Xxx गर्म चूत का मजा मिला मुझे जब मेरे जवान भतीजी मुझे दिल्ली एअरपोर्ट पर मिल गयी. मैं उसे अपने होटल में ही ले गया. रात को हम दोनों के बीच क्या हुआ?
पाठको और पाठिकाओ, ये Xxx गर्म चूत का मजा कहानी मेरी एक रिश्ते में लगती भतीजी की है जिसे अपने ऑफिस के काम से दिल्ली आना पड़ा, और लेट होने की वजह से मेरे साथ होटल में रुकना पड़ा।
मेरी भतीजी का नाम श्रेया है, जिसकी उम्र चौबीस साल है।
वो देखने में बहुत ही सुंदर, गोरी-चिट्टी, अप्सरा जैसी है।
श्रेया का कद पांच फीट छह इंच है, लम्बे काले बाल, गोल-मटोल चेहरा, और लाल सुर्ख होंठ वाली।
श्रेया के बड़े-बड़े गोल चूचे, जिनका साइज चौंतीस सी का होगा।
उसकी पतली बलखाती कमर, जो छब्बीस इंच की थी।
पतली कमर के नीचे श्रेया के छत्तीस इंच साइज के बड़े सुडौल और गोल-गोल थिरकते हुए चूतड़, किसी बूढ़े के लण्ड को भी खड़ा करने की ताकत रखते थे।
आज अचानक श्रेया मुझे दिल्ली एयरपोर्ट पर मिल गई।
मैं मुंबई से दिल्ली मीटिंग के लिए आया था.
वो भी मेरी तरह मीटिंग के लिए चंडीगढ़ से दिल्ली आई थी।
मैं एयरपोर्ट से निकलकर टैक्सी में बैठने ही वाला था कि मुझे पीछे से चाचू-चाचू की मीठी आवाज सुनी।
जैसे ही मैंने पलटकर देखा, तो श्रेया खड़ी मुस्कुरा रही थी।
मुझे अपनी तरफ देखकर श्रेया ने मुस्कुराते हुए अपनी बाहें फैला दीं।
मैं भी हंसते हुए, “अरे श्रेया! तुम यहां!” बोलते हुए उसे बाहों में लेकर उससे ज्यादा गर्मजोशी से मिला।
फिर हम दोनों अलग हुए, तो श्रेया ने अपने आने का कारण बताया, और मैंने अपने आने का।
फिर जैसे ही श्रेया ने मीटिंग वाले वेन्यू का नाम बताया, तो मैं चौंक गया क्योंकि मेरी मीटिंग भी उसी वेन्यू में थी।
मैंने वेन्यू वाले होटल में पहले से कमरा बुक कर रखा था।
मैंने श्रेया को साथ चलने को बोला तो वो चहकते हुए अपना बैग लेकर टैक्सी में बैठ गई।
हम दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए होटल पहुंच गए और फटाफट तैयार होकर अपनी-अपनी मीटिंग में चले गए।
शाम को मैं छह बजे मीटिंग से रूम में आ गया।
मैंने देखा तो श्रेया अभी भी नहीं आई थी।
आदत के अनुसार मैंकपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में हो गया और मुंह-हाथ धोने के लिए बाथरूम में घुस गया।
मैंने कमोड के पास खड़े होकर अंडरवियर की साइड से लण्ड बाहर निकाला और मूतने लगा।
मूतते हुए मैंने ऐसे ही गर्दन को इधर-उधर घुमाया, तो बगल में एक हूक पर श्रेया की जींस और टॉप टंगा हुआ था।
आदत से मजबूर ठरकी मर्द की तरह मैंने उसकी जींस और टॉप उठा लिया।
मैंने जैसे ही जींस और टॉप उठाकर पलटते हुए देखा, तो उनमें श्रेया का काले रंग का थांग और मैचिंग ब्रा थी।
मैंने थांग और ब्रा लेकर जींस और टॉप वापिस टांग दिया।
मेरे मन में श्रेया के लिए कोई गलत विचार नहीं था, बस आदत से मजबूर और कमरे में अकेले होने के कारण गलत हरकत कर रहा था।
मैं श्रेया की ब्रा को ध्यान से देखते हुए उसके चूचों के बारे में सोचने लगा और ख्यालों में उसके चूचों की पिक्चर बनाकर उन्हें चूसने लगा।
ये सब करते हुए मेरे लण्ड में तनाव आने लगा।
फिर मैंने श्रेया की पैंटी फैलाकर ध्यान से देखने लगा और सूंघने लगा।
पैंटी में अजीब सी मादक खुशबू थी।
मैं पैंटी को सूंघते हुए, जहां श्रेया की चूत होगी वहां-वहां जीभ फिराने लगा, जैसे श्रेया की चूत के होंठों में जीभ चला रहा हूं।
मैं श्रेया को इमेजिन करने लगा कि श्रेया मुझसे चूत चटवाते उफ्फ! आह चाचू! बोल रही थी।
तभी मेरे फोन की घंटी बजी.
तो मैंने फटाफट लण्ड को अंडरवियर में किया और श्रेया की ब्रा-पैंटी वहीं टांगकर बाहर आ गया।
मैंने फोन उठाया तो उधर श्रेया थी।
वो चहकते हुए बोली, “चाचू! मैं मीटिंग में बहुत लेट हो गई! मेरी फ्लाइट भी मिस हो गई! आज मुझे दिल्ली ही रुकना पड़ेगा! प्लीज आप मेरे लिए रूम बुक कर दो ना!”
मैंने कहा, “अरे श्रेया, रूम तो मेरे पास है ही, दूसरा क्यों बुक करना? यहीं मेरे साथ रुक जाना!”
श्रेया बोली, “आह! थैंक्यू चाचू! मैं बस दस मिनट में आती हूं!”
