न्यू गे गांड स्टोरी में मैं लड़कियों को चोदने का शौकीन हूँ और कई लड़कियों भाभियों को चोद चुका हूँ. एक बार मैं अपने दोस्त के घर गया तो उसके छोटे भाई ने मेरी गांड मार ली.
मेरा नाम अमित है. मेरी उम्र 25 साल है.
मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है और मेरी जिम-टोन्ड मस्कुलर बॉडी है.
मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और अच्छा-खासा मोटा है.
मैं बहुत हैंडसम हूँ. मेरे पीछे कॉलेज की सभी लड़कियां दीवानी हैं.
वे मुझसे चुदवाने के लिए बेताब रहती हैं.
मैंने कॉलेज और मोहल्ले की कई लड़कियों को चोदा है.
साथ ही, कॉलेज की 3 टीचर और 2 आंटियों को भी चोद चुका हूँ.
अब मैं न्यू गे गांड स्टोरी यहाँ शुरू कर रहा हूँ.
मेरे एग्जाम जून महीने में थे, तो मैंने पढ़ाई करके एग्जाम की तैयारी पूरी कर ली.
जैसे ही जून का महीना आया, मेरा एग्जाम सेंटर तय हो गया.
यह मुझे दूसरे शहर में मिला था.
तब मुझे याद आया कि वहां मेरा दोस्त महेश भी रहता है.
सोचा इसी बहाने उससे भी मिल लूँगा और एग्जाम भी दे दूँगा.
एग्जाम की तारीख नजदीक आ चुकी थी तो मैंने 2 दिन पहले ही ट्रैवेल्स की टिकट बुक कर ली थी.
मैंने महेश को फोन किया और बोला- मेरा एग्जाम है, क्या मैं 2 दिन के लिए तुम्हारे यहां रह सकता हूँ?
महेश ने तुरंत जवाब दिया- अरे तुम्हारा ही घर है यार … जितने दिन रहना है, रह सकते हो!
मैं बहुत खुश था क्योंकि कई सालों बाद मैं अपने दोस्त से मिलने वाला था.
मुझे वह पुराने दिन याद आ गए.
एग्जाम से दो दिन पहले मैं घर से निकल गया.
शाम को बस में बैठने के लिए बस स्टॉप पर गया.
तभी महेश का कॉल आया.
उसने बताया कि उसे और उसके मम्मी-पापा को कुछ जरूरी काम से बाहर गांव जाना पड़ेगा.
ये सुनकर मुझे बुरा लगा.
मैंने महेश से कहा- ठीक है, तुम लोग चले जाओ. मैं अपने रहने का इंतजाम कहीं और कर लूँगा!
महेश ने झट से जवाब दिया- अरे, मूर्खों वाली बात मत कर! तुम मेरे ही घर पर रुकोगे. मैं, मम्मी और पापा जाएंगे, तुम्हारे साथ मेरा छोटा भाई शुभम रहेगा!
मैंने खुश होकर कहा- ठीक है, मैं निकल रहा हूँ! तुम भी संभल कर जाना. अपना और मम्मी-पापा का ख्याल रखना. मैं हूँ शुभम के साथ!
रात को मैं बस में बैठा और सुबह महेश के घर पहुंच गया.
मैंने दरवाजे की बेल बजाई, तो शुभम ने आकर दरवाजा खोला.
मैं अन्दर चला गया. हम दोनों ने ‘हाय-हैलो’ किया!
मैं बाथरूम में जाकर नहा-धोकर फ्रेश हुआ.
फिर शुभम ने हम दोनों के लिए नाश्ता लगाया.
हमने साथ में नाश्ता किया.
शुभम 19 साल का लड़का था.
उसकी हाइट मेरी जितनी ही, 5 फीट 8 इंच थी. गोरा रंग, गुलाबी होंठ और गठीला बदन!
उस दिन हमने पूरा दिन कभी बातें कीं, तो कभी अपने-अपने मोबाइल लेकर बैठ गए.
दोपहर का समय था.
गर्मी के दिन थे, तो मुझे बहुत गर्मी लग रही थी.
