Xxx बहू की चूत का मजा मेरे चचिया ससुर ने मुझे चोद कर लिया. मेरे पति अमरीका चले गए, मैं लंड के लिए तरसने लगी. एक बार मेरे चाचा ससुर आये तो उनका जिस्म देख कर मेरी चूत गीली हो गयी.
मेरा नाम मनप्रीत कौर है।
मैं जालंधर की रहने वाली मस्त सेक्सी पंजाबन लड़की हूँ!
अन्तर्वासना की मैं अब नियमित पाठिका हूँ।
मैं बहुत दिनों से अपनी यह रियल सेक्स स्टोरी अपने पाठकों से शेयर करना चाहती थी।
यह मेरी सच्ची और रियल कहानी है।
Xxx बहू की चूत का मजा वाली बात तब की है जब मैं 23 साल की थी।
मेरी फिगर उस समय 32-28-32 की थी और मेरा कद 5.5 फीट लंबा है।
21 साल की उम्र में मेरी शादी इसलिए जल्दी कर दी गई थी क्योंकि लड़का यू एस ए का पक्का रहने वाला था।
पंजाब में ऐसे रिश्तों को पहल दी जाती है।
उस समय वह 27 साल के थे और 6 महीने रहकर वापिस यूएस चले गए।
इन छह महीनों में हमने खूब मस्ती की और उन्होंने मुझे नए-नए तरीकों से चोदा।
लेकिन उनके जाने के बाद मेरी चूत प्यासी रहने लगी और मैं लंड को तरस गई।
मैं बस अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़-पढ़कर उंगली करके अपनी प्यास मिटाती थी।
माफ करना, मैं अपने ससुराल की फैमिली के बारे में बताना भूल गई।
हमारा परिवार बहुत बड़ा है।
सास-ससुर तो हैं ही, उनके अलावा जेठ-जेठानी, दो ननदें, देवर जी और जेठ के तीन बच्चे हैं।
इतनी बड़ी फैमिली में सेक्स का दूसरा उपाय नहीं होता। बाहर संबंध बनाना मुश्किल है।
मैं बहुत प्यासी तड़प रही थी।
दो साल बाद एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली, या शायद यह मौका किस्मत से मिला था।
हमारे ससुर के छोटे भाई गाँव में रहकर खेती करते थे।
उनके बच्चे भी यूएसए में सेटल थे।
मैंने उन्हें सिर्फ एक-दो बार ही देखा था।
हुआ यूँ कि हमारे सारे घरवाले 15 दिन के लिए पटना यात्रा पर जा रहे थे।
परन्तु मेरी छोटी ननद नहीं जा रही थी क्योंकि उसके एग्जाम थे।
उसके साथ मुझे घर में रहने को बोल दिया गया।
जाने की तैयारियाँ होने लगी और गाँव से चाचा ससुर, जिनका नाम देव सिंह है, उन्हें घर की निगरानी के लिए इन 15 दिनों के लिए बुला लिया गया।
वो एक दिन पहले ही आ गए।
उन्हें देखकर मुझे अजीब-सा फील होने लगा, समझ नहीं आ रहा था कि क्या है!
उनकी लंबाई कोई साढ़े छह फीट होगी।
चौड़ी छाती, बड़ी-बड़ी आँखें, पूरे पहलवान सुशील मर्द थे!
52 साल की उम्र में भी कसरती, रोबदार चेहरा था।
देखकर झुरझुरी-सी हो रही थी।
खैर, शाम को वो आए, सबने उनका स्वागत किया।
मैंने उनके पाँव छुए.
उन्होंने मेरी पीठ अपने बड़े-से हाथ से सहलाते हुए कहा, “जीती रह!”
रात को दारू का दौर चला और सब जल्दी सो गए क्योंकि सुबह जल्दी जाना था।
सुबह सब चले गए।
मेरी छोटी ननद भी अपनी सहेली के यहाँ तीन दिन पढ़ने का कहकर चली गई।
चाचा ससुर ने उसे जाने दिया।
मुझे अजीब-सा लगा क्योंकि उन्होंने कोई सवाल नहीं किया।
अब घर में मैं और चाचा जी अकेले थे।
कामवाली दोपहर का खाना बनाकर चली गई थी।
हम दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरों में आराम कर रहे थे।
कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला।
चाचा जी की आवाज सुनकर मैं उठी, वो पानी माँग रहे थे।
मैं पानी लेकर उनके रूम में गई तो वो सिर्फ बनियान और पजामा पहने थे।
उनके सांड जैसे बाजू और डोले देखने वाले थे!