मैं फोन काटकर कमरे में बने छोटे बार से व्हिस्की की बोतल लेकर एक पेग बनाकर खड़ा-खड़ा पीने लगा।
बार कमरे के गेट के एकदम सामने था।
थोड़ी देर बाद कमरे की बेल बजी तो मैंने वही टेबल पर गिलास रखकर दरवाजा खोला।
दरवाजा खोलते ही श्रेया अंदर आ गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली, “ओह चाचू! मैं तो आज बुरी तरह थक गई! इतनी लम्बी मीटिंग! ओह गॉड! मीटिंग के चक्कर में मेरी फ्लाइट भी मिस हो गई!”
मैंने श्रेया के सिर पर हाथ फिराते हुए कहा, “कोई बात नहीं श्रेया, तुम रेस्ट कर लो। आज यहीं मेरे साथ रुक जाना, और कल वापिस चली जाना।”
श्रेया सीधी होकर बोली, “हां, ठीक है चाचू! ये ही सही रहेगा!”
श्रेया जैसे ही सीधी हुई तो उसका हाथ गलती से मेरे अंडरवियर में झूलते लण्ड से टकरा गया।
फिर उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, “अरे चाचू! आप कच्छे-बनियान में क्यों घूम रहे हो!”
मैंने हंसते हुए कहा, “कच्छा-बनियान नहीं, अंडरवियर-बनियान बोलो!”
श्रेया बोली, “व्ववो! वहीं तो चाचू!”
मैंने अपना पेग उठाकर श्रेया से पूछा, “तुम पेग लोगी क्या?”
श्रेया बोली, “चाचू, मैं बहुत थक गई हूं! अगर आप मम्मी को नहीं बताओगे, तो मैं पी लूंगी!”
मैंने दूसरा गिलास लेकर उसमें व्हिस्की डालते हुए कहा, “श्रेया, क्या तुम भी ब.च्चियों की तरह डरती हो? आराम से पियो और एन्जॉय करो!”
मैंने पेग श्रेया की तरफ बढ़ाते हुए अपना गिलास उसकी तरफ करते हुए चियर्स बोला।
तो उसने मेरी आंखों में देखकर मुस्कुराते हुए, “चियर्स!” बोलकर जवाब दिया और तीन-चार घूंट में पूरा पेग घटक कर सोफे पर बैठते हुए बोली, “चाचू! आप ऐसे नंगे क्यों घूम रहे हो!”
मैंने कहा, “अरे श्रेया, इसे नंगा नहीं कहते! तुम्हें तो पता है, घर में भी मैं ऑफिस से आने के बाद ऐसे ही हल्के कपड़ों में घूमता हूं, और यहां भी अकेला था, तो ऐसे हो गया।”
श्रेया बोली, “पर चाचू, अभी तो आप अकेले नहीं हो! मैं भी कमरे में हूं!”
मैंने श्रेया की गाल पर हाथ फेरते हुए कहा, “अरे यार, तो तुम कौन-सी बेगानी हो? तुम भी तो अपनी ही हो! अगर तुम्हें मेरे ऐसे घूमने से दिक्कत हो रही है, तो मैं दूसरा रूम बुक कर लेता हूं!”
श्रेया बोली, “नहीं चाचू! मेरा मतलब वो नहीं था! मैं तो बस मजाक कर रही थी!”
मैं अपना पेग लेकर उसके बगल में सोफे पर बैठ गया।
फिर हम दोनों इधर-उधर की बातें करने लगे।
थोड़ी देर में मेरा पेग खत्म हो गया तो श्रेया मेरे से गिलास लेकर उठकर दूसरा पेग बनाने लगी।
जब वो मेरे गिलास में व्हिस्की डाल रही थी तो बोली, “चाचू! देखो, कितना बड़ा पेग बनाऊं?”
मैंने कहा, “अरे बस! एकदम छोटा सा! मैं थोड़ी-थोड़ी पीता हूं!”
फिर उसने अपने गिलास में व्हिस्की उड़ेलते हुए कहा, “चाचू! मैं तो बड़ा पेग पीती हूं! बड़े से ही मजा आता है!”
मैंने उसके गिलास की तरफ देखकर कहा, “अरे श्रेया! तुमने तो गिलास को व्हिस्की से ही फुल कर लिया! अब इसमें सोडा कहां डालोगी?”
श्रेया ने मेरे पेग में सोडा डालकर गिलास मुझे दे दिया और खुद के गिलास में थोड़ा सा पानी डालकर एक घूंट में आधा गिलास खाली करके, फिर गिलास में और पानी डालकर एक घूंट में पूरा गिलास खाली करके, “आह! सी! सी!” करते हुए सिर हिलाने लगी।
मैंने फटाफट उठकर उसके मुंह में नमकीन काजू डाले, तो उसके मुंह का टेस्ट ठीक हुआ।
फिर वो सोफे पर पसरते हुए बोली, “चाचू! दारू का एक्चुअल टेस्ट जब तक मुंह में ना आए, तो दारू पीने में मजा ही नहीं आता!”
फिर वो हंसते हुए बोली, “जैसे आप पी रहे हो, वैसे तो दारू पानी जैसी लगती है!”
मैंने हंसते हुए कहा, “यार! तुम तो पागल ही हो!”
फिर थोड़ी देर बाद श्रेया बोली, “चाचू! मैं फ्रेश हो जाती हूं, और कपड़े चेंज कर लेती हूं!”
मैंने कहा, “ठीक है, श्रेया! तुम चेंज कर लो!”
श्रेया जैसे ही सोफे से उठी, तो वो एकदम से लड़खड़ा कर गिरते हुए मेरी गोद में बैठ गई।
वो एक मिनट में वापिस संभलते हुए खड़ी होकर बोली, “चाचू! एकदम दारू पीने से एक बार थोड़ा चक्कर जैसा फील होता है! थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा!”
