पत्नी पति सेक्स कहानी में मेरा एक दोस्त लड़कियों की इतनी इजात करता था कि उसने अपनी पत्नी को भी नहीं छुआ. उसकी बीवी परेशान थी. हमने उसकी मदद की.
यह सच्ची कहानी मेरे सहकर्मी ने बताई।
मैं अपने सहकर्मी के साथ टूर पर गया था।
हम एक होटल में ठहरे थे।
शाम को हम पीने बैठे।
हमारी चर्चा का विषय था कि हमने कितने विचित्र स्वभाव के लोग देखे।
सहकर्मी ने दो दोस्तों की कहानी बताई जो उसने किसी से सुनी थी।
पात्रों के असली नाम कुछ और हैं लेकिन कहानी में उनका नाम बदलकर विजय और अनिल लिख रहा हूँ।
पत्नी पति सेक्स कहानी, विजय की जुबानी
मैं, विजय, और मेरा दोस्त अनिल एक ही स्कूल में पढ़ते थे।
स्कूल में सिर्फ लड़के थे।
अनिल पढ़ाई में बहुत अच्छा था और मुझे पढ़ाई में मदद करता था।
दसवीं के बाद हमने जूनियर कॉलेज में एडमिशन लिया।
कॉलेज में लड़कियाँ भी थीं।
जब हम लड़के किसी लड़की की सुंदरता और उनके सेक्सी बदन के बारे में आपस में बात करते, तब अनिल हमें डाँटता।
वह कहता, “लड़कियों की इज्जत करो! उन्हें बुरी नजर से मत देखो, पढ़ाई में ध्यान दो!”
अनिल को पढ़ाई के साथ कसरत और पूजा-पाठ पसंद था।
उसने कॉलेज में भी मेरी पढ़ाई में बहुत मदद की।
मैं पढ़ाई में तेज नहीं था।
यदि अनिल मेरी मदद न करता, तो मुझे बारहवीं में इतने अच्छे नंबर न मिलते।
मैं अनिल का अहसान मानता हूँ।
उसकी मदद के कारण ही मुझे अच्छे कॉलेज में ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन मिला।
अनिल के पिताजी का ट्रांसफर हो गया और वह दूसरे शहर चला गया।
कॉलेज की पढ़ाई खत्म हुई और मुझे एक शहर में अच्छी नौकरी मिली।
मैं पेइंग गेस्ट हॉस्टल में रहता था।
मेरी अपने ऑफिस की एक लड़की स्वाति से दोस्ती हुई, फिर हमारा प्यार हो गया।
मैंने स्वाति को शादी का प्रस्ताव दिया।
वह बोली, “हाँ, मैं राजी हूँ!”
हमारे घरवाले भी राजी हो गए।
स्वाति गेहुँए रंग की, सेक्सी बदन वाली सुंदर लड़की थी।
हम फ्लैट ढूँढ रहे थे।
जब भी मौका मिलता, हम आलिंगन और चूमा-चाटी करते।
मैं स्वाति के चूचे दबा देता।
हमने तय किया था कि सेक्स शादी के बाद ही करेंगे।
अनिल से बिछड़े 7 साल हो गए थे।
एक दिन अचानक अनिल से मेरी मुलाकात हुई।
हम दोनों फिर से मिलकर बहुत खुश हुए।
हम दोनों 24 साल के हो गए थे।
अनिल ने बताया, “मैं इसी शहर में नौकरी करता हूँ। मेरी शादी 1 महीने पहले हुई है!”
वह मुझे अपने फ्लैट पर ले गया।
उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला।
अनिल बोला, “यह सरोज जी हैं, मेरी पत्नी!” और मेरा परिचय दिया।
सरोज भाभी गोरी, सुंदर, छरहरी थी।
भाभी बड़ी शालीनता से मिली।
उन्होंने कहा, “मैंने आपके बारे में अनिल जी से सुना है!”
मैं और अनिल बैठकर बातें कर रहे थे।
भाभी ने चाय-नाश्ता दिया।
अनिल के कहने पर मैं डिनर के लिए राजी हो गया।
खाना स्वादिष्ट था।
मैंने देखा कि अनिल और भाभी एक-दूसरे को ‘आप’ कहते हैं।
लड़कियों की कुछ ज्यादा ही इज्जत करना अनिल की आदत थी इसलिए मुझे उनका एक-दूसरे को ‘आप’ कहना अस्वाभाविक नहीं लगा।
मैंने अनिल और भाभी को बताया, “मेरी गर्लफ्रेंड है, स्वाति। हम जल्द ही शादी करने वाले हैं!”
