होमोसेक्सुअल रोमांस कहानी में मेरे हमउम्र रिश्तेदार लड़के से मुझे प्यार हो गया था. उसकी रूचि भी मेरी तरह लड़कों में थी. तो हम दोनों ने एक दूसरे की गांड मारी.
दोस्तो, मैं आपको अपने रिश्तेदार के साथ अपनी गे सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
बुआ के देवर से गे वाला प्यार
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मेरे रिश्ते में फूफा लगने वाले हमउम्र सुन्दर ने मेरी गांड को अपनी जीभ से चाट कर मुझे जन्नत का सुख दिया था.
अब आगे होमोसेक्सुअल रोमांस कहानी:
मैंने सुन्दर से कहा कि मैं भी लंड चूसना चाहता हूँ.
वह हां में सर हिलाता हुआ मेरे पास आ गया और कमर के बल लेट गया.
मैं उसके ऊपर आ गया.
पहले मैंने उसके होंठ चूसे, फिर चूचियों को जी भर कर चूसा.
वह ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगा.
फिर मैंने उसके सुपाड़े को चूसा और उसके लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
वह आह आह करने लगा.
मैं दस मिनट तक उसके लंड और आंड चूसता रहा.
वह मेरी गांड मारना चाहता था तो मैं फिर से कमर के बल लेट गया.
उसने अपनी अल्मारी से एक क्रीम निकाल कर मुझे दी और कहा- ये क्रीम हम दोनों को उत्तेजित करके रखेगी!
मैंने ख़ूब सारी क्रीम उसके लंड पर लगाई.
उसने भी ख़ूब सारी क्रीम लेकर मेरी गांड में लगाई.
फिर धीरे से अपना लंड मेरी कुंवारी गांड में डालने लगा.
मैंने पूछा- पहले कभी किसी की गांड मारी है?
उसने कहा- पहली बार मार रहा हूँ.
मैंने कहा- मैं भी पहली बार गांड मरवा रहा हूँ.
क्रीम के कारण मेरी गांड में कम दर्द हो रहा था और मज़ा भी बहुत आ रहा था.
फिर भी मैं मज़ाक में बोला- ओये फूफा, आज मेरी गांड फाड़ ही डालेगा क्या?
वह बोला- बेटा, मज़े भी तो तू ही ले रहा है!
वह कभी ज़ोर-ज़ोर से कभी धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगता.
कभी वह बिल्कुल रुक जाता और मेरे ऊपर लेटकर मेरे होंठ चूसने लगता.
फिर कभी अपना लंड बाहर निकाल कर अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पर मारने लगता.
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि मेरा सपना पूरा हो रहा था.
मैं तो कब से उससे चुदना चाहता था.
पंद्रह मिनट बाद वह बदहवास होकर मेरी गांड मारने लगा.
फिर वह मेरी गांड में झड़ गया.
थोड़ी देर वह मेरे ऊपर लेटा रहा, उसका लंड अभी भी मेरी गांड में ही था.
कुछ मिनट तक वह मुझे चूमता रहा.
कभी मेरे एक निप्पल को चूसता और कभी मेरे कान की लटकन को चुभलाने लगता.
फिर जैसे ही उसका लंड ढीला पड़ना शुरू हुआ, उसने फिर से मेरी चुदाई शुरू कर दी.
उसका लंड थोड़ा ढीला होने की वजह से बार-बार मेरी गांड से बाहर निकल जा रहा था.
पर मेरी गांड में उसका वीर्य भरा होने की वजह से उसका सुस्त लंड भी उसके वीर्य से चिकनी हुई मेरी गांड में आराम से घुस जाता.
मेरी कसी हुई गांड की मांसपेशियों की रगड़ से उसका लंड थोड़ी देर में ही फिर से कड़क हो गया.
मेरी गांड से फच्च-फच्च की आवाज़ आने लगी.
उसका वीर्य, उसके लंड और मेरी गांड के बीच चिकनाई का काम कर रहा था.
