मेरे सपनों का राजकुमार मेरी गांड मार गया- 1

गे बॉयज लव स्टोरी में मुझे अपनी बुआ का देवर अच्छा लगता था. मैं लड़का हूँ. वह चिकना-गोरा और बहुत ही ख़ूबसूरत दिखने वाला लौंडा था. वह मेरे सपनों का राजकुमार बन गया.

हैलो फ्रेंड्स, हम लोग मेरठ में रहते थे.

मेरी एक बुआ ग़ाज़ियाबाद में एक संयुक्त परिवार में रहती थीं.
उनके देवर का नाम सुन्दर था.
उसकी नौकरी मेरठ में स्टेट बैंक लग गई थी तो पापा ने उसे हमारे घर से थोड़ी सी दूरी पर आवास विकास का एक छोटा सा घर दिलवा दिया.

उसका यह घर छोटा सा था … यही कोई लगभग 30 गज़ का रहा होगा.
वह उसमें अकेला रहता था.

उसकी अभी शादी नहीं हुई थी.
उस वक्त उसकी उम्र लगभग 25 साल की रही होगी.

सुन्दर अपने नाम के अनुरूप एकदम चिकना-गोरा और बहुत ही ख़ूबसूरत दिखने वाला लौंडा था.

जब वह बैंक से वापिस आता तो हमारे घर के सामने से ही गुज़रता था.
कभी-कभी मम्मी उसे चाय के लिए रोक लेतीं तो वह घर में आ जाता.

मेरे पापा अधिकतर समय दुकान पर होते और मम्मी रसोई में रहती थीं तो चाय उसे कमरे में मैं ही देता था.

मैं उसको फूफाजी नहीं कहता था क्योंकि वह नाराज़ हो जाता था.

वह कहता- यार, हमारी उम्र में ज़्यादा फ़र्क नहीं है इसलिए हम दोस्त हैं.
मैं उसे नाम से ही बुलाता था.

वह मुझे वासना भारी नज़रों से देखता, तो मेरी गांड में कुलबुली सी होने लगती थी.
मैं तब बीस साल का था और जवान हो चुका था.
देखने में मैं भी आकर्षक था मेरा भी मर्दों में ही इंटरेस्ट था.

यह सिर्फ मैं ही जानता था कि उसकी नज़र मेरे जिस्म में बिजली सी भर देती थी.

अब मुझे भी वह बहुत अच्छा लगने लगा था.
वह मेरे सपनों का राजकुमार बन गया था.

जब भी मैं मुठ मारता तो वही मेरे ख्यालों में होता था.
पर मैं उस पर ये ज़ाहिर नहीं होने देता था.
हालांकि मुझे लगता था कि मैं भी उसे पसंद था.

कुछ दिनों बाद हम दोनों को प्यार हो गया, पर हमने अभी भी यह एक दूसरे के सामने ज़ाहिर नहीं किया था.
बस नज़रों-नज़रों में हम एक-दूसरे के जिस्म को चूमते रहते थे.

उसे चुस्त कमीज़ और चुस्त पैंट पहनने का शौक़ था जिससे उसका मर्दाना कसरती जिस्म गज़ब का लगता था.
उसे साटिन की शर्ट पहनने का बड़ा शौक़ था … क्योंकि वह ज्यादातर साटिन कपड़े की चुस्त कमीज़ ही पहनता था और सामने के दो बटन खोले रखता था.

उसके देख कर साफ़ पता चलता था कि वह शर्ट के नीचे बनियान नहीं पहनता है क्योंकि उसके दोनों दूध की गांठें ख़ूब उभरी होती थीं और तभी मेरी नजर नीचे चली जाती थी.

शायद वह पैंट के नीचे भी कच्छा भी नहीं पहनता था क्योंकि मुझे निहारने से जब उसका लंड कड़क हो जाता तो पैंट में उसका लंड ख़ूब उभर जाता था.

वह मुझे देखते समय अपने कड़क होते लौड़े को मसलने भी लगता था.

एक बार वह साटिन की बेबी पिंक कलर की शर्ट पहन कर आया था तो एकदम कामदेव लग रहा था.
जब वह चाय पी रहा था तो मैंने उसके पीछे जाकर उसके गले में हाथ डाल दिया.