उन्होंने मुझे स्वाति के साथ उनके घर आने को कहा।
अगले हफ्ते मैं और स्वाति अनिल के घर गए।
स्वाति अनिल और सरोज भाभी को पसंद आई।
मैं स्वाति को ‘तुम’ कह रहा था।
अनिल बोला, “विजय, तुम्हें लड़कियों की इज्जत करना नहीं आया! तुम स्वाति को ‘आप’ की जगह ‘तुम’ कह रहे हो!”
मैंने कहा, “हमारी शादी तय हो गई है! हमने फॉर्मैलिटी छोड़कर ‘तुम’ कहना शुरू कर दिया है! स्वाति भी मुझे ‘तुम’ कहती है!”
सरोज भाभी ने दबी जुबान में कहा, “विजय भाई साहब ठीक ही कह रहे हैं!”
इसके बाद स्वाति सरोज भाभी से कई बार मिली।
दोनों हमउम्र थीं, इसलिए उनकी दोस्ती हो गई। दोनों ने मिलकर शादी की शॉपिंग की।
दो महीने बाद मेरी और स्वाति की शादी हो गई।
अनिल और भाभी शादी में आए।
मैं स्वाति को अपने माता-पिता के घर ले आया।
वहाँ रस्मों के बाद हमारी सुहागरात हुई।
सुहागरात को हमने चूमा-चाटी के बाद एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए।
हम दोनों सेक्स के लिए बेचैन थे।
हमें संभोग का अनुभव नहीं था।
स्वाति चित लेटी थी।
मैं बहुत उत्तेजित था।
मैंने लंड चूत में डालने की कोशिश की लेकिन चूत बहुत टाइट थी।
लंड अंदर नहीं गया और मैं झड़ गया।
मैंने स्वाति की चूत के ऊपर गिरे वीर्य को कपड़े से पोंछा।
हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और सो गए।
दूसरे दिन मैंने सोचा कि अनिल शादीशुदा है, उससे सलाह लूँगा।
मैंने अनिल को फोन पर सब बताया।
मैंने कहा, “मुझे सलाह दो, क्या करूँ?”
अनिल गुस्सा हो गया और बोला, “ऐसी गंदी बात मुझसे मत करो!”
मैंने एक और शादीशुदा दोस्त से सलाह ली।
उसने कहा, “पहली बार ऐसा हो जाता है!” और मुझे बताया कि क्या करना है।
हम अपने शहर लौट आए, जहाँ हम नौकरी करते थे।
उस रात मैं स्वाति के साथ बेडरूम जाने को बेचैन था।
मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने मुठ मारकर खुद को शांत किया, नहाकर नाइट ड्रेस पहनी।
स्वाति बेडरूम में नाइटी पहनकर मेरा इंतजार कर रही थी।
मैंने कहा, “आज फिर कोशिश करते हैं!”
हम बिस्तर पर एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे।
मैं स्वाति के चूचे नाइटी के ऊपर से दबाने लगा।
मैंने नाइटी उतार दी।
उसने ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी।
मैं स्वाति के एक चूचे को चूसने और दूसरे को दबाने लगा।
स्वाति सिसकारियाँ ले रही थी।
मैं भी नंगा हो गया।
स्वाति के जवां बदन, सुडौल चूचे, मांसल जाँघ, और बाल-रहित चूत देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
स्वाति को चित लिटाकर मैंने उसके पैर फैला दिए।
लंड पर तेल लगाकर मैं चूत में डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे चूत का छेद नहीं मिल रहा था।
स्वाति ने लंड पकड़कर छेद पर रखा।
मैंने कमर हिलाकर हल्का धक्का दिया।
आधा लंड चूत में घुस गया।
स्वाति के मुँह से “उई ओ!” की आवाज आई।
उसने तकिए को कसकर पकड़ लिया।
उसका बदन दर्द से अकड़ गया था।
चूत ने लंड को जकड़ रखा था।
मैं लंड बिना निकाले चूचे चूसने लगा।
कुछ समय बाद स्वाति ने अपने बदन को ढीला छोड़ा और हल्के से कमर हिलाई।
मैंने दूसरा धक्का लगाया।
लंड चूत में समा गया।
स्वाति फिर चीखी। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी।
मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई किला फतह कर उस पर झंडा गाड़ दिया हो!