वह बहुत देर तक मुझे चोदता रहा पर उसका लंड पुनः झड़ने को तैयार ही नहीं था.
कुछ देर में वह बुरी तरह से थक गया था तो उसने अपना लंड बाहर निकाला और पीठ के बल लेट गया.
मैं दोनों तरफ़ टांगें करके उसके लंड पर बैठ गया.
उसका खड़ा लंड फच्च की आवाज़ के साथ मेरी गांड में घुस गया.
मैं ऊपर-नीचे होकर अपनी गांड मरवाने लगा.
दस मिनट बाद वह फिर से मेरी गांड में झड़ गया.
मैंने उसका लंड बाहर निकाला और कपड़े से पौंछ कर चाटने लगा.
मैं उसके लौड़े को चाट चाट कर साफ़ करने लगा.
वह 69 में आ गया और मेरी गांड से टपकता हुआ अपना वीर्य चूसने लगा.
सब चूस चाट लेने के बाद हम दोनों थोड़ी देर तक यूं ही शांत लेटे रहे.
फिर मैं बोला- यार मेरे लंड की गर्मी भी तो उतारो!
वह बोला- हां यार, पर मैं जरा सांस तो ले लूँ!
कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर आ गया और मेरा जिस्म चूमता हुआ लंड तक आ गया.
वह मेरा मुँह में लेकर चूसने लगा.
फिर वह मेरे आंड चूसने लगा.
जब मैं निकलने को होने लगा, तो वह मेरा पूरा लंड निगल गया.
मेरा लंड उसके हलक में घुस गया था और उसके हलक की मांसपेशियों से रगड़ने लगा था.
फिर मैं खुद को रोक ही न सका और ज़ोर के झटके देते हुए उसके मुँह में ही झड़ गया.
उसने भी पूरे चाव से मेरा लंड अपने मुँह में दबाए रखा और सारा वीर्य पी लिया.
वह तो मेरे लौड़े को छोड़ ही नहीं रहा था.
उसने लौड़े से निकलने वाली आख़िरी बूँद तक चाट कर मेरा लंड एकदम साफ़ कर दिया.
रात के एक बजे का समय हो गया था. हम दोनों पूरी तरह से संतुष्ट होकर एक-दूसरे से नंगे लिपटे हुए थे.
यूं ही एक दूसरे को सहलाते चूमते हुए हम दोनों कब सो गए, कुछ अहसास ही नहीं हुआ.
सुबह के चार बजे के आसपास मेरी आंख खुली.
तो मैंने देखा वह पीठ के बल टांगें फैलाकर सो रहा है और उसका लंड पूरा कड़क होकर हवा में लहरा रहा है.
मैं धीरे से उठा और उसके दोनों तरफ़ टांगें करके ऐसे बैठ गया कि मेरे सामने उसका हुंकार भरता हुआ लंड था.
मेरी गांड उसके मुँह पर थी.
मैंने सीधे ही उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
उसकी भी आंख खुल गई और वह उत्तेजित होकर मेरी गांड चाटने लगा.
जब उसका लंड लाल-सुर्ख़ हो गया और मेरी गांड भी उसकी जीभ से खुल गई और आग उगलने लगी तो मैं उसके लंड पर बैठ गया.
उसका लंड एक बार में ही मेरी गांड में घुसता चला गया.
मैं मस्ती में ऊपर-नीचे होकर अपनी गांड मरवाने लगा.
दस मिनट बाद वह बोला कि मेरा रस निकलने वाला है.
मैंने उसका लंड अपनी गांड में से निकाला और अपने मुँह में ले लिया.
मैंने अपना मुँह पूरा खोला और उसके आठ इंच के लौड़े को पूरा निगल लिया.
उसी वक्त वह मेरे मुँह में ही झड़ गया.
मैंने उसका सारा वीर्य पी लिया और उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया.
सुबह जब मैं उठ कर चलने लगा तो मेरी गांड दर्द कर रही थी.
मैं बोला- यार, ऐसे तो मैं आपके साथ घूम भी नहीं पाऊंगा और घरवाले भी शक़ करेंगे!