मैं नहाने बाथरूम चला गया.
करीब 15 मिनट तक फव्वारे के नीचे खड़े होकर नहाकर मैंने अपना शॉर्ट्स पहना और वापस हॉल में आ गया.
सफर की वजह से मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मैंने शुभम से कहा- यार, मेरी कमर पर डाइक्लोफेनेक जैल लगा दे!
मैं सोफे पर उल्टा लेट गया.
शुभम ने पहले मेरी चड्डी थोड़ी नीचे की और मेरी कमर पर जैल लगाने लगा.
जैल लगाते वक्त वह मुझे घूर-घूरकर देख रहा था.
कुछ 15 मिनट तक उसने मेरी कमर और पीठ की हल्के हाथों से मालिश की.
फिर शुभम मुझसे बोला- भैया, आपकी बॉडी तो बहुत बढ़िया है!
मैं- थैंक्स!
शुभम- वेलकम … आप क्या करते हो जो इतनी शानदार बॉडी बना ली?
मैं- कुछ खास नहीं, बस रेगुलर जिम जाता हूँ और डाइट मेंटेन रखता हूँ. वैसे, तुम्हारी बॉडी भी तो मस्त है!
शुभम- अरे कहां आपकी जिम-मस्कुलर बॉडी … और कहां मेरी?
मैं- बिना जिम जाए भी तुम्हारी बॉडी मस्त है!
शुभम- थैंक्यू … आपको मेरी बॉडी पसंद आई?
मैं- हां बिल्कुल मस्त है! वैसे तुम्हारी उम्र कितनी है?
शुभम- 19 साल!
मैं- यार इतनी उम्र नहीं लगती!
शुभम- तो फिर कितनी लगती है?
मैं- यही कोई 22 साल!
शुभम- नहीं यार! देखो न भैया की 25 साल है, दीदी की 22 साल है और मेरी 19 साल है!
मैं- वैसे भी दिखने से कुछ नहीं होता. कोई उम्र से छोटा होता है, पर दिखता बड़ा है. कोई उम्र में बड़ा होता है, पर दिखता छोटा है!
शुभम- वैसे आपकी उम्र कितनी है?
मैं- 25 साल!
शुभम- इतनी नहीं लगती!
मैं- तो फिर कितनी लगती है?
शुभम- 22-23 साल!
मैं- ओह, इसका मतलब हम दोनों एक ही उम्र के लगते हैं!
ये कहकर हम दोनों हंसने लगे!
अब हम दोनों ने साथ में लंच किया.
मैंने कुछ देर पढ़ाई की और शाम होने के बाद हम दोनों ने डिनर भी किया.
रात को हम दोनों सोने के लिए शुभम के कमरे में चले गए.
महेश और शुभम का एक ही कमरा था, दोनों एक ही कमरे में सोते थे.
उसने मुझे भी अपने कमरे में सोने के लिए ले लिया.
मैंने सिर्फ बनियान और शॉर्ट्स पहने हुए थे.
मैं रात को सोते वक्त अंडरवियर नहीं पहनता क्योंकि बिना अंडरवियर के मुझे ज्यादा आराम महसूस होता है.
शुभम ने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी.
गर्मी कुछ ज्यादा ही थी इसलिए मैंने अपनी बनियान उतार दी और शुभम ने अपनी टी-शर्ट.
हम दोनों वैसे ही सोने लगे.
गर्मी में पंखा भी कुछ खास काम नहीं कर रहा था.
मोबाइल देखते-देखते मेरी आंखें कब बंद हो गईं, मुझे पता ही नहीं चला और मैं सो गया.
मैं बाईं ओर करवट लेकर सो रहा था.
रात को अचानक मुझे अपनी गांड पर कुछ महसूस हुआ जिससे मेरी नींद खुल गई.
मैंने महसूस किया कि शुभम मेरी गांड को सहला रहा था और धीरे-धीरे दबा रहा था.
पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
मैं देखना चाहता था कि आखिर वह क्या करना चाहता है.
वह जो कर रहा था, मैंने उसे करने दिया.
यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी.
