क्लीन पुसी फक स्टोरी में मेरे पड़ोस की लड़की को मैंने उसके भाई से चुदवाती देखा तो मैंने भी उसे चोदने की ठान ली. एक दिन उसने काम से अपने घर बुलाया तो वो अकेली थी.
मित्रो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी है … आनन्द लीजिए.
मेरा नाम राजीव है और आज मैं आपको अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली एक दीदी और मेरे बीच हुई एक मदमस्त सेक्स घटना को लेकर है.
यह क्लीन पुसी फक स्टोरी आज से करीब चार साल पुरानी है.
उस समय मैं 21 साल का था.
मेरे पड़ोस में एक दीदी रहती थीं, जिनका नाम अंजलि था.
वे मुझे अपने भाई जैसा मानती थीं.
दीदी मुझसे लगभग एक साल बड़ी थीं.
उनका एक छोटा भाई भी था, जिसका नाम विशाल था.
वह मुझसे उम्र में छोटा था.
पर एक बार उसने ऐसा बड़ा काम कर दिखाया, जो मैंने इतना बड़ा होने के बावजूद नहीं किया था.
वह नवंबर का महीना था.
मैं अंजलि के घर के सामने से गुजर रहा था.
तभी मुझे उनके घर से एक लड़की की कराहने की आवाज सुनाई दी.
यह आवाज ऐसी थी जैसे वह दर्द से चिल्ला रही हो.
मैंने खिड़की के एक छोटे से छेद से अन्दर झांका, तो मैं दंग रह गया.
कमरे के अन्दर विशाल नंगा लेटा हुआ था और उसके पतले, मरियल से लंड पर नंगी अंजलि दीदी उछल रही थीं.
कुछ ही देर में विशाल झड़ गया और बगल में ढेर हो गया.
अंजलि दीदी उसे देख रही थीं, उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था कि वे अपने भाई के लंड से संतुष्ट नहीं हुई थीं.
मैंने ये सब देखकर अपनी किस्मत को बहुत कोसा और ठान लिया कि जैसे ही मौका मिलेगा, मैं उसे गंवाऊंगा नहीं.
कई दिन बीत गए, लेकिन मुझे मौका नहीं मिला.
फिर एक दिन जब उनके घर के सभी लोग किसी रिश्तेदार के यहां गए थे और दीदी घर पर अकेली थीं, तब वे मेरे घर आईं.
उन्होंने मुझसे कहा- मेरे टीवी में कुछ खराबी आ गई है. प्लीज, आप एक बार आकर देख लीजिए. मेरे घर पर कोई नहीं है और बिना टीवी के मेरा मन नहीं लग रहा है.
मैं उनके साथ चला गया.
वहां जाकर मैंने कुछ ही देर में टीवी ठीक कर दिया.
दरअसल गलती से उन्होंने टीवी को किसी दूसरे मोड पर सैट कर दिया था, जिसे सुधारना बड़ा आसान था लेकिन अंजलि दीदी ऐसा नहीं कर पाई थी, यह मेरे लिए जरा आश्चर्य की बात थी.
फिर अंजलि दीदी ने मुझे चाय के लिए रोक लिया और मैं रुक गया क्योंकि मुझे लग रहा था कि शायद आज मुझे मौका मिल जाए.
जैसा मैंने सोचा, वैसा ही हुआ.
मैं उनके बगल में बैठकर चाय पीते हुए टीवी देख रहा था.
काफी बातें करने के बाद मैंने देखा कि टीवी पर एक रोमांटिक फिल्म का रोमांटिक सीन चल रहा था.
मैंने धीरे-धीरे उनके कंधे पर हाथ रखा, फिर उनका ध्यान भटकाने के लिए अपना हाथ उनके स्तनों की तरफ बढ़ाया.
उन्होंने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया और बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- क्या मैंने कुछ गलत किया?
उन्होंने जवाब दिया- जो तुम करने की कोशिश कर रहे थे, वह गलत है. मैं तुम्हारी बहन जैसी हूँ.