उसने एक बाल्टी भर कर पानी गर्म किया, मुझे बाथरूम में ले गया और आगे झुकने को कहा.
मैं झुका तो वह मेरी गांड पर धीरे-धीरे पानी डालने लगा.
गर्म पानी से काफी राहत मिली.
फिर कमरे में आकर उसने मेरी गांड के बाहर और अन्दर ख़ूब सारा नारियल का तेल लगाया.
अब वह बिस्तर पर लेट गया और मैं उसके नंगे जिस्म पर नंगा ही पड़ा रहा.
मैं एक घंटे तक लेटा रहा.
थोड़ी देर में मेरी चाल सामान्य हो गई.
हम दोनों जब तक घर में रहे, बिल्कुल नंगे ही रहे.
फिर दोनों साथ में ही नहाए और नाश्ता किया.
नाश्ते के बाद नींद की खुमारी चढ़ी तो हम दोनों एक-दूसरे से नंगे ही लिपट कर सो गए.
सुबह ग्यारह बजे उठे तो उसने मुझे वह गुलाबी साटिन की कच्छी अपने हाथों से पहनाई.
उसने एक क्रीम कलर की साटिन की पटियाला सलवार-कमीज़ पहनी थी, जिसमें वह ज़बरदस्त सेक्सी लग रहा था.
फिर सारा दिन हम दोनों साथ में घूमे और लेट नाइट हम दोनों एक फ़िल्म देखने भी गए.
हम लोग सिनेमा हॉल में सबसे पीछे एकदम कोने में बैठे.
बाक़ी लोगों से बिल्कुल अलग, हमारे बराबर में चार सीट ख़ाली थीं और आगे भी बस दो ही लोग बैठे थे.
हम लोग जानबूझ कर एक फ्लॉप फ़िल्म देखने गए थे जिससे कम लोग हों … और हमें अकेले में मौज मस्ती करने मिल जाए.
जब हम सिनेमा में फ़िल्म देख रहे थे, तो मैं तो लगातार उसकी जांघ को ही सहलाता रहा, कभी-कभी उसका लंड भी मसल लेता.
उसने साटिन सलवार के नीचे कुछ नहीं पहना था इसलिए उसका लंड मसलने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
वह बार-बार मेरा हाथ हटा देता क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह सलवार में ही ना झड़ जाए.
थोड़ी देर उसकी जांघ सहलाने के बाद मैं फिर से उसका लंड मसलने लगता.
इन्टरवेल में आगे बैठे वे दोनों लोग भी फ़िल्म छोड़कर चले गए.
अब हमारे आस-पास कोई नहीं था.
हॉल में फिर से अंधेरा हो गया था और मैं फिर से उसके लंड से खेलने लगा.
वह बोला- नाड़ा खोल कर मेरी मुठ मार!
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसका लंड मसलने लगा.
फिर मैंने कहा कि जब वीर्य निकलने वाला हो तो बता देना, मुझे पीना है.
कुछ मिनट बाद मैंने उसकी सलवार उतार कर अपनी सीट पर रख दी और उसके पैरों के बीच बैठकर उसका लंड चूसने लगा.
वह धीरे-धीरे आंहें भरने लगा.
थोड़ी देर में उसने एक ज़ोरदार पिचकारी मेरे मुँह में मार दी.
मैं उसका सारा वीर्य पी गया.
जब तक उसके लंड से वीर्य की बूँदें निकलती रहीं, मैं उसका लंड चूसता रहा.
मैंने चाट-चाट कर उसका लंड बिल्कुल साफ़ कर दिया.
फिर मैं अपनी सीट पर बैठ गया.
जब मैं उसे सलवार पहनाने लगा तो उसने रुकने को कहा कि वह पहले थोड़ा सा मूत ले, जिससे कि उसकी सलवार पर बाद में निकले वीर्य की बूँदों के निशान न पड़ जाएं.
एक मिनट बाद उसने वहीं मूत दिया.
