क्रॉस ड्रेस Xxx गांड स्टोरी में मेरा शरीर लड़कियों जैसा स्लिम, रंग गोरा है. मेरे सीने के उभार भी मुझे लड़की जैसा लुक देते हैं. मैं अपने पड़ोसी लड़के को गर्म करके चुद गया.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम ऋतिक है और आज मैं आपको अपने साथ घटी एक सच्ची गे सेक्स की घटना सुनाने जा रहा हूँ.
इस कहानी के दो मुख्य किरदार हैं – मैं और मोहन.
जब मैं पहली बार गाँव से इंदौर पढ़ाई के लिए आया, उसी दिन मेरी मुलाकात मोहन से हुई.
क्रॉस ड्रेस Xxx गांड स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ.
मेरी उम्र 21 साल है, मैं दिखने में थोड़ा चिकना हूँ.
मेरा शरीर लड़कियों के जैसा स्लिम है और रंग गोरा है. मेरे सीने के उभार भी मुझे मनमोहक लड़की जैसा लुक देते हैं.
मोहन 22 साल का है, उसका शरीर थोड़ा सुडौल और आकर्षक है.
जिसकी वजह से मेरा ध्यान उसकी ओर खिंचता चला गया.
इंदौर आने के बाद मैंने एक पी जी में रूम ले लिया और रहने लगा.
मेरे सामने वाले कमरे में मोहन रहता था.
जब मैं पहली बार आया तो उसने मुझसे बात की.
‘हैलो, तुम इधर कब से रह रहे हो?
मैंने कहा- हैलो, मैं इधर अभी नया आया हूँ, आप प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर देना.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है.
फिर रात को वह मेरे कमरे में आया और खाने के बारे में पूछा.
मैंने कहा- मुझे नहीं पता कि खाना कहां खाऊं!
उसने जवाब दिया- मैं एक मैस में जाता हूँ, मेरे साथ चलो.
बस, ऐसे ही हमारी बातें शुरू हुईं और धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए.
एक दिन उसने मुझसे कहा- मैं कभी-कभी महीने में एक बार शराब पीता हूँ, तू पीता है क्या?
मैंने कहा- नहीं, पर मुझे पीनी है.
मोहन बोला- ठीक है, मैं कल लेकर आऊंगा.
अगले दिन रात को वह शराब की बोतल लेकर आया.
हम दोनों ने खुल कर पी, खूब मस्ती की और उसके बाद खाना खाया.
मोहन ने कहा- आज रात यहीं मेरे कमरे में सो जा!
मैं भी मदहोश था तो मैंने हामी भर दी.
हम दोनों एक ही बेड पर सो गए.
वैसे आपको बता दूँ कि मैं पहले भी अपनी गांड चुदवा चुका हूँ.
शराब के न/शे में मुझे उसके साथ चिपकना अच्छा लग रहा था.
उस वक्त उसका लंड मेरी गांड को टच करने लगा था, तो मुझे भी उसके लौड़े को अपनी गांड में लेने का मन करने लगा था.
मैं भी न/शे में उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ने लगा.
वह भी शायद मस्त हो रहा था तो वह मेरे सीने पर हाथ रख कर मेरे दूध सहलाने लगा और धीरे-धीरे उसका लंड खड़ा हो गया.
अब उसके कड़क लौड़े से मुझे मजा आने लगा.
तभी उसने मेरी कमर पर हाथ रख दिया और अपने लंड को मेरी गांड की दरार में घुसेड़ने की कोशिश करने लगा.
मैं उसकी इस क्रिया से सहम गया और चुपचाप सोने का नाटक करने लगा.
मोहन ने मेरे एक निप्पल को मींजा और कहा- रुक क्यों गया? और कर ना, मैं तो कितने दिनों से इसका इंतजार कर रहा था!
यह सुनते ही मैंने उसकी तरफ मुँह किया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
वह भी मेरे जुनून में शामिल हो गया.
मोहन बोला- यार ऋतिक, पहले दिन ही तेरी गुलगुली गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैंने कहा- तो पहले बता क्यों नहीं दिया?
