वर्जिन चूत की चुदाई कहानी में मैंने अपने जीजू की बहन की बेटी को चोद दिया. मैं दीदी के घर गया तो वह आई हुई थी. उसने मुझे पटाना शुरू कर दिया. मैं क्यों पीछे रहता?
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सनी है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.
दिखने में मैं सामान्य हूँ, पर मेरी हंसी मजाक करने की काफी आदत है.
अपनी इसी आदत के चलते मुझे बहुत मौके मिले.
उन्हें मैं एक एक करके आपके साथ साझा करना चाहता हूँ.
यह वर्जिन चूत की चुदाई कहानी तब की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा होने के बाद अपनी दीदी के यहां छुट्टियां मनाने गया था.
मैं अपनी दीदी और जीजू का लाड़ला हूँ.
और सबसे प्यार से बात करता हूँ इसलिए वहां सब मुझे लाड़ प्यार करते थे.
उन्होंने बहुत दिनों से मुझे अपने घर आने को कहा था पर स्कूल के कारण नहीं जा पा रहा था.
जब मेरे पेपर खत्म हुए तो मैं अपने घरवालों से पूछ कर दीदी के यहां आ गया था.
मैं जब वहां पहुंचा और दरवाजा खटखटाया.
तो किसी लड़की ने दरवाजा खोला.
मैं उसे देखता ही रह गया.
वह भी मेरी ही उम्र की लग रही थी.
सांवली सी थी मगर उसकी आंखें कुछ ज्यादा ही बोल रही थीं.
आंखें जैसे वासना से भरी हुई थीं और लिपट जाने का आमंत्रण दे रही थीं.
वह देखने में बिल्कुल बिपासा बसु जैसी थी.
उसके चूचे बहुत टाईट थे और निप्पल तो बहुत ही लुभावने थे.
उसकी गांड तो बहुत ही मस्त थी.
ऐसा लग रहा था कि बस अभी ही पकड़ लूँ.
उसके बदन की खुशबू तो मुझे पागल कर रही थी.
तब मैं जवानी के ऐसे मुकाम पर था कि लगा बस पटक कर चोद दूँ यहीं पर.
बाद में पता चला कि उसका नाम सलोनी है और वह मेरे जीजू के रिश्ते में आती है मतलब मेरे जीजा जी उसके मामा लगते हैं और मैं भी उसका मामा लगा … क्योंकि ये जो दीदी हैं, वे मेरी बुआ की लड़की हैं.
इस रिश्ते के हिसाब से जीजाजी की भानजी मतलब मेरी भी भानजी हुई.
थोड़ी देर तक मैं उसे देखता ही रहा, तो उसने पूछा- हूँ … कौन चाहिए?
मैंने थोड़ा जागते हुए दीदी का नाम बताया.
तभी मेरी दीदी की छोटी बेटी ने मुझे आया देख कर दौड़ कर गले से लगा लिया.
मैंने भी उसको चॉकलेट दिया और हाथों को पकड़ कर जोर जोर से उसे घुमाने लगा.
तभी मेरी दीदी आ गईं और उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया.
दीदी घर के बारे में पूछने लगीं कि घर मैं सब कैसे हैं … वगैरह वगैरह.
मैंने कहा- आपके शहर में किसी का ऐसे स्वागत करते हैं क्या? दीदी, घर में अन्दर तो आने दो.
मेरी बात पर सब हंस दिए और मेरे आने से दीदी के बच्चे बहुत खुश हुए.
साथ में मैंने एक बात नोटिस की कि जब से मैं आया हूँ, तब से सलोनी मुझे ही देखे जा रही थी … और तो और वह मेरे हर काम में मुझे मदद कर रही थी.
मैं अन्दर आने के बाद हाथ पैर धोने चला गया.
वह मेरे पीछे आ गई.
मैंने पूछा तो वह मुझे तौलिया देकर हंसी और चली गई.
मैं किसी से भी बात करूं तो वह मेरी ओर ही देखती … पर अब तक मेरे दिमाग में उसके लिए कोई गलत ख्याल नहीं आए थे.
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी से सलोनी के बारे में पूछा कि है कौन ये?
दीदी ने बताया कि वह रिश्ते में तेरी भानजी है.
भानजी की बात सुनकर तो कुछ झाग सा बैठ गया था.
