जीजा साली चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं जीजा से फंस चुकी थी। वो मुझे चोदने को बेचैन थे पर मौका नहीं मिल रहा था। फिर वो घड़ी आई जब मैं पहली बार चुदी और ऐसी चुदी कि …
दोस्तो, जीजा साली चुदाई की इस कहानी का अगला भाग आपके सामने लेकर मैं हाज़िर हूँ।
इस सेक्स स्टोरी के पहले भाग
जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-1
में अभी तक आपने पढ़ा कि किस तरह से मैं अपने जीजा के साथ फंस चुकी थी। न मना कर सकती थी और न किसी को बता सकती थी।
खैर मजा तो मुझे भी आ ही रहा था इसलिए मैं ये सब कुछ चलने देना चाहती थी।
मैंने और जीजा अभी तक केवल ऊपर ही ऊपर से जिस्म का मजा लिया था।
जीजा तो मुझे चोदने को बेचैन थे मगर उनको ऐसा मौका ही नहीं मिल रहा था।
फिर दोस्तो, वो घड़ी भी आ गई जब मैं पहली बार चुदी और ऐसी चुदी कि जिंदगी में वो चुदाई हमेशा याद रहेगी।
दोस्तो मैं जैसे ही 20 साल की हुई उसी समय एक वैकेंसी निकली हुई थी, मैंने भी उसमें अपना फार्म डाल दिया।
और किस्मत से मेरा नाम भी परीक्षा देने के लिए आ गया। मगर उसके लिए मुझे जयपुर जाना पड़ता।
मेरे घर पर तो पापा ने साफ मना कर दिया कि हम इतनी दूर तुझे अकेली नहीं भेज सकते और न ही मेरे पास समय है कि तुझे लेकर जाऊं।
परीक्षा का दिन पास आ रहा था मैं सोच में थी कि क्या करूँ कि वहाँ जा सकूं।
यह बात मेरी माँ ने मेरी बहन को बताई और वहीं से ये बात मेरे जीजा तक पहुँच गई।
बस क्या था, उन्हें शायद इसी मौके का इंतजार था।
वो मेरी दीदी को बोले कि अगर कोई नहीं जा रहा है तो मैं उसे लेकर चला जाता हूँ।
और दीदी ने यह बात पापा को कही और किस्मत से पापा ने हाँ भी कर दी।
जब मुझे ये बात पता चली तो सब कुछ भूल कर बस यही दिमाग में आया कि बस अब तो वहाँ जीजा मुझे चोद के ही रहेंगे।
और सच भी यही था उन्होंने इसीलिए ये प्लान बनाया था।
उसके दूसरे दिन ही हम दोनों के टिकट बुक हो गए और परीक्षा के 2 दिन पहले हम दोनों चल पड़े।
परीक्षा के ठीक एक दिन पहले हम वहाँ पहुँच गए।
ट्रेन में तो जीजा मुझे कुछ नहीं बोले और न ही मेरे साथ कुछ हँसी मजाक कुछ भी नहीं।
जब हम लोग जयपुर पहुँचे. वहाँ जीजा ने सबसे पहले एक अच्छे से होटल में एक कमरा बुक किया।
कमरे में हम दोनों ने अपना सामान रखा और जीजा नहाने के लिए बाथरूम चले गए।
उसी बीच मैंने भी अपने कपड़े बदले और एक पतली सी नेट वाली गाउन पहन ली।
जीजा के बाहर आते ही मैंने भी अपनी चड्डी और ब्रा लिया और बाथरूम चली गई।
वहाँ मैंने अपने सारे कपड़े उतारकर अपने आप को सामने लगे आईने में देखने लगी। मैं अपने दूध को साहलाते हुए सोच रही थी कि आज पक्का मेरा कुँवारापन टूट जाएगा।
सोच कर ही मन में गुदगुदी लग रही थी।
फिर मैं नहा कर निकली, उस वक्त जीजा वही बिस्तर पर लेटे हुए थे।
मैं आईने के सामने गई और बाल संवारने लगी।
तभी जीजा पीछे से आकर मुझसे लिपट गए।
मैं उन्हें दूर करने लगी मगर वो अब कहाँ मानने वाले थे।