वह बोला- डर लगता था कि कहीं किसी को पता न चल जाए कि मुझे तू पसंद है.
मैंने हंसते हुए कहा- मैं तो किसी को नहीं बताता!
उसने मेरी बात को नजरअंदाज किया और फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा.
धीरे-धीरे उसका हाथ मेरे शरीर पर फिसलने लगा.
फिर उसने मुझे बेड पर बैठने को कहा.
मैं उठकर बैठ गया.
कमरे में अंधेरा था, कुछ दिख नहीं रहा था.
वह खड़ा हुआ और उसने अपनी पैंट व अंडरवियर को एक साथ उतार दिया.
नीचे से नंगा हुआ तो उसका कड़क लंड मुझे न/शा देने लगा.
उसने अपना लंड मेरे मुँह के सामने ला दिया.
लंड की मादक खुशबू ने मुझे बेकाबू कर दिया.
मैंने फटाक से उसे मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
मोहन कामुक सिसकारियां लेने लगा- आह … कितना मस्त चूसता है तू … ओह … ऐसा लग रहा है कोई रंडी चूस रही हो!
मैंने लंड मुँह से निकाला और बोला- तो मुझे ही बना ले न अपनी रांड!
वह हंसा- अच्छा, मेरी रांड बनेगा?
मैंने कहा- हां!
अब मोहन ने लंड मेरे मुँह से निकाला और लाइट ऑन कर दी.
जैसे ही उसका लंड मेरी नजरों के सामने आया, तो उसके लौड़े पर चमकती मेरी लार, उभरी हुई नसें देखकर मुझे मदहोशी छा गई.
वह बोला- बेड पर उल्टा लेट जा और पैर नीचे कर!
मैंने वैसा ही किया.
उसने मेरा पैंट और अंडरवियर उतार दिया, फिर नीचे बैठकर मेरी गांड को दोनों हाथों से चौड़ा किया और छेद को सूँघने लगा.
उसने अपनी जीभ निकाली और मेरी गांड चाटने लगा.
पहली बार गांड चटवाने का वह अहसास मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता.
कुछ देर तक वह मेरी गांड चाटता रहा, फिर उसने दो उंगलियां अन्दर डाल दीं.
मैंने कहा- नहीं, मैं सीधे लंड लेना चाहता हूँ.
वह चुप रहा, खड़ा हुआ और अपना लंड मेरी गांड पर टिका दिया.
मैंने बेड के गद्दे को दोनों मुट्ठियों में कसकर पकड़ लिया और गर्दन हिलाकर उसे इशारा कर दिया.
मोहन धीरे-धीरे मेरे ऊपर लेटने लगा.
उसका लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
दर्द से मेरी सिसकारी निकल गई- आह … मर गया.
पूरा लंड अन्दर समा गया पर शराब के नशे में वह दर्द भी मीठा लग रहा था.
अब वह धीरे-धीरे हिलने लगा.
उसका लंड मेरी गांड में किसी मोटे सांप की तरह अन्दर बाहर होता महसूस हो रहा था.
उसने थूक लगा कर लंड को चिकनाई दे दी तो मुझे गांड मरवाने में मजा आने लगा.
वह मेरी गांड चोदते हुए मेरे दूध दबाने लगा.
तभी वह मेरे कान में फुसफुसाया- ऐसी सेक्सी गांड मुझे रोज चाहिए!
मैंने कहा- तू जब कहेगा, तब हाजिर हो जाएगी.
कुछ मिनट तक ऐसे ही रगड़ कर गांड चोदने के बाद उसने मुझे कुतिया बनने को कहा.
मैंने कहा- ले मेरे यार, चोद अपने कुतिया को!
मैं झट से कुतिया बन गया.
उसने खड़े-खड़े मेरी गांड में लंड घुसाया और मुझे चोदने लगा.
मेरी कामुक सिसकारियां तेज हो गईं.
‘ओह … ओह … जोर से चोद मोहन!’
कुछ दस मिनट तक लगातार चोदने के बाद उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया और पूरी स्पीड से धक्के मारने लगा.