फिर वो खड़ी-खड़ी थोड़ा नमकीन खाते हुए बाथरूम में घुस गई।
थोड़ी देर बाद श्रेया बाहर आई, तो वो गजब लग रही थी।
श्रेया इस टाइम सिर्फ एक गुलाबी फ्रॉक में थी।
उसके गोल-गोल चूचे फ्रॉक में कसे हुए थे, उसके तने हुए निप्पल फ्रॉक से साफ दिख रहे थे।
उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी।
श्रेया ने बाल खोलकर उन्हें पीछे बांध लिया था।
श्रेया की गोरी टांगें जांघों तक नंगी थीं।
मैं उसे बिना पलक झपकाए देखे जा रहा था।
वो मुझे ऐसे देखते हुए देखकर घूमते हुए हंसकर बोली, “लो चाचू! देख लो अच्छे से! मैं भी आपकी तरह चड्डी-बनियान में हो गई हूं!”
जैसे ही श्रेया घूमी, उसके दोनों चूतड़ स्प्रिंग की तरह उछलकर थिरके।
शायद श्रेया ने अभी पैंटी भी नहीं पहनी थी।
अगर पहनी भी होगी, तो कोई पतली थांग होगी, क्योंकि ऐसे तो किसी लड़की के चूतड़ तभी थिरकते हैं, जब उसने नीचे कुछ ना पहना हो।
फिर श्रेया बोली, “उफ्फ चाचू! बहुत काम करना पड़ता है ऑफिस में! आज तो आप मानोगे नहीं, मैं सुबह से बाथरूम भी अब गई हूं! मेरी तो टंकी पूरी फुल हो रखी थी!”
मैंने हंसते हुए कहा, “अब तो खाली कर आई अपनी टंकी, या अभी भी भरी हुई है?”
श्रेया बोली, “अरे चाचू! कितनी देर तक मूतने के बाद खाली हुई है!”
श्रेया की बहकी-बहकी बातें सुनकर मैं समझ गया था कि इसे नशा हो चुका है।
पहले मेरे मन में श्रेया को चोदने का कोई ख्याल नहीं था पर उसकी बेबाक बातों से मेरे दिल में हलचल होने लगी थी।
मैंने श्रेया की बात सुनकर कहा, “श्रेया! तुम गर्ल्स को सूसू करने के बाद धोना पड़ता होगा या नहीं?”
श्रेया पटाक से बोली, “अरे चाचू! पूरा दिन कितनी बार मूतना पड़ता है! हर बार हम धो नहीं सकती! आपको पता है, सूसू की कुछ बूंदें अंदर रह जाती हैं, जिससे शाम तक गंदी स्मेल आने लगती है! फिर मैं शाम को घर आकर साबुन से धोती हूं! आप मानोगे नहीं, कई बार तो गर्मियों में स्मेल से परेशान होकर मुझे डियो लगाना पड़ता है!”
फिर वो मेरी आंखों में देखकर हंसते हुए अपने हाथ को झड़काते हुए बोली, “चाचू! आप लोगों के मजे हैं! मूतने के बाद ऐसे झटका दो, पूरा साफ हो जाता होगा!”
मैंने हंसते हुए कहा, “अरे यार! ऐसा ही है! पर तुम डियो मत लगाया करो, डियो से तुम्हारी काली हो जाएगी!”
फिर मैंने उठते हुए बैग खोलकर एक महंगे परफ्यूम की बोतल निकालकर श्रेया को देते हुए कहा, “श्रेया! तुम सुबह नहाने के बाद इसकी एक बूंद लगा लिया करो, पूरा दिन तुम्हारी महकती रहेगी!”
मैंने श्रेया को जानबूझकर ‘तुम्हारी’ शब्द बोला।
श्रेया मेरे से बोतल लेकर उसे सूंघते हुए बोली, “चाचू! मेरा रंग इतना गोरा है, एक डियो से काला नहीं होगा! और रही बात इस परफ्यूम की, मक्खियां तो वैसे ही मेरे पीछे बहुत मंडराती हैं, ज्यादा खुशबू वाला परफ्यूम लगाने से तो अंदर ही ना घुस जाएं!”
श्रेया की आवाज हल्की लड़खड़ाने लगी थी।
मैंने उसके पास बैठते हुए उसकी नंगी टांग पर हाथ फिराते हुए कहा, “अरे! ये ही तो टाइम है! जितनी मक्खियों को ऊपर बिठा लोगी, उतना ही ज्यादा मजा आएगा!”
श्रेया मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर बोली, “चाचू! हर किसी को भी तो ऊपर नहीं बिठा सकती ना!”
मैंने श्रेया की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचा।
वो बिना विरोध के मेरे से चिपक गई।
मैंने उसका हाथ अपनी जांघ पर रखकर उसे ऊपर-नीचे हिलाते हुए उसके हाथ को अपने लण्ड से हल्का टच करवा दिया।
फिर मैं अपने हाथ को उसकी टांग पर फिराते हुए उसकी जांघों के अंदर की तरफ फिराने लगा।
श्रेया धीरे-धीरे अपने हाथ को मेरी जांघ पर फिराते हुए मेरी गर्दन पर अपना सिर रखते हुए बोली, “चाचू! कितनी गर्मी है ना! मेरे से रहा नहीं गया!”
तो मैंने उसकी गाल पर चूमते हुए कहा, “श्रेया! कहो तो गर्मी निकाल दूं क्या?”
मेरी बात सुनकर श्रेया एक झटके से सोफे से उठ गई और इठलाते हुए बोली, “चाचू! आप और पेग लोगे क्या!”
मैंने उसके पीछे उठते हुए उसकी कमर में हाथ डालकर उसकी गर्दन पर चूमते हुए कहा, “छोटा सा ले लूंगा!”
श्रेया बोली, “चाचू! मैं तो बड़ा ही लेती हूं! मुझे छोटे से मजा नहीं आता!”
मैंने अपनी कमर को श्रेया के चूतड़ों से भिड़ा दिया जिससे वो मेरे थोड़े सख्त हो चुके लण्ड का अपनी गांड की दरार में जायजा ले सके।
मेरे इतना करते ही श्रेया इठलाते हुए बोली, “रुको ना चाचू! मुझे सूसू भी करना है! बहुत तेज आ रहा है!”