मैं धीरे-धीरे चोदने लगा।
मैंने स्वाति से पूछा, “कैसा लग रहा है?”
स्वाति बोली, “दर्द के साथ मजा भी आ रहा है!”
मैं इत्मीनान से चोद रहा था।
स्वाति ने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए।
मैंने स्पीड बढ़ा दी।
कुछ देर बाद स्वाति का बदन ऐंठा, फिर वह निढाल होकर बोली, “मेरा हो गया!”
मैंने कुछ देर और चुदाई की और चूत को वीर्य से भर दिया।
हम दोनों खुश थे।
मैंने मन ही मन उस दोस्त को धन्यवाद दिया, जिसने मुझे यह सब सिखाया था।
मुझे और स्वाति को संभोग का आनंद पता चल गया था।
इतना आनंद हमें किसी काम में नहीं आया था।
अगली रातों से कभी एक, कभी दो बार हम संभोग करने लगे।
हमने साथ बैठकर सेक्स वीडियो देखे।
जिन वीडियो में जोड़े का प्यार से संभोग दिखाया गया था, वही हमें पसंद आए।
रफ सेक्स वाले वीडियो अच्छे नहीं लगे।
सेक्स में दोनों को मजा आना चाहिए।
हम 69 पोजीशन में लंड और चूत चूसने लगे।
एक हफ्ते बाद हमारा सेक्स का खुमार कुछ कम हुआ।
इन 7 दिनों में हमने अनिल और सरोज भाभी को फोन नहीं किया।
उनका जब भी फोन आया, तो हमने थोड़ी बात करने के बाद कहा, “हम बिजी हैं, बाद में फोन करते हैं!”
सेक्स का खुमार कुछ कम होने के बाद मुझे याद आया कि जब मैंने अनिल से सेक्स के बारे में सलाह माँगी थी, तो उसने कहा था, “गंदी बात के लिए मुझे फोन मत करो!”
मुझे शक हुआ कि शायद अनिल और सरोज भाभी के बीच अभी तक शारीरिक संबंध नहीं हुआ है।
दोनों को संभोग में कितना आनंद आता है, यह मालूम नहीं।
मैंने अपना शक स्वाति को बताया।
स्वाति बोली, “मुझे भी लगता है कि दोनों सेक्स के आनंद से वंचित हैं! दोनों अभी तक एक-दूसरे को ‘आप’ कहते हैं और दूरी बनाए रखते हैं। सरोज भाभी मेरी दोस्त बन गई हैं। मैं उन्हें विश्वास में लेकर सच्चाई का पता करूँगी!”
हमने योजना बनाई कि यदि यह बात सच्ची है, तो क्या करना है।
स्वाति, सरोज भाभी से मिलने उनके घर गई, जब अनिल ऑफिस में था।
भाभी चाय लेकर आई।
दोनों बातें करने लगीं।
भाभी बोली, “क्या बात है, स्वाति? तुम एक हफ्ते बाद आई! बहुत खुश दिख रही हो, तुम्हारा चेहरा खिल उठा है!”
स्वाति बोली, “भाभी, तुमसे क्या छुपाऊँ? तुम मेरी सहेली हो और तुम्हारी शादी मुझसे पहले हुई है। मैंने और विजय ने तय किया था कि संभोग शादी के बाद करेंगे। जब हमने संभोग किया, तब पता चला कि इसमें इतना आनंद आता है! इतना आनंद किसी काम में नहीं आया। हम एक हफ्ते संभोग में लीन रहे। थोड़ा खुमार कम हुआ, तो तुमसे मिलने आई। भाभी, तुम्हें तो पता है, संभोग में कितना मजा आता है!”
भाभी ने लंबी साँस लेकर कहा, “मेरी किस्मत तुम्हारी जैसी अच्छी नहीं है! मेरे पति अनिल को लड़कियों की इज्जत करने का भूत सवार है। वह सिर्फ मेरी इज्जत करते हैं, छूते भी नहीं। शादी को 3 महीने हो गए हैं!”