जीजा मेरे दोनों दूध को हाथ से सहलाने लगे और मेरे गले को चूमने लगे।
मेरे अंदर जैसे बिजली का तेज करेंट दौड़ गया।
उनका टाइट लंड मेरे गांड की दरार पर चिपका हुआ था।
मैंने उनसे कहा- अभी नहीं अभी रहने दो, एग्जाम के बाद करेंगे ये सब।
वो भी कुछ देर मुझे चूमने के बाद अलग हुए फिर हम दोनों बाहर रेस्टोरेंट जा कर खाना खाया।
वहीं पर जीजा ने मेरे परीक्षा की जगह का पता लगाया और उसके बाद हम दोनों ही होटल आ गए।
दोपहर के 2 बज रहे थे जीजा ने रूम का दरवाजा बंद किया और तुरंत मुझे अपनी बांहों में भर लिया- देख मेरी जान, अभी हम दोनों के पास बहुत समय है. अब मना मत करना, अब हो जाने दे सब … बहुत तड़प रहा हूँ तेरे लिए।
“पर जीजा … मुझे बहुत डर लग रहा है मैंने आज तक ये नहीं किया है।”
“तू बिल्कुल चिंता मत कर, तुझे इतने प्यार से चोदूँगा कि तुझे भी बहुत मजा आएगा।”
और एक झटके में उन्होंने मेरी कुर्ती उतार फेंकी।
मैं ब्रा चड्डी में उनके सामने थी, मेरा गोरा गोरा बदन देख उनसे रहा नहीं गया।
उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए और केवल चड्डी में रह गए। उनका मोटा सा लंड चड्डी में तम्बू बना रहा था।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। मेरे तने हुए दोनों दूध सीधा उनके सीने में दब गए।
उन्होंने जैसे ही मुझे अपने सीने से लगाया … कसम से दोस्तो मैं सब कुछ भूल गई।
जीजा ने तुरंत ही मेरे रस भरे होंठों को अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया। उनका एक हाथ मेरी नंगी कमर को सहलाते हुए मेरी गांड को दबाने लगा। उनका लंड मेरी बुर की दरार को चड्डी के ऊपर से गर्म कर रहा था।
वो बहुत ही जोर से मेरे होंठों को चूम रहे थे, मैं भी उनका साथ देने लगी मेरे होंठ भी उनके होंठों पर चल रहे थे।
कुछ देर में उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ले गए और मेरी ब्रा के हुक खोल दिए।
अब मेरे दोनों बड़े बड़े दूध आजाद होकर तन गए। अब वो मेरे होंठों को छोड़ मेरे सीने की तरफ झुक गए और मेरे एक गुलाबी निप्पल को अपने मुंह में भर लिए।
“आआह हहओ ऊऊऊ ओह्ह ओह्ह आआह!” मेरे मुँह से अपने आप ऐसी सिसकारी निकलने लगी।
वो बहुत प्यार से मेरे दूध को चूस रहे थे और अपने दूसरे हाथ से मेरे दूसरे दूध को सहला रहे थे।
उनके ऐसा करने से मेरे दोनों निप्पल तन गए. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैंने अपने दोनों हाथों से उनके सिर को थाम कर अपने सीने में गड़ा लिया।
बारी बारी करते हुए मेरे दोनों दूध को सहला और चूस रहे थे।
कुछ ही पल में मेरे दोनों गोरे दूध लाल हो चुके थे। मेरी चड्डी सामने से बिल्कुल गीली हो गई थी, मुझे अपार सुख मिल रहा था। लग रहा था कि जीजा मुझे बस ऐसे ही चूमते रहे।
थोड़ी देर के बाद जब जीजा ने महसूस किया कि अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मेरी चड्डी की तरफ हाथ बढ़ाया.
