गन्ने के खेत में पहली बार गर्लफ्रेंड को चोदा

वर्जिन चूत की चुदाई कहानी में मेरी दोस्ती एक क्लासमेट से हो गयी. मैंने उसे प्रोपोज करके गर्लफ्रेंड बना लिया. हम सेक्स करने को बेचैन थे. एक दिन हम खेतों में चले गए.

दोस्तो, मेरा नाम रूप किशोर है और मैं ग्रेटर नोएडा का रहने वाला हूं.
मैं नोएडा के एक इंस्टिट्यूट में पढ़ रहा था.
मैं आपको वर्जिन चूत की चुदाई कहानी बता रहा हूँ.

मैं पढ़ाई में नार्मल ही था लेकिन मजाक मस्ती में बहुत ज्यादा था.

मेरे इंस्टिट्यूट के काफी लड़के लड़कियां मेरे मजाकिया स्वभाव पर फिदा थे और वे सब लोग हमेशा यही चाहते थे कि मैं कुछ ना कुछ कहता रहूं.

उन सभी में एक लड़की थी, जो मुझ पर बहुत ज्यादा ध्यान देती थी.
उसका नाम रश्मि था.

हम दोनों बहुत बातें करते थे और इन्हीं बातों के दरमियान हम दोनों में कुछ ज्यादा ही निकटता आ गई थी.
फिर हमें पता ही नहीं चला कि हम दोनों कब एक हो गए और हम दोनों को एक दूसरे की आदत लग गयी या ये कहो कि प्यार हो गया.

काफ़ी समय तक ये सब चलता रहा और फिर हम दोनों ने एक एक अलग सिम ले ली, जिसमें सिर्फ हम दोनों ही बात करते थे और किसी को नंबर ही नहीं दिया था.

इस वजह ने भी हमें एक दूसरे के बिना ना रहना सिखा दिया था.
हम दोनों पूरे पूरे दिन बात करने लगे थे.
हमें ये ही नहीं पता रहता था कि हम क्या बात करते हैं.

फिर न्यू ईयर वाले दिन हम दोनों ने एक दूसरे को ‘आई लव यू’ बोल दिया
इसके बाद हमारी बातें अब हॉट होने लगीं.

अब हम दोनों मिलने के लिए बेचैन होने लगे, पर कोई जगह ही न थी.

उसके बाद सबसे बड़ी प्रॉब्लम तब आयी जब हमारे कोर्स खत्म हो गए और रोज का मिलना बंद हो गया.

हम दोनों एक दूसरे के प्यार में मिलने को तड़पने लगे और सारी दुनिया की खुशी हम दोनों को एक दूसरे में दिखने लगी.

वक्त से किसने जीत हासिल की है, तो यूं ही समय कटने लगा.
अब हम दोनों ने तय किया कि हम दोनों को अपने तन का मिलन भी करवा लेना चाहिए.

हम दोनों के रहने के कमरे दूर दूर थे.
रास्ते में बीच में एक घना जंगल सा पड़ता था, वह इलाका सुनसान रहता था.
उधर सिर्फ गन्ने के खेत थे.

हमने वहीं मिलने का सोचा.

अगले दिन हम दोनों मिलने के लिए निकल गए.
सच कहूँ तो उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि मैं न जाने किस से मिलने जा रहा हूँ और कैसे मिलूँगा.

मेरे मन में बहुत अजीब सी हलचल थी मेरे जैसा ही हाल रश्मि का था.

आखिर हम दोनों मिल गए और साथ चलते हुए एक पेड़ के नीचे आकर खड़े हो गए.
हम दोनों को ये समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या बात करें.

फिर आखिर में हम दोनों ने एक दूसरे की नजरों को देखा और पता नहीं क्या हुआ कि एक दूसरे के गले लग गए.
उस वक्त ऐसा लगा मानो हम दोनों एक दूसरे में समा ही जाएं.