स्वाति बोली, “मैं इस बारे में तुम्हारी मदद कर सकती हूँ! तुम अपने पति को रिझाओ। जब पति पास हों, तो गिरने का अभिनय करो, वह तुम्हें बचाने के लिए पकड़ेगा। मैं अपने पति विजय को कहूँगी कि वह अनिल को उकसाए। विजय तुमसे इस बारे में कोई बात नहीं करेगा, चिंता मत करो!”
स्वाति ने भाभी को अपनी योजना बताई।
भाभी बोली, “मैं गिरने लगूँ, तो यदि अनिल ने नहीं पकड़ा, तो मुझे चोट लग सकती है! रिझाने की कोशिश कर सकती हूँ, पर कैसे?”
भाभी घर में मैक्सी पहनती थी।
स्वाति ने भाभी के साथ जाकर काफी खुले गले की मैक्सी खरीदी।
पार्लर में भाभी की फुल बॉडी वैक्सिंग कराई।
स्वाति ने भाभी को कहा, “अंदर ब्रा नहीं पहनना! चाय, खाना आदि अनिल को देते समय सामने झुकना। अनिल तुम्हारे भरे सुंदर स्तन देखकर उत्तेजित होगा। उसे समझ नहीं आना चाहिए कि तुम उसे रिझा रही हो। और कैसे रिझाना है, समय देखकर तय करना। मैं एक हफ्ते बाद तुम दोनों को डिनर पर बुलाऊँगी। सज-धजकर स्लीवलेस ब्लाउज और साड़ी पहनकर आना। तुम सुंदर हो, अनिल पिघल जाएगा!”
स्वाति ने भाभी को सेक्स के बारे में बताया।
उसने कहा, “पहली बार दर्द होता है। पहली बार संभोग से पहले लंड पर तेल लगाने से लंड आसानी से चूत में जाता है, दर्द कम होता है!”
दूसरे दिन शाम को मैं अनिल के घर गया।
भाभी खाना बना रही थी।
अनिल से थोड़ी गपशप के बाद मैंने बात शुरू की।
मैं बोला, “मैं और स्वाति बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं। अभी मैं 25 का हूँ। 26 की उम्र में मैं बाप बनूँ, तो बच्चा जब 25 साल का होकर सेटल हो जाएगा, तब मेरी उम्र 51 होगी। आगे की जिंदगी की प्लानिंग कर पाऊँगा। अनिल, तुम्हारी क्या राय है?”
अनिल बोला, “इसमें मैं क्या कहूँ? जैसा तुम ठीक समझो! विजय, तुम एक हफ्ते बाद आए हो। फोन करने पर कहते हो कि बिजी हो। इतना क्या काम था?”
मैंने एक काल्पनिक कहानी अनिल को बताई।
मैं बोला, “मेरा एक दोस्त मुसीबत में था। एक महीने पहले उसकी शादी हुई है। दोनों अक्सर हमारे घर आते हैं। उस दोस्त की पत्नी ने स्वाति को बताया कि उसे लगता है उसका पति नपुंसक है। एक महीने बाद भी उनके बीच शारीरिक संबंध नहीं हुआ। पति उससे दूर-दूर रहता है। वह तलाक लेने की सोच रही है। स्वाति उसकी पत्नी को कुछ नहीं कह सकी, क्योंकि पति से शारीरिक सुख की अपेक्षा हर पत्नी करती है। सेक्स शारीरिक जरूरत है, भूख की तरह!”
मैंने आगे कहा, “मैंने अपने दोस्त से अकेले में बात की। उससे पूछा कि उसका वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है? दोस्त बोला कि कुछ ठीक नहीं। उसे सेक्स से डर लग रहा है, कहीं वह असफल न हो जाए। मैं उसे डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने जाँच कर कहा कि सब ठीक है, डर मन से निकाल दो। अब उनके बीच शारीरिक संबंध हो गया है। दोनों खुश हैं!”
एक हफ्ते बाद हमने अनिल और भाभी को डिनर पर बुलाया।
भाभी सजकर आई थीं, सुंदर लग रही थीं।
स्वाति बोली, “भाभी, तुम बहुत सुंदर लग रही हो! अनिल भाई साहब की किस्मत अच्छी है, उन्हें इतनी सुंदर पत्नी मिली!”
अकेले में भाभी ने स्वाति को बताया, “मैं अनिल को रिझा रही हूँ, और अनिल मेरी तरफ आकर्षित हो रहा है!”