मगर शर्म के कारण मैंने उनका हाथ झटक दिया और अपने दोनों हाथों से अपनी चड्डी छुपाने लगी।
उस समय मैं 55 किलो की थी मगर जीजा ने एक झटके में मुझे अपनी गोद में उठा लिया। उनकी मजबूत बांहों में मैं किसी गुड़िया की तरह थी।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और तुरंत मेरे ऊपर आ गए और मेरे गालों, होंठों को चूमने लगे. ऐसे ही चूमते हुए वो मेरे चूचों, और फिर मेरे पेट तक पहुंच गए।
जीजा मेरी नाभि पर अपनी जीभ लगाकर चाटने लगे. उस वक्त मुझे काफी गुदगुदी हो रही थी।
फिर वो और नीचे जाते हुए मेरी मोटी गोरी जांघों को चूमने लगे।
इस तरह चूमते हुए वो मेरी चड्डी को नीचे सरका दिए, अब मेरी गुलाबी बुर उनके सामने थी।
मैं हाथों से अपनी बुर को छुपाने लगी मगर जीजा ने मेरे हाथों को किनारे कर दिया।
और मेरी बुर को देखते हुए बोले- अरे वाह मेरी जान … तुम दोनों ही बहनों की बुर तो कमाल की है एकदम छोटी चूत।
ऐसा कहते हुए उन्होंने अपना मुंह मेरी बुर पर लगा दिया और अपनी जीभ से मलाई की तरह चाटने लगे।
मेरे मुँह से तो अब सिसकारी रुक ही नहीं रही थी- आआह ओऊऊऊ ओहो होहो ओह आहहह नहीईईई न जीजा जी मत करो। उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ आआह ऊऊऊ ऊऊईई ईईई
मम्मीईईई आहहह!
मैं किसी मछली की तरह बिस्तर पर मचल रही थी और जीजा मेरी बुर को चूसे जा रहे थे। मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी, मैं जीजा का सर पकड़ कर हटाने लगी। मैं अपनी गांड को बार बार बिस्तर पर पटक रही थी।
अब जीजा से भी रहा नहीं जा रहा था। वो अपने घुटनों के बल बैठ गए और अपनी चड्डी नीचे करते हुए उतार दी।
जीजा का विशाल लंड मेरी आँखों के सामने आ गया। बिल्कुल काला मोटा सा लंड देख मैं सोचने लगी कि ‘हे भगवान ये इतना मोटा बुर में जायेगा कैसे?’
जीजा अपने हाथों से अपने लंड को सहलाते हुए मेरे ऊपर आ गए। जीजा का लंड अब मेरी बुर के ऊपर आकर टिक गया। उनके गर्म लंड का स्पर्श पा कर मेरी बुर में खुजली तेज़ हो गई।
जीजा ने अपने हाथ से लंड को मेरी बुर पर ऊपर नीचे रगड़ना शुरू कर दिया।
जीजा के लंड का सुपारा मेरी बुर की लाइन में घुसा जा रहा था।
मैं इतनी जोश में आ चुकी थी कि मेरे दोनों पैर अपने आप फैल गए और जीजा के लंड को अपनी बुर के आगोश में ले लिया।
जीजा अब लंड को बुर पर सेट कर चुके थे। उन्होंने मेरी बांहों को थामते हुए अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मुझे अपने सीने से चिपका लिए।
और धीरे धीरे लंड पर जोर देने लगे.
मगर जीजा का लंड साली की बुर के अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था।
बार बार जीजा लंड सेट करते और कोशिश करते मगर हर बार लंड कही पेट की तरफ तो कभी मेरी गांड की तरफ चला जाता।
मगर जीजा भी काफी माहिर खिलाड़ी थे। उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर लाकर उनको थाम लिया और मेरी गांड को थोड़ा उठा लिया।
फिर जीजा ने मेरे चूतड़ हाथों से फैलाये जिससे मेरी बुर भी कुछ फैल गई।
अब उन्होंने मुझसे कहा- मुझे जोर से पकड़ ले।
और मैंने दोनों हाथों से उनकी पीठ जकड़ लिया।
इतने में जीजा ने एक जोर का धक्का लगाया। जीजा के लंड का सुपारा बुर के छेद को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
मैं तड़प गई और बोली- ऊऊईईई ईईई मम्मीईईई … आआहहह नहीईई निकालओओ!
