पूरे विभाग की रंडी बन गया- 1

गांड फाड़ चुदाई स्टोरी में मुझे कबड्डी खेलते हुए लड़के मुझे पकड़ते थे. उस वक्त मुझे बड़ा अच्छा लगता था. मैं अपने दोस्त के साथ सेक्स की बातें करता और उसकी मुठ मारता था.

दोस्तो, यह गे सेक्स कहानी मुझे मेरे एक पाठक राहुल ने भेजी है, वह किस राज्य में नौकरी करता है उसने मुझे यह सब नहीं बताया है.

आप राहुल की गांड फाड़ चुदाई स्टोरी को उसी की जुबानी सुनें और आनन्द लें.

फ्रेंड्स, मैं राहुल हूँ. बीस साल की उम्र में बीए पास करने के बाद मैं नौकरी ढूंढ़ने लगा था.

मेरे पिताजी सरकारी नौकरी करते हैं, उनके प्रोत्साहन से मैंने राज्य की सरकारी नौकरी की परीक्षा दी.
मुझे क्लर्क की नौकरी मिल गयी.

हमारे विभाग के काफी लोगों को शहर से दूर जहां सरकारी कंस्ट्रक्शन का काम चलता था, उधर जाकर रहना पड़ता था.
हमारे विभाग का काम यह देखना था कि ठेकेदार काम ठीक से कर रहा है या नहीं.

मुझे भी साइट पर भेज दिया गया.
साइट पर हमारे लिए 6 अस्थायी कमरे बने थे.
हम 5 कर्मचारी वहां रहते थे.

तीन इंजीनियर थे, वे 3 मकानों में अकेले रहते थे, मैं और एक सीनियर क्लर्क विशाल … एक मकान में रहते थे और एक मकान में ऑफिस था.
एक अन्य मकान में हम सब मिल-जुल कर खाना बनाते खाते थे.

अब मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ.
मेरी ऊंचाई 5 फुट 6 इंच है, रंग गेहुंआ है, भरा हुआ शरीर है.

मैं स्कूल कॉलेज के दिनों कबड्डी खेलता था तो जब लड़के मुझे पकड़ते थे.
उस वक्त मुझे बड़ा अच्छा लगता था.

लड़कों के हाथ मेरे शरीर को पकड़ कर जकड़ते थे तो मैं खुद को उनकी पकड़ से छुड़ाने का प्रयास कुछ इस तरह से करता था कि उन सभी के हाथ मेरे जिस्म पर खूब रगड़ रगड़ कर चलें.

मैं छोटे शहर में रहता था.
अपने दोस्त के साथ साइकिल पर कॉलेज जाता, कॉलेज के रास्ते में जंगल था.

हम जंगल के सूखे नाले में बैठकर सेक्स की बातें करते, वहां हमें कोई नहीं देख सकता था.

सूनेपन का फायदा उठा कर हम दोनों एक साथ सट कर बैठते और सेक्स की बातें करते हुए एक दूसरे का लंड पकड़ कर मुठ मारते.
मेरे दोस्त ने बताया कि उसका एक अन्य दोस्त लंड पर तेल लगाकर एक लड़के की गांड मारता है, जिससे दोनों को मजा आता है.

मैं उसके मुँह से गांड मरवाने की बात सुनकर अन्दर ही अन्दर बहुत गर्म होने लगा था.
उधर मेरा दोस्त भी मुझे गांड मरवाने के लिए पटाने लगा.

मैंने उसकी बात को मूक सहमति दे दी.
वह मुझे चूमने लगा.

हालांकि गांड मरवाने तक बात नहीं पहुंची, लेकिन हम दोनों अब एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही खुलने लगे थे.

एक बार दोस्त ने मेरी कमीज़ के अन्दर हाथ डाल दिए और वह मेरे पुरुष चूचे दबाने लगा.
मैं आनन्द से सिसकारी लेने लगा.

दोस्त ने मेरी कमीज़ उतार दी और वह मेरा एक चूचा चूसने लगा व दूसरा दबा रहा था.
उसकी इस गर्म हरकत से मेरी गांड में कुलबुली होने लगी.

उसने धीरे से कहा कि गांड में लंड लेगा?
उस दिन मैं उससे अपनी गांड मरवाने को राजी हो गया.

