अपनी गांड मरवाने के लिए नौकर रखा- 2

इंडियन गे सेक्स स्टोरीज़ में मैंने अपने फार्म हाउस में दो कड़क लंड वाले नौकर रख लिये और उनसे अपनी गांड की सर्विस करवाने लगा. मुझे बॉटम गे सेक्स का पूरा मजा मिलने लगा.

दोस्तो, मैं रतन अपनी गे सेक्स कहानी के अगले भाग में स्वागत करता हूँ.

मेरी इस इंडियन गे सेक्स कहानी के पहले भाग में
अपनी गांड मरवाने के लिए नौकर रखा
आपने पढ़ा था कि राहुल कॉलेज हॉस्टल में अपने दोस्त से अपनी गांड मरवाता था, जिसमें उसे मजा आता था. कॉलेज के बाद दोनों बिछड़ गए.

राहुल को गांड मरवाने की तीव्र इच्छा होती, पर उसे कोई भरोसे का मर्द नहीं मिला … जो इस बात को गुप्त रखे.
उसको अपने फार्म हाउस में काम करने वाले दो मजदूर सोमेश और वीरेन पसन्द आ गए.

एक शाम राहुल ने उन्हें शराब पिलाकर उसकी गांड मारने के लिए राजी कर लिया.
आज वे दोनों नौकर पहली बार राहुल की गांड मारने वाले थे.

अब आगे की इंडियन गे सेक्स स्टोरीज़ राहुल की जुबानी सुनें.

मैं- जब मैं बुलाऊं, तब कोई एक जन बेडरूम में आना.

फिर मैंने बेडरूम में जाकर गांड के अन्दर उंगली डालकर अच्छे से तेल लगाया.

इसके बाद मैंने आवाज़ दी.

सोमेश अन्दर आया.

मैं- अपने लंड को साबुन से धोकर आओ और मुझे अपनी पत्नी समझो.

सोमेश लंड धोकर आया.

उसने मेरे कपड़े उतार दिए, मेरी फूली चूचियों को दबाने चूसने लगा.

मैं लड़कियों की तरह सिसकारी लेने लगा.
मैंने सोमेश के कपड़े उतार दिए, उसका गोरा लंड फनफना रहा था.

मैं पीठ के बल लेटकर कमर के नीचे तकिया लगाकर लेट गया और अपने पैर छाती की तरफ कर पकड़ कर कहा कि लंड पर तेल लगाकर चढ़ जाओ.

सोमेश मेरी गांड मार रहा था, उसके झटके जोरदार थे.
उसने मेरे पैर अपने कंधों पर ले लिए.

इतने महीनों बाद मुझे लंड मिला था.
मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था.

मैं कामुक सिसकारी लेकर बोला- आह और जोर से!

सोमेश ने अपने लौड़े की रेल चला दी और मुझे मजा आने लगा.

वह बेहद ताकतवर घोड़े की तरह से मुझे 15 मिनट तक लगातार चोदता रहा था.

वह थका ही नहीं था बल्कि उसने अपनी गति को बढ़ा दिया था.
मैं अपना लंड बिना छुए ही झड़ गया.

कुछ देर बाद सोमेश ने मेरी गांड वीर्य से भरकर कहा- आह साहब … इतना मजा तो मुझे कभी मेरी पत्नी से भी नहीं मिला!

मैं- मुझे भी बहुत मजा आया, हर बार गांड मारने के पहले और बाद में लंड साबुन से धो लेना … और सुनो … जब मैं बुलाऊं तो वीरेन को अन्दर भेज देना!

फिर 15 मिनट बाद मैंने वीरेन को बुलाया.
मैं सिर्फ पजामा पहने खड़ा था, ऊपर का बदन नंगा था.

वीरेन मेरे करीब आया.

वीरेन- सोमेश ने बता दिया है मैं लंड साबुन से धोकर आया हूँ, आज रात मैं आपको अपनी पत्नी समझूंगा.

मेरे अन्दर की लड़की जाग गयी.
मैं अपने चूचे हाथ से ढकने लगा.

वीरेन ने मेरे गाल, होंठ, आंख, गर्दन आदि चूमकर कहा- अपने पति से कैसी शर्म!