जीजा ने तुरंत ही मेरी गांड छोड़ कर मेरी पीठ थाम ली और दूसरा धक्का जड़ दिया। जीजा का लंड साली की बुर को चीरता हुआ बुर की गहराई तक उतर गया।
मैं चिल्लाती रही- नहीईई नहीईई नहीईई करो … निकालो … मैं मर जाऊँगी प्लीज निकालो।
मगर जीजा तो जैसे सुन ही नहीं रहे थे।
उन्होंने तीसरा धक्का भी लगा दिया और लंड मेरी बच्चेदानी में जा कर टकरा गया।
मेरी कुवारी बुर अब फट चुकी थी। मुझे बहुत ही ज्यादा दर्द हो रहा था.
कुछ देर जीजा मेरे होंठ और गालों को चूमते रहे और लंड वैसे ही बुर में गड़ा हुआ था।
कुछ ही पल में मेरा सारा दर्द हवा हो चुका था, तब जीजा ने मुझसे कहा- अब कैसा लग रहा है?
“अब ठीक हूँ।”
“तो अब तो तेरी बुर फट गई मेरी जान … अब चोदूँ तुझे!”
मैंने अपना चेहरा मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ कर लिया।
इशारा पा कर जीजा ने हल्के हल्के लंड अंदर बाहर करना शुरू किया।
मेरी तो आह निकलने लगी- हहह आआहह ऊऊऊ ऊऊईई ईईईई आह ओऊऊ … ओह आआआई मम्मीईईईई आआआहहह!
मुझे भी अब मजा आ रहा था।
अब जीजा ने भी अपनी रफ्तार तेज करते हुए दनादन मुझे चोदना शुरू कर दिया। मेरी टाइट बुर में जब लंड अंदर जाता तो मेरी जोर से आह निकल जाती। मेरी भी गांड अपने आप नीचे से धक्के मारने लगी।
मेरी गीली बुर के कारण कमरे में फच फच फच की आवाज गूंजने लगी।
जीजा ने अपने हाथ मेरी पीठ से हटा कर बिस्तर पर टिकाया और बोले- ले अब असली मजा।
और पूरी ताकत से धक्के मारने लगे।
उनके धक्के अब मुझसे सहन नहीं हो रहे थे- धीरे धीरे धीरे करो जीजा आहह ऊऊऊईईईई हह मम्मीईईईई नहीईई हहह रुको आआआहहह!
कुछ ही पल में मैं झड़ गई. जीजा भी तेज रफ्तार से चोदते हुए झड़ गए और मेरे ऊपर लेट गए।
जीजा का लंड अभी भी मेरी फटी बुर के अंदर ही था और बीच बीच में जीजा उसको धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे।
उनका पूरा वीर्य मेरी बुर में लबलबा गया था।
कुछ देर में लंड ढीला होकर बाहर आ गया। जीजा मेरे ऊपर से उठे और बगल में लेट गए।
मैं भी कुछ देर वैसे ही लेटी रही फिर मैं उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम जाने को उठी।
जैसे ही मैं उठी तो मेरी जांघों पर गर्म गर्म कुछ महसूस हुआ।
मैंने देखा तो जीजा का वीर्य मेरी बुर से निकलकर मेरी जांघों पर और फर्श पर गिर रहा था उसमें कुछ मेरी बुर से निकल रहा खून भी मिला हुआ था।
सच में उस वक्त मुझे ये सब देखकर बहुत गंदा लगा।
मैं बाथरूम गई और वहाँ अपनी बुर और जांघों को साफ की और कपड़े पहनकर कमरे में आ गई।
उस वक्त तक जीजा की नींद लग गई थी।
मैं भी उनके बगल में लेट गई और सो गई।
शाम को 7 बजे हम दोनों ही उठे और तैयार होकर बाहर घूमने निकले।
बाहर खाना खाया और 9 बजे होटल वापस आ गए।
मुझे कमरे में छोड़ कर जीजा ‘कुछ देर में आता हूं’ बोलकर फिर चले गए।
मैं वहीं कुछ देर टीवी देखती रही और सोचती रही कि क्या रात में भी मेरी चुदाई होगी या बस जीजा का मन भर गया है।
दोस्तो, जीजा साली चुदाई की इस कहानी में आगे क्या क्या हुआ और कैसे मेरी गांड की भी चुदाई हुई ये सब कहानी के अगले भाग में पढ़िए।
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