मैं तो हिल गई, बस देखती रही।
जब उन्होंने ग्लास पकड़ा तो मेरी तंद्रा टूटी।
चाचा ने पूछा, “क्या हुआ, मनु?”
घर में सब मुझे मनु बुलाते हैं।
मैंने कहा, “कुछ नहीं, चाचा जी! शाम को सब्जी क्या बनाऊँ?”
वो बोले, “कुछ भी बना लो, हम दोनों ही हैं!”
‘हम दोनों ही हैं’ पर खूब जोर दिया उन्होंने।
मैं सोचकर डर गई।
फिर रात हुई और हम खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सो गए।
रात को मुझे चाचा ससुर को लेकर अजीब खयाल आने लगे।
पहली बार मैंने उन्हें सेक्स के एंगल से सोचा।
पर उनका रिश्ता बड़ा था।
फिर भी सेक्स की आग के आगे मेरी चूत रिश्ते को नहीं मान रही थी।
उनके वजनी शरीर को सोचकर मेरा छोटा-सा शरीर तो ब.च्ची जैसा था।
पर मैं उनकी बड़ी-बड़ी बाहों और छाती में समा जाने को आतुर थी!
दूसरे दिन सुबह हम उठे तो मैं उन्हें पटाने का उपाय सोचने लगी।
मैंने नहाने के बाद सिर के बाल खुले छोड़े।
ढीली-सी टी-शर्ट बिना ब्रा के और खुला-सा लोअर बिना अंडरवियर के पहना।
उन्हें ब्रेकफास्ट सर्व किया।
मेरे टाइट मम्मे हिल भी नहीं रहे थे।
वो मेरी साबुन और परफ्यूम की स्मेल और मेरे अकड़े हुए मम्मों से मस्त हो रहे थे!
मेरे बदन की खुशबू का असर था कि दिन के 11 बजे ही घर की दारू शराब के पेग लगा चुके थे।
मेरी फुद्दी अब मचल रही थी!
मैं बार-बार उनके पास जा रही थी।
वो भी मुझे चोदने का प्लान बना रहे थे क्योंकि वो भी दिन में कई-कई बार मुझे बिना काम के अपने कमरे में बुलाते रहे।
शाम होते-होते मेरी फुद्दी बिल्कुल लंड लेने को पागल-सी हो गई थी।
पर रिश्ते के कारण मैं संकोच कर रही थी।
शायद चाचा जी भी यही सोचकर पहल नहीं कर रहे थे।
शायद वो मेरे सामने अपनी बड़ी उम्र का खयाल कर रहे थे।
पर सुना है कि अगर लंड और चूत दोनों एक होना चाहें तो कुछ दिखाई नहीं देता।
शाम को चाचा “घूमकर आता हूँ” कहकर चले गए।
मैं रात के खाने की तैयारी करते-करते यह सोच रही थी कि उनसे कैसे चुदूँगी।
शरीर में अजीब-सी गुदगुदी और उत्तेजना थी।
रह-रहकर मेरा हाथ मेरी चूत पर जा रहा था।
अंधेरा होते ही चाचा वापस आए और सीधे अपने कमरे में चले गए।
मैं उन्हें पानी देने गई तो वो दूसरी तरफ मुँह करके खड़े थे।
“चाचा जी, पानी पी लो!” मैंने कहा।
“रख दो मेज पर!” उन्होंने कहा।
“खाना लगा दूँ, जी?” मैंने पूछा।
“हाँ, लगा दो!” उनकी आवाज में अजीब-सी कशिश थी।
मैं खाना ले आई।
वो खाने लगे।
“तुम भी खा लो, मनु!” उन्होंने कहा।
“जी, आप खा लो!” मैंने जवाब दिया।
इसी बीच चाचा जी ने मेरा हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए कहा, “तुम भी यहीं खा लो!”