श्रेया बाथरूम की तरफ जाने लगी, तो मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे बाहों में खींच लिया, और उसके होंठ चूसते हुए उसका हाथ अपने अंडरवियर में घुसा दिया।
श्रेया भी बिना झिझक मेरे से अपने गुलाबी पतले होंठ चुसवाते हुए मेरे लण्ड को हथेली में लेकर सहलाते हुए उसका जायजा लेने लगी।
श्रेया की कोमल हथेली से मेरा लण्ड एक मिनट में फनफना उठा।
श्रेया हाथ बाहर निकालते हुए बोली, “छोड़ो भी ना चाचू! आप तो मेरी जान ही निकालोगे!”
मैंने श्रेया के होंठ फिर से चूमते हुए कहा, “मेरी जान! क्या हुआ? डर गई क्या?”
श्रेया मेरी बाहों में इठलाते हुए बोली, “आह चाचू! इतना बड़ा लग रहा है आपका तो!”
मैंने बेशर्मी से अंडरवियर नीचे खिसका दिया, जिससे लण्ड बाहर आकर हवा में झूलने लगा।
मैंने श्रेया का हाथ पकड़कर उसे लण्ड पकड़ाना चाहा, तो वो एक हाथ से लण्ड के सुपाड़े को पकड़कर दूसरे से बॉल्स को पकड़कर नीचे बैठ गई, और लण्ड को ध्यान से देखते हुए बोली, “उफ्फ चाचू! इतना बड़ा और मोटा है ये तो! ऐसे लग रहा है जैसे निग्रो का ही!”
मैंने लण्ड को श्रेया के मुंह के पास करना चाहा तो उसने जीभ निकालकर लण्ड के सुपाड़े के नीचे बनी खाई पर फिराते हुए फिर से कहा, “ओह चाचू! इतना बड़ा है ये तो!”
मैंने श्रेया की ठुड्डी पकड़कर उसका मुंह ऊपर उठाकर उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “अरे! हमारी श्रेया को भी तो बड़ा लेना पसंद है!”
श्रेया उठते हुए बोली, “चाचू! इतना बड़ा भी लेना पसंद नहीं कि फट ही जाए!”
श्रेया मेरे से अलग होकर फिर से बाथरूम में जाने लगी तो मैंने उसे खींचकर दीवार से लगा लिया, और अपना लण्ड पकड़कर श्रेया की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर भिड़ाते हुए कहा, “श्रेया! तुम अपनी चूत को ठंडे पानी से धोती हो या गर्म पानी से?”
जैसे ही लण्ड ने चूत को छुआ, तो श्रेया गनगना उठी, और अपनी चूत आगे को उभारते हुए बोली, “उफ्फ चाचू! बस पानी से धो लेती हूं!”
मैंने कहा, “ठीक है! आज तुम्हारी प्यारी चूत को मैं धो दूंगा!”
श्रेया लंबी सांस लेते हुए बोली, “नहीं चाचू! मैं ये सब नहीं कर सकती!”
मैंने लण्ड को उसकी चूत के होंठों में रगड़ते हुए उसकी गर्दन पर चूमते हुए कहा, “क्यों? क्या दिक्कत है?”
श्रेया बोली, “आप मेरे चाचू लगते हो, और आपकी उम्र भी तो मेरे से कितनी बड़ी है!”
मैंने श्रेया की फ्रॉक ऊपर उठा दी, जिससे उसके रुई की तरह नरम और दूध जैसे गोरे बूब्स मेरे सामने आ गए।
मैंने उसके दोनों बूब्स को पकड़कर एक की निप्पल को थोड़ी देर चूसने के बाद उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “चाचू लगता हूं तो क्या हुआ? चाचू का लण्ड कौन-सा भतीजी की चूत में जा नहीं सकता!”
फिर मैंने लण्ड को बॉल्स के पास से पकड़कर श्रेया की पैंटी के ऊपर से उसके छेद पर लगाकर लण्ड का पूरा दबाव उसकी चूत पर दे दिया, जिससे वो थोड़ा ऊपर उठ गई।
फिर मैंने कहा, “श्रेया! आजकल तो तुम्हारे जैसी कमसिन लड़कियों को तो अपने से डबल उम्र के मर्द से चुदवाने में मजा आता है! क्योंकि मर्द की उम्र जितनी ज्यादा होगी, वो मजा भी उतना ही देगा!”
श्रेया कांपती हुई आवाज से बोली, “ठीक है चाचू! आप ऊपर से कर लो जो करना है! मैं अंदर नहीं लूंगी!”
मुझे पता था साली लौंडिया नखरे कर रही है।
मैंने श्रेया को एक झटके से छोड़ दिया और लण्ड को अंडरवियर में डालकर बोतल उठाकर अपना पेग बनाने लगा।
श्रेया मेरी इस हरकत से परेशान होकर मेरे पास आकर मेरी पीठ से लिपटते हुए बोली, “ओह चाचू! क्या हुआ अब? बिना बात पे गुस्सा हो रहे हो!”
मैंने कहा, “तो है! आप कर लो जो करना है!”
मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे छिटकते हुए कहा, “तू वो रण्डी नहीं है, जिसे मैं बाजार से पैसे देकर लाया हूं, और जिससे मैं अपनी मर्जी करूं! तू मेरी श्रेया है! मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूं! ऐसा प्यार जो आज तक तुझे किसी ने ना किया हो! एक बार तुम भी दिल से अपने चाचू को प्यार करके देखो! तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम सारी उम्र याद रखोगी!”
श्रेया मेरे से फिर से लिपटते हुए मुझे चूमते हुए बोली, “सच चाचू? मुझे प्यार करोगे आप? सच में चाचू?”
मैंने कहा, “बिल्कुल श्रेया! तुम्हें बहुत प्यार करूंगा!”
श्रेया बोली, “उफ्फ! तो करो ना चाचू! किसने मना किया है आपको! मैं तो खुद चाहती हूं कि आप जैसा कोई सख्त मर्द मुझे मसल कर रख दे!”