लेकिन सलोनी की लालसा ने मुझे वापस गर्म कर दिया था.
मैं सुबह सुबह आया था इसलिए अब दीदी और मेरी बुआ काम पर चली गई थीं और जीजू पहले से ही काम पर थे.
घर में सिर्फ मैं और दीदी के तीनों बच्चे व सलोनी ही रह गए.
मैंने टीवी ऑन किया और सोफे पर बैठ गया और गाने देखने लगा.
सलोनी मेरे पास आकर बैठ गई.
उसका गर्म शरीर मेरे शरीर से जैसे ही स्पर्श हुआ, मेरे शरीर में झनझनाहट हुई … और न जाने कब मेरे पैंट से मेरे दोस्त ने हरकत करना शुरू कर दिया.
उसकी नजर जैसे ही मेरे पैंट पर पड़ी, मैंने लंड को थोड़ा हाथ से कवर किया.
लेकिन उसकी नजर फिर भी एक पल के लिए भी नहीं हटी.
जैसे वह मुझसे कह रही हो कि मुझे लंड देखने दो.
मैं वहां से उठ कर बाथरूम में चला गया तो मेरे पीछे पीछे आने लगी.
मैंने उसे कुछ गुस्से से देखा तो वह वहां से चली गई.
जैसे ही मैं बाथरूम में आया, मैंने पैंट में से लंड को आजाद किया.
लंड तो जैसे बहुत ही खुश हो रहा हो, वैसे ही खिलखिलाता हुआ बाहर निकला.
मैंने आज तक अपने लंड को इतना कठोर और बड़ा नहीं देखा था … शायद ये पहला मौका था इसीलिए ऐसा हुआ.
मैंने लंड को मुट्ठी में पकड़ा और जोर जोर से मुठ मारने लगा.
कुछ मिनट के बाद जब मैं झड़ गया तो बहुत सुकून मिला.
लंड को साफ करके जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो मेरे सामने सलोनी थी और मेरी ओर सवालिया नजरों से देख रही थी.
थोड़ी देर बाद वह हंस दी और चली गई.
अब मेरे दिमाग में आया कि जब से आया हूँ … तभी से ये मुझे ऐसे घूर रही है, जैसे ये मुझसे चुदवाना चाहती हो.
अब मैंने एक प्लान बनाया.
मैं बच्चों के साथ लुकाछिपी खेलने की सोचने लगा और उन्हें बुलाने लगा.
सलोनी भी वहां आ गई और खेलने के लिए तैयार हो गई.
पहले मैंने सबको छुपने के लिए कहा.
थोड़ी देर बाद मैंने सबसे छोटी बच्ची को पकड़ा.
अब वह सबको छुपने को बोल कर चली गई.
बाकी के बच्चे भी भाग गए.
मैंने सलोनी का हाथ पकड़ा और बेड के नीचे चला गया.
जब वह भी कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
जैसे ही हम दोनों बेड के नीचे गए तो मैंने उसको अपनी ओर खींचा.
वह तो जैसे यही चाहती थी.
मेरे पास आते ही उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और आंखें बंद कर दीं.
उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैं अपने काबू से बाहर हो गया.
मैं भी जोर जोर से उसके होंठों को चूसने लगा और काटने लगा.
अब वह थोड़ा कसमसाई.
मैंने तुरंत अपना एक हाथ उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके चूचों पर लगा कर एक दूध को जोर से दबाते हुए मसल दिया.
उसने आह की आवाज निकालने जैसा मुँह बनाया और आंखों से इशारा किया कि आराम से करो.
पर अब मैं कहां उसकी बात मानता.
मैं तो अपनी ही धुन में था … या यूं कहो कि मेरे ऊपर वासना हावी हो गई थी.
वहां हम दोनों पांच मिनट तक रहे थे.
जब मैंने सोचा कि उसकी चूत का जायजा लिया जाए … इतने में उसने मुझे रोक दिया.
शायद वह पहले ही मेरे इरादे समझ गई थी.
पर तब तक मैंने उसका हाथ मेरे लंड पर रख दिया और उसे आंखों से मुठ मारने का इशारा किया.
वह भी मेरे पैंट की चैन खोल कर लंड की मुठ मारने लगी थी.
