पड़ोसी की कामुक निगाह मेरी कमसिन गांड पर- 1

मैं गांडू लड़का बन गया. मैं दिल का बहुत अच्छा और मासूम लड़का था. पड़ोस का एक जवान लड़का मुझे घूरता था. एक बार वो मेरे जन्मदिन पर हमारे घर आया.

दोस्तो, मेरा नाम आफताब है … मैं अभी अभी उन्नीस साल का हुआ हूँ.
मैं जोधपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ, दिखने में मैं इतना गोरा लम्बा और सुन्दर हूँ कि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लूं.

मैं शुरू से ही लड़कियों के साथ खेला और पढ़ता रहता था, तो मेरा स्वभाव लड़कियों जैसा हो गया था.
मेरा उन्हीं की तरह बोलना चलना वगैरह सब लड़कियों जैसा हो गया था. मैं दिल का बहुत अच्छा और मासूम लड़का था, जिस वजह से लड़कियां मुझसे जल्दी दोस्ती कर लेती थीं.

मेरी पड़ोसियों से इतनी जान पहचान नहीं थी, तो मैं घर से कम ही बाहर जाता था.

एक दिन मैं किसी काम से बाहर पड़ोस की दुकान पर गया. तभी दुकान में मेरे पास खड़े एक नौजवान लड़के की निगाहें मुझ पर पड़ीं.
वो दिखने में सांवले से, लम्बे और पतले मर्द थे. उनकी उम्र करीब पच्चीस साल की रही होगी. वो मुझको ऐसे देख रहे थे, जैसे कि वो मुझको अभी ही कच्चा खा जाएंगे.

मैंने उनको नजरअंदाज़ कर दिया और अपना सामान दुकान से लेकर चला गया.

अगले दिन जब मैं फिर से उस दुकान पर गया, तो मैंने उनको फिर वहीं देखा. इस बार वो मुझको मस्ती भरी निगाहों से देख़ रहे थे.

मुझको कुछ अजीब सा लगा, परन्तु मैं था तो एक कमसिन ही, जिसने अभी अभी जवानी में कदम रखा था.
मैं अपनी इस उम्र में कुछ समझ नहीं पाता था कि ये सब क्या है क्योंकि मैं तब गांडू लड़का नहीं था.

जब वो मुझको ऐसे देख़ रहे थे … तो उस दिन मुझको कुछ अच्छा सा लगा. पहली बार मुझको किसी ने ऐसे देखा था. मैंने उनको एक मुस्कान दे दी और सामान लेकर अपने घर चला गया.

वो शायद मेरे इसी इशारे का इंतजार कर रहे थे, जो मैंने उनको अनजाने में दे दिया था.

अगले दिन जब मैं स्कूल से घर आया तो रास्ते मैं उन्हीं ने मेरा पीछा किया.

मैं उन्हें देख कर रुका और उनसे पूछा- आपको क्या चाहिए … आप मुझको पिछले कुछ दिनों से देख रहे हो.
वो बोले- मुझको तुम चाहिए.

मैं डर गया और अपने घर भाग गया. पूरे दिन मैं बस उन्हीं के बारे में सोचता रहा गया. मेरे मन में वो मेरे हमदम से लगने लगे थे.

फिर चार दिन बाद मेरा जन्मदिन था, तो अब्बू ने मेरे घर में एक पार्टी रखी थी.
इसमें सभी पड़ोसियों को बुलाया गया था. वो भी वहां आए थे. मैंने उनको नज़रअंदाज़ किया, तो वो मेरे पास आ गए.

वो मुझसे बोले- टॉयलेट किधर है … मुझको बता दो.
मेरे अब्बू ने भी उनकी बात सुन ली थी तो वो बोले- हां बेटा, आपको आफताब बता देगा.

फिर अब्बू मुझसे बोले कि इसको तुम ऊपर अपने रूम के टॉयलेट में ले जाओ … इधर नीचे अभी भीड़ है, तो दिक्कत होगी.

मैं अब्बू को मना नहीं कर पाया. वो मेरे रूम में आ गए.
उन्होंने मुझसे बातें की और बोले- मेरा नाम जुनैद है, मैं तुम्हारे घर के पास वाले घर में ही रहता हूँ.

ये सुनकर पहले तो मैं डर गया. फिर मैंने उनसे बातें की, तो मैं कुछ सहज हो गया. तभी बातों ही बातों में उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मेरे दिल में ना जाने एक हलचल सी हुई. पहले मैंने पहले झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया.
फिर मुझे लगा कि वो मेरे हाथ फिर से पकड़ेंगे.

वो समझ गए कि मैं राज़ी हूँ.
उन्होंने फ़ौरन से मेरी पतली सी कमर को अपने मर्दाना हाथों से जकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया.

मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज हो गई थीं कि खुद मुझको सुनाई देने लगी थीं.
मुझको लगा वो कुछ तो आगे फिर से करेंगे.

मेरा अंदाज सही था … उन्होंने मुझे एक किस की, वो भी मेरे गाल पर.
जुनैद मुझे चूम कर चले गए और जाते जाते वो मुझे अपना मोबाइल नम्बर लिख कर दे गए.

उस दिन मानो मुझको ऐसा लगा कि ना जाने किसने मेरे अन्दर आग लगा दी … और जुनैद भैया उसको बिना बुझाए चले गए.

मैंने रात भर उनके बारे में सोचा, फिर सुबह होते ही उनको मैंने कॉल किया.
उन्होंने बोला- आज मेरे घर में कोई नहीं है. तू इधर ही आजा.

मैंने हामी भर दी और नहा-धोकर रेडी हो गया.
उनसे मिलने की उमंग मेरे अन्दर न जाने कुछ मस्ती सी भर रही थी.
मैंने नए कपड़े पहने और उनके घर पहुंच गया.

उन्होंने मुझे अपने घर के अन्दर लिया और दरवाजा बंद कर दिया.

अन्दर आते ही उन्होंने मुझे अपने हाथों से पकड़ कर अपने पास खींच लिया. फिर वो ऊपर से नीचे तक मुझे सूंघने लगे.

उस दिन मैं बहुत ज्यादा सुन्दर लग रहा था. वह अपने मर्दाना हाथों से मुझे सहला रहे थे. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे मक्खन की तरह मसल कर खा जाना चाहते हों.

आज पहली बार मैं तड़पने लगा था. उन्होंने भी देरी नहीं और मुझे जोर से पकड़ कर बिस्तर की ओर धकेल दिया और मेरे ऊपर ऐसे चढ़ गए जैसे कोई कसाई अपने जानवर के ऊपर आ गया हो.

वो मेरे होंठों के पास अपने होंठ ले आए और मेरे मेरे मुँह के अन्दर अपनी जीभ से मेरे मुँह की चुसाई करने लगे. वो मेरी जीभ से कुश्ती करने लगे. फिर ऐसे करने लगे, मेरी मानो जीभ को हराने का प्रयत्न कर रहे हों.

जैसा वह चाहते थे, उन्होंने वैसा ही किया. मेरी जीभ को हरा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ अन्दर तक घुसा दी और मेरे मुँह के पानी को चूसना शुरू कर दिया.

मुझे बहुत अजीब सा लगने लगा. मैंने बहुत कोशिश की कि वो मुझे छोड़ दें, मगर ऐसा हो ना सका.
वो मेरे मुँह के पानी को ऐसे चूस रहे थे, जैसे उन्हें कोई मीठा शर्बत का झरना मिल गया हो.

करीब आधे घंटे तक उन्होंने मेरे मुँह को चूसना नहीं छोड़ा. मेरे मुँह का सारा पानी सूख गया था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे मुँह में जान ही नहीं रही हो.

कुछ देर बाद वह मेरे मुँह से हटे और रसोई में जाकर मेरे लिए नींबू पानी लेकर आए.
मैंने झट से नींबू पानी पी लिया क्योंकि मुझे बड़ी प्यास लग रही थी.

वो फिर से मेरे करीब आ गए. अब उन्हें अलग ही मस्ती सूझ रही थी. उन्होंने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया.

उसकी आंखें मेरी गुंदाज छाती को देखते हो चौंक सी गई थीं.
मैं इतना पतला और गोरा बदन वाला माशूक लौंडा उनके सामने खड़ा था.
उन्होंने मक्खन जैसा चिकना और रूई जैसा मुलायम लौंडा शायद आज तक नहीं देखा था.

वो सीधे मेरे बोबों की तरफ आए और अपने हाथों से सहलाने लगे. हालांकि वो थोड़े मायूस भी हुए क्योंकि उस वक्त मेरे बोबे बहुत ही छोटे थे. मुझे उनके साथ बड़ा मादक लग रहा था.

फिर उन्होंने मेरी जींस पैंट उतार दी, अब मैं पूरी तरह से उनके सामने नंगा था.
मुझको शर्म आने लगी क्योंकि मैं पहले कभी किसी के सामने ऐसे नंगा नहीं हुआ था.

वह मानो बस मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि चील अपने शिकार को देखती है.
उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों में लिया और मसलने लगे.

आज तक किसी ने भी मेरा लंड नहीं पकड़ा था. मेरे अन्दर अचानक से फुर्ती आ गई और एकदम से मेरा लंड खड़ा हो गया.

मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था. मैं पूरी मस्ती भरे मूड में आ गया था.