वह मेरी गांड को सहलाता रहा और हल्के-हल्के दबाता रहा.
कुछ देर बाद उसने अपनी उंगली मुँह में डालकर गीली की और मेरी गांड के छेद पर उंगली करने लगा.
मेरे शरीर में बिजली-सी दौड़ गई और मुझे बहुत मज़ा आने लगा.
करीब दस मिनट तक वह मेरी गांड पर उंगली फेरता रहा.
फिर मैं सीधा होकर सो गया.
कुछ देर बाद मेरी आंख फिर लग गई.
तभी शुभम फिर शुरू हो गया.
इस बार वह मेरी छाती पर हाथ फेरने लगा और उसे सहलाने लगा.
मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई.
वह सीधे मेरे ऊपर आ गया और मुझे चूमने लगा.
मैंने फिर भी सोने का नाटक किया.
कुछ देर बाद उसने अपना सात इंच का लौड़ा बाहर निकाला और मेरे मुँह में डालने की कोशिश करने लगा.
वह काफी बड़ा था.
मैं उठ गया और उससे बोला- ये क्या कर रहे हो तुम?
शुभम बोला- मुझे पता है तुम सोने का नाटक कर रहे थे … तुम्हें भी तो मज़ा आ रहा था! प्लीज़ अमित, एक बार मेरा लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूसो न प्लीज़!
पहले मुझे अजीब लगा, लेकिन मुझे भी मज़ा आ रहा था.
फिर भी मैं उसे मना करता रहा और ना बोलता रहा.
लेकिन मेरी ना में कोई दम नहीं था और वह यह समझ गया.
उसने कहा- प्लीज़ अमित, एक बार चूसो तो सही! मुझे पता है तुम्हें भी मज़ा आ रहा है! एक बार चूसो, तुम्हें भी एंजॉय होगा!
यह कहकर उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा.
उसने अपना लौड़ा मेरे गले तक डाल दिया.
मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और मेरी आंखों से आंसू आने लगे.
वह थोड़ी देर रुका, फिर दोबारा अन्दर-बाहर करने लगा.
अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
उसके लंड की महक और स्वाद मुझे मदहोश कर रहे थे.
करीब दस मिनट तक उसने मेरे मुँह को चोदा.
मैंने कहा- मेरे मुँह में मत झड़ना … प्लीज़!
शुभम बोला- नहीं डियर, मैं मुँह में नहीं झड़ूँगा … प्रॉमिस!
ऐसे बोलते हुए उसने अपना लौड़ा मेरे गले तक उतार दिया और मेरे मुँह में ही झड़ गया.
उसने अपना वादा तोड़ दिया.
वह मेरे ऊपर आकर गिर गया.
हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे.
कुछ देर बाद वह उठा और बाथरूम में चला गया.
वह साफ होकर वापस आया और दूसरी तरफ मुँह करके सो गया.
मैं भी बाथरूम जाकर उल्टी निकाल कर मुँह धोया, खुद को साफ किया और बेडरूम में आकर सो गया.
मैं दो-तीन घंटे सो गया, मुझे अच्छी नींद आ गई थी.
शुभम फिर एक बार मेरे ऊपर आ गया और मुझे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी उंगलियों में अपनी उंगलियां डाल दीं.
फिर वह मुझे डीप किस करने लगा, मेरे बूब्स को पहले हल्के-हल्के, फिर जोर-जोर से दबाने लगा और अपने मुँह से उन्हें चूसने लगा.
अब वह मेरे लंड पर आया, उसे कुछ देर तक मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया.
मुझे मेरी एक्स-गर्लफ्रेंड की याद आने लगी. वह भी ऐसे ही बड़े प्यार से मेरा लौड़ा चूसा करती थी.
कुछ देर बाद शुभम ने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और मेरी टांगें ऊपर करके मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा.
मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया.
अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ!
ऐसा मज़ा मुझे जीवन में पहली बार मिल रहा था. मेरी गांड को जीवन में पहली बार कोई चाट रहा था.
गांड चटवाने के सुख के आगे सब कुछ बेकार था.
वह मेरी गांड को चाट-चाटकर गीली कर रहा था.