फिर उसने मुझे जोर से जकड़ा और अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ दिया.
मैंने कहा- लंड बाहर मत निकालना, अभी अन्दर ही रहने देना.
उसने थोड़ी देर लंड अन्दर रखा, फिर निकाल लिया.
सच में उसका लंड जब अन्दर रह कर गर्म गर्म धार मार रहा था तो जबरदस्त सुख मिल रहा था.
फिर हम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेट गए.
उसने कहा- ऋतिक, तुझे चोदकर बहुत मजा आया.
मैंने उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.
अब वह बोला- तू मेरे लिए रंडी बनना चाहता है न!
मैंने कहा- हां.
वह बोला- रंडी तो लड़की जैसी सजी धजी होती है न!
मैं समझ गया और मैंने कहा- मेरे पास मेकअप का सारा सामान है.
वह बोला- ओ तेरे की … तू तो सच में रंडी है!
मैं हंस दी और मैंने कहा- बस मुझे आधा घंटा का समय दे दो और उसके बाद मेरे कमरे में आ जान!
वह बोला- ठीक है मेरी जान!
मैंने उसके बाजू से उठ कर दारू की बोतल से एक पैग बनाया और गिलास अपने साथ अपने कमरे में ले गई.
उधर मैंने झट से अपने कपड़ों में से अपने लिए एक वन पीस निकाला और बालों का विग निकाला.
मैं आईने के सामने बैठ कर सजने लगी और अपने पैग से चुसकियाँ लेने लगी.
मैं पूरी तरह से लड़की बन कर अपने सैयां से चुदवाने के लिए रेडी थी.
मेरे नेचुरल 30 इंच के दूध सच में बहुत मादक लग रहे थे.
पैग खत्म करने के बाद मैंने सिगरेट सुलगाई और मोहन को फोन लगा दिया.
मोहन ने तुरंत मेरे कमरे के दरवाजे को दस्तक दे दी.
मैंने लड़की की आवाज में जवाब दिया कि अन्दर आ जाइए न!
वह अन्दर आया तो मुझे एक टांग पर खड़ी देख कर चौंक गया.
मेरी एक टांग दीवार पर बिल्कुल रंडियों के जैसे रखी हुई थी, जैसे वे सड़क के नुक्कड़ पर अपने ग्राहकों को बुलाने के लिए खड़ी रहती हैं.
उसने अपनी गांड से दरवाजा बंद किया और बोला- मादरचोद, तू तो सचमुच की रंडी बन गई. मैं तो पहचान ही नहीं पाया.
उसने मेरे करीब आकर मेरे हाथ से सिगरेट छुड़ाई और कश लेने लगा. उसने मेरे मुँह पर धुआँ छोड़ा और मेरे होंठों से होंठ लगा दिए.
अब मैं भी उसके होंठों के रस पीने लगी और कुछ देर बाद पलट कर दीवार से चिपक गई.
उसने मेरी ड्रेस को ऊपर सरकाई और बिना पैंटी की मेरी गांड के छेद को अपने लौड़े से रगड़ने लगा.
कुछ ही देर में उसने मेरी गांड की धुआंधार चुदाई की और हम दोनों चुदाई का मजा लेने के बाद बाथरूम के अन्दर चले गए.
उधर उसने मुझे नंगी करके फिर से चोदा. उसका लंड मेरी गांड के लिए एकदम परफेक्ट लंड बन गया था.
उसके बाद से मेरी हर रात उसके लंड के साथ गुजरने लगी थी.
उसने मुझसे एक दूसरे लौड़े से चुदवाने की बात कही. वह मर्द मोहन का दोस्त था.
उसने मेरी गांड को कितना सुख दिया, यह मैं अगली बार लिखूँगी. आप मुझे भूलिएगा नहीं.
ये मेरी सच्ची गे सेक्स कहानी थी.
क्रॉस ड्रेस Xxx गांड स्टोरी अगर आपको पसंद आई या कोई कमी लगी हो तो मुझे मेरे कमेंट्स में जरूर बताएं.
धन्यवाद.