मैंने उसके कान में धीरे से कहा- यार सुन्दर, इस शर्ट में बहुत सेक्सी लग रहे हो!
यह कहने के साथ ही मैंने उसकी शर्ट के ऊपर से ही उसकी एक चूची भी सहला दी.

उसने भी मेरे गाल चूम लिए और बोला- थैंक्यू मेरी जान!
मेरी जान शब्द सुनकर मेरे पूरे जिस्म में गुदगुदी सी होने लगी.

पहली बार किसी मर्द ने मुझे इतने प्यार से चूमा था.

वह फ़रवरी का महीना था.
शनिवार का दिन था.

मम्मी ने कहा- मैं आज रात को छोले-भटूरे बना रही हूँ, शाम को खाकर जाना.
वह बोला- भाभी मुझे कुछ काम है, आप सुधीर के हाथ भिजवा देना. वह रात को मेरे पास ही रुक जाएगा. कल रविवार की छुट्टी भी है. आप उससे कह देना कि वह अपने एक जोड़ी कपड़े भी लेकर आए. मैं उसे कल घुमाने भी ले जाऊंगा.

मम्मी ने कहा- ठीक है … सुधीर की तो शायद सोमवार की भी छुट्टी है.
सुन्दर ने कहा- तो ठीक है. मैं सोमवार को उसे वापस भेज दूंगा.

जब मम्मी ने मुझे यह सब बताया तो मैं बहुत खुश हुआ कि आज अपने सपनों के राजकुमार के पास सोने का मौका मिला है.

मैं रात को नौ बजे उसके घर पहुंचा उसने दरवाज़ा खोला तो बस टॉवल लपेटा हुआ था.

मुझे देख कर अपने लौड़े को मसलता हुआ बोला- मैं बस नहाने ही जा रहा था.
मैं कुछ नहीं बोला.

वह बाथरूम में चला गया और कुछ देर बाद बिना नहाए एक फ्रेंची चड्डी पहने हुए बाहर आ गया.
ऊपर से उसने तौलिया लपेटी हुई थी.

सुन्दर पलंग पर डिनर करने बैठ गया और बोला- बाद में नहा लूँगा.

पहले वह पालथी मार कर बैठा और मैं उसके सामने चेयर पर बैठा था.
वह खाने लगा और ज़बरदस्ती अपने हाथ से मुझे भी एक दो ग्रास खिला दिए.

थोड़ी देर में उसने अपना एक घुटना ऊपर की ओर मोड़ा तो मैंने देखा कि उसने नीचे साटिन की कच्छी पहन रखी थी.
शायद उसे इसका अहसास नहीं था या वह ये मुझे दिखाना ही चाहता था.

काफी देर से बैठे रहने से उसका टॉवल ढीला हो चुका था.
फिर जब वह प्लेट किचन में रखने के लिए उठा तो उसका टॉवल खुलकर नीचे गिर गया.

अब वह बस साटिन की एक छोटी सी टाइट पिंक कलर की कच्छी में था.
उसमें से उसका लंड ख़ूब उभर कर दिख रहा था.

वह लौड़े को सहला कर और मुस्कराकर बोला- कैसा लग रहा हूँ?
मैं बोला- बहुत सेक्सी!

उसने खुश होकर मेरे होंठ चूम लिए, तो मेरे जिस्म में गुदगुदी सी होने लगी.

थोड़ी देर बाद वह नहाने जाने लगा तो उसने अपनी सेक्सी साटिन कच्छी की डोरी मुझसे खोलने को कहा.

मैं थोड़ा झिझक रहा था पर मैंने खोल दी.
उसका साफ़-सुथरा ख़ूबसूरत तना हुआ लंड हवा में लहराने लगा.

वह कच्छी मेरे हाथ में छोड़ कर नंगा ही नहाने चला गया.

मैं उसकी कच्छी को सूँघने लगा और उसमें से आ रही उसके लंड की ख़ुशबू से मदहोश होने लगा.

फिर मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसकी उतरी हुई साटिन की कच्छी पहन ली.

वह नहा कर नंगा ही बाहर निकल आया और मेरे सामने ही अपना नंगा जिस्म टॉवल से पौंछने लगा.

वह नंगा बहुत ही ख़ूबसूरत लग रहा था. एकदम चिकना जिस्म, मोटी-मोटी चूचियों की गांठें बहुत सेक्सी थीं.
मुझे साटिन की कच्छी में देखकर सुन्दर बोला- तुम भी बहुत सेक्सी लग रहे हो!

