ननिहाल में पड़ोसी भाई ने मारी गांड

मेरी गांड देसी कहानी में मैं अपनी मौसी के बेरे से गांड मरवा चुका था. मुझे मजा आयाथा. मैं नानी के घर गया तो वहां पड़ोस के एक लड़के ने, जो मेरा दोस्त था, उसने भी मेरी गांड खेतों में मारी.

मेरी पिछली कहानी
मौसी के बेटे ने मेरी गांड मारी
में मैंने बताया था कि कैसे ननिहाल जाते समय रास्ते में मेरी मौसी के लड़के ने मेरी गांड मारी।

अब उससे आगे क्या हुआ, वो मेरी गांड देसी कहानी में बताऊंगा।
तो चलते हैं कहानी की ओर!

जब मैं पापा के साथ ननिहाल गया, तो पापा मुझे छोड़कर सुबह वापस आ गए।
ननिहाल में मेरी नानी, नाना और नाना जी की माता, यानी मेरी मम्मी की दादी, और छोटे मामा रहते थे।
क्योंकि बड़े मामा पढ़ाई करने बाहर गए हुए थे।

नाना खेती करते थे और नानी बस गाय के लिए घास लेने ही खेत जाती थी।
छोटे मामा किसी दुकान पर काम करते थे।

आस-पड़ोस में रहने वाले लड़के मेरे अच्छे दोस्त थे।

ननिहाल आए दो दिन बीत गए हंसते-हंसते, और फिर वो दिन आया जो मेरी गांड बजने का दिन था।

तीसरे दिन दोपहर का समय था।
नानी घास लेने खेत के लिए जाने लगी तो मैंने भी नानी के साथ जाने की जिद की।
नानी भी मान गई।

मैं और नानी खेत के लिए रवाना हो गए।

इतने में पड़ोसी घर से, जो मेरी गोत्र से ही हैं, इसलिए मैं उन्हें बाबा जी कहकर बुलाता हूं, अपनी ऊंट गाड़ी लेकर रवाना हुए।

नानी ने मुझे ऊंट गाड़ी पर बैठा दिया और खुद भी बैठ गई।
ऊंट गाड़ी खेत के लिए रवाना हो गई।

हम तीनों बातें करते हुए खेत पहुंच गए।

गर्मी के दिन थे, जून का महीना था।
नानी ने मुझे कहा, “तुम छांव में बैठ जाओ, मैं घास और कुछ सब्जी ले आती हूं!”
मैंने कहा, “ठीक है!”

मैंने वहां इधर-उधर देखा, तो एक झोपड़ी दिखाई दी।
मैं उस झोपड़ी की तरफ गया, तो वहां कोई नहीं था।

वो झोपड़ी चारपाई पर बनाई हुई थी, तो ज्यादा बड़ी नहीं थी।
मैं उस झोपड़ी में सो गया।
मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।

कुछ देर बाद मुझे मेरी गांड पर कुछ महसूस हुआ।
मैंने थोड़ी सी आंखें खोलकर देखा, तो पाया कि बाबा जी, जिनका नाम गोपाराम था, उनका छोटा बेटा पियूष मेरी गांड सहला रहा था।

पर मुझे तो मजा आ रहा था.
तो मैं आराम से लेटा रहा और नींद में होने का नाटक करता रहा।

थोड़ी देर बाद उसने मेरे पायजामे का नाड़ा खींचकर खोल दिया और धीरे-धीरे मेरा पायजामा नीचे मेरी जांघों तक कर दिया।
जिसके चलते मेरी गांड अब आसमान की तरफ खुली हुई थी।

अब उसने मेरी गांड पर फिर से अपना हाथ फिराया और थोड़ा सहलाया।
मेरी गांड में कुलबुली-सी होने लगी।
मैं इंतजार करने लगा कि कब इसका लंड मेरी गांड में जाएगा।

वैसे तो मैंने पहली कहानी में अपनी गांड के बारे में बताया था, पर थोड़ा और बता दूं कि मेरी गांड एकदम गोल-गोल उभरी हुई है, जैसे लड़कियों की होती है। और गांड कोमल भी एकदम फूल-सी है।

कुछ पल बाद वही हुआ जिसका मुझे इंतजार था।
उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में भी थूक लगाया।

मैं अभी भी नींद में होने का नाटक कर रहा था।

फिर उसने अपना लंड मेरी गांड में घुसाना शुरू किया तो वो आसानी से जा नहीं रहा था।
क्योंकि मैं उल्टा लेटा हुआ था जिसके चलते मेरी गांड का छेद उसे दिखाई नहीं दे रहा था।

फिर मैंने सोचा, गांड तो मरवानी ही है और लंड गांड में प्रवेश करने को तैयार है, तो क्यों न अब पूरा मजा लिया जाए!