फिर श्रेया ने मेरे अंडरवियर से लण्ड निकालकर अपनी चूत से रगड़ते हुए कहा, “उफ्फ चाचू! कितना सख्त है ये! एकदम पत्थर! आह! मैं तो खुद चाहती हूं चाचू कि ऐसा पत्थर जैसा लण्ड मेरी चूत को अंदर से छीलकर रख दे! आह चाचू! करो ना प्यार अपनी श्रेया को! आह! आई लव यू चाचू!”
मैंने एक हाथ से श्रेया के बाल खींचकर उसके होंठों को चूमने लगा।
श्रेया किसी पागल प्रेमिका की तरह मेरा लण्ड सहलाते हुए मेरे होंठ चूस रही थी।
मैंने श्रेया की फ्रॉक उतार दी, तो श्रेया ने मेरी बनियान ऊपर उठा दी।
मैंने अपनी बनियान और अंडरवियर उतारकर श्रेया को गोद में उठाया, और बेड पर लिटाते हुए उसकी टांगों से पैंटी खींचकर निकाल दी।
फिर मैं झटके से श्रेया की टांगें फैलाकर उसकी फूली हुई चूत के होंठों में अंगुली फिराने लगा।
श्रेया मेरी इस हरकत से सिसकारने लगी।
श्रेया की चूत बहुत ही सुंदर थी।
चूत के होंठ एकदम फूले हुए थे, गुलाबी रंगत के साथ एकदम दूध जैसी गोरी चूत थी श्रेया की … एकदम चिकनी, जैसे अभी-अभी शेव की हो।
मैंने अंगुलियों से चूत के होंठ फैलाते हुए श्रेया से पूछा, “इसकी हर रोज शेव करती हो क्या?”
श्रेया बोली, “आह! सी! सी चाचू! शेव नहीं, मैं हर संडे को इसकी वैक्सिंग करती हूं!”
श्रेया की चूत अंदर से एकदम लाल थी।
चूत का दाना टाइट होकर नुकीला हो रखा था।
मैंने दाने को मसलते हुए चूत को चाटने के लिए जैसे ही जीभ निकाली, तो श्रेया एक झटके से, “नहीं चाचू! नहीं!” करते हुए बैठ गई।
मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ?”
तो वो बोली, “रुको! मुझे सूसू करना है, और इसको वॉश करने दो!”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं! मैं चाटकर साफ कर देता हूं!”
तो श्रेया बोली, “नहीं चाचू! ऐसे नहीं! पहले मुझे साफ करने दो!”
मैंने कहा, “ठीक है! तुम लेटो, मैं पानी लेकर आता हूं, मैं साफ कर दूंगा!”
मैंने उठकर बाथरूम से एक मग में गर्म पानी लिया और श्रेया के पास आकर उसको लेटने को बोला।
श्रेया बोली, “चाचू! मुझे बहुत तेज सूसू आया है!”
मैंने कहा, “थोड़ी देर रोको! मैं तुम्हारी चूत को साफ कर दूं, फिर कर लेना!”
श्रेया बिना कुछ बोले अपनी टांगें फैलाकर लेट गई।
मैंने एक तौलिया को किनारे से पानी से गीला किया और चूत को अच्छे से अंदर तक साफ करने लगा।
चूत को साफ करने के बाद मैंने जैसे ही मग साइड में रखा, श्रेया बोली, “चाचू! मैं अब तो मूत लूं!”
मैंने पास में रखे कांच के गिलास को उठाया और श्रेया से कहा, “लो! खड़ी हो जाओ!”
श्रेया उठकर नीचे मेरे सामने खड़ी हो गई।
मैंने उसे गिलास देते हुए कहा, “लो! इसमें मूत लो!”
श्रेया गिलास पकड़कर अपनी चूत से लगाते हुए बोली, “ओह चाचू! आप क्या-क्या करवा रहे हो!”
मैंने कहा, “करो तो सही! मजा आएगा!”
श्रेया ने, “आह! सी! सी!” करते हुए ‘शर्र-शर्रर’ की आवाज से अपनी चूत से गिलास में मूत बहा दिया।
गिलास उसके मूत से फुल हो गया तो वो फटाफट मूत को रोककर बाथरूम में भागी और फर्श पर बैठकर मूतने लगी।
मैं भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम में आ गया।
श्रेया की सुंदर चूत से मूत की तीखी धार निकल रही थी।
मैंने लण्ड को सहलाते हुए उसके होंठों से लगा दिया।
श्रेया ने एक हाथ की दो अंगुलियों से अपनी चूत के होंठ खोलकर मूतते हुए दूसरे हाथ से मेरा लण्ड पकड़ लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी।
श्रेया ने मूतने के बाद दूसरे हाथ से मेरी बॉल्स को पकड़ लिया और उन्हें सहलाते हुए लण्ड को मुंह में भरकर चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने श्रेया को गोद में उठाया और लाकर सोफे पर बिठा दिया।
श्रेया मेरे खड़े लण्ड को एक-एक हाथ से पकड़कर बोली, “चाचू! इतना बड़ा लण्ड मैंने कभी नहीं देखा!”
मैंने उससे पूछा, “श्रेया! तुमने कितने लण्ड देखे हैं अभी तक?”
श्रेया लंबी सांस लेकर बोली, “चाचू! कितने भी देखे हों, उससे आपको क्या? आपके इस मोटे मूसल को तो मेरी चूत कुंवारी लड़की से भी ज्यादा मजा देगी!”
मैंने कहा, “अच्छा! ये बात है?”
श्रेया बोली, “जी चाचू! मैं तो आपको बहुत मजा दूंगी, पर मुझे भी बहुत देर तक जो लण्ड मेरे अंदर टिक सके, वो चाहिए!”
मैंने कहा, “चल! आजमा कर तो देख! पूरी रात तुझे कुतिया की तरह ना पेला, तो मेरा नाम बदल देना!”
श्रेया खुश होकर सोफे से उठकर मेरे से लिपटते हुए बोली, “सच चाचू? पूरी रात मुझे चोद सको, इतना दम है क्या आपके लण्ड में?”
