कबड्डी प्रतियोगिता और गांड चुदाई

होमोसेक्सुअल हिंदी गांड सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे कॉलेज के एक लड़के ने कबड्डी खेलते हुए मेरे लंड को मसल दिया. फिर उसने मुझसे अपनी गांड भी मरवाई.

दोस्तो, मैं पार्थ कुमार टॉप, जयपुर राजस्थान से आपके लिए एक गे सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं.

यह होमोसेक्सुअल हिंदी गांड सेक्स कहानी मेरी कॉलेज समय के आखिरी वर्ष की है, जब मैं एमए के फाइनल ईयर में था.

तब एक दिन कॉलेज में कबड्डी प्रतियोगिता का खेल हुआ.
उसमें एमए फाइनल और प्रवेश दोनों के छात्रों ने भाग लिया.
अच्छी हाईट होने से मुझे भी टीम में जगह मिल गई.

नियत समय पर खेल शुरू हुआ.
विरोधी टीम में एक लड़का था, विशाल शेखावत!
विशाल सीकर का था.

वो उस टीम का राइडर था, तो बार बार वही रेड मारने आता था.
मैं प्वाइंट पर था तो वो मुझे ही आउट करने की कोशिश करता.
मैंने एक दो बार उसको पकड़ा, तो गलती से मेरे हाथ उसके पीछे चूतड़ पर चले जाते.

उसकी गांड काफी मोटी और अच्छी थी. वो लौंडा भी बार बार मुझे आउट करने के बहाने से मेरे छोटे पार्थ को टच करके चला जाता.
मुझे कुछ दर में समझ आ गया कि ये बंदा कबड्डी नहीं, कुछ और खेल खेलना चाहता है.

अब मैं भी जानबूझ कर उसकी गांड को अच्छी तरह मसल देता था और जब वो देखता, तो आंख मार देता.
वो किसी चिकनी लौंडिया की तरह बस एक मुस्कान दे देता.

मैं समझ गया कि पार्थ भाई तेरा काम बन गया.
कुछ ही देर में कबड्डी का खेल खत्म हुआ और हमारी टीम 7-5 से जीत गई.

जब दोनों टीम के खिलाड़ी आपस में हाथ मिला रहे थे तो उसी समय मैंने फिर से उसका हाथ जोर से दबा दिया.

उसके एक चूतड़ पर हाथ मारते हुए मैंने कहा- बहुत अच्छा खेला.
उसने भी कहा- थैंक्यू भैया.
मैंने उसे एक दफा और आंख मार दी.
वो शर्मा गया.

सब लोग चले गए.
फिर हम दोनों दो दिन तक नहीं मिले.

उसके बाद वो मुझे रात के खाने के टाइम मिला.

उसने पूछा- कैसे हो भइया आप?
मैंने कहा- अच्छा हूँ, तुम सुनाओ!
वो बोला- मैं भी अच्छा हूँ.

मैं उसकी तरफ देख कर स्माइल करने लगा.
ये देख कर उसने कहा- उस दिन मैं पूछना भूल गया था, आपको कैसा लगा मेरा गेम?
मैंने मस्ती से पूछा- कौन सा गेम?

वो बोला- वही कबड्डी का खेल!
मैंने हंस कर बोला- हम्म … विशाल, तुमने बहुत मस्त खेला था.

उसने मुझे आंख मारते हुए कहा- भैया, आपने तो मुझसे भी अच्छा खेला था.
मैं फिर से हंस दिया और उसे नजदीक बैठने का कहा.

फिर वो मेरे एकदम पास आकर बैठ गया.
वो फ़रवरी का आखिरी हफ्ता था तो थोड़ी बहुत सर्दी थी लेकिन मेस में आने के लिए मैंने खाली एक शॉर्ट्स डाल रखी थी और वो भी सेम शॉर्ट्स में था.

मुझे देर से खाना खाने की आदत है, तो उस दिन भी रात के करीब 10.30 हो गए थे.
उस समय मेस में 5-7 बंदे ही थे.

मैं दाल चावल खा रहा था. इतने में अचानक उसने मुझे बिना बताए अपना हाथ मेरे शॉर्ट्स के अन्दर डाल दिया और मेरे छोटे पार्थ को पकड़ लिया.
उसका ऐसे करने से मेरे हाथ से चम्मच नीचे गिर गई तो सब हमारी ओर देखने लगे.
मैं नॉर्मल होने का दिखावा करने लगा.

थोड़ी देर बाद उसने फिर से किया.
इस बार में इंजॉय करने लगा और छोटा पार्थ भी नींद से उठ कर सलामी देने लगा था.