उसने अपनी थूक से अपना लौड़ा गीला किया और उसे मेरी गांड के छेद पर सैट करने लगा.
मैं जान गया कि अब क्या होने वाला है.
मुझे गे सेक्स के बारे में भले ही कुछ मालूम नहीं था पर इतना जरूर मालूम था कि मैंने बहुत सारी लड़कियों की गांड मारी थी और उन्हें बहुत दर्द हुआ था.
दर्द के मारे उनकी चीखें निकली थीं.
मेरा मन इतना बहक गया था कि मैं चाहकर भी शुभम को मना नहीं कर सकता था.
मेरा दिल और दिमाग कंट्रोल से बाहर हो चुका था.
मैंने उसे सिर्फ इतना कहा- मेरा पहली बार है, दर्द होगा!
शुभम- डोंट वरी, अमित! तुम्हें दर्द न हो, इसका ख्याल मैं रखूँगा!
मैं हमेशा जैल और कंडोम अपने बैग में रखता था, ना जाने कहीं कोई लड़की मिले और इसकी जरूरत पड़े.
मैंने उसे जैल देते हुए कहा- इससे दर्द नहीं होगा!
शुभम- अगर जैल लगाया तो इसमें क्या मज़ा … यार मज़ा तो तब है, जब अन्दर जाते हुए तुम्हें भी महसूस हो और मुझे भी! और जब तुम मेरा लौड़ा अपनी गांड में लोगे, तो वह फीलिंग बेस्ट होगी!
मैं इतना हैरान रह गया कि इतना छोटा लड़का इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर सकता है?
मैं इतना बहक गया था कि वह जो भी कहता, मैं मान लेता.
उसे ना बोलने की हिम्मत मुझमें नहीं थी.
कहीं न कहीं मैं मन से उसका गुलाम बन गया था.
मेरी गांड तो उसने गीली कर ही दी थी.
उसने कुछ थूक अपने लौड़े पर लगाया और अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद पर सैट कर दिया, एक धक्का मारा तो उसका आधा लौड़ा मेरी गांड में चला गया.
मैं जोर से चिल्लाया!
उसने तुरंत अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे किस करने लगा!
वह इतनी अच्छी तरह से किस कर रहा था कि मैं अपना दर्द भूलकर उसकी किसिंग में साथ देने लगा.
मेरा दर्द कुछ कम हुआ, ये वह समझ गया.
उसने एक और धक्का मारा तो उसका पूरा लौड़ा मेरी गांड में चला गया.
मैं फिर से चीख उठा!
वह थोड़ी देर रुक गया.
मेरा दर्द कम हुआ तो उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया.
मुझे हल्का-हल्का, पर मीठा-मीठा दर्द हो रहा था … और दर्द के साथ-साथ मज़ा इतना आ रहा था कि पूछो ही मत!
पहले मिशनरी और बाद में डॉगी पोजीशन में उसने मुझे बीस मिनट तक रगड़ा … गांड चोदने के बाद वह मेरी गांड में ही झड़ गया!
उसके वीर्य की पिचकारी मेरी गांड में ही उड़ गई. मुझे बहुत सुकून मिला.
वह मेरी गांड में लंड डाले ही मेरे ऊपर आकर गिर गया.
हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे. हमें कब नींद लग गई, पता ही नहीं चला.
सुबह छह बजे हम दोनों की आंखें खुल गईं.
तब उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया
उसने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया!
करीब बीस मिनट तक मेरी गांड चोदने के बाद उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला और मेरे मुँह में डालकर मेरे मुँह को चोदने लगा!
फिर वह मेरे मुँह में ही झड़ गया!
कुछ देर बाद मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ, ठंडे पानी का शॉवर लिया.
अब मैं कुछ-कुछ होश में आ रहा था.
जैसे ही मैं पूरी तरह होश में आया, मुझे बहुत पछतावा होने लगा.
मैं गिल्टी फील कर रहा था.
बाद में शुभम भी नहा-धोकर फ्रेश होकर आ गया.
कुछ देर बाद हमने नाश्ता कर लिया.