सच कह रहा हूँ दोस्तो, इससे पहले मैंने बहुत बार मुठ मारी थी मगर उसका हाथ जैसे लंड पर लगा, मैं तो अपनी सब सुधबुध खो गया और आंखें बंद करके उसके होंठों को बड़े ताव से अपने मुँह में लेने लगा और काटने लगा.
इधर वह जोर जोर से मेरे लंड को मुठ मारती रही.
थोड़ी देर में वह हसीन पल आ ही गया और मेरे लंड से निकला माल तेज धार के साथ उसके पंजाबी सूट पर लग गया.
मैंने जोर से उसको अपनी ओर खींचा और ऐसे धक्के लगाने लगा, जैसे मैं उसकी चूत में धक्के मार रहा हूँ.
जब मेरा सारा माल निकल गया तब जाकर मेरे चेहरे पर खुशी आई.
पर उसकी तो चूत में आग लगी थी.
वह वहां से उठ खड़ी हुई, तो मैं भी अपनी पैंट की चैन बंद करके उठ गया.
सलोनी थोड़ी मुस्कुराई और बोली- रात को मेरी बारी होगी!
मैंने भी ‘हां’ कहा और वह बाहर भाग गई.
अब दिन भर वह मुझसे अलग ना हुई, मैं जहां जाता … वह वहां आ जाती.
जब मैंने अपना सामान अलमारी में रखने लगा तो वह आई और मेरे हाथों से कपड़े छीन कर खुद सब काम करने लगी.
मेरा तो मन हुआ कि अभी ही उसे अपनी बांहों में भर लूँ.
पर बच्चे वहीं थे तो मैं कुछ कर ही ना सका.
हालांकि मैं उसके हाथ पर हाथ तो रख ही सकता था.
थोड़ी देर बाद मुझे भूख लगी तो मैंने दीदी की बड़ी लड़की को बुलाया और खाने के बारे में पूछा.
तभी मेरे दीदी का कॉल आया, उसने कहा कि आज खाना नहीं बनाया. थोड़ा काम था इसलिए.
उन्होंने फोन अपनी बेटी को देने को कहा और उसको शायद बताया कि वह मेरे लिए खाना बना दे.
दीदी की लड़की खाना बनाने चली गई.
पर थोड़ी देर में उसे याद आया कि उसको ट्यूशन जाना है, तो सलोनी को खाना बनाने की कह कर चली गई.
अब सलोनी किचन में आयी और मुझसे चिल्लाती हुई बोली- अगर आपको भूख लगी है, तो मुझसे क्यों नहीं कहा?
मैंने कुछ नहीं कहा.
पर मुझ पर जिस तरह वह हक बता रही थी, मुझे बड़ा अच्छा लगा.
जैसे मैं उसका पति हूँ … ऐसा लगा मुझे.
थोड़ी देर बाद खाना बन गया और उसने मुझे बड़े प्यार से परोसा और मुस्कुराती हुई खाने के लिए कहने लगी.
खाना खाने के बाद मैं बाहर गया और उसके लिए कान में पहनने वाले झुमके लाकर उसको दिए.
वह बहुत खुश हुई और पहन कर मुझे दिखाए.
मैंने इशारे में बताया कि बढ़िया.
उससे भी पूछा कि उसको कैसे लगे?
वह मुस्कुरा कर घर के अन्दर चली गई.
अब मैं रात होने का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसने कहा था कि उसका बाकी है.
शाम को सबके साथ खाना खाया और थोड़ा टीवी देखा.
कुछ समय बाद सलोनी अपना काम निपटा कर आई और मेरे साथ में बैठ गई.
ठंड का समय था तो मैंने चादर लपेटा हुआ था. वह भी उसी में आ गई.
पहले तो मैं थोड़ा घबरा गया.
पर अब घर की सारी लाइट्स बंद थीं इसलिए किसी को पता नहीं चला.
अचानक उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और जोर जोर से हाथ से लंड मसलने लगी.
थोड़ी डेर बाद उसने बड़ी चालाकी से मेरे पैंट की चैन भी नीचे कर दी और मेरे लंड को बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगी.
मैं भी कहां चुप बैठने वाला था, मैं भी अपना हाथ उसकी पैंटी की ओर ले गया.
पहले मैंने उसकी नाभि के अन्दर एक उंगली डाली.
उसको जैसे करंट सा लगा.
वह मेरी तरफ देख रही थी पर कुछ नहीं बोली.