मैंने उससे कहा- क्या इरादा है विशाल?
उसने कहा- भैया, मैंने हॉस्टल में आपके बहुत चर्चे सुने हैं. मुझे भी खुश कर दो.

मैंने कहा- कैसे?
वो हंस दिया.

मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा, तो उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और उंगलियों को मेरे लंड से टच कराने लगा.

मैंने कहा- कुछ इंतजार करो.
वो मुस्कुरा दिया और धीमे से बोला- अब इन्तजार ही तो नहीं होता भैया!

मैंने कहा- तो क्या सबके सामने खुश होना चाहते हो.
वो किसी पागल लड़की की तरह मेरी आंखों में आंखें डालकर बोला- हां!
मैंने हंस कर कहा- पागल.

थोड़ी देर में मैस खाली हो गया था तो उसने कहा- पार्थ भैया, मैस का बाथरूम खाली है, चलो न.
मैंने कहा- उधर ही?

वो किसी बच्चे जैसा जिद करता हुआ बोला- हां.
उसने मेरे हाथ को थामा और मुझे खींचता हुआ ले जाने लगा.

हम दोनों बाथरूम में आ गए और अन्दर जाते ही विशाल मेरे होंठों पर टूट पड़ा.
मैंने भी उसके होंठों को लाल कर दिया और दस मिनट के बाद उसने मेरे छोटू को शॉर्ट्स से आज़ाद कर दिया.

मेरा छोटू खुली हवा में सांस ले रहा था. उसके बाद उसने घुटनों पर बैठ कर छोटे पार्थ को खुद के मुँह में ले लिया और मैंने दीवार से सर लगा कर उसके मुँह में जो धमाल किया, समझो मैंने उसके मुँह की मां चोद दी.

कुछ देर के बाद उसने कहा- पार्थ भइया, अब मेरी रात को और रंगीन बना दो. आप मुझे प्यार तो करते हैं न!

मैंने उसको दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और कहा कि विशाल, उस दिन के बाद से मेरे दिमाग में बस तू ही है और कोई नहीं.
वो बोला- सच में भैया!

वो बेचारा भी मेरी बातों में आ गया और आंख बंद कर लीं.
मैंने थूक निकाल कर छोटे पार्थ पर लगाया. मेरा छोटू 15 दिन से भूखा था.

उसकी गांड एकदम छोटी सी थी. साफ़ लग रहा था कि इसने अभी तक गांड नहीं मरवाई है.

मैंने उसकी गांड में उंगली से कुरेद कर उससे पूछा- पहली बार है?
वो बोला- हां भैया.

मैंने कहा- इसके पहले कुछ अन्दर लिया है?
वो बोला- हां भैया, मोमबत्ती से मजा लिया है.

मैंने मन में सोचा कि तब तो इसकी गांड कुछ खुली है.
फिर मैंने अपनी उंगली गांड में पेल दी.
उसके मुँह से आह निकल गई.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- कुछ नहीं, आप करो.

मैंने कुछ देर तक उसकी गांड में उंगली से छेद को ढीला किया और उसके चूतड़ पर चपत मारकर कहा- अब लंड पेल रहा हूँ.
वो बोला- हां भैया, बस प्यार से करना.

मैंने उसकी गांड पर जरा सा थूक लगाया और पास में पड़ी उसी की शॉर्ट्स उसके मुँह में लगा दी ताकि आवाज बाहर ना जाए.

मैंने उससे कहा- क्या तुम रेडी हो?
वो बोला- हां.

मैं लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा.
उसको लंड की गर्मी से लज्जत मिलने लगी और वो अपनी गांड मेरे लंड के सुपारे पर घिसने लगा.

तभी उसको बिना बताए अपने छोटे पार्थ को एक धक्का दे दिया.
मेरे लंड ने उसकी गांड में एंट्री कर डाली और उसकी आंखें फट कर बाहर आ गईं.

मुँह में कपड़ा घुसा हुआ था तो उसकी आवाज नहीं निकल सकी वरना बहुत तेज आवाज निकलती.
मैंने लगातार थूक टपकाते हुए लंड को अन्दर पेलना जारी रखा और कुछ ही देर में उसकी गांड में मेरा पूरा लंड सैट हो गया.

उसकी गांड से खून रिसने लगा था. मगर वो लौंडा बड़ी हिम्मत वाला था.
वो ऊं ऊं करता रहा, पर उसने लंड हटाने के लिए नहीं बोला.

उसकी गांड मेरे मोटे लंड ने लगभग फाड़ ही दी थी. मुझे खुद अपने लंड में जलन होने लगी थी. ऐसा लग रहा था मानो लंड को किसी चूहेदानी में फंसा दिया गया हो.
एक बार को तो मैं अपना लंड साबुत बाहर निकालने की सोचने से डरने लगा था कि कहीं जोर लगा कर लंड बाहर निकाला, तो मेरा आधा लंड टूट कर अन्दर ही न रह जाए.