थोड़ी देर गपशप के बाद स्वाति बोली, “मैं खाना लेकर आती हूँ!”
और किचन में चली गई।
अनिल जहाँ बैठा था, वहाँ से किचन दिखता था।
मैं बोला, “मैं पानी लेकर आता हूँ!”
और किचन में गया।
मैंने स्वाति के कूल्हों को थपथपाया और उसकी पीठ को चूमा।
फिर पानी लेकर आया।
अनिल सब देख रहा था।
डिनर के बाद अनिल और भाभी चले गए।
दूसरे दिन भाभी ने स्वाति को फोन किया।
वह बोली, “स्वाति, तुम दोनों का धन्यवाद! तुम लोगों की योजना काम आई। कल रात मेरा और अनिल का संगम हो गया है!”
स्वाति बोली, “भाभी, जब तुम किसी शाम अकेली हो, मुझे बताना। मैं अपने ऑफिस के बाद तुमसे मिलने आऊँगी!”
एक हफ्ते बाद भाभी ने स्वाति को फोन करके बताया।
वह बोली, “अनिल ऑफिस के काम से बाहर गए हैं। कल लौटेंगे। तुम आ जाओ, पूरी बात बताती हूँ!”
स्वाति भाभी से मिली।
आगे की पत्नी पति सेक्स कहानी सरोज भाभी की जुबानी:
मैं घर में खुले गले की मैक्सी बिना ब्रा के पहनने लगी।
मैंने आईने के सामने झुककर देखा कि कितना झुकने से मेरे चूचे दिखते हैं।
जब भी मैं अनिल को झुककर चाय, नाश्ता, या खाना देती, मैंने देखा कि अनिल मेरे चूचों को देख रहा है।
पहले वह मेरी नजर बचाकर चूचे देखता था, बाद में उसकी शर्म चली गई।
जब तक मैं झुकी रहती, वह चूचों को निहारता रहता।
गर्मी के दिन थे।
मैं रोज शाम को अनिल के आने के बाद नहाती हूँ।
एक बार मैंने अपनी मैक्सी जानबूझकर पलंग पर रखकर नहाने गई।
नहाने के बाद मैंने बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खोला, एक पाँव ऐसे रखा कि अनिल बाहर से मेरी नंगी जाँघ देख सके।
मैंने अनिल को आवाज दी, “मैक्सी पलंग पर भूल गई हूँ! आप दीजिए!”
अनिल जब मैक्सी देने आया, मेरी नंगी जाँघों को देखने के बाद मेरे चेहरे की तरफ देखा।
मैंने एक मीठी-सी मुस्कान देकर दरवाजा बंद किया।
दूसरी बार मैंने टॉवल देने के बहाने अनिल को बुलाया। इस बार मैंने दरवाजा थोड़ा ज्यादा खुला रखा।
अनिल को मेरे एक चूचे और जाँघ के दर्शन करा दिए।
जब मैं बाथरूम से बाहर आई मैंने देखा कि अनिल का लिंग तनकर पजामे में तंबू बना रहा था।
लेकिन वह आगे नहीं बढ़ा।
जिस रात हम दोनों तुम्हारे घर से डिनर लेकर वापस आए, मैं बेडरूम में कपड़े बदलने गई।
मैंने दरवाजा थोड़ा खुला रखा। मेरी पीठ दरवाजे की तरफ थी।
मैंने आईने में देखा कि अनिल दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे देख रहा है।
मैं ब्रा-पैंटी में खड़ी होकर चेहरे पर आराम से नाइट क्रीम लगाने लगी।
अनिल के सब्र का बाँध टूट गया।
वह कमरे में आया, मेरे कूल्हों को थपथपाया और मेरी पीठ को चूमा।
मेरे सामने आकर मेरे होंठ, गाल, और गर्दन बेतहाशा चूमने लगा, मेरे चूचे ब्रा के ऊपर से दबाने लगा।
उसने मेरी ब्रा उतारने की कोशिश की, लेकिन उसे ब्रा कैसे उतारना है, मालूम नहीं था।
मैंने ब्रा का हुक खोलकर ब्रा उतार दी।
अनिल एक चूचे को चूसने और दूसरे को जोर से दबाने लगा।
मुझे दर्द के साथ मजा आ रहा था।
अनिल ने मुझे गोद में उठाकर पलंग पर लिटा दिया और मेरी पैंटी उतार दी।
मेरे पेट, चूत, और जाँघ पर हाथ फेरने लगा।
मैं जिस क्षण का इंतजार कर रही थी, वह आ गया था।
उत्तेजना से मेरी चूत गीली हो गई।
अनिल अपने कपड़े उतारने में झिझक रहा था।
मैं मुस्कुराकर बोली, “यह बेइंसाफी है! मेरे सारे कपड़े उतार दिए, और खुद पहने हो!”