उसने मेरे हाथ चूचों से हटा दिया. वह मेरे एक चूचे को चूसने लगा, दूसरे को मींजने लगा.

उसके मदभरे होंठों से चूचे चूसे जाने से मैं गर्म होकर लड़कियों की तरह सिसकारी लेने लगा.
मैंने उसके लौड़े को टटोलने लगा.

यह देख कर वीरेन नंगा हो गया.
उसने भी मेरा पजामा उतार दिया और मेरे भरे हुए कूल्हों पर हाथ फेरने लगा.

उसने मेरे दोनों कूल्हों पर हल्की हल्की सी चपत लगा दी, मानो वह घोड़ी को चैक कर रहा हो.

मैंने वीरेन का काला लंड देखा. मैंने आज पहली बार काला लंड पास से देखा था.

मैं उसका लंड सहलाने लगा.
वीरेन ने अपने लौड़े पर मेरे हाथ का स्पर्श पाया तो वह एकदम से उतावला हो गया.

उसने मुझे तेल की बोतल देते हुए कहा- लंड पर लगाओ!
मैंने लगाया.

वीरेन- आज घोड़ी बनाकर मजा करने का दिल है!

मैं घोड़ी बनकर पलंग के किनारे खड़ा हुआ.
वीरेन फर्श पर खड़ा था. वह मेरे कूल्हों को चूमते बोला- इतने मस्त तो मेरी पत्नी के भी नहीं हैं.

वीरेन ने मेरी गांड में लंड डालकर मेरी कमर पकड़ी और लंड ठांस कर चुदाई शुरू कर दी.

मेरी गांड अभी एकदम रसीली थी और खुली हुई थी तो उसके लौड़े को अन्दर जाने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई.

वीरेन मेरे कूल्हों पर हल्की चपत मार रहा था, इससे मेरी उत्तजेना बढ़ गई.

मैं मस्ती से कमर हिला कर लंड और अन्दर तक लेने लगा.

कुछ देर बाद मैं लंड बिना छुए झड़ गया, वीरेन की चोदने की गति बढ़ गयी.
कुछ देर बाद उसने आखरी झटका दिया और हुंकार लेते हुए मेरी गांड वीर्य से भर दी.

वीरेन मेरी गांड मार कर अपने कपड़े पहनता हुआ बाहर चला गया.

मुझे बाथरूम जाना था तो चलने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी.
मेरा सारा बदन दुःख रहा था, मैं किसी तरह बाथरूम से आया और नंगा ही लेट गया.

मैंने घर में फ़ोन कर दिया कि मैं दोस्त के घर पर रुक गया हूँ, कल सुबह आऊंगा.

मैं पेट के बल लेटकर आंख बंदकर सोच रहा था.
नौकरों को गांड चुदाई के लिए रखना सफल प्रयोग साबित हुआ.

मैं सच में तृप्त हो गया था.
कुछ ही देर में मुझे नींद आ गयी.

कुछ देर बाद मैंने अचानक से महसूस किया कि मेरे दोनों कूल्हे एक साथ चूमे जा रहे थे.
दो जोड़ी हाथ मेरी जांघों को सहला रहे थे.

मेरी नींद खुल गयी, मैं पलंग पर पैर लटका कर बैठ गया.
मेरे सामने सोमेश, वीरेन खड़े थे. वे दोनों दारू के न/शे में झूम रहे थे.
मुझे लगा कि उन्होंने एक और बोतल शराब पी ली है.

सोमेश- हमें एक बार और करना है!
मैं- तुम दोनों ने मुझे बहुत थका दिया है, मेरा शरीर दर्द कर रहा है, मुझे सोने दो.

वीरेन- आपने कहा था कि हम आपको अपनी पत्नी समझें. साहब हम लोग जब गांव जाते हैं तो अपनी अपनी पत्नी को रात भर सोने नहीं देते. हम सिर्फ एक बार और करना चाहते है.

यह कहकर वे दोनों मेरी दोनों तरफ बैठ गए.