मैंने बिना रुके कह दिया- अगर तुम अपने सगे भाई को ये मौका दे सकती हो, तो मैं तो फिर भी कहने का भाई हूँ.
यह सुनकर वे कुछ देर चुप रहीं, फिर हिचकिचाती हुई बोलीं- वह … मेरा कुछ समय पहले ब्रेकअप हुआ था तो …
मैंने तुरंत कहा- मैं जानता हूँ कि तुम्हारा भाई तुम्हें संतुष्ट नहीं कर पाता है … क्यों न तुम मुझे एक मौका दे कर देखो?
इस पर उनका कोई जबाव नहीं आया.
मैं उनके और करीब आ गया.
वे बोलीं- यदि ऐसी बात है तो ठीक है. तुम क्या चाहते हो?
मैंने कहा- बस एक बार मुझसे चुद लो!
उन्होंने जवाब दिया- चलो मैं तुम्हें भी एक मौका दे ही देती हूँ. लेकिन असफल होने पर कभी दोबारा मेरे साथ ऐसा करने की कोशिश नहीं करना!
मैंने कहा- यदि सफल हुआ तो?
इस पर उन्होंने कहा- तो तुम्हें बार बार मौका मिलेगा.
अब आखिरकार मुझे मौका मिल गया था.
मैंने पिछली रात जैसा पोर्न वीडियो में देखा था, आज अंजलि के साथ मैं वैसा ही करने की कोशिश कर रहा था.
मैंने इससे पहले कभी लड़की नहीं चोदी थी.
मैंने अंजलि दीदी को पकड़ कर उन्हें किस करना शुरू किया, फिर धीरे-धीरे उनके पूरे जिस्म को अपने होंठों से चूमा.
हम दोनों एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे.
मैं अंजलि के बड़े बड़े चूचों को देखकर दंग रह गया.
मैं तुरंत उन पर टूट पड़ा, पहले तो मैंने उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से खूब चूसा और जोर जोर से दबा कर मजा लिया.
मेरे यह सब करने से अंजलि दीदी लगातार गर्म होती जा रही थीं और वे खुद ही मुझे अपने दूध चूसने के लिए मेरे सर को अपने मम्मों में दबा रही थीं.
मैं दीदी के मम्मों को चूसने और चूमने के बाद उनके चिकने बदन को चूमता हुआ नीचे को आ गया.
अब मैंने दीदी की पैंटी उतारी तो देखा कि उनकी चूत एकदम चिकनी थी.
उन्होंने अपनी चूत साफ कर रखी थी, क्लीन पुसी पर झांटों का नामोनिशान नहीं था.
मैंने पहले दीदी की चुत पर हाथ फेरा तो एकदम से फिसल सा गया.
झांटों के अहसास से जो हल्का खुरदुरापन का अहसास होता है, वह अहसास दीदी की चुत पर जरा सा भी नहीं था.
मैंने पूछा- क्या अभी कुछ देर पहले ही झांटें साफ की हैं.
वे मेरा मतलब समझ गईं कि मैं क्या जानना चाहता हूँ.
उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया- मैं रेजर यूज नहीं करती हूँ. मैं वीट लगा कर पुसी क्लीन करती हूँ.
उस दिन मुझे पहली बार मालूम हुआ था कि वीट लगा कर सफाई करने से झांटों को किस तरह से जड़ से साफ कर दिया जाता है.
मैं सोचने लगा कि अब मैं भी अपने लौड़े की झांटों को वीट से साफ किया करूंगा.
यह सब सोचते हुए मैंने दीदी को धक्का देकर चित लिटा दिया और उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
वे ‘अम्म्म … अह्ह्ह …’ की आवाजें निकाल रही थीं.
काफी देर तक मैंने दीदी की चूत को चाटा और उनके मम्मों को दबाकर उन्हें चुदासा कर दिया.
अब वे मेरे लौड़े का जादू देखने को बेचैन थीं.
मैंने अपना अंडरवियर खोला.
दीदी मेरे लंड का साइज देखकर खुश होकर मुस्कुरा दी.