तो मैंने हरी झंडी पाकर अपने हाथों से उसकी कमर को सहलाने लगा.
वह अपनी आंखें बंद करके बैठी थी.
अब मैंने अहिस्ता अहिस्ता उसका लहंगा जिस नाड़े से बंधा था, उसकी गांठ को खोल दिया.
मैं अपने एक हाथ को अन्दर ले जा रहा था.
तभी मुझे महसूस हुआ कि उसने शायद ही अपनी चूत के बाल कभी काटे हों.
उसकी झांटें बहुत बड़ी बड़ी थीं.
मैं थोड़ी देर तो उन झांटों को ही सहलाता रहा और सलोनी बड़े आराम से उसका मजा ले रही थी.
फिर मैंने मोर्चा चूत की ओर किया.
जैसे मैंने एक उंगली चूत के ऊपर से सहलाई, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेरे हाथ में भी उसकी चूत का रस आ गया.
यह पहली बार था कि किसी लड़की का चूत रस अपने हाथों से चादर के अन्दर से ही मुँह में ले लिया और चाटने लगा.
सलोनी ने ये देखा तो उसे बड़ा अच्छा लगा और उसने प्यारी मुस्कान दी.
मैंने फिर से अधूरा काम पूरा करने की ठान कर दोबारा चूत के अन्दर एक उंगली डाली.
इस बार वह सिहर उठी.
अब उसको खुद पर काबू नहीं रहा और उसने मेरा लंड जोर जोर से हिलाया.
उसने इतना जोर दिया था कि मैं थोड़ी देर में झड़ गया.
मेरे लंड से पानी निकालने के बाद वह उठ कर बाथरूम में गई और सब साफ करके सोने के लिए नीचे गद्दे पर बाकी के बच्चों के साथ सो गई.
उसने मुझे भी आने के लिए कहा.
मैं भी उठा और जाकर उसके बगल में ही पसर गया.
अब सब तो सो गए थे.
पर मुझे डर भी लग रहा था कि कुछ करते वक्त ही कोई आ ना जाए.
मेरा दिल और उसका दिल जोर जोर से धडक रहा था.
मैं उसकी आंखों में देख रहा था और वह भी मेरी ही आंखों में देख रही थी.
फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ा.
कुछ देर तक मैं ऐसे ही रहा और उसके कान में बोला- और थोड़ा टाईम बीतने दो … शायद जीजू की आवाज आ रही है.
कुछ देर बाद हम दोनों को ही नींद आ गई.
पर बोलते हैं ना कि हवस का भूत कुछ भी करवा सकता है.
न जाने कैसे मैं ठीक एक बजे ही नींद से जागा.
थोड़ी देर मैंने जायजा लिया कि कोई जागा हुआ तो नहीं है.
जब सब ठीक लगा तो मैंने अपना हाथ सलोनी के गाल पर रखा और उसे सहलाया, उसके माथे पर किस किया.
जैसे ही मैंने माथे पर किस किया, वह जाग गई.
उसके जागते ही मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया.
उसे बहुत अच्छा लगा.
फिर मैंने उसके गर्दन पर किस किया, उसकी नाक को भी किस किया और हल्का सा काट भी दिया.
अपने हाथों को तो कुछ बोलना नहीं पडा वह खुद ब खुद उसके चूचों को मसलने में लग गए.
तभी मुझे कुछ आवाज आई, तो मैं जैसे था … वैसे ही सोने का नाटक करने लगा था.
जीजाजी बाथरूम के लिए उठे थे शायद.
थोड़ी देर मैं उसके चूचों पर हाथ रख कर ही पड़ा रहा.
जब मुझे लगा कि सब सही है, तब मैं उठा और सलोनी के ऊपर चढ़ गया.
मैंने बहुत जोर से चूचों को मसला और उसका टॉप निकाल दिया.
उसके बाद में ब्रा भी निकाली और मैं किसी हैवान की तरह उसके चूचों पर टूट पड़ा.
दस मिनट तक मैंने उसके चूचों को मसलकर लाल कर दिए, निप्पल को बहुत जोर से काटा.
सलोनी बस रोने को आ गई थी पर वह रो ना सकी.
अब मैंने उसको औंधा कर दिया और उसके ऊपर लेट कर चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से जोर जोर से दबाने लगा.