पर उस दिन हमारे पास तेल नहीं था तो हम दोनों में तय हुआ कि एनाल सेक्स कल करेंगे.

दूसरे दिन जंगल में हम दोनों पहुंचे तो दोस्त ने मेरी शर्ट उतार दी और मेरे चूचे दबाने चूसने लगा.
कुछ देर के बाद उसने मेरी पैंट व चड्डी दोनों उतार दिए. वह भी अपनी पैंट भी उतार कर नंगा हो गया.
मैं उसका लंड देखने लगा.

उसने मुझे पेड़ को पकड़ कर पैर फैलाकर व झुककर खड़ा होने को कहा.
मैं कुतिया के जैसे बन गया.

उसने अपने 5 इंच लम्बे, डेढ़ इंच मोटे लंड पर तेल लगाया और मुझसे बोला कि पहले थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना … बाद में बहुत मजा आएगा.
मैंने ओके कह दिया.

मेरा दोस्त धीरे धीरे करके अपना तेल से चिकना लंड मेरी गांड में डालने लगा.
मुझे दर्द हो रहा था, मैं उससे रुकने को कह रहा था.

दोस्त नहीं रुका, वह मेरी कमर पकड़ कर धीरे मेरी गांड मारने लगा.
अपने हर झटके के साथ वह अपना लंड थोड़ा और अन्दर डालता जा रहा था.

कुछ देर में मेरा दर्द कम हुआ तो मुझे मजा आने लगा.
कुछ देर में चोदने की रफ्तार बढ़ गई.

दोस्त ने कुछ ही देर में चरम पर पहुंच कर आह आह की और मेरी गांड अपने वीर्य से भर दी.
करीब एक महीने उस दोस्त ने मेरी गांड मारी.

एक बार हमारे एक अन्य दोस्त ने भी देख लिया था कि हम दोनों जंगल में जाते हैं.

वह हमारे पीछे आ गया.
जब दोस्त मेरी गांड मार रहा था तो उसी वक्त दूसरा दोस्त सामने आ गया.

उसने कहा- मुझे भी गांड मारने दो, नहीं तो सभी को कह दूँगा.
मैं राजी हो गया क्योंकि मुझे भी अब दूसरे लंड का स्वाद चाहिए था.

उस दिन उस दूसरे दोस्त ने भी मेरी गांड मारी.

उसका लंड थोड़ा ज्यादा लम्बा मोटा था, मेरी गांड को उसके लौड़े से चुदने में और ज्यादा मजा आया.

अब मैं समझ गया था कि बड़ा और मोटा लंड ज्यादा मजा देता है.

अगले दिन से उन दोनों दोस्तों ने मुझे नंगा कर दिया और दोनों मेरे एक एक चूचे पर कब्ज़ा करके मुझे मस्त करने लगे.
वे दोनों चूचे दबाते चूसते, तो मुझे जन्नत जैसा सुख मिलने लगता.

मुझे एक साथ दो दोस्तों का प्यार पाकर अच्छा लगा. मैं उत्तेजना में सिसकारी लेता हुआ उनके साथ खेलता रहा.
फिर दोनों ने बारी बारी से मेरी गांड मारी.

अब चूंकि गांड में लंड लेने का कार्यक्रम रोज होने लगा था तो हम लोगों ने तेल की बड़ी शीशी, एक दरी आदि चुदाई का अन्य सामान अपने घर से लाकर उधर के ही एक पेड़ में छुपा दिए.

मुझे दरी पर पेट के बल लिटाकर वे दोनों बारी बारी से मेरी गांड मारते.
मैं उनके लंड की सवारी भी करता, पर हम लोगों को अब तक यह नहीं मालूम था कि लंड भी चूसा जाता है.

इस तरह हमारा यौन संबंध दो साल चला.
मैं भरे शरीर का था, दुबले लड़कों की तुलना में मेरे चूचे थोड़े बड़े थे.

दोस्तों के हाथों से मेरे चूचे दबाने व चूसने से और बड़े हो गए थे.
अब तो मेरे दोस्त यह कहने लगे थे कि तेरे चूचे किसी लड़की से कम नहीं हैं.

कॉलेज के बाद मैं नौकरी की परीक्षा की पढ़ाई में व्यस्त हो गया.

छह महीने बाद मुझे नौकरी मिली, तब तक मेरे वे दोनों दोस्त कहीं चले गए.
कभी कभी मैं दोस्तों को याद करके अपने चूचे दबाता और मुठ मारकर सो जाता.