मैं सकपका गई।
उठकर दूर खड़ी हो गई, मेरी धड़कनें तेज हो गई थीं।
उन्होंने कहा, “ठीक है, जब मर्जी खा लेना!”
खाना खाने के बाद मैं बर्तन उठा रही थी।
वो बोले, “खाना खाकर आना, रूम में बातें करते हैं!”
अब खाना खाते हुए मुझे विश्वास हो चला था कि इस पहाड़ के नीचे आना होगा।
आज मेरी फुद्दी चुदेगी!
इतना सोचकर ही मेरा पानी निकल रहा था।
मैंने सोच लिया था कि मैं खुद पहल नहीं करूँगी, पर ज्यादा विरोध भी नहीं करूँगी।
बड़ी मुश्किल से फुद्दी को लंड मिल रहा है!
हाय, मेरी प्यासी चूत रे! मैं तो उनसे चुदवाने को मचल रही थी।
बर्तन समेटकर मैं अच्छी तरह नहाई खुशबूदार साबुन से।
बहुत ही सेक्सी सुगंध वाला परफ्यूम लगाया।
बिना ब्रा के लाल रंग की खुली-सी टी-शर्ट पहनी और नीचे बिना पैंटी के सेम कलर का लोअर पहना।
एक लोटे में दूध और एक ग्लास लेकर चाचा जी के रूम में चुदने के लिए चली।
जब मैं कमरे में पहुँची तो वो पजामा और बनियान पहने थे।
मेरी ओर पलटकर बोले, “दूध रखकर बैठ जाओ!”
वो कमरे में चहलकदमी कर रहे थे।
उनके पजामे में बहुत बड़ा, केले से भी बड़ा, अजगर जैसा कुछ हिल रहा था, मैंने देखा।
वो मेरे पास आकर बैठ गए और मैं बेड पर बैठी काँप गई।
“मनु, यह तुम पान खाकर आई हो जो होंठ इतने लाल हैं?” उन्होंने पूछा।
मैंने लाल रंग की गाढ़ी, ब्रांडेड, स्मेल वाली लिपस्टिक लगा रखी थी।
शर्माते हुए मैंने कहा, “जी नहीं, लिपस्टिक लगाई है!”
“ओह!” लंबी ओह निकली, शायद चुदाई की बात शुरू कर रहे थे।
मेरे साथ बैठकर मेरे दूसरे साइड के कंधे पर हाथ रखकर थोड़ा अपनी ओर खींचते हुए बोले, “तुम बहुत सेक्सी हो!”
मैंने विरोध करते हुए कहा, “मैं आपकी बेटी से भी बहुत छोटी हूँ और आप मेरे चाचा ससुर हो!”
अंदर से मैं चुदवाने को तैयार थी।
“तो तुम इतना तैयार होकर, सेक्सी स्मेल लगाकर क्यों आई हो?” उनका सवाल था।
मेरे पास जवाब नहीं था, मैं सिर्फ मैं-मैं करती रही।
बैठे-बैठे ही उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर अपने सामने खड़ा कर लिया।
मैं खड़ी होकर भी उनसे थोड़ी ऊँची थी।
मेरी आँखों में देखकर बोले, “अपनी फुद्दी दोगी मुझे? बहुत मजा दूँगा! तुम्हारी आँखों के लाल डोरे बता रहे हैं कि तुम बहुत प्यासी हो, चुदवाना चाहती हो!”
“मैं भी तेरी चाची सास के मरने के बाद बहुत प्यासा हूँ!” उन्होंने कहा।
मैंने कहा, “मैं आपकी बहू हूँ!”
“आज Xxx बहू की चूत का मजा करेंगे!” उन्होंने जवाब दिया।
मैंने थोड़ा कंधे झटकाने का धीमा-सा उपक्रम करते हुए कहा, “किसी को पता चला तो?”