हमारी धड़कनें इतनी बढ़ गयी थीं कि हद से ज्यादा दिल धाड़ धाड़ कर रहा था.
साथ ही किसी के आ जाने का डर भी लग रहा था.

कुछ मिनट बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे.

एक बार फिर से हम दोनों ने आंखें बंद की और वापस एक दूसरे से चिपक गए.

इस बार हमारे होंठों को जुड़ने की कशिश थी. हमारे होंठ करीब आए और एक दूसरे की सांसों को महसूस करने लगे.
उस वक्त हमारी सांसें इतनी तेज थीं कि कुछ पूछो ही मत.

फिर जैसे ही हमने एक दूसरे को किस किया, तो ऐसा लगा मानो वर्षों से प्यासे हों.
उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मैंने उसको.

काफ़ी देर किस करने के बाद रश्मि ने कहा कि रूप, अब कुछ करो!
हम दोनों ने आस-पास देखा, तो उधर गन्ने के ही खेत थे.

हम दोनों एक खेत में अन्दर घुस गए.
उसके अन्दर जाने से बाहर का कुछ नहीं दिखाई दे रहा था.

खेत के बीचों बीच जाकर हम उधर उथली सी जगह पर आ गए.
दरअसल उधर एक पेड़ लगा था, जो खेत के बीच में था. वहीं जाकर हम दोनों एक दूसरे से फिर से चिपक गए.

आज पहली बार मैंने उसको अच्छे से अपनी बांहों में लिया था तो उसका गदराया हुआ शरीर मुझे मक्खन सा महसूस हुआ.
उसका फिगर 32-30-34 का रहा होगा.

मुझे मेरे सीने पर उसे दूध का मखमली अहसास इतना मस्त लगा कि बस क्या ही कहूँ … मेरा मन किया कि इससे चिपका ही रहूँ.

हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और सोचा कि जो भी होना है … आज हो जाने दो!

मैंने उसको अपनी बांहों में जोर से खींचा और उसे किस किया.
फिर अपने एक हाथ को उसके पेट पर फिराया.

जिससे उसकी सांसें तेज हो गईं.
वह ‘आह शीई शी …’ कर रही थी.

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूची पर रखा और दबाने लगा.
वह बिल्कुल आपा खो बैठी और मैं भी अपनी उत्तेजना के शिखर पर जाने लगा.

फिर मैंने एक झटके से उसकी कुर्ती उतार दी.
मेरे सामने उसकी ग्रीन कलर की ब्रा थी, जिसमें उसके दूध फंसे हुए थे और बड़े ही मस्त लग रहे थे.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों दूध एक साथ दबा दिए.
उसने भी मेरा लंड एक हाथ से पकड़ लिया और सहलाने लगी.

वह वासना भरी आवाज में बोलने लगी- रूप जल्दी से कुछ करो वर्ना कोई आ जाएगा.
हम दोनों ने अब देर करना सही नहीं समझा.

मैंने उसका दुपट्टा नीचे बिछा दिया और उसके सारे कपड़े उतार कर अपने भी उतार दिए.
मैंने उसे चित लिटा दिया और उसके एक एक अंग को किस करने लगा.

वह बस आह आह किए जा रही थी.
फिर जैसे ही मैंने उसकी जांघ पर किस किया, वह बेचैन हो गयी और लंड हाथ में लेकर जोर जोर से दबाने लगी.
मैंने तभी उसके पैर खोले तो उसकी लिसलिसाती चुत सामने आ गई.

वह अपनी चुत की झांटों को साफ करके आई थी. एकदम मस्त फ़ूली हुई चुत थी.
मैंने जैसे ही उसकी चुत पर किस किया, वह तड़पने लगी और आह आह करने लगी.

वह छटपटाती हुई बोली- आह जान …अब आ भी जाओ और पूरा घुसा दो मेरी चुत में … अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
सच में उसकी चुत से इतना ज्यादा पानी निकल रहा था कि पूछो मत!