कुछ मिनट ऐसा करने के बाद मैंने सलोनी को वापस सीधा कर दिया और उसका लहंगा नीचे सरका दिया.
मेरे सामने उसकी झांटों भरी चूत थी जो किसी जंगल की तरह लग रही थी.
पर मुझे बहुत ही हसीन लगी और मैं तो झांटों भरी चूत देख कर पागल हो गया.
मुझसे रहा ना गया और मैं अपना लंड निकाल कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
मैंने उसकी ओर देखा तो वह चुदास से तड़प रही थी और लंड लेने के लिए मरी जा रही थी.
तब मैंने उससे आंखों के इशारे से पूछा- लंड डालूँ?
उसने ‘हां.’ कहा.
मैं लंड को चूत पर रगड़ रहा था तो उसका इशारा पाते ही एक धक्का दे मारा.
पर लंड फिसल गया.
उसकी चूत में बहुत बाल होने के कारण और थोड़ा अंधेरा होने के कारण ठीक से दिख नहीं रहा था.
जब दूसरी बार भी लंड फिसल गया तो सलोनी ही थोड़ी मेरी ओर झुकी और उसने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट किया और मुझे धक्का देने को कहा.
बस … उसका कहना और मेरा लंड अन्दर डालना एक ही क्षण में हुआ.
जैसे ही लंड का सुपारा चूत के अन्दर गया, सलोनी ने खुद के चादर को जोर से मुँह में भर लिया.
मैंने देखा कि वह रो रही थी.
मैं थोड़ा मायूस हुआ कि मेरे कारण वह रो रही है.
जैसे ही मैं लंड निकालने वाला था कि सलोनी ने मुझे रोक लिया और धक्का देने का इशारा किया.
उसकी ये बात मुझे बहुत ज्यादा भा गई और मैंने एक जोरदार धक्का दे दिया.
आधा लंड गया होगा चूत में, तभी उसकी चूत से पानी आने लगा था.
मैंने सोचा कि यह तो बहुत जल्दी झड़ गई.
पर जब गौर से देखा तो समझा ये तो खून है … बहुत था पर मैं अब उसको बताकर चुदाई रोकना नहीं चाहता था.
इसलिए मैंने और एक धक्का मारा और लंड पूरा चूत में घुसेड़ दिया.
वर्जिन चूत की चुदाई से सलोनी तो मानो बेसुध सी हो गई थी.
मैं थोड़ी देर रुका और सलोनी को उसके होंठों पर किस करने लगा, उसके चूचों को चूसने लगा.
उसके जिस्म के हर हिस्से को मैं किस करने लगा.
थोड़ी देर बाद उस भी अच्छा लगा.
उसने खुद मुझे लंड को आराम से अन्दर बाहर करने को कहा.
मैंने भी ठीक वैसे ही किया.
मैं थोड़ा लंड बाहर खींचता और दोबारा चूत में पेल देता.
कुछ मिनट के बाद उसे भी मजा आने लगा तो उसने जोर जोर लंड पेलने को कहा.
वह खुद भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर लंड लेने को मचलने लगी.
मैं इसी की राह देख रहा था.
उसकी गांड उठती देख कर मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया.
उसके मुँह से सीत्कार निकल रही थी ‘अह हहह.’
थोड़ी देर में वह दूसरी बार झड़ गई और जैसे मुर्दा हो गई हो, वैसे ही लेटी रही.
मैं तो अभी भी धक्के मार रहा था.
कुछ मिनट के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया तो मैंने लंड बाहर खींचा और उसकी नाभि के ऊपर झड़ गया.
उसके बाद सलोनी ने मुझे अपने आगोश में लिया और मेरे माथे पर चूम लिया.
थोड़ी देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा; उसके बाद उसकी बाजू में लेट गया.
मैंने उसको अपनी चादर के अन्दर ले लिया और उससे चिपक कर सोने लगा.
वह भी मुझे इतना कसके पकड़ कर सो रही थी, जैसे मैं चोर हूँ और चोरी करके भाग ना जाऊं … इसलिए पकड़ा हो.
उसके अगले दिन भी मैंने उसे चोदा और गांड भी मारी.
वह अगली बार की सेक्स कहानी में बताऊंगा.
आप बताएं कि आपको वर्जिन चूत की चुदाई कहानी कैसी लगी.
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