उन्होंने भी शायद आज तक कभी मेरे जैसा लंड नहीं देखा था. इतना गोरा छोटा मुलायम हाथ लगाते ही फिसलने वाला लंड हाथ में लेकर उन्हें भी मजा आने लगा था.

फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड की तरफ बढ़ाया तो उनके मुँह से आवाज निकल गई- हाय कितनी चिकनी गांड है … मैंने ऐसी गांड आज तक नहीं देखी. तेरी गांड तो ऐसी है … जैसे कोई गुलाब की कली की पंखुड़ी हो.

मैं शर्मा गया.

उन्होंने दोनों हाथों से मेरी गांड को जोर से दबाया, मेरी भी गांड पानी के गुब्बारों की तरह उछलने लगी … क्योंकि मेरी गांड बहुत ही नर्म मुलायम थी.

उनकी नजर मेरी गांड के छेद पर पड़ गई, जो बहुत ही छोटा और टाइट था.
वो मुझसे बोले- यार, तेरे जैसा माल मुझको जिंदगी में ना कभी मिला है … और ना कभी मिलेगा.

ये कह कर उन्होंने मेरे पतली सी कमर में अपने हाथ को डाल दिया और खुद की गोद में खींच कर मुझको बैठा लिया.

उनकी शर्ट् से निकलते छाती के काले बाल और उसकी खुश्बू मुझको नशा सी चढ़ाने लगी.
अचानक से मेरी गांड पर कुछ मोटा सा गर्म सा महसूस हो रहा था क्योंकि मैं उनकी गोद मैं था.

उनकी पैंट से मुझे एक मोटी सी चीज का अहसास हुआ. मैंने उनसे पूछा- जुनैद भैया … ये क्या है?
जुनैद भैया ने कहा- ये तेरा मालिक है और आज से तू इसका गुलाम!

मैं बोला- मालिक!
जुनैद बोले- हां मालिक … चल तुझको तेरे मालिक के दर्शन करा देता हूँ.

उन्होंने अपनी टी-शर्ट और पैंट उतार दी.
वो पूरे नंगे हो गए.

इतना मोटा और लंबा लंड देखकर मुँह फटा का फटा रह गया. उनका लंड काफी लम्बा और मोटा था.
उस लंड में से आती हुई एक अजीब सी महक मुझे और मदहोश करे जा रही थी.

मैंने हैरानी से कहा- इतना लंबा!
“हां यही आज से तेरा मालिक है … और तुझे इसी की खिदमत करनी है.”

फिर वह मेरे मुँह को सहलाने लगे और मुझे उनके लंड महक की और ज्यादा आकर्षित करने लगी.

फिर वो बोले- तुझे अपने मालिक को खुश करने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. तू अभी बहुत ही कमसिन और कच्ची कली है … मुझे तुझको प्यार करने में करीब एक सप्ताह लग जाएगा. इसलिए तेरी ट्रेनिंग आज से शुरू करता हूं.

मैंने पूछा- ट्रेनिंग … कैसी ट्रेनिंग!
उन्होंने कहा- तेरा मालिक बहुत ही बड़ा और लंबा है … और तेरा छेद बहुत ही छोटा अब मुलायम है. मैं नहीं चाहता कि तुझे थोड़ी भी तकलीफ हो.

मैं चुप हो गया.

फिर उन्होंने अपनी छोटी उंगली वैसलीन की डिब्बी से भरी और मेरी मुलायम गांड की ओर ले गए.

मैंने पूछा- यह क्या कर रहे हो आप?
वो बोले- तेरे मालिक की खिदमत की तैयारी की तैयारी.

उन्होंने धीरे-धीरे वैसलीन से सनी उंगली मेरी गांड की तरफ से छेद में फेरना शुरू कर दी.
फिर उन्होंने धीरे से वो उंगली मेरी गांड के छेद में पेल दी.

ये उंगली छोटी थी तो मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ.
फिर भी पहली बार किसी ने अपनी उंगली मेरी गांड में पेली थी तो मैं कुछ ज्यादा ही डर गया था.

मुझे हल्का सा दर्द भी हुआ. मैं चिल्लाया भी … मगर उन्होंने अपना दूसरा हाथ मेरे मुँह के अन्दर डाल दिया.
मैं कुछ नहीं कर पाया.

अब उनकी उंगली मेरी गांड के अन्दर हिल रही थी. मुझको समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

कुछ समय बाद मुझे अच्छा लगने लगा था. मुझे दर्द के साथ मजा भी आ रहा था.

वह अपनी उंगली से मेरे छेद को बड़ा कर रहे थे और साथ ही साथ अन्दर बाहर करते जा रहे थे. बिल्कुल ऐसे, जैसे कि वह किसी चीज की खुदाई कर रहे हों.