मैंने उसे सलवार पहना दी.
वह बोला- अब मेरी बारी है!
उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरी कच्छी की डोरी खोल कर मेरे लंड से खेलने लगा.
जब मेरा लंड कड़क होकर अंगड़ाई लेने लगा, तो वह मेरे आगे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगा.
फिर उसने मेरी पैंट उतारी और मैंने अपने पैर उसके कंधों पर रख लिए.
वह मेरे लंड मुँह में लेकर मस्ताने लगा.
जब वह मेरे आंड मुँह में लेकर प्यार से काटता, तो बड़ा मज़ा आता.
दस मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया.
उसने भी चाट-चाट कर मेरा लंड बिल्कुल साफ़ कर दिया.
मैंने भी वहीं मूत कर अपने लंड की नलकी साफ़ कर ली.
फिर उसने मुझे कच्छी पहनाई और उसके बाद पैंट.
अब हम दोनों भी फ़िल्म छोड़ कर बाहर आ गए.
थोड़ी देर बाज़ार में घूमने के बाद हम घर लौट आए.
मैं बोला- यार सुन्दर मेरा भी गांड मारने को दिल कर रहा है!
वह बोला- मेरी गांड भी तेरे लंड का स्वाद लेने को बेचैन है.
मैं अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर में पीठ के बल लेट गया.
सुन्दर ने भी अपने कपड़े उतार दिए.
वह बिस्तर में आकर मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठों को चूसने लगा.
कभी मेरी जीभ चूसने लगता.
इससे कुछ ही देर में मेरा लंड लोहालाट हो गया.
वह मेरी चूचियों को चूसने लगा.
फिर नीचे आकर उसने मेरे लंड को पुनः मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
अब उसने मेरे लंड पर क्रीम लगाई और मेरे दोनों ओर पैर करके ऐसे बैठ गया कि उसकी गांड मेरे लंड के ऊपर थी.
वह धीरे से मेरे लंड पर बैठ गया.
थोड़ी कोशिश करने पर मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया.
अब वह ऊपर-नीचे होकर मुझसे चुदने लगा.
मैं बोला- यार, मुझे तुम्हारे ऊपर लेट कर तुमको चोदना है!
तो वह पीठ के बल लेट गया.
मैंने उसकी टांगों को ऊपर किया और उसकी आग उगलती लाल-सुर्ख़ गांड को चूसने लगा.
मैं बार-बार उसकी गांड में जीभ डालकर उसकी गांड का स्वाद लेता रहा.
फिर मैंने आराम से अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया.
कुछ धक्के मारने के बाद मैं रुककर उसे चूमने लगा.
उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट लीं.
मैं रुक-रुक कर उसकी गांड मार रहा था.
कुछ मिनट बाद मैंने सारा वीर्य उसके पेट पर छोड़ दिया और अपना लंड उसके मुँह में घुसा दिया.
उसने मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ़ कर दिया.
मैंने भी उसके पेट पर पड़े अपने सारे वीर्य को चाट कर मुँह में भर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
फिर उसने मुँह खोला तो मैंने सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया जिसे वह स्वाद लेकर पी गया.
मेरा लंड तो ढीला हो गया था लेकिन उसका लंड हुंकार रहा था.
मैं पेट के बल लेट गया और वह मेरे दोनों ओर पैर करके बैठ गया.
मैं उसके लंड की मुठ मारने लगा.
थोड़ी देर में वह भी मेरे ऊपर झड़ गया.
मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया और उसने मेरा जिस्म चाट कर साफ़ कर दिया.
उसने भी मेरे जैसे मेरे ऊपर पड़ा अपना वीर्य अपने मुँह में इकट्ठा किया और मेरे मुँह में छोड़ दिया.
इस तरह से हम दोनों एक दूसरे के हो गए थे.
सुबह मैं जल्दी ही अपने घर चला गया.
अब हम लोग हर शनिवार को मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे की गांड चुदाई का मजा ले लेते हैं.
आपको मेरी होमोसेक्सुअल रोमांस कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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