत एंजॉय करेंगे!

रात को ढेर सारा मज़ा लेने के बाद मैं और मामा सुबह उठ गए थे.
हम दोनों बस एक-दूसरे को आंखों में ही देख रहे थे.

रात का मंज़र अभी भी हमारी आंखों से दूर नहीं हुआ था.
एक-दूसरे को निहारते हुए हमारे होंठों पर एक अजीब-सी मुस्कान थी.

कल जिनके प्रति मैं आकर्षित हुआ था, मुझे खुद यकीन नहीं था कि हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में नंगे पड़े थे!

वे सीधे लेटे हुए थे और मैं एक करवट में उनके मजबूत हाथ पर अपना सिर रखकर सोया हुआ था.
मानो वक्त ही ठहर गया हो!

मैंने खुद को इतना खुश पहले कभी किसी के साथ महसूस नहीं किया था.
मैं बस उन्हें एकटक निहारता जा रहा था और कहीं खो गया था.

लेकिन उनकी भारी मर्दाना आवाज़ ने मुझे जगा दिया- क्या हुआ मेरी रानी, ऐसे क्या देख रही हो?
मैं मुस्कुराया और उनके सीने में खुद को छुपाने की कोशिश करने लगा.

मेरी धड़कनें तेज़ होने लगी थीं, जी घबराने लगा था.
ये एक अलग ही अहसास था, जो पहले कभी किसी के साथ नहीं हुआ था.

मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया.
उनके हाथ अब मेरी पीठ पर घूम रहे थे.
वे मुझे प्यार से सहला रहे थे.

ऐसा करते हुए उन्होंने मेरी एक टांग को अपने ऊपर कर लिया और मुझे अपनी मर्दाना बांहों में जकड़ लिया.
हम दोनों दुनिया को भूलकर बस एक-दूसरे की बांहों में थे.

लेकिन वक्त को शायद कुछ और ही मंज़ूर था.
मेरी एक टांग को अपने ऊपर लेने से मेरी गांड की फांक खुल गई और छेद को ठंडी हवाएं महसूस होने लगीं.

जैसे-जैसे मेरी पकड़ मज़बूत होती, वैसे-वैसे मेरा छेद भी अन्दर को खिंच रहा था.

तभी अचानक मैं चौंक उठा!
मामा का लंड, जो अभी तक सोया हुआ था, मेरी पकड़ से सीधा मेरे छेद से जा टकराया.

उनके लंड की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी और मैं खुद को काबू में करने की हालत में नहीं था.
मेरा लंड खड़ा हो चुका था, जो उनकी नाभि पर दस्तक दे रहा था.

मैं उसे सहलाने के लिए थोड़ा आगे-पीछे होने लगा.
इसकी वजह से उनका लंड हरकत में आने लगा.

वे भी अब मेरा साथ देने लगे.
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को और चौड़ा किया और मेरे छेद पर अपना लंड घिसने लगे.

उनका लंड पूरी तरह हरकत में आ गया था.

ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी लोहे की गर्म रॉड पर अपना छेद घिस रहा हूँ!

मैंने अभी भी अपने मुँह को उनके सीने में छुपा रखा था, जहां उनके निप्पल का दाना कड़क हो गया था.
मैंने उसे अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.

‘आआ … ओहो … म्म्म्म … मेरी जान!’ उनके मुँह से लगातार ऐसे शब्द निकल रहे थे.

उन्होंने नीचे अपनी स्पीड भी बढ़ा दी थी, जिससे मुझे और उन्हें छेड़ने में मज़ा आ रहा था.

वे बस कराहते ही जा रहे थे.

मैं अब रुक गया, क्योंकि उन्होंने मेरे सिर को ऊपर किया.
हम दोनों की नज़रें फिर से टकराईं और उन्होंने एक सेकंड भी नहीं लगाया!

वे सीधे लेट गए और उन्होंने मुझे खींचकर अपने ऊपर ले लिया, जिसके कारण उनका लंड उनके पेट पर गिर गया और मैं अपनी गांड की फांक में उसे महसूस कर रहा था.

मैं अभी उनके लंड पर बैठा था और गांड आगे-पीछे करके उसे सहला रहा था.
उन्होंने मेरे सिर को पकड़ा और अपने होंठों से मेरे होंठों को चूमना शुरू किया.

मैं नीचे उनके लंड से अपना छेद घिस रहा था और बेकाबू हो रहा था.

सामने मामा मुझे डीप किस करके मुझमें जान डाल रहे थे.

उनकी जीभ मेरे अन्दर एक अजीब-सा अहसास पैदा कर रही थी.
कभी वे मेरी जीभ को चाटते, कभी मेरे होंठों को काटते.