चाचा ने समझ लिया कि मैं नकली विरोध जता रही हूँ।
दरअसल मेरी मूक सहमति थी।
चाचा समझ गए और मुझे अपनी गोद में बैठाकर अपने चौड़े सीने में भींच लिया।
इतना कसा कि मेरे मम्मे उनकी छाती में गड़ गए।
मैंने नकली विरोध करते हुए कहा, “छोड़ो मुझे, कोई आ जाएगा! और आप मेरे ससुर हो!”
पर उनकी पकड़ से निकलने का कोई उपक्रम नहीं किया, बल्कि उनसे और लिपट गई।
“कोई नहीं आएगा, मेरी बन्नो!” कहकर उन्होंने मेरे लाल होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
ओह! बहुत दिनों से किसी मर्द की छुअन को तरस रही थी।
फिर भी मैं उनकी पकड़ से छूटने का छोटा-सा नकली विरोध करते हुए उनसे लिपटकर उनके होंठों को खाने की तरह चूसने लगी।
मेरे अंदर की आग देखकर चाचा जी जोश में आकर मेरे मम्मे दबाने लगे।
मेरे मुँह से सी-सी, आह निकलकर होंठों पर ही दब रही थी।
नीचे चाचा का अजगर फन उठाए जा रहा था।
उसकी चुभन से उसके बहुत बड़ा होने का एहसास हो रहा था।
चाचा ने मेरी खुली-सी टी-शर्ट के नीचे से हाथ डालकर मेरे कड़क, अमरूद के आकार के मम्मे दबाने शुरू कर दिए।
“ओह, चाचा जी, मजा आ रहा है!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
वो मेरे होंठों का रस पीने में मस्त थे।
पाँच मिनट तक रसीले होंठों का रस पीने के बाद बोले, “तुम बहुत हॉट हो! जी करता है तुझे खा जाऊँ! तेरे मम्मे बहुत कड़क हैं!”
कहकर उन्होंने मेरा टी-शर्ट उतार फेंका।
अपनी गोद में ही बैठाए हुए मेरे मम्मे चूसने लगे।
“आह!” मेरी सिसकारी निकल पड़ी।
“ओ आह आह, शी सी आह, ऊओओ आह!” भरी सिसकारियाँ निकल रही थीं।
“ओह, चाचा!”
एक हाथ से वो मेरी बहुत ही मुलायम जाँघों को सहला रहे थे।
उनके स्पर्श से मेरी फुद्दी हिनहिनाकर पानी छोड़ रही थी।
मुझे गोद से उतारकर उन्होंने अपनी बनियान उतारी।
मैं उनकी नंगी छाती पर गिर पड़ी और शर्म-हया त्यागकर बेतहाशा चूमने लगी।
कभी होंठ, कभी छाती, कभी मजबूत डोले।
“उम्म्मह, ऊमाह! हाय, चाचा, मनु को इतना चोदो कि फाड़ दो! मैं बहुत प्यासी हूँ!”
“हाँ, मनु, आज तो मैं तुझे घोड़ी बनाकर चोदूँगा! हाय, मनु, तेरे अमरूद जैसे मम्मे!” कहकर वो बहुत जोर-जोर से दबाने लगे।
मैं खड़ी-खड़ी सिहर गई, “हाय, चाचा, धीरे दबाओ ना, दर्द होता है!” हाय, ऊह, ई ऊ!
“हाय, मनु!” कहकर उन्होंने मेरा लोअर उतार दिया।
अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी, इतनी उम्र के मर्द के सामने अपनी वासना की आग लिए।
चाचा ने लंबी आह निकालते हुए कहा, “ओह, तो पहले से ही चुदवाने की तैयारी करके आई है!”
“आ जा, आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाते हैं!”
इतना कहकर उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया।
मेरी टाँगों को फैलाकर मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।
“लगता है मेरे भतीजे ने ठीक से चोदा नहीं। छोटी-सी फुद्दी है तेरी!”
कहकर मेरे साथ लेटकर मेरे होंठ चूसने लगे, फिर मेरी गर्दन चूमने-चूसने लगे।
मुझे मजा आ रहा था।
मैं “ओह, आह!” कर रही थी।
वो मेरे मम्मे चूसते हुए मेरी चूत पर हाथ फेरने लगे।
“ऊ ओ ओ ई, आह!”