मगर कुछ देर बाद उसको कुछ राहत मिली और उसने अपनी गांड में कुछ हरकत की.
मुझे लंड में कुछ राहत मिली तो मैंने भी कमर पकड़ कर हल्के से लंड को हिलाया.
वो उंह ऊंह करने लगा.

धीरे धीरे करके लंड ने गांड में चलना शुरू किया और जल्द ही मेरा लंड उसकी गांड मारने के लिए रेडी हो गया.
लंड में दर्द की जगह तनाव बढ़ने लगा.

कुछ पल के बाद छोटे पार्थ ने यानि मेरे लंड ने विशाल की गांड में जो धमाचौकड़ी करना शुरू की तो वो उसकी गांड के हर कोने की आखिरी छोर तक टच करके आया.
कबड्डी का खेल सा चलने लगा. हर बार लंड उसकी गांड में अन्दर तक जाता और उसकी गांड सिकुड़ने से पहले बाहर वाली रिंग तक आ जाता.

मेरे लौड़े ने उसकी गांड चुदाई में हर तरह का मजा किया.
मैंने विशाल की गांड चुदाई के दौरान चार बार पोजिशन भी चेंज की.

अंत में उसके बालों को हाथों में पकड़ कर उसे घोड़ी बना कर मैंने जो शॉट्स मारे, सच में मैंने उसको और खुद को जन्नत की दर्शन करवा दिए.

मेरे छोटू को मज़ा आ गया.
उसके बाद छोटू ने गांड में ही पानी छोड़ दिया और हम दोनों निढाल होकर बैठ गए.

वो चल नहीं पा रहा था.
मैं उसको सहारा देकर खुद के रूम में लेकर आ गया.
अब कमरे में हमारी दूसरी पारी की शुरुवात होनी थी.

हम दोनों ने रूम में आकर पहले कुछ खाया और थोड़ी देर आराम किया.
उसके बाद विशाल ने फिर से छोटू को तंग करना शुरू कर दिया और छोटू फिर अपनी असली रूप में आ गया.

इस बार मैंने उसको बेड पर ही घोड़ी बना कर फिर से चोदना शुरू किया.
इस बार मेरे पास तेल भी था, तो गांड को तेल से लबालब करके लंड सैट किया और एक ही धक्के में अपने छोटू को उसके अन्दर प्रवेश करा दिया.

उसकी मादक आह निकल गई. मैंने उसके बाल पकड़ कर उसको बेरहमी से चोदना शुरू कर दिया.
इस बार मेरा लंड भी दुगने जोश में था. उसे गांड फैली हुई और चिकनी मिल गई थी.

लंड ने भी फुल स्पीड में अपनी ट्रेन भगाई और विशाल का फिर से बुरा हाल होना शुरू हो गया.
इस बार विशाल को भी पहले से ज्यादा मज़ा आया था. वो भी पूरी तन्मयता से साथ देने लगा था. उसकी कमर भी मस्ती से चल रही थी.

दस मिनट बाद मैंने विशाल को छोटू के ऊपर बैठा लिया और उससे जंपिंग करवाना शुरू कर दी.
विशाल बड़े मज़े से छोटू पर उछल कूद कर रहा था.

उसकी आवाजें तेज हो रही थीं. मुझे डर था कि किसी ने सुन लिया, तो मुझे खेल खत्म करना पड़ेगा.
इसलिए मैंने दुबारा से उसके मुँह में कपड़ा लगा दिया और कहा कि ऊपर नीचे लेते वक्त आवाज़ ना करे.

आख़िर में मैं उसको वापस हॉस्टल के बॉथरूम में ले गया और दीवार के सहारे खड़ा करके उसका बैंड बजाने लगा.
मुझे और उसको दोनों को फिर से जन्नत का अहसास होने लगा.

मैं हर पांच मिनट के बाद मैंने विशाल की पोजिशन चेंज कर देता था. कभी उसे खड़ा कर देता था तो कभी घोड़ी बना देता था.
मस्त चुदाई के बाद मेरा छोटू शांत हुआ.

उसके बाद हम दोनों अलग हो गए.

फिर जब तक एक्जाम खत्म नहीं हुए, मैं विशाल की रोज गांड मारता था. विशाल भी मेरे छोटू को हर बार खुश कर देता था.
उसके बाद भी जब भी मुझे या विशाल को टाईम मिलता है, हम दोनों वो मौका कभी भी नहीं छोड़ते और बहुत मस्ती और धमाल करते हैं.

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पार्थ कुमार