अनिल झटपट कपड़े उतारकर नंगा हो गया।
उसका खड़ा लंड देखकर मैं थोड़ा डर गई।
इतना बड़ा लंड मेरी चूत में जाएगा, तो बहुत दर्द होगा।
मैंने दिल को कड़ा किया और सोचा, जो होगा, देखा जाएगा।
मैंने चित लेटकर जाँघें फैला दीं।
अनिल मेरे पैरों के बीच आया और चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा।
मैंने लंड पकड़कर चूत के छेद पर रखा। उसने एक झटके से लंड चूत में डाला।
मुझे तीव्र पीड़ा हुई।
मैं हल्के से चीखी।
मैंने लंड पकड़कर देखा, थोड़ा-सा लंड ही अंदर गया था।
अनिल रुककर बोला, “बहुत दुख रहा है? निकाल लूँ?”
मैं बोली, “थोड़ा तेल लगा लीजिए! पहली बार दुखता है, सहेली ने बताया है!”
अनिल ने लंड बाहर निकाला, लंड पर तेल लगाकर डालने लगा।
लंड आसानी से अंदर जाने लगा।
दर्द फिर भी हुआ, लेकिन कम।
मैं बोली, “अब दर्द कम है!”
अनिल धीरे-धीरे चोदने लगा।
मुझे दर्द के साथ मजा आने लगा।
कुछ देर बाद चोदने की गति बढ़ी।
मैं चरम सीमा पर पहुँच गई।
मेरी चूत से पानी निकला और मैं निढाल हो गई।
कुछ देर बाद अनिल ने मेरी चूत वीर्य से भर दी।
मुझे ऐसा लगा जैसे गर्मी के बाद बारिश!
हमने देखा कि चादर पर खू.न लगा है।
मैंने चादर बदली और बाथरूम से चूत धोकर आई।
अनिल लंड धोकर आया।
उसने पूछा, “अभी भी दर्द हो रहा है?”
मैंने कहा, “थोड़ा दर्द हो रहा है!”
हम नंगे पास-पास लेटे थे।
कुछ देर में हम फिर मूड में आ गए और फिर से संभोग किया।
इस बार ज्यादा देर तक।
सुबह मुझे चलने में थोड़ी तकलीफ हुई, लेकिन मैं बहुत खुश थी।
अनिल भी खुश दिखा।
फ्रेश होकर हमने नाश्ता किया।
मैंने सिर्फ मैक्सी पहनी थी, अंदर कुछ नहीं।
ऑफिस जाते समय अनिल ने मेरे होंठों को चूमा।
फिर पीछे आकर मेरी मैक्सी कमर तक उठाकर मेरे कूल्हों को चूमा और ऑफिस चला गया।
तब से रोज ऑफिस जाते समय अनिल मुझे ऐसे ही प्यार करता है।
हम कब ‘आप’ से ‘तुम’ में आ गए, पता नहीं चला।
अब तो अनिल मुझे “हाय सेक्सी!” कहकर पुकारते हैं।
हम बहुत नजदीक आ गए हैं; साथ बैठकर सेक्स वीडियो देखते हैं, नए-नए आसन आजमाते हैं।
अनिल मुझे घोड़ी बनाकर चोदते समय कूल्हों पर हल्के चाँटे मारता है, मजा आता है।
मैं लंड की सवारी भी करती हूँ।
स्वाति, तुम्हें अनेक धन्यवाद! मुझे अनिल को सेक्स के लिए उकसाने के तरीके और सेक्स के बारे में बताने के लिए।
तुम्हारे पति विजय को भी धन्यवाद, उन्होंने अनिल को सेक्स के लिए उकसाया।
आपको यह पत्नी पति सेक्स कहानी कैसी लगी, बताएँ मेल पर।
मेल भेजते समय कहानी का नाम अवश्य लिखें।
मैंने अनेक कहानियाँ लिखी हैं।
आपका रतन दत्त
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