ऐसा लग रहा था मानो वे भूखे हों और मुझे बस पी जाना चाहते हों.

मैंने आज उन्हें खुद को सौंप दिया था.
अपने अन्दर इतनी गर्मी मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थी.

पंद्रह-बीस मिनट हो गए, पर मेरा नीचे घिसना और ऊपर किस करना चालू ही था.

उसी समय नीचे से आवाज़ आई और हम दोनों रुक गए.

जब हम दुनिया को भूल चुके थे, उस एक पल में मानो हम ज़मीन पर आ गए थे.
यह आवाज़ थी मेरी मम्मी की.

मम्मी- बेटा उठो समीर … कितनी देर सोना है और? मामा को भी उठा अपने!
वे थोड़ी देर चुप रहीं.

हमें कुछ सूझ नहीं रहा था.
शायद वहां हमारी जगह कोई और भी होता, तो उसका भी यही हाल होता.

अन्दर हमारा रोमांस शुरू था और अचानक दरवाज़े पर दस्तक हुई थी.

समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें.
मम्मी- समीर … समीर, उठो! भैया… भैया!

वे बार-बार आवाज़ लगा रही थीं.

मैं डर गया था, मेरी धड़कनें तेज़ हो गई थीं.
मामा ने माहौल को समझकर बड़े ही शांति से ऐसे जबाव दिया, जैसे नींद से अभी जागे हों.

उन्होंने एक्टिंग करते हुए कहा- हां दीदी, बस उठ ही रहे हैं! समीर अभी सो रहा है, उसे भी जगाता हूँ!

मामा ने मुझे इशारे से समझा दिया कि मैं अपने कपड़े पहन लूँ और खुद भी फटाफट कपड़े पहनने लगे.

मां ने दरवाज़ा फिर से खटखटाया और कहा- अरे दरवाज़ा तो खोलो! मुझे अलमारी से कुछ कपड़े निकालने हैं!
मैंने और मामा ने अब कपड़े पहन लिए थे.

उन्होंने मुझे बिस्तर में सुला दिया और रजाई ओढ़ा दी.
फिर वे दरवाज़ा खोलने के लिए चले गए.

मम्मी- कितनी देर कर दी भैया! मुझे ढेर सारे काम पड़े हैं और आप दोनों अब तक सो रहे हो! टाइम देखा है? आठ बज गए हैं! अब समीर को भी उठा दो, मुझे इसके पापा का टिफिन भी तो तैयार करना है … और हां, तुम यहीं नहा लेना, मैं तुम्हारा बैग ऊपर लेकर आती हूँ!
मामा- जी!

मम्मी अलमारी से कुछ कपड़े निकाल कर चली गईं.

तब जाकर जान में जान आई.
मैं अभी भी रजाई ओढ़कर सो रहा था.
मेरी सांस फूल गई थी.

मामा मेरे पास आए और उन्होंने रजाई हटाई.

हम दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे और अचानक से हंस पड़े.

मामा- लगता है तुम बहुत डर गए थे!
मैं- तो क्या आप नहीं डरे?

मामा- हम्म … थोड़ा-सा घबरा गया था. पर क्या करूँ, तुम हो ही इतने प्यारे कि खुद को रोक ही नहीं पाया.

मैं- क्या सचमुच मैं आपको इतना पसंद हूँ?
उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और कहने लगे- हां मेरी जान!

ऐसा कहते हुए उन्होंने फिर से मुझे किस किया.
मैं उनकी मजबूत शरीर की गोद में बैठा हुआ था और वे मुझे बेइंतहा मोहब्बत कर रहे थे.

उन्होंने मुझे गोद में लेकर दीवार से सटा दिया और किस करने लगे.

हमारे दोनों के लंड फिर से टाइट होने लगे थे. हम दोनों पागलों की तरह बस किस किए जा रहे थे.

मैं- मामा!
मामा- सबसे पहली बात, तुम मुझे मामा नहीं, जानू कहकर बुलाना … समझे!

मैं- ओके बाबा, जानू ही कहकर बुलाऊंगा. तो जानू, क्या तुम मुझे नीचे उतारोगे?
मामा- नहीं, ऐसे ही बोलो!

मैं- कोई देख लेगा!
मामा- तो देखने दो!

मैं- जानू, मुझे आपको छोड़ने का मन नहीं हो रहा है! मैं बस आपके साथ ही रहना चाहता हूँ!
मामा- हां तो ठीक है ना, दिक्कत क्या है?

मैं- आज पापा ने मुझे एक काम बताया है, जिसके लिए मुझे उनके साथ जाना पड़ेगा … और मैं आपको छोड़कर कहीं भी नहीं जाना चाहता!