अब उनकी ये उंगली बड़ी तेजी से मेरी गांड के अन्दर और बाहर हो रही थी.

उनका एक हाथ बदस्तूर मेरे मुँह में था. फिर भी मेरे मुँह से आह की आवाज आ रही थी.

काफी देर तक उन्होंने मेरी गांड में उंगली की, फिर वो रुके और मुझे सीधा कर दिया.
अब वो मेरे बोबों की तरफ अपना मुँह लेकर आ गए और बेरहमी से मेरे बोबों को चूसने लगे. मेरे एक बोबे को वो अपने एक हाथ से जोर से दबाने लगे.

यह सिलसिला भी काफी देर चला. मेरे सीने में बहुत तेज दर्द होने लगा था. मैं जैसे तैसे करके बर्दाश्त कर रहा था.

इतने समय में उन्होंने मेरे साथ बहुत कुछ कर लिया था.

फिर वो रुके और अपने कपड़े पहनते हुए बोले- आज की ट्रेनिंग बस इतनी ही थी. तुझे तेरे मालिक यानि मेरे लंड को पाने के लिए अभी और मेहनत करनी पड़ेगी. चल … कल शाम को 4:00 बजे तू फिर से आ जाना. हम अपनी ट्रेनिंग का आगे वाला भाग शुरू करेंगे.

मैं कपड़े पहन कर घर आ गया.

रात को मुझे मेरी गांड में बहुत तेज दर्द होने लगा. मेरा सीना भी बहुत दुख रहा था और साथ ही मेरे गांड में भी एक अजीब सा दर्द स्टार्ट हो चुका था.

मैं सुबह तक पूरी तरह से थक चुका था. इस चक्कर में मैं अपने स्कूल भी नहीं जा पाया.

शाम को 4:00 बजे उनका फोन आया तो मैंने उनका फोन नहीं उठाया और ना ही मैं उनके घर गया.

शाम को 5:00 बजे वह मेरे घर आ गए और मेरे अब्बू से कुछ बातें करने लगे.
मैं तो डर ही गया और कमरे में जाकर जल्दी से मैंने उन्हें मैसेज किया कि मैं 5:30 बजे तक आपके घर आ जाऊंगा.

मुझे भय था कि कहीं वह मेरे अब्बू से कुछ बोल ना देते.

ठीक साढ़े पांच बजे मैं उनके घर पहुंच गया तो उन्होंने मुझे अपने घर के अन्दर खींचते हुए अपना दरवाजा बंद कर दिया.

वो मुझसे बोले- मेरी जान तू मुझसे डर क्यों रहा है … अगर तूने मेरे आदेश का पालन नहीं किया तो ये तेरे लिए अच्छा नहीं रहेगा.
मैं डरते हुए बोला- जी ठीक है सरदार … मैं आज आपकी सेवा में हाजिर हूँ.

मैं मजबूर भी था, मेरा दिल भी उनके जवान लंड पर मर चुका था.

उन्होंने भी आव देखा ना ताव … फटाक से मुझे नंगा करके अपने बिस्तर में लेटा दिया. वो खुद भी नंगे हो गए और कल की तरह मेरे होंठों को चूसने में लग गए.

वो मेरे मुँह का सारा पानी चूसने लगे.
आज तो वो ऐसे चूस रहे थे मानो वह काफी दिनों से प्यासे हों.
मेरा मुँह चूसने के साथ साथ वो अपने दोनों हाथों से मेरे बोबों को जोर-जोर से दबाने लगे थे.

आज वो मेरे बोबों पर लिक्विड चॉकलेट टपका कर मजे से चूस रहे थे.
बहुत देर तक उन्होंने मेरे बोबों को दबाया, फिर मुझको जोर से पलट दिया.

आज उन्होंने मेरी गांड में एक नहीं बल्कि दो उंगलियों को घुसेड़ा था. उन्होंने अपनी दो उंगलियों में वैसलीन लगाकर जोर से मेरी गांड के अन्दर घुसा दिया.
मुझे एकदम से इतना जोर से दर्द हुआ, जैसे मेरे अन्दर किसी ने चाकू घुसा दिया हो.

जुनैद भाई की इस हरकत से मैं घबरा गया था लेकिन अब भी मेरे मन में कहीं न कहीं उनका साथ पसंद आ रहा था.

उन्होंने किस तरह से मेरी गांड फाड़ी, इसका खुलासा मैं गांडू लड़का इस गे सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
आप प्लीज़ मुझे मेल करना न भूलें.
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गांडू लड़का कहानी का अगला भाग: पड़ोसी की कामुक निगाह मेरी कमसिन गांड पर- 2