मैंने श्रेया को घुमाकर जमीन पर घोड़ी बना दिया, और उसके मस्त गद्देदार चूतड़ों पर थप्पड़ मारकर उसकी चूत को चाटने लगा।
मैं अपनी पूरी जीभ श्रेया की चूत में डालकर चाट रहा था।
थोड़ी देर में श्रेया, “आह चाचू! उफ्फ! बस चाचू! मुझे आपका मस्त लण्ड चाहिए! आह! फक मी प्लीज! अपना लण्ड डालो!” बोलने लगी।
मैंने श्रेया के बाल पकड़कर खींचते हुए उसे सोफे पर लिटा दिया और उसकी दोनों टांगें उठाकर लण्ड को जैसे ही उसकी बहती चूत पर सेट किया.
तो वो गिड़गिड़ाते हुए बोली, “चाचू! बहुत बड़ा है आपका! कोई क्रीम लगा लो ना, चिकना करने के लिए!”
मैंने कहा, “चुप साली रण्डी! अभी तो लण्ड डलवाने के लिए मचल रही थी, और लण्ड चूत पर रखते ही तेरी गांड भी फटने लगी!”
श्रेया ने इतना सुनते ही मेरी गर्दन में बाहें डालकर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया और मुस्कुराकर मेरी आंखों में देखते हुए बोली, “मेरे प्यारे चाचू! मैं रण्डी नहीं, आपकी भतीजी हूं!”
मैंने कहा, “भतीजी होगी, पर अभी तो तेरी चूत पर मेरा लण्ड रखा हुआ है, और चूत पर जिसका लण्ड रखा हो, लड़की उसकी रण्डी ही होती है!”
श्रेया अपनी कमर को हिलाकर चूत को लण्ड पर रगड़ते हुए बोली, “चाचू! चेहरे से जितने सॉफ्ट लगते हो, अंदर से उतने ही कसाई मर्द लगते हो!”
मैंने कहा, “देखती रह! तेरे साथ क्या-क्या करता हूं!”
फिर श्रेया अपने हाथ को पेट के ऊपर से ले जाकर लण्ड को पकड़कर अपने छेद पर सेट करते हुए बोली, “उफ्फ चाचू! आपका लण्ड तो आपकी बॉडी से भी मजबूत है! हाथ में लेकर ऐसे लगता है जैसे लोहे का कोई भारी हथौड़ा पकड़ लिया हो!”
मैंने श्रेया की एक चूची को जोर से काटा, और कहा, “देख श्रेया! लण्ड जितना मजबूत होगा, उतना ही तेरे जैसी कलियों को मजा देगा!”
श्रेया कमर हिलाकर बोली, “उफ्फ मेरे राजा! दे ना मजा! किसने मना किया है! मैं तड़प रही हूं आपके लण्ड लेने के लिए!”
मैंने श्रेया की बात सुनकर अपना एक हाथ उसकी कमर के नीचे डाला और दूसरे हाथ को उसकी गर्दन के नीचे डालकर श्रेया को दबोच लिया।
और श्रेया की आंखों में देखते हुए कहा, “ले मेरी रानी! लण्ड को छेद पर लगाकर रख! एक बार सिर्फ सुपाड़ा अंदर ले ले, बाकी मैं संभाल लूंगा!”
मेरी बात सुनते ही श्रेया की पतली अंगुलियां मेरे पत्थर जैसे लण्ड पर कस गईं और उसने लण्ड को अपनी चूत के पनिया चुके छेद पर रखकर आंखें बंद कर लीं।
श्रेया के पतले होंठ कांप रहे थे।
मैंने उसको बाहों में कसते हुए कमर को हिलाकर जोर से लण्ड का झटका चूत पर मार दिया।
श्रेया जोर से चीखी, “उफ्फ! आह चाचू! मर गई! बहुत मोटा है! प्लीज बस करो!”
मैंने कमर को हिलाकर लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा और उतना ही वापिस डालकर जायजा लिया कि लण्ड अभी भी कितना बाहर है।
लण्ड बड़ी मुश्किल से चार इंच अंदर गया होगा।
मैंने श्रेया से कहा, “श्रेया! अभी तो आधा लण्ड भी नहीं गया!”
श्रेया, “आह! सी! सी मम्मी!” बोलते हुए दांत भींचकर बोली, “प्लीज बस चाचू! इतना काफी है! आप इतने को हिलाकर अपना पानी निकाल लीजिए!”
उस की बात सुनकर मुझे हंसी आ गई, मैंने उसके मासूम चेहरे को देखकर उसके बालों में हाथ फिराते हुए कहा, “सुन मेरी लाडो!”
श्रेया के चेहरे पर दर्द के निशान थे, उसने हल्की आंखें खोलकर कहा, “जी चाचू!”
मैंने कहा, “ये लण्ड है, जो तेरी मशीन के अंदर पूरा जाएगा! फिर तेरी मशीन इसको अपने अंदर जितना भींचेगी, रगड़ेगी, और अपने अंदर लेकर इसको जितना मसलेगी, उतनी जल्दी ये झड़ेगा! अगर तू सोच रही है कि तेरी चूत इसको आधे से कम अंदर लेकर पांच मिनट में झाड़ देगी, तो तू गलत है!”
श्रेया, “आह चाचू!” बोलकर अपनी गर्दन उठाते हुए बोली, “आधे घंटे से आपका क्या मतलब चाचू?”
मैंने श्रेया को पुचकारते हुए उसके होंठों को चूसते हुए, और उसकी दोनों चुचियों को मसलते हुए धीरे-धीरे झटके मारते हुए लण्ड को उसकी चूत की जड़ तक पहुंचा दिया।
श्रेया मेरे हर झटके के साथ, “आह! उफ्फ! आह मम्मी! आह चाचू! उफ्फ चाचू! मारोगे क्या! आह! बड़े जालिम हो! उफ्फ! आपकी बेटी जैसी हूं! रहम करो! उफ्फ! बस करो! बहुत बड़ा है आपका! आह! आह! बहुत मोटा है आपका!” करते हुए पूरा लण्ड लील गई।
मैंने लण्ड को आधा बाहर खींचकर वापिस एक धक्का मारा, तो श्रेया की चीख निकल गई।
वो जोर से चीखते हुए बोली, “धीरे कर बहनचोद! आज मारेगा क्या कुत्ते!”