उसने बताया- मुझे नंगा ही सोना पसंद है और आज भी मैं नंगा सोना चाहता हूँ.
मैंने कहा- कोई बात नहीं जैसी तुम्हारी मर्ज़ी!

मुझे भी उसे नंगा देखने में बहुत मज़ा आ रहा था हालांकि उसका लंड अब पूरी तरह से खड़ा नहीं था, पर बिल्कुल सुस्त भी नहीं था.

उसने अल्मारी से साटिन की महरून रंग की बेडशीट निकाली और पलंग पर बिछा दी.
फिर तकिए पर कवर भी साटिन के चढ़ा दिए और साटिन की सफ़ेद रंग की चादर ओढ़ने के लिए रख दी.

वह बिस्तर पर लेट गया और उसने अपना लंड चादर से ढक लिया.

उसने मुझसे भी कपड़े उतार कर बिस्तर में आने को कहा तो मैं चड्डी पहने हुए ही बिस्तर पर आने लगा.
वह बोला कि चड्डी उतार कर आ जाओ न!

मैं साटिन की वह सेक्सी कच्छी उतारना नहीं चाहता था.
पर उसके ज़िद करने पर मैं भी नंगा होकर बिस्तर में आ गया और चादर से अपना लंड ढक लिया.

साटिन के बिस्तर में बड़ा मज़ा आ रहा था हालाँकि उसका पलंग कम चौड़ा था और तकिया भी एक ही था क्योंकि वह अकेला रहता था … सो उसने अपने हिसाब से एक ही ले रखा था.

हम दोनों एक-दूसरे के बहुत क़रीब लेटे हुए थे.
उससे जब हम एक-दूसरे की तरफ़ मुँह करके बात कर रहे थे तो मैं उसकी सांसें अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था.

मैं उससे बिल्कुल खुल गया और उससे बेशर्मी से सवाल पूछने लगा था.

मैंने पूछा- यार सुन्दर आपकी चूचियों की गांठें इतनी बड़ी कैसे हैं?
तो उसने बताया कि मुझे अपनी चूचियों को मसलने में बड़ा मज़ा आता है और मैंने पिछले दस साल में अपनी दोनों चूचियां मसल-मसल कर इतनी बड़ी कर ली हैं.

फिर मैंने पूछा- यार मेरे लंड के आस-पास तो बहुत बाल हैं, पर आपका लंड तो एकदम साफ़-सुथरा है!
उसने कहा कि मैं हर हफ़्ते अपनी झांटें साफ़ करता रहता हूँ.

मैं चुप रहा.

उसने पुनः कहा- मैं तुम्हारी भी झांटें साफ़ कर सकता हूँ.
मैं तो ये ही चाहता था.

उसने मुझसे पलंग से नीचे खड़े होने को कहा और अपने शेविंग बॉक्स में से एक छोटी कैंची निकाल कर खुद पलंग के किनारे पर बैठ गया और मेरी झांटें काटने लगा.
उसके हाथ के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा होने लगा.

वह बोला- ये तो और भी अच्छा है, इससे लंड की शाफ़्ट के बाल भी आसानी से साफ़ हो जाएंगे!

वह एक मग में थोड़ा सा पानी लाया और ढेर सारी शेविंग क्रीम मेरी झांटों पर लगा कर ब्रश गीला करके झाग बनाने लगा.
फिर लौड़े को झाग से सान कर मुझे मजा दिया.

अब रेज़र से झांट साफ़ करने का समय आ गया तो वह मेरी झांटें साफ करने लगा.

वह मेरे लंड को पकड़ कर झांटों की सफाई कर रहा था तो लंड के मुँह से शीरा टपकने लगा था.

जब मेरे लौड़े के इर्द गिर्द के सारे बाल साफ़ हो गए तो बस लंड के बाल रह गए थे.

वह ब्रश को लंड की शाफ़्ट पर फेरने लगा.
फिर उसने एक हाथ से मेरे लंड का सुपारा पकड़ा और दूसरे हाथ से लंड के बाल साफ़ कर दिए.