मम्मे चूसते-चूसते वो मेरे पेट पर अपनी जीभ चलाते हुए मेरी नाभि में जीभ चलाने लगे।
मैं अपने चूतड़ उछालकर “हाय, हुई!” करने लगी।
फिर मेरी टाँगें फैलाकर उन्होंने अपनी लपलपाती जीभ मेरी चूत पर फेरी।
ऐसा लगा जैसे साँप रेंग रहा हो!
मैं इतने जोर से उछली कि उनके भारी-भरकम मुँह को भी हवा में उछाल दिया।
“उई, उई, मर गई! ओह, ऊह, ई ईई, आई ईई गा, ऊ चाचा, चा चा चा जी, एईई, ओ!” मैं सीत्कार करने लगी।
चाचा ने मेरी टाँगों को जोर से दबाकर रखा और मेरी प्यारी-सी गुड़िया रानी फुद्दी में अपनी जीभ चलाने लगे।
फिर पता नहीं कहाँ से मक्खन निकाला और मेरी चूत के अंदर लगाकर चाटने लगे।
मैं तो जैसे स्वर्ग में थी!
उछल-उछलकर चटवा रही थी और “उई उई माँ … ई ईई उमह ओह … ईई री ईई, ईई … आ ओऊ, आई!” कर रही थी।
और फिर मैं बहुत ही ऊँची-ऊँची चिल्लाते हुए झड़ गई, “उई, माँ, मैं गई! पुर ई, ऊ, ईई गा, गईंईई, चा चा चा, ओह!”
मैं इतने जोर से उछली कि चाचा का मुँह उछाल दिया था।
इतना चूत का पानी निकला कि पूरा दरिया ही बह गया।
प्यासी को बारिश हुई!
चाचा का मुँह हटने के कारण पूरी बेडशीट भीग गई।
चाचा फिर गुदा चाटने लगे।
मुझे करंट-सा लगा।
मैं फिर गर्म हो रही थी।
और फिर उन्होंने अपना पजामा उतारा तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम, भूल गई अपनी आग।
इतना बड़ा! हे भगवान! मेरे हसबैंड का तो इससे आधा भी नहीं था।
पूरा 8 इंच का था चाचा ससुर का काला नाग।
मैं डर गई थी।
चाचा बोले, “डरो नहीं, तेरी चाची भी तेरे जितनी थी, पर झेल लेती थी!”
फिर वो मेरे होंठ चूसने लगे और मुझे अपने से जोर से चिपका लिया।
मैं फिर मस्त होने लगी।
चाचा मेरे चूचों को चूसने लगे।
वे मेरी मुलायम जाँघों को सहलाते हुए मेरे पूरे शरीर को चूम-चाट रहे थे।
मेरे अंदर का ज्वालामुखी फिर भड़क उठा।
मैं “उई, आई, ईई, ई, ऊ, आह, आह, ओह, ओह, ओह, अहि, अह, आही!” करने लगी।
अब मेरी फटने वाली थी।
चाचा ने मेरे चूतड़ों के नीचे सिरहाना रखा।
मेरी प्यारी-सी चूत ऊपर को उभर आई।
चाचा ने अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत पर सेट किया।
मेरी फुद्दी में मक्खन लगाया और लंड सहलाते हुए तीन इंची सुपाड़ा चूत के मुँह पर रखा।
मैंने अपनी आँखें जोर से बंद कर लीं।
“ओ माँ, बचाना!” मैं सोच रही थी कि चाचा ने जोरों का धक्का लगा दिया।
आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में समा गया।
“उईईई, उई, मर गई, माँ!” मेरी आँखों के आगे अंधेरा-सा छाने लगा।
चाचा रुक गए और मेरे होंठ चूसने लगे।
थोड़ी देर बाद मैं जगी, जैसे थोड़ा दर्द कम हुआ।
लेकिन वर्षों की प्यास बुझाने के लिए दर्द सहना पड़ता था।
चाचा रुककर मेरे बदन को सहलाते हुए मेरे होंठ और मम्मे चूस रहे थे।