बस हमने कुछ नॉर्मल बातें की.
फिर बातों-बातों में मुझे पता चला कि उसने पहले दो लड़कों की गांड मारी थी.
मैं तीसरा था, जिसकी उसने गांड मारी थी.
मेरी परीक्षा दोपहर एक बजे से थी तो मैं सुबह 10 बजे अपना बैग लेकर निकल गया.
जाते वक्त मैंने ट्रैवल्स की रिटर्न टिकट बुक कर ली.
बस रात 8 बजे की थी.
परीक्षा देने के बाद मैं बस स्टॉप पर चला गया.
वहां से मैंने महेश को फोन लगाया और उसे कहा- मम्मी की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई है! मुझे जल्दी घर वापस जाना होगा.
मैंने ऐसा बहाना बनाया.
महेश- ठीक है, संभलकर जाना! मैं भी रात 10 बजे तक घर पहुंच जाऊंगा. सोचा था, इतने दिनों बाद मिले हैं, एक हफ्ते तक हम दोनों खूब मस्ती करेंगे!
मैं- यार मम्मी की तबीयत अचानक खराब हो गई! वरना मैं तो रुकने के लिए ही आया था!
महेश- कोई बात नहीं, टेक केयर! अगली बार आएगा, तो चाहे जो हो, तुझे जाने नहीं दूँगा!
मैं- ठीक है, बॉस … अगली बार पक्का रुकूँगा. तुम भी अपना ख्याल रखना!
मुझे बहुत बुरा लग रहा था.
मैं गिल्ट में डूबा हुआ था.
ऐसा लग रहा था कि कुछ पल के मजे के लिए मुझे बहुत बड़ी सजा मिल गई है.
कहां मैं लड़कियों को चोदता था और कहां आज मैं खुद एक छोटे-से लड़के से चुद चुका था.
शायद अगर मैंने उस पल उसे रोक लिया होता, उससे दूर हो गया होता, तो ये न होता.
लेकिन ये सब ‘अगर-मगर’ की बातें थीं.
सच तो ये था कि उसने मेरी गांड मार दी थी. जो होना था, वह हो चुका था. अब इसे बदला नहीं जा सकता था.
इस बात का गिल्ट अब मुझे जिंदगी भर रहने वाला था कि कैसे मेरे दोस्त के भाई ने मेरी गांड फाड़ी.
अगले दिन मैं अपने घर पहुंच गया. उस दिन मैंने आराम किया.
अगले दिन से मैंने अपनी नॉर्मल लाइफ फिर से शुरू कर दी.
लड़कियों से मिलना, सेक्स करना और मस्ती करना शुरू कर दिया.
कुछ दिन बाद मुझे एक लड़की मिली, जो मुझे बहुत पसंद आई.
हम दोनों रिलेशनशिप में आ गए.
दो महीने बाद मेरा रिजल्ट आया.
मैं अच्छे नंबरों से पास हो गया और मुझे जॉब भी मिल गई.
मैं बहुत खुश था!
उसके बाद मैं कभी किसी लड़के से नहीं मिला और न ही सेक्स किया.
लेकिन जब भी मुझे शुभम की याद आती है.
मेरी पहली गे चुदाई की याद आती है तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है और उंगली अपने आप गांड के छेद पर चली जाती है.
मैंने खुद पर बहुत कंट्रोल किया है, लड़कों से दूरी बनाए रखी है.
मैं अपनी गर्लफ्रेंड पर बहुत ज्यादा फोकस करता हूँ.
ये कंट्रोल कब तक रहेगा, पता नहीं.
जब भी मैं किसी लड़के के साथ गे सेक्स करूँगा, तो उसकी गे सेक्स कहानी आपके साथ शेयर करूँगा.
अगर मैंने कोई कहानी नहीं लिखी, तो समझ लेना कि मैंने अब तक किसी के साथ सेक्स किया ही नहीं.
तब तक के लिए आपसे विदा लेता हूँ. गुड बाय, टेक केयर … लव यू ऑल!
न्यू गे गांड स्टोरी कैसी लगी आपको?
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