अब मुझे नौकरी मिल गयी थी और मैं घर से दूर एक वीरान जगह में रह रहा था.
ऑफिस में काम ज्यादा नहीं था.

मेरी गांड में खुजली होने लगी.
जिसने गांड मरवाने का आनन्द लिया हो, वही इस खुजली को समझ सकता है.

मेरे आस-पास 3 इंजीनियर और एक सीनियर क्लर्क विशाल रहते थे.
विशाल और मैं एक कमरे में रहते थे.

मैं सोचता था कि मेरे इतने करीब 4 मर्द लंड लटका कर घूम रहे हैं, क्या मेरे नसीब में एक भी लंड नहीं है.
मैंने विशाल को पटाने की सोची.

विशाल की शादी एक साल पहले हुई थी, वह अपनी पत्नी को रोज याद करते उससे फ़ोन पर बात करता था.
उसने मुझे अपनी पत्नी की कई फोटो दिखाईं.

एक फोटो में उसकी पत्नी टी-शर्ट पैंट पहनी थी, उनके चूचे छोटे थे … मेरे चूचों के साइज के.
इससे मुझे विशाल को पटाने का उपाय मिल गया.

फिर मैंने इंटरनेट पर बाल साफ़ करने के बारे में पढ़ा, हम लोग सामान लाने जीप से शहर जाते थे.
मैं उधर से वीट क्रीम ले आया, अपने चूचे और कूल्हे के बाल वीट से साफ़ कर लिए.

मैं दाढ़ी मूछ की शेविंग रोजाना करता हूँ, उस दिन मैंने कांखों के बाल और झांट के बाल भी साफ कर लिए.

शाम को जब विशाल कमरे में था, उस वक्त मैं नहाने चला गया.
नहाने के बाद मैं बाथरूम से सिर्फ तौलिया कमर में लपेटकर निकला.

विशाल मेरे चूचों को देखकर बोला- अरे यार राहुल, तुम्हारे चूचे तो लड़कियों की तरह है, मेरी पत्नी के चूचों जैसे!

मैंने शर्माने का अभिनय करते हुए अपने चूचे हाथ से ढक लिए.
मैंने घूमकर अपनी पीठ विशाल की तरफ कर ली और झुककर पजामा पहनने लगा.

मैंने कमर में लपेटा तौलिया जानबूझ कर गिरा दिया.

मैंने कनखियों से देखा कि विशाल मेरे गोल सुडौल बाल रहित कूल्हों को देखकर अपना लंड सहलाने लगा था.
मैं खुश हो गया कि विशाल उत्तेजित होने लगा था.

मैंने कपड़े पहने और हम दोनों खाना बनाने के लिए उस रसोई वाले मकान में आ गए.
उधर हम पांचों आ गए थे और सभी ने मिल-जुल कर खाना बनाया व खाया.

फिर हम सब कमरे में लौट आए.

विशाल- राहुल, तुम्हारे चूचों को देखकर मुझे अपनी पत्नी याद आ गयी, क्या तुम मुझे अपने चूचे चूसने दबाने दबाने दोगे प्लीज?

मैं- विशाल सर, मुझे आपकी पत्नी के लिए तड़फ समझ में आती है, मैं राजी हूँ!

विशाल ने तुरंत मेरा कुर्ता उतार दिया, मेरे एक चूचे को दबाने दूसरे को चूसने लगा.
मैं कामुक सिसकारी लेने लगा.

मैंने बिना चड्डी के सिर्फ पजामा पहना था.
विशाल ने मेरे पजामे में हाथ डाल दिया और वह मेरे कूल्हे सहलाने दबाने लगा.

उसी वक्त मैंने पजामा का नाड़ा ढीला किया तो पजामा नीचे गिर गया.
विशाल मुझे नंगा देख कर झट से अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया.

वह मुझे बिस्तर पर लिटाकर बोला- अब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा!
यह सुनकर मैं मन ही मन खुश हो रहा था.

तब भी मैंने ड्रामा किया- मैंने सुना है गांड मरवाने में दर्द होता है!
विशाल- मैं आराम से करूँगा, पहले थोड़ा दर्द होता है. मेरी पत्नी को भी हुआ था. फिर बहुत मजा आता है.