तो मैंने एकदम से आंखें खोली और उसकी तरफ देखकर कहा, “ये तुम क्या कर रहे हो!”

एक बार तो वो घबरा गया कि कहीं मैं शोर मचाकर उसे फंसा न दूं। मगर फिर वो बोला, “कुछ नहीं, मैं तुम्हारे साथ खेल रहा था!”
मैंने कहा, “अच्छा!”
वो बोला, “हां-हां, बस खेल रहा था!”

मगर उसे क्या पता था कि इस खेल में मैं कई बार खिलौना बन चुका था।
पर मैंने उसे बताना सही नहीं समझा और अनजान-सा बनके उसे बोला, “खेल लो भाई! कोई बात नहीं, अब खेल लो! पहले मैं सो रहा था, अब आराम से खेलो!”

तो वो खुश हो गया।
अब उसका सोया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया था।

उसने मुझे उल्टा लेटा रहने को कहा और मेरी टांगों के दोनों तरफ अपने पैर करके मेरे ऊपर आ गया।

अब उसने दोबारा अपने लंड और मेरी गांड में थूक लगाया।
फिर उसने मुझे गांड थोड़ी ऊपर उठाने को कहा, तो मैंने तुरंत अपनी गोल गांड ऊपर उठा ली जिससे मेरी गांड का छेद खुलकर दिखाई देने लगा।
अब उसने अपना लंड मेरी गांड में सटाकर सेट कर लिया।

अब उसने थोड़ा-थोड़ा दबाव बनाना शुरू किया।
जैसे ही उसने ऊपर से दबाव बनाया, मैंने भी नीचे से अपनी गांड थोड़ी ऊपर कर दी, जिसके चलते उसका लंड मेरी गांड को भेदता हुआ अंदर खिसक गया।

मुझे थोड़ी तकलीफ तो हुई, मगर लंड के गांड में जाने से सुकून भी मिला।

अब उसने एक-दो झटकों में ही अपना पूरा लंड मेरी गांड की गहराई में उतार दिया था।
अब मुझे कहीं जाकर संतुष्टि हुई कि अब और ज्यादा दर्द तो नहीं होगा।

थोड़ी देर वो ऐसे ही रुका रहा।
फिर उसने आहिस्ता-आहिस्ता से लंड मेरी गांड में चलाना शुरू कर दिया था।

अब हमारी रेलगाड़ी धीरे-धीरे स्टार्ट हो गई और जब मैंने नीचे से अपनी गांड उछालकर इशारा किया, तो उसने गाड़ी को एक्सप्रेस बना दिया।
अब झोपड़ी हिलने लगी थी।
हम दोनों परमसुख की पराकाष्ठा पर थे।

15 से 20 मिनट के बाद रफ्तार और भी तेज हो गई।
फिर थोड़ी-सी देर में उसकी सांसें लंबी-लंबी हो गई और स्पीड पर एकदम से ब्रेक लग गई।
मुझे अपनी गांड में कुछ गर्माहट महसूस हुई, तो मैं समझ गया कि बंदूक से गोलियां चल गई हैं!

इस प्रकार उसने अपना सारा वीर्य मेरी देसी गांड में ही छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही निढाल होकर चिपककर सो गया।
2 से 3 मिनट बाद हमने अपने आप को सही किया और अपने कपड़े पहन लिए।

जब बाहर देखा, तो नानी घास लेकर हमारी तरफ आ रही थी।
फिर मैं नानी के साथ वापस घर आ गया।

पीयूष के लंड का लावा अभी भी मेरी गांड में था जो मैंने अगले दिन तक अंदर ही रखा और उस सुखद अहसास की अनुभूति करता रहा।

उसके बाद कभी भी हमें दोबारा मौका नहीं मिला।
मुझे मेरे पापा लेने आ गए क्योंकि छुट्टियां खत्म होने वाली थीं।

फिर छुट्टियां खत्म होने से पहले ही मैं वापस घर आ गया।

घर आकर मेरे ऊपर सेक्स का भूत सवार हो गया था और मैं अभी तक पूरी तरह बॉटम बन गया था।
मगर उसके बाद मेरा समय भी आया और मैंने भी गांड मारी और मैं वर्सेटाइल बन गया।

तो दोस्तो, जरूर बताना कि मेरी गांड देसी कहानी आप सब को कैसी लगी?

आपको फिर अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने आगे चलकर अपने दोस्त से गांड मरवाई और उसकी गांड भी मारी।
तब तक के लिए आपके खड़े लंड पर मेरी चिकनी गांड का ढेर सारा प्यार!
[email protected]