फिर मुझे मजा आने लगा।
सहलाने के साथ-साथ अब वो धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे कर रहे थे।
चूत में लंड की धीमी-धीमी घर्षण से मुझे मीठा-सा आनंद आने लगा था।
मैं नीचे से हिलने लगी थी।
चाचा समझ गए, उन्होंने आखिरी धक्का लगा दिया।
मेरी पूरी फट गई, लगा किसी ने लोहे का मोटा रॉड डाल दिया, दहकता हुआ।
चाचा ने घस्से थोड़े तेज किए तो मुझे मजा आने लगा।
चाचा अपना पूरा तजुर्बा बरत रहे थे।
अब मुझे भी मजा आने लगा था।
मेरा छोटा-सा शरीर चाचा के पहाड़ जैसे शरीर के नीचे दबा हुआ था।
ससुर जी मुझे जन्नत की सैर करा रहे थे।
मैं “आह, आह, ओह, ओह, उई, उई, मम्मी, आह, आह!” कर रही थी।
“ओह, चा चा, फाड़ दो मेरी चूत को, भोसड़ा बना दो इसका! हाय, चाचा जी, बहुत मजा आ रहा है! ओह, ओह, आह, याई, आई, ईई, ई, ईए, स, ऊच, ओहू, मजा आ रहा है!”
मेरा होने वाला था। “एच, आचा, आचा, चा चा चा रे, मैं गई, ईई, ईईगा, ई, ऊ!” मैं चाचा को आचा कह रही थी उत्तेजना में!
उछल-उछलकर मैं झड़ गई और चाचा से इतने जोर से लिपटी कि मेरे नाखून उनकी पीठ पर गड़ गए।
पानी इतना निकला कि जैसे पूरा पानी का ग्लास उड़ेल दिया हो।
चाचा अब भी जोरों से चोद रहे थे।
पुचक, पुचुक, पुचुक आवाजों से कमरा गूंज उठा।
बहुत ही मजा आ रहा था।
20 मिनट हो गए चुदाते हुए।
आसमान में उड़ रही थी मैं।
फिर झड़ने को हुई तो “हई, ईगा, आई, ईई, ऊला, आ गई, आई, ईईस, हो गया, चाचा, चा चा चा, फिर से, ईई, ई, ईऊ, ए, आ!”
मैं फिर से उनसे लिपट गई।
थोड़ी देर बाद चाचा ने धक्के बहुत तेज कर दिए।
मैं भी उतनी स्पीड से उछल-उछलकर उनके हर धक्के का जवाब दे रही थी।
बहुत बलवान थे चाचा इस 55 की उम्र में!
पूरे पच्चीस मिनट बाद मैं तीसरी बार झड़ने को हुई तो चाचा ने धक्के और तेज कर दिए और बोले, “मैं आ रहा हूँ, मनु, कहाँ निकालूँ मॉल को?”
मैंने झड़ते हुए कहा, “अन अंद, अंदर, अंदर ही निकाल दो, ओ, ओ, ईईईसा, चाचा!”
और मैं और बेल की तरह लिपट गई।
झड़ते हुए चाचा ने मुझे बहुत भींचा और मुझे बेड से उठा लिया।
मैं उनके होंठों को खा जाने वाले अंदाज में चूस रही थी।
“उमा, उम्माह, मजा आ गया, चाचा!”
Xxx बहू की चूत का मजा लेकर बहुत देर तक हम दोनों यूंही लिपटे रहे।
कुछ समय बाद चाचा अलग हुए तो मैं उठने लगी, पर उठ नहीं पाई।
10 मिनट बाद कोशिश करके मैं उठी और बाथरूम की ओर बढ़ने लगी, पर लड़खड़ा रही थी।
मैं हैरान थी कि मैंने इतने बड़े लंड और दबाव जैसे शरीर को कैसे झेला।
वापस आकर मैं सीधे चाचा ससुर के ऊपर लेट गई।
फिर चाचा ने मुझे कैसे और कितनी बार चोदा, अगली कहानी में।
यह मेरी पहली Xxx बहू की चूत का मजा कहानी थी, इसलिए ज्यादा लंबी हो गई।
आपकी अपनी मनप्रीत
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