शायद इतना मोटा और लंबा लंड उन्होंने आज से पहले कभी नहीं देखा था.
दीदी के चेहरे की खुशी देखकर तो यही लग रहा था.
अंजलि दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और मुठ मारना शुरू कर दिया.
पहली बार किसी लड़की से मुठ मरवाने में मुझे सचमुच बहुत मजा आ रहा था.
फिर उन्होंने मेरे खड़े लंड को अपने मुँह में भर लिया और आगे पीछे करने लगीं.
जल्द ही दीदी ने मेरे पूरे लंड को गीला कर दिया.
अब मैंने उन्हें पकड़ कर लेटा दिया और अंजलि दीदी की चूत में अपना लंड सैट करने लगा.
वे मेरे लौड़े की गर्मी को अपनी चुत पर महसूस करते ही एकदम से व्याकुल हो गईं और अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसे अपनी चुत की दरार में रगड़ती हुई आह आह करने लगी.
चुत से चिपचिपा पानी निकलने लगा था.
मैंने उनकी चुत के दाने को अपने लंड के सुपारे से घिसा तो वे मचल उठीं और उनके मुँह से गाली निकलने लगी- आह … मां के लौड़े, अब क्या मुहूर्त निकलवाने का इंतजार कर रहा है … भोसड़ी के पेल दे न अन्दर … आह आह साले मेरी चुत भभक रही है … घुसेड़ दे जल्दी से अन्दर … और चोद दे मुझे रंडी समझ कर … आह पेल ना मादरचोद अअ … मर गई इई!
दरअसल जैसे ही दीदी ने मुझसे गाली देकर चोदने के लिए कहा, उसी वक्त मैंने उनकी चुत के अन्दर लंड को पेलना शुरू कर दिया था.
मैंने एकदम से लंड अन्दर तक पेल दिया था, तो वे बहुत जोर से चिल्ला दीं- ऊई अह्ह मर गई आह!
मैंने अपने दांतों को भींचते हुए कहा- साली रांड … अभी तो आधा ही लौड़ा अन्दर गया है और भैन की टकी तू चिल्लाने लगी है!
दीदी ने कराहते हुए मुझसे पूरा लंड पेल देने को कहा.
मैंने दम लगाकर पूरा हथियार अन्दर डाल दिया और आगे-पीछे करने लगा.
अंजलि दीदी की चीखें रुकने का नाम नहीं ले रही थीं- अह्ह्ह … साले भोसड़ी के अम्म्म … फट गई मेरी ऊऊह … चोद साले आज तू और तेज चोद … और तेज राजीव!
अंजलि दीदी की ये कामुक आवाजें मुझे सुनने में उन्हें चोदने से भी ज्यादा मजा दे रही थीं.
इसलिए मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी ताकि वे और जोर-जोर से चीखें.
काफी देर इस पोज में चुदाई करने के बाद मैंने पोज बदलने को कहा और दीदी से डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
वे नखरे करने लगीं- ऐसे ही मजा आ रहा है राजीव तू चोद तो सही आह … रुक क्यों गया चोद न!
‘अरे कुतिया बन कर चुदवाने में और ज्यादा मजा आएगा दीदी आप बनो तो सही कुतिया!’
‘साले मजा खराब कर रहा है … आह अच्छा दो चार शॉट और मार … फिर बन जाऊंगी कुतिया … आह जल्दी से पेल न … कितनी मस्त खुजली मिट रही थी!’
फिर मैंने दो तीन शॉट मारे और उन्हें कुतिया बन जाने का कहा.
अब वे बोलीं- अच्छा मैं तेरे ऊपर आ जाती हूँ.
मैं उनकी इस बात से सहमत हो गया और चित लेट गया.
अंजलि दीदी मेरे लंड के ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर उस पर बैठ गईं.
लंड एकदम से अन्दर गया तो दीदी आह आह करने लगीं मगर चुत में लंड ले ही लिया.
अब वे अपनी कमर को लौड़े पर ऊपर नीचे करती हुई चुदवाने लगीं.