मामा- बस इतनी सी बात? … और बोलो, क्या-क्या फरमाइश है!
मैं- ज्यादा कुछ नहीं, बस मेरा गला काफी सूख रहा है. सोचा कुछ पी लूँ? आपके पास है क्या कुछ ऐसी चीज़?

मामा- तुम बहुत नॉटी हो गए हो!
मैं- क्या मैं आपसे इतना भी नहीं मांग सकता?

मामा- नहीं-नहीं मेरी रानी, मेरे अन्दर का सारा रस सिर्फ तुम्हारा ही तो है!
मैं- ये तो सिर्फ कहने की बात है!

मामा- अच्छा तो मुझे अभी साबित भी करना पड़ेगा?
मैं- हां … तो!

मामा- पर मेरे पिंक बॉय, कोई भी चीज़ आसानी से नहीं मिलती, उसके लिए तो मेहनत करनी पड़ती है! तुम कर पाओगे?
मैं- ये तो डिपेंड करता है कि सामने वाला क्या दे रहा है, उस पर!

मामा- तू बोल, मेरे पास दो ऑप्शन हैं तेरे लिए, जिससे तेरा गला सूखेगा नहीं, बल्कि मज़ा आएगा!
मैं- वह क्या?

मामा- पहला, मैं तुझे जी भर के किस करूँगा, जिससे तुझे मिठास आएगी और मेरा भी मन थोड़ा हल्का होगा! और दूसरा यह कि मेरा रस सीधे तेरे गले को ठंडक पहुंचाएगा! बोल, तू क्या चाहता है?

मैं- वह तो ठीक है, पर पहले नीचे तो उतारो वरना मम्मी आ जाएंगी!
मामा- जब का तब देख लेंगे! तो बोल, पहले क्या?

मैं- ओके जानू … मुझे दूसरा ऑप्शन सही लगा, पर उसमें मेहनत बहुत ज़्यादा है! और आपका जल्दी निकलता ही नहीं, असली मर्द जो ठहरे!
मामा- हां, तो मज़ा भी तो उसी में है!
हमारी ऐसी प्यारी बातें चल ही रही थीं कि किसी के आने की आवाज़ आने लगी.

मामा ने मुझे नीचे उतारा.
मैं बेड पर जाकर बैठ गया और मामा बाथरूम के साइड लगे मिरर में खुद को निहारने लगे.

‘समीर!’ मुझे आवाज़ आई, ये मम्मी थीं.

वे मामा का बैग लेकर आई थीं.
उन्होंने कहा- तुम दोनों जल्दी नहा लो. ये भी ऑफिस जा रहे हैं, तो मैं भी कुछ देर के लिए मार्केट जाकर आती हूँ. ये मुझे छोड़ते हुए चले जाएंगे. तब तक तुम दोनों नहाकर फ्रेश हो जाओ!

ऐसा कहकर वे चली गईं.
हम दोनों बहुत खुश हुए और एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे.

मम्मी ने जाते हुए कहा- समीर, मैं नीचे का दरवाज़ा बंद करके जा रही हूँ. नहाकर नीचे आओगे, तो तुम और भैया चाय और नाश्ता कर लेना. मैं तब तक आ जाऊंगी!
मैं- जी मम्मी!

मम्मी के नीचे जाते ही, मैं फटाक से उठा और मामा की गोद में बैठ गया.

उन्होंने मुझे किस किया और कहा- नीचे जाकर कन्फर्म कर लो कि मम्मी गईं या नहीं!

मैंने जैसे ही उन्हें गाड़ी पर जाते देखा, तो अपने रूम में आ गया और दरवाज़ा बंद कर दिया.

पीछे मुड़कर देखा, तो वहां पर कोई नहीं था.
मैंने आवाज़ लगाई- मामा… मामा… कहां हो?

मामा- डोर बंद करो और अन्दर आ जाओ, मैं बाथरूम में हूँ!

मैं जैसे ही बाथरूम में गया, देखकर दंग रह गया.

मामा बिल्कुल नंगे खड़े थे.
उनकी बॉडी किसी एथलीट की तरह दिख रही थी. सीने पर बालों की भरमार थी और वहां से निकल कर एक लाइन सीधे उनके लंड तक आकर रुकती थी.

लंड अभी आधा ही खड़ा था, फिर भी छह इंच के ऊपर था.
ज़्यादा मोटा होने के कारण उसका सुपाड़ा बहुत बड़ा था और नीचे लटक रहा था.

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया.

सच बताऊं तो मुझे आज वह खुशी अपने सामने लटकती हुई दिख रही थी जिसे मैं इसी रूप में देखना चाहता था.

अब इसके आगे क्या हुआ, वह मैं अगले भाग में लिखूँगा. आपको मेरी यह पिन्क बॉय ऐस स्टोरी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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