यह कह कर विशाल ने अपने लंड पर तेल लगाया, मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने पैर छाती की तरफ करके पकड़ने को कहा.

मैंने वैसा ही किया.
उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाकर कहा- इसे मिसनरी आसन कहते हैं, इस आसन में चुदाई के समय हम दोनों एक दूसरे को देख सकते हैं और बात भी कर सकते हैं. अब तुम अपनी गांड को ढीली छोड़ो!

विशाल ने उंगली से मेरी गांड में तेल लगाया, फिर गांड में लंड डालने लगे.

मैंने 6 महीने से गांड नहीं मरवाई थी इसलिए मेरी गांड टाइट हो गयी थी.
विशाल का लंड 5 इंच लम्बा डेढ़ इंच मोटा था.
मुझे थोड़ा दर्द हुआ, मैं आ आ कर रहा था.

विशाल ने कहा- बस थोड़ा सह लो!
यह कहकर उसने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया.

मैं आह करके चीख उठा.
वह रूककर मेरे चूचे दबाने लगा.

कुछ देर में मेरा दर्द कम हुआ, तो मैंने विशाल को बताया.
विशाल मेरी गांड मारने लगा … मुझे मजा आने लगा.

मैं बोला- सर मजा आ रहा है!
विशाल बोला- हां मैं कहा था न!

काफी देर चोदने के बाद विशाल ने गति बढ़ा दी और जब झड़ा तो उसने मेरे प्यार के छेद में अपने लौड़े से निकला सारा वीर्य भर दिया.

विशाल सर ने कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारने में पत्नी की गांड मारने जैसा मजा आया … धन्यवाद!

इधर मुझे भी अपनी गांड मरवाने में इतना मजा आया कि मैं अपना लंड बिना छुए ही झड़ गया.
हम दोनों बाथरूम गए. मैंने गांड लंड धोया.

विशाल अपना लंड साबुन से धोते हुए बोला- गांड मारने के बाद मैं अपना लंड साबुन से धोता हूँ, गांड के कीटाणुओं से लंड में इन्फेक्शन हो सकता है.

विशाल की एक बार और सम्भोग की इच्छा थी.
मैंने कहा- आज दुःख रहा है, कल कर लेना.

हम दोनों चिपक कर सो गए.
उसके मर्दाना बदन की खुशबू से मुझे उस दिन बेहद मस्त नींद आई.

दूसरी रात हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे के होंठ चूम रहे थे.
विशाल मेरे चूचे दबा रहा था.

उसने मुझसे लंड चूसने के लिए कहा, मैं मना कर रहा था.

विशाल- जिस लंड ने तुम्हें कल इतना मजा दिया, उसे चूमकर चाटकर तो देखो!
मैं चुप हो गया … उसने मेरी रजा समझ ली.

विशाल चित लेट गया.

मैंने विशाल का लंड चूमा, उसके टोपे को चाटा.
मुझे अच्छा लगा, मैं थोड़ा लंड मुँह में लेकर चूसने लगा, मुझे और अच्छा लगा.

मैंने लंड और अन्दर लिया और चूसने लगा.
उसका लंड खड़ा होकर झटके लेने लगा.
विशाल कमर हिलाकर मेरा मुँह चोदते हुए सिसकारी ले रहा था.

कुछ देर बाद उसने मुझे रोका.

फिर उसने मुझे घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा किया और चुदाई की तैयारी करने लगा.

विशाल ने लंड पर तेल लगाया, फर्श पर खड़े होकर मेरी गांड में लंड डाला और मेरी कमर पकड़ कर मुझे चोदने लगा.

वह मेरी गांड चोदते समय मेरे कूल्हों पर हल्के हल्के चांटे भी मारने लगा था.
इससे मुझे मजा आ रहा था तो मैं कमर हिलाकर लंड और अन्दर लेने लगा.

करीब दस मिनट बाद हम दोनों करीब करीब एक साथ ही झड़ गए.

तीसरी रात फोरप्ले के बाद विशाल खड़ा हो गया और उसने मुझसे घुटनों के बल बैठकर लंड चूसने कहा.
मैं लंड चूसने लगा.

विशाल ने मेरा सर पकड़ा और लंड गले तक डालकर मुँह चोदने लगा.
जब लंड गले तक जाने से मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो मैं लंड मुँह से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा.