बीच-बीच में मैं भी नीचे से झटके देता था, तब उनके मुँह से निकलने वाली आवाजों का मैं मजा लेने लगता था.
‘अह्हह … फ़क..’
फिर मैंने उन्हें अपनी छाती की तरफ खींचा और उनके दूध चूसने लगा.
दीदी को दूध चुसवाते हुए चुत चुदवाने में मजा आने लगा था तो वे अपने दोनों दूध बदल बदल कर मुझसे चुदवा रही थीं.
सच में यार क्या दिन था वह … साला जन्नत की हूर मेरे लौड़े पर नाच रही थी.
उस दिन हम दोनों ने मस्त चुदाई की और तीन बार मजा लिया.
आज अंजलि दीदी पहली बार इतनी खुश दिख रही थीं.
उनके चेहरे पर संतुष्टि दिख रही थी.
फिर उनके घर वालों के आने का टाइम हो गया तो मैं जाने लगा.
पर हमने प्लान बनाया कि जब भी मौका मिलेगा, खूब चुदाई करेंगे.
अगली बार जब उनके घर के सभी लोग कहीं जा रहे थे तो अंजलि ने साथ जाने से पहले मना कर दिया था.
पर पता नहीं क्यों उस दिन वह भी उन सबके साथ चली गई.
उस दिन मेरा चुदाई करने का बहुत मन था.
मैंने अंजलि दीदी को मैसेज किया तो उन्होंने अपनी फ्रेंड शिल्पा का नंबर दे दिया.
मैं शिल्पा से पहले उस वक्त मिल चुका था, जब अंजलि दीदी की चुदाई करते वक्त वह अचानक घर पर आ गई थी.
अंजलि दीदी उससे कुछ नहीं छुपाती थीं, इसलिए उसे हमारे बीच की बात पता थी.
अंजलि दीदी ने शिल्पा को सब समझा दिया था.
जब शिल्पा आई, तो मैं उसे अपने कमरे में ले गया.
किस्मत से मेरे घर पर सिर्फ मेरा छोटा भाई था जो ऊपर वाले कमरे में सो रहा था.
शिल्पा अपने साथ कॉन्डम लाई थी.
उसका फिगर अंजलि से भी लाजवाब था.
उठी हुई गांड, भरे-भरे चूचे.
मैंने उसकी गांड खूब चाटी, उसके चूचे चूसे, चूत सहला कर अपने लंड पर कॉन्डम लगाया और उसके अन्दर डाल दिया.
उसकी चीखें अंजलि से भी तेज थीं- अह्ह्ह्ह.
मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया, नहीं तो मेरा भाई उठ जाता.
काफी देर इस पोज में चुदाई करने के बाद मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
मैंने सोचा ये भी अंजलि की तरह नखरे करेगी, पर वह चुपचाप डॉगी स्टाइल में आ गई.
फिर मैंने उस दिन की चुदाई का भरपूर मजा लिया.
शिल्पा की आवाज से ज्यादा तेज फच-फच की आवाज आ रही थी.
हमने अलग-अलग पोज में चुदाई की, एक बार उस लड़की की गांड भी मार ली.
मुझे अंजलि दीदी से ज्यादा मजा शिल्पा को चोदने में आ रहा था.
फिर तो जब भी मौका मिलता, मैं कभी अंजलि दीदी को चोद लेता, तो कभी उनकी सहेली शिल्पा को पेल देता.
फिर कुछ महीनों बाद अंजलि दीदी की शादी हो गई.
अब दीदी की चूत उनके पति के कब्जे में है.
पर शिल्पा की चुत मुझे आज भी आराम से मिल जाती है.
मैं उसे ओयो होटल में सेक्स का मजा लेकर खूब चोदता हूँ.
दोस्तो, उम्मीद है आपको मेरी ये सच्ची सेक्स कहानी अच्छी लगी होगी.
मेरे कई दोस्तों के पास भी उनकी कहानियां हैं, मैं आपको वे सभी सुनाऊंगा.
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