उसके बाद उसके कहने पर मैंने अपने लंड को अपने पेट से सटा कर पकड़ लिया और वह मेरे आंड के बाल साफ़ करने लगा.

जब आगे के सब बाल साफ़ हो गए तो उसने एक हैंड टॉवल को पानी से भिगोया और लंड व लंड के पास सारा साबुन साफ कर दिया.
उसके बाद उसने उसी तौलिया से मेरे आंड पकड़ कर उन्हें भी एकदम साफ़ कर दिया.

सफाई के बाद उसने सब जगह पर कोल्ड क्रीम लगाई और क्रीम से मेरे लंड की मालिश करने लगा.

फिर उसने मुझसे घूमने को कहा.
अब मेरी गांड उसकी तरफ़ थी.

उसके कहने पर मैं कुर्सी पर हाथ टेक कर झुककर खड़ा हो गया और वह मेरी गांड के आस-पास के बाल साफ़ करने लगा.
मेरी पूरी गांड साफ़ करके कोल्ड क्रीम लगाई.
मैंने खुद को शीशे में देखा तो अब मेरा लंड ख़ूबसूरत लग रहा था.

रात के ग्यारह बजे का समय हो गया था.
वह बोला- चलो अब सो जाते हैं.

उसने कमरे की लाइट बंद कर दी और हम दोनों लेट गए.

पर मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैंने ऐसे करवट ली कि मेरी जांघ उसकी जांघ पर आ गई … और हाथ उसकी चूची पर चला गया.

मैंने उसके दूध से हाथ नहीं हटाया.
मुझे उससे चिपकना अच्छा लग रहा था.

फिर मैं धीरे से उसकी चूची की गांठ सहलाने लगा तो वह एकदम कड़क हो गई.

मैं उसकी चूची मसलने लगा.
मुझे यक़ीन था कि वह भी जाग रहा है.

पर कमरे में बिल्कुल अंधेरा था तो ज्यादा समझ नहीं आ रहा था.

तभी उसने मेरा हाथ अपनी चूची से हटाया और अपने लंड पर रखवा दिया.
उसके लंड और मेरे हाथ के बीच अभी साटिन की महीन चादर थी.

मैं साटिन की महीन चादर के ऊपर से ही उसका लंड सहलाने लगा.

कुछ ही देर में उसके लंड में हरकत शुरू हो गई थी और वह बड़ा होने लगा था.

एक मिनट में ही उसका लंड बिल्कुल तन कर लगभग आठ इंच का लोहलाट हो गया था.

अब गे बॉयज लव स्टोरी शुरू हो गई, मैं उसके लंड को मस्ती से मसलने लगा.

कुछ देर बाद उसने भी मेरा लंड पकड़ लिया और मसलने लगा.
मेरा लंड तो पहले ही तन गया था और तन कर सात इंच का हो गया था.

शायद वह अब खुल्लम-खुल्ला सेक्स करना चाहता था इसलिए वह बिस्तर से उतरा और लाइट ऑन कर दी.
मैंने झट से साटिन की चादर अपने ऊपर ओढ़ ली.
पर उसने मेरे ऊपर से चादर हटाई और खींच कर कुर्सी पर डाल दी.

अब वह बोला- जब मज़े लेने ही हैं तो खुल कर लो न!
वह अगले ही पल मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा.

हमारे लंड आपस में रगड़ रहे थे.

मेरे तो बदन में जैसे आग लग गई.
वह मेरी चूचियों को चूसता हुआ नीचे आया और मेरा लंड चूसने लगा.

फिर उसने मेरे आंड चूसे और मेरी टांगों को ऊपर करके मेरी गांड का छेद चाटने लगा.
उसकी खुरदुरी जीभ का अहसास पाते ही मेरी गांड आग उगलने लगी.

जब वह मेरी गांड के सुराख़ के घेरे पर अपने होंठों को सटा कर अपनी पूरी जीभ मेरी गांड में डाल कर मेरी गांड को चूस रहा था तो उस गजब आनन्द को लफ़्ज़ों में बयान कर पाना मुश्किल है.

मैं बस यह कह सकता हूँ कि मुझे जीवन में पहली बार इतना ज्यादा मज़ा आ रहा था.

दोस्तो, यह गे बॉयज लव स्टोरी अगले भाग में जारी रहेगी. आप अपने विचार जरूर बताएं.
धन्यवाद.
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