पर मैंने उस पर रहम नहीं किया और लण्ड को एक लय और एक स्पीड में उसकी कसी हुई चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर तक अपना सिर पटककर मुझे गालियां देने के बाद श्रेया बोली, “उफ्फ चाचू! आपका लण्ड तो बहुत टाइट जा रहा है मेरी चूत में! ऐसा लग रहा है कि अंदर कोई मोटा डंडा फंसा हुआ हो!”
मैंने श्रेया के होंठ, गर्दन और चुचियों पर चूमते हुए धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी।
श्रेया अब मेरे हर धक्के के साथ, “आह चाचू! उफ्फ मम्मी! बहुत मजा आ रहा है!” बोलते हुए कमर हिला रही थी।
श्रेया को मस्ती में देखकर मैं फुल स्पीड से उसकी चूत भेदने लगा।
तो श्रेया मुझे, “आह बहिनचोद कुत्ते! धीरे कर ना! साले जान निकालेगा क्या मेरी!” बोलते हुए धकेलने लगी।
मैंने उसकी चूत में लण्ड रोककर पूछा, “क्या हुआ?”
तो वो बोली, “चाचू! पहले की तरह करो ना! बहुत मजा आ रहा था! अभी दर्द हो रहा है!”
मैंने श्रेया के चूतड़ों के नीचे दोनों हाथेलियां डालकर उसे उठा लिया।
श्रेया ने खुद को संभालते हुए अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में कस लिए।
मैं खड़े-खड़े उसके चूतड़ पकड़कर उसे आगे-पीछे करने लगा।
लण्ड पहले ही पूरा टाइट उसकी चूत में जा रहा था, इस पोजीशन में और टाइट जाने लगा।
श्रेया ने, “आह! उम्म्म चाचू! थोड़ा रुको ना प्लीज!” करते हुए अपनी टांगें एकदम सीधी करके मेरी पीठ के पीछे पूरी फैला दीं।
और मेरी आंखों में देखते हुए मुस्कुराकर बोली, “उफ्फ मेरे राजा! क्या मस्त लण्ड है तेरा!”
बोलकर बड़ी अदा से शरमा गई।
मैं श्रेया को गोद में झुलाते हुए पूरी स्पीड में चोदने लगा।
श्रेया मेरी आंखों में देखते हुए मस्ती से सिसकारियां लेते हुए पूरा लण्ड ले रही थी।
मैं श्रेया को गोद में उठाए कमरे में इधर-उधर घुमाते हुए लण्ड उसकी चूत में पेल रहा था।
जैसे ही मैं उसको उठाकर दरवाजे के पास आया तो वो बोली, “चलो ना चाचू! ऐसे ही बाहर चलते हैं!”
मैंने उसके माथे से अपना माथा सटाकर कहा, “साली रण्डी! तुझे ऐसे चुदवाते देखकर पूरे होटल में जितने आदमी हैं, सब पागल हो जाएंगे!”
श्रेया तपाक से बोली, “तो क्या हुआ चाचू? मुझे तो कोई ऐसे देखे तो बहुत मजा आएगा!”
मैंने बेड के पास आकर श्रेया को बेड के कॉर्नर पर लिटा दिया, और उसकी टांगें फैलाकर पास में रखा एक सिरहाना उसकी गांड के नीचे लगाकर अपना एक घुटना बेड पर रखा और श्रेया की चूत पर लण्ड का टोपा लगाकर उसके दोनों कंधे पकड़ लिए।
मैं जैसे ही श्रेया की चूत में धक्का मारने लगा, तो उसने हंसते हुए नीचे से अपनी गांड उठा दी।
दोनों तरफ से धक्का लगने से लण्ड सरसराता हुआ उसकी बच्चेदानी तक पहुंच गया।
वो एकदम से, “आह चाचू! मर गई!” बोलते हुए चीखी।
मैंने उसकी गाल पर थप्पड़ मारकर कहा, “साली रण्डी! जब तू पूरा लण्ड ले नहीं पा रही, तो तुझे धक्का मारना जरूरी था क्या?”
श्रेया अपनी दोनों बाहें फैलाकर चुचियों को उभारते हुए अंगड़ाई लेकर बोली, “आह! उफ्फ चाचू! सीधा बच्चेदानी पर लगा जाकर ऐसा फील हुआ जैसे अंदर से कुछ फट जाएगा! उफ्फ चाचू! पर मजा बहुत आया!”
मैंने उसकी एक चूची को मुंह में लेकर चूसते हुए पूरी स्पीड से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी।
कमरे में जैसे तूफान आ गया।
श्रेया, “आह मेरे राजा! चोद मुझे! आह! बहुत मजा आ रहा है! क्या मस्त लण्ड है तेरा! उफ्फ! आ! ईई! आह!” बोल रही थी।
मैं बिना रुके उसे पेल रहा था।
थोड़ी देर में श्रेया, “आह चाचू! थोड़ा और तेज! आह प्लीज चाचू! फक मी! थोड़ा और तेज! मैं झड़ने वाली हूं!” जोर-जोर से चिल्लाते हुए नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरे लण्ड से जंग लड़ रही थी।
थोड़ी देर में श्रेया का बदन अकड़ गया। वो हांफते हुए झड़ने लगी।
इधर मैंने अपने दोनों घुटने बेड पर रखकर स्पीड बढ़ा दी।
नीचे से श्रेया बस, “चाचू! आह! बस करो! मैं झड़ गई!” बोल रही थी।
पर मैं बिना रुके उसकी चूत की जड़ तक लण्ड पेल रहा था।
थोड़े झटकों के बाद मेरे लण्ड से गाढ़े वीर्य की तेज धार निकलकर श्रेया की बच्चेदानी से टकराई, और श्रेया की चूत मेरे गर्म वीर्य से भर गई।
मेरी सांसें भी बहुत तेज हो गईं। मैं भी हांफते हुए श्रेया के ऊपर गिर गया।
मेरा लण्ड श्रेया की चूत में अभी भी फुदक रहा था।
थोड़ी देर बाद श्रेया ने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे माथे पर चूमते हुए कहा, “मेरे राजा! कैसा लगा अपनी श्रेया को प्यार करके?”