सोमेश मेरा एक चूचा सहलाने दबाने लगा, निप्पल मरोड़ने लगा.
वीरेन ने दूसरे चूचे पर कब्ज़ा कर लिया.

मैं समझ गया कि ये दोनों मुझे नहीं छोड़ेंगे.
यदि मैं उन्हें रोकने की कोशिश करता तो ताकत में मैं उनसे नहीं जीत सकता था.

मैंने कहीं पढ़ा था कि जब सम्भोग से बच नहीं सकते, तो लौड़े का मजा लेना चाहिए.

उनके चूचे दबाने से मुझे मजा आ रहा था.
कुछ ही देर में मेरे अन्दर की लड़की जाग गयी.

मैं- प्यार से करना, मुझमें घोड़ी बनने की ताकत नहीं है.

सोमेश और वीरेन जल्दी से नंगे हो गए.
उन्होंने मुझे सहारा देकर कम ऊंचे स्टूल पर बैठाया और अपना आधा खड़ा लंड मेरे मेरे मुँह के पास लाकर बोले- चूसो!

मैंने वीरेन का लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, उसके लौड़े की गोटियां सहलाने लगा.
उसका लंड खड़ा हो गया.

मैं लंड चूसने के साथ लंड पर मुठ भी मार रहा था.
मेरा इरादा था कि वीरेन झड़ जाए.

वीरेन यह बात समझ गया, उसने झट से लंड मेरे मुँह से निकाल कर कहा- अब सोमेश का लंड चूसो.

मैं सोमेश का लंड चूसने लगा.
उसका भी खड़ा हो गया.

दोनों ने मुझे उठाकर चित लेटा दिया.
सोमेश ने मेरे पैर आसमान की तरफ करके पकड़ लिए.

वीरेन ने मेरी कमर और सर के नीचे तकिया लगा दिया.

सोमेश ने मेरे पैर अपने कंधों पर रखे, लंड पर तेल लगाकर मेरी गांड मारने लगा.
वीरेन मेरे निप्पल मरोड़ने लगा.

मैं मीठे दर्द और मजे के आसमान पर था.
सोमेश थोड़ी देर पहले ही झड़ा था, तो उसने बहुत देर तक मेरी गांड मारी.
वह अपने वीर्य को मेरी गांड में छोड़कर ही हटा.

मेरी गांड से हट कर उसने मेरे पैर पलंग पर रख दिए.

अब वीरेन लंड लहराता हुआ आया.

मैं- वीरेन मेरी कमर दुःख रही है, तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
मैं पेट के बल लेट गया और अपने कूल्हे हाथ से फैला दिए.

वीरेन मेरी गांड मारने लगा, वह बहुत देर तक मेरी गांड मारता रहा.
मेरी गांड दुख रही थी. मैं अर्ध बेहोशी की हालत में था.
मुझे पता नहीं है कि कब तक वीरेन ने मुझे चोदा था.

मैं उसी बेहोशी की हालत में सो गया.
सुबह 11 बजे मेरी नींद खुली.

मेरी गांड और शरीर में दर्द था.
मैंने फ्रेश होकर कपड़े पहने.

सोमेश और वीरेन चाय बिस्कुट लेकर आ गए.

मैं- तुम दोनों ने मुझे कल बहुत तकलीफ दी.

दोनों एक साथ बोले- साहब माफ़ करना.

वीरेन ने कहा- हम दोनों ने कल ज्यादा पी ली थी और पत्नी की याद में हम दोनों ज्यादा जोश में आ गए थे.

मैं- अगली बार से जब मेरे साथ करो, तो पीना नहीं … और एक दिन मैं सिर्फ एक के साथ करूंगा. उसके बाद जब मैं अगली बार आऊं, तब दूसरे की बारी आएगी. इसमें मुझे और जिसके साथ सोऊंगा, उसे मजा आएगा. इस तरह से हम सबको मजा आएगा. जब घर जाओ बीबी के आनन्द का ख्याल रखना, सिर्फ रगड़ना मत. तुम दोनों ने एक लड़के के साथ मजे किये थे, उसका नाम क्या है?

सोमेश- हमने आपसे वादा किया है कि उस लड़के संतोष के साथ संबंध नहीं रखेंगे.