यह देख कर विशाल ने लंड थोड़ा पीछे ले लिया, मैं सांस लेने लगा.
विशाल फिर से लंड गले तक पेल कर मुँह चोदने लगा.
ऐसा उसने कई बार किया.

मैं लंड चूसने की कला सीख गया.

विशाल का लंड फूलने लगा, उसने लंड गले तक डालकर मेरा सर कसकर पकड़ा और लंड से वीर्य की पिचकारी निकाल दी.

वह पिचकारी तेज गति से निकली और मेरे गले से अन्दर चली गयी.

विशाल के कहने पर मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया, उसमें लगा वीर्य का स्वाद मुझे अच्छा लगा.

चुस जाने के बाद विशाल का लंड सिकुड़ गया था.

मेरी गांड की खुजली मिटी नहीं थी तो मैं बाथरूम से मुँह धोकर आ गया.
विशाल लुंगी लपेटे चित लेट गया था.

मैंने विशाल में पास लेटकर कहा- वीर्य का स्वाद अच्छा था.
विशाल ने मेरे बालों पर हाथ फेरकर कहा- तुमने बहुत अच्छे से लंड चूसा, मजा आ गया. पत्नी की कमी पूरी कर दी, तुम मेरी दूसरी पत्नी हो.

विशाल बता रहा था- हम दोनों की शादी एक साल पहले हुई थी. मेरी पत्नी का स्वभाव मधुर है. हम दोनों खूब यौन आनन्द ले रहे थे. एक महीने पहले मेरी बदली इस साइट पर हो गई तो पत्नी से बिछोह हो गया.

जब विशाल यह सब बता रहा था, उस वक्त मैं उसकी लुंगी में हाथ डालकर उसका लंड सहला रहा था.

विशाल- क्या बात है … मस्त लंड सहला रहे हो!
मैं- आपकी दूसरी पत्नी की यौन इच्छा पूरी नहीं हुई.

विशाल- तो लंड चूसकर खड़ा करो, अभी इच्छा पूरी कर देता हूँ.

मैंने तुरंत विशाल की लुंगी खोल दी और उसका लंड चूसने लगा.
जल्दी ही विशाल का लंड खड़ा हो गया.

मैंने लंड पर तेल लगाया और विशाल के ऊपर आ गया.
मैंने खुद अपने हाथ से उसका लंड अपनी गांड में डाला और उछल उछल कर लंड की सवारी करने लगा.

मैं थोड़ी देर लंड पर उछलता, फिर रूककर झुककर अपने चूचे विशाल में मुँह के पास ले जाता.
विशाल मेरे एक चूचे को चूसता … दूसरे को दबाता और मुझे चूम लेता.

मैं फिर से सीधा होकर लंड पर उछलने लगता.
मैंने ऐसा कई बार किया.

मैं थक गया.

मैं लंड से उतर गया और पेट के बल लेटकर अपने कूल्हे हाथ से पकड़ कर छेद से दूर कर दिए.
विशाल मेरे ऊपर आकर मेरी गांड फाड़ चुदाई करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया.
विशाल मुख मैथुन से थोड़ी देर पहले ही झड़ा था तो वह अभी झड़ने वाला नहीं था.

विशाल ने मेरी गांड आधा घंटा तक रुक रुक खूब कर मारी.

मैं और विशाल एक हफ्ते से यौन आनन्द ले रहे थे.
उस रात हमारे कमरे की खिड़की खुली थी, खड़की पर जाली लगी थी, ताकि कीड़े अन्दर नहीं आएं.
बाहर अँधेरा था.

मैं विशाल के लंड की सवारी कर रहा था, मेरा मुँह खिड़की की तरफ था.
मुझे लगा कोई बाहर खड़ा हमें देख रहा है.

मैं लौड़े से उतर कर खिड़की के पास गया, कोई नहीं दिखा.
मैं फिर से लंड की सवारी करने लगा.

उस दिन मुझे शक हो गया था कि पक्का कोई तो मुझे गांड चुदवाते देख रहा था.

वह कौन था, उसकी डिटेल सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आपको मेरी यह गांड फाड़ चुदाई स्टोरी कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर लिखें.
[email protected]

मेल भेजते समय कहानी का नाम लिखें, मैंने अनेक कहानियां लिखी हैं.
आपका रतन दत्त

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