मैंने अपना सिर उठाकर उसके पतले होंठों को थोड़ी देर चूसने के बाद उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “मेरी जान! बहुत मजा आया तेरी चूत मारकर! बहुत टाइट और गर्म है तेरी चूत! और तुम बहुत नमकीन हो!”
मेरी बात सुनकर श्रेया ने शर्माते हुए अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया।
एक-दो मिनट बाद मैंने श्रेया के ऊपर से हटते हुए उसकी चूत से लण्ड बाहर खींचा, तो मेरे और उसके कमरस की धार उसकी चूत से बहने लगी।
श्रेया ने हाथ लगाकर अपनी चूत को छूकर देखा, तो उसका पूरा हाथ पानी से भीग गया।
वो भीगा हुआ हाथ मुझे दिखाकर बोली, “ओह चाचू! इतना पानी आपकी बॉल्स से निकला है या मेरी चूत से?”
मैंने उसका भीगा हाथ पकड़कर उसके होंठों से सटा दिया, और कहा, “चल! टेस्ट करके बता किसका पानी है!”
श्रेया अपनी टांगें फैलाए लेटी थी और मैं नंगा उसके सामने खड़ा था।
श्रेया की फैली हुई चूत में सफेद पानी अंदर तक भरा हुआ था।
मैंने श्रेया की अपने लण्ड से चुदी चूत देखते हुए उसके मासूम चेहरे की तरफ देखा, तो वो मुस्कुराकर अपनी एक अंगुली मुंह में लेकर चाटते हुए बोली, “ओह चाचू! वेरी यम्मी! ये तो बहुत टेस्टी है! लगता है आपके केले ने मेरी मिक्सी में घुसकर यम्मी शेक बना दिया!”
मैंने एक तौलिया लेकर लण्ड को पोंछते हुए कहा, “क्रेजी लड़की!”
और लण्ड साफ करके तौलिया उसकी तरफ उछाल दिया।
श्रेया तौलिया लेकर अपनी चूत पोंछने लगी और मैं घूमकर पेग बनाने के लिए बार की तरफ चला गया।
एक टाइट चूत मारने के बाद मेरा नशा हवा हो चुका था।
मैंने सोचा श्रेया भी और पेग लेगी तो मैंने दो गिलास लेकर उनमें व्हिस्की डाल ली।
तभी मैंने पास में रखे श्रेया के मूत से भरा गिलास देखा, और उसे उठाकर सूंघने लगा।
तभी मेरे पीछे से आकर श्रेया ने मुझे अपनी कोमल बाहों में जकड़ लिया।
वो मेरे कानों के पीछे अपने नरम होंठ फिराते हुए एक हाथ से मेरे लण्ड को हिलाते हुए बोली, “चाचू! बड़े जालिम हो! अपना काम निकल गया तो बड़ी जल्दी मुंह फिराकर दारू पीने आ गए!”
श्रेया के रुई जैसे नरम और गोल-गोल चूचे, और उसके सख्त निप्पल मेरी पीठ पर दबे हुए थे।
मैंने श्रेया का हाथ पकड़कर उसे अपने सामने खींचते हुए कहा, “मेरी जान! मैं किसी से मुंह नहीं फिराता! मैं तो दूसरे राउंड से पहले तुम्हारी थकावट उतारने के लिए पेग बनाने आया हूं!”
श्रेया बड़ी अदा से मेरे गले में बाहें डालकर झूमते हुए बोली, “ओह मेरी मम्मी! अब मेरे बस का नहीं आपके मूसल को अंदर लेना! मेरी तो एक बार में इसने पूरी फैलाकर रख दी है! मेरी बच्चेदानी में अभी भी झनझनाहट हो रही है! इतना पानी निकाला है आपने मेरे अंदर, कहीं आपके बच्चे की मम्मी ही ना बन जाऊं!”
मैंने पेग उठाकर श्रेया के होठों से लगा दिया।
वो एक घूंट में आधा पेग पीकर, “आस सी चाचू!” बोलते हुए मेरे निप्पल्स पर जीभ फिराने लगी।
मैं अपना पेग लेकर दारू पीने लगा।
तभी श्रेया ने मेरा गिलास वाले हाथ को पकड़कर गिलास अपनी चूची के पास करके एक हाथ से अपनी निप्पल खींचते हुए उसे दारू में डुबो दिया, और मेरी गर्दन पकड़कर उसे झुकाते हुए निप्पल मेरे मुंह में डाल दी।
मैं श्रेया की निप्पल को चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी दूसरी निप्पल को दारू में डुबोकर चूसा।
कड़वी दारू के साथ कमसिन लड़की की गोरी चमड़ी का स्वाद बहुत ही मजेदार लग रहा था।
फिर मैंने श्रेया की दोनों चुचियों पर थोड़ी-थोड़ी दारू गिराते हुए उन्हें चूसकर पेग खत्म किया।
मेरा लण्ड वापिस खड़ा होकर श्रेया की टांगों के बीच उसकी प्यारी चूत पर दस्तक दे रहा था।
मैंने श्रेया के होंठों को चूमना चाहा, तो मेरे से दूर होकर अपना पेग उठाते हुए बोली, “थोड़ा रुको भी ना चाचू! सांस भी तो लेने दो! अभी तो पूरी रात पड़ी है!”
फिर वो पेग खत्म करके बोली, “चाचू! मैं वॉशरूम जाकर साफ होकर आती हूं! मुझे अपनी टांगों के बीच बहुत चिपचिपा लग रहा है!”
फिर श्रेया अपने गोरे-गोरे चूतड़ मटकाते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ गई।
Xxx गर्म चूत का मजा कहानी कैसी लगी आपको?
इस चुदाई से आगे की कहानी मैं आपको बताता रहूँगा.
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