मैंने कार निकाली और घर जाने लगा.
रास्ते में कार रोककर ठेकेदार को फ़ोन पर कहा- मेरे गोदाम के काम में संतोष को मत भेजना.

मैं घर पहुंचा, मुझे चलने में तकलीफ हो रही थी.
मैंने घर पर कहा कि पैर में मोच आई है.

खाना खाने के बाद दर्द निवारक दवा ले ली.

अगले दो दिन मैं गोदाम का काम देखने गया पर शाम के पहले लौट आया.

सोमेश, वीरेन मेरी ओर आशा भरी निगाह से देखते.

तीसरे दिन मेरी गांड में खुजली होने लगी.
काम ख़त्म होने के बाद मैंने सोमेश को दाड़ी का ट्रिमर देकर कहा- अपनी झांटें और कांख के बाल साफ़ करो, शेव करो और नहाकर मेरे बेडरूम में आ जाओ.

उस शाम मैंने सोमेश को 69 पोजीशन में एक दूसरे का लंड चूसना सिखाया.
सोमेश से कहा कि जो भी करना हो, इत्मीनान से करो … कोई जल्दी नहीं.

उसे यह सब भी बताया कि मुझे चूमकर, चूचे दबा कर, चूस कर, सहला कर गर्म कैसे करना है?

सोमेश ने मुझे गर्म किया और मिसनरी पोजीशन में मेरी गांड मारी.
फिर मैंने उसके लंड की सवारी की.
हम दोनों को बहुत मजा आया.

मैंने नया सिम कार्ड ले लिया था जिसका नंबर सिर्फ सोमेश और वीरेन को दिया.
मैंने उन्हें कहा कि सिर्फ जरूरत होने पर मुझे इस नंबर पर मिस कॉल देना, मैं वापस फ़ोन करूँगा.

अगले दिन मुझे वीरेन का काला लंड याद आने लगा.

मैंने सोमेश को फ़ोन किया- आज शाम वीरेन को साफ़ सुथरा होकर तैयार रहने को बोलना.

शाम मैं फार्महाउस के बेडरूम में था.
वीरेन अन्दर आया, हम एक दूसरे को चूमने लगे.

हमने खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतार दिए.
वीरेन ने झांट और कांख के बाल साफ़ किये थे.
वीरेन मेरे चूचे दबाने चूसने लगा.

मैंने वीरेन को भी 69 पोजीशन में एक दूसरे का लंड चूसना सिखाया.

वीरेन को मुझे घोड़ी बनाकर चोदना अच्छा लगता है, तो मैं घोड़ी बनकर खड़ा हो गया.

वीरेन इत्मीनान से मेरी गांड मारने लगा.
जब वह मेरे कूल्हों पर चांटे मारता, तो मुझे और जोश आता.
मैं कमर हिलाकर लंड और अन्दर लेता.

फिर मैंने वीरेन के लंड की सवारी की, वीरेन मेरे चूचे दबा रहा था.
हम दोनों को बहुत मजा आया.

मैंने दोनों के साथ अलग अलग आसनों में सम्भोग का मजा लिया. मेरे चूचे थोड़े और फूल गए थे.

मैं सोमेश, वीरेन से खुलकर बात करता. हम एक दूसरे को क्या अच्छा लगता, खुल कर बताते.
मैं हफ्ते में 4 शामें उनके साथ बिताता.

ऐसे ही एक महीना बीत गया.

अब सिर्फ गांड में लंड डलवाते समय थोड़ा दर्द होता, बाद में मजा ही मजा.

दोस्तो, इस इंडियन गे सेक्स स्टोरीज़ का एक पार्ट अभी बाकी है. उसमें आपको एक नया स्वाद मिलेगा.

आप मुझे अपने कमेंट्स भेज सकते हैं. बस एक ही इल्तिजा है कि मेल भेजते समय कहानी का नाम अवश्य लिखें, जबाव देने में आसानी रहती है.
चूंकि मैंने बहुत सी सेक्स कहानी लिखी हैं, इसलिए ऐसा लिखा है.

आपका रतन दत्त
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