इधर मेरा लंड भी बिल्कुल लोहे जैसा सख्त हो गया था.
मेरी हालत भी ख़राब थी.

जैसे ही मैंने उसकी चुत को खोल कर उसके दाने को जल्दी जल्दी दो तीन बार किस किया, वह एकदम से बिलबिला उठी और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

वह अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर बोली- साले रूप, जल्दी से घुसा दे … क्यों तड़फा रहा है … अब और देर मत करो … और प्लीज धीरे धीरे करना. मुझे तेजी पसंद नहीं है, जब मैं बोलूँ, तभी तेज करना!

मैंने भी उसके होंठों पर अपने होंठों को रखा, हाथों में हाथ फंसाए और अपनी पोजीशन सैट कर ली.
उसने भी अपने पैर खोल कर मुझे पीछे से जकड़ लिया.

मैंने धीरे से अपना 6 इंच का लंड उसकी चुत के अन्दर घुसेड़ना चालू किया.
जैसे ही मेरा सुपारा चुत की फाँकों को चीर कर अन्दर घुसा, उसने दर्द भरी आवाज निकाली- अअह आआह रूप … प्यार से … अभी निकालो और फिर से अन्दर करो!

मैंने वही किया. फिर से धीरे से लंड अन्दर किया तो उसने पुनः ‘अअह मर गई’ की आवाज निकाली और अपने दोनों पैरों से मुझे सख्ती से जकड़ लिया.
चूत की चुदाई के साथ ही अपनी बांहों में मुझे भर लिया और चूमने लगी.

उसकी चुत से इतना ज्यादा पानी निकल रहा था कि लंड खुद व खुद अन्दर सरकता जा रहा था.
उसकी चुत का रस एकदम गर्म था.

उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाया और मुझे किस करना शुरू कर दिया.
वह बोली- अब धीरे धीरे धक्के लगाते रहो.

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाए तो उसे अच्छा लगा.
वह बोली- आह ऐसे ही आह अअ और रगड़ो.

अब मैं ऊपर से धक्का देता, तो वह नीचे से धक्का लगा देती.
फिर वह बोली- रूप बहुत मजा आ रहा है आह पेलते रहो!

यूं ही धीरे धीरे करके मेरा पूरा लंड उसकी चुत की जड़ तक पहुँच गया था.
वह हल्के हल्के से कराह भी रही थी और मीठे दर्द का मजा भी ले रही थी.

मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ.
अब मैंने उसे चोदना चालू कर दिया था. कुछ दस मिनट तक मैंने उसे तबीयत से चोदा.

तभी वह बोली- रूप मेरा रस निकलने वाला है. अब तेज तेज करो.
मैंने स्पीड बढ़ा दी.

वह बोली- ऐसे ही आआह आह … और तेज यस यस … और तेज और तेज …
यह कह कर उसने अपने जिस्म को कड़ा कर लिया व अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मैं तेजी से धक्के देने की कोशिश करने लगा.
चूत की चुदाई में वह नीचे से धक्का देने लगी.

मेरा 6 इंच का लंड अब पूरा अन्दर घुसने लगा था और इतना मजा आ रहा था कि मैं शब्दों में नहीं बता सकता.

तभी एक ब्लास्ट सा हुआ और उसके कंठ से ‘उउईई माँ मर गई आह जानअ … मैं गई!’ निकला.

उधर वह झड़ी तो एकदम से निढाल होती चली गई और मैं भी उसकी गर्माहट में बहता चला गया.

हम दोनों कुछ देर बाद उठे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे.

हम दोनों दस मिनट तक ऐसे ही नंगे लेटे रहे.
फिर हम उठे और कपड़े पहने, एक दूसरे को गले से लगाया और घर चल दिए.

दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी थी.
वर्जिन चूत की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी?
प्लीज जरूर बताएं.
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